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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#95

भाभी- क्योंकि अंजू इस दुनिया की सबसे खुशनसीब बहन है , उसके सर पर अभिमानु ठाकुर का हाथ है. अभिमानु ठाकुर वो नाम है जिसने इस घर को थाम कर रखा है . अंजू की ढाल है तुम्हारे भैया.

भाभी की बात ने हम दोनों के बीच एक गहरी ख़ामोशी पैदा कर दी. ऐसी ख़ामोशी जो चीख रही थी .

मैं- तो फिर भैया क्यों नहीं बताते मुझे अतीत के बारे में क्यों ढो रहे है अपने मन के बोझ को वो अकेले.

भाभी- क्योकि वो बड़े है , बड़ा भाई छोटो के लिए बाप समान होता है , जो काम बाप नहीं कर पाया वो अभिमानु कर रहे है . तुम्हे चाहे लाख शिकायते होंगी उनसे पर उन्होंने सबकी गलतिया माफ़ की है , तुमने उन्हें बस बड़े भाई के रूप में देखा है मैंने उन्हें एक साथी के रूप में जाना है वो साथी जो तनहा है , वो साथी जो हर रोज टूटता है और अगले दिन फिर इस परिवार के लिए उठ खड़ा होता है . क्या लगता है की उनको अपने बाप की हरकते मालूम नहीं है पर इस घर को घर बनाये रखने के लिए वो घुट गए अपने ही अन्दर. तुमको क्या लगता है की ये विद्रोही तेवर तुम्हारे अन्दर ही उबाल मार रहे है , अभिमानु ने बरसो पहले अपने इस उबाल को ठंडा कर दिया. तुम अक्सर पूछते हो न की तुम्हारे भैया की कोई इच्छा क्यों नहीं , क्यों उन्होंने अपनी तमाम इच्छाओ को छोड़ दिया. इस घर के लिए, रिश्तो की जिस डोर को तुम बेताब हो तोड़ने के लिए. उस डोर को अभिमानु ने अपने खून से सींचा है.



मैंने भाभी से फिर कुछ नहीं कहा रसोई से बाहर निकल गया. भाभी ने मेरे दिल पर ऐसा पत्थर रख दिया था जिसके बोझ से मैं धरती में धंसने लगा था . कम्बल ओढ़े मैं गहरी सोच में डूब गया था आखिर ऐसी क्या वजह थी की अंजू को अपनाया था अभिमानु भैया ने.

“कबीर चाय ” चंपा की आवाज ने मेरा ध्यान वापिस लाया.

उसने जैसे ही कप पास में रखा मैंने खींच कर एक थप्पड़ जड दिया उसके गाल पर. एक और फिर एक और .

“ऐसी क्या वजह थी जो राय साहब से गांड मरवानी पड़ी तुझे. ऐसा क्या चाहिए था तुझे , मैं था न यहाँ पर मुझसे एक बार कहा तो होता तूने. आज सारे जहाँ में रुसवा खड़ा हूँ मैं पर मुझे परवाह नहीं पर तू , मेरे बचपन की साथी तू , तूने छला मुझे . खुद से ज्यादा तुझ पर नाज था मुझे और तू ..... क्यों किया तूने ऐसा ” मेरे अन्दर का गुस्सा आज चंपा पर फट ही पड़ा.

चंपा- मैं बस इस घर के अहसानों की कीमत चुका रही थी . जो अहसान इस घर ने मुझे पालने के लिए किये उनकी छोटी सी कीमत है ये. जिस राय साहब की वजह से मैं आज मेरा परिवार सुख में है उस सुख की थोड़ी कीमत मैंने चुका दी तो क्या हुआ .



मैंने एक थप्पड़ और मारा उसके गाल पर .

