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Ye konsa twist le diyaUPDATE 121
CHODAMPUR SPECIAL UPDATE
पिछले अपडेट मे आपने पढा जहा एक ओर रज्जो अप्नी योजना मे कामयाब रही और ममता को पूरी रात उसके भैया से उसकी दोनो छेड़ो मे वीर्य भरवाया ,,वही राजन को सब कुछ सुखा सुखा ही मिला ।
मगर निचे कमरे मे अनुज ने पल्ल्वी पर चमनपुरा की माटी का जोर दिखाया और दो राउंड बडे जोश के साथ उसको चोदा ।
अब आगे
खैर रात तो बीत गयी लेकिन असल कहानी तो अब होने वाली थी क्योकि आज सभी मर्दो के बिसतर निचे और महिलाओ के बिस्तर उपर जाने वाले थे । कारण था मेहमानो का आवागमन । अब से 5 दिन थे शादी को ।
सुबह सुबह राजन की आंखे खुल गयी और वो ममता को देख कर चहक उठा ।
उसने एक दो बार ममता के बदन को छूना और घीसना चाहा मगर ममता थकी हुई थी तो उसने साफ मना कर दिया। राजन का चेहरा तो उतर गया लेकिन उसने भी ममता के थकान को समझा तो उठकर नहाने धोने चला गया ।
नहा कर वो आया तो उसने ममता को जगाया क्योकि सुबह मे 8 बज चुके थे और अभी कोई चहल पहल नही थी ।
राजन ममता को जगा कर निचे जाने को हुआ तो उसे रज्जो का दरवाजा बंद दिखा ,
राजन ने वाप्स से अपनी कलाई की घड़ी देखी और बोला - कमाल है अभी तो लोग सो रहे है
वो निचे उतरा तो देखा निचे भी कोई नही था,,,
क्योकि पल्लवि और अनुज भी थक कर सोये थे , रमन की तो देर रात तक अप्नी होने वाली बिवी से बात करने की आदत थी तो वो लेट ही उठता था और सोनल इस समय निचे बाथरूम मे थी ।
राजन को फिर से शक हुआ कही वो आज जल्दी तो नही उठ गया ,,,मगर जल्द ही उसकी शंका दुर हुई क्योकि पल्लवि अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की ओर गयी ।
वही रमन भी बाहर आया
थोडी देर बाद सारे लोग निचे हाल मे जमा हुए ।
इधर सोनल ने सबके लिए नासता बनाया और फिर दोनो जीजा साले मंडी के लिए निकल गये ।
अनुज भी रमन के साथ जाने को बोला लेकिन रज्जो ने उसे काम करने के लिए रोक दिया क्योकि अभी सारे बिस्तर उपर निचे करने थे और कुछ समान की पर्ची बनवानी जो कल होने वाली पूजा मे जरुरी थे ।
सोनल और पल्लवि किचन के कामो मे लग गये और रज्जो ममता अनुज को लिवा कर हर कमरे मे बिस्तर भिजवाने लगी
रज्जो ने अनुज से - बेटा अब से कुछ दिन तुझे भी थोडा एडजेस्ट करना पडेगा ,,ठिक है ना
अनुज हस कर - अरे कोई बात नही मौसी मै तो सोफे पर भी सो जाऊंगा उसमे क्या है हिहिही
रज्जो उसे कुछ नये गद्द्दे दिये निचे ले जाने को जिसे अनुज लेके निचे चला गया ।
ममता - भाभी ये सब अभी से क्यू कर रही हो ,,,हम लोगो का क्या होगा मतलब समझो ना
रज्जो हस कर - समझ रही हू तेरी बात ,,लेकिन क्या करू गाव से तेरे चाचा चाची आने वाली है और उनको पसंद नही कि शादी व्याह के दिनो मे मर्द औरत साथ मे रहे ,,
ममता ह्स्ते हुए - हिहिहिही सच कह रही ही भाभी ,,,चाची को पता नही क्या चिढ़ है
रज्जो -हा री ,, बहुत खड़ूस है ,,,अभी कुछ साल पहले हम लोग गये उनके यहा गोद भराई की रस्म थी तो उन्होने तेरे भैया को मेरे साथ बैठा हुआ देख लिया तो भी भडक गयी थी हिहिह्जी
ममता - हा तब मै भी तो थी ही वहा हिहिही
इतने मे अनुज वापस आ गया तो दोंनो चुप हो गये ।
खैर धीरे धीरे बाकी का काम हो गया और उपर के साथ निचे भी अच्छे बिस्तरो की व्यव्स्था कर दी गयी । पल्लवि और सोनल के सामान भी उपर ममता के कमरे मे रख दिये गये
रज्जो ने ममता के साथ सोनल और पल्लवि को भी अच्छे कपड़ो मे रहने को बोला क्योकि चाची कपड़ो को लेके बहुत ही सख्त मिजाज की थी ,,नये जमाने के कपड़ो पर बहुत जल्दी चिढ़ जाती थी तो रज्जो ने सोनल और पल्लवी को सूट पहन कर रहने को बोल दिया ।
दोपहर तक कमलनाथ के चाचा चाची भी आ गये । उनकी आवभगत हुई और फिर निचे अनुज के कमरे मे चाचा जी की और उपर ममता के कमरे मे चाची जी की व्यव्स्था कर दी गयी ।
2बजे तक राजन और कमलनाथ आये । उन्होने भी चाचा चाची से मुलाकात की फिर खाना खाने के बाद रज्जो की बनाई पर्ची लेके कल शाम मे जो पूजा होने वाली थी उसके खरीददारि के लिए निकल गये ।
पुरे घर का माहौल भी बदल गया था , कहा अभी सुबह तक आहे भरी जा रही थी और अब चाची सबको लेके उपर के कमरे मे समझा रही थी ताकी कोहबर मे कोई भूल ना हो । क्योकि चाची अपनी रीति रिवाज को लेके बहुत सख्त थी ।
इधर इनकी चाची का लेक्चर जारी था तो वहा चमनपुरा मे अपना राज काजल भाभी का पार्सल लेने के लिए बस अड्डे की ओर निकल गया था ।
राज की जुबानी
शाम को 3 बजे भाभी का फोन आया कि उनका ऑनलाइन प्रॉडक्ट चमनपुरा बस स्टैंड पर आ चुका है। इसिलिए मै दुकान पर मा को बिठा कर बस स्टैंड की ओर निकल गया ।
मैने वहा जाकर उस डिलेवारी बॉय से काजल भाभी की बात करवाई और सामान लेके वापस भाभी को फोन किया
मै - हा भाभी सामान मिल गया है ,,तो मै लेके आ जाऊ
काजल तुंरत मना करते हुए - अरे नही नही ,,अभी नही मम्मी जी है घर पर
मै - अच्छा तो फिर कब ,,वैसे इसमे है क्या काफी बड़ा बॉक्स है
काजल मुस्कुरा कर - कुछ नही बस ड्रेस है ,,,और सुनो कल मै बताऊंगी तो लेते आना
मै - अरे कल कब , मुझे कल सुबह ही मम्मी को लिवा के मौसी के यहा जाना है ,,बताया तो था ना
काजल - ओह्ह भी कैसे मै लेलू ,,,अभी मम्मी जी यही है
मै - अच्छा मै ऐसा करता हूँ ये बॉक्स खोल कर एक झिल्ली मे उपर अपनी छत से फेक दू तो
काजल - अरे नही नही वो टुट जायेगा
मै - अरे इसमे टुटने जैसा क्या है कपडा ही है ना ।
काजल हस कर - हा कपडा भी है और कुछ सामान भी है , ऐसा करो अभी शाम को मम्मी जी आपके यहा जायेगी तो उसी समय आप लेते आईएगा ,,
मुझे भी ख्याल आया क्योकि कल मै और मा जानिपुर जा रहे थे तो मा ने बोला था कि आज शकुन्तला ताई से वो पापा के खाने पीने के लिए बोलेंगी ।
मै - हा फिर ठिक है मै इसे दुकान ही ले जाता हू फिर ,, आप फोन करना मै 5 मिंट मे लेके आ जाऊंगा
काजल खुश होकर - हा ठिक है लेकिन बॉक्स ना खोलना प्लीज
मै - हा हा ठीक है भाभी चिंता ना करिये आप हिहिहिही
फिर मैने फोन रखा और दुकान पर चला गया ।
