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Incest पुरा परिवार हवस का शिकार

कहानी का हीरो आप किसे समझ रहे हो ??


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Prince_007

Member
105
876
94
Wah bhai kya story hai aapki maza aa gya. Likhne ka andaz bhi khub hai
धन्यवाद दोस्त आपके सकारात्मक टिप्पणी से ही मुझे हौसला मिलेगा आगे और अच्छा लिखने का ।
 

Prince_007

Member
105
876
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अपडेट 7
दिल्ली में,
बरखा और निधि के जाने के बाद गरिमा बोर हो रही थी इसी लिए उसने अपनी सबसे अच्छी दोस्त पलक को कॉल करके घर बुलाया और शुरू होता है बातों का दौर
पलक - साली मुझे कैसे याद कर लिया आज
गरिमा - बस यार बोर हो रही थी और तुझसे मिले हुए भी तो बहुत समय हो गया इस लिए बुला लिया तुझे।
पलक - अच्छा ये बता कल रात ठीक से सोई की नही ।
गरिमा - नही यार नींद ही नही आई रात भर करवटें बदलती रही ।
पलक - क्या हुआ ऐसे बुझे हुए मन से क्यों बोल रही है और सोई क्यों नही
गरिमा - यार तेरी वो बात मुझे रात भर सोने नही दी
पलक - अच्छा जी तो मैडम की चूत में चुनचुनी हो रही है
गरिमा - तु भी ना कुछ भी बोलती है ।
पलक - अच्छा मे कुछ भी बोलती हूँ तो मेरी बात से तु रात भर क्यों नही सोई और हँसने लगती है ।
गरिमा अब क्या बोलती की सच में वो अपनी चूत की खुजली के कारण सो नही पायी थी । पलक देख गरिमा मुझे पता है तु कल रात अपने पापा की याद में चूत सहलाती रही वो फिर से हँसने लगती है
गरिमा - यार मुझे शर्म आ रही है तु ऐसे मत बोल
पलक - अच्छा साली तु अपने पापा का लेने के लिए पुरी रात बेचैन रही और गलत में बोल रही है साली तु अपने चूत और दिमाग़ को समझा ले की वो अब पापा का दीवाना हो चुका है अब तुझे उनका लंड लेकर ही चैन मिलेगा ।
गरिमा - साली तु सच में बहुत कमीनी और रंडी है छी पापा का कोई कैसे ले सकता है
पलक - जैसे में लेती हूँ वैसे ले ले मेरी जान ।
गरिमा - क्या ❔ साली तु क्या बोली तुझे पता भी है
पलक - हाँ गरिमा मैंने तुझे कभी नही बताया की मेरे पापा से मेरे योैन सम्बंध है
गरिमा - ये तु क्या बोल रही है सच में ऐसा कुछ है क्या
पलक - हाँ यार मम्मी के जाने के बाद पापा और मेरे बीच ऐसे हालत हुए की एक दिन में पापा के बिस्तर को गरम कर गयी । में नही चाहती थी की फिर से हो पर चूत की खुजली ने मुझे मजबूर कर दिया और में फिर से उनके साथ सोई उस हसीन रात के बाद तो खुद उसने लिपटने के लिए इंतेज़ार करती कब रात होगी और कब मुझे पापा का लंड मिलेगा । अब तो बस मज़ा आता है ।
गरिमा ये सब सुन के चौंक गयी थी की कैसे एक बाप और बेटी के पवित्र रिश्ते में यौन सुख ले सकते है ।
वैसे भी पलक कैसे बताती गरिमा को ,की वो अपने ही पिता को कौमार्य सौंप चुकी थी ।हालत और समय ने दोनो को यौन सुख लेने पे मजबूर कर दिया था पलक की आँखे नम हो गयी थी ये बताते हुए ।
