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मुसाफिर - जबरदस्त, फिर से एक नया रोमांचक अपडेट, रीना का ये नया रूप, हर बार पिछली रचनाओं को पढ़ना पढ़ता है, कि कंहा से जुड़ी हुई है, हर बार कुछ रहस्मय अद्भुत ........
Bhai shabd na mil rahe#56
सात अश्व मानव और रीना अकेली . दियो की टिमटिमाती रौशनी ने उस मैदान में प्राण फूंक दिए थे. सारी बाते एक तरफ पर रीना का यहाँ होना अपने आप में कहानी थी, उसने मुझे कई बार ही तो बताया था की कुछ तो है जो उसे रुद्रपुर की तरफ खींच रहा है पर इस द्रश्य ने मेरी रूह को बताया की मामला वैसा नहीं था जैसे की मैं देख रहा था .
बिजली की तेजी से रीना उन अजीब से अश्व मनवो का मुकाबला कर रही थी , और मैं बस हैरान था की ऐसी भी कोई चीज होती है या ये सब मेरा वहम था .
“चली जा वापिस लौट जा ” उनमे से सबसे बुजुर्ग अश्व मानव ने रीना से कहा .
रीना- जाना होता तो आती ही नहीं
अश्व मानव- तू जो करने का सोच रही है वो असंभव है , तेरे दुस्साहस की प्रशंशा करता हूँ पर साथ ही मैं फिर से चेतावनी भी देता हूँ की मेरे सब्र का पैमाना छलक रहा है , कहीं ऐसा न हो की तेरे प्राण भी रिहाई की भीख मांगे .
रीना- मेरी आँखों में देख और फिर सोच क्या मुझे परवाह है तेरी या फिर किसी और की
अश्व मानव- तू जानती नहीं तू क्या कर रही है . तुझसे पहले कितने आये कितने गए , कितने तो हम तक भी नहीं पहुँच पाई, बता तुझे क्या चाहिए सोना चांदी या फिर तेरी कोई मनचाही
रीना- मेरी मनचाही में तो तू रोड़ा बना हुआ है .
रीना आगे बढ़ी और उस बुजुर्ग अश्व मानव पर वार किया पर वो तेज था, चपल था . उसके खुरो ने रीना की पीठ पर लात मारी पर वो गिरी नहीं . हवाओ ने जैसे आज ठान ली थी की सारा जोर यही पर लगा देंगी. रीना के होंठो पर कुटिल मुस्कान अ गयी और फिर अगले ही पल वो किसी बिजली के जैसे कौंधी और उस बुजुर्ग अश्व मानव के बीच से होती हुई उसकी तलवार ने उसे दो हिस्सों में बाँट दिया.
मासूम, फूल सी नाजुक रीना ने अभी अभी एक क़त्ल कर दिया था हमारी आँखों के सामने, बाकि बचे अश्व-मनवो ने अपने साथी के हश्र पर रुदन करना शुरू कर दिया , पर कुछ पालो के लिए क्योंकि अब उन्होंने व्यूहरचना बना दी थी . तीन तलवारों ने एक झटके में ही रीना के कुरते को तार तार करते हुए उसकी पीठ को चीर दिया था . रीना चीखी और , और तेजी से उनसे लड़ने लगी.
“मुझे तुम तो क्या नहारवीर भी नहीं रोक पाएंगे , “रीना ने कहा .
अश्वमानव- तेरी खुशकिस्मती नहीं की तू उन महान वीरो को देख पाए, तेरे भाग्य में हमारे हाथो से ही मरना है .
उनमे से एक अश्वमानव की कटार रीना की पिंडी को चीर गयी , वो धरती पर गिर गयी,
“बस बहुत हुआ ” मीता ने मुझसे हाथ छुड़ाया और उस घेरे की तरफ दौड़ पड़ी.
मेरी जिन्दगी में ये दो लडकिया आई थी और आज दोनों के ही अलग रूप देख रहा था मैं. मीता ने एक अश्वमानव की पीठ पर लात मारी और घेरे में प्रवेश कर गयी.
मीता- सितारों के रक्षको को मेरा प्रणाम , मैं नहीं जानती की आपका यहाँ होने का क्या प्रयोजन है ,पर यदि ये श्रेष्ट सुरक्षा पंक्ति के दर्शन मुझे हुए है तो मेरा सौभाग्य है साथ ही मेरा निवेदन है इस लड़की को बक्शा जाए.
