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Behad shaandaarUPDATE 154
लेखक की जुबानी
ROUND 01
चमनपुरा मे एक बंद कमरे मे कुलर तेजी से हनहना रहा था और सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये बैठी निशा मादक सिसकिया ले रही थी क्योकि उसके बाप की मोटी खुरदरी जीभ इस वक़्त उसके चुत की रसिली फाको पर चला रहे थे । वही बगल मे बैठी शालिनी अपनी बारी के इन्तेजार मे जान्घे खोल कर बैठी हुई चुत मले जा रही है ।
निशा अपने पापा की लपलपाती जीभ के स्पर्श से रोमांचित हुई जा रही थी और अकडते हुए अपने चुतड उचकाते हुए - अह्ह्ह पापाअह्ह उम्म्ंम्ं सीईईई उह्ह्ह्ह पुरा अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम्ं
ये कहते हुए उसने अपने पापा के सर को पकडे हुए उनकी थूथ को अपनी फुली हुई चुत के मूहानो पर गाड़ उठा कर दरने लगी - अह्ह्ह पापाआह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चुसो अह्ह्ह निकल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
निशा झड़ रही थी और जंगीलाल अपनी बेटी खुले व्य्व्हार से उतेजीत हुआ जा रहा था ।
कुछ देर तक गाड़ उठा कर कमर झटकने के बाद निशा सिथिल पड गयी और उसने अपने पापा के सर को छोड दिया और थक कर सोफे पर टेक लेते हुए हाफने लगी ।
वही जन्गिलाल की नजरे अपनी बीवी से टकराई तो वो मुस्कुरा उठा और बडे ही प्यार से अपनी बीवी के जांघो को दुलारते हुए निचे झुकता चला गया ,,जबतक की उसके होठो ने शालिनी के चुत के होठो से अपना नाता नही जोड लिया ।
शालिनी - अह्ह्ह मेरे राजाअह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम सीई खा जाओ मेरी चुत उम्म्ंम्ं
जंगीलाल अपनी बीवी की तेज मादक सिसकिया सुन कर थोडा और भी जोशीला हुआ और जन्घए खोलते हुए लपालप जीभ चलाने लगा ।
वही निशा भी अपनी मा की तेज सिसकियाँ सुन कर लपक उसकी ओर देखने लगती है जहा उसके पापा बिल्कुल उसी के जैसे उसकी मा की भी चुत के फाको छेड़ रहे थे और उसकी मा का जिस्म अकड रहा था ।
शालिनी - आह्ह मेरे राजा अब देर ना करो ,, निकालो ये मुसल और चोदो मुझे उह्ह्ह्ह मुझे ऐसे नही झड़ना है प्लीज उन्म्म्ं
जन्गीलाल मुस्कराया और एक नजर निशा को देखा और फिर खुद भी सारे कपडे निकाल कर नन्गा हो गया ।
बिना किसी देरी उसने शालिनी की टांगो को खीचा और बडे से सोफे पर लिटाते हुए उसने अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ना शुरु कर दिया और थोडा सा थुक ल्गाते हुए अपना सुपाडा धीरे से अपनी बीवी की चुत मे घुसेड दिया
शालिनी - आह्ह मेरी जान य्ह्ह्ह आज तो तुम्हारा लण्ड सच मे बहुत फुला हुआ है अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम्ं
जंगीलाल - अह्ह्ह मेरी जान मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ,,, जब तेरी जैसी रन्डी बीवी को चौदने का मौका मिले तो कैसे लण्ड कसेगा नही
निशा अपने पापा के मुह से अपनी मा के लिए रन्डी शब्द सुन कर आंखे खोल कर देखने लगी तो जंगीलाल भी सफाई देते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी तु शब्दो पर ध्यान ना दे । सेक्स मे गंदे शब्दो का प्रयोग करने से मजा दुगना हो जाता है ।
निशा जिज्ञासू भाव से अपनी चुत मसल्ते हुए - क्या सच मे मा ऐसा होता है ??
शालिनी - आह्ह हा बेटा मर्दो को चुदाई मे गंदे शब्द सुन कर बहुत जोश आता है और वो दुगनी
जोश से चोदते है इस्से हमे भी चुदने मेह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह निशा के पापा और तेज पेलो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
जन्गीलाल मुस्कुरा कर अपनी बेटी को देखा और फिर उसी गति से अपनी बीवी को चोदते हुए बोला - और कितना तेज चुदवायेगी साली रन्डी उम्म्ंम बोल ना
अपने पापा के मुह से गण्दे और कामुक शब्दो को सुन कर निशा मुस्कुराने लगी और थोडी कल्पना करते हुए अपनी चुत मसलने लगी कि क्या उसके पापा भी उसे गालिया देके चोदन्गे ।
इधर निशा थोडे पलो के लिए अपनी कल्पना मे खो ही रही थी कि तभी उस्के कानो मे उसके मा के मुह से कुछ गंदी गालिया और कामुक शब्दो के तीखे स्वर सुनाई पड़े ।
शालिनी- आह्ह तेरे मे जितना जोर है पेल ना बहिनचोद अह्ह्ह जब रन्डी बोल रहा है अह्ह्ह तोह्ह्ह रन्डी केहह जैसेह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे ही हाआ उह्ह्ह और तेज पेलो अह्ह्ह ऐसे ही रन्डी के जैसे पेलो मुझे उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
निशा की आंखे फैल गयी थी अपनी मा और पापा की वह्सीपने को देख कर कि क्या सच मे चुदाई का ये स्तर भी हो सकता है ,,जहा सारे रिश्ते नाते छोड कर हवसीयो के जैसे बस चुत और लण्ड का ही सम्बंध रह जाये । खुद की पहचान और अहम को दरकिनार कर एक दुसरे को अपने मन का गिरा से गिरा वह्सीपना दिखा दे ।
निशा को पल भर के लिए ही ये थोडा अजीब लगा लेकिन जैसे ही उसने ये सब चीजें खुद के साथ होने के बारे मे सोची तो वो खुद एक कामुक रोमान्च से भर गयी और अपनी चुचिय मिजते हुए अपनी चुत मसलने लगी
वही दोनो मिया बीवी ध्क्क्म पेल चुदाई चल रही थी ,,मा बहन बेटी की घटिया से घटिया गालीबाजी हो रही थी लेकिन हर संवाद के साथ चुदाई की गति लगातार चरम पर जा रहा थी
जंगीलाल तेज धक्को से शालिनी की सासे अटकी हुई थी और पुरा जिस्म झटके खा कर हिल्कोरे मार रहा था ,,, कुछ ही पलो मे जंगीलाल ने गति धीमी कर दी और हलके धक्के लगाते हुए मुस्कुराने लगा ,,क्योकि शालिनी झड़ कर सुस्त पड़ चुकी थी और नजरे उपर करके मुस्कुराते हुए पास मे बैठी बेटी को निहार रही थी ।
जंगीलाल ने चुत के रस से सराबोर अपनी की बुर से लण्ड बाहर निकाला और हाथ से उसे मसलते हुए निशा को इशारा किया , निशा मुस्करा कर अपने पापा के पास आई और जंगीलाल ने उसे अपनी बाहो मे कसते हुए उसके गुदाज चर्बीदार गाड़ को मसला और घोडी बनने का इशारा किया ।
निशा मुस्कुराते हुए बिना कोई जवाब सवाल किये सोफे पर घुटनो के बल झुक गयी और सामने ही महज कुछ इन्च उसकी मा की चुत रस से लिभ्दी हुई थी जिसकी मादक गन्ध उसे रिझा रही थी और उसके जीभ ने लार छोडना भी शुरु कर दिया ।
वो आंखे बन्द कर आगे की झुकने को हुई थी कि इस्से पहले ही जंगीलाल ने उसकी कमर को थामते हुए अपनी ओर खिचा और अपना लण्ड उसके चुत के मुहाने पर लगाते हुए हचाक से लण्ड को धकेलता हुआ आधी चुत मे घुसेड दिया ।
इस करारे हमले से निशा की सिसकी निकली और उस्का मुह सीधा उसकी मा के रस्भरी चुत पर जा लगा ।
उसे और शालिनी दोनो को थोडी जिझक सी लगी और उसने नजरे उथा कर अपनी मा को देखा जो अपनी बेटी के होठो का स्पर्श अपनी चुत पर पाकर गनगना गयी थी । वो अपनी चुत के दोनो ओर उन्गिलिया लगा कर उसे दबोचने लगी ताकी अगले धक्के मे जब निशा का मुह उसके चुत की फाको से टकराये तो इस बार उसकी चुत पूरी तरह से बजबजाई हुई हो और उसकी बेटी भी उसके कामरस को चख सके ।
हुआ भी वैसे ही जन्गीलाल ने एक और जोर का झटका दिया और पुरा लण्ड घुसेडता हुआ जड़ मे ले गया और इस बार भी निशा सिसकि फिर उस्का मुह उसके मा की बजबजाई चुत पर जा लगा।
इस बार मौके का फायदा लेके उसने भी वापस होते होते होठो से दो चार बूंद सुरुक लिये जिसका आभास शालिनी को भी हुआ और जब उसकी मा से नजरे मिली तो वो शर्म से लजा गयी ।
शालिनी मुस्कुरा कर थोडा और आगे की ओर खस्कते हुए - आह्ह बेटी तु शर्मा मत ,, तुझे जो मन है कर ले ,,,ले अह्ह्ह उम्म्म्ं हा ऐसे ही चुबला मेरी चुत को ओह्ह्ह माह्ह्ह सीईईई उम्म्ंम
इधर निशा ने अपनी मा की चुत कब्जा ली और होठो से चुत की फाको को सुरुकने लगी ,,,वही पीछे से उसका बाप ये सब देख और भी जोश मे करारे धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह बेटी आज तेरी वजह से चुदाई का मजा कई गुना बढ गया है ओह्ह्ह एक तो तेरी ये कसी हुई चुत और उपर से तेरी मा से तेरे ये रिश्ते देख कर मुझे बहुत जोश आ रहाहै ,,,,मन कर रहा है आज तुम दोनो की पूरी रात पेलाई करु उन्म्म्ं
निशा अपनी पापा की बाते और पूरी रात चुदने की कलपना से सिहर उथी- ओह्ह पापा तो चोदो ना उम्म्ंम आह्ह मुझे भी मम्मी के सामने पेलवाने मे बहुत मजा आ रहा है ओह्ह्ह पाअपा और कस के पेलो ना मम्मी के जैसे मुझे भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह
जन्गीलाल अपनी बेटी का आग्रह सुन कर अपने ध्क्के गहराते हुए बोला - हा बेटी ,, क्यो नही ये लेह्ह्ह अह्ह्ह मेरी लाडो बेटी अह्ह्ह ले अपने पापा का लण्ड अपनी बुर मे उम्म्ंम आह्ह
निशा - आह्ह हा पापा पेलो अपनी लाडो की चुत अह्ह्ह और चोदो मुझे आह्ह अह्ह्ह मम्मीईई पापा को गाली दो ना तभी वो कसके पेलन्गे उम्म्ंम्ं
