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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
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TharkiPo

I'M BACK
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Bahut hi behatreen update.. aur Akhir aapne super ka seedha prasaran karwa hi diya...
Kafi romanchak maqaabla tha dono hi taraf se kafi acha khel khela gaya ek ke baad ek kafi ache shot dekhne ko mile... Nana ne apani beti ki pich par kafi dhuandhar ballebaji ki par ant mein apana wicket apani beti ko dekar dharashai ho gaye...
Darshakon ka bharpur manoranjan hua khas kar unka jo bina ticket liye stool laga kar taak jhaank kar rahe the.
Baki log to apane balle aur ball ko sahlate nahi thak rahe the..
Aasha hai isi tarah ke super over aur dekhne ko milenge..

Bahut hi umda update
 

Nevil singh

Well-Known Member
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UPDATE 100
MEGA

नाना बिस्तर के किनारे टेक लगाये पैर खोल कर बैठे थे ।
उनका खड़ा लण्ड धोती के निचे सांस ले रहा था ।

मा मुस्कुरा कर थोडा शर्मा कर खुद के भाव को स्थिर रखने की कोसिस करते हुए नाना के बगल मे आ गयी ।
फिर उसने बाये हाथ से धोती उठाकर बिना निचे देखे दुसरे हाथ से वो ठण्डा सेकाई का पैकेट नाना के लण्ड के उपर रख दिया ,,, ठन्दक आ एहसास होते ही नाना की चिहुक उठे और मा थोडी मुह मे ही खिलखिलाई

मा मुह फेरे हुए दीवाल को देखते हुए अंदाजे से नाना के लण्ड पर सेकाई वाला पैकेट दबा रही थी
मा मुस्कुरा कर - आराम से बैठे रहिये बाऊजी नही तो ,,,,

नाना हस कर गुदगुदी मह्सूस करते हुए - हाह्हहहा बेटी वो गुदगुदी सी हो रही है वहा

अन्दर कमरे का हाल देख कर मुझे भी हसी छूट रही थी

मा - अभी थोडी देर मे सब सामान्य हो जायेगा बाऊजी

फिर मा ने धोती के अन्दर से उस पैकेट को नाना के लण्ड के निचले हिससे पर ले आई ।
गर्म आड़ो पर बर्फ सी गुदगुदाती ठन्डक पाते ही नाना जी उछल पड़े और मा के हाथ से वो पैकेट छितक गया ।

मा नाना के लण्ड की ओर देखते हुए - अरररे बाऊजी आराम से ,,,वो पैकेट गिर गया

फिर मा ने अपना हाथ निचे ले जाकर नाना जी जांघ के निचे अंदाजे से टटोला या जानबुझ कर लेकिन नाना जी के आड़ उनके हाथ मे आ गये ।

नाना - अह्ह्ह बेटी वो नही है मा ने तुंरत हाथ बाहर खिच लिया और शर्मा कर - सॉरी बाऊजी
फिर नाना ने धोती ह्टाई और पैकेट को उठा कर अपने लण्ड के उपर रख दिया ।

मा ने कनअखियो से नाना के लण्ड को देखा और एक नजर नाना की नजर मे देखा जो इस समय मा के गीले निप्प्ल को निहार रहे थे और वही वो पैकेट नाना के लण्ड पर पडा झूल रहा था ।
मा थोडी मुस्कुराई और वापस से उस पैकेट को पकड कर लण्ड के निचे ले गयी और फिर से आड़ो पर लगाया ,,,
पैकेट को दबा कर अच्चे से उसकी सेकाई करने लगी ।

मगर मा के हाथो से पैकेट से ही सही लेकिन अपना लण्ड मथे जाने पर नाना जी को बहुत मजा आ रहा था वो आंखे बंद कर हल्के हल्के मादक होने लगे ।

नाना को आंख बन्द किया देख मा ने धीरे से उनके लण्ड को पकड कर सीधा किया और लण्ड के निचली नस पर वो पैकेट टिका दिया ।
इधर मा के हाथो का स्पर्श पाकर नाना की आन्खे खुली और देखा कि मा उनके सुपाडे वाले हिस्से को अपनी अंगूठे और तर्जनी से पकडे सेकाई कर रही है

वो और उत्तेजित हो गये और उनकी नजर मा के ब्लाउज मे उस निप्प्ल पर जाने लगी जो अब धीरे धीरे सुखने लगा था लेकिन निप्प्ल का कड़ापन अब भी था ।

नाना जी ने एक नजर मा के पेतिकोट मे उभरे हुए कूल्हो पर डाली जिससे उनका लण्ड ने झटका दिया और वो मा के उंगलियो की पकड से छिटक गया ।
मा अपने ऊँगलीयो से लण्ड छिटक जाने पर चिहुकी - अरे हिहिहिही

नाना मुस्कुराये और मा भी थोडी शर्म से मुस्कुरा कर वापस से लण्ड को इस बार मुठ्ठि मे पकड ली और दोनो की धडकनें तेज हो गयी ।

इस बार मा के लण्ड को उपर अच्छे से पकड कर उन्के आड़ो को अच्छे से दबाया और नाना सिस्क उठे ।

सेकाई का असर कुछ खास नही हो रहा था ,,,उपर से नाना जी के लण्ड के कसाव बढता ही जा रहा था ,,बार बार आड़ो के मसले जाने से और मा के हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाकर नाना जी बहुत उत्तेजित हो गये थे ।

इतना खुलने के बाद भी नाना जी के मन मे अभी भी संकोच था कि कही वो आगे बढ़े तो मा कुछ गलत प्रतिक्रिया ना दे ,,,मगर इस समय वो हवस से घिरे थे और मा के जिस्म की महक उनको और भी मादक कर रही थी ।

तभी मा ने कुछ ऐसा किया कि नाना को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी ।
मा ने नाना के बगल मे उनकी ओर पीठ कर बैठ गयी

