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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Napster

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मधु पूरी तरह से हैरान थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसके साथ गंदी हरकत करने की कोशिश तो कर ही चुका था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके सामने बैठकर एकदम अश्लील भाषा में उससे गंदी बात कर रहा था उसकी गांड के बारे में उसकी बुर के बारे में,,,मधु अभी भी उसी तरह से बैठे हुए हवा में अपनी गांड उठाए हुए थे और पीछे नजर घुमाकर अपने बेटे की तरफ देख रही थी और उसकी बातों को सुनकर ईरानी के साथ-साथ उत्तेजित भी हुए जा रही थी,,,, वह हैरान इस बात से थी कि उसके बेटे में अब बिल्कुल भी शर्म नहीं रह गई थी उसके साथ गंदी बात कर रहा था उसकी बुर के बारे में बोल रहा था,,, अपने बेटे के मुंह से ,, वो भी अपनी हीबुर के बारे में सुनकर मधु पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो चुकी थी वह आंखें फाड़े राजू की तरफ देख रही थी,,,,तब जाकर उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी गांड उसके बेटे के ठीक सामने उठी हुई है और एकदम गदराई हुई नजर आ रही है पल भर में ही मधु के गोरे गोरे गाल शर्म से लाल हो गए और वह तुरंत अपनी गांड को नीचे करते हुए बैठ गई,,,वह हैरान थी कि वह अपने बेटे से क्या बोले उसे कैसे समझाएं कि वह जो कुछ भी कह रहा है और करना चाहता है वह सरासर गलत है,,,,अपनी मां की खामोशी को देखकर राजू का हौसला बढ़ता जा रहा था उसे लगने लगा था कि उसकी मां जो अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में उठाई हुई है वह बड़े आराम से अपनी गांड को उसके लंड पर रख देगी,,,, इसलिए तो वह मन ही मन प्रसन्न हुआ जा रहा था,,,, राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,)

मैं सच कह रहा हूं मां,,, साड़ी में कसी हुई तुम्हारी गांड देखे बिना मुझे चैन नहीं आता भले ही कपड़ों में देखु लेकिन फिर भी ऐसा लगता है कि जैसे तू मेरी आंखों के सामने एकदम नंगी खड़ी हो,,, तुम्हारी हाहाकार मचाती चूचियां हमेशा मेरे होश उड़ा दे मन करता है कि तुम्हारी दोनों चूचियों को अपनी हथेली में जोर-जोर से दबाते हुए बारी-बारी से अपने मुंह में लेकर उसका पूरा दूध पी जाऊं,,,,(अपने बेटे की बात सुनकर उसके संपूर्ण बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी उसे अपने बेटे की नीयत ठीक नहीं लग रही थी आज मधु ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे कोई गैर मर्द उससे अश्लील बातें कर रहा हूं क्योंकि जिस तरह की बातें राजू कर रहा था उसके मुंह से कभी भी मधु इस तरह की कल्पना ही नहीं की थी,,,, शर्म के मारे मधु अपनी नजरों को नीचे झुका ली थी,,,फिर भी हिम्मत करके राजू की तरफ देखे बिना ही वह बोली,,,)

यह क्या कह रहा है राजू तुझे शर्म आनी चाहिए अपनी मां के बारे में इस तरह की गंदी बातें करते हुए,,,,,

शर्म तो बहुत आती है मां लेकिन तुम्हारी खूबसूरती के आगे मुझे कुछ सुझता ही नहीं है,,,,,,
(राजू की बात को सुनकर धीरे-धीरे मधु अपनी जगह पर खड़ी होने लगी थी और साथ ही राजू भी अपनी जगह पर खड़े होते हुए अपनी मां से अश्लील बातें कर रहा था,,, राजू की बात सुनकर दूसरी तरफ मुंह फेरे खड़ी मधु बोली,,,)


तेरी आंखों पर जवानी का पर्दा पड़ चुका है तुझे सही कुछ दिखाई नहीं दे रहा है,,,


तुम्हारी खूबसूरती के आगे मुझे कुछ भी दिखाई नहीं देता,,, सच कहूं तो चारों तरफ मुझे तुम ही तुम दिखाई देने लगी हो,,,,,,,


राजू कैसी बहकी बहकी बातें मत कर मैं कभी नहीं सोची थी कि तू इस तरह से बातें करेगा,,,,


इसमें मेरा कोई भी दोष नहीं है मा, मुझे अब इतना तो समझ में आने लगा कि औरत की खूबसूरती क्या चीज होती है मैं दिन भर घाव भर इधर-उधर घूमता रहता हूं लेकिन तुम्हारी जितनी खूबसूरत औरत मैंने आज तक नहीं देखा,,,,,,
(अपने बेटे की बात को सुनकर मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें एक औरत होने के नाते राजू के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ उसे अच्छी भी लग रही थी,,, लेकिन एक मां होने के नाते उसे अपने बेटे की बातें बेहद गंदी लग रही थी,,,, मधु का दिल अपने बेटे की बात मानने से इनकार कर रहा था लेकिन दिमाग उसकी बातों से गिरा हुआ था जिसका असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था,,,,अपने बेटे की बात को सुनकर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन दूसरी तरफ उसकी बातों से उसकी बुर गीली भी हो रही थी,,,, वह खेतों में अपने बेटे को समझाने के लिए लाई थी लेकिन उसकी बातों से उसका मन बहकने लगा था,,, आखिरकार एक मां होने से पहले वह एक औरत थी,,,,,पर एक औरत होने के नाते दूसरी औरतों की तरह उसे भी अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनना बेहद पसंद था,,,, लेकिन यहां पर उसके लिए हालात कुछ और थे उसकी खूबसूरती का तारीफ करने वाला कोई गैर मर्द नहीं बल्कि उसका ही जवान बेटा था,,, अपने बेटे की बात को सुनकर उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी थी,,,,, ना चाहते हुए भी वह अपने बेटे से बोली,,,)