जन्गिलाल निशा के हर संवाद से उत्तेजित हो रहा था और उसके लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी ।
शालिनी अपनी लाडो का कहना कैसे टाल सकती थी वो भी अपने पति को हुक्म सुनाते हुए बोली - आह्ह सुना नही क्या बहिनचोद ,,मेरी बेटी को और कस के चोद ना जैसे मुझे चोदा अभी रन्डीयो के जैसे । उसे भी पेल ना साले बेटीचौद पेल कस्के अह्ह्ह उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही और अन्दर घुसा अह्ह्ह फ़ाड दे आज अपनी बेटी के बुर को
निशा - अओह्ह हा पापा ऐसे ही उम्म्ं फाडो मेरी बुर को ओह्ह्ह आह्ह फ़क मी पापा अह्ह्ह मजा आ रहा है ,,,बहुत मस्त लण्ड है आपका अह्ह्ब
जंगीलाल निशा के कुल्हे थामे हुए सटासट तेजी से लण्ड उसकी चुत मे पेले जा रहा था । उसकी जान्घे निशा के चुतडो से टकरा कर उछल रही थी और कमरे थपथपथपथप की तेज अवाजे चल रही थी ।
निशा अपने पापा को चिल्ल्ला रही थी तो उसकी मा जन्गीलाल को भर भर के गालिया देके उकसा रही थी और जन्गीलाल के लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी और उसका सुपाडा अब तपने लगा था उसकी गति धीमी होने लगी थी
शालिनी समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है इसिलिए फटाक से उथी और उसके पास पहुची जंगीलाल आहहे भरता हुआ निशा को सामने की ओर झटका । उसके पैर थक चुके थे और लगातार तेज गति से चुदाई करने से कमर मे दिक्कत सी लग रही थी इसिलिए उसने सोफे पर बैठना ही मुनासिब समझा ।
वही मौका पाते ही मा बेटी उसके लण्ड पर झपट पडी और आतुरता दिखाते हुए शालिनी ने सुपाड़े को मुह मे भर लिया और निशा ने आड़ो को चुबलाना शुरु कर दिया
थोडे ही पलो ने जंगीलाल अपनी गाड़ उठा के कहरा और शालिनी का सर लण्ड पर दबाने लगा । उसके वीर्य से शालिनी का मुह भर गया था और जब वो उथी तो खासने लगी ,,,वही निशा मौका पाते ही लण्ड को मुह मे भर ली और उसके सुरुकाने लगी ।
थोडे ही देर बाद तिनों हाफते हुए वही सोफे पर सुस्ताने लगे और अगले राउंड की तैयारि करने लगे
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इधर इनके अगले राउंड की तैयारी चल रही थी वही राज के चौराहे वाले घर मे उसका बाप अपनी बीवी को चोदते हुए होने वाली समधन को चोदने के ख्वाब को अपनी बीवी के बाट भी रहा था ।
रंगीलाल - आह्ह जान ये ममता भाभी की गाड़ देख कर तो मै दीवाना हो चुका हू सीईईईई
रागिनी अपने पति का लण्ड अपनी चुत की गहराई मे कसते हुए - अच्छा जी ऐसा क्या उम्म्ंम और क्या अच्छा लगता आपको अपनी समधन मे उम्म्ंम बोलो अह्ह्ह्ह उह्ह्ह
रन्गीलाल तेज करारे धक्के लगाते हुए - वैसे ही संधन जी पूरी की पूरी मस्त है लेकिन उनके गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलते हुए उनकी मोटी मोटी थन जैसी चुचिया मुह मे लेके चुसना चाहता हू ,,,, पता नही कैसा साइज़ पहनती होगी उह्ह्ह्ह
रागिनी - आप कहो तो मै पता करु
रन्गीलाल की आंखे चमक उथी और वो धक्का रोकते हुए - सच मे जान,,लेकिन कैसे ?
रागिनी ने इशारे से चुदाई जारी रखने को कहा - अरे मेरे राजा दुल्हन की सास के लिए साड़ी कपडे और सृंगार का समान जाता है ,,भले ही कोई दुल्हन की सास को ब्रा पैंटी नही देता हो लेकिन फिर मै पुछ लूंगी कोई ना कोई जुगाड़ करके हिहिहिही
रन्गीलाल खुश होकर तेज गति से लण्ड को अपनी बीवी की चुत की गहराई मे ले जाता हुआ - आह्ह जान तुम सच मे कमाल हो ,,, तुम बस साइज़ पता करो समधन जी को मै स्पेशल ब्रा पैंटी का सेट लाउँगा वो भी न्यू पैटर्न मे ।
रागिनी - ओहो सच मे फिर फ़ोटो भी माग लेना ,,क्या पता पहन के दिखा भी दे
रन्गीलाल उत्तेजना से भर कर - अह्ह्ह जान ऐसा हो जाये तो मजा ही आ जाये उम्म्ंम ,,,तुम बस पता करो साइज़
इधर इनकी फ्यूचर प्लानिंग चुदाई के साथ जारी रही । वही उपर के कमरे मे राहुल और अनुज कानो मे ईयरफोन लगाये पैर पर लैपटाप रख कर वो incest porn movie देख रहे थे जो आज सुबह ही उन्होने डाउन्लोड किया हुआ था ।
फुल फैमिली सागा सेक्स से भरपुर उस फिल्म ने दोनो के अरमान जगाये ,,,जहा राहुल ने जहन मे उसकी मा के कसे बदन की छविया आने लगी थी वही कही ना कही नाकारते हुए अनुज ने भी अपनी मा के बारे मे सोच कर आज मूठ मार ही दी ।
जब अनुज का जिस्म थक गया तो वो खुद के लिए बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने लैपटोप बन्द करके रख दिया । हालाकी राहुल का अभी भी मूड था आगे देखने का लेकिन अनुज का मूड अपसेट देख कर उसने भी कोई जिक्र नही किया ।
ROUND 02
करिब 15 मिंट बाद जन्गीलाल के कमरे का माहौल फिर से गरम हो चुका था ,,, एक ओर जहा शालिनी अपने चुचे उसके मुहे मे भरे हुए चुसवा रही थी वही निशा ने अपने पापा के लण्ड को मुह मे लेके उसे चुस कर तैयार कर रही थी ।
जंगीलाल अपनी बीवी के मोटे चुचे चुसने के साथ साथ उसके गाड़ के सुराख से छेड़खानी भी कर रहा था
शालिनि धिरे से उस्के कान मे - आह्ह जान आज ही उसकी गाड़ भी खोलोगे क्या ???
जंगीलाल मुस्कुरा कर - हा जान,,कल से राहुल रहेगा तो दिक्कत हो जायेगी ना
शालिनी - लेकिन आज तुम्हारा मुसल बहुत मोटा लग रहा है ,,ले पायेगी वो
जन्गीलाल मुस्कुरा उसे निशा को दिखाते हुए - देखो कैसे खुद ही चुस चुस कर तैयार कर रही है
ये बोलते हुए जन्गीलाल वापस से शालिनी की चुचिया पीने लगता है
शालिनी - आह्ह मेरे राजा पहले इसे मेरे गाड़ मे डाल दो ना उम्म्ंम कितना तगडा हो गया है सीईई अह्ह्ह
बोलते हुए शालिनी खुद से ही अपने उन्गिलीयो से अपनी गाड कुरेदने लगती है ।
जंगीलाल मुस्कुरा कर लेट जाता है और शालिनी उसके आगे लेटते हुए टाँगे उठा लेती है ।
फिर जंगीलाल वही गीला लण्ड शालिनी की गाड़ के सुराख पर ल्गाता है और देखते ही देखते आधे से ज्यादा लण्ड उसकी गाड मे समा जाता है ।
निशा पहली बार गाड की चुदाई देख रही थी और वो काफी उत्तेजित मह्सूस कर रही थी वही शालिनी दर्द मे भी जानबुझ कर ऐसे दिखा रही थी उसे भरपुर मजा मिल रहा है ,,, ताकी कही निशा के दिल मे कोई डर ना बैठ जाये ।
शालिनी - ओह्ह मेरी जान तुमने तो मेरि गाड़ ही भर दी उह्ह्ह थोडा पेलो ना जोर लगा के अह्ह्ह ऊहह ऐसे ही उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही ,,,,अह्ह्ह
निशा अपनी मा के पैरो के पास बैथ कर अपने पापा के लण्ड और आड़ो को छुते हुए उसे और अन्दर घुसाने की कोसिस करते हुए - मम्मी आपको जरा भी दर्द नही हो रहा है क्या
शालिनी मुस्कुरा कर - अह्ह्ह बेटी इस वक़्त मुझे जो नशा हो रहा है ना वो मै बता नही सकती ओह्ह्ह्ह निशा के पापा और घुसाओ ना अन्दर बहुत खुजली हो रही है उम्म्ंम रगड़ दो अपना मुसल मेरी गाड़ मे उह्ह्ह माआह्ह्ह हा ऐसे ही उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा चुत एक बार फिर से रिसने लगी और अपनी मा से मस्ती भरे लफ्ज सुन कर वो भी गाड़ मे अपने पापा का मोटा लण्ड लेने के लिए लालायित हो उथी
इधर जंगीलाल खचाखच शालिनी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था और शालिनी सिसकिया लिये जा रही थी । जैसे जैसे जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ की गहराइयो मे जाता वैसे वैसे सामने से उसके चुत के फाके खुल जाते और सोमरस की पतली सी रिसती हुई धार दिख जाती ।जिसे देख निशा का जी ललचा गया
और वो बडी कामुकता से अपने पापा के आड़ो को सहलाये जा रही थी ।
शालिनी और जन्गीलाल बखूबी इस बात को समझ पा रहे थे कि कैसे उनकी बेटी की तडप बढ रही है
शालिनी - अह्ह्ह हा बेटी और ध्केल अपने पापा का लण्ड फिर मै भी तेरे गाड़ मे डालूंगी इसे ,,,लेगी ना तु भी इसे उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह बोल ना
निशा कसमसा कर - उम्म्ंम हा मम्मी मुझे भी चाहिये अह्ह्ह पापा मुझे भी दो ना ,,,मुझे भी गाड़ मे आपका मोटा लण्ड चाहिए उम्म्ंम्ं
ये बोलते हुए उसने अपने मुह मे ऊन्ग्ली डाली और फिर उसे गीला करके अपने गाड़ के सुराख को टटोलते हुए दो उन्गली घुसेड दी - अह्ह्ह माअह्ह्ह उम्म्ंम प्लीज पापा मुझ्र भी पेलो ना ऐसे ओह्ह्ह
जंगीलाल थम गया और उठकर अपने लाडो की बढती हवस को देख कर लण्ड मस्लने लगा
जिसे निशा ने लपक कर मुह मे भर लिया और अपना गला चोक करने लगी ।
जन्गीलाल - आह्ह जान लग रहा है आज मेरी लाडो बिना गाड़ ने लण्ड लिये नही मानेगी
निशा - आह्ह हा पापा मुझे चाहिये ,,मुझे भी मजा करना है उम्म्ंम्म्ं गुउउउऊ गुउऊ सुउउउरुररऊऊऊऊप्प्प्प अह्ह्ह
शालिनी मुस्कुरा कर - तो दे दीजिये ना उसे भी ,,,अपनी बेटी को ऐसे तरसाएंगे क्या ??
