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Adultery चुदक्कड गर्ल्स

Lutgaya

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चुद्दक्कड गर्लस
भाग-1



हमारे घर में अक्सर किराएदार रहते हैं। दो लड़कियाँ राजस्थान से आई थी यहाँ पढ़ाई करने, दोनों बहनें थी। छोटी का नाम पिंकी और बड़ी का नाम रिंकी। दोनों एकदम मस्त। पिंकी 23 की होगी और रिंकी 24 की। पिंकी का फिगर 30-24-34 और रिंकी का 30-28-38। पिंकी ज्यादा मस्त लगती थी। मोर्डन टाइप की थी दोनों, कसी हुई जींस और टॉप ही पहनती थी। रात को सोते समय एक ढीला निक्कर जो जांघों तक ही रहता था और गहरे गले की टी-शर्ट।

सुबह जब घर में बगीचे में टहलती थी तब मैं भी उन्हें देखने के लिए चला जाता, कई बार बात भी हो जाती थी जिससे पता चला कि दोनों बहनें एक दूसरी से खुली हैं।

एक महीना हो गया था उनको हमारे यहाँ रहते हुए तो मेरे घर वालों ने कहा कि जाकर किराया ले आ।

शाम का समय था, मैं भी चला गया। एक छोटा सा ड्राइंगरूम, एक बेडरूम, रसोई और एक बाथरूम था। मैं चला गया, दरवाजा खुला हुआ था। मैं बिना दरवाज़ा खटखटाए अंदर चला गया।

बेडरूम से आवाज आ रही थी, मैंने जाकर देखा तो हैरान रह गया। पिंकी रिंकी की गोद में बैठी हुई थी, रिंकी ने टॉप नहीं पहना था और रिंकी पिंकी का टॉप ऊपर करके उसकी चूची दबा रही थी और गले पर चूम रही थी, टीवी पर लेस्बियन वाली फिल्म चल रही थी, मेज़ पर बीयर रखी हुई थी।

पिंकी की चूची क्या मस्त लग रही थी, मन कर रहा था कि अभी जाकर चूस लूँ। रिंकी की भी ठीक थी पर थोड़ी लटकी हुई थी।

मैं अपना लण्ड सहला ही रहा था उनको देख कर कि रिंकी की नजर मेरे ऊपर पड़ गई। मैं डर गया और बिना कुछ बोले जाने लगा और वो भी खुद को सँभालने लगी। मैं वहाँ से चला आया।

उसके बाद मैं उनको कुछ दिनों तक दिखाई नहीं दिया।

एक दिन मैं वहीं बगीचे में बैठा हुआ था तो दोनों बहनें आई, मेरे पास बैठ गई। मैं उन दोनों को देख कर डर गया कि कही कुछ बोलें या डांटेंगी, आखिरकार दोनों तो मेरे से बड़ी थी।

वो दोनों मेरे सामने घास पर बैठी हुई थी। वही पहना हुआ था एक निक्कर जांघों तक और एक छोटा सा टॉप।

रिंकी बोली- और क्या हाल है? क्या चल रहा है?
मैंने थोड़ा डरते हुए कहा- ठीक है!

और जाने को हुआ तो पिंकी ने मेरा हाथ पकड़ के रोक लिया और कहा- रुको तो सही! हम बात करने आई हैं और तुम जा रहे हो।

उनकी गोरी गोरी जांघें देख कर मेरा लण्ड भी खड़ा हुआ पड़ा था थोड़ा सा, लड़कियाँ चालू तो थी ही। रिंकी की नजर मेरे खड़े हुए लण्ड पर पड़ गई।

उसने पिंकी से कहा- लड़का जवान हो गया है।
मैंने कहा- कैसे क्या हुआ? मुझ कुछ समझ में नहीं आया।
तभी रिंकी ने मेरे लण्ड को हल्का सा छुआ और कहा- यह जो हमें देख कर ऐसा हो रहा है।

मैं शरमा गया।

पिंकी ने कहा- कोई बात नहीं, जवानी में ऐसा होता है।

मुझ कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या बोलूँ, मैंने उनसे पूछ ही लिया- तुम दोनों एक दूसरी से इतनी खुली कैसे हो? और मेरे से भी ऐसी बात करने लगी?