तुझे यह सब कहना अच्छा लगता है इस तरह की बातें तुझे शोभा देती है और वह भी अपनी मां के लिए कोई सुनेगा तो क्या कहेगा,,,


यहां कौन सुनने वाला है मां,,, और वैसे भी मैंने कोई गलत बात नहीं कहां हो तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ कर रहा हूं और जो कि एक दम सच है,,,


कौन बेटा अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ करता है,,,? यह गंदी बात है राजू,,,,


ऐसा तुम समझती हो लेकिन मेरी नजरों से देखोगी तो तुम्हें भी सब कुछ एकदम सही लगेगा,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,,,
(अपने बेटे की बातों को सुनकर मधु की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी सांसों की गति के साथ-साथ उसकी खरबूजे जैसी सूचियां ऊपर नीचे हो रही थी,,,, सूरज सर पर आ गया था दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था और उसी जगह पर दोनों खड़े थे वह जगह जंगली झाड़ियों से गिरी हुई थी किसी के भी देखे जाने की आशंका बिल्कुल भी नहीं थी,,,,)

राजू तु समझने की कोशिश कर,,,(ऐसा कहते हुए मधु राजू की तरफ घूम गई,,) एक मां के लिए बेटा कभी भी इस तरह की बातें नहीं करता तू अपनी राह से भटक गया है,,, तू जितना सोच रहा है उतनी भी खूबसूरत मैं नहीं हूं,,, तीन तीन बच्चों की मां तु यह बात समझता क्यों नहीं है,,, तुझे तो अपनी उम्र की लड़कियों में दिलचस्पी होना चाहिए ना की एक औरत के एक औरत तक भी यह बात ठीक थी लेकिन तू तो अपनी ही मां के पीछे पड़ गया है,,,।




प्यार में उम्र कोई मायने नहीं रखती,,,, लेकिन तुम अपने आप को देखो और गांव की दूसरी औरतों को देखो तुम्हारे लिए और उन में जमीन आसमान का फर्क है तीन बच्चों की मां होने के बावजूद भी तुम,,, अभी भी लड़की की तरह ही नजर आती हो जवान खूबसूरत लड़की उम्र की सीमा को तुम पार कर चुकी हो,,,।
(राजू अपनी मां की खूबसूरती के आकर्षण में इस तरह से कैद हो चुका था कि उसे भी सही गलत का पता नहीं चल रहा था वह अपनी मां से इस तरह से बातें कर रहा था जैसे किसी गैर लड़की से बात कर रहा हूं एकदम आशिकाना मिजाज हो चुका था ना चुका उसकी बातों को सुनकर मधु भी एकदम हो चुकी थी इस तरह से तो जवानी में भी उसके साथ किसी ने भी बातें नहीं की थी ना ही उसके पति ने,,,,,,,, मधु अब तक अपने बेटे को छोटा बच्चा ही समझती थी लेकिन उसकी बातों को और उसकी हरकतों को देखते हुए वह समझ गई थी कि उसका बेटा पूरी तरह से जमा हो चुका है जो कि औरतों की जवानी में रस लेने लगा है,,,, अपने बेटे को समझाने की जगह ना जाने क्यों मधु के तन बदन में अपने बेटों की बातों को सुनकर एक लहर से उठने लगी थी उसे अपने बेटे की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी,,, मधु को ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी-अभी उसकी जवानी खील कर उभरी है ,, और राजू उसके सपना का राजकुमार की तरह उसके पीछे पड़ा है उसे लुभाने के लिए उसे अपने प्यार में पागल करने के लिए मधु भी अपने बेटे की जालसाज बातों में आते हुए अपने बेटे से बोली,,,)

तू पागल हो गया राजू मुझसे भी ज्यादा खूबसूरत औरतें पूरे गांव में है तो मेरे पीछे पड़ कर मर्यादा की दीवार लांघ रहा है,,,,,


मैं कोई भी मर्यादा की दीवार नहीं लाघ रहा हूं,,,, तुम मुझे बहुत खूबसूरत लगती हो,,,,


पागल मत बन राजू,,,तेरे और मेरे बीच में मां बेटे का पवित्र रिश्ता है कोई मर्द और औरत का नहीं जो इस तरह से मेरे पीछे पड़ा है किसी को पता चल गया तो कितनी बदनामी हो जाएगी तुझे पता है,,,,


कुछ भी नहीं होगा मां,,, किसी को कानों कान तक खबर नहीं पड़ेगी,,,, तुम अगर चाहो तो हम दोनों के बीच मर्द और औरत वाला रिश्ता पनप सकता है,,,

(मधुअपने बेटे की तरफ मुंह करके जरूर खड़ी थी लेकिन वह अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी उसकी आंखों में शर्म भरी हुई थी लेकिन उसके बेटे की आंखों में बिल्कुल भी शर्म नहीं था वह अपनी मां से बेहद अश्लील शब्दों का प्रयोग करते हुए बातें कर रहा था,,,मधु इस बात से हैरान थी कि उसका बेटा सीधे-सीधे उसे चोदने की बात कर रहा था जो कि आज तक शादी की पहली रात को उसके पति ने इस तरह से खुल कर उसे चोदने की बात नहीं किया था बल्कि उसे चोदने की इच्छा भी जाहिर नहीं किया था बस धीरे-धीरे बातों ही बातों में अपने आप ही सब कुछ हो गया था लेकिन यहां तो उसका बेटा एक कदम आगे बढ़ चुका था,,,, मधु को समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे में उसे पाने की चाहत इस कदर कैसे बढ़ गई जबकि इस उम्र में लड़के अपनी उम्र की लड़कियों को ढूंढते हैं उनसे प्रेम मिलाप करते हैं प्रेम की बातें करते हैं लेकिन यहां सब कुछ उल्टा हो चुका था यही जानने के लिए वह अपने बेटे से बोली,,,)