मा - अरे बेटा ये क्या लाया
मै - वो एक ग्राहक ने ऑनलाइन समान मगाने को बोला था वही है मम्मी
मा - अच्छा ठिक है तू अब देख मै जाती हू मुझे कल के लिए तैयारी करनी है
मै - हा ठिक है मा आप जाओ
फिर मा निकल गयी चौराहे वाले घर के लिए
मै भी वापस दुकान मे लग गया । मगर मेरा ध्यान बार बार उस बॉक्स पर जा रहा था कि ऐसा क्या मगाया है भाभी ने जो मुझे खोलने नही दिया । यहा तक कि ब्रा पैंटी के लिए नही शर्मायी फिर ये क्यू
फिर मैने एक दो बार बॉक्स को अच्छे से चेक किया कि कही से खोलने का कुछ इन्तेजाम हो ,,मगर वो सील था अच्छे से ।
तभी मेरी नजर बॉक्स के साइड मे चिपके रेसिप्ट पर गयी जिसपर कम्पनी का वेबसाईट , प्रॉडक्ट क्यूआर कोड और कस्टमर का ऐड्रेस लिखा था
मुझे एक आइडिया आया मैने फौरन उस वेबसाइट पर गया और उस प्रॉडक्ट का क्यूआर कोड स्कैन किया
मेरी तो आंखे खुल गयी जब उस प्रॉडक्ट की डीटेल मेरे फोन मे खुली तो ।
मै मन मे - अबे यार ये भाभी तो मेरी सोच से इतनी आगे की है ,मतलब कोई सोच भी नही सकता कि इतनी शर्मीली औरत ऐसे शौक भी रखती है ।
उन्होने किसी ऐडल्ट साइट से एक कम्पलीट बीएसडीएम सेट मंगवाया था । मुझे यकीन ही नही हो रहा था कि काजल भाभी को इस तरह से सेक्स पसन्द है ,,, मेरे दिल की धडकनें तेज हो गयी ।
मेरी आन्खो के सामने काजल भाभी का वो BSDM वाला लूक दिखने लगा और ये भी कि कैसे उनका पति उनको उस चमडे के पटटे मे बान्ध कर उन्की मखमल सी मुलायम गाड़ पर उस पतली स्टिक से चट्ट चट्ट मारकर उन्हे लाल करेगा
मेरा लण्ड तन कर रॉड हो गया और एक अजीब सी खिलखिलाहट मेरे चेहरे पे थी ,,,मै बस हसे ही जा रहा था मगर मुझे उत्तेजना भी मह्सूस हो रही थी ।
मै तय कर लिया कि आगे काजल भाभी से कैसे निपटना है ,,मगर कल सुबह ही मुझे निकलना था मौसी के यहा तो मैने वापस आने के बाद की कुछ कलपना के पलो को सोचा और फिर अपने काम मे लगा गया ।
समय बीता और शाम को साढ़े 7 बजे तक मै दुकान मे रहा ,,फिर काजल भाभी का फोन आया कि शकुन्तला ताओ मेरे घर गयी है मै आ जाऊ ।
मै पहले से ही दुकान बढा कर तैयार था बस शटर गिराया और ताला बंद करके अगले 5 मिंट मे काजल भाभी के यहा पहुच गया ।
मैने उनको समान दिया और बडे गौर से ऊनके चेहरे के भावो को पढने की कोशीष की मगर वो जरा भी विचलित नही दिखी ,,,उन्होने बडी शालीनता से मुझसे सामान ले लिया और मुझे जाने को बोला
मै - बस जाऊ ,,,कोई थैक्श वैक्स नही ,,बस ऐसे ही
काजल हस कर - हा बाबू थैंकयू हिहिही ,,,
मै - अच्छा इसमे है क्या ,,मुझे नही लगत इसमे कपडा है ,,पैकेट भारी लग रहा था
काजल - अरे वो आपके भैया के लिए गिफ्ट है हिहिही ,,,तो वो ही खोलेन्गे इसिलिए मै मना कर रही थी ।
मै मन मे - हा जान रहा हू क्या गिफ्ट है
मै - अच्छा ठिक है मै चलता हू फिर बाय
काजल - हा बाय
फिर मै अपने घर चला गया जहा हाल मे मा और शकुन्तला ताई बैठी हुई थी ।
मै उनको नमस्ते किया
थोडी देर बाद वो चली गयी ।
मै - मा क्या बोला उन्होने
मा - मै कह रही थी कि तेरे पापा किसी को भेज दिया करेंगे खाना लेने दुपहर मे ,,मगर ये बोली कि कोई बात नही वो खुद लाकर दे जायेगी । दोपहर मे दुकान पर और रात मे घर पर ही
मै - चलो फिर तो ठिक है ,,,बस 4 दिन की बात है
मै - और मा बैग पैक हो गये
मा - हा बेटा अभी तक कर रही थी ,,,अब चलू खाना बना लू
मै - चलो मै भी आपकी मदद करू
मा - चल बड़ा आया मदद करने वाला ,क्या कर पायेगा तू
मै - अरे सब्जी काट दूँगा ,,चावल बिन दूँगा हिहिही और बरतन की कर लूंगा
मा मुझे दुलारते हुए - उसकी कोई जरुरत नही ,,जा नहा ले गर्मी बहुत है मै करती हू सारा काम
मै मा को हग करते हुए - आप अकेले करोगे तो थक जाओगे ,,,फिर रात मे कैसे
मा हस कर - ओहो देखो तो बडी रहम आ रही है अपनी मा पर ,,कभी छोडा है तुम बाप बेटो ने मुझे जो आज छोड दोगे
इतने मे पापा हाल मे आते हुए - बिल्कुल बेटा छोडना मत ,,,हक है भाई उस्का
मा - हा हा वही बस आता ही है ,, वो पैसे लेके आये है ना और गाडी वाले को फोन कर दीजिये कल सुबह 8 बजे तक आ जाये
पापा अपनी जेब से एक पैकेट निकाल कर मा को देते हुए - हा मेरी जान ये लो पैसे और गाडी वाले से बात कर ली है मैने वो 8क्या 7बजे ही आ जायेगा
मा - हम्म्म ठिक है चलिये आप भी नहा लिजिए
पापा - तो लिवा चलो कहा नहालाओगी
मा तुनक कर मुह बनाते हुए - हिहिहिही बड़ा अच्छा मजाक था ,,जाईये नहा कर आईये मुझे खाना बनाना है
मै उन की प्यार भरी नोक झोक पर हस रहा था और फिर मै भी नहाने निकल गया ।
थोडी देर बाद हम सब खाना खाकर अपने आखिरी मैदान मे थकने के लिए पहुच गये ।
इधर मै एक राउंड मे सो गया क्योकि मुझे ज्यादा थकना नही था ,,मगर पापा ने मा को 3 राउंड और पेला बस ये बोल बोल कर की अगले 3 4 दिन उन्हे तड़पना पडेगा ।
लेखक की जुबानी
एक ओर जहा चमनपुरा मे आखिरी रात का पुरा मजा लिया जा रहा था ,,,वही जानीपुर मे हवस मे मारे जीजा साले और ननद भौजाई की तडप ढलती शाम के साथ बढती जा रही थी ।
किचन से लेके सबके बेडरूम तक , मसाले से लेके सबके पहनावे तक हर जगह आते ही चाची के विचारो की छाप पडी हुई थी । यहा तक की घर के मर्द जन भी गर्मी मे बनियान मे नही रह सकते थे ।
गरम मसालो और लहसन मिर्च की छौक से रज्जो का तड़तड़ाता किचन आज बहुत शांत था । सबको बिना तड़के की दाल चावल चोखे से काम चलाना पडा ।
खाने के बाद सोने की वयवस्था मे रज्जो को अगुवाई करने पर भी चाची ने उसे टोक दिया और बोला कि मर्दो मे जाने और वहा बात करने की जरुरत नही है ।
रज्जो ने भी अपनी चचेरि सास का सम्मान किया क्योकि खानदान मे वही एक बुजुर्ग महिला थी और उन्हे शादी व्याह बहुत ज्ञान भी था ।
खैर सारी औरते उपर चली गयी । सोनल पल्लवि और चाची को उपर ममता के कमरे मे सुलाया गया ।
वही रज्जो ने ममता को अपने साथ सोने को बोला ।
निचे हाल मे कमलनाथ ने शांत और चुपचाप रहने वाले चाचा जी को अनुज के साथ सुला दिया और खूद राजन के साथ निचे सोनल वाले कमरे मे सोने चला गया ।
राजन -भाईसाहब ये चाची जी तो सच मे बडी सख्त है
