• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
1,265
3,533
159
वाह क्या बात है ... बेहतरीन अपडेट भाई बैसे कौन हो सकता है प्रकाश का कातिल और जिस तरीके से राय साहब ने कबीर को सीधा निशाना बनाया है कुछ तो है
 

Sanju@

Well-Known Member
4,206
17,215
143
#92



मैंने कुछ गिलास पानी पिया और वहीँ पर बैठ गया चाची भी तबतक पास आ चुकी थी .

मैं- आज यहाँ पर कैसे.

चाची- कई दिन हो गए थे इस तरफ आना ही नहीं हुआ. सोचा की घूम आऊ खुली हवा पर थोडा हक़ मेरा भी तो है न .

मैं- मंगू, सरला नहीं आये आज.

चाची- पता नहीं मेरी कोई बात नहीं हुई उनसे. तू बता कहाँ गायब रहता है आजकल.

मैं- बस उलझा हूँ कुछ कामो में .

चाची- क्या काम है ऐसे की अब मुझसे भी नजरे चुराने लगा है

मैं- ब्याह करने वाला हूँ कुछ दिनों में उसी में उलझा हूँ

चाची- देख कबीर, बेशक अपनी पंसद की छोरी से कर ले पर एक बार जेठ जी को तो बता दे, उनको बाद में मालूम हुआ तो कहीं नाराज न हो जाये वो.

मैं- मुझे फर्क नहीं पड़ता चाची. पर क्या तू मुझे बता सकती है की रुडा और चाचा की लड़ाई किस बात पर हुई थी .

चाची- तू पहले भी पूछ चूका है ये बात, तेरे चाचा घर से बाहर क्या करते थे मैं नहीं जानती .

चाची के ब्लाउज से बहार को झांकती चुचिया मुझे ललचा रही थी की आ हमें दबा ले. मसल ले . मैं करता भी ऐसा पर मेरी नजर सरला पर पड़ी जो हमारी तरफ ही आ रही थी तो मैंने विचार बदल दिए.

मैं- चाची मैं चाहता हूँ की जब मेरी दुल्हन आये तो तू उसे अपने घर में रहने की इजाजत दे.

चाची- ये कोई कहने की बात है क्या , और मेरा घर तेरा भी है ये क्यों भूल जाता है तू.

मैंने सरला से थोडा पानी गर्म करने को कहा, मैं नहाना चाहता था . थोड़ी देर और चाची के साथ बाते करने के बाद नहा कर मैं मलिकपुर की तरफ निकल गया. रमा का ठेका आज भी बंद था उसके कमरे पर भी ताला लगा था. मैं उस से मिलना चाहता था पर वो थी नहीं . घूमते घूमते मैं प्रकाश के घर की तरफ चला गया जहाँ उसके अंतिम संस्कार की तयारी चल रही थी मैंने देखा की पिताजी और भैया भी थे वहां तो मैं वापिस मुड गया.

मैं अंजू को देखना चाहता था , जानना चाहता था की प्रकाश की मौत का कितना फर्क पड़ता है उस पर. पर अंजू थी कहाँ . रमा भी गायब , खैर वापिस आना तो था ही , तभी मुझे ध्यान आया की रमा ने बताया था की अंजू जब भी मलिकपुर आती है तो वो स्कूल में बच्चो को पढ़ाती है तो मैं वहीँ पर पहुँच गया, और किस्मत देखिये मुझे शहर में उसका पता भी मिल गया.



सहर जाते समय जिन्दगी में पहली बार मैंने सोचा की मेरे पास भी भैया के जैसे गाड़ी होनी चाहिए , खैर , उस पते पर जब मैं पहुंचा तो हैरत से मेरी आँखे फट गयी. अंजू का घर, दरअसल उसे घर कहना तोहीन होती , वो घर नहीं हवेली ही थी, अंजू अमीर थी जानता था मैं पर इतनी अमीर होगी ये नहीं सोचा था .



पर वहां कोई दरबान नहीं था . दरवाजे पर एक बड़ी सी घंटी लटकी थी जिसे जोर लगा कर मैंने बजाया तो अन्दर से एक नौकरानी आई और मुझ से सवाल करने लगी. मैंने उसे कहा की अंजू से मिलने कबीर आया है. वो अन्दर गयी और थोड़ी देर बाद दरवाजा खोल कर मुझे अदब से अपने साथ ले गयी. घर क्या था हमें तो महल ही लगता था .



दीवारों पर तरह तरह की तस्वीरे थी जो मुझे समझ नहीं आई. किताबे इधर उधर बिखरी पड़ी थी . पर बाकी सब कुछ सलीके से था . कुछ देर बाद अंजू आई, उसकी आँखे लाल थी शायद बहुत रोई होगी वो रोती भी क्यों न .....