तो पिंकी ने कहा- चलो तुम्हें अब बता ही देते हैं कि हम ऐसी क्यों हैं।

आगे की कहानी पिंकी की जुबानी:

पिंकी बोलती रही- मैं और रिंकी जब छोटी थी तो मम्मी-पापा रात को कुछ करते थे, हमें समझ में नहीं आता था, आवाजें आती थी। एक रात हमने देखा तो क्या देखा कि पापा मम्मी को चोद रह थे। हमें उस समय मालूम भी नहीं था कि वो क्या कर रहे हैं। स्कूल में सहेलियों से पूछा तो पता चला कि उसे चोदना कहते हैं। हमें देख कर मजा भी आता। ऐसे ही वक्त गुजरता गया।

एक हमारा भाई था वो हमसे बड़ा था तीन साल। एक बार हमारी स्कूल से जल्दी छुट्टी हो गई। हम आईं तो दरवाजा खुला हुआ था। हम अन्दर गई तो सारे कमरे बंद थे, भाई का कमरा थोड़ा खुला हुआ था। हमने चुपके से देखा तो भाई पूरा नंगा शीशे के सामने खड़ा था, उसका गोरा बदन हमरे सामने था, वह अपने लण्ड पर तेल लगा रहा था, उसके गोरे चूतड़ हमें दिख रहे थे।

तेल लगाने के बाद वो बिस्तर पर लेट गया और लण्ड सहलाने लगा। उसका छह इंच का लण्ड हमने पहली बार देखा था। वैसे तो पापा का देखा था पर उस वक्त वो चूत के अंदर-बाहर हो रहा था।

तो भाई लण्ड सहला रहा था और पिंकी का नाम ले रहा रहा था। पिंकी छोटी है पर रिंकी से ज्यादा सेक्सी है।

भाई बोल रहा था- मेरे सारे दोस्त तेरे को चोदना चाहते हैं पिंकी! क्या मस्त गाण्ड और चूची है तेरी! एक बार दिखा दे बस, देख कर ही मुठ मार लूँगा। रिंकी तू भी कम नहीं! बस तेरी चूचियाँ छोटी हैं!

कुछ देर में भाई का माल निकल आया और हम अपने कमरे में आ गए।
रात को नींद हमारी आँखों से गायब थी।

रिंकी ने मुझसे कहा- क्या हम सेक्सी हैं जो हमें हमारा भाई और उसके दोस्त चोदना चाहते हैं?

मैंने कहा- अरे वो तो यह भी कह रहा था कि अपना नंगा बदन दिखा दूँ तो देख कर ही मुठ मार लेगा।

रिंकी ने कहा- नींद नहीं आ रही! अच्छा ऐसा क्या है हमारे पास जिससे हम सेक्सी हैं?

और रिंकी उठ गई, कहा- वो तो हमें कपड़े उतारने के बाद ही पता चलेगा।
मैंने कहा- क्या दीदी, हम एक-दूसरी के सामने नंगी होंगी?
रिंकी ने कहा- तो क्या हुआ? हम दोनों लड़कियाँ हैं और दोनों बहनें भी हैं तो दिक्कत क्या है?

रिंकी ने अपना टॉप उतार दिया। उसके संतरे बाहर आ गए। फिर रिंकी ने मेरा टॉप उतार दिया तो मेरे मम्मे भी बाहर आ गए। मेरे मम्मे रिंकी के मम्मों से बड़े थे। फिर रिंकी ने अपनी निक्कर उतार दी और फिर मेरी। रिंकी की चूत थोड़े बाल थे पर मेरी चूत के आसपास तो सिर्फ़ रोंएँ से थे, हम दोनों एक दूसरे के सामने नंगी थी।

रिंकी ने मेरे मम्मों को छुआ तो मेरी सिसकारी सी निकल गई। रिंकी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूची दबाने को कहा। धीरे धीरे हम दोनों एक दूसरी की चूचियाँ दबाने लगी और एक दूसरी को चूमने लगी। रिंकी अपना हाथ मेरी चूत पर ले आई तो मैं सिहर गई और रिंकी से अलग हो गई।

