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Incest यह क्या हुआ

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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स्वीटी जब कॉलेज पहुंचती है, आज हुए घटनाओं को ही याद करके उसी में खोई रहती है ।
उसका आज पढ़ाई लड़ाई में बिल्कुल मन नहीं लग रहा था।
उसकी आंखों के सामने वह दृश्य ही नजर आ रहा था, जिसमें उसकी मां उसके भाई का लंड पकड़ रखी थी और उसे पेशाब कर आ रही थी।

इस दृश्य को देखकर वह कैसे उत्तेजित हो गई थी और उसके चूत से पानी छूटने लगा था और किस प्रकार वह अपनी उंगलियों से अपने चूत को रगड़ने लगी और वही झड़ गईथी।

इन सब बातों को याद करते हुए उसका मन बेचैन हो रहा था।

उन पलों को याद करते करते उसका च अभी भी रिस रही थी।

इधर सुनीता अपने किचन में काम कर रही थी तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया ।

सुनीता ने इस वक्त कौन होगा यह सोचते हुए दरवाजा खोलने चली जाती है ।

दरवाजा के खुलते ही सामने एक लड़का नजर आया। उस लड़के ने सुनीता से कहा हेलो आंटी।

सुनीता ने कहा मैंने तुम्हें पहचाना नहीं

तब उस युवक ने कहा मेरा नाम भगत है और मैं राजेश का दोस्त हूं हम एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं मुझे राजेश के बारे में पता चला तो उससे मिलने आया हूं ।

अब मैं आप लोगों को भगत के बारे में बता देता हूं भगत शहर से 100 किलोमीटर दूर राजपुर गांव का रहने वाला था। उसके दादाजी गांव के सरपंच थे। उसके पिताजी गांव में ही खेत का काम देखता था। 100 एकड़ जमीन था उनके पास, भगत की मां गांव के ही सरकारी स्कूल में एक शिक्षिका थी।भगत शहर में ही मकान किराए पर लेकर वहीं रहकर पढ़ाई कर रहा था।

अब राजेश और भगत की दोस्ती कैसे हुआ इसके बारे में बतलाता हूं ।असल में भगत आगे चलकर नेता बनना चाहता था अतः वह कॉलेज में जब छात्र संघ का चुनाव हुआ तब वह चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए खड़ा हो गया ।कॉलेज के अन्य छात्र भी चुनाव में खड़े थे ।राजेश पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेलकूद एवं कॉलेज के अन्य गतिविधियों में भी हमेशा आगे रहता था ।इसलिए कालेज के अन्य छात्र छात्राएं और शिक्षक राजेश को कॉलेज का अध्यक्ष बनाना चाहते थे और उन्हें अध्यक्ष पद के लिए खड़े होने के लिए कह रहे थे, लेकिन जब राजेश ने यह बात अपनी मां सुनीता को बताया तो सुनीता ने राजेश से कहा, बेटा तुम सिर्फ पढ़ाई लिखाई पर ध्यान दो यह राजनीति ठीक नहीं है। तुम उससे दूर रहो, इससे तुम्हारा पढ़ाई-लिखाई प्रभावित होगा और वह छात्र संघ के चुनाव से खुद को अलग कर लिया ।कई छात्र-छात्राएं छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर खड़े थे।
क्योंकि राजेश कॉलेज में लोकप्रिय था अतः जिस उम्मीदवार को राजेश का समर्थन प्राप्त होता उनका जीतना तय तथा भगत भी राजेश से समर्थन मांगने उससे संपर्क किया ।वह जानता था कि अगर राजेश का समर्थन मिल गया तो मैं यह चुनाव जीत जाऊंगा।

भगत में कुछ बुराइयां जरूर थी लेकिन राजेश ने पाया कि वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता है अतः उसने भगत का समर्थन किया।

राजेश के समर्थन करने से भगत कालेज के छात्र छात्र संघ का अध्यक्ष बन गया।
भगत अपना अध्यक्ष बनने का श्रेय राजेश को दीया और उन दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई ।भगत राजेश से सलाह लेकर ही कोई कार्य करता था।

लेकिन भगत की एक कमजोरी थी गदराई औरत

किसी गदर आई औरत को देखते ही भगत का लंड खड़ा हो जाता था इसका कारण भी था ।

वह किसी गदर आई औरत का मजा लूट रहा था। वह गदराई औरत को चोदने का सुख भोग रहाथा ।वैसे तो वह गांव की कई लड़कियों को भी चोद चुका था । लेकिन गदराई औरत को चोदने में उसे जितना मजा आता था उतना मजा कुंवारी लड़कियों को चोदने में नहीं आता था।

वह जब किसी गदराई औरत को देखता था तो उसका लंड ठुनकी की मारने लगता था।

जब सुनीता ने यह बात सुनी किभगत राजेश का दोस्त है ।वह उसे अंदर आने को कहती है सुनीता इस समय साड़ी पहनी हुई थी।

सुनीता खूबसूरत थी और गदराए बदन की महिला थी सुनीता जैसे ही पीछे मुड़ी भगत की नजर उसके पिछवाड़े पर चला गया ।
सुनीता भगत को सोफे पर बैठने के लिए कहा।

भगत को हाल में बिठाकर सुनीता राजेश के कमरे की ओर चली गई।
राजेश के कमरे में जाकर राजेश को इस बात की जानकारी दी कि भगत नाम का कोई दोस्त उससे मिलने आया है ।

तब राजेश ने कहा ,मॉ उस मेरे पास मेरे कमरे में भेजो।

सुनीता ने कहा ठीक है बेटा और सुनीता हाल में जाकर भगत से कहा राजेश अपने रूम में तुम्हें बुला रहा है ।

भगत राजेश के रूम में चला गया ।
कमरे में जाते ही राजेश ने भगत को देखते ही कहा अरे यार तुम गांव से कब आए

तब भगत ने कहा आज ही आया और तुम्हारे बारे में जानकारी मिला तो तो सीधे कॉलेज न् जाकर तुमसे मिलने चला आया ।तबीयत कैसी है? तुम्हारी।

राजेश ने कहा ठीक हूं यार डॉक्टर ने कहा है ।मैं बहुत जल्द ठीक हो जाऊंगा।
भगत ने राजेश से कहा यार जिन लड़काे ने तुम्हारी ये
हालत की है। सालों को ऐसा सबक सिखाऊंगा। साले जिंदगी भर चलने फिरने लायक नहीं रहेंगे।

मैं लड़कों को उन्हें पता करने के लिए कहा है कि वे साले कहां रहते हैं जैसे ही हो दिखाई पड़े मुझे कॉल करके बताने के लिए कहा है

और इस तरह दोनों दोस्त आपस में बातचीत करने लगे ईधर सुनीता राजेश के कमरे में पानी लेकर आई ।

सुनीता जैसे ही भगत को पानी देने के लिए नीचे झुकी भगत की नजर सुनीता के चूची पर चली गई जोकि ब्लाउज से बाहर निकलने को आतुर दिखाई पड़ रही थी ।

उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों को देखकर उसके लंड की नसों में खून बढ़ने लगा और पानी देकर जब सुनीता कमरे से बाहर अपनी गांड मटकाते हुए जा रही थी तब सुनीता के गांड को देखकर भगत का लैंड खड़ा हो गया और वो अपने मन में कहा क्या मस्त माल हां यार।

राजेश ने जब भगत की नजरों को अपनी मां की गांड को घूरते हुए देखा तो राजेश ने भगत से कहा अबे कहां खो गया ।तू साले सुधरेगा नहीं अब मेरी मां पर भी बुरी नजर रख रहा है ।
भगत ने राजेश से कहा सॉरी यार आदत से मजबूर हूं पर मैं एक बात तुमसे कहना चाहूंगा तुम बुरा मत मानना तुम्हारी मां बहुत ही खूबसूरत और हॉट हैं तुम लकी हो यार इतनी खूबसूरत ना है तुम्हारे पास ।

मैं सच कह रहा हूं ।

राजेश ने कहा अब बस कर साले नहीं तो दो झापड़ पड़ेगा ।
तब भगत ने कहा सॉरी यार

यार अभी तू नहीं समझेगा क्योंकि अभी तुमने चुदाई किसी का किया ही नहीं है।
जिस दिन तुम किसी गदराई औरत की चुदाई* करेगा ना तब पता चलेगा।
चुदाई से बड़ा सुख इस दुनिया मैं कोई है ही नहीं तब तुम मुझे समझ पाओगे।

इधर सुनीता चाय नाश्ता लेकर राजेश के कमरे के पास ही पहुंची ही थी तभी राजेश और भगत के बीच होने वाली वार्तालाप उसके कानों पर पड़ी तो उसके पैर दरवाजे के पास ही जम गए और दोनों के बीच होने वाली वार्तालाप को सुनने लगी।

पंकज राजेश से कहता यार गद राई औरत को कुतिया बनाकर उसके चुत में लंड* डालकर अंदर बाहर करने में इतना मजा आता है कि मैं बता नहीं सकता।

अपना लंड में बैठा कर, उसकी कमर को पकड़ कर अपने लंड में पटक पटक कर चोदने और चूची मसलने मे जो आनंद आता है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता ।
राजेश बोला अब् बंद कर अपना चुदाई वर्णन कहीं मां आ गई तो , क्या समझेगी ?

इधर सुनीता दोनों की की बातों को सुन रही थी।

भगत आवे कहता है यार मुझे तो कभी-कभी तुम पर शक होता है तुम्हारा हथियार खड़ा होता भी है कि नहीं कई बार तुम्हें अपने साथ च**** करने के लिए साथ चलने के लिए कहा केवल एक ही रट लगाए रहते हो जो भी करूंगा अपनी बीवी के साथ ही करूंगा आज तक कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं बनाया है ।

तब राजेश कहता है यार मां ने मुझे लड़कियों से दूर रहने और सिर्फ पढ़ाई लिखाई पर ध्यान देने के लिए कहा है ।

मा कहती है कि दूसरे लड़कियों पर बुरी नजर डालना पाप है । मेैने किसी औरत के बारे में ऐसा सोचता ही नहीं।

भगत कहता है यार यह तू किस पाप और पुण्य के चक्कर में फंसा है ।आजकल के कई लड़के तो अपने मां बहन को चोदते हैं।

राजेश कहता है अबे यह क्या तू अनाप-शनाप बके जा रहा है।
पंकज ने फिर कहा अरे मैं झूठ नहीं कह रहा मै तो2- 3 लड़कों को जानता हूं जो अपनी मां को चोदते हैं और उनका कहना है कि मां चोदने में जो मजा आता है ऐसा मजा और किसी को चोदने नहीं।

राजेश ने कहा अब बस कर साले ।

भगत- मेरी बात को मान ले यार तू शादी करने से पहले टेस्ट कर ले और चुदाई के बारे में कुछ सीख ले, अगर कुछ गड़बड़ हो तो पता चल जाएगा नहीं तो शादी करने के बाद तुम्हें पछताना भी पड़ जाएगा।

राजेश कहता है ऐसा क्यों होगा।
पंकज कहता हैं ,अगर शादी करने के बाद कहीं तुमने अपने बीवी को ठीक से चोद नहीं पाया तो वह किसी दूसरे को ढूंढ लेगी चुदवाने।तब ये तुम्हारी सारी डिग्रियां बेकार हो जाएगी ।किसी काम की नहीं रहेगी तुम्हारा इज्जत मान सम्मान सब चला जाएगा।

मैंने गांव में ऐसे दो तीन औरतों को भी चोदाहै। वह कहती हैं कि उसके पति से चुदवाने****** में जरा भी मजा नहीं आता। उसके पति उसको़ ठीक से चोद नहीं पाता है।

पंकज राजेश से पूछता है तू यह बता क्या तुम्हारा ल** कभी खड़ा होता है।

राजेश ने कहा हां सुबह खड़ा रहता है।

पंकज ने कहा यार सुबह तो सभी का खड़ा रहता है सुबह लंड* में मूत भर जाने के कारण लंड खड़ा हो जाता है।
तू यह बता क्या कभी किसी औरत के चूची को देखकर तुम्हारा लंड खड़ा होता है ।क्या किसी औरत के चूची को देखने का मन करता है।

राजेश कहता है यार मैंने कभी इस और ध्यान ही नहीं दिया और ना मुझे कोई इंटरेस्ट है ।अब बस कर मां आती होगी अपना चुदाई* ज्ञान अपने पास ही रखो।

इधर सुनीता इन दोनों के वार्तालाप को सुन रही थी

भगत की इन बातों की बातों को सुनकर उसकी सांसे तेज हो जाती थी पर राजेश के बाद को सुनकर ठंडी पड़ने लगती थी ।

सुनिता चाय नाश्ता लेकर कमरे में प्रवेश कर गई चाय नाश्ता देने के बाद वह कमरे से चले गई। किचन में जाकर राजेशऔर भगत के बीच हुई वार्तालाप के बारे में सोचने लगी।

इधर भगत भी चाय नाश्ता करने के बाद कुछ समय तक और राजेश के पास रुका फिर वह राजेश से जाने की इजाजत मांग कर और फिर आने के बात कह कर वह भी चला गया।

सुनीता किचन में काम करते हुए यह सोच रही थी कि मेरा बेटा कितना सुशील है, संस्कारी है और उसे अपने बेटे पर गर्व महसूस होने लगा।

उसका बेटा किसी औरत को बुरी नजर से नहीं देखता है। अपनी मर्यादा में रहता है यह जानकर उसे बहुत ही अच्छा लगा ।

पर कुछ ही समय के बाद वह सोचने लगी ।भगत ने जो बात कही, वह बात अगर हुआ सच हो गया तो ।नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।

फिर भी उसके मन में एक डर बन गया ।उसे भगत द्वारा कही जाने वाली बातें याद आने लगी, किस तरह गांव की औरतें भगत से चदवातीहै और यह कहती है कि उसे अपने पति से चुदवाने**** में मजा नहीं आता। उसका पति उसे ठीक से से चोद नहीं पाता।


वह सोचने लगी कहीं मेरा बेटा भी अपनी पत्नी को ठीक से चोद नहीं पाया तो।

फिर याद करती है कि अभी तक वह राजेश के लिंग को अपने हाथों में कई बार ले चुका है फिर भी उसमें कोई हरकत नहीं हुआ उसका मन घबराने लगता है। कहीं सच में राजेश को कोई प्रॉब्लम ना हो।

फिर सोचने लगती है नहीं ऐसा नहीं हो सकता राजेश एक नेक सुशील और मर्यादित लड़का है।

पर कुछ ही क्षण के पश्चात फिर सोचने लगती है, आजकल के मोबाइल के जमाने में सभी लड़के बिगड़ चुके होते हैं कई लड़के गंदे गंदे वीडियो भी देखते हैं।

भगत तो कह रहा था कि आजकल के कुछ लड़के इतने गंदे होते हैं कि वह अपनी मां बहन कॉ चोदते हैं। छी छी क्या जमाना आ गया है पता नहीं कलयुग में और क्या-क्या होने वाला है।

परवह अपने मन को यह मनाने में सफल रही कि मेरा बेटा ऐसा नहीं है वह सुशील और संस्कारी है। वह अपने घर के कामों में ध्यान देने लगी ।

सुनीता को याद आती है कि अरे नाश्ता का प्लेट राजेश रूम से लाना है। और वह नाश्ता प्लेट लाने के लिए राजेश् के कमरे की ओर चली जाती है ।

इधर राजेश सोचता रहता है कहीं भगत के द्वारा कही गई बातों को मेरी मां सुनीता ने तो नहीं सुन ली और यदि मा ने बातें सुन ली हो तो क्या समझ रही होगी ।वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था।

तभी सुनीता राजेश के कमरे में आई, वह राजेश के पास उसके बेड पर बैठ गई और राजेश से बोली, बेटा यह तुम्हारा दोस्त भगत मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। कैसे मुझे घूर घूर कर देख रहा था ।मुझे उसकी नजरें ठीक नहीं लगी ।

बेटा तुम उससे दूर ही रहा करो नहीं तो वह तुमको भी बिगाड़ देगा ।

तब राजेश मन में सोचने लगता है कि माने सब बातें सुन ली है ।वह अपने आप में शर्म महसूस करने लगा। वह सुनीता से बोला, मां भगत दिल का अच्छा है और लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहता है ।हां लड़कियों के मामले में थोड़ा दिला जरूर है, पर दिल से काफी अच्छा है ।

