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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

Naik

Well-Known Member
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#56

सात अश्व मानव और रीना अकेली . दियो की टिमटिमाती रौशनी ने उस मैदान में प्राण फूंक दिए थे. सारी बाते एक तरफ पर रीना का यहाँ होना अपने आप में कहानी थी, उसने मुझे कई बार ही तो बताया था की कुछ तो है जो उसे रुद्रपुर की तरफ खींच रहा है पर इस द्रश्य ने मेरी रूह को बताया की मामला वैसा नहीं था जैसे की मैं देख रहा था .

बिजली की तेजी से रीना उन अजीब से अश्व मनवो का मुकाबला कर रही थी , और मैं बस हैरान था की ऐसी भी कोई चीज होती है या ये सब मेरा वहम था .

“चली जा वापिस लौट जा ” उनमे से सबसे बुजुर्ग अश्व मानव ने रीना से कहा .

रीना- जाना होता तो आती ही नहीं

अश्व मानव- तू जो करने का सोच रही है वो असंभव है , तेरे दुस्साहस की प्रशंशा करता हूँ पर साथ ही मैं फिर से चेतावनी भी देता हूँ की मेरे सब्र का पैमाना छलक रहा है , कहीं ऐसा न हो की तेरे प्राण भी रिहाई की भीख मांगे .

रीना- मेरी आँखों में देख और फिर सोच क्या मुझे परवाह है तेरी या फिर किसी और की

अश्व मानव- तू जानती नहीं तू क्या कर रही है . तुझसे पहले कितने आये कितने गए , कितने तो हम तक भी नहीं पहुँच पाई, बता तुझे क्या चाहिए सोना चांदी या फिर तेरी कोई मनचाही

रीना- मेरी मनचाही में तो तू रोड़ा बना हुआ है .

रीना आगे बढ़ी और उस बुजुर्ग अश्व मानव पर वार किया पर वो तेज था, चपल था . उसके खुरो ने रीना की पीठ पर लात मारी पर वो गिरी नहीं . हवाओ ने जैसे आज ठान ली थी की सारा जोर यही पर लगा देंगी. रीना के होंठो पर कुटिल मुस्कान अ गयी और फिर अगले ही पल वो किसी बिजली के जैसे कौंधी और उस बुजुर्ग अश्व मानव के बीच से होती हुई उसकी तलवार ने उसे दो हिस्सों में बाँट दिया.

मासूम, फूल सी नाजुक रीना ने अभी अभी एक क़त्ल कर दिया था हमारी आँखों के सामने, बाकि बचे अश्व-मनवो ने अपने साथी के हश्र पर रुदन करना शुरू कर दिया , पर कुछ पालो के लिए क्योंकि अब उन्होंने व्यूहरचना बना दी थी . तीन तलवारों ने एक झटके में ही रीना के कुरते को तार तार करते हुए उसकी पीठ को चीर दिया था . रीना चीखी और , और तेजी से उनसे लड़ने लगी.

“मुझे तुम तो क्या नहारवीर भी नहीं रोक पाएंगे , “रीना ने कहा .

अश्वमानव- तेरी खुशकिस्मती नहीं की तू उन महान वीरो को देख पाए, तेरे भाग्य में हमारे हाथो से ही मरना है .

उनमे से एक अश्वमानव की कटार रीना की पिंडी को चीर गयी , वो धरती पर गिर गयी,

“बस बहुत हुआ ” मीता ने मुझसे हाथ छुड़ाया और उस घेरे की तरफ दौड़ पड़ी.

मेरी जिन्दगी में ये दो लडकिया आई थी और आज दोनों के ही अलग रूप देख रहा था मैं. मीता ने एक अश्वमानव की पीठ पर लात मारी और घेरे में प्रवेश कर गयी.

मीता- सितारों के रक्षको को मेरा प्रणाम , मैं नहीं जानती की आपका यहाँ होने का क्या प्रयोजन है ,पर यदि ये श्रेष्ट सुरक्षा पंक्ति के दर्शन मुझे हुए है तो मेरा सौभाग्य है साथ ही मेरा निवेदन है इस लड़की को बक्शा जाए.