कमलनाथ हस कर - अरे भाई ये तो कम है ,,, उनका कहना है कि सिर्फ़ नये शादी शुदा जोड़ो को ही एक कमरे मे सोने चाहिये । घर मे अगर बच्चे बडे हो जाये तो पति पत्नी को अलग अलग ही सोना चाहिये
राजन हस्ता हुआ - भाईसाहब बात तो चाची की एक तर्क पर सही है ,,मगर इस बेकाबू दिल को कौन समझाए हिहिहिही
कमलनाथ - बेकाबू दिल या लण्ड
राजन हस्ता हुआ - आप भी ना भाईसाहब हाहाहा
कमलनाथ की उत्तेजना बढ रही थी कल रात के बाद आज उसे नारी सुख नही मिला था ।
कमलनाथ बेचैन होते हुए - यार राजन बहुत बेताबी सी हो रही है ,,,पता नही चाची किस कमरे मे सोयी होगी । सोयी भी होगी या जाग रही होगी
कमलनाथ की बात सुन कर राजन थोडा चहक कर - भाईसाहब आप भाभी को फोन कर लिजिए ना ,,,
कमलनाथ - हा बात तो सही है , लेकिन वो ममता भी तो है उपर उसे क्या बोलू ,,अच्छा नही लगता ना
राजन ने भी सहमती दिखाई कि हा बात तो सही है क्योकि राजन की नजर मे ममता उसके गेम से बाहर की थी ।
थोडा सोच विचार कर राजन फिर बोला - भाईसाहब उपर चला जाए ,,,, थोडा देखा जायेगा जुगाड बन सेक तो
कमलनाथ - हा लेकिन अगर चाची रज्जो के कमरे मे सोयी हुई तो
राजन कुछ सोच कर - अच्चा तो ऐसा करिये ,,आप भाभी से फोन करके बस इतना पुछ लिजिए कि चाची कहा सोयी है और अगर कमरे मे होगी तो बोल दिजियेगा कि बस ऐसे ही हाल चाल के लिए पुछा था कि कोई दिक्कत नही हो रही है ना सोने मे
राजन की बात सुन कर कमलनाथ की आंखे चमक उठी
कमलनाथ फौरन उठा और रज्जो के मोबाईल पर रिंग बजा दी ।
इधर उपर कमरे मे भी दोनो ननद भौजाई भी बेचैन परेशान लेती हुई आपस मे बाते कर रही थी । कल पूजा के लिए क्या क्या तैयारिया करनी है और कैसे कैसे करना है ।
मगर दिल के एक कोने मे वो मरदाना स्पर्श की चाहत धीरे धीरे उबार ले रही थी ,क्योकि दिन भर खटने के बाद पति के बाहो मे प्यार पाकर सोने का सुकून अलग ही ।
इधर दोनो बातो मे व्यस्त थी कि तभी रज्जो के फोन की घंटी बजी
रज्जो मुस्कुरा कर - ले देख हम ही ये भी परेशान है
ममता मुस्कुरा कर - हिहिहिही भाभी बुला लो ना भैया को
रज्जो की भी आंखे चमक उठी और उसने कुछ सोच कर - पक्का ना
ममता ने भी शर्माते हुए हा मे सर हिला दिया और हसने लगी
रज्जो ने फोन उठाया - हा रमन के पापा बोलिए ,,,क्यू निद नही आ रही है क्या
रज्जो के मुह से रोमैंटिक लहजे मे बात सुन कर कमलनाथ भी गदगद हो गया
कमलनाथ - हा रज्जो तेरे बिना नीद कहा ,,वो कह रहा था कि चाची कहा सोयी है
रज्जो मुस्कुरा कर - क्यू आपको बात करनी है क्या ,वो लोग ममता वाले कमरे मे सोये है ले जाऊ मोबाईल
कमलनाथ की हालत खराब होने लगी - नही न्ही नही ,,,
रज्जो कमलनाथ को परेशान करके खिलखिलाई - फिर
कमलनाथ - अच्छा और कौन है तेरे साथ मे
रज्जो - मै हू ममता है औररर
कमलनाथ जिज्ञासू होकर - और और कौन है
रज्जो हस्ती हुई - और कोई नही बस हम दोनो ही ,,,आप कहा सोये है
कमलनाथ - मै तो राजन के साथ हू सोनल बिटिया वाले कमरे मे
रज्जो - अच्छा फिर मै निचे आती हू अभी ,,आप नंदोई जी भेज देना उपर
कमलनाथ राजन के सामने दिखावा करते हुए कि वो ममता को लेके थोडा सभ्यता बरत रहा है ।
कमलनाथ - क्या रज्जो तू भी ,,,ममता है ना वहा कैसी बाते कर रही है तू ???
रज्जो हसी - ये तो गाना गा रही है कबसे ,,,,मुझे साजन के घर जाना है तो मैने सोचा क्यू ना इसके साजन को यही बुला लू हिहिहिही
रज्जो की बात सुन कर कमलनाथ और राजन एक दुसरे को देख कर अप्रत्याशित रूप से हसे मगर ममता के लिए दोनो ने नैतिकता दिखाई ।
रज्जो - सुनो ना जी ,थोडा नंदोई जी से दुर होके बात करिये
कमलनाथ एक नजर राजन को देखता है तो वो आंखो से इशारा करके इत्मीनान होने को बोलत है । फिर कमलनाथ उठ कर दरवाजे तक जाता है ।
कमलनाथ - हा रज्जो बोलो अब
रज्जो थोडा शरारती भाव - आजयिये ना आप,,, हम दोनो तडप रहे है प्लीज
कमलनाथ का लण्ड रज्जो की कामुकता भरे संवाद से टनं हो गया और उसने फौरन राजन की ओर देखा कि कही उसने सुना तो नही ।
कमलनाथ वापस फुसफुसाते हुए - हा लेकिन यहा राजन है उसे क्या बोलूंगा
रज्जो - तो उनको भी लेके आ जाईये ,,हा नही तो
कमलनाथ की आंखे बडी हो गयी - तू पागल हो गयी है क्या ,,
रज्जो कसमसा कर - मै कुछ नही जानती - आप आओ नही तो मै आ रही हू
कमलनाथ - रज्जो मन मेरा भी है लेकिन ये तो सोच कि राजन क्या सोचेगा कि मै ममता के सामने भी ऐसे ही पेश आ रहा हू
रज्जो - अगर आपको दिक्कत हो रही है तो आप रुको मै आती हू और नंदोई जी को भेज दूंगी ,,ठिक है
कमलनाथ - अब क्या बोलू मै ,,,जैसी तेरी मर्जी लेकिन ध्यान से देख समझ कर
रज्जो खिल्खिलाई - हा ठिक है मेरे राजा उम्म्ंममममाआअह्ह्ह्ह
फिर फोन कट गया
राजन - क्या हुआ भाईसाहब
कमलनाथ - वो रज्जो जिद किये हुए है कि वो आ रही है और तुमको उपर जाने को बोल रही है
राजन - अरे कोई बात नही मै चला जाऊंगा आप लोग मजे करिये हिहिहिही
कमलनाथ - बात वो नही राजन ,,ये ऐसे ममता के सामने रज्जो की जिद नही समझ आती
राजन - भाभी जी आ रही है आप बस मजे करिये हिहिही मै जा रहा हू उपर
ये बोलकर राजन उठा और सीढियो से उपर चला गया
इधर जैसे ही वो उपर की सीढ़ी पर गया तो देखा कि चाची जी रज्जो की क्लास ले रही है ।
राजन बिना उनकी नजर मे आये उल्टे पाव भाग आया ।
कमरे मे राजन को वापस देख कमलनाथ उसे कारण पुछता है ।
कमलनाथ - अरे राजन तू वापस क्यू आ गये
राजन अपना पसीना पोछता हुआ -अरे भाईसाहब वो चाची जी उपर भाभी जी को डाट लगा रही थी और फिर उन्के साथ ही उन्के कमरे मे चली गयी ।
कमलनाथ अपना माथा पिट लिया - यार ये चाची भी ना ,,,, चलो भाई सो जाओ ऐसे ही
राजन को अब अपने हालत पर हसी आई - हिहिहिही लग रहा भाईसाहब चाची को सेक्स से ही परेशानी है
कमलनाथ - पता नही भई लेकिन आज तक ऐसा कोई नही मिला जो इतना प्रतिबंध लगा रहा हो ।खैर छोडो अब देर हो गयी है सो जाते है सुबह ही पूजा पाठ की तैयारियाँ करनी है
इधर ये दोनो भी तडप कर सो जाते है वही उपर रज्जो चाची से इतनी रात मे घुमने के लिए डांट पाकर चुपचाप सो गयी ।