फिर रिंकी ने कैसे भी मुझे मनाया और मेरी चूत को सहलाने लगी। मैंने भी अपना हाथ रिंकी की चूत पर रख दिया और सहलाने लगी। कुछ देर में रिंकी मेरी चूचियाँ चूसने लगी, फिर मैंने रिंकी के साथ भी ऐसा ही किया।

कुछ देर हम दोनों ने एक-दूसरी की चूत चाटी और फिर दोनों ने अपना अपना पानी निकाल लिया। हम दोनों को उस दिन बहुत मजा आया।
कहानी कई भागों में है।
 
Last edited:

Lutgaya

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Badhiya shuruaat. Pratiksha romanchak kahani ke agle rasprad update ki
धन्यवाद मित्र
अगला अपडेट अतिशीघ्र
 

Lutgaya

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चुद्दक्कङ गर्लस
भाग -2
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि पिंकी ने मुझे अपने परिवार के सेक्सी माहौल के बारे में और अपनी बहन रिंकी के साथ अपने पहले यौनान्द के बारे में बताया।

तभी पिंकी ने कहा- मेरी पैंटी गीली हो गई है ! आगे क्या हुआ, रिंकी बताएगी, मैं अभी जाती हूँ।

अब रिंकी की जुबानी :

इस तरह हम दोनों बहनें रात को मजे करती थी, एक-दूसरी को मसलती-चूमती, चूत में उंगली करती। मगर इस बीच हमें यह पता नहीं था कि कोई हमें देख रहा है। वो और कोई नहीं हमारा बड़ा भाई महेश। वो रोज दरवाजे के छेद से देखता था कि उसकी छोटी बहनें क्या कर रही हैं और वो हमें देख कर मुठ मारता।

एक दिन हमने कमरा बंद नहीं किया और सोचा कि देखें हमारा भाई क्या करता है। हम दोनों सोने का नाटक करने लगी।

महेश ने पहले देखा कि क्या हो रहा है, जब उसने देखा कि दरवाजा खुला हुआ है तो वो दरवाजा खोल कर अंदर आ गया। पहले उसने हमारे नाम लेकर दोनों को धीरे से आवाज लगाई, यह देखने के लिए कि दोनों सो रही है या नहीं।

उसे जब पूरा यकीन हो गया कि हम दोनों सो रही है तो वो पिंकी के पास गया। हम दोनों ने और दिनों की तरह एक निक्कर और एक छोटा सा टॉप पहना हुआ था, अंदर ब्रा-पैंटी नहीं पहनी थी। पिंकी सांस ले रही थी तो उसकी चूची उठ रही थी। महेश ने धीरे से पिंकी के गालों पर हाथ लगाया और सहलाया। पिंकी की तरफ़ से कुछ हरकत न होने पर महेश पिंकी के होंठ फिर चूचों पर आया धीरे से दबाया। धीरे धीरे वो हम दोनों चूचियाँ दबाने लगा। उसने भी एक निक्कर पहनी हुई थी। उसने अपना लण्ड निकाल लिया और कभी उसकी चूचियाँ दबाता तो कभी अपना लण्ड सहलाता। बीच बीच में देखता भी रहा कि कही मैं या पिंकी जाग ना जाएँ पर उसे क्या मालूम था कि हम दोनों ही जाग रही हैं और सोने का नाटक कर रही हैं।

फिर उसने पिंकी की टॉप ऊपर कर दी और उसकी चूचियाँ दबाने लगा, अपना लण्ड जोर जोर से हिलाने लगा। फिर वो उसकी चूची चूसने लगा। फिर वो बिस्तर पर आ गया और लण्ड हिलाने लगा और थोड़ी ही देर में पिंकी के पेट पर अपना पानी निकाल दिया। फ़िर कपड़े से साफ़ करके उसका टॉप नीचे करके कमरा बंद करके चला गया।