सुनीता बोली ,फिर भी बेटा उससे ज्यादा मेलजोल रखना ठीक नहीं। वह तो बिगड़ा हुआ है ही कहीं तुम्हें भी ना बिगाड़ दे ।

राजेश बोला ,मां ऐसा नहीं होगा मैं तुम्हारी दी गई संस्कारों को नहीं भूलूंगा ,ऐसा कोई अमर्यादित काम नहीं करूंगा ,जिससे तुम को शर्मिंदा होना पड़े।

यह सुनकर सुनीता ने राजेश को अपने गले से लगा लिया ।थैंक्यू बेटा मुझे तुम पर गर्व है और सुनीता नाश्ते का प्लेट लेकर की राजेश के रूम से बाहर आ आ गई।

इधर भगत राजेश के घर से आने के बाद वह कॉलेज नहीं गया। वह सीधे घर चला आया जहॉ वह किराए पर रहता था ।

भगत जिस मकान पर किराया पर रहता था ।वह दो मंजिला मकान था । मकान के ऊपर वाले हिस्से में भगत किराए पर रहता था। ऊपर वाले भाग में एक बैडरूम था ।एक बैठक रूम था और एक किचन था। बेडरूम से बाथरूम अटैच था

मकान के नीचे वाले भाग में मकान मालिक के परिवार रहते थे ।नीचे वाले भाग में दो रूम एक हाल और एक किचन बना हुआ था ।

मकान मालिक के परिवार में 5 सदस्य थे । आइए उनका परिचय करा देता हूं।

कांता प्रसाद --यह पेसे से हलवाई था। बाजार में ही उसका छोटा सा दुकान था। जहां दोनों कर भी काम करते थे ,कांता प्रसाद का उम्र 54 वर्ष था। वह सुबह 10:00 बजे ही दुकान के लिए निकल जाता था और रात में 9:00 बजे के बाद ही घर आता था।
दोपहर 1:00 बजे नौकर खाना ले जाने के लिए कामता प्रसाद के घर आता था।

परिवार की दूसरी सदस्य
कौशल्या देवी - 48 वर्ष की एक गदराई औरत थी। रंग गेहुआ बड़ी-बड़ी चूचियां और उभरी हुई गांड इसकी सुंदरता बढ़ा रही थी। यह सारा दिन घर में ही रहती थी। और घर के काम मे ही अपने को व्यस्त रखती थी।

घर की तीसरी सदस्य
कविता --कौशल्या की बड़ी लड़की थी।इसकी उम्र 29 वर्ष थी ।इसकी शादी हो गई थी। यह दो बच्चों मां बन चुकी थी ।वह अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।

घर की चौथी सदस्य
काजल --यह कौशल्या देवी की दूसरी लड़की थी। इसकी उम्र 26 वर्ष थी। इसके भी शादी हो चुकी थी। इसकी एक लड़की थी। वह भी अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।
घर का अंतिम सदस्य

किशोर - कौशल्या देवी का पुत्र था। इसकी आयु 24 वर्ष था। पढ़ाई पूरा करने के बाद वह दिल्ली में जॉब करता था ।और वह वहीं रहता था।

इस प्रकार वर्तमान मे , मकान के नीचे भाग मे केवल 2 सदस्य कामता प्रसाद और उसकी धर्मपत्नी कौशल्या देवी रहते थे।

मकान के ऊपर वाले हिस्से में पहले किशोर रहता था। उसकी जॉब लग जाने के बाद ऊपर वाला हिस्सा खाली रह जाने पर उसे किराए पर दे दिया गया ।

इस मकान पर रहते हुए भगत को 1 वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका था ।

अब चलते है कहानी की ओर

भगत राजेश के घर से आने के बाद वह सीधे अपने रूम में चला गया ।वह अपने बेड पर लेटा था ।राजेश से हुई मुलाकातों के बारे में वह सोच रहा था

तभी सुनीता की खूबसूरती उसके आंखों के सामने आ गया ।सुनीता की खूबसूरत बदन को याद करने से उसका लंडखड़ा हो गया।

वह एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा उसे चुदाई करने की इच्छा होने लगी।

वह अपने ही रूम से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे उतर कर मकान के मेन दरवाजा बंद कर दिया और सीधे वह मकान मालिक के किचन की ओर चला गया क्योंकि उसे पता था कि इस समय घर में केवल कौशल्या देवी ही है और वह खाना बना रही होगी।

किचन पर जा कर देखता है। कौशल्या देवी खाना बना रही थी ।वह कौशल्या देवी के पास चला गया। उसके पास जाकर उसके पीछे खड़ा होकर उससे जाकर चिपक गया और अपने लंड को उसके गांड में दबाने लगा ।

कौशल्या देवी चौक गई वह पीछे मुड़कर देखी।

वह भगत को देख कर मुस्कुराने लगी अरे बेटा तुम कॉलेज नहीं गए।

भगत ने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की चुचियो को पकड़कर मसलते हुए कहा, नहीं मां जी ।

आज कॉलेज गया था, पर वहां मेरा मन नहीं लगा। तुम्हारी याद आने लगी तो मैं कॉलेज से घर आ गया।

ऐसा कहते हुए भगत ने कौशल्या देवी के चुचियों को अपने हाथों से जोर जोर से मसलने लगा ।अपने लंड से कपड़े के ऊपर से ही उसके गांड पर धक्के लगाने लगा।

कौशल्या देवी का बदन गर्म होने लगा ।उसकी सांसे तेज होने लगी। उसने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहे हो अभी मैं खाना बना रही हूं।

भगत ने कौशल्या देवी से उसके कानों में धीरे से कहा। मां जी बहुत मन कर रहा है ।मैं नहीं रुक सकता और वह अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी ब्लाउज की बटन को खोल कर उसकी चुचियों को नंगा कर दिया। और भगत चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए उसके गालों को चूमने लगा ।

कौशल्या देवी की सांसें तेज़ होने लगी उसके बदन और गर्म हो गया ।उसके चूत से अब पानी िरसना शुरू हो गया।

कौशल्या देवी इस समय सब्जी बना रही थी। वह अपने हाथों से करछुल पकडे कढ़ाई पर सब्जियां भून रही थी।

वह भगत से बोली बेटा थोड़ी देर बाद करते हैं।मै सब्जी बना लेती हूं ।तुम जाओ कमरे में मैं सब्जी को भून कर ,उसे पकने छोड़कर तेरे पास आती हूं।

भगत ने उसके कानों में कहा तू सब्जी बनाना। तुम्हें किसने रोका है। मुझे मेरा काम करने दो और वह कौशल्या देवी के होठों को चूसने लगा।

कौशल्या देवी को भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसके बूर से पानी बहने लगा।

अब भगत से बर्दाश्त नहीं हुआ वह नीचे झुका और कौशल्या देवी के पेटीकोट को ऊपर उठाया। अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की पेंटी को पकड़कर उसे नीचे खींच दिया ।पेंटी पूरा गीली हो गई थी।उसे उसके पैरों से अलग कर दिया।

भगत पेंटी को ,पहले अपने नाक के पास ले जाकर सुघने लगा। उस पर लगी बूर रस की खुशबू नाक मेजाते ही , वह जोश से भर गया और कौशल्या देवी के पेटीकोट को उसके कमर तक ऊपर चढ़ा कर उसके चूत में अपने दो बड़ी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा ।

कौशिल्या देवी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी। ।

भगत अपनी पैंट को निकाल कर पैरो से अलग कर दिया।

अब वह देर न करते हुए अपना अंडर वियर भी निकाल दिया और नीचे से नंगा हो गया ।

अंडर वियर निकलते ही उसका लंड हवा में लहराने लगा वह लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो गया था और कौशल्या देवी की चूत को देखकर ठुनकी मार रहा था।

और उसके लंड* मुख से चिपचिपा सा पदार्थ निकल रहा था।

भगत का लंड काफी लंबा था। उसके लंड* का सुपाड़ा थोड़ा पतला था, लेकिन वह जड़ से मोटा था ।

राजेश अपने हाथों से अपने लंड* को पकड़ा और कौशल्या देवी चूत में ल गया और जोर से धक्का मारा।

कौशल्या देवी जोर से सिसक उठी ।

भगत का लंड सरसराते हुए कौशल्या देवी के चुत में आधा चला गया ।

भगत ,कौशल्या देवी की नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा। फिर एक जोरदार धक्का अपने लंड से कौशल्या देवी के चूत पर मारा ।

भगत का लंड कौशल्या देवी के चूत में फच की आवाज के साथ पूरा जड़ तक चला गया ।

कौशल्या देवी अपने मुख से सिसकारी निकाल रही थी जोर जोर से सांस ले रही थी।

भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के कमर को पकड़ लिया और अपना पीछे से पोजीशन बनाकर अपने लंड को सुनीता देवी के बूर में अंदर बाहर करने लगा ।

वह कौशल्या देवी के बूर को जोर जोर से चोदने लगा। कमरे में फच फच गच गच की आवाज गूंजने लगी ।

चुदवाने के साथ , कौशल्या देवी कढ़ाई में सब्जी को बनाने का काम भी कर रही थी और चुदवाने का मजा भी ले रही थी ।

कुछ देर तक इसी पोजीशन में चुदाई होता रहा। सब्जी भून चुकी थी अब उसे पकने के लिए ,कढ़ाई को ढक्कन से ढक दिया।

कौशल्या ने भगत से कहा चलो बेटा बिस्तर पर चलते हैं ।

भगत ने धक्का लगाना बंद कर दिया और कौशल्या देवी के दोनों टांगों को पकड़ कर उसे अपने लंड में बिठाए हुए बेड बेडरूम में ले गया ।

बेडरूम में ले जाकर उसे बेड पर कुत्तिया बना दिया और फिर दोनों हाथों से उसके चूची को पहले जोर-जोर से मसाला फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके चूत में अपना लंड तेजी से अंदर बाहर करने लगा ।

उसका लंड चुत के रस से पूरी तरह गीला हो गया थाऔर वह बिना किसी रूकावट के फच फच की आवाज के साथ अंदर जा रहा था और गच गच की आवाज के साथ बाहर आ रहा था।कमरे में फच फच और गच गच की आवाज गूंजने लगा।

भगत अपनी आंखें बंद करके चुदाई* का सुख भोगने लगा ।
उधर कौशल्या देवी भी सिसकारी लेते हुए अपने आंखें बंद कर ली थी ।और चुदाई कि मजे ले रही थी।

उसके मुंह से ऊई़ मां आह आह आह की आवाजें निकल रही थी ।
भगत ने कुछ समय इसी पोजीशन में चोदने के बाद अपनी आंखे खोला।

वह अचानक से अपने ल़ंड को कौशल्या देवी के चूत से बाहर निकाला।

उसका लंड फचाक की आवाज के साथ बाहर निकला। उसका लंड चूत के रस से पूरी तरह गीला हो गया था और वह चमक रहा था ।

कौशल्या देवी भगत की ओर देखने लगी।

भगत अपने लंड को अपने हाथों से पकड़े हुए बिस्तर पर लेट गया।

भगत ने कौशल्या देवी को आंखों से इशारा किया।

कौशल्या देवी समझ गई भगत क्या चाहता है ।

वह भगत के लंड पर झुक कर ,उसे अपने हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी ,फिर अपने होठों को लंड़ पास ले जाकर , लंड के सुपाडे को अपने मुंह में भर लिया

फिर वहां चूसना शुरु कर दी। किसी पोर्न स्टार की तरह कौशल्या देवी भगत के लंड को चूसने लगी ।

भगत ने कौशल्या देवी के बालों को जो बंधा हुआ था, उसे खोल दिया और उसके सिर को अपने लंड पर दबाए रखा ।

कौशल्या देवी भगत के ल़ड को सकासक चूसे जा रही थी ।
भगत अपनी आंखें बंद कर मुख चुदाई का आनंद लेने लगा।

कौशल्या देवी पूरे जड़ तक लंड को अपने मुंह में ले कर चूस रही थी ।

भगत लंच चुसवाते हुए बोले जा रहा था ।चुस मेरी जान चस, बहुत मजा आ रहा है।


भगत कुछ समय मुख चुदाई करने के बाद कौशल्या देवी के मुख से लंड को निकाल दिया।

कौशल्या देवी भगत की ओर देखा ।

भगत ने कौशल्या देवी को इशारा किया।

कौशल्या देवी समझ गई कि अब उसे क्या करना है।

वह बेड पर खड़ी हो गई और अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से ऊपर उठा कर । भगत के लंड पर बैठ गई।

वह अपने एक हाथ से भगत के लंड को पकडी और अपनी चूत के मुख पर रख दी ।

भगत ने भी अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चूतड़ को पकड़ लिया।

इधर कौशल्या देवी भी लंडपर अपने चूत का दबाव बनाने लगी। उधर भगत भी कौशल्या देवी के चूतड़ को अपने हाथों से पकड़ कर लंड पर दबाया । नतीजा ये हुआ कि लंड चूत अंदर जड़ तक चला गया ।

कौशल्या देवी भगत के लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी इसने पोजीशन में दोनों को अपार सुख प्राप्त हो रहा था ।

कौशल्या देवी के उछलने के साथ-साथ उसकी दोनों चूचियां भी उछलने लगी, जिसे देखकर भगत से रहा न गया।

वह दोनों हाथों से चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।

इधर लंड* चूत में गपा गप अंदर बाहर हो रहा था


दोनों आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगे ।

भगत का लंड कौशल्या देवी की चूत में गच गच अंदर बाहर होता देख , दोनों चुदाई की मस्ती में में खो गए थे । कौशल्या देवी सिसक रही थी और लंड* पर अपनेी चूतड़ पटक पटक कर चुद रही थी।

तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई ।खटखटाने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी होश में आईऔर भगत से बोली लगता है कि बाहर कोई आया है ।

भगत सिंह को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे चुदाई * बंद करने का बिल्कुल मूड नहीं था ।


उसने कौशल्या देवी से कहा मादरचोद कौन गाड मराने आ गया ।साला ठीक से चोदने भी नहीं देते ।

तब कौशल्या देवी ने मस्कराते हुए कहा लगता है दुकान से नौकर खाना ले जाने के लिए आया है ।

मुझे दरवाजा खोलना होगा और वह भगत के लंड से ऊपर उठी।
लंड फक की आवाज के साथ चूत से बाहर निकला ।

लंड कौशल्या देवी के चूत के रस से भीगा हुआ था और वह चमक रहा था। कुछ मोटा भी हो गया था। वह अभी भी ठूनकी मार रहा था ।

उसके लंड को देखकर कौशिल्या देवी मुस्कुरा रही थी ।

भगत सिंह कौशल्या देवी से बोला उस मादरचोद को * को जल्दी से निपटा ।मुझसे रहा नहीं जाएगा। ।

कौशल्या देवी अपने ब्लाउज के बटन को लगाते हुए बैडरूम सीन बाहर चली गई।
Bada hi kamuk hot update bhai sandar jabarjast lajvab Ye bhagat bhaya to Rajesh ko chudakkad bna kr chhodenge lagta hai... Uske or uski ma ke dimag me dar or utsukta bdha kr chla gya or ab yha Ghar me ye dono apni apni soch ke chalte aage kamukta ki or bachenge... Superb updates bhai...
 

A.A.G.