गरिमा - तु रो क्यों रही है
पलक - यार मैं कभी नही चाहती थी अपने पापा के साथ ऐसा कुछ करूँ पर मैं मजबूर हो गयी थी और हालत को देखते हुए दोनो एक हो गये ।
गरिमा - बहुत समझदार लड़की थी कई बार हालत इंसान को मजबूर कर देते है गलत काम को अंजाम देने के लिए ,
में समझ सकती हूँ यार पर तुझे मज़ा तो आता है ना ,ये सुन पलक के चेहरे पे मुस्कान आ जाती है
पलक - हाँ बहुत मज़ा आता है अपने ही पापा का लेने में तु भी ले ले ।
गरिमा - मुस्कुरा देती है और बोलती है साली तु नही सुधरेगी ।
पलक - मैं तुझे बस खुश देखना चाहती हूँ यार तेरे बॉयफ्रेंड की वजह से तु कितना रोई थी मुझे याद है और तेरी चेहरे पे ये खुशी कितने समय बाद देखी है मैंने इस लिए बोली की तेरे पापा तेरे लिए ही है
गरिमा - थोड़े उदास मन से हम्म.. तेरे बात सही है पर क्या पापा मानेगे और किसी को पता चल गया तो क्या होगा
पलक - साली दुनिया का कोई भी मर्द ,चूत को ना नही बोल सकता, चूत की असली खासियत यही है समझी मेरी जान, तो बना ले पापा को सैयां ,सब के सामने पापा और अकेले में सैयां जी । और ये सब तो अब घर घर में हो रहा है और सुरक्षित भी होता है बहार करने का मतलब है एक गलती और जीवन भर रोना ,और चूत तेरी है तु जिसे देना चाहे दे ये दुनिया कौन होती है तुझे रोकने वाली बाकी तेरी जैसी इच्छा ।
गरिमा - शर्मा जाती है ये सुन के
पलक - चल यार अब मैं चलती हूँ पापा और मैं ७ दिनों के लिए शिमला जा रहे हैं ।
गरिमा - साली हनीमून मानने जा रही है क्या ??
पलक - हाँ कुछ यही समझ ले मेरी जान और मुस्कुरा के चली जाती है ।
शाम को खाना खाते समय सुरेश की नज़र आज गरिमा के बदन को ही देखे जा रही थी।गरिमा को जब ये एहसास हुआ की उसके पापा उसको ही देख रहे है तो वो मन ही मन मुस्कुरा जाती है पलक की बात याद करके ।

गरिमा और उसके पापा को अकेले समय बीतने को मिल रहा था दोनों काफी करीब आ चुके थे ।अब तो गरिमा अपनी ब्रा और कच्छी कही भी रख देती थी ताकि सुरेश उसे देख गरम हो जाये ।सुरेश कई बार गरिमा की कच्छी में अपना माल गिरा के छोड़ देता था जो गरिमा देख के मुस्कुरा जाती थी । इधर सुरेश भी गरिमा के जवान बदन को देख अपनी मर्यादा भूल चुका था ।अब उसे बस अपनी बेटी के बदन का भोग लगना था ।
एक दिन गरिमा नहाने गयी और बाथरूम को बंद नही किया जैसा पलक उसको बोली थी बिल्कुल वैसे ही की और नंगी होकर नहाने लगी यही वो समय था जब सुरेश का सब्र का बान टूट गया और उसने गरिमा को जाकर पीछे से पकड़ लिया ।ऐसे अचानक हुए हमले से गरिमा सिहर जाती है।सुरेश के हाथ अपने ही बेटी के उरोजो को मसलने लगा था और उसके होठो पे अपने होंठ रख के चूमने लगा ऊपर से शवर से गिरते पानी से अब सुरेश भी भीग चुका था दोनो के बदन में हवस ने जन्म ले लिया था
सुरेश उसके गर्दन को चूमने लगा गरिमा झूठे ग़ुस्से के साथ नही पापा ये गलत है पर गरिमा जैसे ही कुछ और
