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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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bhai mahanubhav toh aap ho galti kardi comment karke..!!
Bhai naraj n ho

Apki marji h ap comment kare ya na kre
Apko apni bat rakhne ka hak hai
Lekin is kahaani me hero koi hai hi nhi
Bs iska narretor raaj ko bnaya gaya hai .
Aur raaj ke pita bhi is kahani me lead rol me hai

Waise kaafi sari kahaniya hai xf par
Agar nhi jamti to koi dikkt nhi h dost
Sabko ek kahani se khush nhi kar sakta mai
Sorry if I'm hurt you man


Enjoy your time .
 

A.A.G.

Well-Known Member
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Bhai naraj n ho

Apki marji h ap comment kare ya na kre
Apko apni bat rakhne ka hak hai
Lekin is kahaani me hero koi hai hi nhi
Bs iska narretor raaj ko bnaya gaya hai .
Aur raaj ke pita bhi is kahani me lead rol me hai

Waise kaafi sari kahaniya hai xf par
Agar nhi jamti to koi dikkt nhi h dost
Sabko ek kahani se khush nhi kar sakta mai
Sorry if I'm hurt you man


Enjoy your time .
maine toh aise hi bolata lekin mera bolna aapko jama nahi....maine kahani padhi hai muze malum hai ki kahani kaisi hai..lekin thik hai aapko reader ki insult karna achha lagta hai toh👍👍..!!
 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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maine toh aise hi bolata lekin mera bolna aapko jama nahi....maine kahani padhi hai muze malum hai ki kahani kaisi hai..lekin thik hai aapko reader ki insult karna achha lagta hai toh..!!
Nhi dost

Hasi majak krne ki adat h meri
Sbse karata hu
Ek to phli bar commnt kiye wo v direct changes ke liye
Ap pahli bar mukhatib hue ho na esiliye aisa lga apko

Baki jo jante h wo bura nhi mante dost
 

A.A.G.

Well-Known Member
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Nhi dost

Hasi majak krne ki adat h meri
Sbse karata hu
Ek to phli bar commnt kiye wo v direct changes ke liye
Ap pahli bar mukhatib hue ho na esiliye aisa lga apko

Baki jo jante h wo bura nhi mante dost
maine pehli baar coment kiya kyunki maine abhi 2-3 din me kahani padhi isliye..aur bhai kahani aapki hai mere kehne pe thodi aap changes karoge..baki kuchh nahi aap khush rahe..!!
 

TharkiPo

I'M BACK
Not Activated
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159
UPDATE 93



चाचा के यहा से वापिस आने के बाद हमने थोडा आराम किया फिर शाम को पापा आये तो उनके साथ थोड़ी बातचित हुई आगे की तैयारियो को लेके ।
रात मे खाना खाकर हम सो गये ।
दो दिन का समय बीता और सारी तैयारियाँ खतम हूई ।

उस दिन बडे सवेरे से घर मे खटपट शुरु थी खास कर मा की जो पापा को बार बार आवाज दे रही थी तैयार होने के लिए जबकि पापा कल रात मे व्यापार मंडल की एक देर रात तक हुई मिटिंग से थोडे थके थे हाल मे सोफे पर सो रहे थे ।
लेकिन मा की डाट सुन कर कि अभी थोडी देर मे चाची और निशा आने वाले है तो वो जल्दी जल्दी तैयार होने कमरे मे गये ।

मै भी 9 बजे तक तैयार होकर आ गया , हाल के चाची बैठी उनके बगल मे पापा , मा किचन मे थी और निशा शायद उपर गयी थी सोनल के पास

अनुज कही दिख नही रहा था
मै तैयार होकर बाहर आया और चाची को नमस्ते किया ।

मेरी नजर चाची पर गयी तो देखा की आज मा और चाची दोनो ने एक ही रंग की गाजरी साड़ी पहन रखी है और पैटर्न भी लगभग मिलता जुलता था ।
मै भी हाल मे बैठा था

यहा पापा और चाची आपस मे बाते कर रहे थे लेकिन पापा की नजर चाची की लो कट ब्लाउज मे उनकी घाटी की लकीर पर तो कभी उनकी चिकनी पतली कमर पर थी । जिसे चाची भी बखूबी समझ रही थी

मै एक बार अपना गला साफ करने के नाटक मे हुउह्हुहू किया और पापा मुझे देखे


पापा ह्स कर - तैयार हो गया बेटा
मै ह्स कर - हा पापा
मै - और चाची अकेली आई हो , निशा दीदी कहा है


चाची हस कर एक बार तिरछी नजर से पापा को देखा और बोली - हा बेटा वो उपर गयी है सोनल के पास

मै - पापा ई - रिक्शा कब तक आयेगा
पापा - बेटा वो तो आ जायेगा 10बजे तक

फिर मा किचन से आई और कुछ नासता किये हम लोग फिर सोनल भी तैयार होकर आई

वो एक ethnic मोर्डन प्लाजो कुर्ती पहने हुई थी जो बहुत ही सुन्दर लग रहा था उसपे ।
मा तो देखते ही पहले उसके पास गयी और नजर उतारा उसका और फिर हम थोडा बात किये फिर ये हुआ कि चारो लेडीज एक ई-रिक्से मे और मै अनुज पापा के साथ एक ई-रिकशे मे बैठ जाये ।

घर से निकलने से पहले ही पापा ने अमन के चाचा को फोन करके बता दिया की हम लोग 10 मिंट मे पहुच रहे है ।

सवा 10 बजे तक हम सब अमन के यहा पहुच गये ।
फिर सारे लोग उतरे और मेन गेट से अन्दर गये ।

दरवाजे पर ही अमन खड़ा था हो पहले पापा मम्मी के फिर चाची के पैर छुआ और फिर मुझसे हाथ मिलाया । फिर सबको अन्दर बोला
इधर पापा मम्मी चाची और मै अनुज के साथ आगे हुए की
निशा ने उसे हाय बोला और वो भी मुस्कुरा कर हाय जी बोला

तो सोनल उसके हाथ मे कोहनी मारते हुए बोली - हा उसी से मिल लो कर लो शादी मै जा रही हू

अमन दबी हुई आवाज मे सोनल के कान मे - अगर भागी तो सबके सामने उठा कर अन्दर ले जाऊंगा

सोनल थोडा सहम गई और मुस्कुरा कर चलने लगी ।
फिर हम सब अन्दर हाल मे गये ।


जहा अमन के पापा मुरारीलाल , उसकी मा ममता देवी और उसके चाचा मदनलाल खडे थे ।

मदनलाल ने अगुआई कर सबका एक दुसरे से परिचय करवाया और फिर सोनल और निशा ने उन तीनो के पैर छुए ।
फिर मैने और अनुज ने भी वहा उन सबके पैर छुए ।

फिर हाल मे एक एक बड़े सोफे पर एक तरफ पापा मम्मी और बीच मे सोनल बैठी , वही मा के बगल मे लगे हुए सोफे पर निशा चाची और अनुज बैठे ।
सामने एक तरफ अमन के चाचा पापा और अमन थे ।
अमन के बगल मे एक सिंगल सोफे पर उस्की मा बैठी थी ।
मै भी एक सिंगल सोफे पर बैठ गया ।

थोडी देर मे ही एक नौकर ट्रे मे पानी लेके आया
फिर हम सब ने चाय नाश्ता शुरु किया और फिर वही आपसी जानकारी को साझा किया जाना शुरु हुआ कि कौन क्या करता है , आगे क्या करना है ।

थोडी देर बाद अमन की मा बोली
जो एक अकसर अपने बदन को ढकने के लिए ढीले कपडे ही पहनती थी लेकिन आज उन्होने हल्के गुलाबी रंग की साडी पहनी थी और काफी खुबसुरत दिख रही थी ।
पापा मम्मी चाची सबने उनको काफी बार गौर से देखा तो वो थोडा हिचक रही थी अपने आप से, मानो हम उन्ही को देखने आये हो ।
वही अमन के पापा मुरारीलाल काफी शांत और खुशमिजाज इन्सान थे
हालकी उनका कद भी ठीकठाक था लेकिन अपने छोटे भाई मदनलाल की तुलना मे कम क्योकि मदनलाल आर्मी रिटायर था और शहर मे बैंक में जॉब भी करता था ।
ममता मेरी मा से - आओ बहन जी थोडा हम लोग अन्दर चलते है इनलोगो को बाते करने दिजीये

फिर सोनल की ओर देख कर - आओ बेटी तूम भी

फिर सोनल निशा को भी अपने साथ ले गयी तो चाची अकेले क्या करती मर्दो के बीच , तो वो भी निकल गयी अन्दर ।

फिर मै पापा के पास बैठ गया और थोड़ी शादी की तैयारियो लेके बाते हुई और तय हुआ कि एक दो दिन मे पांडित जी से बात कर सगाई के लिए कोई एक मुहूर्त इसी महिने के आखिर के दिनो तक करवा लिया जाय ।

उधर अमन के पिता की पूरी कोशिश थी कि सगाई वो अपने यहा ही करवाना चाहते थे लेकिन फिर काफी जद्दोजहद के बाद हुआ कि सगाई चमनपुरा के शिव मंदिर मे होगी और शादी हमारे नये घर से होगी ।