अश्वमानव- अब देर हो चुकी है , शिवाले की धरती अब या तो इसके रक्त से सींची जाएगी या हमारे रक्त से . बीच का कोई रास्ता है ही नहीं .
मीता- आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से इस पवित्र स्थान पर ये रक्तपात हो रहा है .
अश्वमानव- सितारों को पढने वाली, तू ये तो जानती होगी न की हम मर्जी के मालिक है , बिना मतलब के कुछ नहीं बताते. तू अपनी राह पकड़
मीता- इसे लिए बिना नहीं जाउंगी
अश्वमानव- तो फिर तेरे प्राण भी हरे जायेंगे.
मीता- ये बात मुझे पसंद नहीं आई,
मीता ने पास पड़ी उस बुजुर्ग अश्वमानव की तलवार उठा ली और बोली- चलो फिर देखते है व्यूह की पहली कतार कितना प्रतिकार कर पाती है .
मीता के चेहरे पर जो कशिश थी ठीक वही मैंने उस दिन थाने में महसूस की थी जब उसने दिलेर को मारा था . तब तक रीना भी खड़ी हो चुकी थी . मीता ने मुझे देखा और इशारा किया की मैं अपनी जगह से हिलू भी नहीं .
आठ तलवारों का शोर आसमान में गूँज रहा था . एक समय ऐसा भी आया की मैंने हवा में बस रक्त के छींटे उड़ते देखे. हवाओ ने उनके चारो तरफ जैसे कोई दिवार बना दी थी . कभी उनकी तो कभी मीता-रीना की चीखो को सुनकर मैं विचलित हो रहा था . ऐसा मंजर कोई कमजोर दिल का देख लेता तो कब का दौरा पड़ जाता उसे. और फिर एकाएक सब कुछ शांत हो गया जितने भी दिए वहां पर रोशन थे एक एक करके सब बुझ गए. शिवाला अपने अंधकार में डूब गया .
मैंने देखा मीता अपने कंधे पर बेहोश रीना को लादे मेरी तरफ आ रही थी . मैं दौड़ कर उसके पास गया और रीना को अपनी बाँहों में ले लिया.
मीता- आग लगा दी है तेरी मोहब्बत ने .
हम रीना को लेकर कुवे पर आये. मैंने लालटेन जलाई और रीना को बिस्तर पर लिटा दी. मीता उसके घावो को देखने लगी. रीना की नंगी पीठ पूरी कटी हुई थी . पैरो में अलग से घाव थे , मैंने देखा की उसकी एक पसली पर भी कट था .
मीता- इसे चादर ओढा दे.
मैं- इसे डाक्टर की जरुरत है
मीता- मैंने कहा न इसे चादर ओढा दे.
मीता ने अपनी चोटों पर मिटटी मलनी शुरू की .
मैं-ये क्या कर रही है तू
मीता- ये मिटटी सबकी माँ है , इसकी पनाह में गए तो हर दर्द को खींच लेगी ये.
मैं- क्या था वो सब और रीना वहां क्या कर रही थी .
मीता- कल बात करेंगे हम इस सब के बारे में . मुझे जरा बैठने दे दो पल . तेरी रीना ने आज मरवा ही दिया था . इसके होश में आते ही दो थप्पड़ लगाने वाली हु इसके.
मैं- रीना अपने बस में नहीं है, कोई तो है , इसने मुझे पहले भी बताया था की कोई डोर जैसे इसे खींच रही है शिवाले की तरफ.
मीता- मौत बुला रही है इसे और कुछ नहीं . अश्व्मनावो का आह्वान कर बैठी ये नादाँ, तंत्र में बहुत सशक्त होता है उनका स्थान, ये तो बस आज दिन ठीक था . पर आगे हालत बहुत बुरी होगी मनीष , सितारों के रक्षक होते है वो उनकी हत्या हुई है आज. ये बात दूर तक जाएगी. तुझे कैसे भी करके संध्या से जानकारी निकलवानी होगी. वो एक दक्ष साधिका है , नाहरविर जल्दी ही आयेंगे हमें संध्या की जरुरत पड़ेगी.
मीता ने मेरी गोद में अपना सर रखा और अपनी आँखों को मूँद लिया. रह गया मैं अकेला ये सोचते हुए की आने वाला कल अपने साथ क्या लेकर आएगा.