बोलती सुरेश ने अपने होठो से उसका मुँह बंद कर देता
इधर गरिमा के मोट मोट उरोजो को अपने मर्दाना हाथों से मसलने लगा ,ये पहली बार नही था जब गरिमा को किसी मर्द ने छुआ था उसका पुराना प्रेमी भी उसके उरोजो के साथ खेल चुका था पर चूत तक पहुँचता इस से पहले ही गरिमा को उसकी सच्चाई पता चल गयी की वो उसको धोका दे रहा है बस शायद इसी दिन के लिए गरिमा आज तक कुंवारी थी की उसका कौमार्य उसके पापा के लिए है धीरे धीरे सुरेश के होठ गरिमा के निप्पल को चूसने लगते है ऊपर से पानी की फुहार दोनो के बदन में आग में घी डालने का काम कर रही थी गरिमा इस अपरा तिम आनंद के सागर में डूब गयी और मज़ा लूटने लगी आह्ह्ह्ह...पापा उससे ये एहसास और रोमांचित का रहा था की उसके उरोजो को चूसने वाला इंसान उसके पापा है जिनकी मेहनत से ही वो इस दुनिया में आयी है अब वो उस लंड से खेलिगी । जिस से कभी उसकी माँ खेला करती थी आह्ह्ह..पापा ये सिसकियाँ सुरेश को उत्तेजित कर रहे थे आह्ह्ह..गरिमा तेरे दूध उम्म्म...मेरी प्यारी बेटी काफी देर तक दोनो बाप बेटी दुनिया से बेखबर अपनी बदन की आग मिटाने में लगे हुए थे।दोनो के बदन पे अब कोई वस्त्र नही था ।सुरेश निचे बैठ के गरिमा की चूत पे मुह लगा देता और चाटने लगता है इस हमले का गरिमा पे इतना जोरदार असर हुआ की उसके पैर कांपने लगे। आह्ह्ह...पापा ये गलत है ऐसा मत करो
सुरेश तो बस चूत को खाने में लगा था उसे कोई मतलब नही था उसकी बेटी की बूर है ।।सुरेश ,गरिमा को उठा के उस कमरे में ले गया जहाँ उसने बरखा की खुली हुई बुर में लंड डाला था पर अब उसको अपनी बेटी का कौमार्य मिलने वाला था जो बरखा नही दे पायी थी वो उसकी ही चूत से निकली उसकी बेटी देने वाली थी । बिस्तर पे गरिमा को रख कर सुरेश फिर से उसके बदन खेलने लगता है दोनो एक दूसरे के बदन को रगड़ने में लगे हुए थे तभी सुरेश उठ कर अपना लंड उसके मुँह के करीब ले जाता है दोनो की नज़रे एक दूसरे को देखती है और गरिमा शर्मा के लंड मुँह ले लेती है और चूसने लगती है इस आनंद के बारे में कल्पना करना सुरेश ने कभी नही सोचा था ।
आअह्ह्ह..गरिमा बेटी चुसो पापा का मदहोशी में सुरेश बोले जा रहा था आअह्ह..चुदड़कड़ कुतिया पापा की रंडी
अब समय आ गया था दोनो के मिलन का सुरेश माझा हुआ खिलाडी था उसने लंड को चूत पे रख के जोर से घुसा दिया ।गरिमा की जोरदार चीख़ से कमरा गूज उठा आज एक कली फूल बन चुकी थी सुरेश का लंड गरिमा की चूत को फाड़ के अंदर समा चुका था तभी एक और झटके से साथ गरिमा अपना कौमार्य पापा के नाम कर देती है ।और धीरे धीरे धक्को से चुदाई की रेल चलने लगती है गरिमा को ये एहसास ही नही था आज उसने अपनी चूत की खुजली के करण इतना बड़ा कदम उठा चुकी थी ।
गरिमा - आह्ह्ह...पापा चोदो अपनी बेटी को फाड़ दो मेरी बुर को पापा बहुत तंग करती है रात भर आह्ह..मेरे प्यारे पापा