“तुम यहाँ क्यों आये ” उसने पूछा

मैं- आपसे मिलने

अंजू- कबीर, मेरा मूड बहुत ख़राब है आज, मैं परेशान हूँ

मैं- जानता हूँ , आपके लिए सदमे से कम नहीं है

मैंने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोला- जानता हु आप पर क्या बीत रही है , आप बाहर से कितना भी मजबूत क्यों न हो पर आपके मन की बेचैनी, उसकी बेदना समझता हूँ मैं इसीलिए मैं यहाँ आया. बेशक मैं इस दुःख को कम नहीं कर पाऊंगा पर फिर भी मुझे लगा की इस वक्त आपके साथ होना चाहिए मुझे. मैंने आगे बढ़ कर उसे अपने सीने से लगा लिया और तब तक लगाये रखा जब तक की उसका दर्द आंसू बन कर बह नहीं गया.

मैं- मालूम कर लूँगा ये किसका काम है

अंजू- जरुरत नहीं , ये काम मैं खुद करुँगी.

मैं- कभी कभी लगता है की आपकी और मेरी मंजिल एक ही है

अंजू- कैसी मंजिल

मैं- आपको भी जंगल में किसी चीज की तलाश है मुझे भी .

अंजू- किसने कहा की मैं जंगल में कुछ ढूँढने जाती हूँ.

मैं- अनुमान है मेरा .

अंजू- मुझे भला क्या जरुरत

मैं- यही मैं जानना चाहता हूँ की क्यों नहीं जरूरत आपको किसी भी चीज की .

मैंने जेब से सोने के कुछ सिक्के निकाले और अंजू के हाथ में रख दिए.

“तो इनकी वजह से तुम यहाँ चले आये, तुमको क्या लगा था की इनके लिए मैं जंगल में जाती हूँ ” उसने मुझे घुर कर कहा.

मैं- क्या आपको इनका कोई मोह नहीं, क्या आप नहीं चाहती इनको पाना .

अंजू- नहीं , जो मेरा है उस से मुझे भला क्या मोह होगा. और जो मेरा है उसे क्या पाना

अंजू ने जो रहस्योद्घाटन किया था मेरे तमाम ख्याल , तमाम धारणाओं को ध्वस्त होते देखा मैंने .

मैं- कैसे ,,,,,,,,,,,

अंजू- मेरी माँ सुनैना, बंजारों की टोली के सबसे सिद्ध थी वो. उसने खोजा था इस सोने को. कबीर, सोना एक ऐसी चीज है जो कभी अपना नहीं हो सकता, मिला हुआ, पड़ा हुआ सोना या वो सोना जो तुम्हारा नहीं है पर तुमने कब्ज़ा लिया है तुम्हे कभी सुख नहीं देगा, मान्यता है की मिला हुआ सोना अपने साथ दुर्भाग्य लाता है . ये सत्य है . मेरी माँ की मौत का असली कारण सोना था . राय साहब जानते है इस बात को . राय साहब की कोई बहन नहीं थी ,मेरी माँ को सगी बहन से भी ज्यादा स्नेह करते थे वो. मरते हुए मेरी माँ ने राय साहब को उस सोने का राज बताया जिसकी वजह से उसकी मृत्यु हुई. राय साहब ने वक्त आने पर वो राज मुझे बताया. पर मैंने इसे नकार दिया. दुनिया इस सोने को लालच के रूप में देखेगी पर मैं इसमें मेरी माँ के खून को देखती हूँ .



मैं- पर रुडा आपकी माँ से बहुत प्रेम करता था .

अंजू- प्रेम नहीं था वो , रुडा इस सोने से प्रेम करता था , जब वक्त आया हमें अपनाने का तो उसके हाथ कमजोर पड़ गए. वो चाहते तो कोई मेरी माँ का बाल भी बांका नहीं कर सकता था .

मैं- तो क्या राय साहब से तल्खी का कारन भी ये सोना ही है

अंजू- बड़ी देर से समझे तुम.

चूँकि चालाक अंजू पर मुझे विश्वास कम ही था तो मैंने एक सवाल और पूछा .

मैं- क्या आप जानती है की ये सोना कहाँ है

अंजू- जानती हूँ , और तुम्हे भी बताती हूँ तुम्हे चाहिए तो तुम ले सकते हो . सोना मेरी माँ की समाधी के निचे है .मैंने अपना माथा पीट लिया . सोना वहां कैसे हो सकता था.

मैं- पक्का सोना वहीँ पर है

अंजू- जब मैंने आखिरी बार देखा था तो सोना वहीँ पर था .

मैं - और ये आखिरी बार कब था

अंजू- ठीक तो याद नहीं पर शायद सात-आठ साल पहले.

बहुत से सवालों का जवाब मिल चूका था मुझे.

मैं- यदि सोने से आपको कोई वास्ता नहीं तो फिर इतनी अमीर कैसे है आप .

अंजू-तुम एक बात भूल गए मैं सुनैना की बेटी हूँ , उस सुनैना की जिसे राय साहब ने बहन माना था .