राजू में तुझे कितना समझाने की कोशिश कर रही हो कि हम दोनों के बीच इस तरह का रिश्ता कायम नहीं हो सकता आखिरकार तू ऐसा मुझ में क्या देख लिया कि मेरे पीछे ही पड़ गया है बल्कि तुझे तो अपनी हमउम्र लड़कियों के साथ घूमना चाहिए,,,


पहले मैं ऐसा कभी नहीं सोचता था लेकिन जब से मैंने तुम्हें अपनी आंखों से एकदम नंगी देखा हूं तब से मेरे होश उड़ गए हैं,,,(राजू की बात सुनते ही मधु की हालत खराब हो गई आश्चर्य से उसकी आंखें चोडी हो गई,,,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे ने उसे कब पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख लिया जबकि वहां इस बात का पूरा ध्यान रखती है कपड़े बदलते समय नहाते समय की कोई उसे देख ना ले,,उससे कहां पर गलती हो गई थी जो उसके बेटे ने उसे नग्न अवस्था में देख लिया यही जानना चाहती थी इसलिए आश्चर्य से वह राजू की तरफ देख रही थी और देखते हुए बोली,,,)

क्या तूने मुझे,,, लेकिन कब,,,,


जब तुम नहा कर अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तब मैं किसी काम से आया था लेकिन मैंने देखा दरवाजा खुला था और तुम्हारे बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था,,,(राजू जानबूझकर बात को बदलते हुए बोल रहा था वह सीधे सीधे अपनी मां को यह कहना चाहता था कि वह तुम्हें चुदवाते हुए देख चुका है,,, वरना कमरे के एक छोटे से छेद का राज जाहिर हो जाता,,,,,)

क्या,,,?(मधु एकदम आश्चर्य से बोली,,)

इससे पहले मेरा इरादा बिल्कुल भी गंदा नहीं था लेकिन उस दिन जब मैं तुम्हें पूरी तरह से नंगी देखा तो मेरे होश उड़ गए मेरे सोचने का तरीका एकदम से बदल गया उस समय है तुम्हारी पीठ मेरे सामने थी और तुम्हारी नंगी गोरी गोरी गांड देखकर मेरे तो होश ही उड़ गए मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं,,,,(मधु की हालत खराब होती जा रही थी राजू जानबूझकर अश्लील शब्दों में अपनी मां को पूरी कहानी जो की मनगढ़ंत की उसे सुना रहा था वह अपनी गंदी बातों से अपनी मां का मन बहलाना चाहता था,,,)मैंने आज तक इतनी खूबसूरत गांड किसी की नहीं देखा था एकदम गोरी मक्खन मलाई की तरह और एकदम गोल-गोल मानो कि जैसे तो बड़े-बड़े खरबूजे लटका दिए गए हो,,, सच कहूं तो मामुझे यह सब देखने का बिल्कुल इरादा नहीं था लेकिन उस समय मेरी नजरों ने जो देखा था मेरे सोचने समझने की शक्ति को पूरी तरह से छीण कर दिया था,,,,, मैं अपने जीवन में पहली बार किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था,,,, मेरी सांसे एकदम तेज चलने लगी थी,,,,मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ देर तक मैं वहीं रुक आ रहा और मैं जैसे जाने क्यों हुआ वैसे ही तुम दूसरी तरफ घूम गई जिसकी वजह से मुझे तुम्हारी चूचियां नजर आने लगी,,,, सच कहूं तो तुम उसी दिन अपनी अदाओं से मेरे दिलो-दिमाग पर वार पर वार कर रही थी,,, जिसको मैं झेल नहीं पा रहा था,,,,,,
(अपने बेटे की मां तक बातों को सुनकर मधु की बुर गीली होने लगी थी,,,, मधु की खुद की सांसो ऊपर नीचे हो रही थी जोकि राजू की आंखों से बची नहीं पाई थी,,, वह अपनी मां की हालत पर गौर कर रहा था उसे अहसास हो रहा था कि उसकी बातों से उसकी मां को मजा आ रहा था उसे अब ऐसा लगने लगा था कि आज उसका काम बन जाएगा वह अपनी बात को और ज्यादा नमक मिर्च लगाते हुए बोला,,,)
पहली बार मुझे एहसास हुआ कि औरत की चुचिया कितनी खूबसूरत और आकर्षक होती हैं मैं तो तुम्हारी चुचियों को देखता ही रह गया,,,(राजू जानबूझकर अपनी मां के सामने उसके चूची शब्द का प्रयोग कर रहा था ऐसा करते हुए उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी पजामे में उसका लंड पूरी तरह से तन चुका था,, जिस पर अभी तक मधु की नजर नहीं पड़ी थी,,,, मधु अपने बेटे की दोनों टांगों के बीच ध्यान नहीं दे रही थी,,, और राजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए,,) कसम से मां जैसे दशहरी आम पकने के बाद कितना खूबसूरत लगता है उससे भी कहीं ज्यादा आकर्षक और खूबसूरत मुझे तुम्हारी चूची लग रही थी खरबूजे जैसी गोल गोल,,,,

तेरा मन क्या कह रहा था,,,(अनजाने में ही मधु के मुंह से यह शब्द निकल गए वह अपने बेटे से इस तरह का सवाल बिल्कुल भी नहीं पूछना चाहती थी क्योंकि इस तरह का सवाल पूछने पर सीधे सीधे उसके बेटे के लिए इशारा होता कि उसे भी उसकी हरकतें अच्छी लग रही है,,,इसलिए तो अनजाने में ही निकले इन शब्दों के कारण शर्म से उसकी गाल एकदम से लाल हो गए थे और वह शर्मिंदगी महसूस करते हुए अपनी नजरों को और ज्यादा नीचे झुका ली थी राजू तो अपनी मां के मुंह से इस सवाल को सुनकर एकदम खुशी से झूम उठा क्योंकि यह सवाल नहीं था बल्कि उत्सुकता थी जानने की और इसीलिए राजू की अपनी बात को नमक मिर्च लगाता हुआ बोला,,,)