सुरेश - आह्ह..हाँ बेटी आज तुझे चोद के मैं अमर हो गया जो तेरी माँ नही दे पायी वो तूने दे दिया
गरिमा को इतना मज़ा पहला कभी नही आया था वो चाहती थी की ये मज़ा ऐसे ही चलता रहे कभी ख़तम ना हो पर कोई भी काम शुरु हुआ है तो ख़तम भी होता ही है ।
कुछ देर चुदाई का ये खेल चलता रहा और फिर वो वहा पहुंच गये जिसे चरमसुख कहते है और देखते ही देखते गरिमा का पानी निकलने लगा बदन जोर से कांपने लगा इधर सुरेश भी गरिमा के काम रस से कमजोर हो गया और वो भी आह्ह...गरिमा बोलते हुए अपना माल उसकी चिकनी योनि में उगलने लगा ।और धड़ाम से उसके ऊपर गिर गया। दोनो ही अपनी साँसे काबू करने में लगे तभी दोनो की आँखें मिलती है और गरिमा शर्म से आँखें बंद कर लेती है ।
कुछ दर बाद सुरेश ,गरिमा ओ बेटा गरिमा आंखें खोलो ना जान गरिमा अपने आँखें खुलती और अपने प्यारे पापा को देखती हैं और फिर से लाज़ा जाती है ।
सुरेश बेटी जो भी हुआ गलत हुआ पर में बहुत कमजोर हो चुका था तेरी ये जवानी मुझे पागल कर रही थी हो सके तो अपने पापा को क्षमा कर देना । और उसकी आँखें नम हो चुकी थी ये सोच के की उसने अपनी ही बेटी का भोग लगा लिया ।
गरिमा - आखें खुलते हुए पापा से बोलती है पापा इसमे आपकी कोई गलती नही है मैं भी अपनी जवानी को काबू नही कर पायी और आप के साथ हम बिस्तर हो गयी ।मुझे भी माफ़ कर देना ।पर जब उसकी नज़र सुरेश पे गयी थी उसकी आँखें भी भीग गयी ।
दोनो ने एक दूसरे को देखा और लिपट गये उनकी आँखें ये साबित कर रही थी की हवस उनके प्यार पर भारी पड़ चुकी थी पर अब क्या करते जो हो चुका वो अब वापस नही हो सकता था दोनो रोते रोते सो गये ।
सुबह की पहली किरण से गरिमा की नींद खुल जाती है और वो बगल में सोये पापा को देखती हैं वो मुस्कुरा जाती है की कल तक ये उसके पापा थे और आज उसके बदन को भोगने वाला उसका मर्द ,रात की बातें सोचते सोचते गरिमा थोड़ी उदास हो जाती है की दोनो के बीच जो वो सही था की नही तभी कॉल के रिंग से वो वापस अपनी दुनिया में आती है और देखती है ये तो मम्मी का है
बात करके कॉल कट कर देती है और उठ कर अपने पापा के लिए या दूसरी तरफ अपने पति के लिए नास्ता बनाने चली गयी ।
सुरेश और गरिमा की निगाहें जब मिली तो दोनो रात की मनमोहक मिलन को याद कर के मुस्कुरा देते है दोनो नास्ता कर रहे थे पर बोले कुछ भी नही ।तभी सुरेश बोला बरखा के आने में दो दिन है घर की सफाई अच्छे से कर देना ।ये सुन गरिमा का चेहरा खिल जाता है इसका सीधा मतलब उस बिस्तर से था जिसपे गरिमा और सुरेश के मिलन की निशानी अभी भी ताज़ा थी । और दुकान के लिए निकल जाता है ।इधर गरिमा अच्छे से अपनी चुदाई के सबूत मिटा देती है और पलक को कॉल पे सब बता देती है।
पलक - वाह साली तु तो रंडी निकली अपने ही पापा को फंसा के चुदवा ली ।
गरिमा हंस देती है और बोलती है साली सब तेरी वजह से हुआ