ThanksFauji bhai
Complete bouncer ball aise he ball dalo bhaiyaa#56
सात अश्व मानव और रीना अकेली . दियो की टिमटिमाती रौशनी ने उस मैदान में प्राण फूंक दिए थे. सारी बाते एक तरफ पर रीना का यहाँ होना अपने आप में कहानी थी, उसने मुझे कई बार ही तो बताया था की कुछ तो है जो उसे रुद्रपुर की तरफ खींच रहा है पर इस द्रश्य ने मेरी रूह को बताया की मामला वैसा नहीं था जैसे की मैं देख रहा था .
बिजली की तेजी से रीना उन अजीब से अश्व मनवो का मुकाबला कर रही थी , और मैं बस हैरान था की ऐसी भी कोई चीज होती है या ये सब मेरा वहम था .
“चली जा वापिस लौट जा ” उनमे से सबसे बुजुर्ग अश्व मानव ने रीना से कहा .
रीना- जाना होता तो आती ही नहीं
अश्व मानव- तू जो करने का सोच रही है वो असंभव है , तेरे दुस्साहस की प्रशंशा करता हूँ पर साथ ही मैं फिर से चेतावनी भी देता हूँ की मेरे सब्र का पैमाना छलक रहा है , कहीं ऐसा न हो की तेरे प्राण भी रिहाई की भीख मांगे .
रीना- मेरी आँखों में देख और फिर सोच क्या मुझे परवाह है तेरी या फिर किसी और की
अश्व मानव- तू जानती नहीं तू क्या कर रही है . तुझसे पहले कितने आये कितने गए , कितने तो हम तक भी नहीं पहुँच पाई, बता तुझे क्या चाहिए सोना चांदी या फिर तेरी कोई मनचाही
रीना- मेरी मनचाही में तो तू रोड़ा बना हुआ है .
रीना आगे बढ़ी और उस बुजुर्ग अश्व मानव पर वार किया पर वो तेज था, चपल था . उसके खुरो ने रीना की पीठ पर लात मारी पर वो गिरी नहीं . हवाओ ने जैसे आज ठान ली थी की सारा जोर यही पर लगा देंगी. रीना के होंठो पर कुटिल मुस्कान अ गयी और फिर अगले ही पल वो किसी बिजली के जैसे कौंधी और उस बुजुर्ग अश्व मानव के बीच से होती हुई उसकी तलवार ने उसे दो हिस्सों में बाँट दिया.
मासूम, फूल सी नाजुक रीना ने अभी अभी एक क़त्ल कर दिया था हमारी आँखों के सामने, बाकि बचे अश्व-मनवो ने अपने साथी के हश्र पर रुदन करना शुरू कर दिया , पर कुछ पालो के लिए क्योंकि अब उन्होंने व्यूहरचना बना दी थी . तीन तलवारों ने एक झटके में ही रीना के कुरते को तार तार करते हुए उसकी पीठ को चीर दिया था . रीना चीखी और , और तेजी से उनसे लड़ने लगी.
“मुझे तुम तो क्या नहारवीर भी नहीं रोक पाएंगे , “रीना ने कहा .
अश्वमानव- तेरी खुशकिस्मती नहीं की तू उन महान वीरो को देख पाए, तेरे भाग्य में हमारे हाथो से ही मरना है .
उनमे से एक अश्वमानव की कटार रीना की पिंडी को चीर गयी , वो धरती पर गिर गयी,
“बस बहुत हुआ ” मीता ने मुझसे हाथ छुड़ाया और उस घेरे की तरफ दौड़ पड़ी.
मेरी जिन्दगी में ये दो लडकिया आई थी और आज दोनों के ही अलग रूप देख रहा था मैं. मीता ने एक अश्वमानव की पीठ पर लात मारी और घेरे में प्रवेश कर गयी.
मीता- सितारों के रक्षको को मेरा प्रणाम , मैं नहीं जानती की आपका यहाँ होने का क्या प्रयोजन है ,पर यदि ये श्रेष्ट सुरक्षा पंक्ति के दर्शन मुझे हुए है तो मेरा सौभाग्य है साथ ही मेरा निवेदन है इस लड़की को बक्शा जाए.
अश्वमानव- अब देर हो चुकी है , शिवाले की धरती अब या तो इसके रक्त से सींची जाएगी या हमारे रक्त से . बीच का कोई रास्ता है ही नहीं .