मैं- किस अहसान की बात करती है तू . ये घर तुझ पर अहसान करेगा. तूने कही कैसे ये बात. इस घर की नौकरानी नहीं है तू, न कभी थी . तू इस घर में इसलिए नहीं है की तेरे माँ-बाप हमारे यहाँ काम करते है तू इस घर में है क्योंकि तू मेरी दोस्त है . जितना ये घर मेरा है उतना ही तेरा. और अपने ही घर में कैसा अहसान , इस घर की बेटी रही तू सदा. मेरे बाप ने तुझे कहा और तू मान गयी, मैं मर थोड़ी न गया था , तू क्यों नहीं आई मेरे पास .मुझ पर भरोसा तो किया होता पर तूने इतना हक़ दिया ही नहीं .



चंपा ने एक गहरी साँस ली और बोली- जितना था मैंने तुझे बता दिया .जीवन में कभी कभी कुछ समझौते करने पड़ते है तू आज नहीं समझेगा मेरी बात पर समझ जायेगा.

मैं- ये बहाने कमजोर है तू अगर न चाहती तो राय साहब की क्या मजाल थी जो तुझे हाथ भी लगा देते मैं देखता

चंपा-इसलिए ही तो नहीं कह पाई तुझसे. मेरी वजह से बाप-बेटे में तकरार होती ,मैं जानती हूँ तेरे गुस्से को इसलिए चुप रही .

मैं- फिर भी क्या तू छिपा पाई मुझसे. और मंगू इस बहनचोद ने अपनी ही बहन पर हाथ साफ़ कर दिया. साले दोस्ती के नाम पर तुम कलंक मिले हो मुझ को . दिल तो करता है तुम दोनों का वो हाल करू की याद रखो तुम सारी उम्र.

चंपा- मंगू को देनी पड़ी राय साहब की वजह से , राय साहब ने मुझसे खुद कहा था की मंगू से भी कर ले. और वो नीच , उसने एक पल भी न सोचा की कैसे चढ़ रहा है अपनी बहन पर . जब वो गिर गया तो मैं तो पहले से ही गिरी हुई थी . तू भी कर ले अपने मन की, तेरी नाराजगी भी मंजूर मुझे. कबीर मेरा दिल जानता है उस दिल में तेरे लिए कितनी जगह है.

मैं- दूर हो जा मेरी नजरो से . कबीर मर गया तेरे लिए आज इसी पल से.

शाम को मैं मलिकपुर गया रमा से मिलने के लिए पर एक बार फिर ताला लगा था उसकी दुकान और कमरे पर . हरामजादी न जाने कहाँ गायब थी. मैंने सोच लिया था की रमा की खाल उतार कर ही अपने सवालो के जवाब मांगूंगा अब तो. मलिकपुर से लौटते समय मेरे दिमाग में वो बात आई जो इस टेंशन में भूल सी गयी थी .

रात होते होते मैं सुनैना की समाधी पर था. अंजू ने कहा था की उसने सोने को अंतिम बार यही पर देखा था . मैंने समाधी पर अपना शीश नवा कर माफ़ी मांगी और समाधी को तोड़ दिया. खोदने लगा निचे और करीब ६-7 फीट खुदाई के बाद मेरी आँखों के सामने जो आया. मैं वही पर बैठ गया अपना सर पकड़ कर. इस चक्रव्यू ने निचोड़ ही लिया था मुझे................ मेरे सामने, मेरे सामने...............................

 

Suraj13796

💫THE_BRAHMIN_BULL💫
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Thankyou for update
Kab se wait kr raha tha

भाई झूठ नहीं बोलूंगा पर चंपा का किरदार इस कहानी में सबसे ज्यादा iriteting है, जब जब उसका conversation आता है मन करता है skip कर दू इस पार्ट को

मुझे ये भी मालूम है की अंत में इस कहानी में कुछ अच्छा सा बहाना बना कर उसे सती सावित्री दिखा दिया जाएगा but जो है सो है

पता नही उसका किरदार ऐसे क्यों बनाया गया है की नाम पढ़ कर भी घिन आती है

अभिमानु को अगर सब मालूम है और वो इतना ही अच्छा है तो उसके रहते राय साहब इतना कुछ कैसे कर ले रहे है

पहले भी कहा था कि अक्सर ज्यादा मीठी चीज मधुमेह का कारण बनती है अभिमानु का किरदार ना वैसा ही मीठा है
even nandni has more balls than him, at least she has guts

