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Adultery भाभियों का रहस्य

prasha_tam

Well-Known Member
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अध्याय 35
मेरे शक्ति छोड़ने से जन्हा कई लोग खुश थे तो कुछ दुखी थे , लेकिन कुछ को समझ नहीं आ रहा था की आखिर वो अब करे तो करे क्या ??
इनमे ही मेरे जाती दुश्मन बलवंत ठाकुर और अब्दुल थे ,..
ठाकुर की हवेली में बैठे हुए वो चिंता से इधर उधर भटक रहे थे ..
“मदरचोद ये साला निशांत भी अखंड चुतिया निकला , आखिर कोई ऐसी ताकत को छोड़ता है क्या , उसपर पता नहीं मेरी प्यारी सी बेटी पर उसने क्या जादू डाल दिया है वो उसके पास चली गई “
बलवंत परेशान था क्योकि रामिका मेरे पास पहुच गई थी , वही अब्दुल की परेशानी कुछ अलग थी …
“ठाकुर साहब आपने वादा किया था की रामिका और मेरी शादी करवाएंगे अभी तक हमारी मंगनी तक नहीं हुई है , रामिका कोई मैं जब से जानता हु वो मुझे पसंद करती है अब तो कम से कम बात आगे बढाइये , अब तो निशांत की भी ताकत ख़त्म हो गई है “
अब्दुल की बात सुनकर एक बार बलवंत ने उसे घुरा
“होने वाली बीवी किसी दुसरे के घर में जाकर रह रही है और तुझे शादी करनी है “
बलवंत की बात सुनकर अब्दुल थोडा असहज हुआ लेकिन फिर उसने कहना शुरू किया
“ठाकुर साहब वो दोनों कालेज के समय के दोस्त है , जब आपने निशांत की जान लेनी चाही थी वो रामिका ने उसकी जान बचाई थी ….और मुझे अपनी होने वाली बीवी पर पूरा भार्रोसा है , भरोसा ही नहीं मैं उससे प्यार भी करता हु …”
अब्दुल की बात सुनकर बलवंत मुस्कुराने लगा
“चलो कम से कम मैंने अपनी बेटी के लिए गलत लड़का तो नहीं चुना , बस मेरी बेटी कोई गलत लड़का ना चुन ले “
बलवंत ने अपने हाथ में रखा शराब का पेक खत्म किया और सोफे में आकार बैठ गया , अब्दुल उसके कंधे में हाथ रखकर उसे हिम्मत बाँधने लगा
“रामिका एक मजबूत लड़की है और मुझे उसपर पूरा भरोसा है , अब हमे निशांत के बारे में कुछ सोचना पड़ेगा “
बलवंत को दिल से ख़ुशी थी की उसका होने वाला दामाद इतना समझदार है , लेकिन निशांत उसके आँखों का कांटा बना हुआ था
“मुझे लगता है की अब सही समय है की हमें निशांत पर हमला करना चाहिए , उसे पूरी ताकत से ख़त्म कर देना ही हमारे लिए सही रहेगा “
बलवंत की बात सुनकर अब्दुल बेचैनी से उसके सामने जाकर बैठ गया ,
“नहीं ठाकुर साहब , निशांत ने इतनी बड़ी ताकत को ठुकराया है , हमें लगता है की वो एक चुतिय्या है लेकिन फिर भी ये करना एक ताकतवर इंसान के ही बस की बात है ,मैं मानता हु की वो एक कंफ्यूज आदमी है लेकिन उसे वही मात दी जानी चाहिए जन्हा वो अभी भी सबसे कमजोर है ना की वंहा जन्हा वो कभी ताकतवर रह चूका है “
बलवंत अब्दुल को देखने लगा
“आखिर कहना क्या चाहते हो ???”