एक नयी सुबह एक नये सिरे से कहानी को आगे ले जाने को तैयार थी क्योकि वहा चमनपुरा मे राज अपनी मा के साथ सुबह 8 बजे ही गाड़ी मे बैठ कर निकल गया था ।
इधर जानिपुर मे भी सुबह से पाखानो मे होड़ लगी थी ,,कारण था निचे एक ही पाखाना था । बडी मुश्किल से सबने बारी बारी से निपटारा किया और वही उपर के फ्लोर पर चाची जी की डांट का डर सब्के मन में बना हुआ था ।
सारा महिला वर्ग सुबह 7 बजे तक नहा धो कर तैयार हो गया था ।
इतना कुछ अच्छा और सही समय पर करके दिखाने पर भी चाची के चेहरे पर कोई खुशी के भाव नही थे ,,, ना जाने कोन सी चिढ़ थी उन्हे हर चीज़ के डाट लगा देती थी ।
खैर थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे नास्ते के लिए जमा हुए तो उसपे भी चाची के टोका कि पहले मर्द जनो को देदो ,,,वो नासता करके अपने अपने कामो के लिए निकल जाये फिर घर की औरते करेंगी ।
कमलनाथ ने रज्जो को परेशान देख कर आंखो से उसे इत्मीनान रख्ने को कहा और फिर नासता खतम हुआ ।
राजन और कमलनाथ नासता करके निकल गये पूजा की तैयारियो मे ,,क्योकि ये कोई खास पूजा थी जिसमे दूल्हे का बाप और मा ही उस पूजा की तैयारिया करते है अकेले ।
चाची ने जब कमलनाथ को राजन को ले जाते देखा तो टोकि - अरे जमाई बाबू काहे लिवा जा रहे हो ,,पता है ना इसमे सिर्फ तुम्हारा काम है
कमलनाथ ने बहाना मारा - हा चाची लेकिन थोडा खाना बनाने वाले को बोलना है ,,क्योकि दोपहर तक काफी मेहमान आ जायेंगे ना
कमलनाथ की बात पर चाची ने सहमती दी और वो दोनो सरक लिये ।इधर अनुज भी रमन के साथ दुकान पर निकल लिया क्योकि उसकी भी फट रही थी ।
चाची ने रमन को भी टोका कि दोपहर को समय से दुकान बंद करके पूजा के लिए आ जाना । रमन ने चुपचाप सुना और खसक लिया ।
इधर गर्मी मे सूट सलवार पहन कर काम करने मे सोनल को दिक्कत हो रही थी उपर से पल्लवि भी इतने दिनो मे ढीले कपड़ो की आदी हो गयी थी तो उस्की भी परेशानी कम नही थी ।
घर के किचन से लेके बेडरूम और बाथरूम तक हर जगह चाची जी दबदबा था । किचन मे आज फिर से बिना कोई तड़क भडक का सारा खाना बनाया गया ,, दाल चावल रोटी और करेले की सब्जी ।
इतनी सारी चंचल औरतो के रहने के बावजूद भी घर मे कही भी हसी की किलकारि नही सुनाई दे रही थी । सबको डर होता कही इसके लिए भी चाची ना डाट दे ।
यहा तक कि सोनल कल से ही अमन से बात नही कर पायी थी । उसकी बेचैनी अलग थी । वही हमेशा चहकने वाली पल्लवि भी अपनी नानी के डर मे शांत थी ।
इनसब के बीच करिब 11बजे अपना राज रज्जो के यहा आ पहुचता है । अब यहा से आगे की कहानी राज की जुबानी होगी । हा बिच बिच मे चमनपुरा के हाल चाल के लिए लेखक की वापसी जरुर होती रहेगी ।
जारी रहेगी
बहुत ही जबरदस्त पलंग तोड़ चुदाई के दृश्य से ओतप्रोतUPDATE 154
लेखक की जुबानी
ROUND 01
चमनपुरा मे एक बंद कमरे मे कुलर तेजी से हनहना रहा था और सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये बैठी निशा मादक सिसकिया ले रही थी क्योकि उसके बाप की मोटी खुरदरी जीभ इस वक़्त उसके चुत की रसिली फाको पर चला रहे थे । वही बगल मे बैठी शालिनी अपनी बारी के इन्तेजार मे जान्घे खोल कर बैठी हुई चुत मले जा रही है ।
निशा अपने पापा की लपलपाती जीभ के स्पर्श से रोमांचित हुई जा रही थी और अकडते हुए अपने चुतड उचकाते हुए - अह्ह्ह पापाअह्ह उम्म्ंम्ं सीईईई उह्ह्ह्ह पुरा अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम्ं
ये कहते हुए उसने अपने पापा के सर को पकडे हुए उनकी थूथ को अपनी फुली हुई चुत के मूहानो पर गाड़ उठा कर दरने लगी - अह्ह्ह पापाआह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चुसो अह्ह्ह निकल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
निशा झड़ रही थी और जंगीलाल अपनी बेटी खुले व्य्व्हार से उतेजीत हुआ जा रहा था ।
कुछ देर तक गाड़ उठा कर कमर झटकने के बाद निशा सिथिल पड गयी और उसने अपने पापा के सर को छोड दिया और थक कर सोफे पर टेक लेते हुए हाफने लगी ।
वही जन्गिलाल की नजरे अपनी बीवी से टकराई तो वो मुस्कुरा उठा और बडे ही प्यार से अपनी बीवी के जांघो को दुलारते हुए निचे झुकता चला गया ,,जबतक की उसके होठो ने शालिनी के चुत के होठो से अपना नाता नही जोड लिया ।
शालिनी - अह्ह्ह मेरे राजाअह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम सीई खा जाओ मेरी चुत उम्म्ंम्ं
जंगीलाल अपनी बीवी की तेज मादक सिसकिया सुन कर थोडा और भी जोशीला हुआ और जन्घए खोलते हुए लपालप जीभ चलाने लगा ।
वही निशा भी अपनी मा की तेज सिसकियाँ सुन कर लपक उसकी ओर देखने लगती है जहा उसके पापा बिल्कुल उसी के जैसे उसकी मा की भी चुत के फाको छेड़ रहे थे और उसकी मा का जिस्म अकड रहा था ।
शालिनी - आह्ह मेरे राजा अब देर ना करो ,, निकालो ये मुसल और चोदो मुझे उह्ह्ह्ह मुझे ऐसे नही झड़ना है प्लीज उन्म्म्ं
जन्गीलाल मुस्कराया और एक नजर निशा को देखा और फिर खुद भी सारे कपडे निकाल कर नन्गा हो गया ।
बिना किसी देरी उसने शालिनी की टांगो को खीचा और बडे से सोफे पर लिटाते हुए उसने अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ना शुरु कर दिया और थोडा सा थुक ल्गाते हुए अपना सुपाडा धीरे से अपनी बीवी की चुत मे घुसेड दिया
शालिनी - आह्ह मेरी जान य्ह्ह्ह आज तो तुम्हारा लण्ड सच मे बहुत फुला हुआ है अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम्ं
जंगीलाल - अह्ह्ह मेरी जान मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ,,, जब तेरी जैसी रन्डी बीवी को चौदने का मौका मिले तो कैसे लण्ड कसेगा नही
निशा अपने पापा के मुह से अपनी मा के लिए रन्डी शब्द सुन कर आंखे खोल कर देखने लगी तो जंगीलाल भी सफाई देते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी तु शब्दो पर ध्यान ना दे । सेक्स मे गंदे शब्दो का प्रयोग करने से मजा दुगना हो जाता है ।
निशा जिज्ञासू भाव से अपनी चुत मसल्ते हुए - क्या सच मे मा ऐसा होता है ??