मा - खडे खडे पैर दर्द करने लगा था
हालाँकि मा बहुत थोडे ही जगह पर बैठी उसके भारी चुतडो का एक हिस्सा अभी भी बिस्तर से लटका था और नाना को मानो इसी मौके की तालाश थी ।

वो लपक कर मा के दुसरे तरह हाथ डाल कर कूल्हो को पकड़ अपनी तरफ खिचते हुए खुद थोडा बिसतर पर खिसक गये

नाना - आजाओ बेटी आराम से बैठ जाओ
मा सिहर सी गयी उसके बदन मे बिजली सी कौंध गयी और वो शर्मा कर वापस से सेकाई करने लगी ।
लेकिन नाना का हाथ अभी भी वही मा के कुल्हे पर था ।


यहा मेरा लण्ड फटने को आ गया था ।
थोडी देर सेकाई के बाद मा बोली - बाऊजी लग रहा है इसकी ठंडई कम हो गयी है
और उसने वो पैकेट लण्ड से उठा कर अपने गाल पर लगाया और चेक किया

नाना जी ने सिहर गये और धीरे धीरे मा के कुल्हे सहलाने का कार्य जारी रखा

मा उठने को हुई तो वापस मा के कुल्हे दबा कर उनहे मानो रोक रहे हो
मा को इसका आभास होते ही बोली - बाऊजी मै बर्फ बदल कर लाती हू
और फिर खड़ी हो गयी ।

नाना - नही बेटा रहने दे उससे फायदा नही होगा ,,,मै जानता हू क्या करना है

मा - क्या बाऊजी
नाना मुस्कुरा कर - अब क्या बताऊ बेटा,,,तू बस कटोरी मे सरसो का तेल लेते आ

मा शर्मा गयी - लेकिन बाऊजी उससे आपको फिर थकान,,,,
नाना मा की बात काटते हुए - नही मुझे कोई दिक्कत नही होगी तू लेके आ बस

मा ने हा मे सर हिलाया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर गयी ।
बाहर आते ही मैने लपक कर मा को हाल मे रोक लिया और उनका हाथ अपने लण्ड पर जमा कर उन्के होठ चुस लिये ।

मा मुझसे अलग होकर -क्या कर रहा है दरवाजा खुला है
मैने अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका क्या
मा मुस्कुरा कर धीरे से मेरे गाल चूम कर मेरे लण्ड सहलाते हुए - अभी मै आउन्गी तेरे कमरे मे

फिर मा फौरन किचन मे गयी और वापस से सरसो का तेल एक कचौरी मे लेके अपने कमरे मे आ गयी और वापस उसी तरह दरवाजा भिडका दिया ताकी बारीक दरारो से मै देख सकू

कमरे मे नाना जी वैसे ही बैठे कुछ सोच रहे थे कि मा आ गयी।
मा मुस्कुरा कर - हा बाऊजी
नाना - बस यही रख दे बेटी मै कर लूंगा ,,जा तू भी आराम कर

मा शर्मा कर - जी नही बाऊजी ,,, आपको तकलीफ है और मै आराम कैसे कर लू

मा - लाईये वो धोती दीजिये इसका पानी पोछना पडेगा ।
फिर मा वापस उसी जगह उसी पोजिसन मे नाना के बगल बैठ गयी और धोती से अच्छे से मल मल कर नाना के लण्ड उनके जांघो और आड़ो को साफ किया और फिर वो तेल की कटोरी से हल्का सा तेल लेके नाना के आड़ो मे लगाया और सह्लाया जिससे नाना गनगना गये ।

मा ने वापस से थोडी तेल को उंगलियो मे चपेड़ा लण्ड कर लगायी इस बार कुछ बुन्दे बेडशिट पर गिर गयी ।
नाना - अरे बेटी रहने दे ,, बिस्तर खराब हो जायेगा

मा - कोई बात नही बाऊजी मै बदल दूँगी
नाना - नही बेटा कितना परेशान होगी तू

मा कुछ ध्यान आया और उन्होने सोचा क्यू ना दीदी यानी रज्जो मौसी वाला आइडिया यूज़ किया जाय

मा - अच्छा ठीक है फिर आप पैर लटका के बैठ जाईये बेड पर मै निचे बैठकर कर देती हू

नाना जी मा की जिद पर मुस्कुराये और मा खड़ी हो गयी ।
नाना जी भी खसक कर बेड के बिच से एक तरफ पैर लटका कर बैठ गये और मा भी उन्के सामने ठीक एक अपना सृंगार टेबल का स्टूल लेके बैठ गयी ।

इस समय नाना जी का लण्ड मा के ठीक सामने था और मा ने अच्छे से तेल चभोड़ कर नाना के लिंग की मालिश करनी शुरु की और तेल से पूरी तरह लिंग को च्भोड़ दिया और इधर नाना जी आंखे बंद किए आहे भर रहे थे । जब कभी आंखे खुलती तो मा की हिलती चुचिया नजर आई और वो चरम पर जाने लगे ।
उन्के आड़ो से वीर्य उन्के सुपाडे मे भर गया था ।
मा को भी इसका आभास था क्योकि उन्के हथेलियों मे लण्ड कसने लगा था और तभी अचानाक से नाना जी का फब्बारा फुट पडा ।
मा और नाना एक साथ चिहुके , दोनो के मुह से एक समान रूप से सम्बोधन हुआ
मा - अरे बाऊजी , नाना - अरे बेटी

तब तक देरी हो चुकी थी
नाना जी का माल मा के जिस्मो पर फैल चुका था ,, उन्के चुचो , पेट और कुछ एक दो छीटे गालो पर

नाना ने फौरन मा का हाथ हटा कर लण्ड का मुहाना पकड लिया - ओह्ह्ह माफ करना बेटी ,,,मुझे पता ही नही चला ,,, लेकिन अभी भी उनका लण्ड झटके खा कर उन्के हथेली मे ही वीर्य उगल रहा था

