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Incest बाली उमर के कच्चे निम्बू।

Hard dude

Tere bin kuch nahi
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आआह रंडी बुआ कहा लेना है अपने भतीजे का वीर्ये।आआह जल्दी बताओ बुआ में आ रहा हूँ।







आज कामनी भी अपने भतीजे पर पूरी मेहरबान थी।







"आआह अंदर डाल।





अब आगे-



कुछ वक्त तक अमन कामनी बुआ को अपनी बाँहो में दबाए पड़ा रहा और कामनी ने भी अमन के लौड़े को अपनी चूत में ही दबाकर रखा।

काफी रात होने पर अमन खामोशी से अपने रूम में चला गया और कामनी भी नींद में पहुँच गई।



सुबह का वक़्त है रागनी नित्य-कर्म करके अपने बच्चों के लिए नाश्ता बना रही है।

कोमल आज जल्दी नीचे आ गई है और नाश्ता बनाने में अपनी माँ की मदद कर रही है।

उसके दिमाग मे बस में मिलने वाला अजनबी घूम रहा है।

वो ना चाहते हुए भी बार बार उसके बारे में ही सोच रही है।

अभी भी वो अपने खयालो में ही खोई हुई थी जब रागनी ने उसका शोल्डर पकड़ कर हिलाया।



"कोमल कोमल क्या हुआ परेशान लग रही हो।



"नही तो माँ ठीक हूँ मैं।



"ठीक हो तो बताओ मैंने अभी क्या कहा था तुमसे।



"आप आपने कब ।



"माँ हूँ मैं तेरी अगर कोई परेशानी है तो बता मुझे।

तीन बार तुझे बोला है जा कर अमन को और रिया को उठाने को पर जैसे तू तो यँहा है ही नही।



"वो वो में ठीक है माँ में अमन और रिया को उठा मार आती हूँ।



कोमल ने बोलते बोलते बात पलट दी थी।

ये चीज़ रागनी ने भी महसूस कर ली थी।

पर रागनी ने उसे ज़्यादा फ़ोर्स नही किया वो समझती थी कि लड़कियों की लाइफ में बहुत सी बातें होती है जो वो किसी को नही बताना चाहती खास कर घर वालो को।



कोमल वंहा से सीधा अमन के रूम में गई दरवाज़ा बंद था कोमल ने हैंडल घुमा कर देखा दरवाज़ा तुरंत खुल गया कोमल रूम में चली गई पर जैसे गई बस रह गई।



रात को बुआ को चोदने के बाद अमन रूम में ऐसे ही आकर लेट गया था बिना कपड़ों के सोच रहा था थोड़ी देर में कपड़े पहन लेगा पर थकान और बुआ की चूत का नशा दोनों ने अमन को लेट ते ही सोने पर मजबूर कर दिया वो बिल्कुल नंगा पड़ा था और सोने पे सुहागा पीठ के बल बिल्कुल सीधा और उससे भी सीधा खड़ा था उसका मिसाईल जो छत की तरफ देख रहा था।



सामने का नज़ारा देख कोमल की धड़कने तेज़ चलने लगी अपने सगे भाई को इस अवस्था में देख कर उसकी दोनों आंखे खुल गई थी।

और आंखों से ज़्यादा एक चीज़ और खुल गई थी।

समझ रहे हो ना?

हाँ बिल्कुल सही उसकी गदराई चूत।

कोमल की कोमल चूत अमन का मज़बूत मिसाईल देख कर फड़कने लगी धड़कने लगी।



कोमल अपनी दोनों आंखे अपने भाई के लंड पर जमाये सोच रही थी काश ये मेरा भाई ने होता तो इस मज़बूत लंड को अपनी चूत में लेकर कितना मज़ा आता।

अगर ये पूरा चूत में जाये तो यहाँ तक पहुंच जायेगा।

(उसके दिमाग के साथ कब उसके हाथ काम करने लगे कोमल को कुछ पता न चला।

अमन के खड़े लंड को देखते हुए अचानक ही उसकी उंगली अपनी नाभि को टटोलने लगी।

हा कम से कम यह तक तो जायगा ही।



और अगर ये लंड गाँड़ में लूँ तो ये गाँड़ का क्या हाल करेगा।

कोमल का हाथ अपनी गाँड़ की नाप जोख करने लगा।

(हाय ये तो रीढ़ की हड्डी तक तोड़ डालेगा।)

