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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–155


“मुझे कुछ वक्त दो। सोचने दो इसके लिये क्या किया जा सकता है।” अपनी बात कहते आर्यमणि वहीं बैठकर ध्यान लगाने लगा।

आर्यमणि शुरू से पूरे घटनाक्रम पर नजर दिया और आंख खोलते ही.… "तुम सब घास काटने वाली मशीन, वाटर पंप मोटर, और पाइप ले आओ। साथ में पानी गरम करने की व्यवस्था, और आड़ी भी लेकर आना। जबतक मैं इसकी जांच करता हूं... ओह हां साथ में बायोहेजार्ड सूट लाना मत भूलना"..

रूही, इवान और अलबेली समान लाने निकल गये। आर्यमणि आगे से पीछे तक उस विशालकाय जीव के बदन के 2 चक्कर लगाया और पूरी बारीकी से जांच कर लिया। तीसरी बार जांच के लिये आर्यमणि को उस जीव के ऊपर चढ़ना पड़ा। पूरी जांच करने के बाद वो सीधा क्रूज लेने निकला और क्रूज को घुमाकर समुद्र के उस तट तक लेकर आया, जिसके किनारे वह विशालकाय जीव पड़ा था।

जब रूही, इवान और अलबेली वापस लौटे तो वहां आर्यमणि नही था। करीब आधा घंटा इंतजार करने के बाद उन्हें आर्यमणि तो नही लेकिन क्रूज जरूर दिख गया। आर्यमणि नीचे आकर सबको एक वाकी देते... "इवान, अलबेली वो जो घास मुझे खिलाए थे, जितनी हो सके काटकर ले आओ।"..

वो दोनो अपने काम पर लग गये। इधर आर्यमणि, रूही को क्रूज में जाकर क्रेन ऑपरेट करने कहने लगा। रूही भी हामी भरती क्रूज पर गयी और आर्यमणि के इशारे का इंतजार करने लगी। आर्यमणि ने उस जीव के पेट पर करीब 600 मार्क किये थे। वह अपनी आड़ी लेकर उन्ही मार्क्स पर चल दिया।

आर्यमणि मार्क किये जगह पर भले ही 2 फिट लंबा–चौड़ा चीड़ रहा था, लेकिन उस जीव के बदन के हिसाब से मात्र छोटा सा छेद था। आर्यमणि ऐतिहातन वो बायोहजार्ड़ सूट पहने था, ताकि पेट के अंदर का गैस उसे कोई नुकसान न करे। पहला छेद जैसे ही हुआ, चारो ओर धुवां ही धुवां। धुवां छटते ही आर्यमणि पेट के अंदर किसी नुकीली धातु का कोना अपने आंखों से देख रहा था।

वाकी पर उसने रूही को इंस्ट्रक्शन दिया और क्रेन का हुक ठीक उस छेद के पास था। आर्यमणि उस छेद पर चढ़ा। पेट में अटकी उस नुकीली चीज को हुक से फसाया और ऊपर खींचने बोला। हुक के वायर पर जैसे काफी लोड पड़ रहा हो। रूही जब खींचना शुरू की, अंदर से बहुत बड़ा मेटल स्क्रैप निकला। वह इतना बड़ा था की उस छोटे से छेद को बड़ा करते हुये निकल रहा था। वह जीव दर्द से व्याकुल हो गया। दर्द से उसका पूरा बदन कांपने लगा।

वह जीव इतना बड़ा था कि उसके हिलने से क्रूज का क्रेन ही पूरा खींचने लगा। आर्यमणि तुरंत अपना ग्लॉब्स निकालकर उसके बदन पर हाथ लगाया। आर्यमणि अपने अंदर भीषण टॉक्सिक लेने लगा। दर्द से राहत मिलते ही वह जीव शांत हो गया और रूही तुरंत उस मेटल स्क्रैप को बाहर खींचकर निकाल दी। जैसे ही मेटल स्क्रैप उस जीव के पेट से बाहर निकला, आर्यमणि एक हाथ से उस जीव का दर्द खींचते, दूसरे हाथ से पेट के कटे हुये हिस्से को बिना किसी गलती के सिल दिया। तकरीबन 10 मिनट तक टॉक्सिक अंदर लेने के कारण आर्यमणि पूरी तरह से चकरा गया। उसे उल्टियां भी हुई। जहां था वहीं कुछ देर के लिये बैठ गया। एक मार्क का काम लगभग आधे घंटे में खत्म करने के बाद आर्यमणि दूसरे मार्क पर पहुंचा। वहां भी उतना ही मेहनत किया जितना पहले मार्क पर मेहनत लगी थी।