वैसे निशा के बारे में अभिमानु जरूर जानता होगा, यदि अभिमानु निशा से शादी के लिए मना कर दे तो कबीर कैसे react करेगा


फौजी भाई ने बोला की मेरे 2 प्रश्न का उत्तर उन्होंने दे दिया है की अंजू क्या चाहती है और निशा जब कबीर के पास और काली मंदिर में नही रहती तब कहा जाती है, पर मुझे नहीं समझ में आया
अब फौजी भाई तो सीधा सीधा answer देने से रहे तो अगर कोई दोस्त इसका सीधा सीधा सरल शब्दों में answer पता हो comment में बताना मैं जरूर पढूंगा🙏


समाधि के नीचे से चाचा से जुड़ी कोई चीज मिली होगी या फिर निशा से जुड़ी कोई चीज

क्योंकि सोना देख कर कबीर ऐसा reaction बिल्कुल भी देगा

एक अपडेट और दे दो फौजी भाई
 
Last edited:

Avinashraj

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#94

अन्दर के नज़ारे को देख कर मेरे साथ साथ सरला की भी आँखे फटी की फटी रह गयी.

“अयाशी खून में दौड़ती है ” मेरे कानो में नंदिनी भाभी की आवाज गूँज रही थी .

“ये तो .............. ” मैंने सरला के मुह पर हाथ रखा और उसे चुप रहने को कहा. जरा सी आवाज भी काम बिगाड़ सकती थी. अन्दर कमरे में बिस्तर पर रमा नंगी होकर राय साहब की गोद में बैठी थी , रमा के गले में सोने की चेन, कमर पर तगड़ी और हाथो में चुडिया थी,एक विधवा को सजा कर अपनी ख्वाहिश पूरी करने वाले थे राय साहब. बाप का ये रूप देख कर मियन समझ गया था की भाभी ने सच कहा था चंपा को भी चोदता है ये.



मैं और सरला आँखे फाड़े राय साहब और रमा की चुदाई देख रहे थे, तभी मेरी नजर मंगू पर पड़ी जो वही एक कोने में बैठा था . खुद चुदाई करना और किसी दुसरे को चुदाई करते हुए देखना अपने आप में अलग सी फीलिंग थी . पर मैं खिड़की से हटा नहीं , बेशर्मो की तरफ अपने बाप की रासलीला देखता रहा .

जब राय साहब का मन भर गया तो वो बिस्तर से उठे और रमा के हाथ में नोटों की गड्डी देकर वहां से चले गए. उनके जाते ही मंगू ने अपनी धोती खोली और रमा पर चढ़ गया . रमा ने जरा भी प्रतिकार नहीं किया मंगू का और मैं खिड़की से हट गया. ऊपर दिमाग में दर्द हो गया था निचे लंड में ,

आखिरकार सरला ने चुप्पी को तोडा.

सरला- कुंवर, ये तो मामला ही उल्टा हो गया .

मैं- तूने जो भी देखा ये बात बाहर नहीं जानी चाहिए.

सरला- भरोसा रखिये.

मैं- मंगू पिताजी के लिए काम कर रहा है , उसे तोडना जरुरी होगा .

सरला- मैं पूरी कोशिश करुँगी उस से बाते निकलवाने की

मैं- रमा को प्रकाश भी चोद रहा था पिताजी भी . कुछ तो गहराई की बात है .

मेरे दिमाग में अचानक से ही बहुत सवाल उभर आये थे पर सरला के सामने जाहिर नहीं करना चाहता था. पेड़ो के झुरमुट के पास बैठे हम दोनों अपने अपने दिमाग में सवालो का ताना बुन रहे थे .

मैं- तुझे घर छोड़ आता हूँ

सरला- घर कैसे जाउंगी, घर पर तो कह आई न की छोटी ठकुराइन के पास रुकुंगी आज.

मैं- कुवे पर चलते है फिर.

वहां पहुँचने के बाद , हम दोनों बिस्तर में घुस गए. बेशक मैं नहीं करना चाहता था पर ठण्ड की रात में सरला जैसी गदराई औरत मेरी रजाई में थी जो खुद भी चुदना चाहती थी . सरला ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा और उसे सहलाने लगी.