इसके आगे मुझे कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी . मैंने अंजू से विदा ली और दरवाजे की तरफ मुड़ा ही था की सामने लगी तस्वीर ने मेरे कदम रोक लिए.......................................
वह खजाना सुनैना मतलब अंजू की माँ का है लेकिन उसे इसकी चाह नहीं जिस तरह से भाभी ने अंजू के व्यक्तित्व के बारे में बताया वैसी लगती नहीं है। एक बात अजीब लगी अंजू ने कहा सोना उसकी मां की समाधि के नीचे है तो फिर तालाब में जो सोना है वो किसका है।क्या उसके बारे में निशा और कबीर के अलावा किसी को नहीं पता या कोई और भी जानता है
राय साहब है इन सब के पीछे अंजू की बातो से तो यही लगता है लेकिन किसी की बातो पर विश्वास नहीं होती है
 

Ben Tennyson

Its Hero Time !!
1,265
3,533
159
एक दम से सारे पत्ते बिखेर दिए हैं अब समझ नहीं आ रहा कि जो सामने चाल है उस पर कौन सा पत्ता फेंकना है.... और सबसे बड़ा ज़बाब मोह तो चूत का है सोने का नहीं बहन चोद ....
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
12,049
83,770
259
#97

भाभी- कितना चाहते हो उसे.

मैं- जितना तुम भैया को.

भाभी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में लिया और बोली- निभा पाओगे उस से. उम्र के जिस दौर से तुम गुजर रहे हो कल को तुम्हारा मन बदल गया तो. मोहब्बत करना अलग बात है कबीर और मोहब्बत को निभाना अलग. तुम जिसे मंजिल समझ रहे हो वो ऐसा रास्ता है जिस पर जिन्दगी भर बस चलते ही रहना होगा. कभी सोचा है की किया होगा जब तुम्हारे भैया को मालूम होगा, जब राय साहब को मालूम होगा.

मैं- भैया को मैं मना लूँगा, और राय साहब को मैं कुछ समझता नहीं

भाभी- अच्छा जी , इतने तेवर बढ़ गए है , डाकन का ऐसा रंग चढ़ा है क्या.

मैं- जो है अब वो ही है .

भाभी- पुजारी से पूछा था मैंने कहता है कोई योग नहीं

मैं- उसके हाथो की लकीरों में मेरा नाम लिखा है , और कितना योग चाहिए पुजारी को .

भाभी- पर मेरा दिल नहीं मानता

मैं- दिल को मना लेंगे भाभी ,

“दिल ही तो नहीं मानता देवर जी ” भाभी ने अपनी गर्म सांसे मेरे गालो पर छोड़ते हुए कहा

मैं- भूख लगी है , कुछ दे दो खाने को .

भाभी- भैया को बुला लाओ मैं परोसती हूँ.

भाभी रसोई की तरफ बढ़ गयी मैं ऊपर चल दिया भैया के कमरे की तरफ. देखा भैया कुर्सी पर बैठे थे.

मैं- खाना नहीं खाना क्या

भैया- आ बैठ मेरे पास जरा

मैं वही कालीन पर बैठ गया .

मैं- क्या आप को मालूम है की सुनैना अंजू के लिए कितना सोना छोड़ कर गयी है .

भैया- क्या तू जानता है की मेरा छोटा भाई, जिसके कदमो में मैं दुनिया को रख दू, वो खेतो पर पसीना क्यों बहाता है .

मैं- क्योंकि मेरे पसीने की रोटी खा कर मुझे सकून मिलता है . मेरी मेहनत मुझे अहसास करवाती है की मैं एक आम आदमी हूँ , ये पसीना मुझे बताता है की मेरे पास वो है जो दुनिया में बहुत लोगो के पास नहीं है .

भैया- अंजू समझती है की वो सोना उसका नहीं है , वो जानती है की वो सोना अंजू को कभी नहीं फलेगा.

मैं-तो उस सोने की क्या नियति है फिर.

भैया- माटी है वो समझदारो के लिए और माटी का मोल मेरे भाई से ज्यादा कौन जाने है

मैं- दो बाते कहते हो भैया

भैया- सुन छोटे, कल से तू ज्यादा समय घर पर ही देना, ब्याह में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए .बरसों बाद हम कोई कारण कर रहे है .

मैं- जो आप कहे, पर मैं कुछ कहना चाहता हूँ

भैया- हा,

मैं- ब्याह की रात पूनम की रात है

मैंने जान कर के बात अधूरी छोड़ दी.

भैया - तू उसकी चिंता मत कर , तेरा भाई अभी है . चल खाना खाते है भूख बहुत लगी है .

हम दोनों निचे आ गए. खाना खाते समय मैंने महसूस किया की भैया के मन में द्वंद है , शायद वो मेरी बात की वजह से थोड़े परेशान हो गए थे. मैं भी समझता था इस बात को . उस रात परेशानी होनी ही थी मुझको . पर मैंने सोच लिया था की मैं दिन भर रहूँगा और रात को खेतो पर चला जाऊंगा, यही एकमात्र उपाय था मेरे पास.

खाना खाने के बाद मैं चाची के पास आ गया . मैंने बिस्तर लगाया और रजाई में घुस गया . थोड़ी देर बाद चाची भी आ गयी . और मेरे सीने पर सर रख कर लेट गयी .