शालिनी - आह्ह हा बेटा मर्दो को चुदाई मे गंदे शब्द सुन कर बहुत जोश आता है और वो दुगनी
जोश से चोदते है इस्से हमे भी चुदने मेह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह निशा के पापा और तेज पेलो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
जन्गीलाल मुस्कुरा कर अपनी बेटी को देखा और फिर उसी गति से अपनी बीवी को चोदते हुए बोला - और कितना तेज चुदवायेगी साली रन्डी उम्म्ंम बोल ना
अपने पापा के मुह से गण्दे और कामुक शब्दो को सुन कर निशा मुस्कुराने लगी और थोडी कल्पना करते हुए अपनी चुत मसलने लगी कि क्या उसके पापा भी उसे गालिया देके चोदन्गे ।
इधर निशा थोडे पलो के लिए अपनी कल्पना मे खो ही रही थी कि तभी उस्के कानो मे उसके मा के मुह से कुछ गंदी गालिया और कामुक शब्दो के तीखे स्वर सुनाई पड़े ।
शालिनी- आह्ह तेरे मे जितना जोर है पेल ना बहिनचोद अह्ह्ह जब रन्डी बोल रहा है अह्ह्ह तोह्ह्ह रन्डी केहह जैसेह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे ही हाआ उह्ह्ह और तेज पेलो अह्ह्ह ऐसे ही रन्डी के जैसे पेलो मुझे उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
निशा की आंखे फैल गयी थी अपनी मा और पापा की वह्सीपने को देख कर कि क्या सच मे चुदाई का ये स्तर भी हो सकता है ,,जहा सारे रिश्ते नाते छोड कर हवसीयो के जैसे बस चुत और लण्ड का ही सम्बंध रह जाये । खुद की पहचान और अहम को दरकिनार कर एक दुसरे को अपने मन का गिरा से गिरा वह्सीपना दिखा दे ।
निशा को पल भर के लिए ही ये थोडा अजीब लगा लेकिन जैसे ही उसने ये सब चीजें खुद के साथ होने के बारे मे सोची तो वो खुद एक कामुक रोमान्च से भर गयी और अपनी चुचिय मिजते हुए अपनी चुत मसलने लगी
वही दोनो मिया बीवी ध्क्क्म पेल चुदाई चल रही थी ,,मा बहन बेटी की घटिया से घटिया गालीबाजी हो रही थी लेकिन हर संवाद के साथ चुदाई की गति लगातार चरम पर जा रहा थी
जंगीलाल तेज धक्को से शालिनी की सासे अटकी हुई थी और पुरा जिस्म झटके खा कर हिल्कोरे मार रहा था ,,, कुछ ही पलो मे जंगीलाल ने गति धीमी कर दी और हलके धक्के लगाते हुए मुस्कुराने लगा ,,क्योकि शालिनी झड़ कर सुस्त पड़ चुकी थी और नजरे उपर करके मुस्कुराते हुए पास मे बैठी बेटी को निहार रही थी ।
जंगीलाल ने चुत के रस से सराबोर अपनी की बुर से लण्ड बाहर निकाला और हाथ से उसे मसलते हुए निशा को इशारा किया , निशा मुस्करा कर अपने पापा के पास आई और जंगीलाल ने उसे अपनी बाहो मे कसते हुए उसके गुदाज चर्बीदार गाड़ को मसला और घोडी बनने का इशारा किया ।
निशा मुस्कुराते हुए बिना कोई जवाब सवाल किये सोफे पर घुटनो के बल झुक गयी और सामने ही महज कुछ इन्च उसकी मा की चुत रस से लिभ्दी हुई थी जिसकी मादक गन्ध उसे रिझा रही थी और उसके जीभ ने लार छोडना भी शुरु कर दिया ।
वो आंखे बन्द कर आगे की झुकने को हुई थी कि इस्से पहले ही जंगीलाल ने उसकी कमर को थामते हुए अपनी ओर खिचा और अपना लण्ड उसके चुत के मुहाने पर लगाते हुए हचाक से लण्ड को धकेलता हुआ आधी चुत मे घुसेड दिया ।
इस करारे हमले से निशा की सिसकी निकली और उस्का मुह सीधा उसकी मा के रस्भरी चुत पर जा लगा ।
उसे और शालिनी दोनो को थोडी जिझक सी लगी और उसने नजरे उथा कर अपनी मा को देखा जो अपनी बेटी के होठो का स्पर्श अपनी चुत पर पाकर गनगना गयी थी । वो अपनी चुत के दोनो ओर उन्गिलिया लगा कर उसे दबोचने लगी ताकी अगले धक्के मे जब निशा का मुह उसके चुत की फाको से टकराये तो इस बार उसकी चुत पूरी तरह से बजबजाई हुई हो और उसकी बेटी भी उसके कामरस को चख सके ।
हुआ भी वैसे ही जन्गीलाल ने एक और जोर का झटका दिया और पुरा लण्ड घुसेडता हुआ जड़ मे ले गया और इस बार भी निशा सिसकि फिर उस्का मुह उसके मा की बजबजाई चुत पर जा लगा।
इस बार मौके का फायदा लेके उसने भी वापस होते होते होठो से दो चार बूंद सुरुक लिये जिसका आभास शालिनी को भी हुआ और जब उसकी मा से नजरे मिली तो वो शर्म से लजा गयी ।
शालिनी मुस्कुरा कर थोडा और आगे की ओर खस्कते हुए - आह्ह बेटी तु शर्मा मत ,, तुझे जो मन है कर ले ,,,ले अह्ह्ह उम्म्म्ं हा ऐसे ही चुबला मेरी चुत को ओह्ह्ह माह्ह्ह सीईईई उम्म्ंम
इधर निशा ने अपनी मा की चुत कब्जा ली और होठो से चुत की फाको को सुरुकने लगी ,,,वही पीछे से उसका बाप ये सब देख और भी जोश मे करारे धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह बेटी आज तेरी वजह से चुदाई का मजा कई गुना बढ गया है ओह्ह्ह एक तो तेरी ये कसी हुई चुत और उपर से तेरी मा से तेरे ये रिश्ते देख कर मुझे बहुत जोश आ रहाहै ,,,,मन कर रहा है आज तुम दोनो की पूरी रात पेलाई करु उन्म्म्ं
निशा अपनी पापा की बाते और पूरी रात चुदने की कलपना से सिहर उथी- ओह्ह पापा तो चोदो ना उम्म्ंम आह्ह मुझे भी मम्मी के सामने पेलवाने मे बहुत मजा आ रहा है ओह्ह्ह पाअपा और कस के पेलो ना मम्मी के जैसे मुझे भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह
जन्गीलाल अपनी बेटी का आग्रह सुन कर अपने ध्क्के गहराते हुए बोला - हा बेटी ,, क्यो नही ये लेह्ह्ह अह्ह्ह मेरी लाडो बेटी अह्ह्ह ले अपने पापा का लण्ड अपनी बुर मे उम्म्ंम आह्ह
निशा - आह्ह हा पापा पेलो अपनी लाडो की चुत अह्ह्ह और चोदो मुझे आह्ह अह्ह्ह मम्मीईई पापा को गाली दो ना तभी वो कसके पेलन्गे उम्म्ंम्ं
जन्गिलाल निशा के हर संवाद से उत्तेजित हो रहा था और उसके लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी ।
शालिनी अपनी लाडो का कहना कैसे टाल सकती थी वो भी अपने पति को हुक्म सुनाते हुए बोली - आह्ह सुना नही क्या बहिनचोद ,,मेरी बेटी को और कस के चोद ना जैसे मुझे चोदा अभी रन्डीयो के जैसे । उसे भी पेल ना साले बेटीचौद पेल कस्के अह्ह्ह उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही और अन्दर घुसा अह्ह्ह फ़ाड दे आज अपनी बेटी के बुर को
निशा - अओह्ह हा पापा ऐसे ही उम्म्ं फाडो मेरी बुर को ओह्ह्ह आह्ह फ़क मी पापा अह्ह्ह मजा आ रहा है ,,,बहुत मस्त लण्ड है आपका अह्ह्ब
जंगीलाल निशा के कुल्हे थामे हुए सटासट तेजी से लण्ड उसकी चुत मे पेले जा रहा था । उसकी जान्घे निशा के चुतडो से टकरा कर उछल रही थी और कमरे थपथपथपथप की तेज अवाजे चल रही थी ।
निशा अपने पापा को चिल्ल्ला रही थी तो उसकी मा जन्गीलाल को भर भर के गालिया देके उकसा रही थी और जन्गीलाल के लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी और उसका सुपाडा अब तपने लगा था उसकी गति धीमी होने लगी थी
शालिनी समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है इसिलिए फटाक से उथी और उसके पास पहुची जंगीलाल आहहे भरता हुआ निशा को सामने की ओर झटका । उसके पैर थक चुके थे और लगातार तेज गति से चुदाई करने से कमर मे दिक्कत सी लग रही थी इसिलिए उसने सोफे पर बैठना ही मुनासिब समझा ।
वही मौका पाते ही मा बेटी उसके लण्ड पर झपट पडी और आतुरता दिखाते हुए शालिनी ने सुपाड़े को मुह मे भर लिया और निशा ने आड़ो को चुबलाना शुरु कर दिया
थोडे ही पलो ने जंगीलाल अपनी गाड़ उठा के कहरा और शालिनी का सर लण्ड पर दबाने लगा । उसके वीर्य से शालिनी का मुह भर गया था और जब वो उथी तो खासने लगी ,,,वही निशा मौका पाते ही लण्ड को मुह मे भर ली और उसके सुरुकाने लगी ।
थोडे ही देर बाद तिनों हाफते हुए वही सोफे पर सुस्ताने लगे और अगले राउंड की तैयारि करने लगे
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इधर इनके अगले राउंड की तैयारी चल रही थी वही राज के चौराहे वाले घर मे उसका बाप अपनी बीवी को चोदते हुए होने वाली समधन को चोदने के ख्वाब को अपनी बीवी के बाट भी रहा था ।
रंगीलाल - आह्ह जान ये ममता भाभी की गाड़ देख कर तो मै दीवाना हो चुका हू सीईईईई
रागिनी अपने पति का लण्ड अपनी चुत की गहराई मे कसते हुए - अच्छा जी ऐसा क्या उम्म्ंम और क्या अच्छा लगता आपको अपनी समधन मे उम्म्ंम बोलो अह्ह्ह्ह उह्ह्ह
रन्गीलाल तेज करारे धक्के लगाते हुए - वैसे ही संधन जी पूरी की पूरी मस्त है लेकिन उनके गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलते हुए उनकी मोटी मोटी थन जैसी चुचिया मुह मे लेके चुसना चाहता हू ,,,, पता नही कैसा साइज़ पहनती होगी उह्ह्ह्ह
रागिनी - आप कहो तो मै पता करु
रन्गीलाल की आंखे चमक उथी और वो धक्का रोकते हुए - सच मे जान,,लेकिन कैसे ?