मेरा मन तो कह रहा था कि तुम्हारी चूची को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर जोर जोर से दबाते रहु मुझे तुम्हारे किसमिस का दाना निकला हुआ है ना उसे मुंह में भरकर दांतो से हल्के हल्के दबाऊ,,,, मेरी तो हालत खराब हो गई थी,,, और तुम्हारा अनजाने में ही मेरी तरफ मुंह करके घूमना यह समझ लो कि मेरी जान निकलते निकलते रह गई थी,,,,
(अपने बेटे की बात सुनकर मधु का मन तो कह रहा था कि अपने बेटे से पूछ ले कि ऐसा क्या हो गया था कि तेरी जान निकलते निकलते रह गई थी लेकिन पूछने की उसमें बिलकुल भी हिम्मत नहीं थी तो राजू ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला),

बाप रे मां कसम मैंने जिंदगी में ऐसा नजारा नहीं देखा था पहली बार मैंने,,,, तुम्हारी बुर देखा,,,,(अपने बेटे के मुंह से बुर शब्द सुनते ही अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव करते हुए मधु से अपनी उत्तेजना संभाले नहीं संभली औरउसकी बुर से मदन रस की अमृत बूंद उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों से ओस की बूंद की तरह बाहर निकलते हुए नीचे जमीन पर चु गई,,, काश अगर इस समय मधु पूरी तरह से नंगी खड़ी होती तो राजू अपनी मां की मादकता भरी प्रक्रिया को देखकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाता और अपने घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की बुर से उसकी गुलाब की पत्तियों को चीर कर बाहर निकल रही मदन रस की उस बूंद को अपना जीव लगाकर चाट कर उसे अपने अंदर कर लेता,,,, मधु को अपने बेटे के मुंह से इस तरह के शब्दों का प्रयोग करना बहुत ही अच्छा लग रहा था जबकि वह उसकी बातों से गुस्सा करने वाली थी उसे समझाने वाली थी लेकिन हालात एकदम बदल चुके थे फिर भी वाह अपनी कमजोरी ना दिखाते हुए अपने बेटे से बोली,,,)

हाय दैया यह तु कैसी बातें कर रहा है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसकी नजर अपने बेटे के पजामे पर पड़ गई और उस पर नजर पड़ते ही उसके तो होश उड़ गए वह अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को भी देखती रह गई ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके बेटे के पजामे में लंड की जगह खूंटा हो,,,, मधु एकदम से आश्चर्यचकित हो गई थी उसे इस बात का अहसास था कि मर्द का लंड कितना मोटा और लंबा होता है लेकिन अपने बेटे के पजामे मैं बने तंबू को देखकर उसके मन में उथल-पुथल हो रही थीइतना तो मैं तो समझ ही गई थी कि उसके पजामे में हाहाकार मचाने वाला औजार था जिसे देखने के लिए उसका मन मचल उठा था,,, राजू अपनी मां की नजरों को अच्छी तरह से भांप गया था,,,, और यह देख कर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था अपनी मां की तरफ को और ज्यादा बढ़ाते हुए अपनी मां की आंखों के सामने पजामे के ऊपर से अपने लंड को मुट्ठी में भरकर खुजलाने लगा यह देखकर मधु की हालत खराब होने लगी और मधु कुछ आगे बोल पाती इससे पहले ही राजू बोला,,,)

कुछ भी गलत नहीं कह रहा हूं मैं जो कुछ भी मैंने देखा जो कुछ भी देखने के बाद मेरे तन बदन में हुआ मैं वही बता रहा हूं उस समय तुम्हारी बुर देखकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था जैसा कि आज,,, खड़ा हो गया है,,(इतना कहने के साथ ही अपनी मां की आंखों के सामने ही वह पजामे को एक झटके में नीचे खींच दिया,,,, राजू की इस हरकत पर उसका मोटा तगड़ा लंबा लंड पजामे की कैद से बाहर आते ही हाहाकार मचाने लगा,,, राजू का लंड रबड़ की तरह ऊपर नीचे हो रहा था जिसे देखकर मधु की आंखों में मदहोशी छाने लगी मधु आज तक इस तरह के लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,,,) देखो,,,,,,,