उस दिन पिंकी का पहला अनुभव था जिसे मैं भी महसूस करना चाहती थी इसलिए पिंकी जींस और फुल टी-शर्ट ब्रा-पैंटी सारा कुछ पहन कर लेटी और मैं जानबूझ कर बिना ब्रा-पैंटी के एक छोटा स्कर्ट और शर्ट पहन कर लेटी। उस दिन भी हमने कमरा खुला छोड़ दिया तकि महेश अंदर आ सके।

वही हुआ जिसका हम दोनों को इन्तजार था, दोनों जाग रही थी। पिंकी ने पूरे कपड़े पहने हुए थे और मैंने दिखाने के लिए एक घुटना मोड़ लिया ताकि महेश मुझे बिना पैंटी के देख सके औए मुझसे मजे ले सके। साथ ही मैंने कमीज के दो बटन भी खोल के रखे थे जिससे मेरी चूचियों का थोड़ा भाग दिख रहा था। महेश सीधे मेरे पास आया और पिछले दिन की तरह आवाज लगा कर देखा, फिर मेरी जांघों को सहलाने लगा। कुछ देर बाद उसने मेरे कमीज के सारे बटन खोल दिए। मेरे दोनो कबूतर आजाद हो गए महेश उन्हें दबाने लगा,

फिर कुछ देर बाद मेरे चुचूकों को चूसने लगा। फिर उसने अपना लण्ड निकाला और मेरे हाथ में पकड़ा कर खुद हिलने लगा।

मैंने लण्ड पहली बार हाथ में लिया था तो मैं थोड़ा डर सी गई। फिर महेश ने मेरी स्कर्ट खोल कर घुटनों तक सरका दी। मेरी नंगी चूत देख कर उसका लण्ड और भी कड़क हो गया जो पहले ही मेरे हाथ में था। उसने मेरी टांगों को थोड़ा सा खोला और चूत पर हल्का सा चुम्बन किया, फिर हाथ से सहलाने लगा।

मैं भी गर्म होने लगी थी। अब वो पूरा बिस्तर पर आ गया और अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगा। रगड़ रगड़ कर उसने चूत लाल कर दी और मैं चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।

फिर थोड़ी देर में वो मेरी चूत के ऊपर ही झर गया और अपना लण्ड मेरी स्कर्ट से साफ़ करके मुझे वैसा ही छोड़ गया। जाते जाते महेश पिंकी के गालों पर चुम्बन किया और हल्के से चूची दबा गया।

मैं कुछ देर बाद उठी अपने को साफ़ किया, पिंकी भी उठी, कमरा बंद किया और हम दोनों एक साथ बैठ गई।

मैंने कहा- यार, मजा तो आया पर आधे मजे में छोड़ कर चला गया खुद का निकाल कर !

फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट गई और दोनों ने एक दूसरे की चूत में उंगली की और सो गई।

कहानी जारी रहेगी।
 

Lutgaya

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चुद्दक्कड गर्ल्स
भाग-3


एक दिन पिंकी और रिंकी दोनों स्कूल से आई तो महेश के कमरे से किसी के बोलने की आवाज आई। वो दबे पांव उसके कमरे की तरफ गई और देखने की कोशिश करने लगी तो देखा कि महेश अपने दोस्त सूरज के साथ था और दोनों नंगे होकर अपना अपना लण्ड हाथ में लिए सहला रहे थे। सूरज थोड़ा काला था इसलिए उसका लण्ड भी काला था पर महेश से बड़ा था।

सूरज कह रहा था- अरे यार, अपनी बहन की दिलवा दे, जो मांगेगा वो दूँगा।

तो महेश ने कहा- अरे, मुझे तो ले लेने दे ! अच्छा, अगर मैंने दिलवा दी तो तू क्या देगा।

सूरज ने कहा- जो भी कहेगा, दूँगा।

तो उसने कहा- अच्छा, ठीक है, मैं अपनी बहन की दिलवाऊँगा और तू अपनी बड़ी बहन की दिलवा दे।

सूरज- अबे, उसमें क्या बड़ी बात है ! रंडी है पूरी वो तो ! कई बार उसको उसके दोस्तों से चुदते हुए देखा है। एक दो बार तो स्कूल के टीचर से भी।