और अगर मुँह में लूँ तो पूरा हलक तक फस जायेगा।

हाय कितना खतरनाक है अमन का लौड़ा।

पर मज़ा बहुत आएगा इसे किसी भी छेंद से अंदर लेने में।

कोमल अभी अपने खयालो में खोई थी कि रागनी ने नीचे से उसे आवाज़ दी।



"कोमल उठा दिया उनको।



अपनी माँ की आवाज़ सुनकर कोमल की तंद्रा भंग हुई।



"उफ्फ्फ अमन भाई है मेरा में भी क्या क्या सोच रही हूँ।

अपने माथे पर हाथ मारकर कोमल बोली।



पर अभी भी वो जिसे भाई बोल रही थी उसके लौड़े को ही घूर रही थी।

कोमल को अपनी चूत गीली होती महसूस हुई उसने अपना शक दूर करने के लिए तुरंत अपनी पजामी में हाथ अंदर कर दिया और चूत पर उंगली लगाते ही उसका शक यकीन में बदल गया।



उसकी पूरी चूत भीग गई थी जिसका पानी एक लकीर बनाकर अब उसकी जांघो पर रेंग रहा था।

उसके दिमाग में फिर जंग शुरू हो गई ।

कोमल तू ऐसा कैसे कर सकती है अपने सगे भाई को देखकर ही तेरी चूत लार टपकाने लगी।



भले ही अमन मेरा भाई है पर साथ में एक मज़बूत लौड़े वाला मर्द भी तो है और वो मर्द जो इस वक़्त पूरे जोश में अपनी मर्दानगी को नंगा किये दिखा रहा है।



नही नही ये ठीक नही है कितना गंदा सोच रही है तू कोमल चूत में घुसेगा तो नाभि तक जायेगा।

और मुँह में लिया तो हलक तक।



उफ़्फ़ क्या हो रहा है मुझे ये पाप है।



कोमल अपना मन पक्का करके अमन के रूम से बाहर निकल गई।अमन के रूम से बाहर आकर वो सीधी अपनी बिचली बहन रिया के रूम में गई।रिया भी अलग ही स्वेग में सोती मिली कोमल को।



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वो पेट के बल सोई पड़ी थी और उसकी पैंटी उसके घुटनो पर पड़ी थी रिया को देख कर कोई भी अंदाज़ लगा सकता था कि रात को वो अपनी चुनमुनिया में उंगली मारकर सोई है।



कोमल को भी ये समझते देर नही लगी।

पर उसके माइंड में ये भी आया दोनों भाई बहन नंगे सो रहे है कही रिया अमन के साथ अपनी रात रंगीन तो नही करती।

दोनों जवान है हो भी सकता है।क्या मालूम दोनों भाई बहन आपस में ही जवानी का मज़ा ले रहे हो।



और अगर रिया अमन के साथ मज़े ले सकती है तो वो क्यों नही वो तो रिया से बड़ी भी है।

कोमल के मन में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा।

वो अपने मन की शंका को दूर करना चाहती थी।

मेडिकल स्टूडेंट थी उसके लिए ये पता लगाना इतना मुश्किल नही था बस वो एक बार रिया की चूत को देख कर पता कर सकती थी।

वो धीरे से रिया के बिस्तर पर चढ़ी और उसने उल्टी सोई अपनी बहन के पैरों को पकड़ कर बिल्कुल आराम से विपरीत दिशा में खोल दिया।



सोई पड़ी रिया की गाँड़ के साथ साथ उसकी चूत के लिप्स भी अब कोमल की आंखों के सामने थे।

कोमल ने अपने कांपते हाथों को अपनी बहन की चूत के लिप्स पर रख कर उनको चीर दिया और चूत का अंदरूनी हिस्सा देखते ही उसकी शंका दूर हो गई।



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रिया की नन्ही परी अभी बिल्कुल फ्रेश और बिना चुदी थी बस रिया ने खुद अपनी चूत पर जो ज़ुल्म किये थे उसके ही मायनर साइन थे।