पलक जो शायद शिमला में अपने पापा के लंड को चूसने जा रही थी की गरिमा का कॉल आता है और वो उठा के बात करती है
पलक - साली मेरी वजह से नही तेरी चूत की खुजली ने तेरे पापा को बेटीचोद बनवा दिया
गरिमा - हँसते हुए हां यार जो भी हो मज़ा बहुत आया
पलक - अच्छ सुन बाद में बात करती हूँ अभी क्रीम रोल खाने दे यार ।
गरिमा - मुस्कुरा के ठीक है खा ले साली और कॉल कट कर देती है
शाम को जब सुरेश घर आया तो गरिमा को देख उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती है ।
आज गरिमा ने अपनी माँ की सुहागरात वाली साड़ी पहनी थी जिसमे गजब की बाला की खूबसूरत लग रही थी।
उसने सुरेश को पानी देकर बिल्कुल पत्नी की तरह किया उसका ये रूप सुरेश के मन को ही नही लंड को भी रोमांचित कर गया ।
सुरेश कुछ खास बोल नही पा रहा था पर गरिमा आज बहुत खुश थी खाना खाने के बाद सोने की तैयारी हुई गरिमा अपने कमरे के वजह पापा के कमरे में चल दी
सुरेश कुछ बोलता उससे पहले ही गरिमा ने सिन्दूर की डिब्बी उसके सामने कर दी और बोली मेरी मांग भर दो पापा ।
ये सुनते ही सुरेश के तो हाथ पैर ठंडे हो जाते है और वो बिस्तर से उठ कर बोलता है क्या ?? ये तुम क्या कह रही हो बेटा मैं कैसे तुम्हारी मांग भर सकता हूँ ये तो पति करते है ।
गरिमा - हाँ पापा और मेरे पति आप हो ।
सुरेश - ये क्या बोल रही हो गरिमा तुम ठीक तो हो मैं तुम्हारा पिता हूँ।
गरिमा - पिता थे अब नही हो कल रात जो हुआ वो एक पति अपनी पत्नी से करता है इसी लिए अब मेरे पति को मेरी मांग भर के मुझे पत्नी का दर्ज़ा देना चाहिए
सुरेश की तो हालत खराब हो चुकी थी ये सब सुन के की उसकी खुद की बेटी उससे विवाह रचाना चाहती हैं
सुरेश - पर ये कैसे हो सकता है संसार और समाज इसकी इजाज़त नही देते है ।
गरिमा - पापा कल रात जो हुआ उसको भी संसार और समाज उसकी भी इज़ाज़त नही देता पर अपने मेरा भोग लगया ना और मेरा कौमार्य लेकर मुझे कली से फूल भी बना दिया
सुरेश बिल्कुल चुप था आखिर वो क्या कहता गरिमा की बातें बिल्कुल सही थी जो उसने कल रात को किया था उसकी भी तो इज़ाज़त समाज नही देता ।
थोड़ी देर कमरे की शांति को गरिमा ने भंग किया और बोली मैं आपके लिए अपना कौमार्य दे दिया और क्या आप मुझे पत्नी नही बना सकते क्या आप मुझे रखैल की तरह इस्तेेमाल करना चाहते है ।इससे आगे गरिमा कुछ बोलती सुरेश बोल उठता है नही नही बेटी तु मेरी गरिमा है जिसने मुझे पहली बार पापा बोला था तेरी ही वजह से मैं पिता का पहला एहसास किया था मैं तो सपने में भी तुझे कभी रखैल नही समझ सकता हूँ।
गरिमा तो मेरी मांग भर के मुझे बरखा देवी के बराबर का दर्जा दो और मंगलसूत्र पहना के पत्नी बन ने का हक ।
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद सुरेश बोलता है ठीक है गरिमा और उसकी मांग भर देता है और उसके गाले में मंगलसूत्र पहना के पत्नी बना लेता है