रागिनी ने इशारे से चुदाई जारी रखने को कहा - अरे मेरे राजा दुल्हन की सास के लिए साड़ी कपडे और सृंगार का समान जाता है ,,भले ही कोई दुल्हन की सास को ब्रा पैंटी नही देता हो लेकिन फिर मै पुछ लूंगी कोई ना कोई जुगाड़ करके हिहिहिही
रन्गीलाल खुश होकर तेज गति से लण्ड को अपनी बीवी की चुत की गहराई मे ले जाता हुआ - आह्ह जान तुम सच मे कमाल हो ,,, तुम बस साइज़ पता करो समधन जी को मै स्पेशल ब्रा पैंटी का सेट लाउँगा वो भी न्यू पैटर्न मे ।
रागिनी - ओहो सच मे फिर फ़ोटो भी माग लेना ,,क्या पता पहन के दिखा भी दे
रन्गीलाल उत्तेजना से भर कर - अह्ह्ह जान ऐसा हो जाये तो मजा ही आ जाये उम्म्ंम ,,,तुम बस पता करो साइज़
इधर इनकी फ्यूचर प्लानिंग चुदाई के साथ जारी रही । वही उपर के कमरे मे राहुल और अनुज कानो मे ईयरफोन लगाये पैर पर लैपटाप रख कर वो incest porn movie देख रहे थे जो आज सुबह ही उन्होने डाउन्लोड किया हुआ था ।
फुल फैमिली सागा सेक्स से भरपुर उस फिल्म ने दोनो के अरमान जगाये ,,,जहा राहुल ने जहन मे उसकी मा के कसे बदन की छविया आने लगी थी वही कही ना कही नाकारते हुए अनुज ने भी अपनी मा के बारे मे सोच कर आज मूठ मार ही दी ।
जब अनुज का जिस्म थक गया तो वो खुद के लिए बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने लैपटोप बन्द करके रख दिया । हालाकी राहुल का अभी भी मूड था आगे देखने का लेकिन अनुज का मूड अपसेट देख कर उसने भी कोई जिक्र नही किया ।
ROUND 02
करिब 15 मिंट बाद जन्गीलाल के कमरे का माहौल फिर से गरम हो चुका था ,,, एक ओर जहा शालिनी अपने चुचे उसके मुहे मे भरे हुए चुसवा रही थी वही निशा ने अपने पापा के लण्ड को मुह मे लेके उसे चुस कर तैयार कर रही थी ।
जंगीलाल अपनी बीवी के मोटे चुचे चुसने के साथ साथ उसके गाड़ के सुराख से छेड़खानी भी कर रहा था
शालिनि धिरे से उस्के कान मे - आह्ह जान आज ही उसकी गाड़ भी खोलोगे क्या ???
जंगीलाल मुस्कुरा कर - हा जान,,कल से राहुल रहेगा तो दिक्कत हो जायेगी ना
शालिनी - लेकिन आज तुम्हारा मुसल बहुत मोटा लग रहा है ,,ले पायेगी वो
जन्गीलाल मुस्कुरा उसे निशा को दिखाते हुए - देखो कैसे खुद ही चुस चुस कर तैयार कर रही है
ये बोलते हुए जन्गीलाल वापस से शालिनी की चुचिया पीने लगता है
शालिनी - आह्ह मेरे राजा पहले इसे मेरे गाड़ मे डाल दो ना उम्म्ंम कितना तगडा हो गया है सीईई अह्ह्ह
बोलते हुए शालिनी खुद से ही अपने उन्गिलीयो से अपनी गाड कुरेदने लगती है ।
जंगीलाल मुस्कुरा कर लेट जाता है और शालिनी उसके आगे लेटते हुए टाँगे उठा लेती है ।
फिर जंगीलाल वही गीला लण्ड शालिनी की गाड़ के सुराख पर ल्गाता है और देखते ही देखते आधे से ज्यादा लण्ड उसकी गाड मे समा जाता है ।
निशा पहली बार गाड की चुदाई देख रही थी और वो काफी उत्तेजित मह्सूस कर रही थी वही शालिनी दर्द मे भी जानबुझ कर ऐसे दिखा रही थी उसे भरपुर मजा मिल रहा है ,,, ताकी कही निशा के दिल मे कोई डर ना बैठ जाये ।
शालिनी - ओह्ह मेरी जान तुमने तो मेरि गाड़ ही भर दी उह्ह्ह थोडा पेलो ना जोर लगा के अह्ह्ह ऊहह ऐसे ही उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही ,,,,अह्ह्ह
निशा अपनी मा के पैरो के पास बैथ कर अपने पापा के लण्ड और आड़ो को छुते हुए उसे और अन्दर घुसाने की कोसिस करते हुए - मम्मी आपको जरा भी दर्द नही हो रहा है क्या
शालिनी मुस्कुरा कर - अह्ह्ह बेटी इस वक़्त मुझे जो नशा हो रहा है ना वो मै बता नही सकती ओह्ह्ह्ह निशा के पापा और घुसाओ ना अन्दर बहुत खुजली हो रही है उम्म्ंम रगड़ दो अपना मुसल मेरी गाड़ मे उह्ह्ह माआह्ह्ह हा ऐसे ही उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा चुत एक बार फिर से रिसने लगी और अपनी मा से मस्ती भरे लफ्ज सुन कर वो भी गाड़ मे अपने पापा का मोटा लण्ड लेने के लिए लालायित हो उथी
इधर जंगीलाल खचाखच शालिनी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था और शालिनी सिसकिया लिये जा रही थी । जैसे जैसे जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ की गहराइयो मे जाता वैसे वैसे सामने से उसके चुत के फाके खुल जाते और सोमरस की पतली सी रिसती हुई धार दिख जाती ।जिसे देख निशा का जी ललचा गया
और वो बडी कामुकता से अपने पापा के आड़ो को सहलाये जा रही थी ।
शालिनी और जन्गीलाल बखूबी इस बात को समझ पा रहे थे कि कैसे उनकी बेटी की तडप बढ रही है
शालिनी - अह्ह्ह हा बेटी और ध्केल अपने पापा का लण्ड फिर मै भी तेरे गाड़ मे डालूंगी इसे ,,,लेगी ना तु भी इसे उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह बोल ना
निशा कसमसा कर - उम्म्ंम हा मम्मी मुझे भी चाहिये अह्ह्ह पापा मुझे भी दो ना ,,,मुझे भी गाड़ मे आपका मोटा लण्ड चाहिए उम्म्ंम्ं
ये बोलते हुए उसने अपने मुह मे ऊन्ग्ली डाली और फिर उसे गीला करके अपने गाड़ के सुराख को टटोलते हुए दो उन्गली घुसेड दी - अह्ह्ह माअह्ह्ह उम्म्ंम प्लीज पापा मुझ्र भी पेलो ना ऐसे ओह्ह्ह
जंगीलाल थम गया और उठकर अपने लाडो की बढती हवस को देख कर लण्ड मस्लने लगा
जिसे निशा ने लपक कर मुह मे भर लिया और अपना गला चोक करने लगी ।
जन्गीलाल - आह्ह जान लग रहा है आज मेरी लाडो बिना गाड़ ने लण्ड लिये नही मानेगी
निशा - आह्ह हा पापा मुझे चाहिये ,,मुझे भी मजा करना है उम्म्ंम्म्ं गुउउउऊ गुउऊ सुउउउरुररऊऊऊऊप्प्प्प अह्ह्ह
शालिनी मुस्कुरा कर - तो दे दीजिये ना उसे भी ,,,अपनी बेटी को ऐसे तरसाएंगे क्या ??