कोमल ने उसकी गाँड़ का छल्ला भी देखा वो भी उसको फ्रेश ही लगा।



रिया तो अभी कुँवारी है पर अगर मैं चाहूं तो अमन का मिसाईल अपने एयर-स्पेस में ले सकती हूँ।



उफ़्फ़ फिर से वही।



कोमल ने रिया के बिस्तर जे उठकर उसकी गोल गाँड़ पर एक चांटा लगाया।



"उठ जा महारानी।



रिया की नाज़ुक गाँड़ पर चांटा लगते ही वो हड़बड़ा कर उठ गई।



"क्या हुआ क्या आफत आ गई।

अपनी आंखें मलती हुई रिया कोमल को देख कर बोली।



"हाँ आफत लेने के लिए ही तो अपना ताजमहल खोले पड़ी थी न तू।

कोमल ने उंगली से उसकी नंगी चूत की तरफ इशारा किया।



अपनी हालत देखते ही रिया ने एक हाथ से अपनी गुलाबी परी को दबा लिया और मुस्कुराते हुए दूसरे हाथ से पैंटी को ऊपर चढ़ाने लगी।



"ये किसने नीचे की।



"जिन भूत नही रहते यहाँ कोई भी देखकर समझ जायगा किसने नीचे की और किसने चटनी निकाली बेशर्म।

चल उठ जल्दी नीचे आ मम्मी बुला रही है।



"आती हूँ फ्रेश होकर।

रिया अपनी चोरी पकड़ी जाने पर मुस्कुरा रही थी।



कोमल रिया के रूम से बाहर निकली अब वो एक बार फिर अमन के रूम के बाहर खड़ी थी।

और सोच रही थी कि अमन को बाहर से ही आवाज़ दे देती हूं।

पर दिल कह रहा था कि एक बार और गेट खोल कर उस मज़बूत सी चीज को देखे।

काफी कशमकश के बाद आखिर अपनी चूत से हार गई कोमल और उसने बिल्कुल धीरे से गेट खोला और अंदर की तरफ देखा।



अंदर अब भी नज़ारा वही था बस थोड़ा और गर्मी बढ़ गई थी।

अमन शायद सपने में किसी को चोद रहा था और उसका मज़बूत सिपाही झटके मार रहा था।



जो बाहर खड़ी उसकी बड़ी बहन देख रही थी।

हाय कैसे झटके मार रहा है अमन का लौड़ा क्या मेरी चूत में घुस कर भी ये ऐसे ही झटके लगायेगा।



और जब ये चूत के अंदर ऐसे झटके लगायेगा तो मुझे कितना मज़ा आयेगा।पर इतना विकराल लौड़ा चूत की एक एक नस चटका देगा।चोद चोद कर मेरी चूत पर सूजन ला देगा।



कोमल अभी यही सब सोच रही थी कि अमन ने करवट बदली कोमल ने हड़बड़ी में जल्दी से गेट बंद किया पर गेट की आवाज़ से अमन की आंख खुल गई।



आंख खुलते ही उसे अपनी स्थिति का ज्ञान हुआ।

पर वो ये सोचने लगा कि गेट किसने बंद किया।

और क्या गेट बंद करने वाले ने उसको इस हालत में देखा है या नही।



बाहर खड़ी कोमल अपनी धोंकनी की तरह चलती साँसों को काबू कर रही थी उसको ऊपर आये काफी देर हो गई थी उसमें फैसला किया कि वो बंद गेट के बाहर से ही आवाज़ लगा कर अमन को जगा देगी।



और बाहर से अपनी बड़ी बहन की आवाज़ आते ही अमन को भी पता चल गया कि गेट के बाहर कौन था।



"अभी आता हूं दीदी।



कोमल अमन की आवाज़ सुनकर नीचे भाग गई।



रिया और अमन जब नीचे आये तो सभी लोग डाइनिंग के चारो और बैठे थे।वो दोनों भी आकर सब में शामिल हो गए।

रागनी सब के लिए गरम गरम परांठे ला कर दे रही थी।



कोमल अमन को चोरी चोरी देख रही थी जैसे ही अमन देखता तो तुरंत अपनी आंखों को नीचे कर लेती कोमल के माइंड में अब तक अपने भाई का मज़बूत लौड़ा घूम रहा था।