गरिमा भी अपने पति या पापा के पैर छुकर आशीर्वाद लेती है और गरिमा कहती है चलो जी मेरे कमरे में सुरेश बोलता है क्या हुआ अब पत्नी का दर्जा तो दे दिया ।
गरिमा पत्नी का दर्जा तो मिल गया पर पत्नी को पति का जो चाहिए उसका दर्जा मेरे कमरे में है ।इतने बोल के गरिमा और सुरेश चल देते है ।
कमरे में पहुंचते ही पुरा कमरा फूलो से सजा हुआ था बिस्तर पे भी फूल ही फूल थे पुरा कमरा फूलो की खुसबू से महक उठा था और दिवार पे एक तरफ लिखा था गरिमा संग सुरेश ,ये सब देख सुरेश की धड़कने तेज़ हो गयी उसको अपनी और बरखा की सुहागरात याद आ गयी ।उफ़..वो भी क्या दिन थे पर यहा बरखा से कसी हुई चूत आज उसे मिली थी ।दोनो एक दूसरे को देख के मुस्कुरा दिये और होठो को होठो से मिला के अपनी सुहागरात का पहला चरण शुरू कर दिया ।दोनो ही आज पूरे साथ दे रहे थे थोड़ी देर की होठो को रगड़ने के बाद दोनो अलग हुए दोनो की साँसे तेज़ थी ।एक खुशी के साथ दोनो के ही चेहरे पर मुस्कुरहट थी ।सुरेश बोला मुझे नही पता था मेरी फिर सुहागरात होगी आई लव यू गरिमा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ।गरिमा मुस्कुरा कर कहती है मैं भी आप से बहुत प्यार करती हूँ जी ।
फिर दोनो का मिलन होने लगता है दोनो जोर जोर से आहे भर रहे थे पुरा कमरा थप थप की आवाज़ से गूज रहा था मस्ती अपने पूरे सबाब पे थी दोनो ही आज एक दूसरे में समा जाना चाहते थे ।आह्ह्ह..सुरेश धीरे करो राजा जी
ये आवाज़ गरिमा की जब सुरेश के कानो में गयी तो सुरेश मुस्कुरा के गरिमा को और जोर से पेलने लगा आह्ह.. गरिमा मेरी जान इतने कहते ही सुरेश का लंड माल फेंक देता था और गरिमा की बूर माल से भरने लगती है इस एहसास से गरिमा भी झटके खाते हुए अपने कामरस को सुरेश के वीर्य से मिला देती है और दोनो आज सही रूप में पति पत्नी बन चुके थे ।दोनो की बीच आज हवस कम प्यार ज्यादा था पर हवस के बिना प्यार अधूरा है और प्यार बिना हवस दोनो के बिना ये संसार नही चल सकता ये सत्य है ।
रात भर गरिमा का बदन को सुरेश ने रगड़ रगड़ के थका दिया था उसका अंग अंग टूट रहा था रात भर की चुदाई से गरिमा थक गयी थी और सुरेश भी अपनी पत्नी के लिए घर पे रुक ही गया दोनो ने पूरे दो दिन तक पति पत्नी की तरह रह कर मज़ा लूट रहे थे इस दौरान गरिमा अनेक बार चोदी और सुरेश ने भी गरिमा को हर तरह से पेला कोई कसर नही रखना चाहता था सुरेश आखिर पत्नी को ठीक से ना चोदो तो वो किसी और से पिलवाती है ।
उधर गाँव से राहुल ,निधि ,बरखा और आरोही दिल्ली के लिए निकल चुके थे उनके आने से पहले गरिमा ने सब कुछ पहले जैसा कर दिया वो अपनी चुदाई का कोई सबूत नही छोड़ना चाहती थी हाँ पर एक सबूत वो कभी नही मिटा सकती थी जो उसकी टांगो के बीच था उसकी चूत जो अब खुल चुकी थी जिसे देख के कोई भी बता देता ये चुदी चुदाई माल है ।