समय बीता और थोड़ी देर बाद पापा को पेसाब जाने की इच्छा हुई तो मदनलाल ने उन्हे हाल से लगे अन्दर एक तरफ भेज दिया और वो वापस आये तो मेरे चेहरे के भाव पढने लगे क्योकि इच्छा तो मेरी भी थी कि थोडा फ्रेश हो । चुकी अमन के पापा ने खातिरदारि भरपुर की थी और समय समय चाय नासता ठण्डई की सारी व्यवस्था की थी ।

मदनलाल हस कर - अरे राज बेटा तुम भी चले जाओ थोडा फ्रेश हो लो और छोटे भाई को भी लिवा लो

अनुज ने तुरंत मना कर दिया तो मै उठा और झट से उसी तरफ गया जहा पापा गये थे ।
अन्दर एक तरफ जाने के बाद पीछे एक तरफ 3 बाथरूम था जहा कही भी जा सकते थे तो मुझे एक दरवाजा खुला दिखा तो मै फटाक से दरवाजा खोल कर घुसा और तेज धार मारने लगा और फिर एक गहरी सास ली ।
फिर बाहर आया तो पापा बेसिन के पास मिल गये

पापा - बेटा तुझे जम रहा है ना ये रिश्ता
मै खुशी से - हा पापा , ये लोग बहुत अच्छे है और फिर दीदी भी तो यही करना चाहती है


पापा ने हाथ धुला और मैने भी फिर मैने एक दो नजर आस पास मारा और कमरे देखे , बगल से एक सीढि थी उपर जाने के लिए
घर बहुत ही अलिशान था बड़ा भी लेकिन अब तक इसमे कुल मिलाकर 4 लोग ही रहते थे और दो नौकर थे वो दोनो भी पति पत्नी थे और काफी समय से घर मे रहते थे तो मुरारीलाल उनको कभी बाहर का नही समझा ।

मै वापस हाल की ओर गुजर रहा था कि मुझे एक कमरे मे चहल पहल सुनाई दी , वो महिला मंडल की ही थी । भई शादी को लेके उनकी अपनी तैयारी होती है ।

खैर मै वापस आया और थोड़ी देर बात हुई। फिर शगुन का लेन देन हुआ और फिर दोपहर के खाने के बाद 2 बजे तक हम सब निकल गये वापस चौराहे पर ।
वापस आने के समय इस बार सोनल निशा मै और अनुज एक साथ थे । वही पापा मा और चाची के साथ थे । चुकी उनको जिज्ञासा थी की आखिर क्या बाते हुआई होगी अन्दर ।
मा के मुकाबले चाची ने साड़ी काफी बोल्ड तरीके से पहनी थी जिससे पापा का ध्यान बार बार चाची के मुलायम पेट और नाभि पर जा रहा था जो पल्लू की आड़ मे हवा से बार बार अपनी झलक दिखा रहा था ।

खैर हम 10 मिंट बाद आ गये अपने चौराहे वाले घर और फिर मा चाची को लेके अपने कमरे मे गयी , निशा और सोनल उपर गये । वही अनुज भी उपर चला गया ।
मै जानता था कि ये लोग क्यू भाग रहे है ।
महिला मंडल इसिलिए भाग रहा था कि वो लोग वहा वाशरूम नही यूज़ कर पाये थे क्योकि उसके लिए उनको मर्दो के सामने से मेन हाल के दुसरी तरफ जाना पडता था
वही अनुज रास्ते मे जीन्स पहनने की वजह से परेशान था ।
मै आराम से उतरा और अन्दर आया फिर अपने कमरे मे गया । और कपड़े बदलने लगा ।
उधर पापा ने तो आरामदायक कपड़े पहने थे तो उनको दिक्कत नही थी ।वो भी रिक्से वाले का हिसाब कर अन्दर आये ।

मै कपडे बदल कर हाल मे आया तो पापा के कमरे से मुझे कुछ हसने की आवाजे आ रही थी और ये हसी मा की ही थी ।

मै भी बड़ी उत्सुकता से कमरे मे घुसा तो देखा कि एक तरफ चाची शर्म से लाल हुई खड़ी है और पापा सोफे पर बैठ कर सर पर हाथ रख अपनी हसी दबा कर हस रहे है ।

मा सामने बेड पर हाथ मे तौलिया लिये हस्ते हुए बैठी थी । उसके भिगे चेहरे से साफ पता चल रहा था की अभी अभी वो फ्रेश होकर आई है ।

लेकिन माजरा कुछ समझ नही आ रहा था मुझे

मै हस के मा से - क्या हुआ मा आप लोग ऐसे क्यू हस रहे हो

मा हस कर पापा की ओर देखा और फिर चाची की ओर जहा चाची ना मे इशारा कर बताने से मना कर रही थी ।

मै ह्स कर - मा प्लीज बताओ ना क्या हुआ
मा - बेटा तेरे पापा ,,,,,हिहिहिहिहिही हाहहहहा

मै ह्स्ते हुए - अरे हिहिही बताओ तो प्लीज , पापा आप ही बताओ ना

पापा अपनी तरफ बात घूमता देख कर थोडा शांत हुए और एक नजर चाची से आंखे मिलाई तो चाची मुस्करा कर ना मे सर हिलाई तो पापा थोडा सोचते हुए बोले - वो वो कुछ नही बेटा वो बस ऐसे ही हसी मजाक हो रहा था ,, वो हम बड़ो के मतल्ब की है तू नही समझेगा

मै समझ गया कि पापा चाची की वजह से नही बोल रहे है
पापा इस झमेले मे फसना नही चाहते थे तो वो बोले - रागिनी मै दुकान जा रहा हू , शाम को आता हू ।

मा हस्ते हुए - हिहिहिहिह जाईये जाईये ,,

फिर पापा भी एक नजर चाची को देख कर निकल गये बाहर

मै हस कर - अरे अब तो बताओ कोई क्या बात है

मा ह्स कर - बेटा वो बात ये थी कि हम सब अमन के यहा से आये तो हम दोनो को पेसाब लगी थी
मा एक नजर चाची को देखती है जो इस वक़्त अपना माथा पीट रही होती है - ओहो रहने दो ना दीदी प्लीज

मा हस कर - अरे जब कांड कर लिया फिर क्या शर्माना हिहिहिही

मै हस कर अचरज से - काण्ड मतलब
मा हस कर - बेटा जब हम दोनो अन्दर आये तो तेरी चाची मेरे से पहले ही अन्दर बाथरूम मे चली गयी और जल्दी से बाहर आई और फिर मै भी जल्दी से अंदर घुस गयी ।

और फ्रेश होकर बाहर आती हू तो देखती हू कि तेरे पापा तेरी चाची को मुझे समझ कर पीछे से पकडे हुए थे और जैसे ही सामने मुझे देखा तो चौक गये । हिहिहिहिही


मै मा की बाते सुन कर चाची के सामने थोडा शर्माने का नाटक किया और बात को आगे ना बढ़ा कर वही पर खतम कर दिया क्योकि मुझे इसकी फुल डिटेलिंग मा से बाद मे लेनी थी ही ।

मै - अच्छा तो पापा ने गलती से चाची को मम्मी समझ लिया हिहिही ,,,अरे कोई बात नही हो जाता है और आज आप दोनो ने सेम रंग की साडी पहनी थी तो कोई भी उलझन मे आ सकता था ।

चाची मेरी समझदारि भरी बात से काफी प्रभावित थी और फिर हम तीनो हाल मे आये ।

मा हमारे लिए पानी लेने किचन मे गयी ।
चाची मुस्कुरा कर - हम्म्म अब तो तू काफी समझदार हो गया है रे ,,,
चाची मेरे करीब आकर कान मे फुसफुसा कर - अब तो नही जाता ना उस मुहल्ले मे

मै चाची की बाते सुन कर उस दिन की यादे ताजा कर ली जब मै रुबीना को चोद कर निकला था और रास्ते मे चाची ने देख लिया था और उस दिन मेरा लण्ड चूसा था ।
और फिर मै घर के कामो मे इतना उलझा की चाची से फिर दे मेलजोल करने का मौका ही नही मिला । वो यादे ताजा होते ही मेरे लण्ड को झटके आने शुरु हो गये और लोवर मे तनाव होने लगा ।

चाची की नजर भी एक बार मे उसपे गयी तो वो हसने लगी
मै शरमाने की अदा से - नही चाची आप मना की थी तो मै नही जाता हू वहा , लेकिन

फिर एक उम्मीद भरी मासूम नजरो से चाची को देखता हू कि चाची मेरे जज्बात समझ ले और फिर से मुझे अपने मुखमैथुन का मजा देदे तो मै खुशी से पागल ही हो जाऊ ।


चाची इतरा कर भौहे उठाते हुए - लेकिन क्या बेटा, तुझे कोई दिक्कत तो नही
और चाची ने अपना एक हाथ मेरे जांघ पर रख दिया जहा उंगलियो से महज कुछ इन्च पर मेरे लंड सुपाडा था ,,, अगर चाची अपनी छोटी वाली ऊँगली को स्ट्रेच भी करती तो भी मेरा सुपाडा छू सकती थी ।