लगातार काम चलता रहा। शिफ्ट बदल–बदल कर काम हो रहा था। चिड़ने और हाथों से हील करने का मजा सबने लिया। हां लेकिन जो टॉक्सिक आर्यमणि अकेले लेता था, वो तीनो (रूही, अलबेली और इवान) मिलकर भी नही ले पा रहे थे। इवान और अलबेली पहले ही घास का बड़ा सा ढेर जमा कर चुके थे जिसे क्रेन के जरिए क्रूज के स्विमिंग पूल तक पहुंचा दिया गया था। स्विमिंग पूल का पूरा पानी लगातार गरम करके, उसमे घास डाल दिया गया था। एक बार जब घास पूरी तरह से उबल गयी, तब पाइप के जरिए उस जीव के शरीर में उबला पानी उतारा जाने लगा। वह जीव लगातार घास का सूप पी रहा था।

एक दिन में तकरीबन 20 से 25 मार्क को साफ किया गया। तकरीबन 3 दिन के बाद वो जीव अपनी अचेत अवस्था से थोड़ा होश में आया। वह अपनी आंखें खोल चुका था। श्वांस लेने में थोड़ी तकलीफ थी, लेकिन खुद में अच्छा महसूस कर रहा था। पहले 3 दिन तक तो काम धीमा चला, पर एक बार जब अनुभव हो गया फिर तो सर्जरी की रफ्तार भी उतनी ही तेजी से बढ़ी।

तकरीबन 14 दिन तक इलाज चलता रहा। पूरा अल्फा पैक ही अब तो उस जीव के टॉक्सिक और दर्द को लगातार झेलने का इम्यून पैदा कर चुके थे। सबसे आखरी मार्क उस जीव के मल–मूत्रसाय मार्ग के ठीक ऊपर था। आर्यमणि क्रेन संभाले था और अलबेली पूल में पड़ी उबली घास को निकालकर, नया ताजा घास डाल रही थी। नया घास डालने के बाद उसे उबालकर उस काल जीव के मुंह तक लाना था, जो पिछले कुछ दिनों से उस जीव का आहार था।

इवान और रूही ने मिलकर आखरी जगह छेद किया और क्रेन के हुक से मेटल स्क्रैप को फसा दीया। वह स्क्रैप जब निकलना शुरू हुआ फिर तो ये लोग भी देखकर हैरान थे। लगभग 2 मीटर ऊंचाई और 60 मीटर लंबा स्क्रैप था। अब तक जितने भी मेटल स्क्रैप निकले थे, उनसे कई गुणा बड़ा था। वह जीव भयंकर पीड़ा में। रूही और इवान ने जैसे ही हाथ लगाया समझ गये की वो लोग इस दर्द को ज्यादा देर तक झेल नही पाएंगे। बड़े से मेटल स्क्रैप निकालने दौरान उस काल जीव के पेट का सुराख फैलकर फटना शुरू ही हुआ था, अभी तो पूरा स्क्रैप निकालना बाकी था। फिर उसे सीलना भी था। वक्त की नजाकत को देखते हुए रूही, आर्यमणि को अपने पास बुला ली और क्रेन अलबेली को बोली संभालने।

आर्यमणि बिना देर किये उसके पास पहुंचा और अपना पंजा डालकर जब उसने दर्द लेना शुरू किया, तब जाकर रूही और इवान को भी राहत मिली। हां लेकिन ये तो अभी इलाज एक हिस्सा था, दूसरा हिस्सा धीरे–धीरे उस विशालकाय जीव के पेट से निकल रहा था। 5 फिट का छोटा छेद कब 2–3 मीटर में फैल गया, पता ही नही चला। तीनो पूरा जान लगाकर उस काल जीव का दर्द ले रहे थे और स्क्रैप के जल्दी से निकलने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन जैसे ही वो स्क्रैप निकला, उफ्फ काफी खतरनाक मंजर था।