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20,022
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सुनीता किचन में काम करते हुए यह सोच रही थी कि मेरा बेटा कितना सुशील है, संस्कारी है और उसे अपने बेटे पर गर्व महसूस होने लगा।

उसका बेटा किसी औरत को बुरी नजर से नहीं देखता है। अपनी मर्यादा में रहता है यह जानकर उसे बहुत ही अच्छा लगा ।

पर कुछ ही समय के बाद वह सोचने लगी ।भगत ने जो बात कही, वह बात अगर हुआ सच हो गया तो ।नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता।

फिर भी उसके मन में एक डर बन गया ।उसे भगत द्वारा कही जाने वाली बातें याद आने लगी, किस तरह गांव की औरतें भगत से चदवातीहै और यह कहती है कि उसे अपने पति से चुदवाने**** में मजा नहीं आता। उसका पति उसे ठीक से से चोद नहीं पाता।


वह सोचने लगी कहीं मेरा बेटा भी अपनी पत्नी को ठीक से चोद नहीं पाया तो।

फिर याद करती है कि अभी तक वह राजेश के लिंग को अपने हाथों में कई बार ले चुका है फिर भी उसमें कोई हरकत नहीं हुआ उसका मन घबराने लगता है। कहीं सच में राजेश को कोई प्रॉब्लम ना हो।

फिर सोचने लगती है नहीं ऐसा नहीं हो सकता राजेश एक नेक सुशील और मर्यादित लड़का है।

पर कुछ ही क्षण के पश्चात फिर सोचने लगती है, आजकल के मोबाइल के जमाने में सभी लड़के बिगड़ चुके होते हैं कई लड़के गंदे गंदे वीडियो भी देखते हैं।

भगत तो कह रहा था कि आजकल के कुछ लड़के इतने गंदे होते हैं कि वह अपनी मां बहन कॉ चोदते हैं। छी छी क्या जमाना आ गया है पता नहीं कलयुग में और क्या-क्या होने वाला है।

परवह अपने मन को यह मनाने में सफल रही कि मेरा बेटा ऐसा नहीं है वह सुशील और संस्कारी है। वह अपने घर के कामों में ध्यान देने लगी ।

सुनीता को याद आती है कि अरे नाश्ता का प्लेट राजेश रूम से लाना है। और वह नाश्ता प्लेट लाने के लिए राजेश् के कमरे की ओर चली जाती है ।

इधर राजेश सोचता रहता है कहीं भगत के द्वारा कही गई बातों को मेरी मां सुनीता ने तो नहीं सुन ली और यदि मा ने बातें सुन ली हो तो क्या समझ रही होगी ।वह अपने आप को शर्मिंदा महसूस कर रहा था।

तभी सुनीता राजेश के कमरे में आई, वह राजेश के पास उसके बेड पर बैठ गई और राजेश से बोली, बेटा यह तुम्हारा दोस्त भगत मुझे कुछ ठीक नहीं लगा। कैसे मुझे घूर घूर कर देख रहा था ।मुझे उसकी नजरें ठीक नहीं लगी ।

बेटा तुम उससे दूर ही रहा करो नहीं तो वह तुमको भी बिगाड़ देगा ।

तब राजेश मन में सोचने लगता है कि माने सब बातें सुन ली है ।वह अपने आप में शर्म महसूस करने लगा। वह सुनीता से बोला, मां भगत दिल का अच्छा है और लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहता है ।हां लड़कियों के मामले में थोड़ा दिला जरूर है, पर दिल से काफी अच्छा है ।

सुनीता बोली ,फिर भी बेटा उससे ज्यादा मेलजोल रखना ठीक नहीं। वह तो बिगड़ा हुआ है ही कहीं तुम्हें भी ना बिगाड़ दे ।

राजेश बोला ,मां ऐसा नहीं होगा मैं तुम्हारी दी गई संस्कारों को नहीं भूलूंगा ,ऐसा कोई अमर्यादित काम नहीं करूंगा ,जिससे तुम को शर्मिंदा होना पड़े।

यह सुनकर सुनीता ने राजेश को अपने गले से लगा लिया ।थैंक्यू बेटा मुझे तुम पर गर्व है और सुनीता नाश्ते का प्लेट लेकर की राजेश के रूम से बाहर आ आ गई।

इधर भगत राजेश के घर से आने के बाद वह कॉलेज नहीं गया। वह सीधे घर चला आया जहॉ वह किराए पर रहता था ।

भगत जिस मकान पर किराया पर रहता था ।वह दो मंजिला मकान था । मकान के ऊपर वाले हिस्से में भगत किराए पर रहता था। ऊपर वाले भाग में एक बैडरूम था ।एक बैठक रूम था और एक किचन था। बेडरूम से बाथरूम अटैच था

मकान के नीचे वाले भाग में मकान मालिक के परिवार रहते थे ।नीचे वाले भाग में दो रूम एक हाल और एक किचन बना हुआ था ।

मकान मालिक के परिवार में 5 सदस्य थे । आइए उनका परिचय करा देता हूं।

कांता प्रसाद --यह पेसे से हलवाई था। बाजार में ही उसका छोटा सा दुकान था। जहां दोनों कर भी काम करते थे ,कांता प्रसाद का उम्र 54 वर्ष था। वह सुबह 10:00 बजे ही दुकान के लिए निकल जाता था और रात में 9:00 बजे के बाद ही घर आता था।
दोपहर 1:00 बजे नौकर खाना ले जाने के लिए कामता प्रसाद के घर आता था।

परिवार की दूसरी सदस्य
कौशल्या देवी - 48 वर्ष की एक गदराई औरत थी। रंग गेहुआ बड़ी-बड़ी चूचियां और उभरी हुई गांड इसकी सुंदरता बढ़ा रही थी। यह सारा दिन घर में ही रहती थी। और घर के काम मे ही अपने को व्यस्त रखती थी।

घर की तीसरी सदस्य
कविता --कौशल्या की बड़ी लड़की थी।इसकी उम्र 29 वर्ष थी ।इसकी शादी हो गई थी। यह दो बच्चों मां बन चुकी थी ।वह अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।

घर की चौथी सदस्य
काजल --यह कौशल्या देवी की दूसरी लड़की थी। इसकी उम्र 26 वर्ष थी। इसके भी शादी हो चुकी थी। इसकी एक लड़की थी। वह भी अपने पति के साथ दूसरे शहर में रहती थी ।
घर का अंतिम सदस्य

किशोर - कौशल्या देवी का पुत्र था। इसकी आयु 24 वर्ष था। पढ़ाई पूरा करने के बाद वह दिल्ली में जॉब करता था ।और वह वहीं रहता था।

इस प्रकार वर्तमान मे , मकान के नीचे भाग मे केवल 2 सदस्य कामता प्रसाद और उसकी धर्मपत्नी कौशल्या देवी रहते थे।

मकान के ऊपर वाले हिस्से में पहले किशोर रहता था। उसकी जॉब लग जाने के बाद ऊपर वाला हिस्सा खाली रह जाने पर उसे किराए पर दे दिया गया ।

इस मकान पर रहते हुए भगत को 1 वर्ष से भी अधिक का समय हो चुका था ।

अब चलते है कहानी की ओर

भगत राजेश के घर से आने के बाद वह सीधे अपने रूम में चला गया ।वह अपने बेड पर लेटा था ।राजेश से हुई मुलाकातों के बारे में वह सोच रहा था

तभी सुनीता की खूबसूरती उसके आंखों के सामने आ गया ।सुनीता की खूबसूरत बदन को याद करने से उसका लंडखड़ा हो गया।

वह एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा उसे चुदाई करने की इच्छा होने लगी।

वह अपने ही रूम से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे उतर कर मकान के मेन दरवाजा बंद कर दिया और सीधे वह मकान मालिक के किचन की ओर चला गया क्योंकि उसे पता था कि इस समय घर में केवल कौशल्या देवी ही है और वह खाना बना रही होगी।

किचन पर जा कर देखता है। कौशल्या देवी खाना बना रही थी ।वह कौशल्या देवी के पास चला गया। उसके पास जाकर उसके पीछे खड़ा होकर उससे जाकर चिपक गया और अपने लंड को उसके गांड में दबाने लगा ।

कौशल्या देवी चौक गई वह पीछे मुड़कर देखी।

वह भगत को देख कर मुस्कुराने लगी अरे बेटा तुम कॉलेज नहीं गए।

भगत ने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की चुचियो को पकड़कर मसलते हुए कहा, नहीं मां जी ।

आज कॉलेज गया था, पर वहां मेरा मन नहीं लगा। तुम्हारी याद आने लगी तो मैं कॉलेज से घर आ गया।

ऐसा कहते हुए भगत ने कौशल्या देवी के चुचियों को अपने हाथों से जोर जोर से मसलने लगा ।अपने लंड से कपड़े के ऊपर से ही उसके गांड पर धक्के लगाने लगा।

कौशल्या देवी का बदन गर्म होने लगा ।उसकी सांसे तेज होने लगी। उसने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहे हो अभी मैं खाना बना रही हूं।

भगत ने कौशल्या देवी से उसके कानों में धीरे से कहा। मां जी बहुत मन कर रहा है ।मैं नहीं रुक सकता और वह अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी ब्लाउज की बटन को खोल कर उसकी चुचियों को नंगा कर दिया। और भगत चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए उसके गालों को चूमने लगा ।

कौशल्या देवी की सांसें तेज़ होने लगी उसके बदन और गर्म हो गया ।उसके चूत से अब पानी िरसना शुरू हो गया।

कौशल्या देवी इस समय सब्जी बना रही थी। वह अपने हाथों से करछुल पकडे कढ़ाई पर सब्जियां भून रही थी।

वह भगत से बोली बेटा थोड़ी देर बाद करते हैं।मै सब्जी बना लेती हूं ।तुम जाओ कमरे में मैं सब्जी को भून कर ,उसे पकने छोड़कर तेरे पास आती हूं।

भगत ने उसके कानों में कहा तू सब्जी बनाना। तुम्हें किसने रोका है। मुझे मेरा काम करने दो और वह कौशल्या देवी के होठों को चूसने लगा।

कौशल्या देवी को भी बहुत ही अच्छा लग रहा था उसके बूर से पानी बहने लगा।

अब भगत से बर्दाश्त नहीं हुआ वह नीचे झुका और कौशल्या देवी के पेटीकोट को ऊपर उठाया। अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी की पेंटी को पकड़कर उसे नीचे खींच दिया ।पेंटी पूरा गीली हो गई थी।उसे उसके पैरों से अलग कर दिया।

भगत पेंटी को ,पहले अपने नाक के पास ले जाकर सुघने लगा। उस पर लगी बूर रस की खुशबू नाक मेजाते ही , वह जोश से भर गया और कौशल्या देवी के पेटीकोट को उसके कमर तक ऊपर चढ़ा कर उसके चूत में अपने दो बड़ी उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा ।

कौशिल्या देवी के मुंह से सिसकारी निकलने लगी। ।

भगत अपनी पैंट को निकाल कर पैरो से अलग कर दिया।

अब वह देर न करते हुए अपना अंडर वियर भी निकाल दिया और नीचे से नंगा हो गया ।

अंडर वियर निकलते ही उसका लंड हवा में लहराने लगा वह लोहे की रॉड की तरह खड़ा हो गया था और कौशल्या देवी की चूत को देखकर ठुनकी मार रहा था।

और उसके लंड* मुख से चिपचिपा सा पदार्थ निकल रहा था।

भगत का लंड काफी लंबा था। उसके लंड* का सुपाड़ा थोड़ा पतला था, लेकिन वह जड़ से मोटा था ।

राजेश अपने हाथों से अपने लंड* को पकड़ा और कौशल्या देवी चूत में ल गया और जोर से धक्का मारा।

कौशल्या देवी जोर से सिसक उठी ।

भगत का लंड सरसराते हुए कौशल्या देवी के चुत में आधा चला गया ।

भगत ,कौशल्या देवी की नंगी चूचियों को जोर जोर से मसलने लगा। फिर एक जोरदार धक्का अपने लंड से कौशल्या देवी के चूत पर मारा ।

भगत का लंड कौशल्या देवी के चूत में फच की आवाज के साथ पूरा जड़ तक चला गया ।

कौशल्या देवी अपने मुख से सिसकारी निकाल रही थी जोर जोर से सांस ले रही थी।

भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के कमर को पकड़ लिया और अपना पीछे से पोजीशन बनाकर अपने लंड को सुनीता देवी के बूर में अंदर बाहर करने लगा ।

वह कौशल्या देवी के बूर को जोर जोर से चोदने लगा। कमरे में फच फच गच गच की आवाज गूंजने लगी ।

चुदवाने के साथ , कौशल्या देवी कढ़ाई में सब्जी को बनाने का काम भी कर रही थी और चुदवाने का मजा भी ले रही थी ।

कुछ देर तक इसी पोजीशन में चुदाई होता रहा। सब्जी भून चुकी थी अब उसे पकने के लिए ,कढ़ाई को ढक्कन से ढक दिया।

कौशल्या ने भगत से कहा चलो बेटा बिस्तर पर चलते हैं ।

भगत ने धक्का लगाना बंद कर दिया और कौशल्या देवी के दोनों टांगों को पकड़ कर उसे अपने लंड में बिठाए हुए बेड बेडरूम में ले गया ।

बेडरूम में ले जाकर उसे बेड पर कुत्तिया बना दिया और फिर दोनों हाथों से उसके चूची को पहले जोर-जोर से मसाला फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर उसके चूत में अपना लंड तेजी से अंदर बाहर करने लगा ।

उसका लंड चुत के रस से पूरी तरह गीला हो गया थाऔर वह बिना किसी रूकावट के फच फच की आवाज के साथ अंदर जा रहा था और गच गच की आवाज के साथ बाहर आ रहा था।कमरे में फच फच और गच गच की आवाज गूंजने लगा।

भगत अपनी आंखें बंद करके चुदाई* का सुख भोगने लगा ।
उधर कौशल्या देवी भी सिसकारी लेते हुए अपने आंखें बंद कर ली थी ।और चुदाई कि मजे ले रही थी।

उसके मुंह से ऊई़ मां आह आह आह की आवाजें निकल रही थी ।
भगत ने कुछ समय इसी पोजीशन में चोदने के बाद अपनी आंखे खोला।

वह अचानक से अपने ल़ंड को कौशल्या देवी के चूत से बाहर निकाला।

उसका लंड फचाक की आवाज के साथ बाहर निकला। उसका लंड चूत के रस से पूरी तरह गीला हो गया था और वह चमक रहा था ।

कौशल्या देवी भगत की ओर देखने लगी।

भगत अपने लंड को अपने हाथों से पकड़े हुए बिस्तर पर लेट गया।

भगत ने कौशल्या देवी को आंखों से इशारा किया।

कौशल्या देवी समझ गई भगत क्या चाहता है ।

वह भगत के लंड पर झुक कर ,उसे अपने हाथों में पकड़ कर हिलाने लगी ,फिर अपने होठों को लंड़ पास ले जाकर , लंड के सुपाडे को अपने मुंह में भर लिया

फिर वहां चूसना शुरु कर दी। किसी पोर्न स्टार की तरह कौशल्या देवी भगत के लंड को चूसने लगी ।

भगत ने कौशल्या देवी के बालों को जो बंधा हुआ था, उसे खोल दिया और उसके सिर को अपने लंड पर दबाए रखा ।

कौशल्या देवी भगत के ल़ड को सकासक चूसे जा रही थी ।
भगत अपनी आंखें बंद कर मुख चुदाई का आनंद लेने लगा।

कौशल्या देवी पूरे जड़ तक लंड को अपने मुंह में ले कर चूस रही थी ।

भगत लंच चुसवाते हुए बोले जा रहा था ।चुस मेरी जान चस, बहुत मजा आ रहा है।


भगत कुछ समय मुख चुदाई करने के बाद कौशल्या देवी के मुख से लंड को निकाल दिया।

कौशल्या देवी भगत की ओर देखा ।

भगत ने कौशल्या देवी को इशारा किया।

कौशल्या देवी समझ गई कि अब उसे क्या करना है।

वह बेड पर खड़ी हो गई और अपने पेटिकोट को दोनों हाथों से ऊपर उठा कर । भगत के लंड पर बैठ गई।

वह अपने एक हाथ से भगत के लंड को पकडी और अपनी चूत के मुख पर रख दी ।

भगत ने भी अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चूतड़ को पकड़ लिया।

इधर कौशल्या देवी भी लंडपर अपने चूत का दबाव बनाने लगी। उधर भगत भी कौशल्या देवी के चूतड़ को अपने हाथों से पकड़ कर लंड पर दबाया । नतीजा ये हुआ कि लंड चूत अंदर जड़ तक चला गया ।

कौशल्या देवी भगत के लंड पर उछल उछल कर चुदने लगी इसने पोजीशन में दोनों को अपार सुख प्राप्त हो रहा था ।

कौशल्या देवी के उछलने के साथ-साथ उसकी दोनों चूचियां भी उछलने लगी, जिसे देखकर भगत से रहा न गया।

वह दोनों हाथों से चूची को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।

इधर लंड* चूत में गपा गप अंदर बाहर हो रहा था


दोनों आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगे ।

भगत का लंड कौशल्या देवी की चूत में गच गच अंदर बाहर होता देख , दोनों चुदाई की मस्ती में में खो गए थे । कौशल्या देवी सिसक रही थी और लंड* पर अपनेी चूतड़ पटक पटक कर चुद रही थी।