चाची का हाथ जांघ पर पाते ही मै सिहर गया और कपकपी सी होने लगी , मेरी जुबान लड़खड़ा रही

अगर ये सब हम दोनो कही बंद कमरे मे करते तो मै हावी होता लेकिन यहा बाकी लोगो के हाल आने का डर था और सबसे ज्यादा अनुज के निचे आने का


मुझे उलझन मे देख चाची ने अपने नुकीले नाखून वाले पंजे से मेरी जांघो को कचोटा और बोली - क्या हुआ बेटा

मै सिस्क उठा और बोला - क क क कुछ कुछ नही ,कुछ नही चाची

चाची - तो तू इत्ना घबरा क्यू रहा है
मै इशारे से चाची का हाथ दिखाया तो चाची ने हाथ वापस खिचते हुए - ओह्ह सॉरी दर्द हो रहा था क्या बेटा


मै राहत ही सांस लेते हुए थोडा खुद को confortable करते हुए एक शरारती मुस्कान के साथ - नही चाची , वो आप मुझे छुई तो वो फिर से बड़ा होने लगा था ।


चाची शर्मा कर हसते हुए - धत्त बदमाश कही का , मै चाची हू तेरी कोई गर्लफ्रैंड थोडी की तुझे ऐसा मह्सूस करवाउन्गी हिहिहिही

मै चाची के करीब आकर - तो बन जाओ ना , मुझे इधर उधर भटकना नही पडेगा

चाची अपनी गोल म्टोल सुरमई आँखों से मेरे आंखो मे देखते हुए बडे शरारती मुस्कान से बोली- सॉरी , आई हैव ए बॉयफ्रेंड
फिर वो खिलखिला कर हस दी

मै अचरज से और ब्ड़ी मासुमिय्त से मुह गिराते हुए - हुउह्ह आपका कौन है बॉयफ्रेंड

चाची हस कर - तेरे चाचा और कौन हिहिहिही
मुझे भी हसी आ गयी - तो क्या हुआ एक छोटा वाला बॉयफ्रेंड रख लो ना हिहिहिही

चाची हस कर इतराते हुए - उम्म्ंम्म् लेकिन मेरा क्या फायदा , सारे बॉयफ्रेंड वाले मजे तू ले लेगा मुझसे मिलेगा


मै भी शरारती अंदाज मे - मै भी अपनी गर्लफ्रेंड को अपनी दुकान से समान फ्री मे दे दिया करूँगा हिहिही
चाची थोडा खुद को और इतराया और बोली - सोच ले बहुत मह्गे casmetic items यूज़ करती हू मै ,, बहुत घाटा होगा तेरा

मै हस कर धीरे से बोला - वैसे मह्गे item से याद आया एक न्यू डिज़ाइन मे बढिया ब्रा आई , चलना अभी दिखाता हू


चाची मुह पर हाथ रखकर हसने लगी और बोली - चुप बदमाश कही का
इधर मै आगे बात बढाता की मम्मी किचन से हमारे लिए संड़वीच लेके आई


मै खुशी से - अरे वाह मा तबसे आप ये बना रही थी अंदर
मा हस कर - हा तुझे क्या लगा ,,,जा सबको बुला खा ले सब कुछ


फिर मैने आवाज देके सबको निचे हाल मे बुलाया और सबने नासता किया ।
और शादी को लेके काफी चर्चाये हुई । घर मे सब कैसा है कौन कौन है क्या है कया नही है । आगे क्या क्या करना है सब कुछ

फिर शाम को चार बजे के करीब चाची ने घर जाने की इजाजत मागी । तो मै भी मा को बोला - मा मै भी चाची के साथ जा रहा हू , दुकान खोल लूंगा

मा - हा बेटा ठीक रहेगा ,,,

फिर मै एक नजर चाची को देखा और मुस्कुराया बदले मे चाची ने आंखे दिखा के हस दी

फिर हम तीनो एक ई-रिक्शा लेके निकल गये ।
दुकान के पहले ही रिक्शा से उतर कर आगे आये तो मै बोल पडा - चाची अब आई हो तो लेलो जो लेना है

निशा अचरज से - क्या लेना है मा
चाची फस गयी थी कि क्या बोले - वो बेटा मुझे कुछ सामान चाहिये वही देख लू फिर आती हू ,,तू घर चल

निशा थोड़ा उलझी लेकिन मा की बात थोड़ी ना टाल सकती थी और जब तक वो वापस कुछ पुछती हम दुकान की ओर बढ़ गये और उसे घर की ओर जाना पडा ।

मै दुकान का मेन शटर ना खोल के साइड का दरवाजा खोल कर चाची को अंदर ले गया और दरवाजा बन्द कर दिया

चाची - कितना अन्धेरा है बेटा
मै झट से लाईट जला दी और चाची के पास खड़ा हो गया

वो थोड़ा झिझ्की - खड़ा क्या है दुकान खोल और मुझे वो न्यू वाली ब्रा दिखा जिसकी बात कर रहा है

मै झट से झुका और चाची के होठ चुस लिये
चाची एक पल को चौक गयी और मुझे झटक दिये
मै पागल सा होकर लोवर मे से फटाक से अपना तनमनाया लंड बाहर निकाल दिया

चाची थोडा पीछे हुई और बोली - ये क्या कर रहा बेटा तू
मै थोड़ा परेशान होने के भाव मे - चाची बहुत दुख रहा है आज प्लीज छोटा कर दो इसे

चाची हस के - अच्छा तो तू इसिलिए ब्रा का बहाना बना कर यहा लिवा आया था

मै हा मे सर हिलाया और उन्के सामने लण्ड का टोपा बाहर निकाला जो पुरा बौराया हुआ था ।
चाची बडी कामुकता से उसे निहार रही थी ।
मै लपक कर आगे बढ़ा और चाची के होठो को वाप्स मुह मे भर लिया ।
मेरे हाथ चाची के बदन पर रेंगने लगे वो भी बहुत गरम होने लगी थी ।
मै धीरे से उनकी साडी का पिन निकाला तो उनका पल्लु सीना छोड जमीन पर गिर गया और मै झट से उन्के थोडा बगल मे आया और अपना लण्ड उनकी नंगी कमर के पास रगड़ते हुए हाथ को उनकी 36C की चुचियॉ पर फेरा
चाची सिहर गयी और हाथ मे लण्ड को जकड़ ली
मै उन्के कान के पास दाँत गडाने लगा और जीभ फिराने लगा । वो गनग्नाई और लण्ड पर पकड मजबूत कर ली ।

मै उन्के चुचे को ब्लाउज के उपर से ही मिजते हुए कहा - ओह्ह चाची कितनी कडक चुची है आपकी अह्ह्ह

चाची सिहर गयी
मै उन्के गरदन चूमते हुए दोनो हाथो से उनकी चुची मिजते हुए एक हाथ निचे उन्के चब्बी पेट पर ले गया और नाभि मे ऊँगली फिरायि ।

फिर वही उन्ग्ली उपर लाकर अपने मुह मे लेके गिला करते हुए लार से लिपटे ऊँगली को वापस चाची की नाभि मे घुसा दिया

चाची सिहर - ओह्ह्ह बेता मै पागल हो जाऊंगी अह्ह्ह

मै - आप बहुत सेक्सी हो चाची , मै बचपन से अपके जिस्म का दीवाना हू ओह्ह ये कड़े म्म्मे बहुत मस्त है आपके

चाची सिहर - ओह्ह बेटा ऐसे मिजेगा तो अह्ह्ह मा उह्ह्ह ढीले हो जायेंगे वो अह्ह्ह मा

मै चाची के गाल काटते हुए उनके ब्लाउज़ खोलने लगा - क्यू चाचा नही मिज्ते है क्या ऐसे

चाची सिहर कर - ओह्ह नही बेटा मै मै मै अह्ह्ह आह्ह आराम से बेटा उफ्फ्फ्फ
मै खुले ब्लाउज के अन्दर ब्रा के उपर से एक चुची मिजते हुए - बोलो ना चाची ,,चाचा से नही मिज्वाती हो क्या ऐसे

चाची हाफ्ती हुई - अह्ह्ह नही नही बेटा,, मिज्वती हू ना लेकिन तेल से , उससे मेरे दूध कड़े रहते है

मै चाची की बाते सुन कर मै और पागल हो गया और जोश मे आकर एक हाथ बगल से चाची की बाई तरफ ब्रा मे घुसेड़ कर निप्प्ल को मरोड दिया

चाची गनगना गयी
मै झट से उनको घुमाया और हलोर कर ब्रा से उसी चुची को निकाला कर मुह ल्गा दिया

चाची खुद को सम्भाल्ते हुए मेरे सर को पकड कर बालो मे हाथ फेरने हुए सिस्कने लगी
मै झुक कर उनकी निप्प्ल को चुस्ते हुए जीभ से निप्प्ल की टिप को कुरेदने लगा

