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Incest पुरा परिवार हवस का शिकार

कहानी का हीरो आप किसे समझ रहे हो ??


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Prince_007

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शाम हो चली थी सुरेश दुकान पे चला गया और उधर से बरखा घर के लिए निकल गयी । घर पे सब मस्ती मज़ाक में लगे थे ।तभी बरखा और राहुल दरवाजे पे टकरा गये।बरखा ने राहुल को देखा तो उसको उसका चमकदार लंड याद आ गया।
थोड़ी देर आराम करने के बाद बरखा बोली बाज़ार चलना हैं दिवाली का समान लेने कौन चलेगा ।
" मम्मी मैं चलता हूँ ।राहुल ने बरखा को देख के कहा ।
" ठीक है बेटा तैयार हो जा थोड़ी देर में चलते हैं ।

बरखा बोलकर अपने कमरे में चली गयी ।कुछ समय के बाद गरिमा भी आ गयी और चाय पीकर राहुल और बरखा बाज़ार के लिए निकल गये इधर गरिमा किचन में खाना बनाने लगी साथ में आयेशा भी सहयता करने लगी ।रोहन निधि और आरोही के साथ बैठकर टीवी देखने लगा। रोहन की नज़र बार बार निधि और आरोही को ही देख रही थी ।


**************
पुरा बाज़ार रंगबिरंगी लाइटों से जगमगा रहा था । चारों तरफ घरों की सज़ावट का सामान लेकर रेरी पे खड़े थे और दुकाने भी देखने लायक थी ।
दिवाली की रौनक़ का मज़ा तो बाज़ारो और दुकानों को देखने में ही हैं ।राहुल और बरखा भी बाज़ार की भीड़ भाड़ को पार करते हुए सामान देखते हुए खरीददारी कर रहे थे ।

" बेट तु यही रुक मैं आती हूँ । बोलकर बरखा एक दुकान में चली गयी ।

राहुल ने देखा तो उस दुकान में बहुत भीड़ थी जिसे देख उसका मन बिल्कुल नही हुआ जाने का वो बहार ही खड़ा होकर देखने लगा । उसकी माँ किसी समान का रेट पूछ रही थी तभी राहुल की नज़र बरखा की गदराई हुई बड़ी से गांड पे गयी ।जो अलग ही उभरकर बहार हो आ रही थी ।राहुल ने जैसे ही देखा उसके जिस्म में कुछ अजीब सा हुआ । कुछ ही देर में बरखा ने सामान खरीद लिया और मुड़ के अपने बेटे को देखी जो उसको ही घूर रहा था उसको समझते देर नही लगी और हलके से मुस्कुरा दी । खरीददारी करके दोनों घर के लिए निकल गये ।

इधर गरिमा और आयेशा भी खाना बना के टीवी देखने लगी ।तब तक रोहन ,आरोही और निधि छत पे चले गये थे।
तीनों ही छत से रंगबिरंगी लाइटों को देख रहे थे । तभी आरोही बोली ।

" दीदी दिवाली पे पटाखें नही जलाएंगे क्या ??
" पता नही अभी तक तो कोई लेकर आया नही हैं निधि ने जवाब दिया ।
" पटाखें आ जाएंगे रोहन ने निधि की चूचियों को घूरते हुए कहा ।

इधर बरखा और राहुल घर पहुंच के आराम करने लगे ।तभी बरखा बोली ।
" उफ्फ्फ...कितनी भीड़ थी उसने साड़ी का पल्लूँ को अपने सीने से हटा के बोली ।
गरिमा ने पानी का गिलास दिया और बरखा पानी पीने लगी और थोड़ा सा पानी पीते हुए उसके मुँह से गिर गया और सीधा उसकी चूचियों पे जा गिरा । तभी राहुल की नज़र अचानक ही अपनी माँ की छाती पे गयी। बरखा ने आज टाइट ब्लाउज पहना था जिससे उसके उभार एक मस्त आकार में बहार को आ रहे थे । और ऊपर से बड़े गले का ब्लाउज और भी कहर ढा रहा था उसके जिस्म पे , ऐसा लग रहा था की उसकी चूचियों को जबरदस्ती कैद करके रखा गया हैं।। राहुल की नज़र सीधा उसकी चूची पे जा रुकी । पानी के गिरने से चूचियों के बीच की दरार में एक चमक आ गयी थी । जिसे देख राहुल का लिंग हरकत करने लगा । वैसे तो राहुल ने बहुत बार अपनी माँ की चूची को देखा था पर वो सब बस सामान्य था पर आज वो एक बेटे की नज़र से नही एक मर्द की नज़र से देख रहा था अपनी ही माँ के चुचे उसको उत्तेजित कर रहे थे । बरखा पानी गिलास रखी और राहुल पे नज़र डाली तो उसकी नज़रो को पीछा किया और एक दम से मुस्कुरा दी जिसे देख राहुल शर्म से लाल हो गया और उठकर अपने कमरे में चला गया ।