अब्दुल ने एक गहरी साँस ली
“ठाकुर साहब जो शक्ति खोई जा सकती है वो पाई भी तो जा सकती है , हम क्यों उसे उस चीजो पर उंगली करे , निशांत की सबसे बड़ी कमजोरी ये है की उसे ताकत की समझ नहीं है उसे ये समझ दिला कर हम खुद के पैर में क्यों कुल्हाड़ी मारे ??? अच्छा ये है की उसे हम ना ही छेड़े बल्कि ऐसा कुछ करे की वो धीरे धीरे गिरता जाए और इतना गिर जाए की जब उसे होश आये तो वो खुद को जमीन में पाए “
बलवंत ने अपना सर खुजाया
“मतलब ???“
“मतलब ये की उसे राजनीती में घसीट कर लाओ , उसे एक साथ इतना दुःख मत दो की वो फिर से शैतानी ताकतों की शरण में चला जाए , अगर वो गया तो समझो की हमारी बिना बोले मार देगा , वो इतना ताकतवर हो सकता है की आपके पुरे गांव को एक घंटे में ख़त्म कर दे , आपकी इज्जत को कुछ सेकण्ड में नीलाम कर दे , उसने ये सभी ताकत खुद से छोड़ी है अब उसे ये फिर से नहीं मिलनी चाहिए इसलिय जरुरी है की उसे हम जबरदस्ती की उंगली ना करे , उसे आराम से मरेंगे धीरे धीरे , और सही चीज हो सकती है राजनीती , दिमाग से बड़े से बड़े दुश्मन को ख़त्म किया जा सकता है , हां समय जरुर लगेगा लेकिन मैं तैयार हु … क्या आप हो ???”
बलवंत ने सर हिलाया
“तो पहला काम मेरी शादी करवाओ , मैं जाकर रामिका को घर लाता हु “
अब्दुल की बात सुनकर बलवंत ने फिर से सर हिलाया ,
***********************************
इधर हवेली में
मैं रामिका से मिलने गया था , मेरा स्वस्थ अब पूरी तरह से ठीक था , रामिका आज ही यंहा आई थी और कई घंटो से अपने कमरे से नहीं निकली थी उसे अन्नू ने भी समझाया था लेकिन वो अभी भी मुझसे गुस्से में थी …
मैं उसके कमरे में गया , वो बिस्तर में बैठी हुई कुछ सोच रही थी …
मैं बिना कुछ बोले उसके बाजु में जाकर बैठ गया , एक बार उसने मुझे देखा लेकिन वो दूसरी तरफ मुह करके सो गई …
“मुझसे इतना गुस्सा ??? क्यों रामिका ??”
मेरे पूछने पर भी वो कुछ ना बोली मैंने उसके कंधे पर अपने हाथ रख दिए
“तुम मेरी दोस्त हो और मन तुम्हे किसी भी तरह से कोई दुःख नहीं देना चाहता , हमारे बीच जो भी हुआ था वो महज एक कर्मकांड था जो की उस समय जरुरी था लेकिन अब तो तुम आजाद हो “
वो पलटी और मुझे देखने लगी उसके आँखों में आंसू थे
“क्या तुम्हारे लिए ये महज एक खेल था, मैंने तुम्हे अपना दिल दिला है “
मैंने उंगलियों से उसके आंसू को पोछा मेरे होठो में एक मुस्कान थी
“जानता हु .. लेकिन तुम ही सोचो की क्या मैंने कभी तुम्हे कहा था की तुम एक चुड़ैल बन जाओ ?? ये तुम्हारा प्यार था जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता था , तुम अब भी मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हे मैं तकलीफ में नहीं देख सकता , तुमने मेरी जान बचाई है और मैं तुम्हारा हमेशा ही कर्जदार रहूँगा लेकिन …
लेकिन क्या कभी मैंने तुमसे प्यार का कोई वादा किया था जो तुम मुझसे उस प्रेम की उम्मीद कर रही हो “
मेरी बात सुनकर उसका सर झुक गया
“मैं जानती हु निशांत की ये प्रेम एक तरफा था और चुड़ैल बनना भी मेरे खुद का फैसला था .. लेकिन अब इस दिल का क्या करू जो तुम्हारे लिए ही धडकता है ??”
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कराया और प्यार से उसके माथे पर अपना हाथ फेरा
“ये दिल तो कभी अब्दुल के लिए भी धड़का था “
“नहीं … हां धड़का था “ उसने बेचैनी से कहा और फिर आगे कहने लगी
“हा धड़का था .. लेकिन वो एक समझौता था , मुझे लगा था की तुम मेरे नहीं हो सकते इसलिए मैंने वो समझौता किया , लेकिन अब बात अलग है , हमारे बीच तो वो भी हो चूका है जो फिर एक पति पत्नी के बीच होना चाहिए “
“सेक्स ???”