चाची - क्या सोच रहा है कबीर

मैं- राय साहब के कमरे में कोई औरत आती है रात को उसी के बारे में की कौन हो सकती है

चाची- शर्म कर , क्या बोल रहा है तू अपने पिता के बारे में

मैं - पिता है तो क्या उसे चूत की जरूरत नहीं

चाची- कुछ भी बोलेगा तू

मैं- मैंने देखा है पिताजी को उस औरत को चोदते हुए

चाची- बता फिर कौन है वो

मैं- चेहरा नहीं देख पाया.

मैंने झूठ बोला.

चाची- घर में इतना कुछ हो रहा है और मुझे मालूम नहीं

मैं- पता नहीं तेरा ध्यान किधर रहता है.

मैंने चाची का हाथ पकड़ा और निचे ले जाकर अपने लंड पर रख दिया.चाची ने मेरे पायजामे में हाथ डाल दिया और अपने खिलोने से खेलने लगी. मैंने चाची के चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके होंठ चूसने लगा. आज की रात चाची की ही लेने वाला था मैं पर नसीब देखिये, बाहर से दरवाजा पीटा जाने लगा ये भाभी थी जो रंग में भंग डालने आ पहुंची थी .

हम अलग हुए और चाची ने दरवाजा खोला भाभी अन्दर आई और बोली- चाची , अभिमानु कही बाहर गए है मैं आपके पास ही सोने वाली हूँ. मैंने मन ही मन भाभी को कुछ कुछ कहा .मैं बिस्तर से उठा और बाहर जाने लगा.

भाभी- तुम कहाँ चले

मैं- कुवे पर ही सो जाऊंगा. वैसे भी अब इधर नींद कम ही आती है मुझे.

मैंने कम्बल ओढा और बाहर निकल गया चूत से ज्यादा मैं ये जानना चाहता था की भैया रात में कहा गए. मैंने एक नजर बाप के कमरे पर डाली जिसमे अँधेरा छाया हुआ था , सवाल ये भी था की बाप चुतिया कहा रहता था रातो को .

सोचते सोचते मैं पैदल ही खेतो की तरफ जा रहा था . पैर कुवे की तरफ मुड गए थे पर थोडा आगे जाकर मैंने रास्ता बदल दिया मैंने खंडहर पर जाने का सोचा. हवा की वजह से ठण्ड और तेज लगने लगी थी . मैंने कम्बल कस कर ओढा और आगे बढ़ा. थोडा और आगे जंगल में घुसने पर मुझे कुछ आवाजे आई. आवाज एक औरत और आदमी की थी . इस जंगल में इतना कुछ देख लिया था की अब ये सब हैरान नहीं करता था.

झाड़ियो की ओट लिए मैं उस तरफ और बढ़ा. आवाजे अब मैं आराम से सुन पा रहा था .

“मुझे जो चाहिए मैं लेकर ही मानूंगा, तुम लाख कोशिश कर लो रोक नहीं पाओगी मुझे ”

“मुझे रोकने की जरुरत नहीं तुमको, तुम्हारे कर्म ही तुमको रोकेंगे. ” औरत ने कहा

इस आवाज को मैंने तुरंत पहचान लिया ये अंजू थी पर दूसरा कौन था ये समझ नहीं आया फिर भी मैंने कान लगाये रखे.

“तुम कर्मो की बात करती हो , हमारे खानदान की होकर भी तुमने एक नौकर का बिस्तर गर्म किया , घिन्न आती है तुम पर मुझे ”

“जुबान संभाल कर सूरज , ” अंजू ने कहा.

तो दूसरी तरफ सूरजभान था जो अपनी बहन से लड़ रहा था .

सूरजभान- शुक्र करो काबू रखा है खुद पर वर्ना न जाने क्या कर बैठता

अंजू- क्या करेगा तू मारेगा मुझे, है हिम्मत तुजमे तू मारेगा मुझे. आ न फिर किसने रोका है तुझे .

सूरज- मारना होता तो कब का मार देता पर तुम्हारे गंदे खून से मैं अपने हाथ क्यों ख़राब करू.

अंजू- मेरा सब्र टूट रहा है सूरज. मुझे मजबूर मत कर की मैं भूल जाऊ की तू मेरा भाई है .

सूरज- तुम हमारी बहन नहीं हो. कभी नहीं थी तुम हमारी, तुम बस हमारे बाप की वो गलती हो जिसे हम छिपा नहीं सकते.

तड़क थप्पड़ की आवाज ने बता दिया था की सूरजभान का गाल लाल हो गया होगा.

अंजू- तेरी तमाम गुस्ताखियों को आज तक मैंने माफ़ किया, पर आज इसी पल से तेरा मेरा रिश्ता ख़तम करती हूँ मैं. और मेरा वादा है तुझसे, अगर मेरा शक सही हुआ तो तेरी जिन्दगी के थोड़े ही दिन बाकी रह गए है. दुआ करना की तू शामिल ना हो मेरे दर्द में .

कुछ देर ख़ामोशी छाई रही और फिर मैंने गाड़ी चालू होते देखि . मैं तुरंत झाड़ियो में अन्दर को हो गया की कही रौशनी में मुझे न देख लिया जाए. कुछ देर मैं खामोश खड़ा सोचता रहा की अंजू के सामने जाऊ या नहीं .
 