जन्गीलाल - अरे नही मेरी जान,, मेरे सारे चीजो पर मेरी लाडो का ही हक है । आजा बेटी थोडा घोडी बन के दिखा तो अहह्ह हा ऐसे
निशा अपने घुटने फ़ोल्ड करके आगे की ओर झुकते हुए अपनी गाड़ उठा ली और इधर जंगीलाल ने शालिनी को वो स्पेशल तेल की शिसी लाने को कहके खुद अपनी बेटी के चर्बीदार गाड के पाटो को फैलाते हुए मसलने लगा ।
फिर उसके चर्बीदार गाड़ के पाटो को मुह मे भरने और उसके सुराख से लेके लकीर मे मुह चलाने लगा ।
अपनी गाड़ के सुराख और दरारो मे अपने पापा की जीभ की हरकत से निशा कसम्साते हुए सिसकने लगी और अपने चुतडो को कसने लगी ।
जिससे जन्गिलाल ने उसके गाड़ के पाटो को कस के फैला कर चाटना शुरु कर दिया और जीभ से उसकी गाड़ के सुराख को कुरेदने लगा
जिससे निशा और भी आगे की ओर छ्टकाने लगी ,,इसपे शालिनी ने आगे से आकर उसे पकड लिया और जन्गीलाल घुटनो के बल होकर अपनी बेटी के गाड़ मे अपना मुह दे दिया ।
उसकी लपलपाती जीभ निशा के चुत के फाको से गाड़ के सुराख पर नाच रही थी और जन्गीलाल भरसक कोसिस करके अपनी जीभ को नुकीला करके गाड़ मे घुसा दे लेकिन लण्ड की कसर कहा उससे पूरी हो पाती ।
इसिलिए उसने अपनी एक ऊँगली को मुह मे लेके लार से चभोडा और लार से निशा के गाड़ के भूरे सुराख पर मलते हुए एक ऊँगली को उसकी गाड़ मे घुसेड दिया
निशा अपने पापा की मोटी ऊँगली अपने गाड़ मे घुसता पाकर सिसकी - अह्ह् पापाअह्ह्ह उम्म्ंम आह्ह
दर्द हो रहा है उम्म्ंम्ं सीईईई
शालिनी
अरे जी ऐसे सुखा सुखा क्यू डाल रहे है ,,ये तेल लगाईये ना ,,,
जंगीलाल निशा के चुतडो को दोनो ओर फैलाये हुए - अरे जान तुम ही गिराओ ना ,,, लाडो अपनी गाड़ को कस रही है
शालिनी मुस्कुरा कर तेल की शिसी खोलते हुए तेल की बुन्दे सीधा निशा के गाड की सुराख पर गिराने लगी और जिससे उसकी गाड़ का छेद भरने लगा और जल्द ही तेल निचे चुत की ओर बढ़ने लगा तो शालिनी ने अपनी उन्गलियो को लगा कर तेल को निचे जाने से रोका और उसे अच्छे से निशा के गाड़ पर मलने लगी
शालिनी- बेटा जरा ढीली छोड ना अपना चुतड आह्ह हा ऐसे तुझे भी मजा आयेगा
ये बोलते हुए शालिनी अपने अंगूठे से उसके तेल मे रसे हुए गाड़ की सुराख को मलने लगी और उपर लकीरो मे ले जाने लगी जिससे निशा कसम्सा उठी तो जंगीलाल ने आगे लपक के एक हाथ से उसके चुचे थाम लिये साथ ही उसके गाड़ की लकीरो को खुद मलने लगा ।
निशा को अब डबल मजा आने लगा था और उसकी सिसकिया बढने लगी थी ।
जन्गीलाल निशा के गाड़ की दरारो से लेके उसकी चुत की सिराओ को भी मल रहा था ।
फिर उसने अपने एक हाथ की अंजुली बनाई और शालिनी को इशारा किया कि वो थोडा तेल डाले । शालिनी ने भी मुस्कूरा कर तेल अपने पति की अंजुलि मे डाला ।फिर जंगीलाल ने वही हाथ सिधा निशा के कसे हुए गाड़ के दरारो मे भरता हुआ उसके गाड़ के छेद को अच्छे से मलने लगा और धीरे से एक ऊँगली को उसकी गाड़ के घुसेड दिया ,,,इस बार निशा को कोई दर्द नही बल्कि उसे एक खुजली सी होने लगी
निशा - आह्ह पापा खुजली हो रही है अह्ह्ह उम्म्ंम
जंगीलाल अपनी बिच वाली बडी ऊँगली को निशा की गाड़ मे डाले हुए बाकी की हथेली से उसके गाड़ के दरारो मे मल रहा था । लेकिन निशा की गुहार सुन कर उसने अपनी ऊँगली को और भी अन्दर घुसाते हुए कसी हुई गाड़ का मुआयना करते अपनी ऊँगली बाहर खिच लिया । फिर उसने गाड़ के सुराख के पास का तेल वापस से उंगलियो मे चभोडा और इस बार दो उंगलियाँ एक साथ ही निशा की गाड मे डाल थी ,।
इस बार निशा थोडी छ्टकी थी लेकिन जंगीलाल और शालिनी दोनो ने उसकी कमर को थामा और पूरी ऊँगली उसके गाड़ मे चली गयी
निशा - हहह पापा उह्ह्ह माआह्ह्ह सीई आह्ह जल रहा है अह्ह्ह पाअपाअह्ह्ह
जन्गिलाल उस्के कूल्हो को सहलाते हुए - बस बस बेटा अब नही होगा
ये बोलते हुए जन्गीलाल अपनी बेटी के गाड़ के अपनी दोनो ऊँगलीया घुमाते हुए आगे पिछे करने लगा ।
निशा को भी अब मजा रहा था और वो अपनी गाड हिलाते हुए - आह्ह पापाऊहह उम्म्ं आह्ह फ़क मीई ओह्ह्ह हा ऐसे ही घुमाओ ओह्ह माह्ह सीई
शालिनी मुस्कुरा कर उसके पास गयी और उसके कमर को सहलाते हुए - अच्छा लग रहा है ना तुझे बेटा उम्म्ं
निशा कसम्सा हस्ती हुई - आह्ह हम्म्म्म माआह्ह बहुत उह्ह्ह्ह पापा लण्ड कब डालेंगे मुझे लण्ड से चुदनाआह्ह अह्ब ऊहह उम्म्ंम
शालिनी हस्ते हुए उथी और जन्गीलाल को इशारा किया और
जन्गिलाल खड़ा होकर तेल की शिसी खोल कर खुब सारा तेल अपने लण्ड पर च्भोड़ते हुए हाथ का बचा हुआ तेल निशा की गाड़ पर लगाने लगा
निशा इस समय थोडा डर और भरपुर उत्तेजना के साथ अपने पापा के अगले स्टेप का इन्तेजार कर रही थी ।
इधर जंगीलाल अपना लण्ड मलते हुए सुपाडा खोल कर उसके निशा के गाड़ के सुराख पर लगा चुका था ।
शालिनी भी निशा के करीब ही थी उसे स्म्भालने के लिए और जंगीलाल ने निशा के गाड पर हाथ रख्ते हुए दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर पुरा जोर देते हुए लण्ड को निशा के गाड़ की सुराख मे बहुत ही आहिस्ता से घुसा दी ।
दर्द से निशा की आंखे फैल गयी और वो छ्टकने को हुई लेकिन शालिनी ने उसे थाम लिया - अह्ह्ह मुम्मीईई नहीईई उम्मममं बहुत दर्दहह उह्ह्ह पापा मत करो अह्ह्ह फट जायेगा अह्ह्ह उह्ह्ह
शालिनी जल्दी से उसके पास गयी और उसे दुलारने लगी - बस बेटा अब नही होगा दर्द
इधर जन्गिलाल धीरे धीरे करके अपना लण्ड पकड कर उसे ढकेलते हुए आधे से ज्यादा निशा की गाड़ मे घुसा चुका था ।
ईस वक़्त जंगीलाल बहुत ही उत्तेजित हो चुका था इस अहसास से ही वो अपनी बेटी की गाड़ भेदने मे कामयाब रहा उसका लण्ड मारे जोश मे गाड़ के अंदर और भी फूलने लगा था ।
इधर शालिनी निशा को शांत कर रही थी कि जन्गीलाल ने दोनो हाथो से निशा के कुल्हे पकड कर अपना लण्ड खिचते हुए एकक जोर का धक्का लगा दिया और उस्का लण्ड सरकता गाड़ को चिरता फैलता निशा की जड़ मे चला गया
जिससे की आंखे छलक पडी और वो दर्द से रो पडी ,,उसका चेहरा लाल पड चुका था वही शालिनी एक हाथ उसके बालो को दुलारते हुए दुसरे हाथ से उसके गाड़ की दरारो से लेके कमर की नीचले हीस्से की मालिश कर रही थी ताकी गर्माह्त से उसे दरद से राहत मिले
जंगीलाल भी निशा के चर्बीदार गाड़ को मसलकर
थोडा राहत देते वापस से लण्ड बाहर को खिचत हुआ लण्ड को पेल्ना शुरु कर दिया ।
जंगीलाल को अपनी बेटी की कसी हुई गाड़ मे लण्ड घुसाने मे बहुत ही मजा आ रहा था वही धीरे धीरे जब वो तेल अपना असर दिखाने लगी तो निशा को अपनी गाड़ के सुराख मे ढीलापन मह्सूस हुआ और वो अब मजे लेने लगी थी लेकिन कसी हुई गाड़ के लिए उसके पापा का लण्ड बहुत ही मोटा था हर बार धक्का लगाने पर उसकी गाड़ के चर्बी मे भी खिचाव हो रहा था जिससे उसे दर्द मह्सूस हो रहा था
लेकिन
उसके पापा के सुपाड़े की खरोच उसके गाड़ की खुजली बढाये ही जा रही थी इसलिए उसने खुद से अपना गाड़ पीछे की ओर फेकने लगी और जंगीलाल सम्झ गया कि अब निशा को मजा आ रहा है
इसिलिए वो भी उसके कूल्हो को थामते हुए सटासट लण्ड को उस्के गाड़ मे पेलना शुरु कर दिया
निशा - आह्ह पापह्ह्ह ओह्ह अब मजा आ रहा है उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह पेलो मुझे उह्ह्ह
जंगीलाल - हा बेटी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है ,अह्ह्ह ये ले बेटी उह्ह्ह आह्ह ले और ले अपने पापा का लण्ड ऊहह आज तो तेरी गाड़ खोल कर रख दूँगा ईईआअहह आह्ह
निशा - हा पापा खोल दो उम्म्ंम कस कस के पेलो आह्ह खोल दो फाड़ दो अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम
जन्गीलाल जोश मे आकर कस कस कर निशा की गाड़ मे पेले जा रहा था और शालिनी वही सामने अपनी चुत मले जा रही थी ।
निशा थोडे ही देर बाद - आह्ह पापा मेरे घुटने मे दर्द हो रहा है
जंगीलाल को भी समझ आया कि निशा काफी समय से घुटनो के बल अपनी गाड़ उठाए उसके धक्के झेल रही है इसिलिए उसने अपना लण्ड बाहर खिचके निशा के चुतड पे थाप देते हुए उसे उठने का इशारा किया और खुद सोफे पर बैठ गया ।
निशा खुश हुई और इस बार पैर फेक कर वो अपने पापा की गोद मे बैठते हुए लण्ड पकड कर खुद से ही अपने गाड के मुहाने पर सेट करने लगी
जब लण्ड सही जगह सेट हो गया तो निशा खुद को एडजस्ट करते हुए लण्ड पर अपने गाड़ को दबाने लगी और उसके पापा का मोटा मुसल एक बार फिर से उसकी कसी हुई गाड़ को चौड़ा करता हुआ पुरा घुस गया ।
निशा ने जब पुरा लण्ड महसूस कर लिया तो वो अपने पापा के कन्धे को पकडते हुए हल्का हल्का उछलने लगी । वही जन्गीलाल ने मौका पाकर सामने से अपने बेटी की दोनो नंगी चुचियॉ पकड कर मसलने लगा और झुक कर मुह मे भरने लगा
निशा अपने पापा की मोटी जीभ की खरोच और गाड़ मे सुपाडे की हरकत से बहुत ही उतेजित हुई जा रही थी और कस क्कस कर अपना गाड़ अपने पापा के लण्ड पर हुमचने लगी ।
निशा - ओह्ह्ह पापाह्ह्ह उम्म्ं आप बहुत अच्छे हो उम्म्ंम सीईई मुझे तो बस आपसे ही चुदना है अह्ह्ह माह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह
जंगीलाल हस कर - क्यू बेटी शादी नही करेगी क्या उम्म्ंम
निशा अपनी गाड़ मे लण्ड को मथते हुए - आह्ह पापा जब सारा मजा ऐसे ही मिल रहा है तो क्यू शादी करनी उम्म्ंम अह्ह्ह थोडा पकड के पेलो ना उम्म्ंम अह्ह्ह
जन्गीलाल - देख रही हो निशा की मा ,,,अपनी लाडो तो शादी करने से ही दुर भाग रही है हाहहहा
शालिनी अपनी चुत मलते हुए बहुत ही कामुक आवाज मे - अह्ह्ह मेरे राजाआह्ह आपके लण्ड का स्वाद लेके कौन आपसे दुर जायेगा सीईई आह्ह
निशा अपने पापा के लण्ड पर उछलते हुए - हा मम्मी सही कह रही हो उम्म मै तो नही जाऊंगी पापा को छोड कर ,,,रोज चुदवाउन्गी और आपके साथ ऐसे ही मजे करनगी उम्म्ंम अह्ह्ह पापा और कस के पेलो ना उम्म्ं हा ऐसे ही निचे से चोदो मुझे
जंगीलाल - हा बेटी ये लेह्ह उह्ह्ह क्या मस्म्त मम्मे है तेरे उह्ंम्ंं सीई इतने मुलायम है उम्म्ंम
निशा - तो चुस लो ना पापा और पेलो ना मुझे कस कस के थक गये क्या
जंगीलाल मुह से चुची निकालते हुए - आह्ह नही मेरी लाडो
निशा अपनी गाड़ को तेजी से अपने पापा के लण्ड पर हुमचते हुए - आह्ह तो कस कर पेलो ना अह्ह्ह उम्म्ंम आप तो बेटीचोद हो गये हो ना अब उम्म्ं पेलो अपनी बेटी की गाड़ अह्ह्ह उह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अह्ह्ह मुझे भी रन्डी बेटी बना लो अपनी ना पापा अह्ह्ह
जंगीलाल ने जैसे ही निशा के मुह से ऐसे कामुक और गंदे शाब्द सुने वो पुरे जोश मे आ गया और निशा के गाड़ को पकड कर तेजी से निचे से धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह तो मेरी बेटी भी रन्डी के जैसे चुदना चाहती है हा ...
निशा - आह्ह हा पापा मुझे आपकी रन्डी बेटी बनना है आपकी चुद्क्क्ड बेटी अह्ह्ह पेलो ना अपनी रन्डी बेटी को उह्ह्ह पापा और कस के मारो फाड़ दो आज्ज उह्ह्ह हाआ
जन्गीलाल तेजी से निशा की गाड़ मारे जा रहा था और इधर मारे ऊततेज्ना मे
निशा झड़ने लगी थी और अपने पापा के उपर ही सुस्त पड गयी थी
धीरे धीरे जन्गीलाल भी धीमा पड गया और उसने उसकी गाड से लण्ड बाहर निकाल दिया,,,वही मौका देख कर कबसे प्यासी शालिनी ने वही लण्ड सीधा मुह मे भर लिया
जन्गीआल
ने निशा को इशारे से उपर से हटने को कहा और शालिनी को घोडी बनाते हुए उसके पीछे से लण्ड उसकी गाड़ मे पेल दिया
जंगीलाल - लो जान तुम भी कबसे तरस रही थी ना आह्ह ये लो उम्म्ंम
शालिनी - उम्म्ंम हा मेरे राजा थोदा पेलो ना जोर का मुझे भी उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह और हाह्ह उम्म्ंम
इधर जन्गीलाल गचाग्च अपनी बीवी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था वही निशा अपने पापा मम्मी की चुदाई देख कर फिर से जोश मे आ गयी और अपने मम्मी के उपर चध कर अपना गाड़ अपने पापा के सामने परोस दिया ।
अब जन्गीलाल के सामने उसके बीवी और बेटी की गाड़ उपर निचे रखी हुई थी और जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ मे फ्सा हुआ था ,,इसिलिए उसने निशा के गाड़ को उन्गलियो से चोदना शुरु कर दिया औफ थोडे देर मे उठ कर निशा के गाड़ के लण्ड घुसेड कर पेलने लगा
शलीनी को निशा की इस हरकत से हसी तो आई लेकिन उसे मजा भी आ रहा था कि उसकी जवाँ बेटी अपना नन्गा जिस्म लेके उसके उपर चढ़ी हुई जिसकी गाड़ उसका ही पति मार रहा है
थोडे देर बाद जंगीलाल ने छेदो की बदली की और निशा के गाड़ से लण्ड निकाल कर शालिनी की गाड़ मे पेलने लगा
ऐसे ही गाड़ की बदली करके जन्गीलाल दोनो को चोदता रहा और जल्द ही वो झड़ने के करीब आ गया और जाते जाते उसने सारा माल निशा की गाड़ भर दिया और आखिरी बूद तक उसके गाड़ झड़ने के बाद वो खड़ा हुआ तो निशा ने लपक कर अपने पापा का लण्ड मुह मे लेली और बचे खुचे माल को चाटने लगी
वही शालिनी उसके गाड़ में उन्गली करके अपने पति का माल निकाल कर उसे चाटने लगी ।
जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है आखिर जंगीलाल ने अपनी बेटी निशा की कुंवारी अनछुई गांड़ का उद्घाटन कर ही दिया निशा तो अपनी मां के साथ अपने बाप से चूदकर मजे ले रही है वही राज का बाप अपनी समधन को चोदने का प्लान बना रहे हैं राहुल और अनुज अपनी मां के नाम की मुठ मार रहे हैं देखते हैं अब आगे क्या होता हैUPDATE 154
लेखक की जुबानी
ROUND 01
चमनपुरा मे एक बंद कमरे मे कुलर तेजी से हनहना रहा था और सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये बैठी निशा मादक सिसकिया ले रही थी क्योकि उसके बाप की मोटी खुरदरी जीभ इस वक़्त उसके चुत की रसिली फाको पर चला रहे थे । वही बगल मे बैठी शालिनी अपनी बारी के इन्तेजार मे जान्घे खोल कर बैठी हुई चुत मले जा रही है ।
निशा अपने पापा की लपलपाती जीभ के स्पर्श से रोमांचित हुई जा रही थी और अकडते हुए अपने चुतड उचकाते हुए - अह्ह्ह पापाअह्ह उम्म्ंम्ं सीईईई उह्ह्ह्ह पुरा अच्छे से चुसो ना उम्म्ंम्ं
ये कहते हुए उसने अपने पापा के सर को पकडे हुए उनकी थूथ को अपनी फुली हुई चुत के मूहानो पर गाड़ उठा कर दरने लगी - अह्ह्ह पापाआह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चुसो अह्ह्ह निकल रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
निशा झड़ रही थी और जंगीलाल अपनी बेटी खुले व्य्व्हार से उतेजीत हुआ जा रहा था ।
कुछ देर तक गाड़ उठा कर कमर झटकने के बाद निशा सिथिल पड गयी और उसने अपने पापा के सर को छोड दिया और थक कर सोफे पर टेक लेते हुए हाफने लगी ।
वही जन्गिलाल की नजरे अपनी बीवी से टकराई तो वो मुस्कुरा उठा और बडे ही प्यार से अपनी बीवी के जांघो को दुलारते हुए निचे झुकता चला गया ,,जबतक की उसके होठो ने शालिनी के चुत के होठो से अपना नाता नही जोड लिया ।
शालिनी - अह्ह्ह मेरे राजाअह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंम सीई खा जाओ मेरी चुत उम्म्ंम्ं
जंगीलाल अपनी बीवी की तेज मादक सिसकिया सुन कर थोडा और भी जोशीला हुआ और जन्घए खोलते हुए लपालप जीभ चलाने लगा ।