यह देख कर पिंकी और रिंकी भी बाहर चली गई और जोर से बात करती- बोलते हुए अन्दर आ गई ताकि उन दोनों को मालूम चल जाए कि वो घर में आ गई हैं। उनके आते ही दोनों कमरे से बाहर आये, सूरज ने दोनों को हेलो कहा और चला गया।

उसी दिन उनकी मम्मी महेश को लेकर अपने मायके चली गई। अब वह सिर्फ दोनों बहनें और उनके पापा नवीन घर में थे। रात को दोनों को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मर्द के हाथ लगवाने की आदत लग चुकी थी, भाई तो था नहीं।

पिंकी उठी, बाहर गई उसके पापा के कमरे ली लाइट जल रही थी उसकी दरवाजे की छेद से देखा और फिर रिंकी को बुला कर लाई। उसके पापा अपने झांट के बाल काट रहे थे। गोरा लण्ड लाल सुपारा, दोनों देख के सिहर गई सात इंच का लण्ड देख कर। बाल काटने के बाद वो तेल लाये और लण्ड पर मलने लगे और मलने के बाद मुठ मारने लगे, बोलने लगे- आज रात शांत हो जा बस ! कल तेरे लिए नई चूत का इंतजाम करता हूँ।

और कुछ देर में ढेर सारा वीर्य जमीन पर गिरा दिया।

रात बीती, अगला दिन भी बीत गया, फ़िर रात हुई। रात के गयारह बजे होंगे कि रिंकी-पिंकी को उनके पापा की आवाज सुनाई दी। रिंकी ने धीरे से दरवाजा खोल कर देखा तो कमरे में नवीन के साथ एक जवान लड़की थी और लाइट जल रही थी। रिंकी ने पिंकी को इशारा करके बुला लिया। दोनों दरवाजे के छेद से देख रही थी कि कोई बीस साल से भी कम उम्र की लड़की उनके पापा का लण्ड चूस रही है और वो उसकी चूची मसल रहे हैं। दोनों बिलकुल नंगे थे।

दस मिनट बाद लड़की ने कहा- अब मेरा मुँह दर्द कर रहा है।

तो नवीन ने कहा- अभी और चूस मेरी जान ! चार घंटे न मैं सोऊँगा और न तू। बस यह डंडा तेरे तीनो छेदों में अंदर-बाहर होता रहेगा।

और उसका सर पकड़ के आगे-पीछे करने लगे। फिर लण्ड निकाला और चूचियाँ जोर जोर से मसलने लगे और चूसने लगे। आधे घंटे तक चूस चूस के लाल कर दिया। फिर चूत चूसने लगे और दाने को मसलने लगे। वो लड़की इतनी देर में कई बार झर चुकी थी।

अब उन्होंने अपना लण्ड चूत की छेद पर रखा और एक धक्का दिया फिर बिना रुके दूसरा। और लण्ड पूरा अन्दर चला गया।

उसकी तो चीख निकल गई तो नवीन ने उसके मुँह पर हाथ रखा और कहा- अबे, मेरी बेटियाँ जाग जाएँगी।

तो उसने गाली देकर कहा- बेटीचोद, अपनी बेटी की उम्र की लड़की की इतनी बेरहमी से मार रहा है ! थोड़ा आराम से कर।

नवीन ने कहा- क्या करूँ जान, तुम्हारी जैसी नई चूत कई दिनों बाद मिली है। इसलिए सब्र नहीं हो रहा।

और लण्ड आगे पीछे करने लगे। आधे घंटे चोदने के बाद नवीन ने पूछा- बता कहाँ झरूँ?