Sanju@

Well-Known Member
4,206
17,215
143
#93

वो तस्वीर जिसे भैया ने गायब कर दिया था वो तस्वीर यहाँ अंजू के घर टंगी हुई थी . ये तस्वीर भी साली जी का जंजाल बन गयी थी . अंजू के घर होना इस तस्वीर का अपने आप में एक राज था .मैं वापिस मुड़ा और अंजू के पास फिर से गया .पर वो जा चुकी थी नौकरानी ने कहा की अब वो नहीं मिलेगी . क्या भैया और अंजू दुनिया की नजरो में भाई बहन बने हुए थे और असली में कुछ और रिश्ता था दोनों का. ये सवाल न चाहते हुए भी मेरे मन में खटक रहा था.

वापस आया तो देखा की सरला अभी भी थी खेतो पर . इतनी देर तक क्यों रहती है यहाँ ये जबकि मैंने इस से कई बार कहा हुआ है की तू समय से लौट जाया कर. ये भी नहीं सुनती मेरी.

मैं- तुझे कितनी बार कहा है की समय से घर जाया कर. अभी अंधेरा होने वाला है

सरला- तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी कुंवर मैं

मैं- कोई काम था क्या

सरला- कुछ बताना था तुमको .

मैं- क्या

सरला- तुम्हारे दोस्त मंगू का रमा के साथ चक्कर चल रहा है मैंने दोनों को चुदाई करते हुए देखा .

सरला की बात सुनकर मेरा माथा और ख़राब हो गया. मंगू तो कहता था की वो कविता से प्यार करता था पर ये साला रमा के साथ लगा हुआ है.

मैं- दोनों की मंजूरी है तो चलने दो चक्कर हमें क्या लेना-देना.

सरला- मुझे लगा की तुम्हे बताना चाहिए.

मैं- तूने कहा देखा उनको .

सरला- दोपहर को चाची मुझे खेतो में दूर तक साथ ले गयी घुमने के लिए फिर वापसी में वो गाँव की तरफ चली गयी मैं इधर आई तो कमरा अन्दर से बंद था, मैंने सोचा तुम लौट आये होगे. अन्दर से आती आवाजो से लगा की बात कुछ और है तो मैंने दरवाजे की झिर्रियो से देखा और दंग रह गयी.

बेशक सरला की कही बात सामान्य थी पर उसने मुझे सोचने के लिए बहुत कुछ दे दिया था . मैंने उस से चाय बनाने के लिए कहा और सोचने लगा. प्रकाश कुवे के आसपास था , अंजू भी थी . मंगू रातो को कहाँ जाता था ये मैं समझ गया था . सारी कडिया मेरे सामने थी. रमा थी वो कड़ी. रमा मंगू से भी चुद रही थी , प्रकाश जिस औरत को चोद रहा था वो रमा थी. रमा दोनों को चुतिया बना रही थी एक साथ. अंजू भी मेरी तरह उसी समय जंगल में थी , उसने भी चुदाई देखि होगी बस उसने अपनी कहानी में रमा की जगह खुद को रख कर मेरे सामने पेश कर दिया था .



एक महत्वपूर्ण सवाल प्रकाश ने चुदाई करते हुए कहा था की मैं तुझे गाड़ी से तेरे घर छोड़ आऊंगा. मतलब रमा के पुराने घर इसलिए ही गाडी गाँव की तरफ गयी थी . मंगू को मालूम होगा की रमा रात को उसके पुराने घर पर मिलेगी, रात को वाही गया होगा वो उसे चोदने के लिए. और ये मुमकिन भी था क्योंकि जब जब रमा यहाँ इनके साथ रही होगी तभी मैं उस से मिलने मलिकपुर गया जहाँ पर ताला था .



क़त्ल वाली रात प्रकाश रमा से ही मिलने आया होगा, या फिर उसका ही इन्तजार कर रहा होगा. कडिया जुड़ रही थी सिवाय एक के की, क्या अंजू सच में प्रकाश से प्यार करती थी , अगर नहीं करती थी तो उसने क्यों कहा मुझसे की वो चाहती है प्रकाश को और वो चुडिया , चुदाई के बीच खनकती चुडिया. चूँकि मैंने प्रकाश के घर काफी ऐसा सामान देखा था तो मान लिया की ये शौक रखता हो वो औरत को सजा-धजा के चोदने का.



“कुंवर , चाय ” सरला की आवाज ने मुझे धरातल पर ला पटका.

मैं- भाभी एक बात बता, जब चाचा तेरी लेता था तो क्या वो फरमाइश करता था की तू सज-धज कर चुदे , क्या वो तुझसे तस्वीरों वाली हरकते करता था .

सरला-हाँ, छोटे ठाकुर को साफ़ सुथरी औरते पसंद थी . बगलों में और निचे एक भी बाल नहीं रखने देते थे वो. तरह तरह की पोशाके लाते वो , किताबो को देख कर वही सब करवाते थे , शुरू में तो अजीब लगता था फिर बाद में अच्छा लगने लगा.