वही निशा भी अपनी मा की तेज सिसकियाँ सुन कर लपक उसकी ओर देखने लगती है जहा उसके पापा बिल्कुल उसी के जैसे उसकी मा की भी चुत के फाको छेड़ रहे थे और उसकी मा का जिस्म अकड रहा था ।
शालिनी - आह्ह मेरे राजा अब देर ना करो ,, निकालो ये मुसल और चोदो मुझे उह्ह्ह्ह मुझे ऐसे नही झड़ना है प्लीज उन्म्म्ं
जन्गीलाल मुस्कराया और एक नजर निशा को देखा और फिर खुद भी सारे कपडे निकाल कर नन्गा हो गया ।
बिना किसी देरी उसने शालिनी की टांगो को खीचा और बडे से सोफे पर लिटाते हुए उसने अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ना शुरु कर दिया और थोडा सा थुक ल्गाते हुए अपना सुपाडा धीरे से अपनी बीवी की चुत मे घुसेड दिया
शालिनी - आह्ह मेरी जान य्ह्ह्ह आज तो तुम्हारा लण्ड सच मे बहुत फुला हुआ है अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम्ं
जंगीलाल - अह्ह्ह मेरी जान मुझे भी ऐसा ही लग रहा है ,,, जब तेरी जैसी रन्डी बीवी को चौदने का मौका मिले तो कैसे लण्ड कसेगा नही
निशा अपने पापा के मुह से अपनी मा के लिए रन्डी शब्द सुन कर आंखे खोल कर देखने लगी तो जंगीलाल भी सफाई देते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी तु शब्दो पर ध्यान ना दे । सेक्स मे गंदे शब्दो का प्रयोग करने से मजा दुगना हो जाता है ।
निशा जिज्ञासू भाव से अपनी चुत मसल्ते हुए - क्या सच मे मा ऐसा होता है ??
शालिनी - आह्ह हा बेटा मर्दो को चुदाई मे गंदे शब्द सुन कर बहुत जोश आता है और वो दुगनी
जोश से चोदते है इस्से हमे भी चुदने मेह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह ओह्ह्ह निशा के पापा और तेज पेलो ना उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
जन्गीलाल मुस्कुरा कर अपनी बेटी को देखा और फिर उसी गति से अपनी बीवी को चोदते हुए बोला - और कितना तेज चुदवायेगी साली रन्डी उम्म्ंम बोल ना
अपने पापा के मुह से गण्दे और कामुक शब्दो को सुन कर निशा मुस्कुराने लगी और थोडी कल्पना करते हुए अपनी चुत मसलने लगी कि क्या उसके पापा भी उसे गालिया देके चोदन्गे ।
इधर निशा थोडे पलो के लिए अपनी कल्पना मे खो ही रही थी कि तभी उस्के कानो मे उसके मा के मुह से कुछ गंदी गालिया और कामुक शब्दो के तीखे स्वर सुनाई पड़े ।
शालिनी- आह्ह तेरे मे जितना जोर है पेल ना बहिनचोद अह्ह्ह जब रन्डी बोल रहा है अह्ह्ह तोह्ह्ह रन्डी केहह जैसेह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह ऐसे ही हाआ उह्ह्ह और तेज पेलो अह्ह्ह ऐसे ही रन्डी के जैसे पेलो मुझे उम्म्ंम्ं अह्ह्ह
निशा की आंखे फैल गयी थी अपनी मा और पापा की वह्सीपने को देख कर कि क्या सच मे चुदाई का ये स्तर भी हो सकता है ,,जहा सारे रिश्ते नाते छोड कर हवसीयो के जैसे बस चुत और लण्ड का ही सम्बंध रह जाये । खुद की पहचान और अहम को दरकिनार कर एक दुसरे को अपने मन का गिरा से गिरा वह्सीपना दिखा दे ।
निशा को पल भर के लिए ही ये थोडा अजीब लगा लेकिन जैसे ही उसने ये सब चीजें खुद के साथ होने के बारे मे सोची तो वो खुद एक कामुक रोमान्च से भर गयी और अपनी चुचिय मिजते हुए अपनी चुत मसलने लगी
वही दोनो मिया बीवी ध्क्क्म पेल चुदाई चल रही थी ,,मा बहन बेटी की घटिया से घटिया गालीबाजी हो रही थी लेकिन हर संवाद के साथ चुदाई की गति लगातार चरम पर जा रहा थी
जंगीलाल तेज धक्को से शालिनी की सासे अटकी हुई थी और पुरा जिस्म झटके खा कर हिल्कोरे मार रहा था ,,, कुछ ही पलो मे जंगीलाल ने गति धीमी कर दी और हलके धक्के लगाते हुए मुस्कुराने लगा ,,क्योकि शालिनी झड़ कर सुस्त पड़ चुकी थी और नजरे उपर करके मुस्कुराते हुए पास मे बैठी बेटी को निहार रही थी ।
जंगीलाल ने चुत के रस से सराबोर अपनी की बुर से लण्ड बाहर निकाला और हाथ से उसे मसलते हुए निशा को इशारा किया , निशा मुस्करा कर अपने पापा के पास आई और जंगीलाल ने उसे अपनी बाहो मे कसते हुए उसके गुदाज चर्बीदार गाड़ को मसला और घोडी बनने का इशारा किया ।
निशा मुस्कुराते हुए बिना कोई जवाब सवाल किये सोफे पर घुटनो के बल झुक गयी और सामने ही महज कुछ इन्च उसकी मा की चुत रस से लिभ्दी हुई थी जिसकी मादक गन्ध उसे रिझा रही थी और उसके जीभ ने लार छोडना भी शुरु कर दिया ।
वो आंखे बन्द कर आगे की झुकने को हुई थी कि इस्से पहले ही जंगीलाल ने उसकी कमर को थामते हुए अपनी ओर खिचा और अपना लण्ड उसके चुत के मुहाने पर लगाते हुए हचाक से लण्ड को धकेलता हुआ आधी चुत मे घुसेड दिया ।
इस करारे हमले से निशा की सिसकी निकली और उस्का मुह सीधा उसकी मा के रस्भरी चुत पर जा लगा ।
उसे और शालिनी दोनो को थोडी जिझक सी लगी और उसने नजरे उथा कर अपनी मा को देखा जो अपनी बेटी के होठो का स्पर्श अपनी चुत पर पाकर गनगना गयी थी । वो अपनी चुत के दोनो ओर उन्गिलिया लगा कर उसे दबोचने लगी ताकी अगले धक्के मे जब निशा का मुह उसके चुत की फाको से टकराये तो इस बार उसकी चुत पूरी तरह से बजबजाई हुई हो और उसकी बेटी भी उसके कामरस को चख सके ।
हुआ भी वैसे ही जन्गीलाल ने एक और जोर का झटका दिया और पुरा लण्ड घुसेडता हुआ जड़ मे ले गया और इस बार भी निशा सिसकि फिर उस्का मुह उसके मा की बजबजाई चुत पर जा लगा।
इस बार मौके का फायदा लेके उसने भी वापस होते होते होठो से दो चार बूंद सुरुक लिये जिसका आभास शालिनी को भी हुआ और जब उसकी मा से नजरे मिली तो वो शर्म से लजा गयी ।
शालिनी मुस्कुरा कर थोडा और आगे की ओर खस्कते हुए - आह्ह बेटी तु शर्मा मत ,, तुझे जो मन है कर ले ,,,ले अह्ह्ह उम्म्म्ं हा ऐसे ही चुबला मेरी चुत को ओह्ह्ह माह्ह्ह सीईईई उम्म्ंम
इधर निशा ने अपनी मा की चुत कब्जा ली और होठो से चुत की फाको को सुरुकने लगी ,,,वही पीछे से उसका बाप ये सब देख और भी जोश मे करारे धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह बेटी आज तेरी वजह से चुदाई का मजा कई गुना बढ गया है ओह्ह्ह एक तो तेरी ये कसी हुई चुत और उपर से तेरी मा से तेरे ये रिश्ते देख कर मुझे बहुत जोश आ रहाहै ,,,,मन कर रहा है आज तुम दोनो की पूरी रात पेलाई करु उन्म्म्ं
निशा अपनी पापा की बाते और पूरी रात चुदने की कलपना से सिहर उथी- ओह्ह पापा तो चोदो ना उम्म्ंम आह्ह मुझे भी मम्मी के सामने पेलवाने मे बहुत मजा आ रहा है ओह्ह्ह पाअपा और कस के पेलो ना मम्मी के जैसे मुझे भी उम्म्ंम अह्ह्ह्ह
जन्गीलाल अपनी बेटी का आग्रह सुन कर अपने ध्क्के गहराते हुए बोला - हा बेटी ,, क्यो नही ये लेह्ह्ह अह्ह्ह मेरी लाडो बेटी अह्ह्ह ले अपने पापा का लण्ड अपनी बुर मे उम्म्ंम आह्ह
निशा - आह्ह हा पापा पेलो अपनी लाडो की चुत अह्ह्ह और चोदो मुझे आह्ह अह्ह्ह मम्मीईई पापा को गाली दो ना तभी वो कसके पेलन्गे उम्म्ंम्ं
जन्गिलाल निशा के हर संवाद से उत्तेजित हो रहा था और उसके लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी ।
शालिनी अपनी लाडो का कहना कैसे टाल सकती थी वो भी अपने पति को हुक्म सुनाते हुए बोली - आह्ह सुना नही क्या बहिनचोद ,,मेरी बेटी को और कस के चोद ना जैसे मुझे चोदा अभी रन्डीयो के जैसे । उसे भी पेल ना साले बेटीचौद पेल कस्के अह्ह्ह उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही और अन्दर घुसा अह्ह्ह फ़ाड दे आज अपनी बेटी के बुर को
निशा - अओह्ह हा पापा ऐसे ही उम्म्ं फाडो मेरी बुर को ओह्ह्ह आह्ह फ़क मी पापा अह्ह्ह मजा आ रहा है ,,,बहुत मस्त लण्ड है आपका अह्ह्ब
जंगीलाल निशा के कुल्हे थामे हुए सटासट तेजी से लण्ड उसकी चुत मे पेले जा रहा था । उसकी जान्घे निशा के चुतडो से टकरा कर उछल रही थी और कमरे थपथपथपथप की तेज अवाजे चल रही थी ।