तभी बाहर से दरवाजा खटखटाने की आवाज आई ।खटखटाने की आवाज सुनकर कौशल्या देवी होश में आईऔर भगत से बोली लगता है कि बाहर कोई आया है ।

भगत सिंह को बहुत गुस्सा आ रहा था उसे चुदाई * बंद करने का बिल्कुल मूड नहीं था ।


उसने कौशल्या देवी से कहा मादरचोद कौन गाड मराने आ गया ।साला ठीक से चोदने भी नहीं देते ।

तब कौशल्या देवी ने मस्कराते हुए कहा लगता है दुकान से नौकर खाना ले जाने के लिए आया है ।

मुझे दरवाजा खोलना होगा और वह भगत के लंड से ऊपर उठी।
लंड फक की आवाज के साथ चूत से बाहर निकला ।

लंड कौशल्या देवी के चूत के रस से भीगा हुआ था और वह चमक रहा था। कुछ मोटा भी हो गया था। वह अभी भी ठूनकी मार रहा था ।

उसके लंड को देखकर कौशिल्या देवी मुस्कुरा रही थी ।

भगत सिंह कौशल्या देवी से बोला उस मादरचोद को * को जल्दी से निपटा ।मुझसे रहा नहीं जाएगा। ।

कौशल्या देवी अपने ब्लाउज के बटन को लगाते हुए बैडरूम सीन बाहर चली गई।
nice updates..!!
bhai kahani incest hi rahe toh achha hai..iss harami bhagat ko rajesh ke ghar se dur hi rakho..rajesh ki maa aur behen sirf rajesh ki hi hongi..!! ab sunita bhi apne bete ko lekar fikr me hai..ab dekhte hai rajesh aur sunita ka bond kaise aage badhta hai..!!
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi behtarin kahani… waiting for next update…
 
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कौशल्या देवी के रूम से बाहर चले जाने के बाद भगत रूम में बेड पर आराम से लेट गया। वह पुरानी यादों में खो गया ।

जब वह किराए मकानपर खोज रहा था ,तब उसे ढंग का कोई मकान मिल नहीं रहा था । एक रिश्तेदार की सिफारिश पर यह मकान उसे किराए पर बड़ा मुश्किल से मिल पाया ।

जब शुरू शुरू में वह यहां रह रहा था ,एक ही मकान में रहने के बावजूद कौशल्या देवी और कामता प्रसाद से आमना सामना कभी कभार ही हो पाता था और हेलो अंकल और हेलो आंटी तक ही सीमित था ।

कौशल्या देवी दिन भर नीचे ही समय व्यतीत करती थी ।वह बहुत कम दूसरी मंजिल पर जाति थी ।

कभी-कभी ऊपर छत पर कुछ सुखाने के लिए चली जाती थी ।

भगत घर में खाना नहीं बनाता था ।वह रात मेंढाबे पर खाने के लिए चला जाता दोपहर में भोजन कॉलेज के कैंटीन में करता था ।इस तरह रहते रहते उसे तीन-चार माह हो गया था।

इन तीन चार माह में कौशल्या देवी और भगत के बीच हाय हेलो के अलावा कोई ज्यादा वार्तालाप नहीं हुआ था ।

तभी एक घटना घटित हो गय रात की 1:00 बजे का समय था ।उस समय भगत अपने बेड पर सोया हुआ था ।तभी किसी ने उसकी दरवाजा खटखटाया ।

भगत ने सोचा इस समय कौन हो सकता है ।वहउठा और दरवाजा खोलने के लिए चला गया।

भगत जैसे ही दरवाजा खोला उसने देखा सामने आंटी खड़ी थी। वह रो रही थे बेटा जल्दी चलो तुम्हारे अंकल बाथरूम में गिर गया है मेरी मदद करो।

उसके सिर पर चोट लगी है ।खून बह रहा है ।इस समय भगत लोवर और टी शर्ट पहना हुआ था ।

आंटी की बातों को सुना और वह तुरंत ही आंटी के साथ नीचे चला गया।

उसने देखा बाथरूम में अंकल नीचे पड़ा हुआ है ।उसके सिर से खून बह रहा है ।बाथरूम में भी बहुत सारा खून फैल गया था।

भगत कौशल्या देवी से कहा आंटी अंकल के सिर पर गहरी चोट लगी है। इसे तुरंतअस्पताल ले जाना होगा।

कामता प्रसाद इस समय बेहोश हो गया था ।

कौशल्या देवी डरी हुई थी और रोए जा रही थी।

भगत सिंह ने कौशल्या देवी से कोई कपड़ा लाने के लिए कहा ताकि कामता प्रसाद जी के सिर पर बांधा जा सके जिससे खून का बहना कुछ कम हो जाए ।

कौशल्या देवी तुरंत कपड़ा लेकर आई ।

भगत ने कामता प्रसाद के सिर को कपड़े से बांध दिया उसके चेहरे पर पूरा खून लगा हुआ था। वह उसे कपड़े से पूछा और उसे कौशल्या देवी की मदद से उठाकर बेड पर सुला दिया।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा आंटी अंकल को तुरंत अस्पताल ले जाना होगा मैं ले जाने का कोई साधन जुगाड़ करता हूं और वह घर के बाहर सड़क की ओर चला गया।

वह इधर-उधर ऑटो की तलाश करने लगा ,तभी सड़क के किनारे उसे एक ऑटो खड़ा हुआ दिखाई पड़ा। ऑटो के अंदर कोई सोया हुआ था ।उसने ऑटो वाले को जगाया और उससे कहा भैया तुम्हारी मदद चाहिए ।

ऑटो वाले ने उससे पूछा क्या हुआ भाई ।

उसने सारी बातें ऑटो वाले को बताया ।

ऑटो वाले ने भगत की बातों को सुनकर उसकी मदद के लिए तैयार हो गया ।

भगत ऑटो वाले के साथ ऑटो में बैठ कर घर की ओर आया ।ऑटो वाले की मदद से कांता प्रसाद जी को बेड से उठाकर ऑटो पर बिठाया ।

भगत और कौशल्या देवी भी आटो पर बैठ गए और अस्पताल की ओर चले गए ।

अस्पताल में जाने के बाद भगत ने डॉक्टरों से मुलाकात किया हादसे के बारे में डॉक्टरों को बताया ।

कामता प्रसाद के आपातकाल चिकित्सकीय रूम में ले जाया गया ।रूम के बाहर भगत और कौशल्या देवी चेयर पर बैठकर डॉक्टरों का बाहर निकलने का इंतजार करने लगे ।

कौशल्या देवी रोए जा रही थी ।

भगत ने उसे कहा आंटी रोइए मत सब ठीक हो जाएगा मैं हूं ना ।

भगत ने उससे पूछा कि यह हादसा हुआ कैसे ?

आंटी ने बताया बेटा तुम्हारे अंकल बाथरूम के लिए उठे थे ।बाथरूम के अंदर जाते ही उसे चक्कर आ गया और वह गिर पड़ा। मैं दौड़ते हुए उसके पास गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू तब मैं तुमसे मदद मांगने के लिए तुम्हारे पास गई।

एक नर्स रूम से बाहर आई उसने सामान की एक लिस्ट कौशल्या देवी के हाथों में दिया और उसने उसे मेडिकल से तुरंत लाने के लिए कहा।

भगत ने कहा आंटी लिस्ट मुझे दो मैं मेडिकल से ले आता हूं वह कौशल्या देवी के हाथों से पर्ची लिया और मेडिकल स्टोर की ओर चला गया ।

वह मेडिकल सामान लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचा और नर्स को वह सामान दे दिया।

डॉक्टरों के द्वारा इलाज जारी था ।लगभग 2 घंटे इलाज के करने के के बाद एक डॉक्टर चिकित्सकीय रूम से से बाहर आया ।

डॉक्टर को आते देख भगत उसके पास जाकर उससे पूछा।

सर अंकल की हालत कैसी है अंकल ठीक तो है है ना ।

डॉक्टर ने भगत से कहा तुम लोग उसे ठीक समय पर अस्पताल ले आए ,थोड़ा भी लेट होता तो उसकी जान भी जा सकती थी ।पेशेंट का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है ।जिसके कारण उसे चक्कर आया ।गिरने से उसके सर पे , गहरी चोट लगी है जिसमें बहुत सारा खून शरीर से बह गया है ।उसकी सर्जरी कर दिया गया है लेकिन उससे खून चढ़ाना होगा। जिस ग्रुप की खून की आवश्यकता ,वह हमारे अस्पताल में अभी उपलब्ध नहीं है। तुम अगर कहीं से जुगाड़ सकते हो तो, ब्लड की व्यवस्था जल्दी करो ।

कौशल्या देवी डॉक्टर की बात को सुनकर रोन् लगी बेटा अब क्या होगा ?खून की व्यवस्था कैसे होगा ?

भगत ने कहा आंटी तुम चिंता मत करो ।मैं कुछ करता हूं और वह अपने दोस्तों को फोन कर ब्लड के लिए मदद मांगने लगा ,लेकिन उस ब्लड ग्रुप वाला कोई मिल नहीं रहा था ।

तभी उसे याद आया कि यह ग्रुप तो राजेश का भी है उसने राजेश को फोन लगाया। राजेश ने फोन उठाया इस समय सुबह का 5:00 बज चुके थे।

राजेश ने अपनी मां सुनीता को इस बारे में बताया। सुनीता ने उसकी दोस्त की मदद के लिए हामी भर दी ।

राजेश तुरंत घर से बाहर निकल कर अपना बाइक से अस्पताल के लिए चल पड़ा ।
वह अस्पताल पहुचा

भगत उसका इंतजार कर रहा था ।वह राजेश को डॉक्टरों के पास ले गया ।

डॉक्टर ने राजेश का खून चेक किया दोनों का ही ग्रुप मैच पाया गया।

डॉक्टरों ने राजेश का खून कामता प्रसाद के शरीर में चढ़ा दिया ।

2 घंटे बाद राजेश रूम से बाहर निकला। भगत ने राजेश को देखकर गले लगा लिया थैंक यू यार ।

कौशल्या देवी ने राजेश को देखकर राजेश से कहा बेटा मैं तुम्हारी शुक्रिया अदा किस प्रकार से करू। तूने मेरे पति को नया जीवनदान दिया है। तुम्हारा बहुत धन्यवाद बेटा ।

राजेश ने आंटी से कहा नहीं आंटी जी यह तो मेरा फर्ज है। मेरे कारण किसी की जान बची यह तो मेरे लिए खुशी की बात है।

राजेश कुछ समय तक अस्पताल में रुका फिर वह भगत से कहकर अच्छा यार मैं चलता हूं मां राह देख रही होगी। मेरी जरूरत पड़े तो फोन पर बताना मैं आ जाऊंगा।

भगत राजेश को एक बार फिर अपने गले से लगा लिया थैंक यू यार तू मेरा सच्चा दोस्त है।

राजेश अस्पताल से चला गया ।

2 घंटे के बाद कामता प्रसाद को आपातकाल की रूम से निकालकर वार्ड रूम में लाया गया वह होश में आ चुका था ।

कौशल्या देवी और भगत दोनों उनसे मिलने के लिए वार्ड रूम में गए ।
कौशल्या देवी अपने पति को खतरे से बाहर देख कर और होश में आया देखकर वह खुश हो गई और भगवान की को शुक्रिया अदा करने लगी।

फोन के माध्यम से कौशल्या देवी ने अपने बेटे और बेटियों को इस घटना की जानकारी दे दी ।

उनकी बेटियां कविता और काजल दोनों को जब यह मालूम हुआ कि उसके पिताजी अस्पताल में एडमिट है,वे अपने पतियों एवं बच्चों के केसाथ अपने अस्पताल के लिए निकल पड़े।

इधर भगत अस्पताल में ही रुका था और हर प्रकार की मदद कर रहा था ।

जब का कौशिल्या देवी की बेटियां अस्पताल पहुंचे अपने पिताजी को देखने ,तब कौशल्या देवी ने अपनी बेटियों को भगत के बारे में बताया कि किस प्रकार से भगत ने मदद की अगर भगत नहीं होता तो तो पता नहीं क्या हो जाता ।

उनकी बेटियों ने बेटियों ने भगत को मदद के लिए धन्यवाद दिया और उनसे कहा कि अब से तुम हमारे छोटे भाई के समान हो।

भगत ने कहा मैं तुम्हारा छोटा भाई ही हूं आंटी और अंकल का मदद करना मेरा फर्ज है ।

उनकी बेटियों के आने के बाद कुछ समय तक और अस्पताल में भगत रुका फिर वह आंटी के पास जाकर बोला अच्छा आंटी अब मैं चलता हूं और किसी प्रकार की जरूरत हो तो मुझे फोन करना ।मैं तुरंत आ जाऊंगा ।

तब कौशल्या देवी ने कहा बेटा मैं तुम्हारा एहसान का बदला जिंदगी भर नहीं चुका सकूंगी तुमने मेरी सुहाग को बचाया है ।अगर तुमने मदद नहीं की होती तो पता नहीं क्या हो जाता ।

फिर भगत ने कौशल्या देवी से कहा आंटी में तुम्हारे बेटे जैसा ही तुम्हें जब भी कोई मदद की जरूरत पड़े मुझे बता देना ।

कौशल्या देवी ने कहां थैंक्यू बेटा और भगत अस्पताल से घर की ओर चला गया ।चार-पांच दिन अस्पताल में रहने के बाद कामता प्रसाद जी को अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया। और वे घर आ गए उनकी बेटियां भी ससुराल चली गई ।

शाम को कॉलेज से वापस आने के बाद भगत सीधे कामता प्रसाद जी की हाल चाल पूछने के लिए उसके रूम में चला गया।

कामता प्रसाद जी से भगत ने कहा अंकल अब आपकी तबीयत कैसी है ।

कांता प्रसाद जी ने कहा मैं अच्छा हूं बेटा ।कौशिल्या ने बताया तुमने हमारी मदद किस प्रकार की । इतनी मदद तो कोई सगा बेटा भी नहीं करता ।एक हमारा बेटा किशोर है जिसको खबर देने के बाद भी अभी तक मिलने के लिए भी नहीं आया ।

भगत ने कामता प्रसाद से कहा अंकल जी आप मुझे अपना बेटा ही समझिए।

तब कौशल्या देवी इस समय बना रही थी वह चाय लेकर के रूम में आई लो बेटा चाय पी लो ।

भगत ने कहा थैंक्यू आंटी और चाय का कप उठाकर पीने लगा ।

कौशल्या देवी भगत से बोली बेटा अब से तुम मुझे आंटी मत बोलना ,अब तुम मुझे मा जी बुलाना, मुझे अच्छा लगेगा ।

भगत ने कहा ठीक है मा जी आजसे मैं आपको मा जी ही कहूंगा ।

कौशिल्या देवी ने कहा एक बात और कहनी थी बेटे तुम रात का भोजन हमारे साथ ही किया करो ।साथ ही सुबह का चाय नाश्ता भी मैं तेरे लिए बना दिया करूंगी ।
भगत ने कहा मा जी आपको मेरे लिए कष्ट उठाने की जरूरत नहीं है।

कौशल्या देवी ने कहा बेटा तुमने हमारी इतनी मदद की मैं तुम्हारे लिए इतना नहीं कर सकती ।

आज से तुम मेरे बेटे जैसा ही हो।

तब भगत ने कहा ठीक है मा जी जैसी आपकी इच्छा ।

और भगत आज से कौशल्या देवी को मा जी कहकर बुलाने लगा ।

अगली सुबह जब भगत सोया हुआ था किसी ने दरवाजा खटखटाया ।भगत ने सोचा इस वक्त कौन होगा।इस समय सुबह के 7:00 बज गए थे ।

भगत ने दरवाजा खोला सामने कौशल्या देवी खड़ी थी ।अरे बेटा मैं तुम्हारे लिए चाय लाई हूं चाय पी लो ।।भगत ने कहा अरे माजी आप अंदर आइए ना ।

कौशल्या देवी चाय लेकर अंदर आई बेटा चाय ठंडी हो जाएगी इसे पी लो ।

भगत ने चाय का कप उठा लिया और उसने कौशल्या देवी से कहां थैंक यू मा जी ।

भगत चाय पीने लगा उधर कौशल्या देवी कमरे के अंदर मुआयना किया उसने देखा कि कमरे में तो काफी धूल जमा हुआ। उसने भगत से कहा अरे बेटा कमरे में तो बहुत धूल जमा हुआ है ।बेटा आज से में झाड़ू पोछा कर दिया करूंगी ।