मैं- क्या उन्होंने तुमको अपने किसी दोस्त से भी चुदवाया

सरला- क्या बात कर रहे हो कुंवर, छोटे ठाकुर हम पर हक़ समझते थे अपना वो ऐसा कैसे करते.

मैं- क्या मंगू ने तुझे पटाने की कोशिश की .

सरला- कभी कभी देखता तो है वो पर ऐसा नहीं लगता मुझे.

मैं- तो एक काम कर मंगू को अपनी चूत के जाल में फंसा ले.

सरला- कुंवर, क्या कह रहे हो तुम

मै- जो तू सुन रही है , समझ मेरी बात मैं ये नहीं कह रहा की तू चुद जा उस से, तू बस उसे अहसास करवा की तू चाहती है उसे, कुछ बाते है जो तू तेरे हुस्न के जरिये उगलवा ले उससे.

सरला- अपने ही दोस्त की जासूसी करवा रहे हो

मैं- तू भी तो मेरी ही है न , तूने वादा किया है मेरी मदद करने का

सरला- वादा निभाऊंगी

मैं- तो कर दे ये काम

सरला- एक बात और बतानी भूल ही गयी थी . रमा ने मंगू को आज रात उसके पुराने घर पर बुलाया है .

मैं- ठीक है हम भी वहीँ चलेंगे. तू मुझे वही पर मिलना.

सरला- मैं ,,,,,,,

मैं- आ जाना, कुछ भी करके. तेरे घर पर मालूम तो है ही की तुम हमारे यहाँ काम करती है , बहाना कर लेना की चाची के पास रुकना है .

सरला- आ जाउंगी पर क्या करने वाले हो तुम

मैं- समझ जायेगी.

बाते करते हुए हम दोनों गाँव की तरफ चल दिए. मैंने सरला को उसके घर छोड़ा और चौपाल के चबूतरे पर बैठ कर सोचने लगा की रमा क्या खेल खेलना चाहती थी, अगर उसके प्रकाश से अवैध सम्बन्ध थे तो उसने क्यों मुझे प्रकाश की ऐसी छवि दिखाई क्यों मुझे उसके घर ले गए. कितना आसान था रमा का मुझे उसके घर ले जाना, उसने मुझे वही दिखाया जो वो दिखाना चाहती थी , क्या उसकी कहानी झूठी थी. क्या था उसके मन में वो ही बताने वाली थी अब तो.



मंगू मेरा सबसे करीबी था उसे चूत के जाल में कविता ने फंसाया और अब रमा ने पर किसलिए. मंगू से क्या जानकारी चाहती थी वो . और अगर प्रकाश भी इनके साथ शामिल था तो क्या साजिश हो रही थी . एक बात और मैं जान गया था की उस रात कविता प्रकाश से गांड मरवाने ही गयी थी जंगल में .



आज की रात बड़ी महत्वपूर्ण होने वाली थी . घर पर भैया और पिताजी अभी तक नहीं लौटे थे. भाभी से मैं कुछ जरुरी बात करना चाहता था पर वो चंपा और चाची के साथ बैठी थी तो मैंने फिर कभी करने का सोचा और जब सब सो गए तो मैं रमा के पुराने घर की तरफ निकल गया. सरला मुझे पेड़ो के झुरमुट के पास ही मिल गयी .हम दोनों रमा के पुराने घर पर पहुंचे . घर के नए दरवाजे बंद थे पर खिड़की का एक पल्ला खुला था हमने जब अन्दर झाँका तो.................................
ये तस्वीर यहां अंजू के घर में होना मतलब भैया यहां पर आते रहते हैं अब उनका अंजू से कैसा रिश्ता है ये तो पता नही है पवित्र है या बस कहने का एक मात्र बिना सबूत के कुछ भी नही कह सकते
मंगू भी नए नए शिकार खोजता रहता है पहले कविता अब रमा पता नही यह भी कितना बड़ा खिलाड़ी हैं यहा सब खिलाड़ी हैं शिवाय कबीर के
अब देखते हैं खिड़की के अंदर क्या हो रहा है
 

Studxyz

Well-Known Member
2,925
16,209
158
कहानी के अंदर इतनी कहानियाँ है की कहानी इक डाली से दूसरी डाली पर फुदकती फिर रही है अब ये नया काण्ड अंजू-सूरजभान का सामने आ गया लेकिन घर में ना तो राय साहब थे ना ही भाई ये चोदूओं के ना जाने और कोण कोण से चुदाई के अड्डे हैं | चाची भी बिलकुल अनजान बनी बैठी है या नाटक है सब ?