2 मीटर ऊंचा और 60 मीटर लंबे मेटल स्क्रैप न जाने कितने दिनों से मल–मूत्र का रस्ता रोक रखा था। मेटल स्क्रैप के पीछे जितना भी मल, गंदगी इत्यादि जमा था, बाढ़ की तरह उनके ऊपर गिड़ा। गिड़ा मतलब ऐसा वैसा गिड़ा नही। 5 मीटर ऊंची वो मल और गंदगी की बाढ़ थी, जिसमे 10 मिनट तक तीनो डूबे रह गये। ऊपर अलबेली का हंस–हंस कर बुरा हाल था। बायोहजार्ड सूट के अंदर तो वो सुरक्षित थे। ऑक्सीजन सप्लाई भी पर्याप्त थी पर मल में दबे रहने के कारण तीनो का मन उल्टी जैसा करने लगा, क्योंकि हाथ तो तीनो के खुले हुये थे।

10 मिनट लगा उस कचरे को बहने में। थुल थुले से मल के बीच वो तीनो, उस जीव का दर्द भी भागा रहे थे और पेट ज्यादा देर तक खोले नही रह सकते थे, इसलिए सिल भी रहे थे। इधर अलबेली वाटर पंप को पहाड़ से निकलने वाले झील में डाली और क्रेन की मदद से उस जगह पानी डालकर साफ–सफाई भी कर रही थी। ..

खैर 14–15 दिन की सर्जरी के बाद, अगले 4 दिन तक उस जीव को खाने में उबला घास और पीने के लिए घास का सूप मिलता रहा। सारी ब्लॉक लाइन क्लियर हो गयी थी। वह जीव खुद में असीम सुख की अनुभूति कर रहा था। अगले 4 दिन में अल्फा पैक ने उस जीव को पूरा हील भी कर दिया और उसके टांके भी खोल दिये।

20 दिनों के बाद वो जीव पूरी तरह से स्वास्थ्य था। खुश इतना की नाच–नाच के करतब भी दिखा रहा था। वो अलग बात थी की उसके करतब देखने के लिए पूरा पैक पर्वत की चोटी पर बैठा था। उस जीव के नजरों के सामने चारो बैठे थे। वह जीव अपनी आंखों से जैसे आंसू बहा रहा हो। अपनी आंख वो चारो के करीब लाकर 2 बार अपनी पलके टिमटिमाया ..

उसे ऐसा करते देख चारो खुश हो गये। फिर से उस जीव ने अपना सिर पीछे किया और खुद को जैसे हवा में लहराया हो... हां लेकिन वो लहर आर्यमणि के सर के ऊपर इतनी ऊंची उठी की बस सामने उस जीव का मोटा शरीर ही नजर आया। ऊपर कितना ऊंचा गया, वो नजदीक से देख पाना संभव नही था। वह जीव ठीक इन चारो के सर के ऊपर था और अपनी गर्दन नीचे किये अल्फा पैक को वह देख रहा था। उस जीव के शरीर पर, गर्दन के नीचे से लेकर पूंछ तक, दोनो ओर छोटे छोटे पंख थे। करीब 3 फिट या 4 फिट के पंख रहे होंगे जो दूर से देखने पर उस जीव के शरीर पर रोएं जैसा लगता था।

वह जीव गर्दन नीचे किये अल्फा पैक को देख रहा था और बड़ी सावधानी से अपना एक पंख रूही के पेट के ओर बढ़ा रहा था। रूही यह देखकर खुश हो गयी और पेट के ऊपर से कपड़ा हटाकर पेट को खुला छोड़ दी। वह जीव अपनी गर्दन नीचे करके धीरे–धीरे अपना पंख बढ़ाकर पेट पर प्यार से टीका दिया। आर्यमणि, अलबेली, और इवान को तो ऐसा लग रहा था जैसे कोई पहाड़ उनके सामने से धीरे–धीरे करीब आ रहा हो।

क्या हो जब आप कहीं पार्क में बैठे हो और 100, 150 मंजिली इमारत आपके 10 फिट के फासले से नजदीक आ रही हो। और ये जीव तो उस इमारत से भी कहीं ज्यादा ऊंचा था, जिसे करीब से कभी पूरा नहीं देखा जा सकता। किंतु यहां किसी को भी डर नही लग रहा था उल्टा सब खुश थे। सबसे ज्यादा खुश तो रूही थी, क्योंकि उस जीव का स्पर्श उतना ही अलौकिक था।

उस जीव ने कुछ देर तक अपना पंख रूही के पेट पर टिकाए रखा। फिर तो सबने वो कारनामा देखा। नजरों के सामने उस जीव के शरीर का जितना हिस्सा था, उसमें जैसे वाइब्रेशन हुआ हो और एक पल के लिए उसने पंख को पेट से हटा लिया। वापस से उसने पेट पर स्पर्श किया और फिर से उसका शरीर वाइब्रेट किया।

रूही:– अमेया पेट में हरकत कर रही है। ये जीव उसे महसूस कर सकता है...