भगत ने कहा मां जी इ मैं कर लूंगा ।

बेटा तुम नहा कर तैयार हो जाना ,मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना रही हू। कॉलेज जाने से पहले तुम नाश्ता कर लेना ।

भगत ने कहा ठीक है मा जी और हां बेटा अपने रूम की चाबी मुझे दे देना मैं तुम्हारे कमरे की साफ सफाई कर दूंगी ।भगत ने कहा ठीक है मा जी ।

इस तरह से कुछ दिन और निकल गए कौशल्या देवी और भगत के बीच अपनापन और बढ़ता गया।

कौशल्या देवी भगत को अपने बेटा जैसे मानने लगी भगत की सेवा करने लगी ।

इधर भगत भी कौशल्या देवी को अपने मां के समान ही मानने लगा ।

एक दिन की बात है भगत कॉलेज नहीं गया था वह घर पर ही रुक गया था । वह पलंग पर लेटा हुआ था। तभी का कौशल्या देवी भगत के कि रूम में सफाई करने के लिए आई।

कौशल्या देवी भगत को देख कर बोली अरे बेटा आज तू कॉलेज नहीं गया ।

भगत ने कहा मा जी आज कॉलेज में छुट्टी है ।

कौशल्या देवी कमरे में झाड़ू लगाने लगी ।कौशल्या देवी को भगत झाड़ू लगाते हुए देख रहा था ।

कौशल्या देवी नीचे झुक कर झाड़ू लगा रही थी तभी अचानक कौशल्या देवी के साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया ।पल्लू के नीचे गिरते ही कौशल्या देवी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी ब्लाउज सी बाहर झाकते हुए दिखाई दिया ।

उनके बड़े-बड़े गोल गोल स्तन भगत की नजर पर पड़ी कौशल्या देवी के स्तनों के गोलियों को देखकर भगत की शरीर की नसों में खून की रफ्तार बढ़ने लगा ।टकटकी नजरों से वह कौशल्या देवी के स्तनों को को देख रहा था ।

तभी कौशल्या देवी को लगा की भगत उसके स्तनों कौन निहार रहा है उसने साड़ी के पल्लू को जल्दी से ठीक किया और झाड़ू लगाने लगी ।

भगत मन में सोचने लगा मां जी की चुटिया कितनी सुंदर है काफी बड़ी और गोल गोल है ।ना चाहते हुए भी उसके लमड में तनाव आने लगा ।

इसके पहले भगत न कौशल्या देवी के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था भगत को चुदाई की हुई काफी दिन हो गए थे। जब वह अपना घर गांव जाता था तो वहां की कुछ औरतों को वह चोदता था और अपना प्यास बुझा कर शहर आता था ।

आज कौशल्या देवी स्तनों को द देख फिर उसकी प्यास जागने लगी ।

कौशल्या देवी झाड़ू लगाने के बाद पोछा लगाने फिर से भगत के रूम में आई और फर्श पर उकड़ू बैठकर पोछा लगाने लगी। उकड़ू बैठन से उसके घुटनों से उसके स्तन दब गए थे। उसके स्तन उसके ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश कर रही थी ।केवल निप्पल ही बचा हुआ था ।स्तन की पूरी गोलाई ब्लाउज से बाहर झांक रही थी ।

भगत की नजर उस पर फिर से एक बार पड़ी ।

कौशल्या देवी की स्तनों को देखकर भगत का शरीर गर्म होने लगा।

भगत अपनी आंखों से नयन सुख ने ने लगा ।कभी-कभी उसे डर लगता की मा जी कही अपनी चुचियों को निहारते पकड़ न ले । मां जी मेरे बारे में क्या सोचेगी।

इधर कौशल्या देवी को लगा की भगत की नजर मेरी चूचियों पर है। उसने अपनी चुचियों को साड़ी के पल्लू से ढकने की कोशिश की लेकिन झुक कर पोछा लगाने से साड़ी का पल्लू स्तनों से हट जा रहा था ।

इधर भगत कौशल्या देवी के स्तनों को देखकर काफी गर्म हो चुका था ।उसका लंड खड़ा हो गया था ।

कौशल्या देवी पोछा लगाने के बाद भगत से बोला ।मैं तुम्हारे लिए दोपहर का भोजन बना दूंगी । भगत ने कहा ठीक है मां जी।

दोपहर में जब भोजन बनकर तैयार हो गया तब कौशल्या देवी ने भगत को खाने के लिए बुलाया ।


भगत भोजन के लिए नीचे चला गया।

भ गत की नजर अब कौशल्या देवी के लिए बदल चुका था ।अब वह उसे मां की नजर से नहीं बल्कि एक औरत की नजर से देखने लगा ।

जब का कौशिलेया देवी उसके सामने आती थी तब भगत की नजर उसके स्तनों पर चला जाता था। उसके स्तनों को के दर्शन के लिए लालायित रहता था। जब पीछे मुड़कर जाने का होती तो उसकी चुतड को निहारने लगता और गर्म हो जाता ।उसके नसों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता।

इधर कौशिलेया देवी को भी एहसास होने लगा कि भगत उन्हें अलग ही नजरों से देखने लगा है ।इस तरह दो-तीन दिन और बीत गए ।


कौशल्या देवी झाड़ू पोछा करने के लिए कमरे में आई

कौशल्या देवी भगत को देखकर बोला । आज कॉलेज नहीं जा रहे हो ।आज भी छुट्टी है क्या ?
भगत ने कहा मा जी आज मुझे मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है मेरे सिर पर दर्द है आज मैं कॉलेज नहीं जाऊंगा ।घर में आराम करूंगा ।

कौशल्या देवी भगत के पास गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखा कि उसका माथा गर्म था।

कौशल्या देवी ने कहा बेटा तुम्हे तो बुखार है तुमने दवाई ली कि नहीं ।

भगत ने कहा हां माजी दवाई ली है

कौशल्या ने कहा ने कहा ठीक है बेटा तुम आराम करो ।और वह पोछा लगाने लगी ।

भगत की नजर फिर से उनके स्तनों पर चला गया क्योंकि कौशल्या देवी पोछा लगाने उकडू बैठने के कारण स्तन का काफी हिस्सा ब्लाउज के बाहर दिखाई पड़ रहा था ।

स्तनों को देखकर भगत गर्र्म हो गया। उसका लंड खड़ा हो गया था ।वह अपने शरीर को चादर से ढक लिया और एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा ।

उसकी नजर कौशल्या देवी की चूचियों पर गढी थी ।

भगत ने सोचा अब मैं और नहीं सहन कर सकता।

मुझे कुछ करना ही होगा नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा ।वह सोचने लगा कि क्या करें ।

इधर पोछा लगाने के बाद कौशल्या देवी नीचे जाने को हुई ।

तभी भगत ने कौशल्या देवी से कहा मा जी मैंने टेबलेट लिया पर सिर पर दर्द अभी भी है ।तुम्हारे पास बाम वगैरह है क्या सिर पर लगाने के लिए।

तब का कौशिल्या देवी ने कहा अरे बेटा बाम तो नहीं है। लेकिन मैं सरसों तेल को गर्म करके लाती हूं मैं तुम्हारे सिर पर मालिश कर दूंगी तुम्हें अच्छा लगेगा।

कौशल्या देवी नीचे चली गई ।

भगत को एक मौका दिखाई देने लगा।

कौशल्या देवी कुछ समय के बाद सरसों का तेल कटोरी में लेकर भगत के कमरे में आई ।

भगत अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था ।

कौशल्या देवी भगत के विस्तार पर उसकी छाती के बगल में बैठ गई । भगत से बोली बेटा मैं तुम्हारी सिर के मालिश कर देती हूं ।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा माजी तुम मेरा कितना ख्याल रख रही हो ।

तब कौशिलेया देवी ने भगत से कहा बेटा तुमने भी तो हमारी बहुत मदद की है ।

कौशल्या देवी अपने हाथों में सरसों तेल लगा कर भगत के माथे और सिर को मालिश करने लगी।

इस समय कौशल्या देवी मालिश करते हुए थोड़ा झुक गई ।जिससे उसका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया ।कौशल्या देवी की चूचिया भगत के आंखों के सामनेझूलने लगा ।वह उसे खाए जाने वाली नजरों से देखने लगा।

कौशल्या देवी भगत की नजरों को देखा। भगत की नजर उसकी चूचियां पर टिकी हुई थी ।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा क्या देख रहा है बेटा ।

भगत शर्मा गया, कुछ नहीं मा जी।

कैशिल्या अपने स्तनों को अपने पल्लू से ढक लिया।

भगत ने एक हाथ से कौशल्या के एक स्तन को हाथों पर रखकर उसे उसे सहलाने लगा ।

कौशल्या देवी ने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहा है ।

तब भगत ने कहा मां जी आपके दूदू बहुत सुंदर हैं ।

कौशल्या देवी शर्मा गई ।वह भगत से बोली बेटा मैं तुम्हारी मां जैसी हूं ऐसा नहीं बोलते।

कौशल्या देवी सरसों के तेल से भगत के सिर और माथे पर मालिश कर रहा था ।इधर भगत एक हाथ से कौशल्या देवी एक चूची पर अपना हाथ फिरा रहा रहा था। वह उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा मां जी आप के दूदू कितने बड़े और सुंदर है।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा चल हट पगला कहीं का ।मैं तुम्हारी मां समान हू तुम्हें मुझसे ऐसा नहीं कहना चाहिए ।

मां जी मैं तो तुम्हारे बेटा जैसा हू ।मुझे अपना बेटा बना लो न।

कौशल्या ने भगत से कहा मैं तो तुम्हें अपना बेटा ही मानती हूं।

तब भगत ने कहा मा मोी जी मै ऐसे ही आपका बेटा थोडे ही हो जाऊगा ।मुझे अपना पूरा बेटा बनाने के लिए तुम्हे अपना दूध पिलाना पड़ेगा ।

मैंने तो आपका दूध पिया ही नहीं है तो आपका बेटा कैसे बन जाऊंगा ।

कौशल्या ने भगत से कहा धत बदमाश ।दूध पीने की बातें करता है यह तुम्हारी दूध पीने की उम्र है क्या? तू बिगड़ गया है।

भगत ने कौशलिया देवी के एक स्तन को सहलाते हुए कहा मां जी मुझे अपना दूध पिलाओ ना ।

कौशल्या देवी ने कहा नहीं बेटा तू बड़ा हो गया है यह तुम्हारी दूध पीने की उम्र नहीं है ।

तब भगत ने कौशल्या से कहा नहीं मां माजी मुझे तुम्हारा दूध पीकर तुम्हारा पूरा बेटा बनना है।

और वह एक हाथों से कौशिल्या देवी के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा ।

कौशल्या भगत से बोले जा रही थी नहीं बेटा ऐसा मत करो पर ।

भगत ने नहीं माना और उसके ब्लाउज की सारी बटन खोल डाले।

बटन खोलते ही कौशल्या के दोनों चूचिया नंगी हो गई क्योंकि कौशल्या देवी ब्रा नहीं पहनती थी ।दोनों चूचियां भगत के आंखों के सामने लटक रहे थे। उसकी नंगी चूचियो को देखकर भगत का लंड खड़ा होकर लोहे की रातड की तरह कठोर हो गया ।उसका लंड ठूनकी मरने लगा ।कौशल्या देवी के दोनों चुचियों को भगत अपने हाथों से पकड़ लिया और उसकी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा ।

कौशल्या देवी भगत से बोले जा रही थी बेटा यह क्या कर रहा है ।यह ठीक नहीं है। मत कर ऐसा ।

भगत ने कौशिल्या देवी से बोला ,नहीं माझी मुझे तुम्हारा पूरा बेटा बनना है ।मुझे तुम्हारा दूध पीने दो और वह दोनों चुचियों को अपने हाथों से मसलते हुए चूसने लगा ।

एक मर्द की कड़े हाथों का एहसास पाकर कौशल्या देवी का शरीर सिहरने लगी ।

भगत उसकी चुचियों को को जोर जोर से मसल कर उसकी निप्पल को चूसने लगा ।उसके निप्पल को अपने दांतों में दबाकर खींचने लगा ।


भगत के ऐसा करने से कौशल्या देवी कि शरीर में कपकपी आने लगी । उसकी सांसे तेज होने लगी ।उसकी आंखें बंद होने लगी। कौशल्या देवी की चूचियां फुल ने और पिचकने लगी ।उसकी निप्पल कड़क हो गए ।

भगत समझ गया मा जी गरम हो गई है तब उसने कौशल्या देवी से कहा मा जी आपके हाथों में जादू है ।आप की तेल मालिश से मेरा सिर दर्द ठीक हो गया ।

कौशल्या देवी अपनी आंखें खोली वह भगत से बोला ठीक है बेटा अब तुम आराम करो ।मैं चलती हू ।

तब भगत ने कौशलिया से कहा नहीं मा जी अभी तुम्हारे दूध पीने से मेरा मन भरा नहीं है ।मुझे अच्छे से पी लेने दो ।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा नहीं बेटा यह ठीक नहीं है। छोडो मुझे ।

भगत ने कहां मा जी क्या तुम अपने बेटे से प्यार नहीं करती।
कौशल्या ने भगत से कहा मैंने ऐसा कब कहा बेटा ।तो मुझे जी भर के अपना दूध पी लेने दो ना ।

कौशिल्या तेल मालिश को बंद कर बिस्तर पर पर सीधा बैठ गई ।भगत भी उठ कर बैठ गया ।और कौशल्या देवी के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। कौशल्या देवी के सासे फिर से तेज तेज चलने लगी। कौशल्या देवी को भी अब बर्दाश्त से बाहर होने लगा ।वह बिस्तर से उठ कर वह दरवाजे की तरफ जाने लगी। भगत ने उसके एक हाथ को पकड़ लिया कौशल्या देवी भगत से कहा अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश की ।

भगत बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया ।वह कौशल्या देवी को पीछे जकड़ लिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसलने लगा और अपने खड़े हुए लंड को कौशल्या देवी की गांड पर हल्का-हल्का धक्का मारने लगा।

कौशल्या देवी भगत का लंड का एहसास अपने गांड मेपाते ते ही मदहोश सी होने लगी ।

कुछ समय तक ऐसे ही खड़े-खड़े भगत कौशल्या देवी की चुचियों को मसलता रहा ।

कौशल्या देवी कि संास तेज तेज चलने लगी उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

भगत कौशल्या को घुमा कर अपनी अपनी ओर कर लिया । कौशल्या की आंखें बंद थी ।भगत कौशिल्या को अपनी बाहों में जकड़ कर उसके होंठों को चूसने लगा। इस समय कौशिल्या की सांसे तेज तेज चल रही थी ।आंखें बंद थी।

भगत कौशल्या को अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी बिस्तर पर चड गया। और उसकी चुचियों को चूसने लगा ।

कौशल्या के मुख से सिसकारी निकल रही थी। भगत कौशल्या की चूची को एक हाथ से मसल रहा था और एक चूची को मुंह में भर कर चूस रहा था।

अब वह थोड़ा चूची से नीचे आया और पेट को चूमने लगा पेट को चुमते चुमते वह साड़ी को कमर से थोड़ा खिसका दिया है ।साड़ी के हटते ही कौशल्या की नाभि भगत को दिखाई पड़ा। भगत उसके बदन की खूबसूरती को देखकर बावरा हो गया ।वह पागलों की तरह उसकी नाभि को चूमने लगा ।उसे चाटने लगा।

भगत की इस हरकत से कौशल्या देवी जोर जोर से सिसकने लगी ।

अब भगत से रहा नहीं गया वह बिस्तर से से उठा और अपने लोवर और अंडरवियर निकाल कर नीचे से नंगा हो गया ।

कौशल्या देवी भगत की इस हरकत को देख रही थी ।उसकी नजर उसके लंड पर पड़ी जो काफी लंबा था ।उसका लंड ठूनकी मार रहा था।

कौशल्या देवी भगत के लंड को देखकर उसके दिल जोर-जोर से धड़कने लगा ।

भगत देर न करते हुए वह फिर से बिस्तर पर चढ़ गया और कौशल्या देवी के ऊपर लेट गया। फिर से उसके होंठों को चूसने चूसते हुए वह नीचे की ओर गया ।