निशा अपने पापा को चिल्ल्ला रही थी तो उसकी मा जन्गीलाल को भर भर के गालिया देके उकसा रही थी और जन्गीलाल के लण्ड की कसावट बढती ही जा रही थी और उसका सुपाडा अब तपने लगा था उसकी गति धीमी होने लगी थी
शालिनी समझ गयी कि वो अब झड़ने वाला है इसिलिए फटाक से उथी और उसके पास पहुची जंगीलाल आहहे भरता हुआ निशा को सामने की ओर झटका । उसके पैर थक चुके थे और लगातार तेज गति से चुदाई करने से कमर मे दिक्कत सी लग रही थी इसिलिए उसने सोफे पर बैठना ही मुनासिब समझा ।
वही मौका पाते ही मा बेटी उसके लण्ड पर झपट पडी और आतुरता दिखाते हुए शालिनी ने सुपाड़े को मुह मे भर लिया और निशा ने आड़ो को चुबलाना शुरु कर दिया
थोडे ही पलो ने जंगीलाल अपनी गाड़ उठा के कहरा और शालिनी का सर लण्ड पर दबाने लगा । उसके वीर्य से शालिनी का मुह भर गया था और जब वो उथी तो खासने लगी ,,,वही निशा मौका पाते ही लण्ड को मुह मे भर ली और उसके सुरुकाने लगी ।
थोडे ही देर बाद तिनों हाफते हुए वही सोफे पर सुस्ताने लगे और अगले राउंड की तैयारि करने लगे
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इधर इनके अगले राउंड की तैयारी चल रही थी वही राज के चौराहे वाले घर मे उसका बाप अपनी बीवी को चोदते हुए होने वाली समधन को चोदने के ख्वाब को अपनी बीवी के बाट भी रहा था ।
रंगीलाल - आह्ह जान ये ममता भाभी की गाड़ देख कर तो मै दीवाना हो चुका हू सीईईईई
रागिनी अपने पति का लण्ड अपनी चुत की गहराई मे कसते हुए - अच्छा जी ऐसा क्या उम्म्ंम और क्या अच्छा लगता आपको अपनी समधन मे उम्म्ंम बोलो अह्ह्ह्ह उह्ह्ह
रन्गीलाल तेज करारे धक्के लगाते हुए - वैसे ही संधन जी पूरी की पूरी मस्त है लेकिन उनके गदराये जिस्म पर चढ़ कर पेलते हुए उनकी मोटी मोटी थन जैसी चुचिया मुह मे लेके चुसना चाहता हू ,,,, पता नही कैसा साइज़ पहनती होगी उह्ह्ह्ह
रागिनी - आप कहो तो मै पता करु
रन्गीलाल की आंखे चमक उथी और वो धक्का रोकते हुए - सच मे जान,,लेकिन कैसे ?
रागिनी ने इशारे से चुदाई जारी रखने को कहा - अरे मेरे राजा दुल्हन की सास के लिए साड़ी कपडे और सृंगार का समान जाता है ,,भले ही कोई दुल्हन की सास को ब्रा पैंटी नही देता हो लेकिन फिर मै पुछ लूंगी कोई ना कोई जुगाड़ करके हिहिहिही
रन्गीलाल खुश होकर तेज गति से लण्ड को अपनी बीवी की चुत की गहराई मे ले जाता हुआ - आह्ह जान तुम सच मे कमाल हो ,,, तुम बस साइज़ पता करो समधन जी को मै स्पेशल ब्रा पैंटी का सेट लाउँगा वो भी न्यू पैटर्न मे ।
रागिनी - ओहो सच मे फिर फ़ोटो भी माग लेना ,,क्या पता पहन के दिखा भी दे
रन्गीलाल उत्तेजना से भर कर - अह्ह्ह जान ऐसा हो जाये तो मजा ही आ जाये उम्म्ंम ,,,तुम बस पता करो साइज़
इधर इनकी फ्यूचर प्लानिंग चुदाई के साथ जारी रही । वही उपर के कमरे मे राहुल और अनुज कानो मे ईयरफोन लगाये पैर पर लैपटाप रख कर वो incest porn movie देख रहे थे जो आज सुबह ही उन्होने डाउन्लोड किया हुआ था ।
फुल फैमिली सागा सेक्स से भरपुर उस फिल्म ने दोनो के अरमान जगाये ,,,जहा राहुल ने जहन मे उसकी मा के कसे बदन की छविया आने लगी थी वही कही ना कही नाकारते हुए अनुज ने भी अपनी मा के बारे मे सोच कर आज मूठ मार ही दी ।
जब अनुज का जिस्म थक गया तो वो खुद के लिए बहुत शर्मिंदा हुआ और उसने लैपटोप बन्द करके रख दिया । हालाकी राहुल का अभी भी मूड था आगे देखने का लेकिन अनुज का मूड अपसेट देख कर उसने भी कोई जिक्र नही किया ।
ROUND 02
करिब 15 मिंट बाद जन्गीलाल के कमरे का माहौल फिर से गरम हो चुका था ,,, एक ओर जहा शालिनी अपने चुचे उसके मुहे मे भरे हुए चुसवा रही थी वही निशा ने अपने पापा के लण्ड को मुह मे लेके उसे चुस कर तैयार कर रही थी ।
जंगीलाल अपनी बीवी के मोटे चुचे चुसने के साथ साथ उसके गाड़ के सुराख से छेड़खानी भी कर रहा था
शालिनि धिरे से उस्के कान मे - आह्ह जान आज ही उसकी गाड़ भी खोलोगे क्या ???
जंगीलाल मुस्कुरा कर - हा जान,,कल से राहुल रहेगा तो दिक्कत हो जायेगी ना
शालिनी - लेकिन आज तुम्हारा मुसल बहुत मोटा लग रहा है ,,ले पायेगी वो
जन्गीलाल मुस्कुरा उसे निशा को दिखाते हुए - देखो कैसे खुद ही चुस चुस कर तैयार कर रही है
ये बोलते हुए जन्गीलाल वापस से शालिनी की चुचिया पीने लगता है
शालिनी - आह्ह मेरे राजा पहले इसे मेरे गाड़ मे डाल दो ना उम्म्ंम कितना तगडा हो गया है सीईई अह्ह्ह
बोलते हुए शालिनी खुद से ही अपने उन्गिलीयो से अपनी गाड कुरेदने लगती है ।
जंगीलाल मुस्कुरा कर लेट जाता है और शालिनी उसके आगे लेटते हुए टाँगे उठा लेती है ।
फिर जंगीलाल वही गीला लण्ड शालिनी की गाड़ के सुराख पर ल्गाता है और देखते ही देखते आधे से ज्यादा लण्ड उसकी गाड मे समा जाता है ।
निशा पहली बार गाड की चुदाई देख रही थी और वो काफी उत्तेजित मह्सूस कर रही थी वही शालिनी दर्द मे भी जानबुझ कर ऐसे दिखा रही थी उसे भरपुर मजा मिल रहा है ,,, ताकी कही निशा के दिल मे कोई डर ना बैठ जाये ।
शालिनी - ओह्ह मेरी जान तुमने तो मेरि गाड़ ही भर दी उह्ह्ह थोडा पेलो ना जोर लगा के अह्ह्ह ऊहह ऐसे ही उम्म्ंम्ं हा ऐसे ही ,,,,अह्ह्ह
निशा अपनी मा के पैरो के पास बैथ कर अपने पापा के लण्ड और आड़ो को छुते हुए उसे और अन्दर घुसाने की कोसिस करते हुए - मम्मी आपको जरा भी दर्द नही हो रहा है क्या
शालिनी मुस्कुरा कर - अह्ह्ह बेटी इस वक़्त मुझे जो नशा हो रहा है ना वो मै बता नही सकती ओह्ह्ह्ह निशा के पापा और घुसाओ ना अन्दर बहुत खुजली हो रही है उम्म्ंम रगड़ दो अपना मुसल मेरी गाड़ मे उह्ह्ह माआह्ह्ह हा ऐसे ही उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा चुत एक बार फिर से रिसने लगी और अपनी मा से मस्ती भरे लफ्ज सुन कर वो भी गाड़ मे अपने पापा का मोटा लण्ड लेने के लिए लालायित हो उथी
इधर जंगीलाल खचाखच शालिनी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था और शालिनी सिसकिया लिये जा रही थी । जैसे जैसे जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ की गहराइयो मे जाता वैसे वैसे सामने से उसके चुत के फाके खुल जाते और सोमरस की पतली सी रिसती हुई धार दिख जाती ।जिसे देख निशा का जी ललचा गया
और वो बडी कामुकता से अपने पापा के आड़ो को सहलाये जा रही थी ।
शालिनी और जन्गीलाल बखूबी इस बात को समझ पा रहे थे कि कैसे उनकी बेटी की तडप बढ रही है
शालिनी - अह्ह्ह हा बेटी और ध्केल अपने पापा का लण्ड फिर मै भी तेरे गाड़ मे डालूंगी इसे ,,,लेगी ना तु भी इसे उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह बोल ना
निशा कसमसा कर - उम्म्ंम हा मम्मी मुझे भी चाहिये अह्ह्ह पापा मुझे भी दो ना ,,,मुझे भी गाड़ मे आपका मोटा लण्ड चाहिए उम्म्ंम्ं
ये बोलते हुए उसने अपने मुह मे ऊन्ग्ली डाली और फिर उसे गीला करके अपने गाड़ के सुराख को टटोलते हुए दो उन्गली घुसेड दी - अह्ह्ह माअह्ह्ह उम्म्ंम प्लीज पापा मुझ्र भी पेलो ना ऐसे ओह्ह्ह
जंगीलाल थम गया और उठकर अपने लाडो की बढती हवस को देख कर लण्ड मस्लने लगा
जिसे निशा ने लपक कर मुह मे भर लिया और अपना गला चोक करने लगी ।
जन्गीलाल - आह्ह जान लग रहा है आज मेरी लाडो बिना गाड़ ने लण्ड लिये नही मानेगी
निशा - आह्ह हा पापा मुझे चाहिये ,,मुझे भी मजा करना है उम्म्ंम्म्ं गुउउउऊ गुउऊ सुउउउरुररऊऊऊऊप्प्प्प अह्ह्ह
शालिनी मुस्कुरा कर - तो दे दीजिये ना उसे भी ,,,अपनी बेटी को ऐसे तरसाएंगे क्या ??