मा अंदर ही अंदर बहुत संतुष्ट थी मगर सामने से थोडा झेपने के भाव मे - कोई नही बात नही बाऊजी मै साफ कर लेती हू जाकर ,,,

नाना जी एक बार फिर से माफी मांगी और मा ने उन्हे तसल्ली दी कोई बडी बात नही है ।

इधर मेरे लण्ड का बुरा हाल था ,,,अन्दर कमरे मे मेरा प्लान फेल होता नजर आ रहा था , क्योकि मेरे प्लान के मुताबिक रज्जो मौसी के जैसे नाना मा से भी पहल करते या उन्हे रिझाते मगर अन्दर सब छिछालेदर हुआ पडा था । अब आगे जो कुछ भी हो सकता था वो संयोग या मा के फैसले पर था । या तो वो कुछ अपने तरफ से करे या फिर साफ सफाई कर मेरे पास सोने आ जाये ।
मै इधर उलझा हुआ था
वही कमरे मे नाना खुद को कोसते हुए बडब्डा रहे थे और जल्दी मे अपने जान्घिये से ही अपने लण्ड का वीर्य और फिर फर्श पर छिटका हुआ माल साफ करने लगे ।

मगर मा भी कम नही थी मेरे मोटीवेशन का और थोडी बहुत जीत से उसे बहुत हिम्मत आई और उनसे बाथरूम मे जाकर अपने ब्लाउज पेतिकोट निकाल कर धुल दिये और नहाने लगी ।

थोडी देर बाद मा की आवाज आई
मा बाथरूम के दरवाजे से ओट लेके - बाऊजी वो सोफे के पास हैंगर पर तौलिया होगा दे देंगे क्या

नाना जी एक नजर मा को देखा और मुह फेर लिया और फिर मा के बताये जगह पर देखा तो वहा तौलिया था ही नही ।

नाना - नही बेटी नही है वहा तौलिया
मा - ओह्ह अच्छा फिर वो मेरे टेबल मे एक चाबी होगी उससे इस आल्मारि से मेरा कोई कपडा निकाल देंगे ।
नाना जी जो ग्लानि मे थे वो फटाफट से धोती को लूंगी सा लपेट कर ,,,ड्रावर मे चाबी खोजी लेकिन मिली नही ,,,
चाभी मिलती कैसे , चाभी तो मा हमेशा बेड के सिरहाने रखा करती थी बिसतर के गद्दे के निचे ।

निराश मुह से नाना - नही मिल रहा है बेटी
मा थोडा संकोच दिखा कर - अच्छा फिर आप वो जांघिया पहन लिजिए और मुझे अपना धोती दे दीजिये

नाना एक पल को चहके पर जल्द ही उनकी खुशी धूमिल हो गयी जब उनकी नजर उनके जान्घिये पर गयी जो फर्श पर वीर्य से चख्टी लतीयायि - सिकुडी हुई पड़ी थी ,,,मगर बेटी को और निराश ना करते हुए वो दरवाजे तक गये और अपनी धोती खोल कर उसे देदी ।

मा ने लपक कर धोती ली और दरवाजा बंद कर दिया
नाना जी वापस निराश होकर बाथरूम की ओर मुह किये बेड पर वैसे ही बैठ गये ।
थोडी ही देर मे दरवाजा खुला और मा नाना जी की पतली धोती लपेटे बाहर आई जिसमे उसके जिस्म से धोती ऐसे चिपकी थी मानो उसे ही पहन कर मा ने उपर से ही नहाया हो ।

धोती की चौड़ाई कम थी इसिलिए मा के आधे चुचे और आधी गाड़ तक की धोती लिपटी थी उपर से निप्प्ल , नाभि और चुत का शेप सब कुछ साफ साफ उभरा हुआ था ।

नाना जी की नजर मा पर पडते ही वो वापस से उत्तेजित हो गये और उनका लण्ड फनफना उठा ।

मा बडी शर्मीन्दगी से नजर झुकाये बाहर आई और फिर नाना के सामने की चल कर बाथरूम के बाहर जस्ट बगल मे लगे ड्रावर को खोलने के झुकी ।
जिससे मा के गाड़ फैल कर और नंगी ,नाना के सामने आ गयी और उनकी गाड़ के भूरे छेद के साथ उनकी चाकलेटी चुत का चीरा भी साफ साफ दिख गया ।

नाना क्या , ऐसे मादक नजारे को देख कर मै मेरे लण्ड ने कुछ बुन्दे निचोड़ दी । मुझे अन्दाजा लग गया कि मा इतने जल्दी हार नही मानने वाली है और हमारा प्लान जरुर पुरा होगा ।

नाना का बुरा हाल हो गया ।
कुछ देर तक वैसे ही झुक कर मा ने नाना को अपना दिदार कराते हुए चाबी खोजती रही लेकिन नही मिली तो खड़ी होकर ,,,नाना को नजरअंदाज करते हुए और चेहरे पर परेशानी का भाव लाकर इधर उधर चाभी खोजने लगी ,,,ताकि नाना को लगे कि सब सामान्य है
और तभी मा की नजर बेड के दुसरी तरफ पड़ी नाना के जन्घिये पर गयी और वो उसे उठा कर नाना के सामने लाते हुए

मा - आपने इसे पहना नही क्या
नाना नजर उठा कर एक बार सामने मा का दिदार किया और बोले - वो बेटी मैने उसी से वो फर्श साफ कर दिया था

मा परेशान होकर- ठीक है कोई बात नही,,,मगर ये चाभी नही मिल रही है ,,,रुकिये मै इसे बाथरूमे डाल के आती ही हू ,

फिर मा अपने चुतड मटकाते हुए बाथरूम में गयी और नाना का जांघिया बालटी मे डाल कर बाहर आई