चाची पागल सी होने लगी और एक हाथ निचे कर लण्ड के सिरे को पकड कर भीचने लगी ।

मै झट से चाची को उठा कर बगल के रखे दुकान के एल-टाइप काउंटर पर बिठा दिया और जल्दी जल्दी उनका ब्लाउज ब्रा निकाल कर उनकी कडक चुचियॉ मे मुह को दफन कर दिया

आह्ह क्या गर्म कड़ी चुचिया थी
मै बारी बारी से एक चुची को मिज्ते हुए एक को चूसा
और फिर चाची को वही काउंटर पर लिटा दिया ।
चाची बस सिस्के जा रही थी
मै झट से उनकी साडी को उपर कर जांघो को फैलाया और अन्दर झाका तो गुलाबी रंग की पैंटी दिखी जो चाची के रस से भीगी हुई थी ।

मै झुक कर सिधा नाक को उन्के चुत के मुहाने पर ले गया और एक गहरी सास लेते हुए अपने होठ उस तप्ते चुत पर गीली पैंटी के उपर से रख दिया

चाची तडप कर पागल सी हो गयी और मै उनकी जांघो को जकड़ कर वापस से पैंटी के उपर से उनकी चुत पर अपने होठ घिसने लगा

चाची अपनी कमर पटकते हुए - ओह्ह लल्ल्ला उह्ह्ह उफ्फ्फ अराआअम्म् से आह्ह

मै उनकी जान्घे थामे जीभ को ल्पालप पैंटी के उपर से चला रहा था और बहुत ही मादक और चिपछिपी सी रस मेरे जीभ को छू रही थी ।

मैने बिना पैंटी को निकाले वही एक साइड से चुत के पास कप्डे को फैला कर थोड़ा किनारे किया और जीभ को ल्पलप चाची के चुत पर चलाने ल्गा

चाची की चुत पर बाल का एक रोवा तक नही था ,, मेरी जीभ बहुत ही आसानी से चुत पर घूम रही थी । वही चाची की हालत खराब थी क्योकि बार बार मेरी जीभ उन्के दाने को छेड़ रही थी और नतिजन चाची ने अपनी गाड ऊचका दी और मेरे सर को चुत के मुहाने पर दबा दिया
ऐसा करने से मेरा जीभ मेरे मुह मे अन्दर आ गया और मेरे उपरी होठ सीधा उन्के चुत के दाने पर थे और निचला होठ चुत के निचे के सिरे पर

वही चाची पुरे जोश से पागल होकर मेरे बाल नोचते हुए अपनी गाड उठाए मेरे मुह को अपनी चुत पर दर रही थी और भलभला कर झड़ रही थी ।
चाची का दबाव इतना तेज था मेरे सर पर , कि मै चाह कर भी नही हिल सकता था और उनकी चुत का पानी पिचपिच कर मेरे होठ से लग कर निचे जा रहा था । ना मै उनको सुरक सकता था ना जीभ निकाल कर स्वाद ले सकता था ।
ज्यो ही चाची ढीली पडी मै खुद को अलग कर एक गहरि सास ली और फटाक से मुह चाची के चुत मे ल्गा कर ल्पालप सारा बिखरा हुआ माल चाटने ल्गा ।

चाची फिर से पागल होने लगी ।
मै मलाई साफ कर खड़ा हुआ और चाची को देख कर हसने लगा ।
वो एक नजर मुझे देखी और फिर मुह फेर कर हसने लगी ।

मै चाची को पकड कर खीचा और पैर काउंटर के निचे लटकाया तो वो समझ गयी और वो साम्ने बैठी गयी
एक बार फिर मैने उन्के होठ चूसे और बोला - अब थोडा रहम अपने नये नवेले बॉयफ्रेंड पर भी कर दो

चाची बड़ी मादकता भरी मुस्कान और नशीली आँखो से देखते हुए धीरे धीरे काउंटर से अपने चुतड सरकाकर निचे उतरने और निचे आते ही मेरे थोड़े शांत हुए लण्ड को छुआ तो एक बार फिर से उसमे जान आ गयी ।

मै आंखे बंद कर सिहर गया और वो मेरे चेहरे के भाव पढती हुई बड़ी मधोशी से अपने चेहरे पर कामुकता के भाव लाते हुए मेरे लण्ड को जड़ से लेके उपर तक मुठिया रही थी ।

और थोड़ी ही देर मे ग्प्प्पुउउउच्च्च
एक ठण्डा और मखमली सा अह्सास । उन्के मुह की ठन्डी लार मेरे तपते लण्ड पर ऐसे मह्सूस हो रही थी मानो गरम तवे पर पानी के छींटे गिरे हो।

मै और भी ज्यादा सख्त मह्सुस करने लगा अपने लण्ड को
मेरी एडिया अकड कर उठने लगी मेरे चुतड के पाट सख्त होने लगे सारी नसो का खुन एक साथ मेरे लण्ड मे भरने लगा ।
सुपाडे का रंग अब और गहरा होने ल्गा ,,,लण्ड की नस नस फड़क उठी आज तक इतना तना मह्सूस ही नही किया था मैने

चाची के नाखून के खरोच मेरे लण्ड की चमडी पर मानो चिर देन्गे
उन्होने हौले से मेरे आड़ो को , जो कि कस कर अखरोट से कड़े हो गये थे उनकी थैली सिकुड़ गयी थी , अपनी मुलायम उंगलियो से छुआ और एक नुकीले नाखून से लण्ड के नीचले हिससे को खरोचते हुए सुपाडे तक ले आई
और उसी लम्बे रेड पोलिश वाले नाखून से मेरे सुपाड़े को निचे से थामे हुए मेरे आंखो मे देख्ते हुए अपने मुह के पास ले गयी

मै थूक गटक गया और जैसे ही उसने अपने जीभ की टिप मेरे सुपाडे के छेद पर रखी मै अपना सारा सबर त्याग दिया
पिछ्ले 5 मिंट से जो जोर मैने मेरे लण्ड के नीचले नशो को दिया वो छुट चुका था ,,, मेरे लण्ड की नस जो मेरे अमृत रस से भरी पड़ी थी वो मेरे बनाये बन्धन को एक तेज सैलाब के साथ तोड़ दी और एक भारी पिचकारी नुमा फब्बारा मेरे सुपाडे ने छोडा ,,, सीधा चाची मे मुह पर

मै चिखा कुछ दर्द से तो कुछ राहत से, कुछ मजे से कुछ तृप्ति से
ओह्ह्ह्ह चाचीईईईई - 3
पुरे तीन बार मेरे लण्ड ने भी अपनी भाषा मे तेज धारा से चाची को पुचकारा और चाची पूरी तरह रस से डूब गयी
मानो रसमलाई की तिकीया पर कल्छुल भर मलाई गिराई गयी हो

सब कुछ टपक रहा था और मैने भी लण्ड को मुथियाते हुए थोड़ा आगे जाकर लण्ड को निचोड़ा और उन्के गाल पर लण्ड को 4 बार पटक कर झाडा

चाची हस रही थी और मलाई उन्के दाँत को और सफेद कर रही थी ।
मैने खुद झुक कर गालो से रिस्ते मलाई को एक उंगलि से समेटा और वापस मुह मे डाल दिया ।

वो कुल्फी की तरफ मेरे ऊँगली को चुस गयी
फिर बाकी बचे टपके हुए रस को खुद ही बटोर कर चटोर गयी ।

मै वही काउंटर का टेक लेके खड़ा हो गया , चाची भी वही निचे बैठ गयी
हमारी नजरे मिली और हसी भी छूटी

मै एक बार नजर उठा कर इशारा मे पूछा कैसा लगा
उसने अपने ऊँगली चुसकर बता दिया कि कैसा लगा और हम फिर हसे ।

मै - तो चाची बाकी का बचा काम पुरा करे हिहिही
चाची ह्स कर - कर लेना बेटा, आऊंगी कभी फिर न्यू ब्रा लेने तब हिहिहिहिही

मै झड़ने के बाद बहुत खुश और तृप्त था तो मै भी उसने सहमती जताई

फिर हम उपर गये और फ्रेश हुए फिर मैने उनको एक अच्छी ब्रा गिफ्ट दी एज ए न्यू बॉयफ्रेंड

फिर वो चली गयी और मैने भी अपना दुकान खोला और काम करने लगा


जारी रहेगी
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मै सिर्फ तुम्हारा हू
चाची का जोबन

भेष जेठानी सा रचकर, पहुंची मैं जेठ के घर।
शगुन था भतीजी का, सजी मैं जैसे मेरा हो स्वयंवर।
ब्लाउज था छोटा ना संभाल पाया चूचियों का भार।
जिन्हें देख देख जेठ जी ने खूब टपकाई लार।

हुई शगुन की बात पक्की, पर चूत में मूत का हाहाकार।
टंकी खाली कर जो निकली, पिछवाड़े पर हुआ लोड़े का वार।
चौंकी में पलटी तुरंत, तो पाया जेठ ने ली बाजी मार।
समझ जेठानी मसल गया रे, मारे शर्म हुई लाचार।