अश्वमानव- अब देर हो चुकी है , शिवाले की धरती अब या तो इसके रक्त से सींची जाएगी या हमारे रक्त से . बीच का कोई रास्ता है ही नहीं .

मीता- आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से इस पवित्र स्थान पर ये रक्तपात हो रहा है .

अश्वमानव- सितारों को पढने वाली, तू ये तो जानती होगी न की हम मर्जी के मालिक है , बिना मतलब के कुछ नहीं बताते. तू अपनी राह पकड़

मीता- इसे लिए बिना नहीं जाउंगी

अश्वमानव- तो फिर तेरे प्राण भी हरे जायेंगे.

मीता- ये बात मुझे पसंद नहीं आई,

मीता ने पास पड़ी उस बुजुर्ग अश्वमानव की तलवार उठा ली और बोली- चलो फिर देखते है व्यूह की पहली कतार कितना प्रतिकार कर पाती है .

मीता के चेहरे पर जो कशिश थी ठीक वही मैंने उस दिन थाने में महसूस की थी जब उसने दिलेर को मारा था . तब तक रीना भी खड़ी हो चुकी थी . मीता ने मुझे देखा और इशारा किया की मैं अपनी जगह से हिलू भी नहीं .

आठ तलवारों का शोर आसमान में गूँज रहा था . एक समय ऐसा भी आया की मैंने हवा में बस रक्त के छींटे उड़ते देखे. हवाओ ने उनके चारो तरफ जैसे कोई दिवार बना दी थी . कभी उनकी तो कभी मीता-रीना की चीखो को सुनकर मैं विचलित हो रहा था . ऐसा मंजर कोई कमजोर दिल का देख लेता तो कब का दौरा पड़ जाता उसे. और फिर एकाएक सब कुछ शांत हो गया जितने भी दिए वहां पर रोशन थे एक एक करके सब बुझ गए. शिवाला अपने अंधकार में डूब गया .

मैंने देखा मीता अपने कंधे पर बेहोश रीना को लादे मेरी तरफ आ रही थी . मैं दौड़ कर उसके पास गया और रीना को अपनी बाँहों में ले लिया.

मीता- आग लगा दी है तेरी मोहब्बत ने .

हम रीना को लेकर कुवे पर आये. मैंने लालटेन जलाई और रीना को बिस्तर पर लिटा दी. मीता उसके घावो को देखने लगी. रीना की नंगी पीठ पूरी कटी हुई थी . पैरो में अलग से घाव थे , मैंने देखा की उसकी एक पसली पर भी कट था .

मीता- इसे चादर ओढा दे.

मैं- इसे डाक्टर की जरुरत है

मीता- मैंने कहा न इसे चादर ओढा दे.

मीता ने अपनी चोटों पर मिटटी मलनी शुरू की .

मैं-ये क्या कर रही है तू

मीता- ये मिटटी सबकी माँ है , इसकी पनाह में गए तो हर दर्द को खींच लेगी ये.

मैं- क्या था वो सब और रीना वहां क्या कर रही थी .

मीता- कल बात करेंगे हम इस सब के बारे में . मुझे जरा बैठने दे दो पल . तेरी रीना ने आज मरवा ही दिया था . इसके होश में आते ही दो थप्पड़ लगाने वाली हु इसके.

मैं- रीना अपने बस में नहीं है, कोई तो है , इसने मुझे पहले भी बताया था की कोई डोर जैसे इसे खींच रही है शिवाले की तरफ.

मीता- मौत बुला रही है इसे और कुछ नहीं . अश्व्मनावो का आह्वान कर बैठी ये नादाँ, तंत्र में बहुत सशक्त होता है उनका स्थान, ये तो बस आज दिन ठीक था . पर आगे हालत बहुत बुरी होगी मनीष , सितारों के रक्षक होते है वो उनकी हत्या हुई है आज. ये बात दूर तक जाएगी. तुझे कैसे भी करके संध्या से जानकारी निकलवानी होगी. वो एक दक्ष साधिका है , नाहरविर जल्दी ही आयेंगे हमें संध्या की जरुरत पड़ेगी.