मा परेशान होकर - लग रहा है मै तौलिया आज उपर से बाथरूम मे ही भूल आई हू ,,,बाऊजी जी आप लेते आयेन्गे क्या ,,तब तक मै चाबी खोजती हू

नाना जी हड़ब्डाये - अब ब ब हा हा ठीक है लेकिन ऐसे कैसे जाऊ
मा - अरे हा ,,,कोई देख लेगा तो ,,वैसे तो सब सोये है लेकिन फिर भी डर है

नाना चिन्ता के भाव मे - फिर बेटी
मा थोडा संकोच कर - मै आपको ये धोती देती हू आप लपेट कर चले जाईये और बाथरूम मे तौलिया और मेरे कुछ कपडे होने आप लेते आईये ,,,

नाना ने थुक गटका और बोले - लेकिन बेटी तू मेरे सामने ,,,

मा को ध्यान आया या उसने नाटक किया ये वो ही जाने
मा - हा लेकिन ऐसे कब तक हम लोग रहेंगे ,,, अभी रात का समय है और सुबह मे दिक्कत ज्यादा हो जायेगी ना

नाना नजरे निचे किये मा के जांघो को निहार रहे थे और उनका लण्ड अभी भी कसा हुआ था ।

नाना - हमम बात तो सही है बेटी
लेकिन

मा तो मानो तय कर चुकी थी आज कयामत ढाने की
उसने फटाक से नाना के तरफ पीठ कर घूम गयी और धोती निकाल कर उनकी तरफ कर दी ।
नाना की नजर मा के खुले तरासे बदन पर जाते ही उन्के मन मे बिजली सी कौंध गयी और उनकी नजर मा की ब्ड़ी गोल गोल गाड़ पर गयी जिसके रोये किसी रोमांच से एक दम तन कर नोक के समान खडे हो गये थे ।
मा तेज सांसे ले रही थी और नाना चित होकर मा के कुल्हे और गाड़ की लकीर का अवलोकन कर अपनी लन्ड़ को थामे हुए थे ।
मा - अब जाईये बाऊजी ,,
नाना चौके - हा हा बेटी
वो फटाक से धोती को लुन्गी के जैसे लपेटा जो की काफी भीग चुकी थी और बिना मा को देखे निकल गये बाहर
मै फटाक से हाल के दीवाल की ओर हो गया और नाना सीधा उपर की ओर सीढी से चले गये ।

नाना के जाते ही मा लपक कर बाहर गलियारे मे आई तो मैने उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया
,,, नहाने के बाद उनका मखमली सा बदन मे ताजगी की खुस्बु थी और ह्मारे होठ जुड़ गये ।।मैने उनके नंगे गाड़ के पाटो को फैलाया जिसपे उन्के खडे रोए का खुरदरापन मेरे स्पर्श से शिथिल होने लगा और मा मेरी बाहो मे पिघलने लगी ।

मै - मा तुमने तो अच्छे से सम्भाल लिया है सब
मा हस कर - आखिर मा किसकी हू
मैने झुक कर एक निप्प्ल को चुबलाया और बोला - तो फिर आगे क्या प्लान है
मा - तू बस देखते जा अपनी मा का जलवा ,,बहुत हो गया तेरा प्लान और चालबाजी हिहिहिही

मै मा को अपने जिस्म से चिपका कर - बाप के बाद इस बेटे का भी ध्यान रखना ,,,भूल ना जाना
मा मुस्कुरा कर मेरे होठ चूम लेती है और तभी उपर से किसी के आने की आहट होती है और मै फटाक से अपने कमरे मे जाता हू और मा अपने कमरे मे दरवाजे का ओट लेके खड़ी हो जाती है ।

तभी सीढियो से नाना के उतरने की आहट आती है और वो कुछ कहते हुए कमरे मे घुस जाते है और मा वैसे ही हल्का दरवाजा भिडका कर कमरे मे नाना के सामने घूम जाती है ।

यहा मै फटाक से अपने कमरे से बाहर आता हू और मा के कमरे मे झाकत हू जहा सिर्फ नाना ही दिख रहे होते है और उनका मुह खुला हुआ रहता है धोती मे लण्ड तना हुआ

कमरे मे मा सीधा नाना के सामने आ गयी थी और उसकी नंगी चुचिया और चुत सब कुछ नाना के सामने था ।

मा को एहसास होते ही वो नाना के हाथ से तौलिया लेके उनकी ओर पीठ कर उसे लपेट लेती है। जो की लगभग नाना की धोती के नाप का ही था ।
बल्कि उससे भी छोटा ,,,लम्बाई कम होने से पुरा नही लिपटा था ।

मा घूमी और नाना से - मेरे कपडे नही लाये क्या बाऊजी
नाना हड़ब्डा कर - हा हा बेटी ये लो ,,,यही था

नाना के हाथ इस समय मा की एक मैरून ब्रा और पैंटी थी ।

मा ह्स कर - ब्स यही था
नाना मा को हस्ता देख बोले - हा यही था

मा - ओहहह फिर ये चाभी भी नही मिल रही है ,, लग रहा है कि यही पहनना पडेगा

नाना कुछ नही बोले और मा की नजर नाना के जांघो मे लिपटी गीली धोती पर गयी ।

मा - ओह्ह ये धोती भी भीग गयी है ,,,ऐसे तो आपको भी दिक्कत होगी

मा कुछ सोच कर
- लाईये वो कपडे दीजिये मै बदल कर आती हू फिर आप ये तौलिया लपेट लिजिएगा

नाना कुछ प्रतिक्रिया देते उससे पहले ही मा ने उन्के हाथ से ब्रा पैंटी लेके बाथरुम मे चली गयी और इस बार 10 मिंट बाद आई ।