पल भर में ही दोनों की सांसे ऊपर नीचे होने लगी मधु की नजरें हटाए नहीं हट रही थी,,,,राजू का लंड इतना ज्यादा कड़क हो चुका था कि उसकी लंड की नसें उभरकर नजर आ रही थी जिसे देखकर मधु ना चाहते हुए भी अपने मन में यह कल्पना करने लगी और सोचने लगी कि उसके बेटे का लंड बुर में जाते कितना रगड डालेगा ऐसा मधु अपने बेटे के लैंड की मोटाई और खास करके उसकी उभरी हुई नसों को देखकर सोच रही थी अपनी मां को,,, इस तरह से अपने लंड को देखता हुआ पाकर राजू मन ही मन प्रसन्न होने लगा राजु ईस बात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां भी आखिरकार एक औरत ही है जैसा वह दूसरी औरतों के साथ करता रहा था उन्हें अपनी बातों में लुभा कर अपने लैंड के दर्शन करा कर चुदाई करने के लिए तैयार कर लेता था उसी तरह से वह अपनी मां को भी अपने बातों की जाल में फंसा कर उसके साथ मनमानी करना चाहता था और उसकी यह चाल कामयाब होती हुई नजर आ रही थी,,,,। अद्भुत अवर्णनीय और कल्पना के परे इस अद्भुत नजारे को अगर कोई देख लेता तो उसका भी लंड खड़ा हो जाता,,, सुनहरी धूप में दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था यह वह समय थाजब खेतों में काम कर रहे लोग अपने अपने घर पर आराम करने के लिए चले जाते थे और ऐसे में राजू और उसकी मां खेत के बीचो बीच खड़े होकर अद्भुत दृश्य रचा रहे थे,,,अपनी मां को इस तरह से अपने लंड के आकर्षण में खोया हुआ देखकर राजू तुरंत अपनी मां का हाथ पकड़ कर उसे अपने लंड पर रख दिया और अपने हाथ की मुट्ठी बनाकर खुद ही जबरदस्ती अपनी मां की हथेली को अपने लंड पर कसने लगा,,,,,,अपने बेटे के लंड की गर्माहट और उसकी मोटाई को अपनी हथेली में महसूस करते ही उसकी गर्मी मधु को सीधे-सीधे अपनी बुर पर महसूस होने लगी उसमें से उसका गर्म लावा पिघलने लगा था और उत्तेजना के मारे मधु से रहा नहीं गया और वह खुद ही अपनी हथेली का कसावा अपने बेटे के लंड पर बढ़ा दी,,, वह उत्तेजना का अनुभव करते हुए अपने बेटे के लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दी थी,,लेकिन तभी उसे होश आया कि वह या क्या कर रही है वह तो राजू को यहां समझाने के लिए लेकर आई थी लेकिन वह खुद ही मदहोशी और भावनाओं में बहती चली जा रही है,,, अपने आप को संभालने की यह मधु के लिए बेहद पतली भेद रेखा थी,,, जिसमें से सही गलत का भेद समझते हुए मधु को बाहर निकलना था और वह सही गलत के बीच के फर्क को अच्छी तरह से समझ गई थी,, और वह तुरंत अपने बेटे के लंड पर से अपना हाथ पीछे खींच ली,,, और राजू की तरफ देखते हुए बोली,,,।


नहीं राजू यह गलत है यह बिल्कुल गलत है,,,(इतना कहते हुए वहां अपने कदमों को पीछे लेने लगी घर यह गलत है कहते कहते लगभग दौड़ते हुए वह घर की तरफ जाने लगी,,, मधु की यह हरकत राजू की गर्म जवानी पर ठंडा पानी डाल गई थी राजू अपनी मां को जाते हुए देखता रह गया,,, राजू अपनी मां को भागते हुए देख रहा था और यह सोच रहा था कि भागते हुए भी उसकी मां की गांड कितनी हिलोरे लेती है,,,,अपनी मां की चुदाई करने के मंसूबे पर पानी फिर चुका था लेकिन अभी भी उसका लंड अपनी मां की नरम हथेली की गर्माहट पाकर पूरी तरह से अपनी औकात में खड़ा था राजू से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की कल्पना करते हुए मुठ मारने लगा,,,।


मधु जब अपने घर पहुंची तो घर में अपनी बड़ी बेटी को आई हुई देखकर एकदम खुश हो गई,,,
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
राजू और मधु का कामुक संभाषण बडा ही मादक है
राजू ने अपनी माँ मधु को धीरे धीरे अश्लील शब्दों के जाल में फसाकर उसकी उत्तेजना को जागृत कर दिया साथ ही साथ अपना पाजामा उतार कर अपना खडा हुआ मोटा तगडा और लंबा लंड दिखाकर मधु को धाराशाई कर दिया और राजू के लंड को कसकर पकड लिया लेकीन सही गलत का भेद समज कर लंड को छोड कर घर भाग गयी फीर एक बार राजू का केएलपीडी हो गया
अब घर पर राजू की शादीशुदा बडी बहन आ गयी है तो क्या होता है देखते हैं आगे
 

Raj_sharma

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sunoanuj

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Raj_sharma

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Ronny bhaiya aap to humhari lene lag gaue ho… bhai muth marni hai.. lava bhara pada hai… jaldi update kardo bhai… aand bhari huye pde hai
Ye badiya Tha😁😁
 
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rohnny4545

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मधु घर पर पहुंची तो घर पर उसकी बड़ी बेटी आई हुई थी जिसे देखकर मधु एकदम से खुश हो गई क्योंकि शादी के 2 साल बाद पहली बार वह घर पर आई थी ,,,, मधु अपनी बड़ी बेटी को बरसों बाद देखकर एकदम खुशी से झूम उठी,,,।

महुआ तू,,,, तू कब आई,,,(घर में प्रवेश करते हुए मधु बोली,,, और अपनी मां को देखते ही महुआ अपनी जगह से खड़ी होते हुए अपनी मां की तरफ आगे बढ़ते हुए बोली,,,)

अभी अभी आ रही हूं मां,,,,(इतना कहने के साथ ही महुआ अपनी मां के पैर छूकर आशीर्वाद लेने लगी)

जीती रहो बेटी,,,, लेकिन तुम्हें लेकर कौन आया,,,

छोटा देवर आया था,,,,


रुका नहीं,,,,


नहीं उसे शादी में जाना था इसलिए तुरंत छोड़ कर चला गया,,,,
Mahuaa

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चलो कोई बात नहीं,,, गुलाबी,,,, महुआ को पानी पिलाई या नहीं,,,


यह भी कोई पूछने वाली बात है भाभी,,,,,,


बुआ ने आते ही मेरा मुंह मीठा कराकर पानी पिला दी,,, मां,,, बुआ मेरा बहुत ख्याल रखती है,,,


हां सो तो है,,,,


अच्छा राजू नजर नहीं आ रहा है वह कहां गया,,,,,,
(राजू का जिक्र आते ही,,, मधु को कुछ देर पहले का दृश्य याद आने लगा,,,, राजू के मोटे तगड़े लंड को जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से देख रही थी,, इसे देखते ही उसकी दोनों टांगों के बीच की खलबली को अभी भी महसूस कर रही थी,,,, इतना मोटा तगड़ा और लंबा लंड उसने आज तक कभी नहीं देखी थी,,,अपने बेटे के लंड की गर्माहट को अभी भी अपनी हथेली के साथ-साथ पूरे जिस्म में महसूस कर पा रही थी,,, अपनी मां को ख्यालों में खोया हुआ देखकर महुआ फिर से बोली,,,)

अरे मां मैं तुमसे पूछ रही हूं,,,,,, राजू दिखाई नहीं दे रहा है कहां है,,,?