मीता ने मेरी गोद में अपना सर रखा और अपनी आँखों को मूँद लिया. रह गया मैं अकेला ये सोचते हुए की आने वाला कल अपने साथ क्या लेकर आएगा.
Zaberdast shaandaar
Lajawab update bhai
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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To jaise ki apan ko ashanka thi, meeta rudrapur ki hi hai aur dadda thakur ki poti hai. Badi ajeeb baat hai dadda thakur apne kul me kisi ladki ko rakhna nahi chahte the jabki Sandhya bhi to unki ladki hi thi aur unke kul ki hi thi. Sambhav hai meeta ko apne kul me na rakhne ki koi vishesh vajah rahi ho. Well prathvi aur meeta bhai bahan hain to zaahir hai agar prathvi aur manish ka takraav hua to meeta ke liye kisi ek ko chunna mushkil ho jayega par usne Manish se is bare me clear kar diya hai. Meeta aur Manish ke beech baate hamesha ki tarah dilchasp thi. Arjun Singh ke bare me abhi bhi kuch malumat nahi hai. Udhar shiwala jaagrit ho gaya hai aur jis tarah waha ka drishya nazar aaya tha wo alag hi tha. Agar Sandhya nahi thi waha to kaun tha? Wo saat the aur wo ek.....saaat the ka matlab kahi naagarveer to nahi? Aur wo ek kaun ho sakta hai ya ho sakti hai? Kya Arjun Singh ya fir Reena?? Gazab ka update tha fauji bhai, aage ka intzaar hai ab :waiting:
दादा ठाकुर ने मीता को क्यों नहीं अपनाया इसकी वज़ह भी मालूम हो जाएगी, संध्या ने घर क्यों छोड़ा ये भी,
 

HalfbludPrince

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अब क्या बयां करें जज़्बात और दिल का हाल। आप जब भी आते हो कुछ रहस्यों को एक अनूठे प्रकार से अनावृत करते हुए जिज्ञासा को एक ठंडक पहुंचाते हो पर जाते हुए सवालों एवं रहस्यों का एक ऐसा बवंडर पैदा करते जाते हो जिसमें पाठक सिर्फ कयास लगाते ही रह जाता है और परिणीति एक और इंतज़ार की होती है।
अत्यंत रोचक
Thanks bhai
 

HalfbludPrince

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ग़ज़ब की लेखनी है भाई फौजी मीता और मनीष के बातचीत बहुत ही दिल की गहरायिओं से भरी हुई थी और उधर शिलाया में नहर वीर जागृत हो गए लेकिन किस वजह से और किस ने ऐसा किया या फिर वो रीना के गले में पड़े हार का भी कुछ रोल है
Thanks bhai
 

HalfbludPrince

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अगर हवेली में लगी हुई तस्वीर मीता की नहीं तो वो किसकी है
मीता की बड़ी बुआ, सन्ध्या की बड़ी बहन, दद्दा ठाकुर की बड़ी बेटी यानि मनीष की माँ, अर्जुन सिंह की पत्नी... की तो नहीं

मीता के बाप यानि दद्दा ठाकुर के बेटे की मौत कैसे हुई... क्या अर्जुन सिंह के हाथों

अब जो शिवाले में दिख रहा है वो आज का दृश्य है या अतीत की उस काली रात का जब अर्जुन सिंह के हाथों रूद्रपुर में खून की नदियाँ बह गईं... वो एक जो उन सात के सामने खड़ा है, अर्जुन सिंह है या अर्जुन उन सात में से एक है

देखते हैं... अब रहस्य के बादल छंटने का समय आता दिख रहा है

बेकरारी से इन्तजार है अगले अपडेट का
वो तस्वीर किसकी थी ये आप मालूम कर ही लेंगे, शिवाले को समझिए ये कहानी का महज स्थान नहीं एक जिवंत पात्र है
 

HalfbludPrince

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HalfbludPrince दिमाग की नसें फटने को है भाई , हर बार एक नया राज जुडता जाता है कहानी में।
आने ना जाने क्या होगा?
पढ़ते रहिए भाई
 
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