मा का नया कातिलाना रूप और भी कामुक था ।
मरून लेस वाली ब्रा मे मा के चुचे कसे और उभरे हुए थे और वही पैंटी पूरी तरह से चुत और गाड़ से चिपकी हुई थी ।

मा का ये रूप देख कर नाना जी के साथ मै भी गनगना गया ।
मा मुस्कुरा कर नाना के सामने आई और शर्मा कर नाना को तौलिया दिया
नाना ने मा के जिस्मो को निहारते हुए अपनी धोती निकाल दी और वापस उनका लण्ड भन्नाकर तन गया ।

मा परेशान होकर - ओह्ह मतलब अभी तक आपको आराम नही मिला

नाना मुस्कुराये और मा के हाथ से तौलिया लेके लपेटते हुए बोले - बेटी छोडो उसे वो मनमौजी है ,,,

मा खिलखिलाई - क्या बाऊजी आप भी ,, तकलीफ मे भी आप मजाक नही भूलते

नाना हस कर - सच मे वो ऐसा ही होता है ,,,तेरी मा तो परेशान हो जाती थी इससे
मा शर्मा कर हसी और बिस्तर पर बैठ गयी ।
फिर नाना जी बैठ गये ।
मा - बाऊजी मैने मेरे कपडे और आपके जान्घिये को धुल दिया है ,,सुबह तक सुख जायेगा ।

आईये लेट जाते है ,,काफी समय हो गया है ।

नाना थोडा संकोच कर - ठीक है बेटी मै सोफे पर
मा - अरे कोई बात नही ,,आप कोई गैर थोडी है ,, भूल गये कैसे बचपन मे मै तो आपके उपर सोती थी ,,,हा अब मोटी हो गयी हू तो शायद आप ना सुला पाओ हिहिहिही

नाना खिलखिलाए - हाहहह तू अभी भी वैसे ही नटख्त है ।

फिर नाना जी और मा बिस्तर पर टेक लगाये बैथ गये ।
नाना - बेटी लाईट बुझा दू अगर तू कहे तो

इधर मेरे पैर दर्द करने लगे थे और लाईट बुझाने का मतलब यहा खड़ा होना बेकार था ।
तभी मा खड़ी हुई और नाना के सामने पैंटी मे गाड मटका चलते हुए मेन बलब बुझा कर नाइट बलब जला दी ।

मन को बहुत तसल्ली हुई और मैने फटफट लपक कर हाल और गलियारे की बलब को बन्द कर दिया और दरवाजा थोडा सा और खोला ताकि अन्दर दिखे ।
मै बगल मे हाल से एक स्टूल टटोल कर लेके आ गया और अपना आसन जमा लिया ।
अंदर कमरे मे दोनो लोग थोडा जगह लेके लेट गये ।
लेकिन अन्दर का नजारा और भी कामुक हो गया था ।
मा का जिस्म और खिल रहा था उस गुलाबी रौशनी मे ।

मा - बाऊजी आपको याद है बचपन मे आप मुझे और जीजी दोनो को एक साथ उठा अपने कन्धे पर बिठा कर घुमाते थे
नाना जी मा की ओर करवट लेके - हा बेटी ,, और तुम दोनो तो अक्सर मेरे उपर ही सो जाती थी ।

मा ह्स कर - हा बाऊजी ,,,कितने अच्छे थे वो दिन
मा भी हमारे साथ थी
नाना एक गहरी आह भर कर - हा बेटी ,,, वो दिन बहुत अच्छे थे ।
मा नाना को देखती है जो कनअखियो से उसे ही निहार रहे होते है और उनका हाथ तौलिये पर से लण्ड को सहला रहा होता है ।

मा - मा की बहुत याद आती है ना बाऊजी
नाना चुप से हो गये
मा उनकी चुप्पी देख कर उन्के करीब आ गयी और बोली - क्या हुआ हुआ बाऊजी

नाना - कुछ नही बेटा,,,तेरी मा तो मेरे सामने ही है वो कही नही गयी ।

मा - मतलब
नाना - तेरी मा बिलकुल तेरे जैसी ही तो थी । रंग रूप , देह और तिल भी
मा हस कर अचरज से - तिल ,,कौन सा तिल बाऊजी
मेरे देह पर कही कोई तिल नही है ।

नाना मुस्कुरा कर - है बेटी वो तुझे नही दिखेगा
मा ह्स कर - क्या बाऊजी आप भी ,,,मैने बचपन से कोई तिल नही देखा अपने देह पर

नाना - बेटा वो तेरे पीछे के हिस्से पर है ना इसिलिए नही दिखा
मा अचरज से - लेकिन कहा
नाना हस के - लग रहा है कि जमाई बाबू ने तुझे सही से देखा नही

मा शर्मायी - ये क्या कह रहे हैं बाऊजी आप
नाना हस कर- तभी तो तुझे पता नही है ,,, वो दरअसल तेरे नितंब पर है वो तिल

मा पूरी तरह झेप सी गयी
नाना को इसका अह्सास होते ही - माफ करना बेटी मैने तो बचपन मे ही देखा था तेरे जन्म से ही ,,,मगर आज फिर से दिख गया तो तेरे मा की याद आ गई

ये बोल कर नाना ने एक गहरी सास ली और सीधा लेट गये
मा थोडा संकोच कर - तो क्या मा को भी वही पर तिल था

नाना मुस्कुरा कर - हा बेटी ,,, और उसे बहुत पसन्द आता था जब मै

ये बोल कर नाना रुक गये
मा बडी जिज्ञासा से - क्या हुआ बाऊ जी बताओ ना और मा के बारे मे

मा के साथ मेरी भी जिज्ञासा बढ गयी ।
नाना एक गहरी सास लेके मुस्कुराये - नही बेटी छोड जाने दे वो सब