मैं- सो जा न

सरला- अब मौका मिला है तो कर लो न कुंवर.

मुझे चाचा पर गुस्सा आता था की भोसड़ी वाले ने इन औरतो में इतनी हवस भर दी थी की क्या ही कहे. खैर नजाकत तो ये ही थी . मैंने सरला के होंठ चूमने शुरू किये तो वो भी गीली होने लगी. जल्दी ही हम दोनों नंगे थे और मेरा लंड सरला के मुह में था . थूक से सनी जीभ को जब वो मेरे सुपाडे पर रगडती तो मैं ठण्ड को आने जिस्म में घुसने से रोक ही नहीं पाया.

उसके सर को अपने लंड पर दबाते हुए मैं पूरी तल्लीनता से इस अजीब सुख का आनंद उठा रहा था . सरला की ये बात मुझे बेहद पसंद थी की वो जब चुदती थी तो हद टूट कर चुदती थी .मेरे ऊपर चढ़ कर जब वो अपनी गांड को हिलाते हुए ऊपर निचे हो रही थी . मेरे सीने पर फिरते उसके हाथ उफ्फ्फ क्या गर्म अहसास दे रहे थे. सरला की आँखों की खुमारी बता रही थी की वो भी रमा और राय शाब की चुदाई देख कर पागल हो गयी थी.

उस रात मैंने और सरला ने दो बार एक दुसरे के जिस्मो की प्यास बुझाई. पर मेरे मन में एक सवाल घर जरुर कर गया था की अगर रमा को राय सहाब चोदते थे तो फिर जरुर वो कबिता और सरला को भी पेलते होंगे.

मैं- क्या राय साहब ने तुझे भी चोदा है भाभी

सरला- नहीं . मुझे तो आज ही मालूम हुआ की राय सहाब भी ऐसे शौक करते है .

राय साहब सीधा ही चले गए थे रमा को चोद कर कुछ बातचीत करते उस से तो शायद कुछ सुन लेता मैं.

मै- कल से तू पूरा ध्यान मंगू पर रख भाभी, उस से कैसे भी करके रमा और राय साहब के बीच ये सम्बन्ध कैसे बने उगलवा ले.

सरला- तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी कुंवर.

मैं- कहीं राय साहब और चाचा के बीच झगडा इस बात को लेकर तो नहीं था की चाचा को मालूम हो गया हो की उनकी प्रेमिकाओ का भोग पिताजी भी लगाना चाहते थे .

सरला- नहीं ये नहीं हो सकता , चूत के लिए दोनों भाई क्यों लड़ेंगे, और राय साहब का ये रूप सिर्फ मैंने और तुमने देखा है , ये मत भूलो की गाँव में और इलाके में राय साहब को कैसे पूजते है लोग. उनके दर से कोई खाली हाथ नहीं जाता. सबके सुख दुःख में शामिल होने वाले राय साहब की छवि बहुत महान है .

मैं- पर असली छवि तेरे सामने थी

सरला- अगर मैंने देखा नहीं होता तो मैं मानती ही नहीं इस बात को.

एक बात तो माननी थी की चाचा ने इन तीन औरतो को कुछ सोच कर ही पसंद किया होगा तीनो हद खूबसूरत थी, जिस्मो की संरचना ऐसी की चोदने वाले को पागल ही कर दे. कविता, रमा और सरला हुस्न का ऐसा नशा को चढ़े जो उतरे ना.

खैर, सुबह समय से ही हम लोग गाँव पहुँच गए. घर पर आने के बाद मैंने हाथ मुह धोये और देखा की भाभी रसोई में थी मैं वहीं पर पहुँच गया .

मैं- जरुरी बात करनी है

भाभी- हाँ

मैं- आपने सही कहा था पिताजी और चंपा के बारे में

भाभी- मुझे गलत बता कर मिलता भी क्या

मैं-समय आ गया है की अब आप बिना किसी लाग लपेट के इस घर का काला सच मुझे बताये.