वो बेचैन हो गई
“ऐसा मत कहो निशांत … वो महज जिस्मो का मिलन नहीं था वो मेरी जिन्दगी थी “
रामिका के आँखों में आंसू थे और मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर मैं इसे कैसे समझाऊ
“रामिका … तुम जानती हो की मेरा प्यार अन्नू है “
रामिका फिर से मचल गई वो बेचैनी से करवट बदल रही थी , वो जानती थी की सच्चाई क्या है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थी
“हां जानती हु … लेकिन … लेकिन मेरे लिए तो … नहीं निशांत तुम्हारे सिवा अब कोई मेरे जिस्म का मालिक नहीं हो सकता .. इस जिस्म में बेचैनी है , मैं तुम्हे अपना बनाना चाहती हु और तुम ही … हा तुम ही अब इस जिस्म के मालिक हो “
उसने लगभग रोते हुए ये कहा था , मन का अंतरद्वन्द सामने था वो बेचैन थी और उसकी ये बेचैनी मुझे भी बेचैन कर रही थी …
“रामिका … समझो बात को अब मैं वो नहीं रहा जिसने तुम्हारे साथ सम्भोग किया था “
रामिका सम्भोग का सुनकर शर्म से लाल हो गई लेकिन उसका जिस्म कुछ और ही कहानी कह रहा था , वो मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई , उसने अपनी कमीज खोल का फेक दिया,उसने उपर केवल एक ब्रा पहनी थी …
“एक बार .. एक बार मुझे नंगा देख लो फिर फैसला करना , ये जिस्म तुम्हारा है निशांत सिर्फ तुम्हारा , इसे ऐसे ना छोडो “
कहते हुए उसने अपनी ब्रा निकाल कर फेक दी और अपने सलवार का नाडा खोलकर उसे भी निकाल दिया , उसके जिस्म में केवल एक पेंटी बची थी जिसे भी उसने खोल दिया था , वो बिलकुल नंग होकर मुझसे लिपट गई थी
“इस जिस्म को भोग लो निशांत ये तुम्हारा ही है , प्लीज इसे भोग लो , “
वो मुझसे लिपट कर रो रही थी लेकिन मेरे मन में अब भी उसके लिए केवल मित्रता थी केवल प्रेम था …
“रामिका जागो .. मैं तुम्हारा नहीं हु , समझो मेरी बात को ..तुम्हारी शादी अब्दुल से होने वाली है “
मैंने उसे खुद से दूर किया , वो जोरो से रो पड़ी
मैंने प्यार से उसके गालो में एक किस किया ..
“खुद को सम्हालो , इस जिस्म की हवस में मैंने कई पाप कर दिए लेकिन अब नहीं … हवस शैतानो का काम है लेकिन प्रेम … प्रेम में देवत्व है रामिका , तुम्हारे प्रेम की कीमत मुझे मालूम है लेकिन इस प्रेम को हवस के तराजू में तोलकर इसे कलंकित मत करो “
रामिका मेरी बात सुन रही थी लेकिन अब भी सिसक रही थी , उसने मेरा हाथ अपने वक्षो पर रख दिया
“क्या ये आकर्षक नहीं है निशांत ???”
अब मैं उससे कहता भी तो क्या , मैंने 100 से अधिक महिलाओ के साथ सम्भोग किया था , जिस्म तो सबका एक सा ही होता है , और सम्भोग का मजा भी , उससे क्या ही कहता की असली चीज तो प्रेम है अगर प्रेम न हो तो सम्भोग केवल सम्भोग ही रह जाता है उसमे प्रेम की गहराई कभी नहीं आ सकती ..
मैंने महिलाओ के जिस्म को देखकर ही ये समझा था की सम्भोग और प्रेम में क्या अंतर है …
“रामिका ऐसा मत करो , मैंने तुमसे प्रेम करता हु , एक दोस्त की तरह ना की एक प्रेमी की तरह , जो हमारे बीच हुआ उसे भूल जाओ , तुम्हारी जिंदगी बहुत ही हसीन है , एक प्रेम करने वाला पति तुम्हारे इन्तजार में है उसे मत ठुकराओ , वो भी उसके लिए जिसके साथ प्रेम केवल एक तरफा है “
रामिका ने अपने हाथ ढीले छोड़ दिए उसने अपने आंसू पोछे और हलके से मुस्कुराई , उस मुस्कान में भी दर्द था ..