अमन के यूं देखने से कोमल असहज महसूस कर रही थी उसने जल्दी से नाश्ता किया और अपने कमरे में कॉलेज के लिए तैयार होने भाग गई।

अमन की नज़रे उसकी मटकती हुई गाँड़ पर ही जमी थी।



कामनी के नोटिस करने पर अमन झेंप गया।कामनी काफी देर से नोट कर रही थी दोनों भाई बहन को।

और कोमल के भागते समय जिस तरह अमन उसकी मटकती गाँड को निहार रहा था उससे कामनी को दाल में कुछ काला लगा।



कोमल सुबह से अमन का लौड़ा देख कर हॉर्नी फील कर रही थी और उसे मालूम था कि बस वाला लड़का भी अमन के जैसे लौड़े का ही मालिक है उसने भीड़ भरी बस में उसका लोड़ा महसूस कर लिया था।



रूम में कोमल धीरे धीरे अपने जिस्म को कपड़ो से आज़ाद करने लगीं।

कुछ ही पलों में कोमल के जिस्म पर सिर्फ ब्रा और पैंटी ही बचे थे।



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उसका गदराए जिस्म को सफेद ब्रा और पैंटी और भी खूबसूरत बना रहे थे।

कसी हुई ब्रा में उसके भारी स्तन पूरे नही समा पा रहे थे और लगभग आधे से ज़्यादा खुले थे।

बिल्कुल सफेद दूधिया स्तन ऐसे लग रहे थे जैसे दो सफेद कबूतर ब्रा में कैद कर दिए गए हो जो बाहर आने के लिए तड़प रहे थे।

कोमल ने कल कॉलेज से आने के बाद अपनी चूत को भी क्लीन कर लिया था।



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आज वो बस में मिलने वाले लड़के पर बिजलियाँ गिराना चाहती थी।

अपनी चिकनी चूत से पैंटी हटा कर उसने एक हल्के से कपड़े की स्किन टाइट लेगिंग पहनी जो उसके जिस्म से पूरी तरह चिपक गई थी और उसमें उसके जिस्म का हर कटाव साफ नजर आ रहा था।

लेगिंग उसके चूतड़ों पर चिपक सी गई थी और गाँड की पूरी गहराई आसानी से देखी जा सकती थी।

आगे की तरफ उसकी चूत के होंठो पर चिपका लेगिंग का सॉफ्ट कपड़ा उसकी चूत का पूरा उभार और कटाव यंहा तक कि चूत के बीच की लकीर भी साफ प्रदर्शित कर रहा था बस यही तो चाहती थी कोमल।

पर इस लेगिंग में अगर चूत से पानी निकलता तो वो भीगी हुई भी साफ दिखाई देती इस लिए कोमल ने ऊपर कुरती पहनी जिसकी लंबाई के कारण उसकी चूत अब सामने वालो को दिख नही सकती थी।



इस कुरती से वो अपने घर वालो के डाइलॉग से भी बच जाती और अपने अजनबी दोस्त को अपना जिस्म भी महसूस करवा सकती थी।कोमल तैयार होकर कॉलेज जाने के लिए निकलने लगी रागनी ने अपनी बेटी को कुरती में देखा तो उसे खुशी हुई।



"देखो कामनी कोमल कितनी समझदार हो गई।

कुरती पहन कर कॉलेज जा रही है।



"हा भाभी समझदार तो हो गई और बड़ी भी तो हो गई कोई लड़का देखो अब इसके लिए।



"हा कामनी में भी यही बोल रही थी अमन के पापा से पर बोल रहे है अभी पढ़ाई पूरी करले फिर देखेंगे।



पता नही कामनी कोमल के रंग ढंग देखकर उससे इनसिक्योर क्यों फील कर रही थी।

इसलिए ही उसने रागनी से कोमल की शादी की बात शुरू की थी।

ताकि वो शादी करके अपने ससुराल चली जाए और कामनी की टेंशन खत्म हो।



दोनों ननद भोजाई कोमल की कुरती के बारे में बात कर रहे थे पर अगर इस कुरती को वो थोड़ा सा बस थोड़ा सा ऊपर उठा कर देखते तो उनको पता चलता उनकी लाडली क्या इंतज़ाम करके घर से निकली है।