भाभी- बताया तो सही की राय साहब और चंपा का रिश्ता अनितिक है

मैं- सिर्फ ये नहीं और भी बहुत कुछ बताना है आपको

भाभी- और क्या

मैं- मेरे शब्दों के लिए माफ़ी चाहूँगा भाभी , पर ये मुह से निकल कर ही रहेंगे.

भाभी देखने लगी मुझे.

मैं- जंगल में मैंने प्रकाश को एक औरत के साथ चुदाई करते हुए देखा. फिर अंजू मुझे मिली अपने कुवे वाले कमरे पर , अंजू ने कहा की वो ही थी परकाश के साथ , पर सच में उस रात रमा थी प्रकाश के साथ ,

चुदाई सुन कर भाभी के गाल लाल हो गए थे. मैंने उनको तमाम बात बताई की कैसे पिताजी कल रात रमा को चोद रहे थे फिर मंगू ने चोदा उसे.

मेरी बात सुनकर भाभी गहरी सोच में डूब गयी .

मैं - कुछ तो बोलो सरकार,

भाभी- सारी बाते एक तरफ पर अंजू और राय साहब के भी अनैतिक सम्बन्ध होंगे ये नहीं मान सकती मैं .

मैं- क्यों भाभी,

भाभी- क्योंकि................................
Nyc update bhai
 

Avinashraj

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भाभी- क्योंकि अंजू इस दुनिया की सबसे खुशनसीब बहन है , उसके सर पर अभिमानु ठाकुर का हाथ है. अभिमानु ठाकुर वो नाम है जिसने इस घर को थाम कर रखा है . अंजू की ढाल है तुम्हारे भैया.

भाभी की बात ने हम दोनों के बीच एक गहरी ख़ामोशी पैदा कर दी. ऐसी ख़ामोशी जो चीख रही थी .

मैं- तो फिर भैया क्यों नहीं बताते मुझे अतीत के बारे में क्यों ढो रहे है अपने मन के बोझ को वो अकेले.

भाभी- क्योकि वो बड़े है , बड़ा भाई छोटो के लिए बाप समान होता है , जो काम बाप नहीं कर पाया वो अभिमानु कर रहे है . तुम्हे चाहे लाख शिकायते होंगी उनसे पर उन्होंने सबकी गलतिया माफ़ की है , तुमने उन्हें बस बड़े भाई के रूप में देखा है मैंने उन्हें एक साथी के रूप में जाना है वो साथी जो तनहा है , वो साथी जो हर रोज टूटता है और अगले दिन फिर इस परिवार के लिए उठ खड़ा होता है . क्या लगता है की उनको अपने बाप की हरकते मालूम नहीं है पर इस घर को घर बनाये रखने के लिए वो घुट गए अपने ही अन्दर. तुमको क्या लगता है की ये विद्रोही तेवर तुम्हारे अन्दर ही उबाल मार रहे है , अभिमानु ने बरसो पहले अपने इस उबाल को ठंडा कर दिया. तुम अक्सर पूछते हो न की तुम्हारे भैया की कोई इच्छा क्यों नहीं , क्यों उन्होंने अपनी तमाम इच्छाओ को छोड़ दिया. इस घर के लिए, रिश्तो की जिस डोर को तुम बेताब हो तोड़ने के लिए. उस डोर को अभिमानु ने अपने खून से सींचा है.



मैंने भाभी से फिर कुछ नहीं कहा रसोई से बाहर निकल गया. भाभी ने मेरे दिल पर ऐसा पत्थर रख दिया था जिसके बोझ से मैं धरती में धंसने लगा था . कम्बल ओढ़े मैं गहरी सोच में डूब गया था आखिर ऐसी क्या वजह थी की अंजू को अपनाया था अभिमानु भैया ने.

“कबीर चाय ” चंपा की आवाज ने मेरा ध्यान वापिस लाया.

उसने जैसे ही कप पास में रखा मैंने खींच कर एक थप्पड़ जड दिया उसके गाल पर. एक और फिर एक और .