“ठीक है .. मैं अब्दुल से शादी करुँगी लेकिन वादा करो अगर मेरे जिस्म या मन को तुम्हारी जरुरत होगी तो तुम मुझे मना नहीं करोगे “
उसकी बात सुनकर मैं चौक गया , मैं उसे क्या ही उत्तर देता , क्या वो अपने पति से बेवफाई की बात कर रही थी ???
लेकिन उसे अभी शांत करने के लिए ये जरुरी लगा
‘मैं वादा करता हु , तुम्हारी इस बेचैनी का कारण मैं हु तो मेरा वादा है कि जब भी ये तुम्हारे अंदर आये तो मैं इसे शांत करूँगा , लेकिन तुम्हे अपनी जिंदगी अच्छे से और खुश होकर जीनी होगी , तुम्हे अपने पति से प्यार करना होगा बोलो मंजूर है “
इस बार वो मुस्कुराई
“तुम्हारे लिए तो सब मंजूर है मेरे मालिक “
उसने इतना ही कहा था की कमरे का दरवाजा खुला सामने खड़ी अन्नू हम दोनों को घुर रही थी , वो ना तो खुश थी ना ही दुखी , रामिका के नग्नता को वो निहार रही थी लेकिन हम दोनों की दुरी को भी वो समझ रही थी …
“अब्दुल आया है , रामिका को ले जाने “
उसने तुरंत ही कहा और एक बार हमें देख कर बिना कुछ बोले ही दरवाजा बंद कर लिया …
मैं रामिका को देखने लगा
“तैयार हो जाओ …”
इतना ही बोलकर मैं कमरे से बाहर आ गया
Wonderful...waiting for nex
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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मेरे शक्ति छोड़ने से जन्हा कई लोग खुश थे तो कुछ दुखी थे , लेकिन कुछ को समझ नहीं आ रहा था की आखिर वो अब करे तो करे क्या ??
इनमे ही मेरे जाती दुश्मन बलवंत ठाकुर और अब्दुल थे ,..
ठाकुर की हवेली में बैठे हुए वो चिंता से इधर उधर भटक रहे थे ..
“मदरचोद ये साला निशांत भी अखंड चुतिया निकला , आखिर कोई ऐसी ताकत को छोड़ता है क्या , उसपर पता नहीं मेरी प्यारी सी बेटी पर उसने क्या जादू डाल दिया है वो उसके पास चली गई “
बलवंत परेशान था क्योकि रामिका मेरे पास पहुच गई थी , वही अब्दुल की परेशानी कुछ अलग थी …
“ठाकुर साहब आपने वादा किया था की रामिका और मेरी शादी करवाएंगे अभी तक हमारी मंगनी तक नहीं हुई है , रामिका कोई मैं जब से जानता हु वो मुझे पसंद करती है अब तो कम से कम बात आगे बढाइये , अब तो निशांत की भी ताकत ख़त्म हो गई है “
अब्दुल की बात सुनकर एक बार बलवंत ने उसे घुरा
“होने वाली बीवी किसी दुसरे के घर में जाकर रह रही है और तुझे शादी करनी है “
बलवंत की बात सुनकर अब्दुल थोडा असहज हुआ लेकिन फिर उसने कहना शुरू किया
“ठाकुर साहब वो दोनों कालेज के समय के दोस्त है , जब आपने निशांत की जान लेनी चाही थी वो रामिका ने उसकी जान बचाई थी ….और मुझे अपनी होने वाली बीवी पर पूरा भार्रोसा है , भरोसा ही नहीं मैं उससे प्यार भी करता हु …”
अब्दुल की बात सुनकर बलवंत मुस्कुराने लगा
“चलो कम से कम मैंने अपनी बेटी के लिए गलत लड़का तो नहीं चुना , बस मेरी बेटी कोई गलत लड़का ना चुन ले “
बलवंत ने अपने हाथ में रखा शराब का पेक खत्म किया और सोफे में आकार बैठ गया , अब्दुल उसके कंधे में हाथ रखकर उसे हिम्मत बाँधने लगा
“रामिका एक मजबूत लड़की है और मुझे उसपर पूरा भरोसा है , अब हमे निशांत के बारे में कुछ सोचना पड़ेगा “
बलवंत को दिल से ख़ुशी थी की उसका होने वाला दामाद इतना समझदार है , लेकिन निशांत उसके आँखों का कांटा बना हुआ था
“मुझे लगता है की अब सही समय है की हमें निशांत पर हमला करना चाहिए , उसे पूरी ताकत से ख़त्म कर देना ही हमारे लिए सही रहेगा “
बलवंत की बात सुनकर अब्दुल बेचैनी से उसके सामने जाकर बैठ गया ,
“नहीं ठाकुर साहब , निशांत ने इतनी बड़ी ताकत को ठुकराया है , हमें लगता है की वो एक चुतिय्या है लेकिन फिर भी ये करना एक ताकतवर इंसान के ही बस की बात है ,मैं मानता हु की वो एक कंफ्यूज आदमी है लेकिन उसे वही मात दी जानी चाहिए जन्हा वो अभी भी सबसे कमजोर है ना की वंहा जन्हा वो कभी ताकतवर रह चूका है “
बलवंत अब्दुल को देखने लगा
“आखिर कहना क्या चाहते हो ???”