मीता- आखिर ऐसा क्या है जिसकी वजह से इस पवित्र स्थान पर ये रक्तपात हो रहा है .
अश्वमानव- सितारों को पढने वाली, तू ये तो जानती होगी न की हम मर्जी के मालिक है , बिना मतलब के कुछ नहीं बताते. तू अपनी राह पकड़
मीता- इसे लिए बिना नहीं जाउंगी
अश्वमानव- तो फिर तेरे प्राण भी हरे जायेंगे.
मीता- ये बात मुझे पसंद नहीं आई,
मीता ने पास पड़ी उस बुजुर्ग अश्वमानव की तलवार उठा ली और बोली- चलो फिर देखते है व्यूह की पहली कतार कितना प्रतिकार कर पाती है .
मीता के चेहरे पर जो कशिश थी ठीक वही मैंने उस दिन थाने में महसूस की थी जब उसने दिलेर को मारा था . तब तक रीना भी खड़ी हो चुकी थी . मीता ने मुझे देखा और इशारा किया की मैं अपनी जगह से हिलू भी नहीं .
आठ तलवारों का शोर आसमान में गूँज रहा था . एक समय ऐसा भी आया की मैंने हवा में बस रक्त के छींटे उड़ते देखे. हवाओ ने उनके चारो तरफ जैसे कोई दिवार बना दी थी . कभी उनकी तो कभी मीता-रीना की चीखो को सुनकर मैं विचलित हो रहा था . ऐसा मंजर कोई कमजोर दिल का देख लेता तो कब का दौरा पड़ जाता उसे. और फिर एकाएक सब कुछ शांत हो गया जितने भी दिए वहां पर रोशन थे एक एक करके सब बुझ गए. शिवाला अपने अंधकार में डूब गया .
मैंने देखा मीता अपने कंधे पर बेहोश रीना को लादे मेरी तरफ आ रही थी . मैं दौड़ कर उसके पास गया और रीना को अपनी बाँहों में ले लिया.
मीता- आग लगा दी है तेरी मोहब्बत ने .
हम रीना को लेकर कुवे पर आये. मैंने लालटेन जलाई और रीना को बिस्तर पर लिटा दी. मीता उसके घावो को देखने लगी. रीना की नंगी पीठ पूरी कटी हुई थी . पैरो में अलग से घाव थे , मैंने देखा की उसकी एक पसली पर भी कट था .
मीता- इसे चादर ओढा दे.
मैं- इसे डाक्टर की जरुरत है
मीता- मैंने कहा न इसे चादर ओढा दे.
मीता ने अपनी चोटों पर मिटटी मलनी शुरू की .
मैं-ये क्या कर रही है तू
मीता- ये मिटटी सबकी माँ है , इसकी पनाह में गए तो हर दर्द को खींच लेगी ये.
मैं- क्या था वो सब और रीना वहां क्या कर रही थी .
मीता- कल बात करेंगे हम इस सब के बारे में . मुझे जरा बैठने दे दो पल . तेरी रीना ने आज मरवा ही दिया था . इसके होश में आते ही दो थप्पड़ लगाने वाली हु इसके.
मैं- रीना अपने बस में नहीं है, कोई तो है , इसने मुझे पहले भी बताया था की कोई डोर जैसे इसे खींच रही है शिवाले की तरफ.
मीता- मौत बुला रही है इसे और कुछ नहीं . अश्व्मनावो का आह्वान कर बैठी ये नादाँ, तंत्र में बहुत सशक्त होता है उनका स्थान, ये तो बस आज दिन ठीक था . पर आगे हालत बहुत बुरी होगी मनीष , सितारों के रक्षक होते है वो उनकी हत्या हुई है आज. ये बात दूर तक जाएगी. तुझे कैसे भी करके संध्या से जानकारी निकलवानी होगी. वो एक दक्ष साधिका है , नाहरविर जल्दी ही आयेंगे हमें संध्या की जरुरत पड़ेगी.
मीता ने मेरी गोद में अपना सर रखा और अपनी आँखों को मूँद लिया. रह गया मैं अकेला ये सोचते हुए की आने वाला कल अपने साथ क्या लेकर आएगा.