मा इतरा कर - आप जान्ते है ना मै कितनी जिद्दी हू तो बतायीये ना

नाना ह्स कर - हा भई जानता हू ,, लेकिन बेटी
मा - बताओ ना बाऊजी मा के बारे मे,, क्या पसन्द था उनको
नाना थोडा संकोच करते हुए - बेटी उसे मेरा उसकी उस तिल पर चुम्बन बहुत पसन्द था

मा शर्मा कर थोडी खिलखिलाई और बोली - और आपको हिहिही

नाना शर्म और मुस्कुराहत से - हा भई मुझे भी ,,,तू तो ऐसे बोल रही है कि मानो जमाई जी तेरे वहा पर कभी चुंबन नही किया हो हाहाहाहा
मा शर्मा कर - क्या बाऊजी आप भी ,,

नाना मा को निहारते हुए - तो क्या सच मे जमाई बाबू ने वहा
मा ने ना मे सर हिला कर मुस्कराई

मै मा के अदा को मान गया,,,जो रोज अपने पति से गाड फड्वाये सोती नही थी वही बोल रही थी कि उसका पति कभी उसके गाड को चूमा नही ।

नाना - तो तुने सच मे वो अद्भूत अह्सास नही किया कभी
मा ना मे सर हिलाया और शर्मा कर बोली - क्या वो सच मे अच्छा अह्सास होता है बाऊजी

नाना तौलिये के उपर से ही लण्ड को सहलाया और थोडा मा के भाव को पढ कर हिम्मत कर बोले - तू कहे तो , मै
मा मुस्कुरा कर - क्यू आपको भी याद आ रही है क्या मा की

नाना एक गहरी सास ली - हा बेटी आज तो बहुत ही ज्यादा ही

मा मुस्कुरा कर - अगर आपकी इच्छा है तो आप कर सकते है बाऊजी

नाना को मा के ऐसे प्रस्ताव की उम्मिद नही थी
नाना - मगर बेटी मै तुम्हे ,,,

मा मुस्कुरा कर बिना कुछ बोले घूम गयी और नाना के सामने उसकी फैली हुइ गाड थी
इधर मेरे मन मे भी कौतूहल मचा था कि आगे क्या होगा
इधर नाना के दिल की धड़कन बढ गयी थी और वो हिम्मत कर उठ कर बैठ गये ।

उन्के बैठते ही मा पेट कर बल हो गयी और उन्के गाड गोल फुटबाल जैसे उभर गये
नाना को मानो मौका मिल गया हो और वो पहल कर बोले

नाना - बेटा वो तुझे ये कच्छी निकाल्नी पड़ेगी
मा ने मुस्कुरा कर हाथ पीछे ले गयी और पैंटी को निचे सरका दी
अब उसके दोनो पाट खुले थे
नाना ने हिम्मत कर हाथ बढ़ाया और मा के दाये गाड़ के पाट पर लकीर से सटे हुए हिस्से एक तिल को सह्लाया

नाना के हाथ का स्पर्श पाकर मा सिहर गयी
वही नाना जी झुक कर अपनी जीभ से एक बार उस तिल पे फिराया और होठो से चूम लिया ।
मा पूरी तरह गनगना गयी और उसके मुह से निकल गया - उम्म्ंम्ं बाऊजी
नाना तो मानो मादकता की परिभाषा से परिचित थे और उन्हे आभास हो गया कि मा को उन्का स्पर्श भा गया और अगर वो आगे बढ़े तो वो उन्हे रोकेगी भी नही
नाना ने मा के कूल्हो को थामा और लकीर के किनारे ही गाड के पाट को मुह मे भर लिया और चूबलाने लगे
मा सिस्क उठी और यहा मेरे लण्ड मे कसाव और बढ गया ।

मा - बस करिये बाऊजी ,, हो गया ना
नाना को ध्यान आया और वो उठ कर लेट गये ।
मा वैसे ही लेती रही ब्स मुह नाना की ओर करके मुस्करा कर बोली - बस यही पसंद था क्या मा को हिहिही

नाना मा को समान्य देख कर बोले - अब बेटी पसंद तो उसे बहुत कुछ था ,,अब वो सब नही ना कर सकती है तू

मा उत्सुकता से नाना के करिब आकर करवट लेके बोली - बताओ ना बाऊजी और क्या क्या पसंद था मा लो
नाना मा के साथ अब खुल चुके थे वो उन्के सामने ही तौलिये के उपर से लण्ड को मसल रहे थे

नाना - बेटी , तेरी मा बहुत ही कामुक औरत थी और उसे मेरे लिंग से बहुत लाड था ,, वो इससे छोटे बच्चे से चूमती खेलती थी

मा हस कर - हिहिहिही , सच मे बाऊजी
नाना - हा बेटी, मुझे बहुत शान्ति मिलती थी जब उसके मुह की ठण्डक से मेरा वो गिला होता था ।

मा शर्माने की अदा से - ओह्ह और बाऊजी
नाना मा को अपने पाले मे आता देख मा के गाल सहला कर बोले - मै आज जब तुझे देख रहा हू तो लग रहा है कि तेरी मा मेरे सामने है और अभी तेरी मा उठ कर मेरे लिंग को लाड करेगी ।

मा शर्मा कर मुह निचे कर ली
और हाथ आगे बढ़ाकर नाना के तौलिये का गांठ खोल दिया और उनका लण्ड फनफना कर सामने आ गया ।

नाना - ये क्या कर रही है तू बेटी
मा उठ कर बैठ गयी और एक हाथ मे नाना जी का लण्ड थाम लिया ।

मा - मै जानती हू बाऊजी आज आपको मा की बहुत याद आ रही है और इसिलिए आपको इतनी तकलिफ हो रही है ।

नाना - बेटी तू ये
मा - मै जानती हू बाऊजी कि मै मा की जगह नही ले सकती हूँ लेकिन एक बेटी होने के नाते आपकी इच्छा का ख्याल तो रख सकती हू ना