अब्दुल ने एक गहरी साँस ली
“ठाकुर साहब जो शक्ति खोई जा सकती है वो पाई भी तो जा सकती है , हम क्यों उसे उस चीजो पर उंगली करे , निशांत की सबसे बड़ी कमजोरी ये है की उसे ताकत की समझ नहीं है उसे ये समझ दिला कर हम खुद के पैर में क्यों कुल्हाड़ी मारे ??? अच्छा ये है की उसे हम ना ही छेड़े बल्कि ऐसा कुछ करे की वो धीरे धीरे गिरता जाए और इतना गिर जाए की जब उसे होश आये तो वो खुद को जमीन में पाए “
बलवंत ने अपना सर खुजाया
“मतलब ???“
“मतलब ये की उसे राजनीती में घसीट कर लाओ , उसे एक साथ इतना दुःख मत दो की वो फिर से शैतानी ताकतों की शरण में चला जाए , अगर वो गया तो समझो की हमारी बिना बोले मार देगा , वो इतना ताकतवर हो सकता है की आपके पुरे गांव को एक घंटे में ख़त्म कर दे , आपकी इज्जत को कुछ सेकण्ड में नीलाम कर दे , उसने ये सभी ताकत खुद से छोड़ी है अब उसे ये फिर से नहीं मिलनी चाहिए इसलिय जरुरी है की उसे हम जबरदस्ती की उंगली ना करे , उसे आराम से मरेंगे धीरे धीरे , और सही चीज हो सकती है राजनीती , दिमाग से बड़े से बड़े दुश्मन को ख़त्म किया जा सकता है , हां समय जरुर लगेगा लेकिन मैं तैयार हु … क्या आप हो ???”
बलवंत ने सर हिलाया
“तो पहला काम मेरी शादी करवाओ , मैं जाकर रामिका को घर लाता हु “
अब्दुल की बात सुनकर बलवंत ने फिर से सर हिलाया ,
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इधर हवेली में
मैं रामिका से मिलने गया था , मेरा स्वस्थ अब पूरी तरह से ठीक था , रामिका आज ही यंहा आई थी और कई घंटो से अपने कमरे से नहीं निकली थी उसे अन्नू ने भी समझाया था लेकिन वो अभी भी मुझसे गुस्से में थी …
मैं उसके कमरे में गया , वो बिस्तर में बैठी हुई कुछ सोच रही थी …
मैं बिना कुछ बोले उसके बाजु में जाकर बैठ गया , एक बार उसने मुझे देखा लेकिन वो दूसरी तरफ मुह करके सो गई …
“मुझसे इतना गुस्सा ??? क्यों रामिका ??”