जन्गीलाल - अरे नही मेरी जान,, मेरे सारे चीजो पर मेरी लाडो का ही हक है । आजा बेटी थोडा घोडी बन के दिखा तो अहह्ह हा ऐसे
निशा अपने घुटने फ़ोल्ड करके आगे की ओर झुकते हुए अपनी गाड़ उठा ली और इधर जंगीलाल ने शालिनी को वो स्पेशल तेल की शिसी लाने को कहके खुद अपनी बेटी के चर्बीदार गाड के पाटो को फैलाते हुए मसलने लगा ।
फिर उसके चर्बीदार गाड़ के पाटो को मुह मे भरने और उसके सुराख से लेके लकीर मे मुह चलाने लगा ।
अपनी गाड़ के सुराख और दरारो मे अपने पापा की जीभ की हरकत से निशा कसम्साते हुए सिसकने लगी और अपने चुतडो को कसने लगी ।
जिससे जन्गिलाल ने उसके गाड़ के पाटो को कस के फैला कर चाटना शुरु कर दिया और जीभ से उसकी गाड़ के सुराख को कुरेदने लगा
जिससे निशा और भी आगे की ओर छ्टकाने लगी ,,इसपे शालिनी ने आगे से आकर उसे पकड लिया और जन्गीलाल घुटनो के बल होकर अपनी बेटी के गाड़ मे अपना मुह दे दिया ।
उसकी लपलपाती जीभ निशा के चुत के फाको से गाड़ के सुराख पर नाच रही थी और जन्गीलाल भरसक कोसिस करके अपनी जीभ को नुकीला करके गाड़ मे घुसा दे लेकिन लण्ड की कसर कहा उससे पूरी हो पाती ।
इसिलिए उसने अपनी एक ऊँगली को मुह मे लेके लार से चभोडा और लार से निशा के गाड़ के भूरे सुराख पर मलते हुए एक ऊँगली को उसकी गाड़ मे घुसेड दिया
निशा अपने पापा की मोटी ऊँगली अपने गाड़ मे घुसता पाकर सिसकी - अह्ह् पापाअह्ह्ह उम्म्ंम आह्ह
दर्द हो रहा है उम्म्ंम्ं सीईईई
शालिनी
अरे जी ऐसे सुखा सुखा क्यू डाल रहे है ,,ये तेल लगाईये ना ,,,
जंगीलाल निशा के चुतडो को दोनो ओर फैलाये हुए - अरे जान तुम ही गिराओ ना ,,, लाडो अपनी गाड़ को कस रही है
शालिनी मुस्कुरा कर तेल की शिसी खोलते हुए तेल की बुन्दे सीधा निशा के गाड की सुराख पर गिराने लगी और जिससे उसकी गाड़ का छेद भरने लगा और जल्द ही तेल निचे चुत की ओर बढ़ने लगा तो शालिनी ने अपनी उन्गलियो को लगा कर तेल को निचे जाने से रोका और उसे अच्छे से निशा के गाड़ पर मलने लगी
शालिनी- बेटा जरा ढीली छोड ना अपना चुतड आह्ह हा ऐसे तुझे भी मजा आयेगा
ये बोलते हुए शालिनी अपने अंगूठे से उसके तेल मे रसे हुए गाड़ की सुराख को मलने लगी और उपर लकीरो मे ले जाने लगी जिससे निशा कसम्सा उठी तो जंगीलाल ने आगे लपक के एक हाथ से उसके चुचे थाम लिये साथ ही उसके गाड़ की लकीरो को खुद मलने लगा ।
निशा को अब डबल मजा आने लगा था और उसकी सिसकिया बढने लगी थी ।
जन्गीलाल निशा के गाड़ की दरारो से लेके उसकी चुत की सिराओ को भी मल रहा था ।
फिर उसने अपने एक हाथ की अंजुली बनाई और शालिनी को इशारा किया कि वो थोडा तेल डाले । शालिनी ने भी मुस्कूरा कर तेल अपने पति की अंजुलि मे डाला ।फिर जंगीलाल ने वही हाथ सिधा निशा के कसे हुए गाड़ के दरारो मे भरता हुआ उसके गाड़ के छेद को अच्छे से मलने लगा और धीरे से एक ऊँगली को उसकी गाड़ के घुसेड दिया ,,,इस बार निशा को कोई दर्द नही बल्कि उसे एक खुजली सी होने लगी
निशा - आह्ह पापा खुजली हो रही है अह्ह्ह उम्म्ंम
जंगीलाल अपनी बिच वाली बडी ऊँगली को निशा की गाड़ मे डाले हुए बाकी की हथेली से उसके गाड़ के दरारो मे मल रहा था । लेकिन निशा की गुहार सुन कर उसने अपनी ऊँगली को और भी अन्दर घुसाते हुए कसी हुई गाड़ का मुआयना करते अपनी ऊँगली बाहर खिच लिया । फिर उसने गाड़ के सुराख के पास का तेल वापस से उंगलियो मे चभोडा और इस बार दो उंगलियाँ एक साथ ही निशा की गाड मे डाल थी ,।
इस बार निशा थोडी छ्टकी थी लेकिन जंगीलाल और शालिनी दोनो ने उसकी कमर को थामा और पूरी ऊँगली उसके गाड़ मे चली गयी
निशा - हहह पापा उह्ह्ह माआह्ह्ह सीई आह्ह जल रहा है अह्ह्ह पाअपाअह्ह्ह
जन्गिलाल उस्के कूल्हो को सहलाते हुए - बस बस बेटा अब नही होगा
ये बोलते हुए जन्गीलाल अपनी बेटी के गाड़ के अपनी दोनो ऊँगलीया घुमाते हुए आगे पिछे करने लगा ।
निशा को भी अब मजा रहा था और वो अपनी गाड हिलाते हुए - आह्ह पापाऊहह उम्म्ं आह्ह फ़क मीई ओह्ह्ह हा ऐसे ही घुमाओ ओह्ह माह्ह सीई
शालिनी मुस्कुरा कर उसके पास गयी और उसके कमर को सहलाते हुए - अच्छा लग रहा है ना तुझे बेटा उम्म्ं
निशा कसम्सा हस्ती हुई - आह्ह हम्म्म्म माआह्ह बहुत उह्ह्ह्ह पापा लण्ड कब डालेंगे मुझे लण्ड से चुदनाआह्ह अह्ब ऊहह उम्म्ंम
शालिनी हस्ते हुए उथी और जन्गीलाल को इशारा किया और
जन्गिलाल खड़ा होकर तेल की शिसी खोल कर खुब सारा तेल अपने लण्ड पर च्भोड़ते हुए हाथ का बचा हुआ तेल निशा की गाड़ पर लगाने लगा
निशा इस समय थोडा डर और भरपुर उत्तेजना के साथ अपने पापा के अगले स्टेप का इन्तेजार कर रही थी ।
इधर जंगीलाल अपना लण्ड मलते हुए सुपाडा खोल कर उसके निशा के गाड़ के सुराख पर लगा चुका था ।
शालिनी भी निशा के करीब ही थी उसे स्म्भालने के लिए और जंगीलाल ने निशा के गाड पर हाथ रख्ते हुए दुसरे हाथ से लण्ड को पकड कर पुरा जोर देते हुए लण्ड को निशा के गाड़ की सुराख मे बहुत ही आहिस्ता से घुसा दी ।
दर्द से निशा की आंखे फैल गयी और वो छ्टकने को हुई लेकिन शालिनी ने उसे थाम लिया - अह्ह्ह मुम्मीईई नहीईई उम्मममं बहुत दर्दहह उह्ह्ह पापा मत करो अह्ह्ह फट जायेगा अह्ह्ह उह्ह्ह
शालिनी जल्दी से उसके पास गयी और उसे दुलारने लगी - बस बेटा अब नही होगा दर्द
इधर जन्गिलाल धीरे धीरे करके अपना लण्ड पकड कर उसे ढकेलते हुए आधे से ज्यादा निशा की गाड़ मे घुसा चुका था ।
ईस वक़्त जंगीलाल बहुत ही उत्तेजित हो चुका था इस अहसास से ही वो अपनी बेटी की गाड़ भेदने मे कामयाब रहा उसका लण्ड मारे जोश मे गाड़ के अंदर और भी फूलने लगा था ।
इधर शालिनी निशा को शांत कर रही थी कि जन्गीलाल ने दोनो हाथो से निशा के कुल्हे पकड कर अपना लण्ड खिचते हुए एकक जोर का धक्का लगा दिया और उस्का लण्ड सरकता गाड़ को चिरता फैलता निशा की जड़ मे चला गया
जिससे की आंखे छलक पडी और वो दर्द से रो पडी ,,उसका चेहरा लाल पड चुका था वही शालिनी एक हाथ उसके बालो को दुलारते हुए दुसरे हाथ से उसके गाड़ की दरारो से लेके कमर की नीचले हीस्से की मालिश कर रही थी ताकी गर्माह्त से उसे दरद से राहत मिले
जंगीलाल भी निशा के चर्बीदार गाड़ को मसलकर
थोडा राहत देते वापस से लण्ड बाहर को खिचत हुआ लण्ड को पेल्ना शुरु कर दिया ।
जंगीलाल को अपनी बेटी की कसी हुई गाड़ मे लण्ड घुसाने मे बहुत ही मजा आ रहा था वही धीरे धीरे जब वो तेल अपना असर दिखाने लगी तो निशा को अपनी गाड़ के सुराख मे ढीलापन मह्सूस हुआ और वो अब मजे लेने लगी थी लेकिन कसी हुई गाड़ के लिए उसके पापा का लण्ड बहुत ही मोटा था हर बार धक्का लगाने पर उसकी गाड़ के चर्बी मे भी खिचाव हो रहा था जिससे उसे दर्द मह्सूस हो रहा था