अरे होगा कहां,,,अपने आवारा दोस्तों के साथ गांव में घूम रहा होगा कुछ दिनों से अपने पिताजी के साथ बैलगाड़ी पर भी नहीं जा रहा है,,,,
Madhu ki gadrayi gaand

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राजू बैलगाड़ी चलाता है,,,(महुआ आश्चर्य से बोली,,)

तो क्या,,,,लेकिन कुछ दिनों से जा नहीं रहा है आज ही इसकी खबर लेती हूं,,,, चल वो जाने दे चल कर कुछ खा ले लंबा सफर तय करके आइ ह6 थक गई होगी,,,


हां मां सो तो हैं,,, मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है,,,।

तो इंतजार किस बात का महुआ,,, चलो खाना लगा देती हूं अपने तीनों साथ में खा लेते हैं,,,,(गुलाबी उत्साहित होते हुए बोली,,,, और तीनों हाथ मुंह धोकर खाना खाने बैठ गए,,,,,,,बातों ही बातों में गुलाबी बात को छेड़ते हुए बोली,,,)

क्यों महुआ रानी 2 साल हो गए हैं खुशखबरी कब सुना रही हो,,,,,
(गुलाबी की बात सुनते ही मधु भी उसके सुर में सुर लगाते हुए बोली,,,)

हां बेटी 2 साल हो गए हैं अभी तक हुआ क्यों नहीं,,,,, गांव वाले बात करते होंगे,,,।
(उन दोनों की बात सुनते ही महुआ थोड़ी उदास हो गई,,,,उसका उदास चेहरा देखकर मधु से रहा नहीं जा रहा था वहां काफी चिंतित नजर आ रही थी इसलिए फिर से बोली,,,)

क्या हुआ महुआ खामोश क्यों हो गई क्या कोई चिंता वाली बात है,,,,,,।


क्या बताऊं मां,,,,(कुछ देर विचार करने के बाद) पिताजी ने जल्दबाजी में मेरी शादी ऐसी जगह कर दी कि मेरी जिंदगी नरक हो गई है पिताजी ने किसी भी प्रकार की जांच पड़ताल किए बिना ही मुझे उस घर में ब्याह दिया,,, और फिर मेरी जिंदगी एकदम खराब हो गई,,,।

(महुआ की बात सुनते ही गुलाबी और मधु दोनों एकदम से चिंतित हो गए और मधु बोली)

क्यों क्या हो गया बेटी,,,,


क्या बताऊं ,,, रोज का झगड़ा,,,

किस बात का झगड़ा,,,(मधु हाथ में निवाला पकड़े हुए ही बोली,,, गुलाबी भी चिंतित मुद्रा में महुआ की तरफ देख रही थी,,,)


,, यही,,,(इतना कहकर महुआ खामोश हो गई,,, तो गुलाबी बोली)

अरे बता ना क्या हो गया किस बात का झगड़ा हमें बताएं कि नहीं तो हम कैसे सुलझाएंगे,,,,


क्या बताऊं बुआ,,,,, शादी को 2 साल हो गए हैं,,,,


तो,,,(मधु बोली)


तो क्या,,, सास को दादी बनना है,,,


तो इसमें कौन सी बड़ी बात है शादी हुआ है तो सब कुछ धीरे-धीरे हो ही जाएगा,,,(गुलाबी बोली)

लेकिन 2 साल गुजर चुके हैं बुआ,,,,


मैं तेरी बात को अच्छी तरह से समझ रही हूं महुआ,,,,,शादी के 2 साल गुजर चुके हैं अब तक तेरे पांव भारी हो जाना चाहिए था,,,(जिस बात को बताने में महुआ झिझक रही थी मधु उसे खुलकर बता दी,,,)

अब तो सांस ननद दोनों ताना कसने लगी है,,,(महुआ एकदम उदास होते हुए बोली मधु अपनी बेटी का दर्द अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए वह बोली,,)

दामाद जी कुछ नहीं बोलते,,,



वह किसी से कम नहीं वह भी मुझे बात-बात पर ताना देता रहता है,,, दिन भर जुआ शराब और रात को घर से बाहर ही रहता है,,,,,,।

तेरे साथ,,,(मधु एकदम गंभीर मुद्रा में बोले मधु के कहने का मतलब को महुआ की तरह से समझ रही थी इसलिए बोली)

होता है लेकिन जोर जबरदस्ती का,,,, और 2 मिनट में ही ढेर,,,,।
(महुआ के कहने के मतलब को मधु अच्छी तरह से समझ रही थी और महुआ को यह बताने में शर्म भी महसूस हो रही थी लेकिन वह किसी भी तरह से अपनी गलती बिल्कुल भी नहीं है यही दर्शना चाहती थी और वास्तव में इस में महुआ की गलती बिल्कुल भी नहीं थी,,, महुआ का पति शराबी था दिनभर शराब के नशे में डूबा रहता था रात में कभी कबार उसके साथ संबंध बनाने की कोशिश भी करता था तो एकदम ढेर हो जाता था,,,,भगवा इस बात को अच्छी तरह से जानती थी और अपने पति की करतूत अपनी सास से वह बताती भी थी लेकिन उसके साथसथी कि उसकी बात मानने को तैयार ही नहीं थी और सारा दोष महुआ को ही देती थी इसलिए वह लड़ झगड़ कर कुछ दिनों के लिए मायके आ गई थी,,,, सारी बात सुनने के बाद महुआ और गुलाबी दोनों चिंतित हो गई थी,,, इसलिए महुआ उसको सांत्वना देते हुए बोली,,,)