“ऐसी क्या वजह थी जो राय साहब से गांड मरवानी पड़ी तुझे. ऐसा क्या चाहिए था तुझे , मैं था न यहाँ पर मुझसे एक बार कहा तो होता तूने. आज सारे जहाँ में रुसवा खड़ा हूँ मैं पर मुझे परवाह नहीं पर तू , मेरे बचपन की साथी तू , तूने छला मुझे . खुद से ज्यादा तुझ पर नाज था मुझे और तू ..... क्यों किया तूने ऐसा ” मेरे अन्दर का गुस्सा आज चंपा पर फट ही पड़ा.

चंपा- मैं बस इस घर के अहसानों की कीमत चुका रही थी . जो अहसान इस घर ने मुझे पालने के लिए किये उनकी छोटी सी कीमत है ये. जिस राय साहब की वजह से मैं आज मेरा परिवार सुख में है उस सुख की थोड़ी कीमत मैंने चुका दी तो क्या हुआ .



मैंने एक थप्पड़ और मारा उसके गाल पर .

मैं- किस अहसान की बात करती है तू . ये घर तुझ पर अहसान करेगा. तूने कही कैसे ये बात. इस घर की नौकरानी नहीं है तू, न कभी थी . तू इस घर में इसलिए नहीं है की तेरे माँ-बाप हमारे यहाँ काम करते है तू इस घर में है क्योंकि तू मेरी दोस्त है . जितना ये घर मेरा है उतना ही तेरा. और अपने ही घर में कैसा अहसान , इस घर की बेटी रही तू सदा. मेरे बाप ने तुझे कहा और तू मान गयी, मैं मर थोड़ी न गया था , तू क्यों नहीं आई मेरे पास .मुझ पर भरोसा तो किया होता पर तूने इतना हक़ दिया ही नहीं .



चंपा ने एक गहरी साँस ली और बोली- जितना था मैंने तुझे बता दिया .जीवन में कभी कभी कुछ समझौते करने पड़ते है तू आज नहीं समझेगा मेरी बात पर समझ जायेगा.

मैं- ये बहाने कमजोर है तू अगर न चाहती तो राय साहब की क्या मजाल थी जो तुझे हाथ भी लगा देते मैं देखता

चंपा-इसलिए ही तो नहीं कह पाई तुझसे. मेरी वजह से बाप-बेटे में तकरार होती ,मैं जानती हूँ तेरे गुस्से को इसलिए चुप रही .

मैं- फिर भी क्या तू छिपा पाई मुझसे. और मंगू इस बहनचोद ने अपनी ही बहन पर हाथ साफ़ कर दिया. साले दोस्ती के नाम पर तुम कलंक मिले हो मुझ को . दिल तो करता है तुम दोनों का वो हाल करू की याद रखो तुम सारी उम्र.

चंपा- मंगू को देनी पड़ी राय साहब की वजह से , राय साहब ने मुझसे खुद कहा था की मंगू से भी कर ले. और वो नीच , उसने एक पल भी न सोचा की कैसे चढ़ रहा है अपनी बहन पर . जब वो गिर गया तो मैं तो पहले से ही गिरी हुई थी . तू भी कर ले अपने मन की, तेरी नाराजगी भी मंजूर मुझे. कबीर मेरा दिल जानता है उस दिल में तेरे लिए कितनी जगह है.

मैं- दूर हो जा मेरी नजरो से . कबीर मर गया तेरे लिए आज इसी पल से.

शाम को मैं मलिकपुर गया रमा से मिलने के लिए पर एक बार फिर ताला लगा था उसकी दुकान और कमरे पर . हरामजादी न जाने कहाँ गायब थी. मैंने सोच लिया था की रमा की खाल उतार कर ही अपने सवालो के जवाब मांगूंगा अब तो. मलिकपुर से लौटते समय मेरे दिमाग में वो बात आई जो इस टेंशन में भूल सी गयी थी .