मेरे पूछने पर भी वो कुछ ना बोली मैंने उसके कंधे पर अपने हाथ रख दिए
“तुम मेरी दोस्त हो और मन तुम्हे किसी भी तरह से कोई दुःख नहीं देना चाहता , हमारे बीच जो भी हुआ था वो महज एक कर्मकांड था जो की उस समय जरुरी था लेकिन अब तो तुम आजाद हो “
वो पलटी और मुझे देखने लगी उसके आँखों में आंसू थे
“क्या तुम्हारे लिए ये महज एक खेल था, मैंने तुम्हे अपना दिल दिला है “
मैंने उंगलियों से उसके आंसू को पोछा मेरे होठो में एक मुस्कान थी
“जानता हु .. लेकिन तुम ही सोचो की क्या मैंने कभी तुम्हे कहा था की तुम एक चुड़ैल बन जाओ ?? ये तुम्हारा प्यार था जिसके बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता था , तुम अब भी मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो तुम्हे मैं तकलीफ में नहीं देख सकता , तुमने मेरी जान बचाई है और मैं तुम्हारा हमेशा ही कर्जदार रहूँगा लेकिन …
लेकिन क्या कभी मैंने तुमसे प्यार का कोई वादा किया था जो तुम मुझसे उस प्रेम की उम्मीद कर रही हो “
मेरी बात सुनकर उसका सर झुक गया
“मैं जानती हु निशांत की ये प्रेम एक तरफा था और चुड़ैल बनना भी मेरे खुद का फैसला था .. लेकिन अब इस दिल का क्या करू जो तुम्हारे लिए ही धडकता है ??”
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कराया और प्यार से उसके माथे पर अपना हाथ फेरा
“ये दिल तो कभी अब्दुल के लिए भी धड़का था “
“नहीं … हां धड़का था “ उसने बेचैनी से कहा और फिर आगे कहने लगी
“हा धड़का था .. लेकिन वो एक समझौता था , मुझे लगा था की तुम मेरे नहीं हो सकते इसलिए मैंने वो समझौता किया , लेकिन अब बात अलग है , हमारे बीच तो वो भी हो चूका है जो फिर एक पति पत्नी के बीच होना चाहिए “
“सेक्स ???”
वो बेचैन हो गई
“ऐसा मत कहो निशांत … वो महज जिस्मो का मिलन नहीं था वो मेरी जिन्दगी थी “
रामिका के आँखों में आंसू थे और मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर मैं इसे कैसे समझाऊ
“रामिका … तुम जानती हो की मेरा प्यार अन्नू है “
रामिका फिर से मचल गई वो बेचैनी से करवट बदल रही थी , वो जानती थी की सच्चाई क्या है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थी
“हां जानती हु … लेकिन … लेकिन मेरे लिए तो … नहीं निशांत तुम्हारे सिवा अब कोई मेरे जिस्म का मालिक नहीं हो सकता .. इस जिस्म में बेचैनी है , मैं तुम्हे अपना बनाना चाहती हु और तुम ही … हा तुम ही अब इस जिस्म के मालिक हो “
उसने लगभग रोते हुए ये कहा था , मन का अंतरद्वन्द सामने था वो बेचैन थी और उसकी ये बेचैनी मुझे भी बेचैन कर रही थी …
“रामिका … समझो बात को अब मैं वो नहीं रहा जिसने तुम्हारे साथ सम्भोग किया था “
रामिका सम्भोग का सुनकर शर्म से लाल हो गई लेकिन उसका जिस्म कुछ और ही कहानी कह रहा था , वो मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई , उसने अपनी कमीज खोल का फेक दिया,उसने उपर केवल एक ब्रा पहनी थी …
“एक बार .. एक बार मुझे नंगा देख लो फिर फैसला करना , ये जिस्म तुम्हारा है निशांत सिर्फ तुम्हारा , इसे ऐसे ना छोडो “
कहते हुए उसने अपनी ब्रा निकाल कर फेक दी और अपने सलवार का नाडा खोलकर उसे भी निकाल दिया , उसके जिस्म में केवल एक पेंटी बची थी जिसे भी उसने खोल दिया था , वो बिलकुल नंग होकर मुझसे लिपट गई थी
“इस जिस्म को भोग लो निशांत ये तुम्हारा ही है , प्लीज इसे भोग लो , “
वो मुझसे लिपट कर रो रही थी लेकिन मेरे मन में अब भी उसके लिए केवल मित्रता थी केवल प्रेम था …
“रामिका जागो .. मैं तुम्हारा नहीं हु , समझो मेरी बात को ..तुम्हारी शादी अब्दुल से होने वाली है “
मैंने उसे खुद से दूर किया , वो जोरो से रो पड़ी
मैंने प्यार से उसके गालो में एक किस किया ..