उसकी चूची को मसलने लगा और उससे निप्पल को चूसने लगा। फिर वह नीचे की ओर जाकर उसके पेट को चूसने लगा। उसकी नाभि पर हाथ फेरने लगा फिर उसके नाभि को चूसने लगा। कौशल्या देवी के मुख से सिसकारी लगातार फुटे जा रही थी ।

भगत कौशल्या देवी के टांगों के बीच जाकर बैठ गया उसके पेटीकोट को ऊपर खींच उसके कमर तक चढ़ा ।

दिया पेटिकोट के ऊपर उठते ही उसे कौशल्या देवी की पेंटी नजर आया ।वह पेंटी के ऊपर से ही अपने हाथ उसके चूत र पर रखकर उसे सहलाने लगा ।

कौशल्या देवी अपनी आंखें बंद कर लगातार सिसक रही थी। नहीं बेटा वहां नहीं ।

भगत ने देर ना करते हुए दोनों हाथों से उसकी पैंटी को पकड़ा आर उसको खींचने लगा।
कमर से पेंटी दबे होने के कारण निकालने में दिक्कत होने लगी।

तभी कौशल्या देवी ने अपना कमर ऊपर उठा दिया ।

कौशल्या देवी की इस हरकत को देखकर भगत बावरा हो गया ।वह समझ गया कि कौशल्या देवी अब खुद चुदना * चाहती है ।

वह कौशल्या देवी की पैंटी को पकड़ उसे खींचकर उसके पैरों से अलग कर दिया ।

भगत कौशल्या देवी की फूली हुई चिकनी चूत को देखकर बावरा हो गया ।उसने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। उसकी उंगलियां योनि रस से भीग गया ।

कौशल्या देवी आनंद के मारे जो जोर-जोर से सिसकने लगी ।
भगत अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और कौशल्या देवी के योनि के पास ले गया ।अपने लंड के टोपे को योनि मुख पर रखकर उसे योनी पर घिसने लगा।

कौशी ल्या जाेर जोर से सिसक रही थी। वह अपने दोनों टांगों को पूरा खोल दी। अपनी दोनों टांगों को खोल कर वह चुदाई के लिए अपनी सहमति दे रही थी।

अब भगत को भी बर्दाश्त से बाहर लग रहा था उसने अपने लंड को कौशल्या देवी के चूत के छेद पर पर रखकर हल्का धक्का मारा। चूत बूर** रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। अतः लंड पहले ही धक्के में सरसराते हुए आधा घुस गया ।

कौशल्या देवी के मुख से सिसकने की जोर से आवाज आई ।

भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चुचियों को पकड़कर मसला और एक जोरदार धक्का अपने लंड से चूत पर मारा। उसका ल़ड चूत को चीरते हुए फच की आवाज के साथ पूरे जड़ तक अंदर घुस गया ।कौशल्या देवी के मुंह से उई मां की आवाज निकल पड़ी ।

अब भगत अपने दोनों हाथों को कौशल्या देवी की चूची पर रख कर। अपने लंड* को कौशल्या देवी की चूत मे* धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा ।

कौशल्या देवी की आंखें बंद थी और उसके मुख से सिसकारी निकल रही थी।

इधर भगत कौशल्या देवी की चूची को जोर जोर से मसलते हुए, अपने लंड से तेज झटके लगाते हुए कौशल्या देवी के चूत में अपना लंड तेजी से अंदर-बाहर करने लगा ।

उसका लंड * चूत * के रस से पूरा गीला होजाने से आसानी से सर सर अंदर बाहर हो रहा था

कौशल्या देवी की योनि से बू र रस बहते हुए उसके गांड में भरने लगी थी।

अब भगत का लैंड कौशल्या देवी के चूत* के अंदर फच फच गच गच आवाज करते हुए अंदर बहार होने लगा ।

दोनों को चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि कौशल्या देवी अपने दोनों हाथों से भगत के पीठ को पकड़ लिया और उसे अपने शरीर से चिपकाने लगी वह अपने कमर को ऊपर उठा उठा कर लंड बूर मे गहराई तक लेने लगी।

कौशल्या देवी को अपने पति से चुदाई * में ऐसा मजा कभी नहीं आया था ।तभी कौशल्या देवी का शरीर अकड़ने लगा औरअगले ही पल वह झड़ने लगी ।

कौशि ल्या जब झड रही थी तब लंड पर उसके चूत का कसाव बढ़ गया था उसकी चत खुलने और सिकुडने लगी ।

भगत जान गया कि कौशल्या देवी झड़ गई है ।भगत ने चुदाई बंद कर, कौशल्या देवी के ऊपर लेट गया। इस समय कौशल्या देवी झड़ने की की आनंद ले रही थी ।

जब उसका शरीर शांत हुआ तब भगत कौशल्या देवी की आंखों में देखा।

कौशल्या देवी शर्मा गई ।
भगत कौशल्या देवी की होंठों को अपने होंठों पर दबाकर चूसने लगा ।

कुछ देर तक होंठ चूसने के बाद वह नीचे गया और उसके चूची को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा फिर उसके निप्पल को चूसने लगा।

कौशल्या देवी फिर से धीरे-धीरे गर्म होने लगी। चू ची के नीचे पेट को चुमते हुए ।

भगत उसके नाभि को चाटने चूमने लगा। कौशल्या देवी अपने हाथों से भगत के सिर को पकड़ कर,अपने नाभि पर दबा दी और शिसकने ने की आवाज निकालने लगी।

भगत समझ गया कि कौशल्या देवी फिर से गर्म हो चुकी है उसने कौशल्या देवी को ऊपर उठा दिया और पलट दिया ।उसे उसके कमर को पकड़ कर ऊपर की ओर खींचा और उसे कुतिया बना दीया ।

भगत अपने लमड को अपने हाथों से पकड़ा जो चूत के अंदर जाने के लिए फड़फड़ा रहा था

वह लंड को चूत* के मुख पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा ।फच की आवाज के साथ लंड पूरा जड़ तक अंदर घुस गया ।

भगत अपने दोनों हाथों को सामने ले जाकर कौशल्या देवी की चूचियों को पकड़ कर मसल लगा।

कुछ देर मसलने के बाद वह उसके चूतड़ को चूमने लगा।
कौशिल्या उसकी हरकतों से पागल सी हो गई और अपने कमर को हिला कर खुद ही लंड* पर धक्के मारने लगी ।

भगत समझ गया कि कोशल्या क्या चाहती है वह अपने लंड * से बूर मे धक्का मारना शुरू कर दिया ।

लंड चूत पर सर सर अंदर बाहर होने लगा । कुछ देर बाद वह लंड को चूत में तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर कर दिया ।लंड चूत में गपा गप अंदर बाहर जा रहा था ।कमरे में कौशल्या देवी की लगातार शि सकने और लंड का चूत में गपा गप अंदर जाने की आवाज गूंज रही थी ।

एक बार फिर से कौशल्या देवी और भगत स्वर्ग में चले गए थे । भगत कौशल्या देवी के कमर को अपने हाथों में कस के पकड़ कर हुमच हुमच कर चोदने लगा।

वह ल़ड को चूत से पूरे टोपी तक बाहर निकाल लेता था और फच की आवाज के साथ पूरे जड़ तक लंड को चूत * के अंदर डाल देता था।

इधर कौशल्या देवी को बर्दाश्त से बाहर हो रहा था उसके शरीर अकड़ने लगी और वह फिर से झड़ने लगी ।उसकी चूत की कसावट लंड पर बढ़ गई उसकी चूत खुलने और सिकुडने लगी।

भगत इस समय अपना धक्का और बढ़ा दिया ।अब वह कौशल्या देवी के चूतड़ के के ऊपर बैठ गया और कमर पकड़ कर लंड को तेजी चूत डालने लगा ।अब वह भी झड़ने वाला था ।तभी वह जोर से एक धक्का मारा कौशल्या देवी के कमर को जोर से खींच कर अपने लंड से सटा लिया ।उसके लंड* से वीर्य की फव्वारा निकलकर कौिशल्या चूत को भरने लगा ।

जब उसका लंड वीर्य निकालना बंद कर दिया। भगत हांपते हुए बिस्तर पर लुढ़क गया ।
कौशल्या देवी भी बेड पर पेट के बल लेट गई और वह भी सुस्ताने लगी ।

जब दोनों होश में आए तो दोनों की नजरें मिली कौशल्या देवी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। वह बिस्तर से उठी और भागते हुए रूम से बाहर चली गई।
 

A.A.G.

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कौशल्या देवी के रूम से बाहर चले जाने के बाद भगत रूम में बेड पर आराम से लेट गया। वह पुरानी यादों में खो गया ।

जब वह किराए मकानपर खोज रहा था ,तब उसे ढंग का कोई मकान मिल नहीं रहा था । एक रिश्तेदार की सिफारिश पर यह मकान उसे किराए पर बड़ा मुश्किल से मिल पाया ।

जब शुरू शुरू में वह यहां रह रहा था ,एक ही मकान में रहने के बावजूद कौशल्या देवी और कामता प्रसाद से आमना सामना कभी कभार ही हो पाता था और हेलो अंकल और हेलो आंटी तक ही सीमित था ।

कौशल्या देवी दिन भर नीचे ही समय व्यतीत करती थी ।वह बहुत कम दूसरी मंजिल पर जाति थी ।

कभी-कभी ऊपर छत पर कुछ सुखाने के लिए चली जाती थी ।

भगत घर में खाना नहीं बनाता था ।वह रात मेंढाबे पर खाने के लिए चला जाता दोपहर में भोजन कॉलेज के कैंटीन में करता था ।इस तरह रहते रहते उसे तीन-चार माह हो गया था।

इन तीन चार माह में कौशल्या देवी और भगत के बीच हाय हेलो के अलावा कोई ज्यादा वार्तालाप नहीं हुआ था ।

तभी एक घटना घटित हो गय रात की 1:00 बजे का समय था ।उस समय भगत अपने बेड पर सोया हुआ था ।तभी किसी ने उसकी दरवाजा खटखटाया ।

भगत ने सोचा इस समय कौन हो सकता है ।वहउठा और दरवाजा खोलने के लिए चला गया।

भगत जैसे ही दरवाजा खोला उसने देखा सामने आंटी खड़ी थी। वह रो रही थे बेटा जल्दी चलो तुम्हारे अंकल बाथरूम में गिर गया है मेरी मदद करो।

उसके सिर पर चोट लगी है ।खून बह रहा है ।इस समय भगत लोवर और टी शर्ट पहना हुआ था ।

आंटी की बातों को सुना और वह तुरंत ही आंटी के साथ नीचे चला गया।

उसने देखा बाथरूम में अंकल नीचे पड़ा हुआ है ।उसके सिर से खून बह रहा है ।बाथरूम में भी बहुत सारा खून फैल गया था।

भगत कौशल्या देवी से कहा आंटी अंकल के सिर पर गहरी चोट लगी है। इसे तुरंतअस्पताल ले जाना होगा।

कामता प्रसाद इस समय बेहोश हो गया था ।

कौशल्या देवी डरी हुई थी और रोए जा रही थी।

भगत सिंह ने कौशल्या देवी से कोई कपड़ा लाने के लिए कहा ताकि कामता प्रसाद जी के सिर पर बांधा जा सके जिससे खून का बहना कुछ कम हो जाए ।

कौशल्या देवी तुरंत कपड़ा लेकर आई ।

भगत ने कामता प्रसाद के सिर को कपड़े से बांध दिया उसके चेहरे पर पूरा खून लगा हुआ था। वह उसे कपड़े से पूछा और उसे कौशल्या देवी की मदद से उठाकर बेड पर सुला दिया।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा आंटी अंकल को तुरंत अस्पताल ले जाना होगा मैं ले जाने का कोई साधन जुगाड़ करता हूं और वह घर के बाहर सड़क की ओर चला गया।

वह इधर-उधर ऑटो की तलाश करने लगा ,तभी सड़क के किनारे उसे एक ऑटो खड़ा हुआ दिखाई पड़ा। ऑटो के अंदर कोई सोया हुआ था ।उसने ऑटो वाले को जगाया और उससे कहा भैया तुम्हारी मदद चाहिए ।

ऑटो वाले ने उससे पूछा क्या हुआ भाई ।

उसने सारी बातें ऑटो वाले को बताया ।

ऑटो वाले ने भगत की बातों को सुनकर उसकी मदद के लिए तैयार हो गया ।

भगत ऑटो वाले के साथ ऑटो में बैठ कर घर की ओर आया ।ऑटो वाले की मदद से कांता प्रसाद जी को बेड से उठाकर ऑटो पर बिठाया ।

भगत और कौशल्या देवी भी आटो पर बैठ गए और अस्पताल की ओर चले गए ।

अस्पताल में जाने के बाद भगत ने डॉक्टरों से मुलाकात किया हादसे के बारे में डॉक्टरों को बताया ।

कामता प्रसाद के आपातकाल चिकित्सकीय रूम में ले जाया गया ।रूम के बाहर भगत और कौशल्या देवी चेयर पर बैठकर डॉक्टरों का बाहर निकलने का इंतजार करने लगे ।

कौशल्या देवी रोए जा रही थी ।

भगत ने उसे कहा आंटी रोइए मत सब ठीक हो जाएगा मैं हूं ना ।

भगत ने उससे पूछा कि यह हादसा हुआ कैसे ?

आंटी ने बताया बेटा तुम्हारे अंकल बाथरूम के लिए उठे थे ।बाथरूम के अंदर जाते ही उसे चक्कर आ गया और वह गिर पड़ा। मैं दौड़ते हुए उसके पास गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करू तब मैं तुमसे मदद मांगने के लिए तुम्हारे पास गई।

एक नर्स रूम से बाहर आई उसने सामान की एक लिस्ट कौशल्या देवी के हाथों में दिया और उसने उसे मेडिकल से तुरंत लाने के लिए कहा।

भगत ने कहा आंटी लिस्ट मुझे दो मैं मेडिकल से ले आता हूं वह कौशल्या देवी के हाथों से पर्ची लिया और मेडिकल स्टोर की ओर चला गया ।

वह मेडिकल सामान लेकर तुरंत अस्पताल पहुंचा और नर्स को वह सामान दे दिया।

डॉक्टरों के द्वारा इलाज जारी था ।लगभग 2 घंटे इलाज के करने के के बाद एक डॉक्टर चिकित्सकीय रूम से से बाहर आया ।

डॉक्टर को आते देख भगत उसके पास जाकर उससे पूछा।

सर अंकल की हालत कैसी है अंकल ठीक तो है है ना ।

डॉक्टर ने भगत से कहा तुम लोग उसे ठीक समय पर अस्पताल ले आए ,थोड़ा भी लेट होता तो उसकी जान भी जा सकती थी ।पेशेंट का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है ।जिसके कारण उसे चक्कर आया ।गिरने से उसके सर पे , गहरी चोट लगी है जिसमें बहुत सारा खून शरीर से बह गया है ।उसकी सर्जरी कर दिया गया है लेकिन उससे खून चढ़ाना होगा। जिस ग्रुप की खून की आवश्यकता ,वह हमारे अस्पताल में अभी उपलब्ध नहीं है। तुम अगर कहीं से जुगाड़ सकते हो तो, ब्लड की व्यवस्था जल्दी करो ।

कौशल्या देवी डॉक्टर की बात को सुनकर रोन् लगी बेटा अब क्या होगा ?खून की व्यवस्था कैसे होगा ?