लेकिन
उसके पापा के सुपाड़े की खरोच उसके गाड़ की खुजली बढाये ही जा रही थी इसलिए उसने खुद से अपना गाड़ पीछे की ओर फेकने लगी और जंगीलाल सम्झ गया कि अब निशा को मजा आ रहा है
इसिलिए वो भी उसके कूल्हो को थामते हुए सटासट लण्ड को उस्के गाड़ मे पेलना शुरु कर दिया
निशा - आह्ह पापह्ह्ह ओह्ह अब मजा आ रहा है उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह पेलो मुझे उह्ह्ह
जंगीलाल - हा बेटी मुझे भी बहुत मजा आ रहा है ,अह्ह्ह ये ले बेटी उह्ह्ह आह्ह ले और ले अपने पापा का लण्ड ऊहह आज तो तेरी गाड़ खोल कर रख दूँगा ईईआअहह आह्ह
निशा - हा पापा खोल दो उम्म्ंम कस कस के पेलो आह्ह खोल दो फाड़ दो अह्ह्ह माह्ह्ह उम्म्ंम
जन्गीलाल जोश मे आकर कस कस कर निशा की गाड़ मे पेले जा रहा था और शालिनी वही सामने अपनी चुत मले जा रही थी ।
निशा थोडे ही देर बाद - आह्ह पापा मेरे घुटने मे दर्द हो रहा है
जंगीलाल को भी समझ आया कि निशा काफी समय से घुटनो के बल अपनी गाड़ उठाए उसके धक्के झेल रही है इसिलिए उसने अपना लण्ड बाहर खिचके निशा के चुतड पे थाप देते हुए उसे उठने का इशारा किया और खुद सोफे पर बैठ गया ।
निशा खुश हुई और इस बार पैर फेक कर वो अपने पापा की गोद मे बैठते हुए लण्ड पकड कर खुद से ही अपने गाड के मुहाने पर सेट करने लगी
जब लण्ड सही जगह सेट हो गया तो निशा खुद को एडजस्ट करते हुए लण्ड पर अपने गाड़ को दबाने लगी और उसके पापा का मोटा मुसल एक बार फिर से उसकी कसी हुई गाड़ को चौड़ा करता हुआ पुरा घुस गया ।
निशा ने जब पुरा लण्ड महसूस कर लिया तो वो अपने पापा के कन्धे को पकडते हुए हल्का हल्का उछलने लगी । वही जन्गीलाल ने मौका पाकर सामने से अपने बेटी की दोनो नंगी चुचियॉ पकड कर मसलने लगा और झुक कर मुह मे भरने लगा
निशा अपने पापा की मोटी जीभ की खरोच और गाड़ मे सुपाडे की हरकत से बहुत ही उतेजित हुई जा रही थी और कस क्कस कर अपना गाड़ अपने पापा के लण्ड पर हुमचने लगी ।
निशा - ओह्ह्ह पापाह्ह्ह उम्म्ं आप बहुत अच्छे हो उम्म्ंम सीईई मुझे तो बस आपसे ही चुदना है अह्ह्ह माह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह
जंगीलाल हस कर - क्यू बेटी शादी नही करेगी क्या उम्म्ंम
निशा अपनी गाड़ मे लण्ड को मथते हुए - आह्ह पापा जब सारा मजा ऐसे ही मिल रहा है तो क्यू शादी करनी उम्म्ंम अह्ह्ह थोडा पकड के पेलो ना उम्म्ंम अह्ह्ह
जन्गीलाल - देख रही हो निशा की मा ,,,अपनी लाडो तो शादी करने से ही दुर भाग रही है हाहहहा
शालिनी अपनी चुत मलते हुए बहुत ही कामुक आवाज मे - अह्ह्ह मेरे राजाआह्ह आपके लण्ड का स्वाद लेके कौन आपसे दुर जायेगा सीईई आह्ह
निशा अपने पापा के लण्ड पर उछलते हुए - हा मम्मी सही कह रही हो उम्म मै तो नही जाऊंगी पापा को छोड कर ,,,रोज चुदवाउन्गी और आपके साथ ऐसे ही मजे करनगी उम्म्ंम अह्ह्ह पापा और कस के पेलो ना उम्म्ं हा ऐसे ही निचे से चोदो मुझे
जंगीलाल - हा बेटी ये लेह्ह उह्ह्ह क्या मस्म्त मम्मे है तेरे उह्ंम्ंं सीई इतने मुलायम है उम्म्ंम
निशा - तो चुस लो ना पापा और पेलो ना मुझे कस कस के थक गये क्या
जंगीलाल मुह से चुची निकालते हुए - आह्ह नही मेरी लाडो
निशा अपनी गाड़ को तेजी से अपने पापा के लण्ड पर हुमचते हुए - आह्ह तो कस कर पेलो ना अह्ह्ह उम्म्ंम आप तो बेटीचोद हो गये हो ना अब उम्म्ं पेलो अपनी बेटी की गाड़ अह्ह्ह उह्ह्ह्ह हा ऐसे ही अह्ह्ह मुझे भी रन्डी बेटी बना लो अपनी ना पापा अह्ह्ह
जंगीलाल ने जैसे ही निशा के मुह से ऐसे कामुक और गंदे शाब्द सुने वो पुरे जोश मे आ गया और निशा के गाड़ को पकड कर तेजी से निचे से धक्के लगाने लगा
जन्गीलाल - आह्ह तो मेरी बेटी भी रन्डी के जैसे चुदना चाहती है हा ...
निशा - आह्ह हा पापा मुझे आपकी रन्डी बेटी बनना है आपकी चुद्क्क्ड बेटी अह्ह्ह पेलो ना अपनी रन्डी बेटी को उह्ह्ह पापा और कस के मारो फाड़ दो आज्ज उह्ह्ह हाआ
जन्गीलाल तेजी से निशा की गाड़ मारे जा रहा था और इधर मारे ऊततेज्ना मे
निशा झड़ने लगी थी और अपने पापा के उपर ही सुस्त पड गयी थी
धीरे धीरे जन्गीलाल भी धीमा पड गया और उसने उसकी गाड से लण्ड बाहर निकाल दिया,,,वही मौका देख कर कबसे प्यासी शालिनी ने वही लण्ड सीधा मुह मे भर लिया
जन्गीआल
ने निशा को इशारे से उपर से हटने को कहा और शालिनी को घोडी बनाते हुए उसके पीछे से लण्ड उसकी गाड़ मे पेल दिया
जंगीलाल - लो जान तुम भी कबसे तरस रही थी ना आह्ह ये लो उम्म्ंम
शालिनी - उम्म्ंम हा मेरे राजा थोदा पेलो ना जोर का मुझे भी उम्म्ंम सीईई अह्ह्ह और हाह्ह उम्म्ंम
इधर जन्गीलाल गचाग्च अपनी बीवी की गाड़ मे लण्ड पेले जा रहा था वही निशा अपने पापा मम्मी की चुदाई देख कर फिर से जोश मे आ गयी और अपने मम्मी के उपर चध कर अपना गाड़ अपने पापा के सामने परोस दिया ।
अब जन्गीलाल के सामने उसके बीवी और बेटी की गाड़ उपर निचे रखी हुई थी और जन्गीलाल का लण्ड शालिनी की गाड़ मे फ्सा हुआ था ,,इसिलिए उसने निशा के गाड़ को उन्गलियो से चोदना शुरु कर दिया औफ थोडे देर मे उठ कर निशा के गाड़ के लण्ड घुसेड कर पेलने लगा
शलीनी को निशा की इस हरकत से हसी तो आई लेकिन उसे मजा भी आ रहा था कि उसकी जवाँ बेटी अपना नन्गा जिस्म लेके उसके उपर चढ़ी हुई जिसकी गाड़ उसका ही पति मार रहा है
थोडे देर बाद जंगीलाल ने छेदो की बदली की और निशा के गाड़ से लण्ड निकाल कर शालिनी की गाड़ मे पेलने लगा
ऐसे ही गाड़ की बदली करके जन्गीलाल दोनो को चोदता रहा और जल्द ही वो झड़ने के करीब आ गया और जाते जाते उसने सारा माल निशा की गाड़ भर दिया और आखिरी बूद तक उसके गाड़ झड़ने के बाद वो खड़ा हुआ तो निशा ने लपक कर अपने पापा का लण्ड मुह मे लेली और बचे खुचे माल को चाटने लगी
वही शालिनी उसके गाड़ में उन्गली करके अपने पति का माल निकाल कर उसे चाटने लगी ।
जारी रहेगी
Shukriya dostBehad shaandaar
Lajawab update bhai
Bahut bahut shukriya bhai ji Keep supportingबहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है आखिर जंगीलाल ने अपनी बेटी निशा की कुंवारी अनछुई गांड़ का उद्घाटन कर ही दिया निशा तो अपनी मां के साथ अपने बाप से चूदकर मजे ले रही है वही राज का बाप अपनी समधन को चोदने का प्लान बना रहे हैं राहुल और अनुज अपनी मां के नाम की मुठ मार रहे हैं देखते हैं अब आगे क्या होता है