नाना - मगर बेटी ये गलत
मा नाना के लण्ड को जड़ से पकडे हुए हल्का हल्का सहला रही थी और बोली - क्या आपका मुझपर कोई हक नही है बाऊजी

नाना - वो बात नही है बेटा
मा - फिर आज ये समझ लिजिए ये मै नही मेरी मा कर रही है

नाना जी एक गहरी सास ली और चुप हो गये
इधर मा हिम्मत कर धीरे से झुकी और नाना के लण्ड के चमडी को निचे खिच कर उसके सुपाडे को मुह मे भर लिया
नाना जी को एक गहरी आनन्द की अनुभूति हुई और सिहर उठे

इधर मा ने लण्ड को गले तक ले जाते हुए नाना के आड़ो को मसल दिया जिस्से वो और मचल उठे
नाना - अह्ह्ह बेटी तू तो सच मे रुपा के जैसे ही उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

मा ने लण्ड चूसना जारी रखा और सुपाडे के छेद पर एक बार जीभ को नुकीला कर चुबोया ,,,नाना गनगना गये
नाना - अह्ह्ह रुपा उम्म्ंमममं

मा नाना को बार बार नानी का नाम लेते देख मुस्कुराई और अब उनकी आंखो मे देखते हुए लंड को गले तक लेने लगी ।
थोडा समय बिट जाने पर नाना ने कुछ हिम्मत करके कहा - बेटी तू जानती है ,,, तेरी मा अंडर के कपडे नही पहनती थी

मा नाना की बात सुन कर रुक गयी और समझ गयी कि अब नाना पूरी तरह से पाले मे है और उन्हे नंगा देखना चाहते हैं

मा बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गयी तो नाना भी उठकर बिस्तर के एक तरफ टेक लेके पैर पसार कर बैठ गये और लण्ड हाथो मे थाम कर उसे हिलाते हुए मा को निहारने लगे ।
वही मा ने हाथ पीछे ले जा कर पहले ब्रा का हुक खोल कर ढिला किया और बडी कामुकता से उसे उतार दिया ।
मा की चुचिय नंगी होती देख नाना जी और गर्म होने लगे

वही मा ने उनकी तरफ पीठ कर झुकते हुए अपनी आधी उतरी हुई पैंटी भी निकाल दी और झुकते हुए उनकी गाड़ का भरपूर दिदार कर नाना ने अपने लण्ड को मसला ।

मा पूरी नंगी होकर थोडी शर्मा कर मुस्कुराते हुए नाना के बगल मे बैठ गयी और फिर से लण्ड को थाम लिया ।

नाना - आह्ह बेटी आज सच मुझे तेरी मा का अह्सास मिल रहा है

मा मुस्कुराइ और झुक कर लण्ड को मुह मे भर लिया ।
नाना ने हिम्मत कर मा के कन्धो पर हाथ रख कर हल्का हल्का सहलाना शुरु कर दिया मगर उनकी इच्छा थी कि कैसे करके मा के चुचे को पकड़ सके ,,,लेकिन इतनी भी हिम्मत नही थी कि खुल कर अपनी बेटी से कह सके ।
इधर मा लण्ड चूसे जा रही थी और नाना हाथ बढा कर मा की कांख तक ही अपनी उंगलियाँ ले जा पाते ।

मा को इसका अन्दाजा था , मगर नाना ज्यादा तडपता देख वो मुस्कुरा निचे फर्श पर खड़ी हुई और नाना के बगल मे आ गयी । उसके हाथ मे अभी भी उन्का लण्ड भरा हुआ था और मुठीयाना जारी था ।
मा को अपने बगल मे पाकर नाना एक नजर मा को देखे और फिर अपना एक हाथ बढा कर मा की एक चुची को थाम लिया बहुत ही हल्के हाथ से

मा सिहर गयी और तभी नाना ने अभी जीभ निकाली और निप्प्ल को चाटते हुए उसे होठो मे भर कर चुबलाने लगे ।


मा सिस्क कर - अह्ह्ह बाऊजी
नाना को तो जैसे जोश ही आ गया था वो मा की कमर मे हाथ डाल कर उन्के मुलायम कूल्हो को मस्लते हुए मा की चुचियॉ को मुह मे भरने लगे ।

नाना के मोटे खुरडरे जीभ और मोटे होठ से मानो मा की चुचिया छील डालेंगी ।
मा ने भी नाना का लण्ड छोड कर उनका सर अपने चुचो पर दबाते हुर सिस्क रही थी ।

नाना ने अब दोनो हाथो मे मा की दोनो चुचे पकड लिये और उन्हे दबाते मसल्ते गारते हुए निप्प्ल पर जीभ नचाने लगे ।

कभी पीठ तो कभी मा की मासल भरी हुई मोटी गाड,,मुह मे चुची को भरे मा के जिस्म को मसलने लगे

मा - अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्म्ं अराम से अओह्ह्ह माआआ उफ्फ़फ्फ

नाना पर हवस पूरी तरह हावी हो चूका था और वो वैसे ही मा की चुचिया चुस्ते हुए अपने पैर को बेड से निचे लटकाया और मा को अपने पैरो के बिच मे लाकर जकड़ लिया और उन्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगे ।।कभी कभी मा के गाड की दरारो मे अपनी मोटी ऊँगली भी घुसा देते ।

इधर मा भी पागल हो रही थी
मै वही दरवाजे पर खड़ा खड़ा झड़ चूका था और दुबारा से लण्ड सहलाना जारी था ।

नाना ने फटाक से मा को घुमाया और पीछे से मा की दोनो मोटी चुचिया पकड ली और उन्हे मिजने लगे ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम दे दर्द अह्ह्ज उह्ह्ह माआ अह्ह्ह बाऊजी