भगत ने कहा आंटी तुम चिंता मत करो ।मैं कुछ करता हूं और वह अपने दोस्तों को फोन कर ब्लड के लिए मदद मांगने लगा ,लेकिन उस ब्लड ग्रुप वाला कोई मिल नहीं रहा था ।

तभी उसे याद आया कि यह ग्रुप तो राजेश का भी है उसने राजेश को फोन लगाया। राजेश ने फोन उठाया इस समय सुबह का 5:00 बज चुके थे।

राजेश ने अपनी मां सुनीता को इस बारे में बताया। सुनीता ने उसकी दोस्त की मदद के लिए हामी भर दी ।

राजेश तुरंत घर से बाहर निकल कर अपना बाइक से अस्पताल के लिए चल पड़ा ।
वह अस्पताल पहुचा

भगत उसका इंतजार कर रहा था ।वह राजेश को डॉक्टरों के पास ले गया ।

डॉक्टर ने राजेश का खून चेक किया दोनों का ही ग्रुप मैच पाया गया।

डॉक्टरों ने राजेश का खून कामता प्रसाद के शरीर में चढ़ा दिया ।

2 घंटे बाद राजेश रूम से बाहर निकला। भगत ने राजेश को देखकर गले लगा लिया थैंक यू यार ।

कौशल्या देवी ने राजेश को देखकर राजेश से कहा बेटा मैं तुम्हारी शुक्रिया अदा किस प्रकार से करू। तूने मेरे पति को नया जीवनदान दिया है। तुम्हारा बहुत धन्यवाद बेटा ।

राजेश ने आंटी से कहा नहीं आंटी जी यह तो मेरा फर्ज है। मेरे कारण किसी की जान बची यह तो मेरे लिए खुशी की बात है।

राजेश कुछ समय तक अस्पताल में रुका फिर वह भगत से कहकर अच्छा यार मैं चलता हूं मां राह देख रही होगी। मेरी जरूरत पड़े तो फोन पर बताना मैं आ जाऊंगा।

भगत राजेश को एक बार फिर अपने गले से लगा लिया थैंक यू यार तू मेरा सच्चा दोस्त है।

राजेश अस्पताल से चला गया ।

2 घंटे के बाद कामता प्रसाद को आपातकाल की रूम से निकालकर वार्ड रूम में लाया गया वह होश में आ चुका था ।

कौशल्या देवी और भगत दोनों उनसे मिलने के लिए वार्ड रूम में गए ।
कौशल्या देवी अपने पति को खतरे से बाहर देख कर और होश में आया देखकर वह खुश हो गई और भगवान की को शुक्रिया अदा करने लगी।

फोन के माध्यम से कौशल्या देवी ने अपने बेटे और बेटियों को इस घटना की जानकारी दे दी ।

उनकी बेटियां कविता और काजल दोनों को जब यह मालूम हुआ कि उसके पिताजी अस्पताल में एडमिट है,वे अपने पतियों एवं बच्चों के केसाथ अपने अस्पताल के लिए निकल पड़े।

इधर भगत अस्पताल में ही रुका था और हर प्रकार की मदद कर रहा था ।

जब का कौशिल्या देवी की बेटियां अस्पताल पहुंचे अपने पिताजी को देखने ,तब कौशल्या देवी ने अपनी बेटियों को भगत के बारे में बताया कि किस प्रकार से भगत ने मदद की अगर भगत नहीं होता तो तो पता नहीं क्या हो जाता ।

उनकी बेटियों ने बेटियों ने भगत को मदद के लिए धन्यवाद दिया और उनसे कहा कि अब से तुम हमारे छोटे भाई के समान हो।

भगत ने कहा मैं तुम्हारा छोटा भाई ही हूं आंटी और अंकल का मदद करना मेरा फर्ज है ।

उनकी बेटियों के आने के बाद कुछ समय तक और अस्पताल में भगत रुका फिर वह आंटी के पास जाकर बोला अच्छा आंटी अब मैं चलता हूं और किसी प्रकार की जरूरत हो तो मुझे फोन करना ।मैं तुरंत आ जाऊंगा ।

तब कौशल्या देवी ने कहा बेटा मैं तुम्हारा एहसान का बदला जिंदगी भर नहीं चुका सकूंगी तुमने मेरी सुहाग को बचाया है ।अगर तुमने मदद नहीं की होती तो पता नहीं क्या हो जाता ।

फिर भगत ने कौशल्या देवी से कहा आंटी में तुम्हारे बेटे जैसा ही तुम्हें जब भी कोई मदद की जरूरत पड़े मुझे बता देना ।

कौशल्या देवी ने कहां थैंक्यू बेटा और भगत अस्पताल से घर की ओर चला गया ।चार-पांच दिन अस्पताल में रहने के बाद कामता प्रसाद जी को अस्पताल से छुट्टी दे दिया गया। और वे घर आ गए उनकी बेटियां भी ससुराल चली गई ।

शाम को कॉलेज से वापस आने के बाद भगत सीधे कामता प्रसाद जी की हाल चाल पूछने के लिए उसके रूम में चला गया।

कामता प्रसाद जी से भगत ने कहा अंकल अब आपकी तबीयत कैसी है ।

कांता प्रसाद जी ने कहा मैं अच्छा हूं बेटा ।कौशिल्या ने बताया तुमने हमारी मदद किस प्रकार की । इतनी मदद तो कोई सगा बेटा भी नहीं करता ।एक हमारा बेटा किशोर है जिसको खबर देने के बाद भी अभी तक मिलने के लिए भी नहीं आया ।

भगत ने कामता प्रसाद से कहा अंकल जी आप मुझे अपना बेटा ही समझिए।

तब कौशल्या देवी इस समय बना रही थी वह चाय लेकर के रूम में आई लो बेटा चाय पी लो ।

भगत ने कहा थैंक्यू आंटी और चाय का कप उठाकर पीने लगा ।

कौशल्या देवी भगत से बोली बेटा अब से तुम मुझे आंटी मत बोलना ,अब तुम मुझे मा जी बुलाना, मुझे अच्छा लगेगा ।

भगत ने कहा ठीक है मा जी आजसे मैं आपको मा जी ही कहूंगा ।

कौशिल्या देवी ने कहा एक बात और कहनी थी बेटे तुम रात का भोजन हमारे साथ ही किया करो ।साथ ही सुबह का चाय नाश्ता भी मैं तेरे लिए बना दिया करूंगी ।
भगत ने कहा मा जी आपको मेरे लिए कष्ट उठाने की जरूरत नहीं है।

कौशल्या देवी ने कहा बेटा तुमने हमारी इतनी मदद की मैं तुम्हारे लिए इतना नहीं कर सकती ।

आज से तुम मेरे बेटे जैसा ही हो।

तब भगत ने कहा ठीक है मा जी जैसी आपकी इच्छा ।

और भगत आज से कौशल्या देवी को मा जी कहकर बुलाने लगा ।

अगली सुबह जब भगत सोया हुआ था किसी ने दरवाजा खटखटाया ।भगत ने सोचा इस वक्त कौन होगा।इस समय सुबह के 7:00 बज गए थे ।

भगत ने दरवाजा खोला सामने कौशल्या देवी खड़ी थी ।अरे बेटा मैं तुम्हारे लिए चाय लाई हूं चाय पी लो ।।भगत ने कहा अरे माजी आप अंदर आइए ना ।

कौशल्या देवी चाय लेकर अंदर आई बेटा चाय ठंडी हो जाएगी इसे पी लो ।

भगत ने चाय का कप उठा लिया और उसने कौशल्या देवी से कहां थैंक यू मा जी ।

भगत चाय पीने लगा उधर कौशल्या देवी कमरे के अंदर मुआयना किया उसने देखा कि कमरे में तो काफी धूल जमा हुआ। उसने भगत से कहा अरे बेटा कमरे में तो बहुत धूल जमा हुआ है ।बेटा आज से में झाड़ू पोछा कर दिया करूंगी ।

भगत ने कहा मां जी इ मैं कर लूंगा ।

बेटा तुम नहा कर तैयार हो जाना ,मैं तुम्हारे लिए नाश्ता बना रही हू। कॉलेज जाने से पहले तुम नाश्ता कर लेना ।

भगत ने कहा ठीक है मा जी और हां बेटा अपने रूम की चाबी मुझे दे देना मैं तुम्हारे कमरे की साफ सफाई कर दूंगी ।भगत ने कहा ठीक है मा जी ।

इस तरह से कुछ दिन और निकल गए कौशल्या देवी और भगत के बीच अपनापन और बढ़ता गया।

कौशल्या देवी भगत को अपने बेटा जैसे मानने लगी भगत की सेवा करने लगी ।

इधर भगत भी कौशल्या देवी को अपने मां के समान ही मानने लगा ।

एक दिन की बात है भगत कॉलेज नहीं गया था वह घर पर ही रुक गया था । वह पलंग पर लेटा हुआ था। तभी का कौशल्या देवी भगत के कि रूम में सफाई करने के लिए आई।

कौशल्या देवी भगत को देख कर बोली अरे बेटा आज तू कॉलेज नहीं गया ।

भगत ने कहा मा जी आज कॉलेज में छुट्टी है ।

कौशल्या देवी कमरे में झाड़ू लगाने लगी ।कौशल्या देवी को भगत झाड़ू लगाते हुए देख रहा था ।

कौशल्या देवी नीचे झुक कर झाड़ू लगा रही थी तभी अचानक कौशल्या देवी के साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया ।पल्लू के नीचे गिरते ही कौशल्या देवी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी ब्लाउज सी बाहर झाकते हुए दिखाई दिया ।

उनके बड़े-बड़े गोल गोल स्तन भगत की नजर पर पड़ी कौशल्या देवी के स्तनों के गोलियों को देखकर भगत की शरीर की नसों में खून की रफ्तार बढ़ने लगा ।टकटकी नजरों से वह कौशल्या देवी के स्तनों को को देख रहा था ।

तभी कौशल्या देवी को लगा की भगत उसके स्तनों कौन निहार रहा है उसने साड़ी के पल्लू को जल्दी से ठीक किया और झाड़ू लगाने लगी ।

भगत मन में सोचने लगा मां जी की चुटिया कितनी सुंदर है काफी बड़ी और गोल गोल है ।ना चाहते हुए भी उसके लमड में तनाव आने लगा ।

इसके पहले भगत न कौशल्या देवी के बारे में कभी गलत नहीं सोचा था भगत को चुदाई की हुई काफी दिन हो गए थे। जब वह अपना घर गांव जाता था तो वहां की कुछ औरतों को वह चोदता था और अपना प्यास बुझा कर शहर आता था ।

आज कौशल्या देवी स्तनों को द देख फिर उसकी प्यास जागने लगी ।

कौशल्या देवी झाड़ू लगाने के बाद पोछा लगाने फिर से भगत के रूम में आई और फर्श पर उकड़ू बैठकर पोछा लगाने लगी। उकड़ू बैठन से उसके घुटनों से उसके स्तन दब गए थे। उसके स्तन उसके ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश कर रही थी ।केवल निप्पल ही बचा हुआ था ।स्तन की पूरी गोलाई ब्लाउज से बाहर झांक रही थी ।

भगत की नजर उस पर फिर से एक बार पड़ी ।

कौशल्या देवी की स्तनों को देखकर भगत का शरीर गर्म होने लगा।

भगत अपनी आंखों से नयन सुख ने ने लगा ।कभी-कभी उसे डर लगता की मा जी कही अपनी चुचियों को निहारते पकड़ न ले । मां जी मेरे बारे में क्या सोचेगी।

इधर कौशल्या देवी को लगा की भगत की नजर मेरी चूचियों पर है। उसने अपनी चुचियों को साड़ी के पल्लू से ढकने की कोशिश की लेकिन झुक कर पोछा लगाने से साड़ी का पल्लू स्तनों से हट जा रहा था ।

इधर भगत कौशल्या देवी के स्तनों को देखकर काफी गर्म हो चुका था ।उसका लंड खड़ा हो गया था ।

कौशल्या देवी पोछा लगाने के बाद भगत से बोला ।मैं तुम्हारे लिए दोपहर का भोजन बना दूंगी । भगत ने कहा ठीक है मां जी।

दोपहर में जब भोजन बनकर तैयार हो गया तब कौशल्या देवी ने भगत को खाने के लिए बुलाया ।


भगत भोजन के लिए नीचे चला गया।

भ गत की नजर अब कौशल्या देवी के लिए बदल चुका था ।अब वह उसे मां की नजर से नहीं बल्कि एक औरत की नजर से देखने लगा ।

जब का कौशिलेया देवी उसके सामने आती थी तब भगत की नजर उसके स्तनों पर चला जाता था। उसके स्तनों को के दर्शन के लिए लालायित रहता था। जब पीछे मुड़कर जाने का होती तो उसकी चुतड को निहारने लगता और गर्म हो जाता ।उसके नसों में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता।

इधर कौशिलेया देवी को भी एहसास होने लगा कि भगत उन्हें अलग ही नजरों से देखने लगा है ।इस तरह दो-तीन दिन और बीत गए ।


कौशल्या देवी झाड़ू पोछा करने के लिए कमरे में आई

कौशल्या देवी भगत को देखकर बोला । आज कॉलेज नहीं जा रहे हो ।आज भी छुट्टी है क्या ?
भगत ने कहा मा जी आज मुझे मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है मेरे सिर पर दर्द है आज मैं कॉलेज नहीं जाऊंगा ।घर में आराम करूंगा ।

कौशल्या देवी भगत के पास गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखा कि उसका माथा गर्म था।

कौशल्या देवी ने कहा बेटा तुम्हे तो बुखार है तुमने दवाई ली कि नहीं ।

भगत ने कहा हां माजी दवाई ली है

कौशल्या ने कहा ने कहा ठीक है बेटा तुम आराम करो ।और वह पोछा लगाने लगी ।

भगत की नजर फिर से उनके स्तनों पर चला गया क्योंकि कौशल्या देवी पोछा लगाने उकडू बैठने के कारण स्तन का काफी हिस्सा ब्लाउज के बाहर दिखाई पड़ रहा था ।

स्तनों को देखकर भगत गर्र्म हो गया। उसका लंड खड़ा हो गया था ।वह अपने शरीर को चादर से ढक लिया और एक हाथ से अपने लंड को सहलाने लगा ।

उसकी नजर कौशल्या देवी की चूचियों पर गढी थी ।

भगत ने सोचा अब मैं और नहीं सहन कर सकता।

मुझे कुछ करना ही होगा नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा ।वह सोचने लगा कि क्या करें ।

इधर पोछा लगाने के बाद कौशल्या देवी नीचे जाने को हुई ।

तभी भगत ने कौशल्या देवी से कहा मा जी मैंने टेबलेट लिया पर सिर पर दर्द अभी भी है ।तुम्हारे पास बाम वगैरह है क्या सिर पर लगाने के लिए।

तब का कौशिल्या देवी ने कहा अरे बेटा बाम तो नहीं है। लेकिन मैं सरसों तेल को गर्म करके लाती हूं मैं तुम्हारे सिर पर मालिश कर दूंगी तुम्हें अच्छा लगेगा।

कौशल्या देवी नीचे चली गई ।

भगत को एक मौका दिखाई देने लगा।

कौशल्या देवी कुछ समय के बाद सरसों का तेल कटोरी में लेकर भगत के कमरे में आई ।

भगत अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था ।

कौशल्या देवी भगत के विस्तार पर उसकी छाती के बगल में बैठ गई । भगत से बोली बेटा मैं तुम्हारी सिर के मालिश कर देती हूं ।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा माजी तुम मेरा कितना ख्याल रख रही हो ।

तब कौशिलेया देवी ने भगत से कहा बेटा तुमने भी तो हमारी बहुत मदद की है ।

कौशल्या देवी अपने हाथों में सरसों तेल लगा कर भगत के माथे और सिर को मालिश करने लगी।

इस समय कौशल्या देवी मालिश करते हुए थोड़ा झुक गई ।जिससे उसका साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया ।कौशल्या देवी की चूचिया भगत के आंखों के सामनेझूलने लगा ।वह उसे खाए जाने वाली नजरों से देखने लगा।

कौशल्या देवी भगत की नजरों को देखा। भगत की नजर उसकी चूचियां पर टिकी हुई थी ।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा क्या देख रहा है बेटा ।

भगत शर्मा गया, कुछ नहीं मा जी।

कैशिल्या अपने स्तनों को अपने पल्लू से ढक लिया।

भगत ने एक हाथ से कौशल्या के एक स्तन को हाथों पर रखकर उसे उसे सहलाने लगा ।

कौशल्या देवी ने भगत ने कहा बेटा यह क्या कर रहा है ।

तब भगत ने कहा मां जी आपके दूदू बहुत सुंदर हैं ।

कौशल्या देवी शर्मा गई ।वह भगत से बोली बेटा मैं तुम्हारी मां जैसी हूं ऐसा नहीं बोलते।

कौशल्या देवी सरसों के तेल से भगत के सिर और माथे पर मालिश कर रहा था ।इधर भगत एक हाथ से कौशल्या देवी एक चूची पर अपना हाथ फिरा रहा रहा था। वह उसे अपने हाथों से सहलाने लगा।