तो उसने कहा- पहले मेरी चूत में ही ! बाद में मुँह में।

और फिर नवीन ने ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में भर दिया।

उस रात नवीन ने उसकी बार दो चूत और एक बार गाण्ड मारी और सुबह पाँच बजे से पहले ही घर से भेज दिया।

उस दिन रिंकी-पिंकी भी स्कूल नहीं गई, सोचने लगी कि देख कर काम नहीं चलेगा।

दोनों ने ठान लिया कि किसी को पटाया जाये और उससे मजे लिए जाएँ। पर सोचने की बात यह थी कि पटाया किस को जाये।

कहानी जारी रहेगी।
 
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चुद्दक्कड गर्ल्स
भाग -4

उस रात नवीन ने उसकी बार दो चूत और एक बार गाण्ड मारी और सुबह पाँच बजे से पहले ही घर से भेज दिया।

उस दिन रिंकी-पिंकी भी स्कूल नहीं गई, सोचने लगी कि देख कर काम नहीं चलेगा।

दोनों ने ठान लिया कि किसी को पटाया जाये और उससे मजे लिए जाएँ। पर सोचने की बात यह थी कि पटाया किस को जाये। भाई से करें तो रिश्ता ख़राब हो जायेगा। इसलिए भाई के दोस्त सूरज का ख्याल आया, छह इंच का काला लम्बा लण्ड उनकी आँखों के सामने छा गया।

उन्होंने सूरज का नंबर खोजा और नंबर मिलाया, कहा- जल्दी से घर आ जाओ, कुछ बात करनी है।

वो तुरंत घर आ गया। सूरज के आते ही उन्होंने उसे बैठाया।

सूरज ने पूछा- महेश तो है नहीं, फिर क्यों बुलाया?

रिंकी ने कहा- जो उस दिन तुम कर रहे थे उसके बारे में बताने के लिए।

सूरज घबरा गया, कहने लगा- क्या तुम दोनों ने वो सब देखा था?

पिंकी ने कहा- हाँ । कि कैसे महेश ने तुम्हारी और तुमने महेश की…

इतना ही कहा था कि सूरज बोल पड़ा- प्लीज किसी को बताना मत।

रिंकी ने कहा- अरे, यह तो इतनी गन्दी बात है कि किसी को बताई नहीं जा सकती, पर बतानी पड़ेगी, अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचते हो और हमारे बारे में भी? सूरज कहने लगा- नहीं तुम जो मांगो, मैं दे दूंगा पर किसी से कहना मत।

तो रिंकी ने कहा- चल तुझे हम यह सजा देती हैं कि हमारे साथ भी वही कर जो तू करने की कह रहा था पर हमारे भाई को या किसी को पता नहीं चलना चाहिए।

सूरज की तो बल्ले बल्ले हो गई। एक साथ दो नए माल, जहाँ उसे एक भी नसीब होने के फ़ाके थे, वहाँ दो मिल गए।

सूरज ने कहा- चलो ठीक है, मैं किसी को नहीं बताऊँगा।

पिंकी ने कहा- पहले चलो, तीनो नहाते हैं फिर करेंगे।

सूरज ने कहा- मैं कपड़े क्या पहनूँगा?

तो पिंकी ने कहा- अबे, कपड़े पहन कर कौन नहा रहा है, तीनो नंगे नहायेंगे।तीनो नंगे बाथरूम में नहाये खूब रगड़ रगड़ के एक दूसरे को नहलाया। फिर तीनो बेडरूम में आये और दोनों बहनों ने सूरज को लिटा दिया। कपड़े उतारने की तो जरुरत थी नहीं, पहले से ही उतरे पड़े थे। रिंकी उसका लण्ड चूस रही थी और पिंकी उसके होठ चूम रही थी। फिर दोनों के जगह बदल ली। रिंकी उसके होंठ चूस रही थी और पिंकी सूरज का लण्ड चूस रही थी।

फिर दोनों लेट गई और सूरज ने बारी बारी से दोनों के मम्मे दबाये, चूसे और चूत चाटी।

अब दोनों को सब्र नहीं हो रहा था, रिंकी ने कहा- मैं बड़ी हूँ, पहले मुझे चोद।

तो सूरज ने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का दिया। अभी सुपारा ही अन्दर गया था कि रिंकी दर्द के मारे चीखने लगी।