रात भर चुदाई करके सुरेश और गरिमा नंगे ही सो गये थे ।सुरेश की आँख खुली तो दिन के 12:35 हो रहे थे। तभी सुरेश को याद आता है की बरखा तो आज ही आने वाली थी वो जल्दी से गरिमा को उठा के कमरे की साफ सफाई करते है और एक बार फिर से बाप और बेटी बन जाते है ।
राहुल ,निधि ,बरखा,आरोही स्टेशन पे उतर चुके थे और घर के लिए टेैक्सी करके निकल जाते है इधर गरिमा को डर लग रहा था की कही किसी को पता ना चल जाये उसके हाथ पैर डर से फूलने लगते है की तभी सुरेश ये सब देख के गरिमा को चूम लेता है और बोलता है प्यार किया तो डरना क्या और मुस्कुरा देता है साथ मैं गरिमा भी मुस्कुरा देती है ।
इतने देर में दरवाजे पे कोई दस्तक देता है बरखा, गरिमा बेटा कहा है दरवाजा खुल बेटा हम लोग आ गये है।कुछ ही समय के बाद दरवाजा खुलता है और सब एक दूसरे को देख गाले लग जाते है । गरिमा एक सबूत मिटाना भूल गयी थी पर क्या ??? ये राज़ कोई जान पायेगा या नहीं और वो सबूत किसके हाथ लगेगा ??
 

riya singh

Well-Known Member
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अपडेट 7
दिल्ली में,
बरखा और निधि के जाने के बाद गरिमा बोर हो रही थी इसी लिए उसने अपनी सबसे अच्छी दोस्त पलक को कॉल करके घर बुलाया और शुरू होता है बातों का दौर
पलक - साली मुझे कैसे याद कर लिया आज
गरिमा - बस यार बोर हो रही थी और तुझसे मिले हुए भी तो बहुत समय हो गया इस लिए बुला लिया तुझे।
पलक - अच्छा ये बता कल रात ठीक से सोई की नही ।
गरिमा - नही यार नींद ही नही आई रात भर करवटें बदलती रही ।
पलक - क्या हुआ ऐसे बुझे हुए मन से क्यों बोल रही है और सोई क्यों नही
गरिमा - यार तेरी वो बात मुझे रात भर सोने नही दी
पलक - अच्छा जी तो मैडम की चूत में चुनचुनी हो रही है
गरिमा - तु भी ना कुछ भी बोलती है ।
पलक - अच्छा मे कुछ भी बोलती हूँ तो मेरी बात से तु रात भर क्यों नही सोई और हँसने लगती है ।
गरिमा अब क्या बोलती की सच में वो अपनी चूत की खुजली के कारण सो नही पायी थी । पलक देख गरिमा मुझे पता है तु कल रात अपने पापा की याद में चूत सहलाती रही वो फिर से हँसने लगती है
गरिमा - यार मुझे शर्म आ रही है तु ऐसे मत बोल
पलक - अच्छा साली तु अपने पापा का लेने के लिए पुरी रात बेचैन रही और गलत में बोल रही है साली तु अपने चूत और दिमाग़ को समझा ले की वो अब पापा का दीवाना हो चुका है अब तुझे उनका लंड लेकर ही चैन मिलेगा ।
गरिमा - साली तु सच में बहुत कमीनी और रंडी है छी पापा का कोई कैसे ले सकता है
पलक - जैसे में लेती हूँ वैसे ले ले मेरी जान ।
गरिमा - क्या ❔ साली तु क्या बोली तुझे पता भी है
पलक - हाँ गरिमा मैंने तुझे कभी नही बताया की मेरे पापा से मेरे योैन सम्बंध है
गरिमा - ये तु क्या बोल रही है सच में ऐसा कुछ है क्या
पलक - हाँ यार मम्मी के जाने के बाद पापा और मेरे बीच ऐसे हालत हुए की एक दिन में पापा के बिस्तर को गरम कर गयी । में नही चाहती थी की फिर से हो पर चूत की खुजली ने मुझे मजबूर कर दिया और में फिर से उनके साथ सोई उस हसीन रात के बाद तो खुद उसने लिपटने के लिए इंतेज़ार करती कब रात होगी और कब मुझे पापा का लंड मिलेगा । अब तो बस मज़ा आता है ।