भतीजा भी कुछ जेठ जैसा, जो मौके पर दे चौका मार,
आई थी जब भतीजा था, अब बन गया मेरा यार।
नई ब्रा से ललचाकर, ले गयो दुकान पीछे के द्वार।
होंठ चूसे ऊपर नीचे के, पियो दूध मेरो ब्लाउज उतार,
खूब चूस वायो गन्ना अपना, फिर मुंह पे मेरे मारी धार।

सबक सीख लिया मैंने, जेठ घर जाकर इस बार।
गांड और दूध ढक कर जाओ, जब ठरकी हों रिश्तेदार।


बहुत मनमोहक अपडेट दोस्त, रिश्ता सोनल का होने गया था और बन गया राज और चाची का और तो और चाची का मुंह मीठा भी करा दिया राज ने, वैसे रंगीलाल ने गलती से तो नहीं पकड़ा होगा पीछे से तो चाची की ज्यादा दिन खैर नहीं।
आगे के इंतज़ार में।।
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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चाची का जोबन

भेष जेठानी सा रचकर, पहुंची मैं जेठ के घर।
शगुन था भतीजी का, सजी मैं जैसे मेरा हो स्वयंवर।
ब्लाउज था छोटा ना संभाल पाया चूचियों का भार।
जिन्हें देख देख जेठ जी ने खूब टपकाई लार।

हुई शगुन की बात पक्की, पर चूत में मूत का हाहाकार।
टंकी खाली कर जो निकली, पिछवाड़े पर हुआ लोड़े का वार।
चौंकी में पलटी तुरंत, तो पाया जेठ ने ली बाजी मार।
समझ जेठानी मसल गया रे, मारे शर्म हुई लाचार।

भतीजा भी कुछ जेठ जैसा, जो मौके पर दे चौका मार,
आई थी जब भतीजा था, अब बन गया मेरा यार।
नई ब्रा से ललचाकर, ले गयो दुकान पीछे के द्वार।
होंठ चूसे ऊपर नीचे के, पियो दूध मेरो ब्लाउज उतार,
खूब चूस वायो गन्ना अपना, फिर मुंह पे मेरे मारी धार।

सबक सीख लिया मैंने, जेठ घर जाकर इस बार।
गांड और दूध ढक कर जाओ, जब ठरकी हों रिश्तेदार।


बहुत मनमोहक अपडेट दोस्त, रिश्ता सोनल का होने गया था और बन गया राज और चाची का और तो और चाची का मुंह मीठा भी करा दिया राज ने, वैसे रंगीलाल ने गलती से तो नहीं पकड़ा होगा पीछे से तो चाची की ज्यादा दिन खैर नहीं।
आगे के इंतज़ार में।।
:respekt:

बड़ी लम्बी चौडी व्यथा लिख दी भैया 😝
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
ऐसे ही जुड़े रहिये , कहानी का मजा दुगना हो जाया करेगा
 

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:respekt:

बड़ी लम्बी चौडी व्यथा लिख दी भैया 😝
बहुत बहुत धन्यवाद भाई
ऐसे ही जुड़े रहिये , कहानी का मजा दुगना हो जाया करेगा
सोचा की आपकी कहानी में आप ही के अंदाज़ में कुछ हो जाए, हां आप जैसा नहीं कर सकते फिर भी हिम्मत की।
साथ तो हमेशा ही रहेगा भाई चमनपुरा और चोदमपुर हैं ही कितनी दूर।
 

Naik

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UPDATE 93



चाचा के यहा से वापिस आने के बाद हमने थोडा आराम किया फिर शाम को पापा आये तो उनके साथ थोड़ी बातचित हुई आगे की तैयारियो को लेके ।
रात मे खाना खाकर हम सो गये ।
दो दिन का समय बीता और सारी तैयारियाँ खतम हूई ।

उस दिन बडे सवेरे से घर मे खटपट शुरु थी खास कर मा की जो पापा को बार बार आवाज दे रही थी तैयार होने के लिए जबकि पापा कल रात मे व्यापार मंडल की एक देर रात तक हुई मिटिंग से थोडे थके थे हाल मे सोफे पर सो रहे थे ।
लेकिन मा की डाट सुन कर कि अभी थोडी देर मे चाची और निशा आने वाले है तो वो जल्दी जल्दी तैयार होने कमरे मे गये ।

मै भी 9 बजे तक तैयार होकर आ गया , हाल के चाची बैठी उनके बगल मे पापा , मा किचन मे थी और निशा शायद उपर गयी थी सोनल के पास

अनुज कही दिख नही रहा था
मै तैयार होकर बाहर आया और चाची को नमस्ते किया ।

मेरी नजर चाची पर गयी तो देखा की आज मा और चाची दोनो ने एक ही रंग की गाजरी साड़ी पहन रखी है और पैटर्न भी लगभग मिलता जुलता था ।
मै भी हाल मे बैठा था

यहा पापा और चाची आपस मे बाते कर रहे थे लेकिन पापा की नजर चाची की लो कट ब्लाउज मे उनकी घाटी की लकीर पर तो कभी उनकी चिकनी पतली कमर पर थी । जिसे चाची भी बखूबी समझ रही थी

मै एक बार अपना गला साफ करने के नाटक मे हुउह्हुहू किया और पापा मुझे देखे


पापा ह्स कर - तैयार हो गया बेटा
मै ह्स कर - हा पापा
मै - और चाची अकेली आई हो , निशा दीदी कहा है


चाची हस कर एक बार तिरछी नजर से पापा को देखा और बोली - हा बेटा वो उपर गयी है सोनल के पास

मै - पापा ई - रिक्शा कब तक आयेगा
पापा - बेटा वो तो आ जायेगा 10बजे तक

फिर मा किचन से आई और कुछ नासता किये हम लोग फिर सोनल भी तैयार होकर आई

वो एक ethnic मोर्डन प्लाजो कुर्ती पहने हुई थी जो बहुत ही सुन्दर लग रहा था उसपे ।
मा तो देखते ही पहले उसके पास गयी और नजर उतारा उसका और फिर हम थोडा बात किये फिर ये हुआ कि चारो लेडीज एक ई-रिक्से मे और मै अनुज पापा के साथ एक ई-रिकशे मे बैठ जाये ।

घर से निकलने से पहले ही पापा ने अमन के चाचा को फोन करके बता दिया की हम लोग 10 मिंट मे पहुच रहे है ।

सवा 10 बजे तक हम सब अमन के यहा पहुच गये ।
फिर सारे लोग उतरे और मेन गेट से अन्दर गये ।

दरवाजे पर ही अमन खड़ा था हो पहले पापा मम्मी के फिर चाची के पैर छुआ और फिर मुझसे हाथ मिलाया । फिर सबको अन्दर बोला
इधर पापा मम्मी चाची और मै अनुज के साथ आगे हुए की
निशा ने उसे हाय बोला और वो भी मुस्कुरा कर हाय जी बोला

तो सोनल उसके हाथ मे कोहनी मारते हुए बोली - हा उसी से मिल लो कर लो शादी मै जा रही हू

अमन दबी हुई आवाज मे सोनल के कान मे - अगर भागी तो सबके सामने उठा कर अन्दर ले जाऊंगा

सोनल थोडा सहम गई और मुस्कुरा कर चलने लगी ।
फिर हम सब अन्दर हाल मे गये ।


जहा अमन के पापा मुरारीलाल , उसकी मा ममता देवी और उसके चाचा मदनलाल खडे थे ।

मदनलाल ने अगुआई कर सबका एक दुसरे से परिचय करवाया और फिर सोनल और निशा ने उन तीनो के पैर छुए ।
फिर मैने और अनुज ने भी वहा उन सबके पैर छुए ।

फिर हाल मे एक एक बड़े सोफे पर एक तरफ पापा मम्मी और बीच मे सोनल बैठी , वही मा के बगल मे लगे हुए सोफे पर निशा चाची और अनुज बैठे ।
सामने एक तरफ अमन के चाचा पापा और अमन थे ।
अमन के बगल मे एक सिंगल सोफे पर उस्की मा बैठी थी ।
मै भी एक सिंगल सोफे पर बैठ गया ।

थोडी देर मे ही एक नौकर ट्रे मे पानी लेके आया
फिर हम सब ने चाय नाश्ता शुरु किया और फिर वही आपसी जानकारी को साझा किया जाना शुरु हुआ कि कौन क्या करता है , आगे क्या करना है ।

थोडी देर बाद अमन की मा बोली
जो एक अकसर अपने बदन को ढकने के लिए ढीले कपडे ही पहनती थी लेकिन आज उन्होने हल्के गुलाबी रंग की साडी पहनी थी और काफी खुबसुरत दिख रही थी ।
पापा मम्मी चाची सबने उनको काफी बार गौर से देखा तो वो थोडा हिचक रही थी अपने आप से, मानो हम उन्ही को देखने आये हो ।
वही अमन के पापा मुरारीलाल काफी शांत और खुशमिजाज इन्सान थे
हालकी उनका कद भी ठीकठाक था लेकिन अपने छोटे भाई मदनलाल की तुलना मे कम क्योकि मदनलाल आर्मी रिटायर था और शहर मे बैंक में जॉब भी करता था ।
ममता मेरी मा से - आओ बहन जी थोडा हम लोग अन्दर चलते है इनलोगो को बाते करने दिजीये