वैसे आज भाभी का नज़रिया कबीर की तरफ अजीब सा रहा गर्म सांसे छोड़ती हुई निशा-कबीर के बातें कर रही थी

आज का अपडेट कुछ ज़्यादा ही छोटा रहा
 
Last edited:

brego4

Well-Known Member
2,850
11,041
158
bhai jab raat ko ghar se bahar gya to ye koi ordinary baat to nahi to kya nandini ne use se poocha nahi ki kahan ja rahe hoo ya fir nandini bhi aur ke jese bahut kuch chupa rhi hai aur kabir ko selected leaks kar rahi hai. abhimanu ka rol bhi highly suspicious hai

Anju ki life bhi badi mystery hai sath mein ruda n surraj bhan ki raaz khulna baki hai

Rama aur mangu to gayab hi ho gaye hain aur kabir chachi se maze lootne me busy hai agar is se half mehnat champa par ki hoti to wo shayad ray sahab n mangu se exploit naa hoti
 

Rajdeepchatha

Active Member
1,036
3,177
143
#97

भाभी- कितना चाहते हो उसे.

मैं- जितना तुम भैया को.

भाभी ने मेरे हाथ को अपने हाथ में लिया और बोली- निभा पाओगे उस से. उम्र के जिस दौर से तुम गुजर रहे हो कल को तुम्हारा मन बदल गया तो. मोहब्बत करना अलग बात है कबीर और मोहब्बत को निभाना अलग. तुम जिसे मंजिल समझ रहे हो वो ऐसा रास्ता है जिस पर जिन्दगी भर बस चलते ही रहना होगा. कभी सोचा है की किया होगा जब तुम्हारे भैया को मालूम होगा, जब राय साहब को मालूम होगा.

मैं- भैया को मैं मना लूँगा, और राय साहब को मैं कुछ समझता नहीं

भाभी- अच्छा जी , इतने तेवर बढ़ गए है , डाकन का ऐसा रंग चढ़ा है क्या.

मैं- जो है अब वो ही है .

भाभी- पुजारी से पूछा था मैंने कहता है कोई योग नहीं

मैं- उसके हाथो की लकीरों में मेरा नाम लिखा है , और कितना योग चाहिए पुजारी को .

भाभी- पर मेरा दिल नहीं मानता

मैं- दिल को मना लेंगे भाभी ,

“दिल ही तो नहीं मानता देवर जी ” भाभी ने अपनी गर्म सांसे मेरे गालो पर छोड़ते हुए कहा

मैं- भूख लगी है , कुछ दे दो खाने को .

भाभी- भैया को बुला लाओ मैं परोसती हूँ.

भाभी रसोई की तरफ बढ़ गयी मैं ऊपर चल दिया भैया के कमरे की तरफ. देखा भैया कुर्सी पर बैठे थे.

मैं- खाना नहीं खाना क्या

भैया- आ बैठ मेरे पास जरा

मैं वही कालीन पर बैठ गया .

मैं- क्या आप को मालूम है की सुनैना अंजू के लिए कितना सोना छोड़ कर गयी है .

भैया- क्या तू जानता है की मेरा छोटा भाई, जिसके कदमो में मैं दुनिया को रख दू, वो खेतो पर पसीना क्यों बहाता है .

मैं- क्योंकि मेरे पसीने की रोटी खा कर मुझे सकून मिलता है . मेरी मेहनत मुझे अहसास करवाती है की मैं एक आम आदमी हूँ , ये पसीना मुझे बताता है की मेरे पास वो है जो दुनिया में बहुत लोगो के पास नहीं है .

भैया- अंजू समझती है की वो सोना उसका नहीं है , वो जानती है की वो सोना अंजू को कभी नहीं फलेगा.

मैं-तो उस सोने की क्या नियति है फिर.

भैया- माटी है वो समझदारो के लिए और माटी का मोल मेरे भाई से ज्यादा कौन जाने है

मैं- दो बाते कहते हो भैया

भैया- सुन छोटे, कल से तू ज्यादा समय घर पर ही देना, ब्याह में कोई कसर नहीं रहनी चाहिए .बरसों बाद हम कोई कारण कर रहे है .

मैं- जो आप कहे, पर मैं कुछ कहना चाहता हूँ

भैया- हा,

मैं- ब्याह की रात पूनम की रात है

मैंने जान कर के बात अधूरी छोड़ दी.

भैया - तू उसकी चिंता मत कर , तेरा भाई अभी है . चल खाना खाते है भूख बहुत लगी है .

हम दोनों निचे आ गए. खाना खाते समय मैंने महसूस किया की भैया के मन में द्वंद है , शायद वो मेरी बात की वजह से थोड़े परेशान हो गए थे. मैं भी समझता था इस बात को . उस रात परेशानी होनी ही थी मुझको . पर मैंने सोच लिया था की मैं दिन भर रहूँगा और रात को खेतो पर चला जाऊंगा, यही एकमात्र उपाय था मेरे पास.

खाना खाने के बाद मैं चाची के पास आ गया . मैंने बिस्तर लगाया और रजाई में घुस गया . थोड़ी देर बाद चाची भी आ गयी . और मेरे सीने पर सर रख कर लेट गयी .