जन्गीलाल - अरे नही मेरी जान,, मेरे सारे चीजो पर मेरी लाडो का ही हक है । आजा बेटी थोडा घोडी बन के दिखा तो अहह्ह हा ऐसे
निशा अपने घुटने फ़ोल्ड करके आगे की ओर झुकते हुए अपनी गाड़ उठा ली और इधर जंगीलाल ने शालिनी को वो स्पेशल तेल की शिसी लाने को कहके खुद अपनी बेटी के चर्बीदार गाड के पाटो को फैलाते हुए मसलने लगा ।
फिर उसके चर्बीदार गाड़ के पाटो को मुह मे भरने और उसके सुराख से लेके लकीर मे मुह चलाने लगा ।
अपनी गाड़ के सुराख और दरारो मे अपने पापा की जीभ की हरकत से निशा कसम्साते हुए सिसकने लगी और अपने चुतडो को कसने लगी ।
जिससे जन्गिलाल ने उसके गाड़ के पाटो को कस के फैला कर चाटना शुरु कर दिया और जीभ से उसकी गाड़ के सुराख को कुरेदने लगा
जिससे निशा और भी आगे की ओर छ्टकाने लगी ,,इसपे शालिनी ने आगे से आकर उसे पकड लिया और जन्गीलाल घुटनो के बल होकर अपनी बेटी के गाड़ मे अपना मुह दे दिया ।
उसकी लपलपाती जीभ निशा के चुत के फाको से गाड़ के सुराख पर नाच रही थी और जन्गीलाल भरसक कोसिस करके अपनी जीभ को नुकीला करके गाड़ मे घुसा दे लेकिन लण्ड की कसर कहा उससे पूरी हो पाती ।
इसिलिए उसने अपनी एक ऊँगली को मुह मे लेके लार से चभोडा और लार से निशा के गाड़ के भूरे सुराख पर मलते हुए एक ऊँगली को उसकी गाड़ मे घुसेड दिया
निशा अपने पापा की मोटी ऊँगली अपने गाड़ मे घुसता पाकर सिसकी - अह्ह् पापाअह्ह्ह उम्म्ंम आह्ह
दर्द हो रहा है उम्म्ंम्ं सीईईई
शालिनी
अरे जी ऐसे सुखा सुखा क्यू डाल रहे है ,,ये तेल लगाईये ना ,,,
जंगीलाल निशा के चुतडो को दोनो ओर फैलाये हुए - अरे जान तुम ही गिराओ ना ,,, लाडो अपनी गाड़ को कस रही है
शालिनी मुस्कुरा कर तेल की शिसी खोलते हुए तेल की बुन्दे सीधा निशा के गाड की सुराख पर गिराने लगी और जिससे उसकी गाड़ का छेद भरने लगा और जल्द ही तेल निचे चुत की ओर बढ़ने लगा तो शालिनी ने अपनी उन्गलियो को लगा कर तेल को निचे जाने से रोका और उसे अच्छे से निशा के गाड़ पर मलने लगी
शालिनी- बेटा जरा ढीली छोड ना अपना चुतड आह्ह हा ऐसे तुझे भी मजा आयेगा
ये बोलते हुए शालिनी अपने अंगूठे से उसके तेल मे रसे हुए गाड़ की सुराख को मलने लगी और उपर लकीरो मे ले जाने लगी जिससे निशा कसम्सा उठी तो जंगीलाल ने आगे लपक के एक हाथ से उसके चुचे थाम लिये साथ ही उसके गाड़ की लकीरो को खुद मलने लगा ।
निशा को अब डबल मजा आने लगा था और उसकी सिसकिया बढने लगी थी ।
जन्गीलाल निशा के गाड़ की दरारो से लेके उसकी चुत की सिराओ को भी मल रहा था ।
फिर उसने अपने एक हाथ की अंजुली बनाई और शालिनी को इशारा किया कि वो थोडा तेल डाले । शालिनी ने भी मुस्कूरा कर तेल अपने पति की अंजुलि मे डाला ।फिर जंगीलाल ने वही हाथ सिधा निशा के कसे हुए गाड़ के दरारो मे भरता हुआ उसके गाड़ के छेद को अच्छे से मलने लगा और धीरे से एक ऊँगली को उसकी गाड़ के घुसेड दिया ,,,इस बार निशा को कोई दर्द नही बल्कि उसे एक खुजली सी होने लगी
निशा - आह्ह पापा खुजली हो रही है अह्ह्ह उम्म्ंम
जंगीलाल अपनी बिच वाली बडी ऊँगली को निशा की गाड़ मे डाले हुए बाकी की हथेली से उसके गाड़ के दरारो मे मल रहा था । लेकिन निशा की गुहार सुन कर उसने अपनी ऊँगली को और भी अन्दर घुसाते हुए कसी हुई गाड़ का मुआयना करते अपनी ऊँगली बाहर खिच लिया । फिर उसने गाड़ के सुराख के पास का तेल वापस से उंगलियो मे चभोडा और इस बार दो उंगलियाँ एक साथ ही निशा की गाड मे डाल थी ,।
इस बार निशा थोडी छ्टकी थी लेकिन जंगीलाल और शालिनी दोनो ने उसकी कमर को थामा और पूरी ऊँगली उसके गाड़ मे चली गयी
निशा - हहह पापा उह्ह्ह माआह्ह्ह सीई आह्ह जल रहा है अह्ह्ह पाअपाअह्ह्ह
जन्गिलाल उस्के कूल्हो को सहलाते हुए - बस बस बेटा अब नही होगा
ये बोलते हुए जन्गीलाल अपनी बेटी के गाड़ के अपनी दोनो ऊँगलीया घुमाते हुए आगे पिछे करने लगा ।
निशा को भी अब मजा रहा था और वो अपनी गाड हिलाते हुए - आह्ह पापाऊहह उम्म्ं आह्ह फ़क मीई ओह्ह्ह हा ऐसे ही घुमाओ ओह्ह माह्ह सीई
शालिनी मुस्कुरा कर उसके पास गयी और उसके कमर को सहलाते हुए - अच्छा लग रहा है ना तुझे बेटा उम्म्ं
निशा कसम्सा हस्ती हुई - आह्ह हम्म्म्म माआह्ह बहुत उह्ह्ह्ह पापा लण्ड कब डालेंगे मुझे लण्ड से चुदनाआह्ह अह्ब ऊहह उम्म्ंम
शालिनी हस्ते हुए उथी और जन्गीलाल को इशारा किया और
जन्गिलाल खड़ा होकर तेल की शिसी खोल कर खुब सारा तेल अपने लण्ड पर च्भोड़ते हुए हाथ का बचा हुआ तेल निशा की गाड़ पर लगाने लगा
निशा इस समय थोडा डर और भरपुर उत्तेजना के साथ अपने पापा के अगले स्टेप का इन्तेजार कर रही थी ।
इधर जंगीलाल अपना लण्ड मलते हुए सुपाडा खोल कर उसके निशा के गाड़ के सुराख पर लगा चुका था ।
शालिनी भी निशा के करीब ही थी उसे स्म्भालने के लिए और जंगीलाल ने निशा के गाड पर हाथ रख्ते हुए दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर पुरा जोर देते हुए लण्ड को निशा के गाड़ की सुराख मे बहुत ही आहिस्ता से घुसा दी ।
दर्द से निशा की आंखे फैल गयी और वो छ्टकने को हुई लेकिन शालिनी ने उसे थाम लिया - अह्ह्ह मुम्मीईई नहीईई उम्मममं बहुत दर्दहह उह्ह्ह पापा मत करो अह्ह्ह फट जायेगा अह्ह्ह उह्ह्ह
शालिनी जल्दी से उसके पास गयी और उसे दुलारने लगी - बस बेटा अब नही होगा दर्द
इधर जन्गिलाल धीरे धीरे करके अपना लण्ड पकड कर उसे ढकेलते हुए आधे से ज्यादा निशा की गाड़ मे घुसा चुका था ।
ईस वक़्त जंगीलाल बहुत ही उत्तेजित हो चुका था इस अहसास से ही वो अपनी बेटी की गाड़ भेदने मे कामयाब रहा उसका लण्ड मारे जोश मे गाड़ के अंदर और भी फूलने लगा था ।
इधर शालिनी निशा को शांत कर रही थी कि जन्गीलाल ने दोनो हाथो से निशा के कुल्हे पकड कर अपना लण्ड खिचते हुए एकक जोर का धक्का लगा दिया और उस्का लण्ड सरकता गाड़ को चिरता फैलता निशा की जड़ मे चला गया
जिससे की आंखे छलक पडी और वो दर्द से रो पडी ,,उसका चेहरा लाल पड चुका था वही शालिनी एक हाथ उसके बालो को दुलारते हुए दुसरे हाथ से उसके गाड़ की दरारो से लेके कमर की नीचले हीस्से की मालिश कर रही थी ताकी गर्माह्त से उसे दरद से राहत मिले
जंगीलाल भी निशा के चर्बीदार गाड़ को मसलकर
थोडा राहत देते वापस से लण्ड बाहर को खिचत हुआ लण्ड को पेल्ना शुरु कर दिया ।
जंगीलाल को अपनी बेटी की कसी हुई गाड़ मे लण्ड घुसाने मे बहुत ही मजा आ रहा था वही धीरे धीरे जब वो तेल अपना असर दिखाने लगी तो निशा को अपनी गाड़ के सुराख मे ढीलापन मह्सूस हुआ और वो अब मजे लेने लगी थी लेकिन कसी हुई गाड़ के लिए उसके पापा का लण्ड बहुत ही मोटा था हर बार धक्का लगाने पर उसकी गाड़ के चर्बी मे भी खिचाव हो रहा था जिससे उसे दर्द मह्सूस हो रहा था