*********

" दीदी मैं देख के आती हूँ भईया और मम्मी आये की नही और आरोही निचे चली गयी । उसके जाते ही रोहन ने निधि की गांड को आहिस्तें से छु लिया जब निधि को एहसास हुआ तो उसने रोहन को देखा तो वो एक कमीनी मुस्कान लिए उसको देख रहा था। वो कुछ नही बोली और मुस्कुरा के रह गयी । रोहन निधि के और करीब आ गया और उसकी गांड की दरार में एक ऊँगली फंसा दी जिससे निधि को चिहूँक गयी अचानक हुए ऐसे एहसास से वो रोहन को गुस्से से देखने लगी । कुछ सेकंड के लिए रोहन की साँसे भी थम गयी थी ।पर निधि की तरफ वो कुछ ना होता देख वो मुस्कुरा दिया ।
" ये सब ठीक नही हैं रोहन ,निधि ने एक हलकी आवाज़ में बोली ।
" क्यों ठीक नही हैं निधि दीदी मैं जानता हूँ आपको भी मज़ा आता हैं मेरे इस तरह छूने से ।
" रोहन किसी को पता चल गया तो निधि बोल के चुप हो गयी ।
" किसी को कुछ भी पता नही चलेगा उसने निधि की गांड पे हाथ रखते हुए कहा ।
तभी किसी को आता हुआ महसूस करके रोहन निधि से दूर हो गया ।

" चलो खाना खा लो पापा को आने में देर हो जाएगी गरिमा बोल के चली गयी । कुछ देर के बाद निधि और रोहन भी निचे चल दिये ।
इधर राहुल अपनी लाडली को मानने में लगा हुआ हैं।


" अच्छा माफ़ कर दे मेरी गुड़िया बोल क्या चाहिए मेरी आरोही को ,
" कुछ भी नही चाहिए जाओ आप मुझे प्यार नही करते हो । आरोही मुँह बनाते हुए बोली ।

राहुल ने आरोही को अपनी बाहों में भर लिया और उसके गालों पे एक चूमा लेकर बोला ।

" बोल मेरी गुड़िया क्या चाहिए चल अभी चलते हैं।
" आप गंदे हो मुझे कुछ नही चाहिए मुझे बस अपने भईया
का प्यार चाहिए जो अब आपने उस निशा को दे दिया ।
"अच्छा जी तो निशा से जलन होती हैं ?
" क्यों ना हो ।

आरोही ने जोर से राहुल को अपनी बाहों में दबोच लिया जिससे उसके नाजुक चुचे राहुल की छाती में दब गये और एक अलग ही एहसास दोनों के जवान जिस्मों में भर आया ।दोनों इतने करीब थे की एक दूसरे की साँसे उनको महसूस हो रही थी । आरोही का दिल जोरो से धड़क रहा था । मन और जिस्म में एक अलग ही उमंग जन्म लेने लगा था की तभी एक आवाज़ उनके कानों में गयी ।
दोनों ने एक साथ देखा तो सामने आयेशा खड़ी थी जो एक कमीनी मुस्कान लिए बोली ।
" क्या बात है भाई बहन में इतना प्यार उफ्फ्फ...पुरा कमरा गरम हो गया हैं ।

ये सुन आरोही शर्म से लाल हो गयी और भाग गयी ।इधर राहुल भी ये सुन के मुस्कुरा दिया । इतने में निधि भी आ गयी । कुछ देर ऐसे ही मस्ती मज़ाक हुआ फिर मिलकर सब ने खाना खाया और आराम करने चले गये ।


***************

अचानक ही आयेशा की आँख खुल गयी वो समय देखी तो 3:15 मिनट हो रहे थे । वो उठी और निचे चली गयी ।तभी उसे सुरेश दिखाई दिया जो हॉल में इधर उधर टहल रहा था । इधर सुरेश के मन में एक उथल पुथल चल रही थी । जी हाँ सुरेश आज दिन में हुए निधि ,आयेशा के बारे में सोच रहा था और साथ ही अपनी छोटी बेटी आरोही के बारे में भी की तभी आयशा को आता देखा ।

" क्या हुआ बेटा नींद नही आ रही हैं ?
" फूफ़ा जी आप कब आये ।
" पहले ये बताओ तुम क्यों जाग रही हो ।
" फूफ़ा जी आँख खुल गयी तो सोचा किचन में जाकर देखूँ बहुत दिनों से खेल नही देखा ना अपने होठो पे जीभ घुमा के बोली ।

" ये सुनते ही सुरेश समझ गया की किस खेल की बात हो रही हैं । एक हलकी घबराहट के साथ वो बोला कौन सा खेल आयेशा ?
" फूफ़ा जी कोई रात में खेल खेलता हैं बहुत अजीब खेल हैं ।
" तुम जानती हो वो खेल क्या हैं ।
" ज़्यादा अच्छे से तो नही जानती फूफ़ा जी पर एक जंगल में एक गुफा है उस गुफा तक पहुंचना होता हैं।

" कैसी गुफा और किसी पहुंचना होता हैं अब सुरेश भी मज़े लेता हुआ बोला ।
" कोई अली बाबा है उसे गुफा तक पहुंच के खुला जा सिम सिम बोलना होता हैं ।फिर उस गुफा का भ्रमण करना होता हैं ।
" ये अली बाबा गुफा में क्यों जाता हैं ?
" ये तो पता नही फूफ़ा जी पर खेल ही यही हैं । पर मुझे लगता हैं उसका जन्म ही गुफा तक जाने के लिए होता हैं ।
" अच्छा ये गुफा कहा हैं चलो मुझे भी खेलना हैं ये खेल ?
" सोच लो फूफ़ा जी गुफा तक जाने से पहले जंगल मिलेगा फिर खुला जा सिम सिम करना भी आना चाहिए ।




To Be Continued by prince.....
 
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