बहरहाल कोमल को अभी जल्दी से जल्दी कॉलेज पहुंचने की जल्दी थी ताकि वो जल्दी से कॉलेज से फ्री हो और अपने बस वाले अजनबी दोस्त से मिल सके।

पर वो ये भी जानती थी कि वो अजनबी बस के टाइम पर ही आएगा।



पर फिर भी उसका दिल धड़कने पर मजबूर था उसको पता था कि आज कॉलेज में दिल नही लगेगा पर वो दो तीन लेक्चर तो अटैंड कर ही सकती थी।

वही किया उसने कॉलेज पहुंच कर 2 लेक्चर अटैंड किये और 2 घंटे पहले ही बस स्टॉप पर जाकर खड़ी हो गई।

उसकी सहेली पूछती भी रही कि अपसेट लग रही है पर उसने अभी कुछ भी बताना सही नही समझा।



बस स्टॉप पर खड़ी उसकी आंखें किसी को ढूंढ रही थी पर वो कही नज़र नही आ रहा था।

पर कहते है ना आग जब दोनों तरफ लगी हो तो कोई न कोई रास्ता बन ही जाता है।



कोमल को स्टॉप पर खड़ा देख गंदे कपड़ो में एक लड़का उसकी तरफ बढ़ा

लड़के के पूरे कपड़े मोबिल और ग्रीस से काले हुए पड़े थे उसको देखकर ही लग रहा था कि वो किसी मेकेनिक की दुकान पर काम करता है।उसको अपनी तरफ आता देख कोमल की धड़कने बढ़ने लगी।

ये वही बस वाला अजनबी था पर कोमल ये नही समझ पा रही थी कि जब बस में आता है तो इतना गंदा नही होता पर इस वक़्त तो.....

कोमल अभी सोच ही रही थी कि वो उसके पास आ खड़ा हुआ।

लड़का समझदार था वो कोमल की साइड में खड़ा होकर बोला।



"कैसी हो मैडम आज इतनी जल्दी कैसे आ गई।



"तुम्हारे कपड़े इतने गंदे क्यों है जब बस में आते हो तब तो साफ सुथरे लगते हो।



"माफ करना मैडम में यही बस स्टॉप पर मेकेनिक का काम करता हुँ वँहा सामने मेरी दुकान है।

ये काम के कपड़े है जब दुकान पर होता हूँ तो यही कपड़े पहनते है।

घर जाते वक्त नहाकर कपड़े बदल कर जाता हूँ।



"अच्छा मेकेनिक हो तुम।



"अगर आपको जल्दी न हो तो आओ दुकान में बैठकर बात करते है।



"में वहाँ जाकर क्या करूंगी।



"आप घबराओ मत वँहा कोई आता जाता नही है।

आराम से बैठ सकती हो आप।



कोमल सोच रही थी कि उसके साथ जाए या नही।

दिमाग उसके साथ जाने को ना कह रहा था पर दिल जाने को बोल रहा था।



"अगर आपको कोई प्रॉब्लम है तो रहने दो में फ़ोर्स नही करूंगा।



कोमल ने आजतक बस में ही मज़े किये थे वो जानती थी कि सफर के बीच किसी से भी मज़े करो सफर पूरा होते ही वो अपने रास्ते चला जाता है और हम अपने रास्ते पर पहली बार उसके साथ ऐसा हो रहा था कि कोई अजनबी उसे बार बार टकरा रहा था।



कोमल के मन में बहुत से सवाल थे जो उसको परेशान कर रहे थे क्योंकि जो व्यक्ति उसे अपनी दुकान में ले जाना चाहता था वो उसे अभी जानती भी नही थी न ही वो व्यक्ति उसके बारे में कुछ जानता था।

वो सोच रही थी कि उसने कॉलेज से जल्दी आकर गलती कर दी नही तो हर रोज़ की तरह वो अजनबी उसको बस में ही मिलता और सफर खत्म होते ही बात खत्म हो जाती।



अपनी सोचों में गुम कोमल को अजनबी ने फिर से बोला।



"में समझ सकता हूँ मैडम इतनी जल्दी किसी पर भरोसा नही किया जा सकता कोई बात नही आप नही आना चाहती तो।



"नही ऐसी बात नही है मुझे बस जल्दी घर जाना है तो।



"ठीक है कोई ज़रूरी काम होगा आपको तब ही आप कॉलेज से भी जल्दी वापस आ गई है ना?