Behtareen shaandaar update bhai#55
मीता- तेरे मन में जो है वो कह दे फिर ,
मैं- मेरे सीने पर हाथ रख कर कह , मुझसे झूठ नहीं बोलेगी तू
मीता - तेरे सर की कसम, तेरे मेरे रिश्ते की कसम जो तुझसे झूठ बोलू
मैं- तेरा हवेली से क्या रिश्ता है
मीता- बस इतनी सी बात के लिए परेशां है तू, अधूरी हसरतो का और मन की उमंगो का रिश्ता है मेरा हवेली से. बिखरती रेत और उमड़ते बादल सा रिश्ता है मेरा हवेली से. जितना तुझे ये तेरे खेत प्यारे है , उतनी ही प्यारी मुझे हवेली है . मेरा घर है वो हवेली.
मैं-तो दद्दा ठाकुर की पोती, तू मुझे ये बता तो सकती थी न .
मीता- काश दद्दा ठाकुर ने हक़ दिया होता पोती बनने का .
मैं- ऐसा क्यों कहा
मीता- क्योंकि इस दुनिया में सिर्फ तेरी ही कहानी में दुःख नही है, आँखे खोल कर देख ये दुनिया ही दुखी फिरती है, उस हवेली के दरवाजे बरसों पहले बंद हो गए थे मेरे लिए. दद्दा ठाकुर नहीं चाहते थे की उनके कुल में कोई लड़की रहे, मुझे हवेली से बाहर फिंकवा दिया गया. दद्दा को बस ये जानकारी है की बरसो पहले मुझे मरवा दिया गया .
मैं- तेरी तस्वीर का वहां होना ही बताता है की दद्दा को जानकारी है तेरे वजूद की .
मीता- असंभव , अगर ऐसा होता तो मैं यहाँ खड़ी नहीं होती.
मैं- क्या करू कुछ समझ नही आ रहा है
मीता- मैं समझती हूँ तेरे हालात
मैं- नहीं, तू नहीं समझती. मेरी आँखों के सामने वो मंजर आ रहा है जब हम सब उन रास्तो पर खड़े होंगे जहाँ से मंजिल किधर जाएगी कौन जाने. तू पृथ्वी की बहन है , तू लाख इंकार कर पर एक दिन आएगा जब तुझे उसमे और मुझमे से एक का चुनाव करना होगा. इस हकीकत से न तू मुह मोड़ पायेगी न मैं.
मीता- मनीष, मैं जानती थी तू अर्जुन सिंह का बेटा है, मैं ये भी जानती थी की एक दिन तू मेरे सामने अपने सवाल लेकर खड़ा होगा. मैं ये भी जानती थी की तेरी दोस्ती पल पल मेरा इम्तिहान लेगी पर फिर भी मैंने तुझसे दोस्ती की , तुझे हाँ कहाँ. वो दो चार मुलाकाते मुझे भुलाये नहीं भूली, मुझे अहसास करवा गयी की जैसे बरसो से तू मेरा साथी हो. और फिर तेरी मेरी जिन्दगी एक जैसी ही तो है, तू भी धक्के खा रहा मैं भी . ये जो लम्हे हमने साथ जिए है, मुझे अब बताने की जरुरत नहीं की उस दोराहे पर मैं किसे चुनुंगी. रोटी बनाने जा रही हूँ , भूख लगे तो आ जाना
मीता के जाने के बाद मैं भी पानी से निकला और कपडे बदल कर उसके पास चला गया. चूल्हे की आंच में उसके चेहरे की रौनक क्या खूब लगती थी .
“क्या देख रहा है ” पूछा उसने
मैं- कही चूम न लू तुझे.
मीता- अच्छा जी
मैं- तेरा दिल नहीं करता क्या
मीता- दिल का क्या है ,दिल तो न जाने क्या चाहेगा, अब हर हसरत कहाँ पूरी होती है .
मैं- तू मेरी कौन सी हसरत है
मीता- मैं तेरी हसरत नहीं , तेरी तक़दीर बनना पसंद करुँगी.
मैं- वो तो तू अभी भी है
मीता- अभी तो नहीं हूँ पर एक न एक दिन जरुर
खाना खाने के बाद हम दोनों एक दुसरे के बगल में लेट गए. मीता ने मेरी बांह पर अपना सर रखा और बोली- क्या सोच रहा है .
मैं- न जाने मेरे पिता कहाँ पर होंगे.
मीता- मुझे विश्वास है वो तुझे जल्दी ही मिल जायेंगे.