भगत ने कौशल्या देवी से कहा मां जी आप के दूदू कितने बड़े और सुंदर है।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा चल हट पगला कहीं का ।मैं तुम्हारी मां समान हू तुम्हें मुझसे ऐसा नहीं कहना चाहिए ।

मां जी मैं तो तुम्हारे बेटा जैसा हू ।मुझे अपना बेटा बना लो न।

कौशल्या ने भगत से कहा मैं तो तुम्हें अपना बेटा ही मानती हूं।

तब भगत ने कहा मा मोी जी मै ऐसे ही आपका बेटा थोडे ही हो जाऊगा ।मुझे अपना पूरा बेटा बनाने के लिए तुम्हे अपना दूध पिलाना पड़ेगा ।

मैंने तो आपका दूध पिया ही नहीं है तो आपका बेटा कैसे बन जाऊंगा ।

कौशल्या ने भगत से कहा धत बदमाश ।दूध पीने की बातें करता है यह तुम्हारी दूध पीने की उम्र है क्या? तू बिगड़ गया है।

भगत ने कौशलिया देवी के एक स्तन को सहलाते हुए कहा मां जी मुझे अपना दूध पिलाओ ना ।

कौशल्या देवी ने कहा नहीं बेटा तू बड़ा हो गया है यह तुम्हारी दूध पीने की उम्र नहीं है ।

तब भगत ने कौशल्या से कहा नहीं मां माजी मुझे तुम्हारा दूध पीकर तुम्हारा पूरा बेटा बनना है।

और वह एक हाथों से कौशिल्या देवी के ब्लाउज के बटन को खोलने लगा ।

कौशल्या भगत से बोले जा रही थी नहीं बेटा ऐसा मत करो पर ।

भगत ने नहीं माना और उसके ब्लाउज की सारी बटन खोल डाले।

बटन खोलते ही कौशल्या के दोनों चूचिया नंगी हो गई क्योंकि कौशल्या देवी ब्रा नहीं पहनती थी ।दोनों चूचियां भगत के आंखों के सामने लटक रहे थे। उसकी नंगी चूचियो को देखकर भगत का लंड खड़ा होकर लोहे की रातड की तरह कठोर हो गया ।उसका लंड ठूनकी मरने लगा ।कौशल्या देवी के दोनों चुचियों को भगत अपने हाथों से पकड़ लिया और उसकी निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा ।

कौशल्या देवी भगत से बोले जा रही थी बेटा यह क्या कर रहा है ।यह ठीक नहीं है। मत कर ऐसा ।

भगत ने कौशिल्या देवी से बोला ,नहीं माझी मुझे तुम्हारा पूरा बेटा बनना है ।मुझे तुम्हारा दूध पीने दो और वह दोनों चुचियों को अपने हाथों से मसलते हुए चूसने लगा ।

एक मर्द की कड़े हाथों का एहसास पाकर कौशल्या देवी का शरीर सिहरने लगी ।

भगत उसकी चुचियों को को जोर जोर से मसल कर उसकी निप्पल को चूसने लगा ।उसके निप्पल को अपने दांतों में दबाकर खींचने लगा ।


भगत के ऐसा करने से कौशल्या देवी कि शरीर में कपकपी आने लगी । उसकी सांसे तेज होने लगी ।उसकी आंखें बंद होने लगी। कौशल्या देवी की चूचियां फुल ने और पिचकने लगी ।उसकी निप्पल कड़क हो गए ।

भगत समझ गया मा जी गरम हो गई है तब उसने कौशल्या देवी से कहा मा जी आपके हाथों में जादू है ।आप की तेल मालिश से मेरा सिर दर्द ठीक हो गया ।

कौशल्या देवी अपनी आंखें खोली वह भगत से बोला ठीक है बेटा अब तुम आराम करो ।मैं चलती हू ।

तब भगत ने कौशलिया से कहा नहीं मा जी अभी तुम्हारे दूध पीने से मेरा मन भरा नहीं है ।मुझे अच्छे से पी लेने दो ।

कौशल्या देवी ने भगत से कहा नहीं बेटा यह ठीक नहीं है। छोडो मुझे ।

भगत ने कहां मा जी क्या तुम अपने बेटे से प्यार नहीं करती।
कौशल्या ने भगत से कहा मैंने ऐसा कब कहा बेटा ।तो मुझे जी भर के अपना दूध पी लेने दो ना ।

कौशिल्या तेल मालिश को बंद कर बिस्तर पर पर सीधा बैठ गई ।भगत भी उठ कर बैठ गया ।और कौशल्या देवी के दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा। कौशल्या देवी के सासे फिर से तेज तेज चलने लगी। कौशल्या देवी को भी अब बर्दाश्त से बाहर होने लगा ।वह बिस्तर से उठ कर वह दरवाजे की तरफ जाने लगी। भगत ने उसके एक हाथ को पकड़ लिया कौशल्या देवी भगत से कहा अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश की ।

भगत बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया ।वह कौशल्या देवी को पीछे जकड़ लिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसलने लगा और अपने खड़े हुए लंड को कौशल्या देवी की गांड पर हल्का-हल्का धक्का मारने लगा।

कौशल्या देवी भगत का लंड का एहसास अपने गांड मेपाते ते ही मदहोश सी होने लगी ।

कुछ समय तक ऐसे ही खड़े-खड़े भगत कौशल्या देवी की चुचियों को मसलता रहा ।

कौशल्या देवी कि संास तेज तेज चलने लगी उसके मुंह से सिसकारी निकलने लगी।

भगत कौशल्या को घुमा कर अपनी अपनी ओर कर लिया । कौशल्या की आंखें बंद थी ।भगत कौशिल्या को अपनी बाहों में जकड़ कर उसके होंठों को चूसने लगा। इस समय कौशिल्या की सांसे तेज तेज चल रही थी ।आंखें बंद थी।

भगत कौशल्या को अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी बिस्तर पर चड गया। और उसकी चुचियों को चूसने लगा ।

कौशल्या के मुख से सिसकारी निकल रही थी। भगत कौशल्या की चूची को एक हाथ से मसल रहा था और एक चूची को मुंह में भर कर चूस रहा था।

अब वह थोड़ा चूची से नीचे आया और पेट को चूमने लगा पेट को चुमते चुमते वह साड़ी को कमर से थोड़ा खिसका दिया है ।साड़ी के हटते ही कौशल्या की नाभि भगत को दिखाई पड़ा। भगत उसके बदन की खूबसूरती को देखकर बावरा हो गया ।वह पागलों की तरह उसकी नाभि को चूमने लगा ।उसे चाटने लगा।

भगत की इस हरकत से कौशल्या देवी जोर जोर से सिसकने लगी ।

अब भगत से रहा नहीं गया वह बिस्तर से से उठा और अपने लोवर और अंडरवियर निकाल कर नीचे से नंगा हो गया ।

कौशल्या देवी भगत की इस हरकत को देख रही थी ।उसकी नजर उसके लंड पर पड़ी जो काफी लंबा था ।उसका लंड ठूनकी मार रहा था।

कौशल्या देवी भगत के लंड को देखकर उसके दिल जोर-जोर से धड़कने लगा ।

भगत देर न करते हुए वह फिर से बिस्तर पर चढ़ गया और कौशल्या देवी के ऊपर लेट गया। फिर से उसके होंठों को चूसने चूसते हुए वह नीचे की ओर गया ।

उसकी चूची को मसलने लगा और उससे निप्पल को चूसने लगा। फिर वह नीचे की ओर जाकर उसके पेट को चूसने लगा। उसकी नाभि पर हाथ फेरने लगा फिर उसके नाभि को चूसने लगा। कौशल्या देवी के मुख से सिसकारी लगातार फुटे जा रही थी ।

भगत कौशल्या देवी के टांगों के बीच जाकर बैठ गया उसके पेटीकोट को ऊपर खींच उसके कमर तक चढ़ा ।

दिया पेटिकोट के ऊपर उठते ही उसे कौशल्या देवी की पेंटी नजर आया ।वह पेंटी के ऊपर से ही अपने हाथ उसके चूत र पर रखकर उसे सहलाने लगा ।

कौशल्या देवी अपनी आंखें बंद कर लगातार सिसक रही थी। नहीं बेटा वहां नहीं ।

भगत ने देर ना करते हुए दोनों हाथों से उसकी पैंटी को पकड़ा आर उसको खींचने लगा।
कमर से पेंटी दबे होने के कारण निकालने में दिक्कत होने लगी।

तभी कौशल्या देवी ने अपना कमर ऊपर उठा दिया ।

कौशल्या देवी की इस हरकत को देखकर भगत बावरा हो गया ।वह समझ गया कि कौशल्या देवी अब खुद चुदना * चाहती है ।

वह कौशल्या देवी की पैंटी को पकड़ उसे खींचकर उसके पैरों से अलग कर दिया ।

भगत कौशल्या देवी की फूली हुई चिकनी चूत को देखकर बावरा हो गया ।उसने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगा। उसकी उंगलियां योनि रस से भीग गया ।

कौशल्या देवी आनंद के मारे जो जोर-जोर से सिसकने लगी ।
भगत अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ लिया और कौशल्या देवी के योनि के पास ले गया ।अपने लंड के टोपे को योनि मुख पर रखकर उसे योनी पर घिसने लगा।

कौशी ल्या जाेर जोर से सिसक रही थी। वह अपने दोनों टांगों को पूरा खोल दी। अपनी दोनों टांगों को खोल कर वह चुदाई के लिए अपनी सहमति दे रही थी।

अब भगत को भी बर्दाश्त से बाहर लग रहा था उसने अपने लंड को कौशल्या देवी के चूत के छेद पर पर रखकर हल्का धक्का मारा। चूत बूर** रस से पूरी तरह गीली हो चुकी थी। अतः लंड पहले ही धक्के में सरसराते हुए आधा घुस गया ।

कौशल्या देवी के मुख से सिसकने की जोर से आवाज आई ।

भगत अपने दोनों हाथों से कौशल्या देवी के चुचियों को पकड़कर मसला और एक जोरदार धक्का अपने लंड से चूत पर मारा। उसका ल़ड चूत को चीरते हुए फच की आवाज के साथ पूरे जड़ तक अंदर घुस गया ।कौशल्या देवी के मुंह से उई मां की आवाज निकल पड़ी ।

अब भगत अपने दोनों हाथों को कौशल्या देवी की चूची पर रख कर। अपने लंड* को कौशल्या देवी की चूत मे* धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा ।

कौशल्या देवी की आंखें बंद थी और उसके मुख से सिसकारी निकल रही थी।

इधर भगत कौशल्या देवी की चूची को जोर जोर से मसलते हुए, अपने लंड से तेज झटके लगाते हुए कौशल्या देवी के चूत में अपना लंड तेजी से अंदर-बाहर करने लगा ।

उसका लंड * चूत * के रस से पूरा गीला होजाने से आसानी से सर सर अंदर बाहर हो रहा था

कौशल्या देवी की योनि से बू र रस बहते हुए उसके गांड में भरने लगी थी।

अब भगत का लैंड कौशल्या देवी के चूत* के अंदर फच फच गच गच आवाज करते हुए अंदर बहार होने लगा ।

दोनों को चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि कौशल्या देवी अपने दोनों हाथों से भगत के पीठ को पकड़ लिया और उसे अपने शरीर से चिपकाने लगी वह अपने कमर को ऊपर उठा उठा कर लंड बूर मे गहराई तक लेने लगी।

कौशल्या देवी को अपने पति से चुदाई * में ऐसा मजा कभी नहीं आया था ।तभी कौशल्या देवी का शरीर अकड़ने लगा औरअगले ही पल वह झड़ने लगी ।

कौशि ल्या जब झड रही थी तब लंड पर उसके चूत का कसाव बढ़ गया था उसकी चत खुलने और सिकुडने लगी ।

भगत जान गया कि कौशल्या देवी झड़ गई है ।भगत ने चुदाई बंद कर, कौशल्या देवी के ऊपर लेट गया। इस समय कौशल्या देवी झड़ने की की आनंद ले रही थी ।

जब उसका शरीर शांत हुआ तब भगत कौशल्या देवी की आंखों में देखा।

कौशल्या देवी शर्मा गई ।
भगत कौशल्या देवी की होंठों को अपने होंठों पर दबाकर चूसने लगा ।

कुछ देर तक होंठ चूसने के बाद वह नीचे गया और उसके चूची को अपने हाथों में पकड़ कर मसलने लगा फिर उसके निप्पल को चूसने लगा।

कौशल्या देवी फिर से धीरे-धीरे गर्म होने लगी। चू ची के नीचे पेट को चुमते हुए ।

भगत उसके नाभि को चाटने चूमने लगा। कौशल्या देवी अपने हाथों से भगत के सिर को पकड़ कर,अपने नाभि पर दबा दी और शिसकने ने की आवाज निकालने लगी।

भगत समझ गया कि कौशल्या देवी फिर से गर्म हो चुकी है उसने कौशल्या देवी को ऊपर उठा दिया और पलट दिया ।उसे उसके कमर को पकड़ कर ऊपर की ओर खींचा और उसे कुतिया बना दीया ।

भगत अपने लमड को अपने हाथों से पकड़ा जो चूत के अंदर जाने के लिए फड़फड़ा रहा था

वह लंड को चूत* के मुख पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा ।फच की आवाज के साथ लंड पूरा जड़ तक अंदर घुस गया ।

भगत अपने दोनों हाथों को सामने ले जाकर कौशल्या देवी की चूचियों को पकड़ कर मसल लगा।

कुछ देर मसलने के बाद वह उसके चूतड़ को चूमने लगा।
कौशिल्या उसकी हरकतों से पागल सी हो गई और अपने कमर को हिला कर खुद ही लंड* पर धक्के मारने लगी ।

भगत समझ गया कि कोशल्या क्या चाहती है वह अपने लंड * से बूर मे धक्का मारना शुरू कर दिया ।

लंड चूत पर सर सर अंदर बाहर होने लगा । कुछ देर बाद वह लंड को चूत में तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर कर दिया ।लंड चूत में गपा गप अंदर बाहर जा रहा था ।कमरे में कौशल्या देवी की लगातार शि सकने और लंड का चूत में गपा गप अंदर जाने की आवाज गूंज रही थी ।

एक बार फिर से कौशल्या देवी और भगत स्वर्ग में चले गए थे । भगत कौशल्या देवी के कमर को अपने हाथों में कस के पकड़ कर हुमच हुमच कर चोदने लगा।

वह ल़ड को चूत से पूरे टोपी तक बाहर निकाल लेता था और फच की आवाज के साथ पूरे जड़ तक लंड को चूत * के अंदर डाल देता था।

इधर कौशल्या देवी को बर्दाश्त से बाहर हो रहा था उसके शरीर अकड़ने लगी और वह फिर से झड़ने लगी ।उसकी चूत की कसावट लंड पर बढ़ गई उसकी चूत खुलने और सिकुडने लगी।

भगत इस समय अपना धक्का और बढ़ा दिया ।अब वह कौशल्या देवी के चूतड़ के के ऊपर बैठ गया और कमर पकड़ कर लंड को तेजी चूत डालने लगा ।अब वह भी झड़ने वाला था ।तभी वह जोर से एक धक्का मारा कौशल्या देवी के कमर को जोर से खींच कर अपने लंड से सटा लिया ।उसके लंड* से वीर्य की फव्वारा निकलकर कौिशल्या चूत को भरने लगा ।

जब उसका लंड वीर्य निकालना बंद कर दिया। भगत हांपते हुए बिस्तर पर लुढ़क गया ।
कौशल्या देवी भी बेड पर पेट के बल लेट गई और वह भी सुस्ताने लगी ।

जब दोनों होश में आए तो दोनों की नजरें मिली कौशल्या देवी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी। वह बिस्तर से उठी और भागते हुए रूम से बाहर चली गई।
nice update..!!
yeh bhagat pehle kaushalya devi ki madat kiya aur fir uska beta bana aur baad me usko beta bankar chod bhi diya..toh fir gaon jaye aur apni asli maa ki ho kyun nahi chodata yeh bhagat..!! hume toh interest hai ki kaise rajesh apni maa sunita ke sath aage badhta hai aur rajesh apni behen sweety ke sath bhi kaise aage badhta hai..ab dekhte hai rajesh kya karta hai..!!
 
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