फिर सोनल की ओर देख कर - आओ बेटी तूम भी

फिर सोनल निशा को भी अपने साथ ले गयी तो चाची अकेले क्या करती मर्दो के बीच , तो वो भी निकल गयी अन्दर ।

फिर मै पापा के पास बैठ गया और थोड़ी शादी की तैयारियो लेके बाते हुई और तय हुआ कि एक दो दिन मे पांडित जी से बात कर सगाई के लिए कोई एक मुहूर्त इसी महिने के आखिर के दिनो तक करवा लिया जाय ।

उधर अमन के पिता की पूरी कोशिश थी कि सगाई वो अपने यहा ही करवाना चाहते थे लेकिन फिर काफी जद्दोजहद के बाद हुआ कि सगाई चमनपुरा के शिव मंदिर मे होगी और शादी हमारे नये घर से होगी ।


समय बीता और थोड़ी देर बाद पापा को पेसाब जाने की इच्छा हुई तो मदनलाल ने उन्हे हाल से लगे अन्दर एक तरफ भेज दिया और वो वापस आये तो मेरे चेहरे के भाव पढने लगे क्योकि इच्छा तो मेरी भी थी कि थोडा फ्रेश हो । चुकी अमन के पापा ने खातिरदारि भरपुर की थी और समय समय चाय नासता ठण्डई की सारी व्यवस्था की थी ।

मदनलाल हस कर - अरे राज बेटा तुम भी चले जाओ थोडा फ्रेश हो लो और छोटे भाई को भी लिवा लो

अनुज ने तुरंत मना कर दिया तो मै उठा और झट से उसी तरफ गया जहा पापा गये थे ।
अन्दर एक तरफ जाने के बाद पीछे एक तरफ 3 बाथरूम था जहा कही भी जा सकते थे तो मुझे एक दरवाजा खुला दिखा तो मै फटाक से दरवाजा खोल कर घुसा और तेज धार मारने लगा और फिर एक गहरी सास ली ।
फिर बाहर आया तो पापा बेसिन के पास मिल गये

पापा - बेटा तुझे जम रहा है ना ये रिश्ता
मै खुशी से - हा पापा , ये लोग बहुत अच्छे है और फिर दीदी भी तो यही करना चाहती है


पापा ने हाथ धुला और मैने भी फिर मैने एक दो नजर आस पास मारा और कमरे देखे , बगल से एक सीढि थी उपर जाने के लिए
घर बहुत ही अलिशान था बड़ा भी लेकिन अब तक इसमे कुल मिलाकर 4 लोग ही रहते थे और दो नौकर थे वो दोनो भी पति पत्नी थे और काफी समय से घर मे रहते थे तो मुरारीलाल उनको कभी बाहर का नही समझा ।

मै वापस हाल की ओर गुजर रहा था कि मुझे एक कमरे मे चहल पहल सुनाई दी , वो महिला मंडल की ही थी । भई शादी को लेके उनकी अपनी तैयारी होती है ।

खैर मै वापस आया और थोड़ी देर बात हुई। फिर शगुन का लेन देन हुआ और फिर दोपहर के खाने के बाद 2 बजे तक हम सब निकल गये वापस चौराहे पर ।
वापस आने के समय इस बार सोनल निशा मै और अनुज एक साथ थे । वही पापा मा और चाची के साथ थे । चुकी उनको जिज्ञासा थी की आखिर क्या बाते हुआई होगी अन्दर ।
मा के मुकाबले चाची ने साड़ी काफी बोल्ड तरीके से पहनी थी जिससे पापा का ध्यान बार बार चाची के मुलायम पेट और नाभि पर जा रहा था जो पल्लू की आड़ मे हवा से बार बार अपनी झलक दिखा रहा था ।

खैर हम 10 मिंट बाद आ गये अपने चौराहे वाले घर और फिर मा चाची को लेके अपने कमरे मे गयी , निशा और सोनल उपर गये । वही अनुज भी उपर चला गया ।
मै जानता था कि ये लोग क्यू भाग रहे है ।
महिला मंडल इसिलिए भाग रहा था कि वो लोग वहा वाशरूम नही यूज़ कर पाये थे क्योकि उसके लिए उनको मर्दो के सामने से मेन हाल के दुसरी तरफ जाना पडता था
वही अनुज रास्ते मे जीन्स पहनने की वजह से परेशान था ।
मै आराम से उतरा और अन्दर आया फिर अपने कमरे मे गया । और कपड़े बदलने लगा ।
उधर पापा ने तो आरामदायक कपड़े पहने थे तो उनको दिक्कत नही थी ।वो भी रिक्से वाले का हिसाब कर अन्दर आये ।

मै कपडे बदल कर हाल मे आया तो पापा के कमरे से मुझे कुछ हसने की आवाजे आ रही थी और ये हसी मा की ही थी ।

मै भी बड़ी उत्सुकता से कमरे मे घुसा तो देखा कि एक तरफ चाची शर्म से लाल हुई खड़ी है और पापा सोफे पर बैठ कर सर पर हाथ रख अपनी हसी दबा कर हस रहे है ।

मा सामने बेड पर हाथ मे तौलिया लिये हस्ते हुए बैठी थी । उसके भिगे चेहरे से साफ पता चल रहा था की अभी अभी वो फ्रेश होकर आई है ।

लेकिन माजरा कुछ समझ नही आ रहा था मुझे

मै हस के मा से - क्या हुआ मा आप लोग ऐसे क्यू हस रहे हो

मा हस कर पापा की ओर देखा और फिर चाची की ओर जहा चाची ना मे इशारा कर बताने से मना कर रही थी ।

मै ह्स कर - मा प्लीज बताओ ना क्या हुआ
मा - बेटा तेरे पापा ,,,,,हिहिहिहिहिही हाहहहहा

मै ह्स्ते हुए - अरे हिहिही बताओ तो प्लीज , पापा आप ही बताओ ना

पापा अपनी तरफ बात घूमता देख कर थोडा शांत हुए और एक नजर चाची से आंखे मिलाई तो चाची मुस्करा कर ना मे सर हिलाई तो पापा थोडा सोचते हुए बोले - वो वो कुछ नही बेटा वो बस ऐसे ही हसी मजाक हो रहा था ,, वो हम बड़ो के मतल्ब की है तू नही समझेगा

मै समझ गया कि पापा चाची की वजह से नही बोल रहे है
पापा इस झमेले मे फसना नही चाहते थे तो वो बोले - रागिनी मै दुकान जा रहा हू , शाम को आता हू ।

मा हस्ते हुए - हिहिहिहिह जाईये जाईये ,,

फिर पापा भी एक नजर चाची को देख कर निकल गये बाहर

मै हस कर - अरे अब तो बताओ कोई क्या बात है

मा ह्स कर - बेटा वो बात ये थी कि हम सब अमन के यहा से आये तो हम दोनो को पेसाब लगी थी
मा एक नजर चाची को देखती है जो इस वक़्त अपना माथा पीट रही होती है - ओहो रहने दो ना दीदी प्लीज

मा हस कर - अरे जब कांड कर लिया फिर क्या शर्माना हिहिहिही

मै हस कर अचरज से - काण्ड मतलब
मा हस कर - बेटा जब हम दोनो अन्दर आये तो तेरी चाची मेरे से पहले ही अन्दर बाथरूम मे चली गयी और जल्दी से बाहर आई और फिर मै भी जल्दी से अंदर घुस गयी ।

और फ्रेश होकर बाहर आती हू तो देखती हू कि तेरे पापा तेरी चाची को मुझे समझ कर पीछे से पकडे हुए थे और जैसे ही सामने मुझे देखा तो चौक गये । हिहिहिहिही


मै मा की बाते सुन कर चाची के सामने थोडा शर्माने का नाटक किया और बात को आगे ना बढ़ा कर वही पर खतम कर दिया क्योकि मुझे इसकी फुल डिटेलिंग मा से बाद मे लेनी थी ही ।

मै - अच्छा तो पापा ने गलती से चाची को मम्मी समझ लिया हिहिही ,,,अरे कोई बात नही हो जाता है और आज आप दोनो ने सेम रंग की साडी पहनी थी तो कोई भी उलझन मे आ सकता था ।

चाची मेरी समझदारि भरी बात से काफी प्रभावित थी और फिर हम तीनो हाल मे आये ।

मा हमारे लिए पानी लेने किचन मे गयी ।
चाची मुस्कुरा कर - हम्म्म अब तो तू काफी समझदार हो गया है रे ,,,
चाची मेरे करीब आकर कान मे फुसफुसा कर - अब तो नही जाता ना उस मुहल्ले मे

मै चाची की बाते सुन कर उस दिन की यादे ताजा कर ली जब मै रुबीना को चोद कर निकला था और रास्ते मे चाची ने देख लिया था और उस दिन मेरा लण्ड चूसा था ।
और फिर मै घर के कामो मे इतना उलझा की चाची से फिर दे मेलजोल करने का मौका ही नही मिला । वो यादे ताजा होते ही मेरे लण्ड को झटके आने शुरु हो गये और लोवर मे तनाव होने लगा ।