मैं- मेरा विश्वास कमजोर हो रहा है अब . वो फ़ौज में नहीं गए तो गए कहाँ , सोलह साल थोडा समय नहीं होता कहाँ बिताया होगा उन्होंने ये समय , आखिर क्या वजह थी जो अपने परिवार को छोड़ गए वो .
मीता- कुछ तो वजह जरुर रही होगी.
हम बाते कर ही रहे थे की एकदम से मौसम बदलने लगा.
मीता- लगता है आंधी आएगी.
मैं- आने दे
आसमान में बादल सितारों को ढकने लगे थे, हवा की रफ़्तार बढ़ने लगी थी, हमारे आस पास के पेड़ झूलने लगे थे, हवा सन सनाते हुए दौड़ रही थी .
मीता- बिस्तर अन्दर कमरे में बिछा ले.
मैं- रहने दे, बारिश हुई तो देखेंगे वैसे भी धुल नहीं है ठंडी हवा अच्छी लग रही है .
मीता- कभी कभी सोचती हूँ मैं सबके सितारे पढने वाली, मेरे भाग्य में क्या है
मैं- काश मैं तुझे बता सकता , तू नहीं जानती मुझे किस हद ता तेरी फ़िक्र है
मीता- पर किसलिए
मैं- जब्बर तुझे ढूंढ रहा है और मैं जानता हूँ उसकी तलाश बस दिलेर सिंह के कातिल की ही नहीं है , उसका प्रयोजन कुछ और है .
मीता- मुझे परवाह नहीं उसकी
मैं- पर मुझे तेरी है,
मीता- क्या तुझे सच में लगता है वो मुझ पर हाथ डाल पायेगा.
मैं- मुझसे दुश्मनी के लिए वो किसी भी हद तक जायेगा ये जानता हूँ मैं ,
हम दोनों उस आंधी भरी रात में एक दुसरे से लिपटे हुए इस जहाँ से दूर अपनी बाते कर रहे थे की तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मेरे कानो की चूले हिल गयी. न जाने कैसी अजीब सी आवाज थी ये .
मीता- कुछ सुना तूने क्या था ये ..
“अजीब सी आवाज ” मैंने बिस्तर से उठ कर अपने कान मसलते हुए कहा .
मीता भी उठ खड़ी हुई.
“क्या कही कोई शिकार कर रहा है ” मीता ने पूछा
मैं-क्या मालूम
आंधी के चक्रवात ने वो आवाज बहुत जोरो से गूँज रही थी , मैंने मीता का हाथ पकड़ा और हम लोग उस तरफ चल दिए जहाँ से आवाज आ रही थी ,
मीता- कहाँ जा रहे है हम
मैं -शिवाले पर
मीता- पर क्यों
मैं- तू चल तो सही .
अचानक ही मुझे याद आ गया था की ये आवाज मैंने कहाँ पर सुनी थी , जब संध्या चाची ने अपनी जिस्म का मांस उस जमीन पर फेंका था तो भी हु ब हु ये ही आवाज सुनी थी मैंने. तेज हवाओ से टकराते हुए मैं और मीता शिवाले पर पहुँच गए और जब हमने वहां जाकर देखा तो कसम से खुद की आँखों ने जैसे धोखा दे दिया हो . शिवाला जाग्रत हो गया था . दूर दूर तक दिए झिलमिला रहे थे हैरत ये थी की उस तेज आंधी में भी .
ये शिवाला वैसा बिलकुल नहीं था जैसा की हम उसे देखते आये थे , ये ऐसे सजा था जैसे की कोई उत्सव हो.
मीता-असंभव
मैं- संभव हो गया है , जो कुछ है तेरी आँखों के सामने ही है
मीता- यही तो असंभव है मनीष
मीता ने मेरा हाथ पकड़ा और लगभग दौड़ते हुए मुझे ले चली
मैं- कहा
मीता- आ तो सही .
मीता और मैं दौड़ते हुए उस स्थान पर पहुंचे जहाँ पर मैंने चाची को देखा था पर आज इस तूफानी रात में वहां पर चाची नहीं बल्कि कोई और था , जिसके वहां होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी . .................... वो सात और वो एक ........ हाथो में रक्तरंजित तलवारे ,,,, आँखों में कुछ कर जाने का जूनून और बदन से टपकता रक्त .............. ये रात बड़ी भारी होने वाली थी ............