लेकिन
उसके पापा के सुपाड़े की खरोच उसके गाड़ की खुजली बढाये ही जा रही थी इसलिए उसने खुद से अपना गाड़ पीछे की ओर फेकने लगी और जंगीलाल सम्झ गया कि अब निशा को मजा आ रहा है
इसिलिए वो भी उसके कूल्हो को थामते हुए सटासट लण्ड को उस्के गाड़ मे पेलना शुरु कर दिया
निशा - आह्ह पापह्ह्ह ओह्ह अब मजा आ रहा है उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह पेलो मुझे उह्ह्ह
जंगीलाल - हा बेटी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है ,अह्ह्ह ये ले बेटी उह्ह्ह आह्ह ले और ले अपने पापा का लण्ड ऊहह आज तो तेरी गाड़ खोल कर रख दूँगा ईईआअहह आह्ह
निशा - हा पापा खोल दो उम्म्ंम कस कस के पेलो आह्ह खोल दो फाड़ दो अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम
जन्गीलाल जोश मे आकर कस कस कर निशा की गाड़ मे पेले जा रहा था और शालिनी वही सामने अपनी चुत मले जा रही थी ।
निशा थोडे ही देर बाद - आह्ह पापा मेरे घुटने मे दर्द हो रहा है
जंगीलाल को भी समझ आया कि निशा काफी समय से घुटनो के बल अपनी गाड़ उठाए उसके धक्के झेल रही है इसिलिए उसने अपना लण्ड बाहर खिचके निशा के चुतड पे थाप देते हुए उसे उठने का इशारा किया और खुद सोफे पर बैठ गया ।
निशा खुश हुई और इस बार पैर फेक कर वो अपने पापा की गोद मे बैठते हुए लण्ड पकड कर खुद से ही अपने गाड के मुहाने पर सेट करने लगी
जब लण्ड सही जगह सेट हो गया तो निशा खुद को एडजस्ट करते हुए लण्ड पर अपने गाड़ को दबाने लगी और उसके पापा का मोटा मुसल एक बार फिर से उसकी कसी हुई गाड़ को चौड़ा करता हुआ पुरा घुस गया ।
निशा ने जब पुरा लण्ड महसूस कर लिया तो वो अपने पापा के कन्धे को पकडते हुए हल्का हल्का उछलने लगी । वही जन्गीलाल ने मौका पाकर सामने से अपने बेटी की दोनो नंगी चुचियॉ पकड कर मसलने लगा और झुक कर मुह मे भरने लगा
निशा अपने पापा की मोटी जीभ की खरोच और गाड़ मे सुपाडे की हरकत से बहुत ही उतेजित हुई जा रही थी और कस क्कस कर अपना गाड़ अपने पापा के लण्ड पर हुमचने लगी ।
निशा - ओह्ह्ह पापाह्ह्ह उम्म्ं आप बहुत अच्छे हो उम्म्ंम सीईई मुझे तो बस आपसे ही चुदना है अह्ह्ह माह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह
जंगीलाल हस कर - क्यू बेटी शादी नही करेगी क्या उम्म्ंम
निशा अपनी गाड़ मे लण्ड को मथते हुए - आह्ह पापा जब सारा मजा ऐसे ही मिल रहा है तो क्यू शादी करनी उम्म्ंम अह्ह्ह थोडा पकड के पेलो ना उम्म्ंम अह्ह्ह
जन्गीलाल - देख रही हो निशा की मा ,,,अपनी लाडो तो शादी करने से ही दुर भाग रही है हाहहहा
शालिनी अपनी चुत मलते हुए बहुत ही कामुक आवाज मे - अह्ह्ह मेरे राजाआह्ह आपके लण्ड का स्वाद लेके कौन आपसे दुर जायेगा सीईई आह्ह
निशा अपने पापा के लण्ड पर उछलते हुए - हा मम्मी सही कह रही हो उम्म मै तो नही जाऊंगी पापा को छोड कर ,,,रोज चुदवाउन्गी और आपके साथ ऐसे ही मजे करनगी उम्म्ंम अह्ह्ह पापा और कस के पेलो ना उम्म्ं हा ऐसे ही निचे से चोदो मुझे
जंगीलाल - हा बेटी ये लेह्ह उह्ह्ह क्या मस्म्त मम्मे है तेरे उह्ंम्ंं सीई इतने मुलायम है उम्म्ंम
निशा - तो चुस लो ना पापा और पेलो ना मुझे कस कस के थक गये क्या
जंगीलाल मुह से चुची निकालते हुए - आह्ह नही मेरी लाडो
निशा अपनी गाड़ को तेजी से अपने पापा के लण्ड पर हुमचते हुए - आह्ह तो कस कर पेलो ना अह्ह्ह उम्म्ंम आप तो बेटीचोद हो गये हो ना अब उम्म्ं पेलो अपनी बेटी की गाड़ अह्ह्ह उह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अह्ह्ह मुझे भी रन्डी बेटी बना लो अपनी ना पापा अह्ह्ह
जंगीलाल ने जैसे ही निशा के मुह से ऐसे कामुक और गंदे शाब्द सुने वो पुरे जोश मे आ गया और निशा के गाड़ को पकड कर तेजी से निचे से धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह तो मेरी बेटी भी रन्डी के जैसे चुदना चाहती है हा ...
निशा - आह्ह हा पापा मुझे आपकी रन्डी बेटी बनना है आपकी चुद्क्क्ड बेटी अह्ह्ह पेलो ना अपनी रन्डी बेटी को उह्ह्ह पापा और कस के मारो फाड़ दो आज्ज उह्ह्ह हाआ
जन्गीलाल तेजी से निशा की गाड़ मारे जा रहा था और इधर मारे ऊततेज्ना मे
निशा झड़ने लगी थी और अपने पापा के उपर ही सुस्त पड गयी थी
धीरे धीरे जन्गीलाल भी धीमा पड गया और उसने उसकी गाड से लण्ड बाहर निकाल दिया,,,वही मौका देख कर कबसे प्यासी शालिनी ने वही लण्ड सीधा मुह मे भर लिया
जन्गीआल
ने निशा को इशारे से उपर से हटने को कहा और शालिनी को घोडी बनाते हुए उसके पीछे से लण्ड उसकी गाड़ मे पेल दिया
जंगीलाल - लो जान तुम भी कबसे तरस रही थी ना आह्ह ये लो उम्म्ंम
शालिनी - उम्म्ंम हा मेरे राजा थोदा पेलो ना जोर का मुझे भी उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह और हाह्ह उम्म्ंम
इधर जन्गीलाल गचाग्च अपनी बीवी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था वही निशा अपने पापा मम्मी की चुदाई देख कर फिर से जोश मे आ गयी और अपने मम्मी के उपर चध कर अपना गाड़ अपने पापा के सामने परोस दिया ।
अब जन्गीलाल के सामने उसके बीवी और बेटी की गाड़ उपर निचे रखी हुई थी और जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ मे फ्सा हुआ था ,,इसिलिए उसने निशा के गाड़ को उन्गलियो से चोदना शुरु कर दिया औफ थोडे देर मे उठ कर निशा के गाड़ के लण्ड घुसेड कर पेलने लगा
शलीनी को निशा की इस हरकत से हसी तो आई लेकिन उसे मजा भी आ रहा था कि उसकी जवाँ बेटी अपना नन्गा जिस्म लेके उसके उपर चढ़ी हुई जिसकी गाड़ उसका ही पति मार रहा है
थोडे देर बाद जंगीलाल ने छेदो की बदली की और निशा के गाड़ से लण्ड निकाल कर शालिनी की गाड़ मे पेलने लगा
ऐसे ही गाड़ की बदली करके जन्गीलाल दोनो को चोदता रहा और जल्द ही वो झड़ने के करीब आ गया और जाते जाते उसने सारा माल निशा की गाड़ भर दिया और आखिरी बूद तक उसके गाड़ झड़ने के बाद वो खड़ा हुआ तो निशा ने लपक कर अपने पापा का लण्ड मुह मे लेली और बचे खुचे माल को चाटने लगी
वही शालिनी उसके गाड़ में उन्गली करके अपने पति का माल निकाल कर उसे चाटने लगी ।
जारी रहेगी
Writer sir.. Apke isi month ka matlb October tha ya aane wala NovemberIsi month se
Bhai ab update De do yrrrYe story ka pahiya ab puncture ho gya hai
Aaj milegaBhi nex update kab aayega please update do