चाची की नजर भी एक बार मे उसपे गयी तो वो हसने लगी
मै शरमाने की अदा से - नही चाची आप मना की थी तो मै नही जाता हू वहा , लेकिन

फिर एक उम्मीद भरी मासूम नजरो से चाची को देखता हू कि चाची मेरे जज्बात समझ ले और फिर से मुझे अपने मुखमैथुन का मजा देदे तो मै खुशी से पागल ही हो जाऊ ।


चाची इतरा कर भौहे उठाते हुए - लेकिन क्या बेटा, तुझे कोई दिक्कत तो नही
और चाची ने अपना एक हाथ मेरे जांघ पर रख दिया जहा उंगलियो से महज कुछ इन्च पर मेरे लंड सुपाडा था ,,, अगर चाची अपनी छोटी वाली ऊँगली को स्ट्रेच भी करती तो भी मेरा सुपाडा छू सकती थी ।


चाची का हाथ जांघ पर पाते ही मै सिहर गया और कपकपी सी होने लगी , मेरी जुबान लड़खड़ा रही

अगर ये सब हम दोनो कही बंद कमरे मे करते तो मै हावी होता लेकिन यहा बाकी लोगो के हाल आने का डर था और सबसे ज्यादा अनुज के निचे आने का


मुझे उलझन मे देख चाची ने अपने नुकीले नाखून वाले पंजे से मेरी जांघो को कचोटा और बोली - क्या हुआ बेटा

मै सिस्क उठा और बोला - क क क कुछ कुछ नही ,कुछ नही चाची

चाची - तो तू इत्ना घबरा क्यू रहा है
मै इशारे से चाची का हाथ दिखाया तो चाची ने हाथ वापस खिचते हुए - ओह्ह सॉरी दर्द हो रहा था क्या बेटा


मै राहत ही सांस लेते हुए थोडा खुद को confortable करते हुए एक शरारती मुस्कान के साथ - नही चाची , वो आप मुझे छुई तो वो फिर से बड़ा होने लगा था ।


चाची शर्मा कर हसते हुए - धत्त बदमाश कही का , मै चाची हू तेरी कोई गर्लफ्रैंड थोडी की तुझे ऐसा मह्सूस करवाउन्गी हिहिहिही

मै चाची के करीब आकर - तो बन जाओ ना , मुझे इधर उधर भटकना नही पडेगा

चाची अपनी गोल म्टोल सुरमई आँखों से मेरे आंखो मे देखते हुए बडे शरारती मुस्कान से बोली- सॉरी , आई हैव ए बॉयफ्रेंड
फिर वो खिलखिला कर हस दी

मै अचरज से और ब्ड़ी मासुमिय्त से मुह गिराते हुए - हुउह्ह आपका कौन है बॉयफ्रेंड

चाची हस कर - तेरे चाचा और कौन हिहिहिही
मुझे भी हसी आ गयी - तो क्या हुआ एक छोटा वाला बॉयफ्रेंड रख लो ना हिहिहिही

चाची हस कर इतराते हुए - उम्म्ंम्म् लेकिन मेरा क्या फायदा , सारे बॉयफ्रेंड वाले मजे तू ले लेगा मुझसे मिलेगा


मै भी शरारती अंदाज मे - मै भी अपनी गर्लफ्रेंड को अपनी दुकान से समान फ्री मे दे दिया करूँगा हिहिही
चाची थोडा खुद को और इतराया और बोली - सोच ले बहुत मह्गे casmetic items यूज़ करती हू मै ,, बहुत घाटा होगा तेरा

मै हस कर धीरे से बोला - वैसे मह्गे item से याद आया एक न्यू डिज़ाइन मे बढिया ब्रा आई , चलना अभी दिखाता हू


चाची मुह पर हाथ रखकर हसने लगी और बोली - चुप बदमाश कही का
इधर मै आगे बात बढाता की मम्मी किचन से हमारे लिए संड़वीच लेके आई


मै खुशी से - अरे वाह मा तबसे आप ये बना रही थी अंदर
मा हस कर - हा तुझे क्या लगा ,,,जा सबको बुला खा ले सब कुछ


फिर मैने आवाज देके सबको निचे हाल मे बुलाया और सबने नासता किया ।
और शादी को लेके काफी चर्चाये हुई । घर मे सब कैसा है कौन कौन है क्या है कया नही है । आगे क्या क्या करना है सब कुछ

फिर शाम को चार बजे के करीब चाची ने घर जाने की इजाजत मागी । तो मै भी मा को बोला - मा मै भी चाची के साथ जा रहा हू , दुकान खोल लूंगा

मा - हा बेटा ठीक रहेगा ,,,

फिर मै एक नजर चाची को देखा और मुस्कुराया बदले मे चाची ने आंखे दिखा के हस दी

फिर हम तीनो एक ई-रिक्शा लेके निकल गये ।
दुकान के पहले ही रिक्शा से उतर कर आगे आये तो मै बोल पडा - चाची अब आई हो तो लेलो जो लेना है

निशा अचरज से - क्या लेना है मा
चाची फस गयी थी कि क्या बोले - वो बेटा मुझे कुछ सामान चाहिये वही देख लू फिर आती हू ,,तू घर चल

निशा थोड़ा उलझी लेकिन मा की बात थोड़ी ना टाल सकती थी और जब तक वो वापस कुछ पुछती हम दुकान की ओर बढ़ गये और उसे घर की ओर जाना पडा ।

मै दुकान का मेन शटर ना खोल के साइड का दरवाजा खोल कर चाची को अंदर ले गया और दरवाजा बन्द कर दिया

चाची - कितना अन्धेरा है बेटा
मै झट से लाईट जला दी और चाची के पास खड़ा हो गया

वो थोड़ा झिझ्की - खड़ा क्या है दुकान खोल और मुझे वो न्यू वाली ब्रा दिखा जिसकी बात कर रहा है

मै झट से झुका और चाची के होठ चुस लिये
चाची एक पल को चौक गयी और मुझे झटक दिये
मै पागल सा होकर लोवर मे से फटाक से अपना तनमनाया लंड बाहर निकाल दिया

चाची थोडा पीछे हुई और बोली - ये क्या कर रहा बेटा तू
मै थोड़ा परेशान होने के भाव मे - चाची बहुत दुख रहा है आज प्लीज छोटा कर दो इसे

चाची हस के - अच्छा तो तू इसिलिए ब्रा का बहाना बना कर यहा लिवा आया था

मै हा मे सर हिलाया और उन्के सामने लण्ड का टोपा बाहर निकाला जो पुरा बौराया हुआ था ।
चाची बडी कामुकता से उसे निहार रही थी ।
मै लपक कर आगे बढ़ा और चाची के होठो को वाप्स मुह मे भर लिया ।
मेरे हाथ चाची के बदन पर रेंगने लगे वो भी बहुत गरम होने लगी थी ।
मै धीरे से उनकी साडी का पिन निकाला तो उनका पल्लु सीना छोड जमीन पर गिर गया और मै झट से उन्के थोडा बगल मे आया और अपना लण्ड उनकी नंगी कमर के पास रगड़ते हुए हाथ को उनकी 36C की चुचियॉ पर फेरा
चाची सिहर गयी और हाथ मे लण्ड को जकड़ ली
मै उन्के कान के पास दाँत गडाने लगा और जीभ फिराने लगा । वो गनग्नाई और लण्ड पर पकड मजबूत कर ली ।

मै उन्के चुचे को ब्लाउज के उपर से ही मिजते हुए कहा - ओह्ह चाची कितनी कडक चुची है आपकी अह्ह्ह

चाची सिहर गयी
मै उन्के गरदन चूमते हुए दोनो हाथो से उनकी चुची मिजते हुए एक हाथ निचे उन्के चब्बी पेट पर ले गया और नाभि मे ऊँगली फिरायि ।

फिर वही उन्ग्ली उपर लाकर अपने मुह मे लेके गिला करते हुए लार से लिपटे ऊँगली को वापस चाची की नाभि मे घुसा दिया

चाची सिहर - ओह्ह्ह बेता मै पागल हो जाऊंगी अह्ह्ह

मै - आप बहुत सेक्सी हो चाची , मै बचपन से अपके जिस्म का दीवाना हू ओह्ह ये कड़े म्म्मे बहुत मस्त है आपके

चाची सिहर - ओह्ह बेटा ऐसे मिजेगा तो अह्ह्ह मा उह्ह्ह ढीले हो जायेंगे वो अह्ह्ह मा

मै चाची के गाल काटते हुए उनके ब्लाउज़ खोलने लगा - क्यू चाचा नही मिज्ते है क्या ऐसे

चाची सिहर कर - ओह्ह नही बेटा मै मै मै अह्ह्ह आह्ह आराम से बेटा उफ्फ्फ्फ
मै खुले ब्लाउज के अन्दर ब्रा के उपर से एक चुची मिजते हुए - बोलो ना चाची ,,चाचा से नही मिज्वाती हो क्या ऐसे

चाची हाफ्ती हुई - अह्ह्ह नही नही बेटा,, मिज्वती हू ना लेकिन तेल से , उससे मेरे दूध कड़े रहते है