कोई बात नहीं बेटी तू चिंता मत कर किसी किसी को थोड़ा समय बाद ही मां बनने का सुख मिलता है,,, तुझे भी जल्द ही मिल जाएगा अब खाना खा चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है,,,,।

(इसके बाद तीनों ने खाना खाई और आराम करने लगी,,, शाम ढलने लगी थी हरिया बैलगाड़ी लेकर घर पर पहुंच गया,,,, बैलगाड़ी के पेर में बने घुंघरू की आवाज को सुनकर,,, मधु उत्साहित होते हुए बोली,,,)

महुआ तेरे बाबूजी आ गए हैं,,,,
(इतना सुनते ही अपनी बुआ के बगल में बैठकर सब्जी काट रहे महुआ तुरंत उठ कर खड़ी हो गई और उस लगभग भागते हुए घर के बाहर गई हरिया बैलगाड़ी को बेल से अलग कर रहा था उसे देखते ही महुवा तुरंत बाबूजी के कहकर आगे बढ़ी और पाव छूने लगी हरिया तो एकदम से चौंक हीं गया क्योंकि उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी महुआ के इधर होने की क्योंकि 2 साल गुजर गए थे कोई हाल समाचार नहीं मिला था और ना ही हरिया ही महुआ के घर पर गया था इसलिए 2 साल बाद महुआ को देखकर वह एकदम खुश हो गया,,)


खुश रहो खुश रहो बेटी तुम कब आई,,,

दोपहर में ही आई हूं बाबूजी,,,,


पूरे 2 साल गुजर गए एक 2 साल में तुम्हें कभी भी हम लोगों का हाल समाचार नहीं ली,,,


ऐसी कोई बात नहीं है बाबू जी,,,,, कोई पहुंचाने को तैयार ही नहीं होता था,,,,


कोई बात नहीं तू अंदर चल में बेल को बांधकर आता हूं,,,,

जी बाबू जी,,,(इतना कहकर महुआ घर में चली गई और हरिया बहन को लेकर घर के पीछे की तरफ उसे बांधने के लिए चला गया,,,, इसके बाद गुलाबी पानी लेकर हरिया के लिए लेकर आई,,, हरिया गुलाबी के हाथ में से पानी का लोटा लेते हुए दूसरे हाथ से उसकी चूची दबाते हुए बोला,,,)

साला मौका नहीं मिल रहा है तुझे चोदने का,,, तेरी बुर का रस अभी तक मेरे लंड पर लगा हुआ है,,,


क्या कर रहे हो भैया जरा धीरे बोलो अब तो महुआ भी आ गई है अगर सुन ली तो बखेडा हो जाएगा,,,


अरे कोई नहीं सुनेगा,,,,(धीरे-धीरे पानी को पीते हुए बोला पानी पी लेने के बाद वापस लौटे को गुलाबी के हाथ में पकड़ाते हुए बोला,,,) अरे सुनना मैं कह रहा था कि चलना घर के पीछे बस सलवार खोल कर खड़ी हो जाना बाकी का काम मैं संभाल लूंगा,,,

अरे पागल हो गए हो क्या भैया,,,(घर के द्वार की तरफ देखते हुए बोले) कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,और जब तक महुआ है तब तक ऐसी होती कोई भी हरकत मत करना महुआ हमेशा मेरे पास ही रहती है इसलिए कुछ करने का मौका भी नहीं मिलेगा,,,,
(गुलाबी की बात सुनते ही हरिया लंबी सांस लेते हुए अफसोस भरे स्वर में बोला)

चल कोई बात नहीं तेरी भाभी से ही काम चलाना पड़ेगा,,,,
(और इतना कहकर हरिया और गुलाबी दोनों घर में प्रवेश कर गए मधु जो कि खाना बना रही थी हरिया को रसोई घर की तरफ आता हुआ देख कर बोली),,


अजी सुनते हैं कुछ दिनों से राजू को साथ में क्यों नहीं ले जाते दिनभर यहां-वहां घूमता फिरता है,,,

अरे ले तो जाऊ लेकिन समय पर रहता था वह तो बैल गाड़ी ले जाते समय गायब रहता है,,, अच्छा आने दो आज ईसे बताता हूं,,,यह समय हो गया अभी तक यह घर पर नहीं आया ना जाने कहां घूमता फिरता रहता है,,,।


हां जरा डांटीएगा तो,, लापरवाह होता जा रहा है,,,,,,(तवे पर रोटी को सेंकते हुए वह बोली,,,, थोड़ी देर में सब कोई अपना काम करने लगे खाना बनकर तैयार हो गया था तभी राजू घूमता का घर में प्रवेश किया,,,, उस पर नजर पड़ते ही मधु बोली,,,)

आ गए हैं लाट साहब,,,,
(अपनी मां की बात सुनकर राजू अपनी मां की तरफ देखने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां ऐसा क्यों बोल रही हो तभी उसके पिताजी बोलें,,,)



राजू दिन भर कहां घूमता फिरता रहता है तुझे मेरे साथ बैलगाड़ी पर चलना चाहिए था ना कुछ दिनों से चल क्यों नहीं रहा है तू,,,।

ओ ओ ,,,, क्या है ना पिताजी,,,वो,,,,


क्या वो वो लगा रहा है दिनभर गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमता रहता है,,, तुझे घर की जिम्मेदारी का कुछ भान है या नहीं,,,,


ऐसा कुछ भी नहीं है पिताजी कुछ दिनों से मुझे अपनी तबीयत सही नहीं लग रही थी इसलिए नहीं गया,,,।
(राजू अपनी मां की तरफ देख कर बोल रहा था उसे समझ में आ गया था कि उसके पिताजी उसे डांट क्यों रहे हैं लेकिन इतना तो उसे तसल्ली थी कि उसकी मां ने खेत वाली बात को नहीं बताई थी,,,,,)