"नही काम तो नही पर में कैसे आपके साथ।



"कोई बात नही मैडम आप अभी भरोसा नही करती है ना आप को लग रहा है में आपके साथ कुछ गलत न कर दूंगा।



"वो बात नही है में बस कोई देखेगा तो क्या बोलेगा।



"पहली बात तो वँहा सिर्फ कस्टमर ही आते जाते है दूसरी बात वर्कशॉप मैं अंदर किसी को आने की इजाज़त नही है आप चाहे तो वर्कशॉप में बैठ जाना।



"ठीक है आप जाओ में आती हूँ।



अजनबी समझ गया था कि कोमल आना चाहती है पर दुनियादारी से डर रही है।

वो चुपचाप अपनी वर्कशॉप की तरफ बढ़ गया।।



कुछ देर कोमल खड़ी सोचती रही कि क्या करे फिर सोचा चलो एक बार चल कर देखती हूँ।

कोमल ने अपने स्टोल को अपने मुँह पर लपेटा और वर्कशॉप की तरफ बढ़ गई।



कोमल के वर्कशॉप में आते ही अजनबी उसे अंदर की तरफ ले गया जहाँ कुछ गाड़िया खुली पड़ी थी कोने में एक तरफ एक टेबल पड़ी थी और उसके पास बस से निकली सीटे रखी थी जिस पर आराम से तीन लोग बैठ सकते थे।टेबल के दूसरी तरफ एक व्हील-चेयर पड़ी थी।



"यँहा बैठिए मैडम

अजनबी व्हीलचेयर की तरफ इशारा करता हुआ बोला।



"नही में यहाँ ठीक हूँ

कोमल सामने रखी बस की सीट पर बैठती हुई बोली।



"आप बैठी रहे में बस अभी आया।

अजनबी इतना बोल कर बाहर की तरफ निकल गया।

कोमल वँहा बैठी इधर उधर देखकर अपने अंदाज़े लगा रही थी कुछ देर में उसे बाहर की तरफ से आवाज़ आई।



"उस्ताद उस्ताद कहा हो।

आवाज़ से मालूम पड़ता था कि किसी बालक की आवाज़ है।



वो बाहर दुकान में खड़ा आवाज़ देता रहा जब तक कोमल ने उसे अंदर नही पुकारा।



कोमल की आवाज़ सुनकर ही लड़का अंदर आया।



"कौन हो तुम क्या चाहिए।

कोमल बालक की तरफ देखकर बोली।



"समी उस्ताद कँहा है।आप कौन है।



अच्छा तो समी नाम है अजनबी का लेकिन ये कैसा नाम है।कोमल के जानने के लिए काफी कुछ था।



"में आपके उस्ताद की दोस्त हु।अब बताओ आपके उस्ताद का पूरा नाम क्या है।

कोमल ने लड़के से और जानकारी निकालनी चाही।



"अरे कौन से उस्ताद का नाम बताना है हम बता देते है।

समी हाथ में नाश्ते का सामान और जूस के टेट्रा पैक लेकर अंदर आता हुआ बोला।



"वो में तो बस ऐसे ही।

कोमल हिचकिचाती हुई बोली।



"हाँ छोटू बोल क्या बात है।

समी बालक की तरफ देखता हुआ बोला।



"कुछ नही उस्ताद आप थे नही तो।

ये मेमसाब कौन है उस्ताद।



"मेमसाब से नही पूछा तूने।



"पूछा था उस्ताद



"तो क्या बताया तेरी मेमसाब ने।



"आपकी दोस्त बताया उस्ताद।



"चल अब ज़्यादा बाते ना बना बाहर जाकर बैठ कोई आये तो बोलना उस्ताद नही है शाम को मिलेंगे।



"ठीक है उस्ताद।



लड़का बाहर चला गया।कोमल ने नोटिस किया कि वो लड़का शायद यहाँ काम करता है फिरभी वर्कशॉप के अंदर नही आया बाहर से ही आवाज़ दे रहा था।

इसका मतलब समी ठीक कह रहा था कि उसकी मर्जी के बिना अंदर कोई नही आता।



"जी मैडम जो पूछना है मुझसे पूछे।

समी कोमल के सामने नाश्ता रखता हुआ बोला।



"इसकी क्या ज़रूरत थी।

कोमल ने औपचारिक तौर पर बोला।



"आप पहली बार आई है हमारे ग़रीब ख़ाने में।



"आप मुझे मैडम क्यों बोल रहे है।



"आपने अपना नाम ही नही बताया तो क्या बोलू।



"नाम तो आपने भी नही बताया अपना।



"आपने पूछा ही नही।

समी सपाट शब्दो में बोला।



"तो बताइए अब पूछ रही हूँ।



"समीर नाम है मेरा पर सब लोग समी बोलते है।

आपका नाम?