लगातार 3–4 बार वाइब्रेट होने और स्पर्श करने की प्रक्रिया के बाद तो वो जीव खुशी से गुलाटी ही लगा दिया। वो अलग बात थी कि गुलाटी लगी नही और अपना भारी शरीर लेकर सीधा जमीन पर गिर गया। सर हिलाते वह जीव उठा और अपना मुंह रूही के पेट के करीब लाकर अपने जीभ के छोटे से प्वाइंट से रूही के पेट को स्पर्श करके वहां से खुशी–खुशी वापस समुद्र में लौट गया। हालांकि मकसद तो पेट को ही स्पर्श करना था, लेकिन अब जीभ ही इतनी बड़ी थी की चारो को गिला करके भाग गया...

इतने बड़े जीव की जान बचाना अपने आप में ही अनोखा अनुभव था। आर्यमणि ने पूरे घटनाक्रम को विस्तार से अनंत कीर्ति की पुस्तक में लिखा। जब वह पूरी घटना लिख रहा था, उसी दौरान आर्यमणि ने सोच लिया की इस किताब को कॉटेज में न रखकर साथ ले जाना ज्यादा बेहतर होगा। अनंत कीर्ति की पुस्तक खुद यहां के पूरे पारिस्थितिक तंत्र को वर्णित कर देगी।

अगली सुबह तो और भी ज्यादा विचित्र परिस्थिति थी। आर्यमणि क्रूज को आइलैंड के दूसरे छोड़ से उसी किनारे पर लगा रहा था जहां क्रूज शुरू से लगी हुई थी। किंतु उस विशालकाय जीव को ठीक करने के बाद से तो जैसे आर्यमणि के पास वाले समुद्री तट पर कई सारे समुद्री जीवों का आना जाना हो गया। सभी समुद्री जीवों के आकार सामान्य ही थे लेकिन देखने में काफी मनमोहक और प्यारे लग रहे थे। सभी पीड़ा लेकर उस तट पर पहुंचे थे और आर्यमणि उन सबको हील कर खुशी–खुशी वापस भेज दिया।

अब तो जैसे रोज ही समुद्र किनारे समुद्री जीवों का भिड़ लगा रहता। उन सबकी संख्या इतनी ज्यादा हुआ करती थी कि अल्फा पैक उन्हे समुद्री रेशों में जकड़ कर एक साथ हील कर दिया करते थे। कभी–कभी तो काफी ज्यादा पीड़ा में होने के कारण कई समुद्री जीव आर्यमणि के फेंस तक पहुंच जाते। चारो मिलकर हर किसी की तकलीफ दूर कर दिया करते थे। और जितना वो लोग इस काम को करते, उतना ही अंदर से आनंदमय महसूस करते।

हां लेकिन उस बड़े से काल जीव को स्वास्थ्य करने वाली घटना के बाद, उन चारो को रात में कॉटेज के आस–पास किसी के होने की गंध जरूर महसूस होती, लेकिन निकलकर देखते तो कोई नही मिलता। उस बड़े से जीव को हील किये महीना बीत चुका था। जिंदगी रोजमर्रा के काम के साथ बड़ी खुशी में कट रही थी। रूही का छटवा महीना चल रहा था। सब लोग अब विचार कर रहे थे कि 4 महीने के लिये न्यूजीलैंड चलना चाहिए। रूही के प्रसव से लेकर बच्चे के महीने दिन का होने तक डॉक्टर के ही देख–रेख़ में रूही को रखना था।

अंधेरा हो चला था। चारो कॉटेज के बाहर आग जला कर बैठे थे। इन्ही सब बातो पर चर्चा चल रही थी। सब न्यूजीलैंड जाने के लिये सहमति जता चुके थे, सिवाय रूही के। उसका कहना था कि आर्यमणि ही ये डिलीवरी करवा देगा। रूही की बात सुनकर तो खुद आर्यमणि का दिमाग ब्लॉक हो गया। यूं तो डॉक्टरों का ज्ञान चुराते वक्त प्रसव करवाने का मूलभूत ज्ञान तो आर्यमणि के पास था, किंतु अनुभव नहीं। और आर्यमणि जनता था डॉक्टरी पेशा ऐसा है जिसमे ज्ञान के साथ–साथ अनुभव भी उतना ही जरूरी होता है। आर्यमणि, रूही से साफ शब्दों में कह दिया... "इस मामले में तुम्हारी राय की जरूरत नही। जो जरूरी होगा हम वही करेंगे।"