मै चाची की बाते सुन कर मै और पागल हो गया और जोश मे आकर एक हाथ बगल से चाची की बाई तरफ ब्रा मे घुसेड़ कर निप्प्ल को मरोड दिया

चाची गनगना गयी
मै झट से उनको घुमाया और हलोर कर ब्रा से उसी चुची को निकाला कर मुह ल्गा दिया

चाची खुद को सम्भाल्ते हुए मेरे सर को पकड कर बालो मे हाथ फेरने हुए सिस्कने लगी
मै झुक कर उनकी निप्प्ल को चुस्ते हुए जीभ से निप्प्ल की टिप को कुरेदने लगा

चाची पागल सी होने लगी और एक हाथ निचे कर लण्ड के सिरे को पकड कर भीचने लगी ।

मै झट से चाची को उठा कर बगल के रखे दुकान के एल-टाइप काउंटर पर बिठा दिया और जल्दी जल्दी उनका ब्लाउज ब्रा निकाल कर उनकी कडक चुचियॉ मे मुह को दफन कर दिया

आह्ह क्या गर्म कड़ी चुचिया थी
मै बारी बारी से एक चुची को मिज्ते हुए एक को चूसा
और फिर चाची को वही काउंटर पर लिटा दिया ।
चाची बस सिस्के जा रही थी
मै झट से उनकी साडी को उपर कर जांघो को फैलाया और अन्दर झाका तो गुलाबी रंग की पैंटी दिखी जो चाची के रस से भीगी हुई थी ।

मै झुक कर सिधा नाक को उन्के चुत के मुहाने पर ले गया और एक गहरी सास लेते हुए अपने होठ उस तप्ते चुत पर गीली पैंटी के उपर से रख दिया

चाची तडप कर पागल सी हो गयी और मै उनकी जांघो को जकड़ कर वापस से पैंटी के उपर से उनकी चुत पर अपने होठ घिसने लगा

चाची अपनी कमर पटकते हुए - ओह्ह लल्ल्ला उह्ह्ह उफ्फ्फ अराआअम्म् से आह्ह

मै उनकी जान्घे थामे जीभ को ल्पालप पैंटी के उपर से चला रहा था और बहुत ही मादक और चिपछिपी सी रस मेरे जीभ को छू रही थी ।

मैने बिना पैंटी को निकाले वही एक साइड से चुत के पास कप्डे को फैला कर थोड़ा किनारे किया और जीभ को ल्पलप चाची के चुत पर चलाने ल्गा

चाची की चुत पर बाल का एक रोवा तक नही था ,, मेरी जीभ बहुत ही आसानी से चुत पर घूम रही थी । वही चाची की हालत खराब थी क्योकि बार बार मेरी जीभ उन्के दाने को छेड़ रही थी और नतिजन चाची ने अपनी गाड ऊचका दी और मेरे सर को चुत के मुहाने पर दबा दिया
ऐसा करने से मेरा जीभ मेरे मुह मे अन्दर आ गया और मेरे उपरी होठ सीधा उन्के चुत के दाने पर थे और निचला होठ चुत के निचे के सिरे पर

वही चाची पुरे जोश से पागल होकर मेरे बाल नोचते हुए अपनी गाड उठाए मेरे मुह को अपनी चुत पर दर रही थी और भलभला कर झड़ रही थी ।
चाची का दबाव इतना तेज था मेरे सर पर , कि मै चाह कर भी नही हिल सकता था और उनकी चुत का पानी पिचपिच कर मेरे होठ से लग कर निचे जा रहा था । ना मै उनको सुरक सकता था ना जीभ निकाल कर स्वाद ले सकता था ।
ज्यो ही चाची ढीली पडी मै खुद को अलग कर एक गहरि सास ली और फटाक से मुह चाची के चुत मे ल्गा कर ल्पालप सारा बिखरा हुआ माल चाटने ल्गा ।

चाची फिर से पागल होने लगी ।
मै मलाई साफ कर खड़ा हुआ और चाची को देख कर हसने लगा ।
वो एक नजर मुझे देखी और फिर मुह फेर कर हसने लगी ।

मै चाची को पकड कर खीचा और पैर काउंटर के निचे लटकाया तो वो समझ गयी और वो साम्ने बैठी गयी
एक बार फिर मैने उन्के होठ चूसे और बोला - अब थोडा रहम अपने नये नवेले बॉयफ्रेंड पर भी कर दो

चाची बड़ी मादकता भरी मुस्कान और नशीली आँखो से देखते हुए धीरे धीरे काउंटर से अपने चुतड सरकाकर निचे उतरने और निचे आते ही मेरे थोड़े शांत हुए लण्ड को छुआ तो एक बार फिर से उसमे जान आ गयी ।

मै आंखे बंद कर सिहर गया और वो मेरे चेहरे के भाव पढती हुई बड़ी मधोशी से अपने चेहरे पर कामुकता के भाव लाते हुए मेरे लण्ड को जड़ से लेके उपर तक मुठिया रही थी ।

और थोड़ी ही देर मे ग्प्प्पुउउउच्च्च
एक ठण्डा और मखमली सा अह्सास । उन्के मुह की ठन्डी लार मेरे तपते लण्ड पर ऐसे मह्सूस हो रही थी मानो गरम तवे पर पानी के छींटे गिरे हो।

मै और भी ज्यादा सख्त मह्सुस करने लगा अपने लण्ड को
मेरी एडिया अकड कर उठने लगी मेरे चुतड के पाट सख्त होने लगे सारी नसो का खुन एक साथ मेरे लण्ड मे भरने लगा ।
सुपाडे का रंग अब और गहरा होने ल्गा ,,,लण्ड की नस नस फड़क उठी आज तक इतना तना मह्सूस ही नही किया था मैने

चाची के नाखून के खरोच मेरे लण्ड की चमडी पर मानो चिर देन्गे
उन्होने हौले से मेरे आड़ो को , जो कि कस कर अखरोट से कड़े हो गये थे उनकी थैली सिकुड़ गयी थी , अपनी मुलायम उंगलियो से छुआ और एक नुकीले नाखून से लण्ड के नीचले हिससे को खरोचते हुए सुपाडे तक ले आई
और उसी लम्बे रेड पोलिश वाले नाखून से मेरे सुपाड़े को निचे से थामे हुए मेरे आंखो मे देख्ते हुए अपने मुह के पास ले गयी

मै थूक गटक गया और जैसे ही उसने अपने जीभ की टिप मेरे सुपाडे के छेद पर रखी मै अपना सारा सबर त्याग दिया
पिछ्ले 5 मिंट से जो जोर मैने मेरे लण्ड के नीचले नशो को दिया वो छुट चुका था ,,, मेरे लण्ड की नस जो मेरे अमृत रस से भरी पड़ी थी वो मेरे बनाये बन्धन को एक तेज सैलाब के साथ तोड़ दी और एक भारी पिचकारी नुमा फब्बारा मेरे सुपाडे ने छोडा ,,, सीधा चाची मे मुह पर

मै चिखा कुछ दर्द से तो कुछ राहत से, कुछ मजे से कुछ तृप्ति से
ओह्ह्ह्ह चाचीईईईई - 3
पुरे तीन बार मेरे लण्ड ने भी अपनी भाषा मे तेज धारा से चाची को पुचकारा और चाची पूरी तरह रस से डूब गयी
मानो रसमलाई की तिकीया पर कल्छुल भर मलाई गिराई गयी हो

सब कुछ टपक रहा था और मैने भी लण्ड को मुथियाते हुए थोड़ा आगे जाकर लण्ड को निचोड़ा और उन्के गाल पर लण्ड को 4 बार पटक कर झाडा

चाची हस रही थी और मलाई उन्के दाँत को और सफेद कर रही थी ।
मैने खुद झुक कर गालो से रिस्ते मलाई को एक उंगलि से समेटा और वापस मुह मे डाल दिया ।

वो कुल्फी की तरफ मेरे ऊँगली को चुस गयी
फिर बाकी बचे टपके हुए रस को खुद ही बटोर कर चटोर गयी ।

मै वही काउंटर का टेक लेके खड़ा हो गया , चाची भी वही निचे बैठ गयी
हमारी नजरे मिली और हसी भी छूटी

मै एक बार नजर उठा कर इशारा मे पूछा कैसा लगा
उसने अपने ऊँगली चुसकर बता दिया कि कैसा लगा और हम फिर हसे ।

मै - तो चाची बाकी का बचा काम पुरा करे हिहिही
चाची ह्स कर - कर लेना बेटा, आऊंगी कभी फिर न्यू ब्रा लेने तब हिहिहिहिही

मै झड़ने के बाद बहुत खुश और तृप्त था तो मै भी उसने सहमती जताई

फिर हम उपर गये और फ्रेश हुए फिर मैने उनको एक अच्छी ब्रा गिफ्ट दी एज ए न्यू बॉयफ्रेंड

फिर वो चली गयी और मैने भी अपना दुकान खोला और काम करने लगा


जारी रहेगी
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मै सिर्फ तुम्हारा हू
Badhiya zaberdast shaandaar update bhai
 
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