रात होते होते मैं सुनैना की समाधी पर था. अंजू ने कहा था की उसने सोने को अंतिम बार यही पर देखा था . मैंने समाधी पर अपना शीश नवा कर माफ़ी मांगी और समाधी को तोड़ दिया. खोदने लगा निचे और करीब ६-7 फीट खुदाई के बाद मेरी आँखों के सामने जो आया. मैं वही पर बैठ गया अपना सर पकड़ कर. इस चक्रव्यू ने निचोड़ ही लिया था मुझे................ मेरे सामने, मेरे सामने...............................
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Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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ब्याह का दिन कहानी का अंतिम दिन होना चाहिए मेरे हिसाब से क्योंकि फिर कहानी मे कुछ बचेगा नहीं. ख़ज़ाना क्यों है पानी के नीचे ये मालूम करना है अब
ise to nayi khubsurat shuruwaat kahna sahi honga mitra..
 

Luckyloda

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भाभी- क्योंकि अंजू इस दुनिया की सबसे खुशनसीब बहन है , उसके सर पर अभिमानु ठाकुर का हाथ है. अभिमानु ठाकुर वो नाम है जिसने इस घर को थाम कर रखा है . अंजू की ढाल है तुम्हारे भैया.

भाभी की बात ने हम दोनों के बीच एक गहरी ख़ामोशी पैदा कर दी. ऐसी ख़ामोशी जो चीख रही थी .

मैं- तो फिर भैया क्यों नहीं बताते मुझे अतीत के बारे में क्यों ढो रहे है अपने मन के बोझ को वो अकेले.

भाभी- क्योकि वो बड़े है , बड़ा भाई छोटो के लिए बाप समान होता है , जो काम बाप नहीं कर पाया वो अभिमानु कर रहे है . तुम्हे चाहे लाख शिकायते होंगी उनसे पर उन्होंने सबकी गलतिया माफ़ की है , तुमने उन्हें बस बड़े भाई के रूप में देखा है मैंने उन्हें एक साथी के रूप में जाना है वो साथी जो तनहा है , वो साथी जो हर रोज टूटता है और अगले दिन फिर इस परिवार के लिए उठ खड़ा होता है . क्या लगता है की उनको अपने बाप की हरकते मालूम नहीं है पर इस घर को घर बनाये रखने के लिए वो घुट गए अपने ही अन्दर. तुमको क्या लगता है की ये विद्रोही तेवर तुम्हारे अन्दर ही उबाल मार रहे है , अभिमानु ने बरसो पहले अपने इस उबाल को ठंडा कर दिया. तुम अक्सर पूछते हो न की तुम्हारे भैया की कोई इच्छा क्यों नहीं , क्यों उन्होंने अपनी तमाम इच्छाओ को छोड़ दिया. इस घर के लिए, रिश्तो की जिस डोर को तुम बेताब हो तोड़ने के लिए. उस डोर को अभिमानु ने अपने खून से सींचा है.



मैंने भाभी से फिर कुछ नहीं कहा रसोई से बाहर निकल गया. भाभी ने मेरे दिल पर ऐसा पत्थर रख दिया था जिसके बोझ से मैं धरती में धंसने लगा था . कम्बल ओढ़े मैं गहरी सोच में डूब गया था आखिर ऐसी क्या वजह थी की अंजू को अपनाया था अभिमानु भैया ने.

“कबीर चाय ” चंपा की आवाज ने मेरा ध्यान वापिस लाया.

उसने जैसे ही कप पास में रखा मैंने खींच कर एक थप्पड़ जड दिया उसके गाल पर. एक और फिर एक और .

“ऐसी क्या वजह थी जो राय साहब से गांड मरवानी पड़ी तुझे. ऐसा क्या चाहिए था तुझे , मैं था न यहाँ पर मुझसे एक बार कहा तो होता तूने. आज सारे जहाँ में रुसवा खड़ा हूँ मैं पर मुझे परवाह नहीं पर तू , मेरे बचपन की साथी तू , तूने छला मुझे . खुद से ज्यादा तुझ पर नाज था मुझे और तू ..... क्यों किया तूने ऐसा ” मेरे अन्दर का गुस्सा आज चंपा पर फट ही पड़ा.