आर्यमणि की बात सुनकर रूही भी थोड़ा उखड़ गयी। फिर क्या था दोनो के बीच कड़क लड़ाई शुरू। इन दोनो की लड़ाई मध्य में ही थी जहां आर्यमणि चिल्लाते हुए कह रहा था कि... "तुम्हारी मर्जी हो की नही हो, न्यूजीलैंड जाना होगा"…. वहीं रूही भी कड़क लहजे में सुना रही थी... "जबरदस्ती करके तो देखो, मैं यहां से कहीं नही जाऊंगी"

कोई निष्कर्ष नही निकल रहा था और जिस हिसाब से दोनो अड़े थे, निष्कर्ष निकलना भी नही था। दोनो की बहस बा–दस्तूर जारी थी। तभी वहां का माहोल जैसे कुछ अलग सा हो गया। समुद्र तट से काफी तेज तूफान उठा था। धूल और रेत के कण से आंखें बंद हो गयी। कुछ सेकंड का तूफान जब थमा, आर्यमणि अपने फेंस के आगे केवल लोगों को ही देख रहे थे। कॉटेज से 200 मीटर का इलाका उनका फेंस का इलाका था और उसके बाहर चारो ओर लोग ही लोग थे।

यहां कोई आम लोग आर्यमणि के फेंस को नही घेरे थे। बल्कि वहां समुद्रीय मानव प्रजाति खड़ी थी। एक जलपड़ी और उसके साथ एक समुद्री पुरुष जिसका बदन संगमरमर के पत्थर जैसा और शरीर का हर कट नजर आ रहा था। आर्यमणि सबको अपनी जगह बैठे रहने बोलकर खड़ा हो गया और फेंस की सीमा तक पहुंचा। वह बड़े ध्यान से सामने खरे मानव प्रजाति को देखते... "तुम सबका मुखिया कौन है?"…

आर्यमणि के सवाल पर भिड़ लगाये लोगों ने बीच से रास्ता दिया। सामने से एक बूढ़ा पुरुष और उसके साथ एक जलपड़ी चली आ रही थी। बूढ़ा वो इसलिए था, क्योंकि एक फिट की उसकी सफेद दाढ़ी हवा में लहरा रही थी। वरना उसका कद–काठी वहां मौजूद भीड़ में जितने भी पुरुष थे, उनसे लंबा और उतना ही बलिष्ठ दिख रहा था।

वहीं उसके साथ चली आ रही लड़की आज अपने दोनो पाऊं पर ही आ रही थी, लेकिन जब पहली बार दिखी थी, तब जलपड़ी के वेश में थी। कम वह लड़की भी नही थी। एक ही छोटे से उधारहण से उसका रूप वर्णन किया जा सकता था। स्वर्ग की अप्सराएं भी जिसके सामने बदसूरत सी दिखने लगे वह जलपड़ी मुखिया के साथ चली आ रही थी।

 

nain11ster

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Excellent fantastic outstanding update bade bhai
😍😘❤️❤️❤️❤️❤️😍😘😘❤️😍😍😍😍😍😍😍😍❤️❤️😍😍😍😍😘😘❤️❤️❤️❤️❤️😍😍❤️😍😍😍😘❤️❤️❤️❤️❤️❤️😘😘❤️❤️❤️❤️❤️❤️😘😘😘😍😍❤️❤️❤️😘😘😍😍😘😘😍😍❤️❤️❤️😍😍😍😍😍😍❤️



Yaha to inki power bhi nhi chali hey ary ka dard kam krne keliye...
Lekin un Shero ko malum hey ki uska dard kaisa kam ho sakta hey, isiliye usne ohh ghas lake diyi hey...

Aur आर्या bhi uss ghas ke रस ke vajese jald hi hosh mey ayaa hey...

Aur ate hi ohh ruhi ko bualne laga hey

Aisa kiasa usne dangers Sapna dekha hey jo itna dar gaya hey 🤔🤔🤔🤔

Aur thik hote hi apne raslila mey vilon hoke usko shatnt hgye hey dono....

Aur ye sher unko us prani Ko thik karne ke vaste laya hey jo vaha par ohh log chod ke gaye hey...

Aur uska dard kichne ke bad to itna zehar uske andar payaa gaya hey ki arya ko bhi dard hogya hey....