“खुद को सम्हालो , इस जिस्म की हवस में मैंने कई पाप कर दिए लेकिन अब नहीं … हवस शैतानो का काम है लेकिन प्रेम … प्रेम में देवत्व है रामिका , तुम्हारे प्रेम की कीमत मुझे मालूम है लेकिन इस प्रेम को हवस के तराजू में तोलकर इसे कलंकित मत करो “
रामिका मेरी बात सुन रही थी लेकिन अब भी सिसक रही थी , उसने मेरा हाथ अपने वक्षो पर रख दिया
“क्या ये आकर्षक नहीं है निशांत ???”
अब मैं उससे कहता भी तो क्या , मैंने 100 से अधिक महिलाओ के साथ सम्भोग किया था , जिस्म तो सबका एक सा ही होता है , और सम्भोग का मजा भी , उससे क्या ही कहता की असली चीज तो प्रेम है अगर प्रेम न हो तो सम्भोग केवल सम्भोग ही रह जाता है उसमे प्रेम की गहराई कभी नहीं आ सकती ..
मैंने महिलाओ के जिस्म को देखकर ही ये समझा था की सम्भोग और प्रेम में क्या अंतर है …
“रामिका ऐसा मत करो , मैंने तुमसे प्रेम करता हु , एक दोस्त की तरह ना की एक प्रेमी की तरह , जो हमारे बीच हुआ उसे भूल जाओ , तुम्हारी जिंदगी बहुत ही हसीन है , एक प्रेम करने वाला पति तुम्हारे इन्तजार में है उसे मत ठुकराओ , वो भी उसके लिए जिसके साथ प्रेम केवल एक तरफा है “
रामिका ने अपने हाथ ढीले छोड़ दिए उसने अपने आंसू पोछे और हलके से मुस्कुराई , उस मुस्कान में भी दर्द था ..
“ठीक है .. मैं अब्दुल से शादी करुँगी लेकिन वादा करो अगर मेरे जिस्म या मन को तुम्हारी जरुरत होगी तो तुम मुझे मना नहीं करोगे “
उसकी बात सुनकर मैं चौक गया , मैं उसे क्या ही उत्तर देता , क्या वो अपने पति से बेवफाई की बात कर रही थी ???
लेकिन उसे अभी शांत करने के लिए ये जरुरी लगा
‘मैं वादा करता हु , तुम्हारी इस बेचैनी का कारण मैं हु तो मेरा वादा है कि जब भी ये तुम्हारे अंदर आये तो मैं इसे शांत करूँगा , लेकिन तुम्हे अपनी जिंदगी अच्छे से और खुश होकर जीनी होगी , तुम्हे अपने पति से प्यार करना होगा बोलो मंजूर है “
इस बार वो मुस्कुराई
“तुम्हारे लिए तो सब मंजूर है मेरे मालिक “
उसने इतना ही कहा था की कमरे का दरवाजा खुला सामने खड़ी अन्नू हम दोनों को घुर रही थी , वो ना तो खुश थी ना ही दुखी , रामिका के नग्नता को वो निहार रही थी लेकिन हम दोनों की दुरी को भी वो समझ रही थी …
“अब्दुल आया है , रामिका को ले जाने “
उसने तुरंत ही कहा और एक बार हमें देख कर बिना कुछ बोले ही दरवाजा बंद कर लिया …
मैं रामिका को देखने लगा
“तैयार हो जाओ …”
इतना ही बोलकर मैं कमरे से बाहर आ गया
Dekh rahe ho kuvar ko bechari ramika ke saath galat kar raha hai :buttkick: are maante hai wo chudail khud se bani thi or usme bhi kuvar ki hi bhalayi thi rahi baat kuvar ki to nahi karta sex :roll: kisne bola tha karne ko do to thi hi... dr sahab ye hawsi kuvar ka marwa do :chop: Jabardasti masoom banne ki koshish :lol1: or shadi ke baad karm kaand karne ke liye kitni jaldi haa bol diya pakka hawsi hai :nutkick: aaz kajal hoti to ye Din na dekhna padta :sigh2:
 
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