चंपा- मैं बस इस घर के अहसानों की कीमत चुका रही थी . जो अहसान इस घर ने मुझे पालने के लिए किये उनकी छोटी सी कीमत है ये. जिस राय साहब की वजह से मैं आज मेरा परिवार सुख में है उस सुख की थोड़ी कीमत मैंने चुका दी तो क्या हुआ .



मैंने एक थप्पड़ और मारा उसके गाल पर .

मैं- किस अहसान की बात करती है तू . ये घर तुझ पर अहसान करेगा. तूने कही कैसे ये बात. इस घर की नौकरानी नहीं है तू, न कभी थी . तू इस घर में इसलिए नहीं है की तेरे माँ-बाप हमारे यहाँ काम करते है तू इस घर में है क्योंकि तू मेरी दोस्त है . जितना ये घर मेरा है उतना ही तेरा. और अपने ही घर में कैसा अहसान , इस घर की बेटी रही तू सदा. मेरे बाप ने तुझे कहा और तू मान गयी, मैं मर थोड़ी न गया था , तू क्यों नहीं आई मेरे पास .मुझ पर भरोसा तो किया होता पर तूने इतना हक़ दिया ही नहीं .



चंपा ने एक गहरी साँस ली और बोली- जितना था मैंने तुझे बता दिया .जीवन में कभी कभी कुछ समझौते करने पड़ते है तू आज नहीं समझेगा मेरी बात पर समझ जायेगा.

मैं- ये बहाने कमजोर है तू अगर न चाहती तो राय साहब की क्या मजाल थी जो तुझे हाथ भी लगा देते मैं देखता

चंपा-इसलिए ही तो नहीं कह पाई तुझसे. मेरी वजह से बाप-बेटे में तकरार होती ,मैं जानती हूँ तेरे गुस्से को इसलिए चुप रही .

मैं- फिर भी क्या तू छिपा पाई मुझसे. और मंगू इस बहनचोद ने अपनी ही बहन पर हाथ साफ़ कर दिया. साले दोस्ती के नाम पर तुम कलंक मिले हो मुझ को . दिल तो करता है तुम दोनों का वो हाल करू की याद रखो तुम सारी उम्र.

चंपा- मंगू को देनी पड़ी राय साहब की वजह से , राय साहब ने मुझसे खुद कहा था की मंगू से भी कर ले. और वो नीच , उसने एक पल भी न सोचा की कैसे चढ़ रहा है अपनी बहन पर . जब वो गिर गया तो मैं तो पहले से ही गिरी हुई थी . तू भी कर ले अपने मन की, तेरी नाराजगी भी मंजूर मुझे. कबीर मेरा दिल जानता है उस दिल में तेरे लिए कितनी जगह है.

मैं- दूर हो जा मेरी नजरो से . कबीर मर गया तेरे लिए आज इसी पल से.

शाम को मैं मलिकपुर गया रमा से मिलने के लिए पर एक बार फिर ताला लगा था उसकी दुकान और कमरे पर . हरामजादी न जाने कहाँ गायब थी. मैंने सोच लिया था की रमा की खाल उतार कर ही अपने सवालो के जवाब मांगूंगा अब तो. मलिकपुर से लौटते समय मेरे दिमाग में वो बात आई जो इस टेंशन में भूल सी गयी थी .

रात होते होते मैं सुनैना की समाधी पर था. अंजू ने कहा था की उसने सोने को अंतिम बार यही पर देखा था . मैंने समाधी पर अपना शीश नवा कर माफ़ी मांगी और समाधी को तोड़ दिया. खोदने लगा निचे और करीब ६-7 फीट खुदाई के बाद मेरी आँखों के सामने जो आया. मैं वही पर बैठ गया अपना सर पकड़ कर. इस चक्रव्यू ने निचोड़ ही लिया था मुझे................ मेरे सामने, मेरे सामने...............................
Bhut hi shandaar update.....


Bade bhai ki jimaadari ko kitni shandaar tarike se dikhaya hai aapne..... lajawab.... bade bhai ka hona sir par chat hone k barabar hota h......


Chote bhai ko ye Baat bhut late samjh aati hai.... ki bade ko kya kaya sahna padta hai.....
 
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