Ab ary to dhyan lagake baitha hey ki uska kuch तोड nikale....

Ab dekhte hey ki arya kya तोड nikalata hey...

❤️😘😘❤️❤️😍❤️😍😘😁😘😍❤️😍😍😘😘😍
Ho jata hai jab bahut jyada tabiyat kharab ho to darawane sapne aa hi jate hain... Arya ne bhi koi khatarnak sapna dekha hoga...

Baki update aa gaya hai aur ilaz bhi shuru ho chuka hai... Dekhiye kya natija nikalta hai.... Hum aap to bus uske thik hone ki kamna hi kar sakte hain...
 

nain11ster

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Un jalpariyo NE arya ki najro me Lagta hai ruhi se bichhudne ka dar bhara hoga, or us dar ke dard ko hi itna badha diya ki arya behosh ho gya dard se...

Subah savere hi ek madhur milan hua arya or ruhi ke Bich me or uske baad hi tunakna va nok jhok bhi suru ho gyi, jo ki Bahut khubsurat lga bhai, pati patni ke bich aise thoda Bahut hote rahna chahiye (sirf unke hi Bich jo sakki pravatti ke nhi hai, Varna maha Bharat bhi ho sakti hai) ya jinhe baat samhalni aati hai...

Sher ne ghass lakr di jo dard nivarak thi aur arya pr kaam kar rhi thi, 2 din ruhi ne kisi ko kahi Jane nhi diya, sahi hai boss bankr nhi rahegi to ye manchale kahi ko bhi nikal jayenge...

Sher Apne pariwar ke sath arya logo ko lekr us kaaljiv ke pass aaya hai, vahi Sher NE apne sathiyo ke sath milkr use jgaya, udhar ki comedy bhi sandar thi bhai...

Arya ne us kaaljiv ko chhu kr uski pida sokhne ki Kosis ki pr kuchh hi second me arya ki nashe nili pad gyi 100 pedo ke jahar ke barabar, sokh liya arya ne Utne hi samay me, soch ke hi rongte khade ho gye ki us vishalkay jiv ko akhir kitni pida ho rhi hogi, Vaise uske sath aisa kiya kisne hoga, Dekhte hai aage...

Arya soch rha hai ki Vo Kaise us pida ko bahar nikale, arya abhi dhyan karne lga hai Sayad koi rasta mil jaye use Lekin kya vo jado ke resho se bahar nhi nikal sakta, fir bhi sochta hu ki Vo bahar nikal kr jayega kaha, arya and team to jahar pcha nhi payegi itna sara ek baar me, isi liye Sayad arya dhyan me gya hai...

Superb update jabarjast sandar Nainu bhaya
Nahi thik se padha nahi uski najar aisi thi ki arn ke dimag ki nashen galna shuru ho chuki thi... Sidha simple jaan nikalne wala humla tha.... Sapna to bus bimar hone ke karan aaya tha... Darwana sapna.. kisi anhoni ka...

Baki pati patni ke nok jhonk to chalte hi rahte hain... Usme kuch mazak se shuri hokar serous ho jata hai to kuch serious jhagda mahaj mazak ban jata hai... Yahan bhi pati patni ke bich jyada samjhdari ki ummid mat rakhiye... Bus vishay pati patni nahi varna wo bhi dikh hi jata :D...

Aur rahi baat us jiv ki to update de diya hun... Dekh lijiye ilaz hua bhi ya nahi...
Isi bahane aapne kuchh na bol kr bhi bahut kuchh Bol diya bhaya

Par maine bola kuch nahi ye dhyan rakhiyega
 

Atif123

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Nahi thik se padha nahi uski najar aisi thi ki arn ke dimag ki nashen galna shuru ho chuki thi... Sidha simple jaan nikalne wala humla tha.... Sapna to bus bimar hone ke karan aaya tha... Darwana sapna.. kisi anhoni ka...

Baki pati patni ke nok jhonk to chalte hi rahte hain... Usme kuch mazak se shuri hokar serous ho jata hai to kuch serious jhagda mahaj mazak ban jata hai... Yahan bhi pati patni ke bich jyada samjhdari ki ummid mat rakhiye... Bus vishay pati patni nahi varna wo bhi dikh hi jata :D...

Aur rahi baat us jiv ki to update de diya hun... Dekh lijiye ilaz hua bhi ya nahi...


Par maine bola kuch nahi ye dhyan rakhiyega
Bhai ak or update de do na plz
 
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