"जी मेरा नाम कोमल है और सब मुझे कोमल ही बोलते है।

कोमल ने मुस्कुरा कर कहा।



"सही है नाम के जैसी ही है आप भी।



"मतलब समझी नही में।



"अपने नाम की तरह कोमल



"ओ आप कैसे कह सकते है अपने नाम की तरह हूँ मैं।



"आप भूल गई शायद आपको बहुत करीब से महसूस किया है मैंने बस में।



कोमल को बस का सफर याद आते ही उसका मन मचलने लगा और उसकी नज़र अचानक ही समीर की पैंट का उभार देखने लगी।



"पर आओ अपने नाम के बिल्कुल विपरीत है समी जी।



"मतलब



"बहुत सख्त है आप।

कोमल समीर की पैंट में बने उभार को देखते हुए बोली।



"अब मैं क्या बोलू आपने भी तो महसूस किया है।



कोमल समझ रही थी समीर का इशारा अपने लंड के सख्त होने की तरफ है।



"हाँ महसूस तो किया है पर देख नही पाई भीड़ की वजह से।।



"कोई बात नही कोमल जी यहाँ देख लेना यहाँ भीड़ नही है।

समीर अपने लंड को एडजस्ट करता हुआ बोला।



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पैंट में कैद समीर का लोड़ा पल प्रिति पल बड़ा होता जा रहा था जो बाहर से भी साफ देखा जा सकता था।

जिसे कोमल आंखे गड़ाए देख रही थी।



"लगता है बेचारे को फूलने के लिए जगह कम पड़ रही है।



"हा बिल्कुल ऐसा ही है शायद किसी के हाथ उसको पूरा फूलने का मौका देदे।

वैसे आपके कबूतर भी कैद में परेशान है।वो भी आज़ाद होना चाहते है।

समीर कोमल के गदराए जोबन देखता हुआ बोला।



"हो सकता है आप ठीक बोल रहे हो।



"क्या अपनी छोटी सहेली को भी ऐसे ही कैद कर रखा है आपने ।



"नही वो सोन-चिरेया तो आज़ाद रहती है।

कोमल ने अपनी कुरती को थोड़ा ऊपर कर दिया।और अपनी जांघो को थोड़ा खोल दिया।



समीर अपनी आंखें झपकना भूल गया।लेगिंग का कपड़ा चूत में घुस गया था और कोमल की गदराई चूत अपने होने का पूरा एहसास करवा रही रही।



"उफ्फ्फ कोमल जी कितनी गदराई हुई है ये।।



"ये भी तो कितना हार्ड हो रहा है।



"देखिए न इसे पकड़ कर कितना बड़ा हो गया ये।

समीर ने कोमल का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।वैसे तो कोमल समीर के लंड की नाप जोख बस में ही कर चुकी थी पर इस वक्त किसी का डर नही था।



"देखो न पैंट मैं बेचारा कितना परेशान हो रहा है आज़ाद करदो न इसे समीर।

कोमल हाथ में लंड आते ही समीर जी से सीधे समीर पर आ गई थी।



"ये लो देखो इसे आपके हाथों में आने के लिए कितना परेशान है ये



समीर ने अपनी पैंट निकाल कर अपना नागराज कोमल के सामने कर दिया।



"उफ़्फ़ समीर कितना बड़ा है ये और कितना मौटा भी



समी का विकराल लिँग देखते ही कोमल की आंखे बड़ी हो गई उसकी आंखों के सामने सुबह का नज़ारा घूम गया समी का लिंग भी बिल्कुल अमन के जैसा ही था कोमल के हाथ के गट्टे की बराबर मोटा और लंबा।
 
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