चाची - क्या सोच रहा है कबीर

मैं- राय साहब के कमरे में कोई औरत आती है रात को उसी के बारे में की कौन हो सकती है

चाची- शर्म कर , क्या बोल रहा है तू अपने पिता के बारे में

मैं - पिता है तो क्या उसे चूत की जरूरत नहीं

चाची- कुछ भी बोलेगा तू

मैं- मैंने देखा है पिताजी को उस औरत को चोदते हुए

चाची- बता फिर कौन है वो

मैं- चेहरा नहीं देख पाया.

मैंने झूठ बोला.

चाची- घर में इतना कुछ हो रहा है और मुझे मालूम नहीं

मैं- पता नहीं तेरा ध्यान किधर रहता है.

मैंने चाची का हाथ पकड़ा और निचे ले जाकर अपने लंड पर रख दिया.चाची ने मेरे पायजामे में हाथ डाल दिया और अपने खिलोने से खेलने लगी. मैंने चाची के चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके होंठ चूसने लगा. आज की रात चाची की ही लेने वाला था मैं पर नसीब देखिये, बाहर से दरवाजा पीटा जाने लगा ये भाभी थी जो रंग में भंग डालने आ पहुंची थी .

हम अलग हुए और चाची ने दरवाजा खोला भाभी अन्दर आई और बोली- चाची , अभिमानु कही बाहर गए है मैं आपके पास ही सोने वाली हूँ. मैंने मन ही मन भाभी को कुछ कुछ कहा .मैं बिस्तर से उठा और बाहर जाने लगा.

भाभी- तुम कहाँ चले

मैं- कुवे पर ही सो जाऊंगा. वैसे भी अब इधर नींद कम ही आती है मुझे.

मैंने कम्बल ओढा और बाहर निकल गया चूत से ज्यादा मैं ये जानना चाहता था की भैया रात में कहा गए. मैंने एक नजर बाप के कमरे पर डाली जिसमे अँधेरा छाया हुआ था , सवाल ये भी था की बाप चुतिया कहा रहता था रातो को .

सोचते सोचते मैं पैदल ही खेतो की तरफ जा रहा था . पैर कुवे की तरफ मुड गए थे पर थोडा आगे जाकर मैंने रास्ता बदल दिया मैंने खंडहर पर जाने का सोचा. हवा की वजह से ठण्ड और तेज लगने लगी थी . मैंने कम्बल कस कर ओढा और आगे बढ़ा. थोडा और आगे जंगल में घुसने पर मुझे कुछ आवाजे आई. आवाज एक औरत और आदमी की थी . इस जंगल में इतना कुछ देख लिया था की अब ये सब हैरान नहीं करता था.

झाड़ियो की ओट लिए मैं उस तरफ और बढ़ा. आवाजे अब मैं आराम से सुन पा रहा था .

“मुझे जो चाहिए मैं लेकर ही मानूंगा, तुम लाख कोशिश कर लो रोक नहीं पाओगी मुझे ”

“मुझे रोकने की जरुरत नहीं तुमको, तुम्हारे कर्म ही तुमको रोकेंगे. ” औरत ने कहा

इस आवाज को मैंने तुरंत पहचान लिया ये अंजू थी पर दूसरा कौन था ये समझ नहीं आया फिर भी मैंने कान लगाये रखे.

“तुम कर्मो की बात करती हो , हमारे खानदान की होकर भी तुमने एक नौकर का बिस्तर गर्म किया , घिन्न आती है तुम पर मुझे ”

“जुबान संभाल कर सूरज , ” अंजू ने कहा.

तो दूसरी तरफ सूरजभान था जो अपनी बहन से लड़ रहा था .

सूरजभान- शुक्र करो काबू रखा है खुद पर वर्ना न जाने क्या कर बैठता

अंजू- क्या करेगा तू मारेगा मुझे, है हिम्मत तुजमे तू मारेगा मुझे. आ न फिर किसने रोका है तुझे .

सूरज- मारना होता तो कब का मार देता पर तुम्हारे गंदे खून से मैं अपने हाथ क्यों ख़राब करू.

अंजू- मेरा सब्र टूट रहा है सूरज. मुझे मजबूर मत कर की मैं भूल जाऊ की तू मेरा भाई है .

सूरज- तुम हमारी बहन नहीं हो. कभी नहीं थी तुम हमारी, तुम बस हमारे बाप की वो गलती हो जिसे हम छिपा नहीं सकते.

तड़क थप्पड़ की आवाज ने बता दिया था की सूरजभान का गाल लाल हो गया होगा.

अंजू- तेरी तमाम गुस्ताखियों को आज तक मैंने माफ़ किया, पर आज इसी पल से तेरा मेरा रिश्ता ख़तम करती हूँ मैं. और मेरा वादा है तुझसे, अगर मेरा शक सही हुआ तो तेरी जिन्दगी के थोड़े ही दिन बाकी रह गए है. दुआ करना की तू शामिल ना हो मेरे दर्द में .


कुछ देर ख़ामोशी छाई रही और फिर मैंने गाड़ी चालू होते देखि . मैं तुरंत झाड़ियो में अन्दर को हो गया की कही रौशनी में मुझे न देख लिया जाए. कुछ देर मैं खामोश खड़ा सोचता रहा की अंजू के सामने जाऊ या नहीं .
Amazing update
 
Top