नाना बिना कोई रहम के अपने एक हाथ से मा के जांघो को खोला और हथेली से मा के चुत मे रगड़ दिया ।
मा की गीली चुत ने नाना जी के हथेली का स्पर्श पाते ही तुरंत उन्के हाथ मे पिचपीचा गयी और गिली चुत का अह्सास पाते ही नाना ने फौरन एक ऊँगली मा की चुत मे घुसा दी ।
मा की सांसे रुक गयी और वो अकड गयी ।

नाना ने वापस मा को खीचा और दुसरे हाथ से मा के चुचो को मसल कर ऊँगली को चुत मे घुमाया और निकाल कर मुह मे ले लिया ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम से अह्ह्ह्ह मा सीईई उह्ह्ह्ह

नाना ने मा की प्रतिक्रिया का एक भी जवाब नही दिया बस मा को लेके खडे हुए और उन्हे घुमा कर घोड़ी बनाते हुए बेड पर झुका दिया ।

मा कोहनी के बल बेड पे झुकी हुई खड़ी थी और तेज सासे ले रही थी ।
नाना हाथ मे लेके मा के मुलायम बडे गाड के पाटो को सहलाया और फिर दो ऊँगली से चुत वाले हिस्से को फैलाया ताकि उसका छेद दिख सके ।

फिर थोडा अपनी घुटने को फ़ोल्ड कर नाना झुके और अपना सुपादा मा के चुत के छेद पर लगा दिया और गचच से लण्ड को एक बार मे ही आधा मा की चुत मे पेल दिया ।

नाना का मोटा लण्ड अन्दर घुस्ते ही मा चिखी - अह्ह्ह बाऊजी उह्ह्ह माआआ
नाना ने रहम थोडी भी नही दिखाई और मा के कूल्हो को दोनो हाथो से थाम कर उसी जगह से एक और धक्के मे मा की चुत मे लण्ड को उतार दिया और उनकी जान्घे मा के चुतड़ से सट गयी ।
मा की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वो गहरी सासे ले रही थी ,,,,नाना का लण्ड जड़ तक पुरा का पुरा 8 इन्च मा के चुत मे घुस चूका था ।
दवा का असर इतना हो चूका था कि नाना मे जोश बहुत ही था और मा के कामुक गदराये बदन को देख कर उनकी उत्तेजना बहुत बढ रही थी ।

नाना ने मा के कुल्हो को थामा और धक्के लगाने शुरु किये ।
उनका लण्ड पूरी तरह से मा के चुत को ढिला करता हुआ तेजी से अन्दर बाहर होने लगा था ।वही मा की पिचपिचाती बुर ने अपना रस छोड़ना शुरु कर दिया था ,,,मा थकने लगी थी ऐसे मे नाना बिना रुके घपाघप तेज धकके पेले जा रहे थे ।

मा दर्द और मजे से सिस्कती रही - अह्ह्ह्ह आह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं उम्म्ंं ऐसे ही अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ माआ जल रहा है अह्ह्ह बाऊजीईईई अह्ह्ह

नाना मा की तडप देख कर और पागल होने लगे और वो खुद झडने के करीब थे उनका लण्ड और भी तपने लगा था

नाना इत्नी देर पहली बार कुछ हाफ्ते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी बस थोडा और ,,बसस्स्स थोडा

फिर नाना ने अपनी सासो को थामा और जोर के धक्के ल्गाने लगे । जिससे मा का पुरा जिस्म हिल्कोरे मा रहा था और तेज एक सुर की थपथप से कमरा गूजने ल्गा

तभी नाना चिखे और फटाक से लण्ड मा की चुत से बाहर निकालते हुए - ओह्ह्ह बेटी मै आ रहा हू , मै आ रहा हू

मा का मानो पुरा बदन ही टुट रहा था और वो नाना के छोडते ही पेट के बल बिसतर पर गिर गयी
वही नाना भी एक कदम आगे बढे - अह्ह्ह बेटी अह्ह्ह मेरी रागु अह्ह्ह मै आ रहा हू

नाना ने तेजी से अपना लण्ड मुठियाना शुरु किया और सारा माल मा की गाड और कमर पर गिराने लगे और अच्छे से झाड़ कर हाफते हुए मा के बगल मे बैठ गये ।

मा अभी भी वैसे ही लेटी रही जबकि नाना एक हाथ से मा के पीठ को सहला कर मुस्कुराते हुए अपना दुलार दिखा रहे थे ।
मै भी यहा दुबारा झड़ गया था और मा की स्थिति देख कर मुझे नही लग रहा था कि वो उठ कर मेरे पास आयेगी और मेरे साथ फिर से चुदवा पायेगी ।

मैने किचन से एक खराब कपडा लिया और दरवाजे के पास गिरे माल को पैर से रगड़ कर साफ किया और स्तूल को उसकी जगह रखा ।

फिर एक नजर कमरे मे मारा तो देखा कि मा ने वो तौलिया कमर मे लपेट लिया है और नाना के कन्धे पर सर रख कर बैठी है और नाना भी उन्के कन्धे मे हाथ डाल कर दुलार कर रहे है ।

मै अपनी योजना की कामयाबी और मा की खुसी पर मुस्कुराया और आ गया अपने कमरे मे ।

जारी रहेगी
Mast update mitr
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Bahut hi behatreen update.. aur Akhir aapne super ka seedha prasaran karwa hi diya...
Kafi romanchak maqaabla tha dono hi taraf se kafi acha khel khela gaya ek ke baad ek kafi ache shot dekhne ko mile... Nana ne apani beti ki pich par kafi dhuandhar ballebaji ki par ant mein apana wicket apani beti ko dekar dharashai ho gaye...
Darshakon ka bharpur manoranjan hua khas kar unka jo bina ticket liye stool laga kar taak jhaank kar rahe the.
Baki log to apane balle aur ball ko sahlate nahi thak rahe the..
Aasha hai isi tarah ke super over aur dekhne ko milenge..

Bahut hi umda update
Thnkss bhai ji dekhate h age kya hoga

😍😍😍
 
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