सूरज ने कहा- रिंकी, पहली बार ऐसा होता है। थोड़ा दर्द सहो, बाद में मजा आएगा।

फिर एक और धक्का दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया और रिंकी की चूत से खून निकालने लगा। और तीसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर चला गया। रिंकी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। पिंकी उसके पास लेट गई और उसे प्यार करने लगी, उसकी चूची सहलाने लगी और फिर चूसने लगी।

जब रिंकी का दर्द कम हुआ तो सूरज ने धक्के देने चालू किये। पन्द्रह मिनट के बाद रिंकी और सूरज दोनों ने अपना पानी निकाल दिया। सूरज ने रिंकी की चूत से अपना लण्ड निकाला और बगल में लेट कर आराम करने लगा। रिंकी भी चुपचाप सांस ले रही थी, पूरे कमरे में दोनों की साँसों की आवाज ही आ रही थी।

तभी पिंकी ने कहा- क्यों सूरज, अभी थक गए? अभी तो मैं बाकी हूँ। और रिंकी भी शायद और करेगी।

तो रिंकी ने कहा- नहीं, अब मैं नहीं करुँगी और किसी दिन कर लूँगी। अभी तू कर ले, तेरी बारी है।

तो पिंकी ने उसका लण्ड साफ़ किया और चूसने लगी। पाँच मिनट में उसका लण्ड फिर खड़ा हो गया। और फिर पिंकी की चूत पर लण्ड रख कर एक धक्का दिया और आधा लण्ड चला गया और उसकी सील टूट गई। उसकी चूत से भी खून निकाल रहा था, वो रोने लगी थी।

रिंकी उसके पास आई और उसके होंठ चूसने लगी। तभी सूरज ने एक और धक्का दिया और पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।

पिंकी की तो जैसे साँस रुक गई हो कुछ समय के लिए।

सूरज ने उसके चूचे सहलाये और रिंकी उसके होंठ चूम रही थी और उसकी चूची दबा रही थी।

दस मिनट बाद थोड़ा आराम मिला तो वो अपने आप गाण्ड उठा उठा कर चुदने लगी और सूरज ने भी धक्के चालू किए। सूरज पिंकी को तेज तेज चोद रहा था। बीस मिनट हो गए थे, रिंकी झर चुकी थी अब उसे दर्द होने लगा था, कहने लगी- दर्द हो रहा है, निकाल लो।

तो सूरज ने कहा- अभी मेरा नहीं हुआ, कैसे निकाल लूँ।

तो रिंकी पीछे आई और सूरज की गाण्ड में उंगली डाल दी। सूरज चिहुंका।

रिंकी अपनी उंगली आगे-पीछे कर रही थी। सूरज को उत्तेजना ज्यादा हुई और वो कुछ ही देर ने पिंकी की चूत में झर गया और निढाल होकर पड़ गया।

तीनो नंगे पड़े थे। पूरा बिस्तर खून से लाल हो गया था।

सूरज उठा और कपड़े पहने और चला गया। दोनों बहनें भी उठी, कपड़े पहने, बिस्तर धोया, साफ़ किया और बाते करने लगी- साले को एक दिन में ही दो कच्ची सील तोड़ने का मौका मिल गया !

पिंकी ने कहा- चलो, एक बात तो है ! घर की बात घर में रही, कहीं बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ी और मजा भी मिल गया।

रिंकी ने कहा- हाँ, वो तो है।

तब से दोनों ने ठान लिया कि जहाँ मौका मिले वहाँ मजा ले लेंगी।

रिंकी के बारहवीं होने तक दोनों ने सूरज के लण्ड से मौज की और किसी को पता भी नहीं चला। बारहवीं के बाद रिंकी अपने मामा के घर चली गई, वहाँ कॉलेज में दाखिला ले लिया। वहाँ उसके मामा-मामी और उनका एक बेटा विवेक जिसकी उम्र 22 साल थी। यहाँ पिंकी अकेली रह गई और बारहवीं की पढ़ाई करने लगी। सूरज भी और कहीं चला गया था।

पिंकी रात को बस उंगली करती और सो जाती। कभी कभार पेन या मोमबत्ती से काम चलाती।

कहानी जारी रहेगी।
 

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