अरे तबीयत खराब है तो मुझसे कहा होता अपनी मां से कहां होता किसी से बोला भी तो नहीं,,,
(अभी यह डांट फटकार चल ही रही थी कि बाहर महुआ जोकि पानी लेने गई थी वह घर में प्रवेश करते हुए और पानी भरी बाल्टी को एक कोने में रखते हुए बोली,,,)

क्या बाबू जी मेरे भाई को खामखा डांट रहे हो,,,,।

अरे दीदी तुम,,,, तुम कब आई,,,

घर में रहोगे तब ना पता चलेगा कि घर में कौन आ रहा है कौन जा रहा है,,,,(एक बार फिर से थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए हरिया बोला,,, अपने पिताजी की बात को अनसुना करते हुए वह तुरंत महुआ की तरफ आगे बढ़ा,,,,महुआ अपने भाई से 2 साल बाद मिल रही थी इसलिए प्यार से उसे गले लगा ली,,,, राजू भी 2 साल बाद अपनी बहन को देखकर पूरी तरह से खुश हो गया था इसलिए वहां भी एकदम से अपनी बहन को गले लगा लिया था लेकिन इस हरकत की वजह से राजू की छातियों में उसकी बहन की गोल-गोल खरबूजे जैसी चूचियां चुभती हुई महसूस होने लगी यह एहसास राजू को अंदर तक उत्तेजित कर गया,,,,, लेकिन महुआ सहज बनी रहे और वह राजू को अलग करते हुए बोली,,,।


तू बहुत शैतान हो गया है दिन भर इधर-उधर घूमता रहता है ऐसा नहीं कि बाबू जी के काम में हाथ बटाए,,,


कल से जरूर जाऊंगा दीदी,,,,

हां जरूर जाना तू अब बड़ा हो गया है लेकिन मेरे लिए तो मेरा छोटा भाई ही है,,,,
(महुआ की बात सुनकर गुलाबी अपने मन में बोली देखना छोटे भाई का अब बड़ा हो गया है कहीं तेरी बुर में ना घुसा दे,,,।

थोड़ी ही देर में पूरा परिवार एक साथ खाना खाने के लिए बैठ गया था और खाना खा लेने के बाद मधु ने महुआ को राजू और गुलाबी के साथ सोने के लिए बोली,,, वैसे तो सब कुछ ठीक था नहीं गुलाबी और राजू का एक दूसरे के बिना चलने वाला बिल्कुल भी नहीं था राजू जब तक गुलाबी की चुदाई नहीं करता था तब तक उसे नींद नहीं आती थी और यही हाल गुलाबी का भी था बिना राजू करूंगा अपनी बुर में लिए उसे चैन बिल्कुल भी नहीं आता था इसलिए दोनों परेशान नजर आ रहे थे महुआ की मौजूदगी में ,,,दोनों को अपनी प्यास बुझाने का मौका नहीं मिलता लेकिन फिर भी करके आ सकते थे बेमन से राजू ने खटिया को खड़ी कर दिया और एक कोने में रख दिया क्योंकि वह जानता था एक घटिया पर तीनों नहीं सो सकते इसलिए नीचे चटाई बिछड़ना जरूरी था,,,, गुलाबी बीच में सो गई और राजू और महुआ दोनों किनारे किनारे पर सो गए गुलाबी जानबूझकर बीच में सोई थी क्योंकि वह किसी ना किसी बहाने राजू से चुदाई का आनंद लेना चाहती थी,,,,

दूसरी तरफ हरिया बात करते हो अपने बीवी के कपड़े एक-एक करके उतार रहा था,,, जब वह ब्लाउज का बटन खोल रहा था तभी मधु बोली,,,।


लड़की ब्याने से पहले एक बार लड़के के बारे में पूछताछ कर लिए होते तो शायद यह दिन नहीं देखना पड़ता,,,,


क्यों ऐसा क्या हो गया,,,?(ब्लाउज का आखरी बटन खोलते हुए बोला)

ससुराल में रोज उसे ताना सुनने को मिल रहा है,,,


ताना लेकिन क्यों,,,,?(हरिया अपनी बीवी की चूची को मुंह में लेते हुए बोला)


क्यों क्या पांव भारी नहीं हुए हैं इसलिए,,, आप भी तो बिना सोचे समझे कहीं भी उसका शादी कर दिए,,,


राजू की मां तुम तो अच्छी तरह से जानती हो उस समय के हालात कैसे थे,,, महुआ की हरकतें कितनी गंदी हो चुकी थी तुम्हें मालूम है ना मैंने ही गन्ने के खेत में दो लड़कों के साथ उसे पकड़ा था,,,, अगर आनंद थाना में मैं उसका साथी नहीं करवाता तो शायद बदनामी हो जाती और फिर उसकी शादी कभी नहीं हो पाती,,,


जानती हूं,,,, लेकिन उसका दुख देखा नहीं जाता,,,


अरे राजू की मां तूम खा म खा परेशान हो रही हो,,, किसी किसी को ढेर में बच्चे होते हैं,,,

मैं भी तो उसे यही कह रही थी लेकिन ससुराल के ताने से वह परेशान हो चुकी है,,,


चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,(और इतना कहने के साथ ही वह मधु को पीठ के बल खटीया पर लिटाते हुए उसकी दोनों टांगों को खोल दिया और उसकी बुर में समा गया,,, दूसरी तरफ चटाई पर तीनों लेटे हुए थे गुलाबी और महुआ आपस में बात कर रहे थे और राजू था कि अपनी बहन की नजर बचाकर गुलाबी जो कि उसकी तरफ मुंह करके बात कर रही थी सलवार के ऊपर से उसकी गांड को जोर जोर से दबा रहा था,,,,राजू की हरकतों से गुलाबी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी,,,,
 
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