गरिमा ये सब सुन के चौंक गयी थी की कैसे एक बाप और बेटी के पवित्र रिश्ते में यौन सुख ले सकते है ।
वैसे भी पलक कैसे बताती गरिमा को ,की वो अपने ही पिता को कौमार्य सौंप चुकी थी ।हालत और समय ने दोनो को यौन सुख लेने पे मजबूर कर दिया था पलक की आँखे नम हो गयी थी ये बताते हुए ।
गरिमा - तु रो क्यों रही है
पलक - यार मैं कभी नही चाहती थी अपने पापा के साथ ऐसा कुछ करूँ पर मैं मजबूर हो गयी थी और हालत को देखते हुए दोनो एक हो गये ।
गरिमा - बहुत समझदार लड़की थी कई बार हालत इंसान को मजबूर कर देते है गलत काम को अंजाम देने के लिए ,
में समझ सकती हूँ यार पर तुझे मज़ा तो आता है ना ,ये सुन पलक के चेहरे पे मुस्कान आ जाती है
पलक - हाँ बहुत मज़ा आता है अपने ही पापा का लेने में तु भी ले ले ।
गरिमा - मुस्कुरा देती है और बोलती है साली तु नही सुधरेगी ।
पलक - मैं तुझे बस खुश देखना चाहती हूँ यार तेरे बॉयफ्रेंड की वजह से तु कितना रोई थी मुझे याद है और तेरी चेहरे पे ये खुशी कितने समय बाद देखी है मैंने इस लिए बोली की तेरे पापा तेरे लिए ही है
गरिमा - थोड़े उदास मन से हम्म.. तेरे बात सही है पर क्या पापा मानेगे और किसी को पता चल गया तो क्या होगा
पलक - साली दुनिया का कोई भी मर्द ,चूत को ना नही बोल सकता, चूत की असली खासियत यही है समझी मेरी जान, तो बना ले पापा को सैयां ,सब के सामने पापा और अकेले में सैयां जी । और ये सब तो अब घर घर में हो रहा है और सुरक्षित भी होता है बहार करने का मतलब है एक गलती और जीवन भर रोना ,और चूत तेरी है तु जिसे देना चाहे दे ये दुनिया कौन होती है तुझे रोकने वाली बाकी तेरी जैसी इच्छा ।
गरिमा - शर्मा जाती है ये सुन के
पलक - चल यार अब मैं चलती हूँ पापा और मैं ७ दिनों के लिए शिमला जा रहे हैं ।
गरिमा - साली हनीमून मानने जा रही है क्या ??
पलक - हाँ कुछ यही समझ ले मेरी जान और मुस्कुरा के चली जाती है ।
शाम को खाना खाते समय सुरेश की नज़र आज गरिमा के बदन को ही देखे जा रही थी।गरिमा को जब ये एहसास हुआ की उसके पापा उसको ही देख रहे है तो वो मन ही मन मुस्कुरा जाती है पलक की बात याद करके ।

गरिमा और उसके पापा को अकेले समय बीतने को मिल रहा था दोनों काफी करीब आ चुके थे ।अब तो गरिमा अपनी ब्रा और कच्छी कही भी रख देती थी ताकि सुरेश उसे देख गरम हो जाये ।सुरेश कई बार गरिमा की कच्छी में अपना माल गिरा के छोड़ देता था जो गरिमा देख के मुस्कुरा जाती थी । इधर सुरेश भी गरिमा के जवान बदन को देख अपनी मर्यादा भूल चुका था ।अब उसे बस अपनी बेटी के बदन का भोग लगना था ।
एक दिन गरिमा नहाने गयी और बाथरूम को बंद नही किया जैसा पलक उसको बोली थी बिल्कुल वैसे ही की और नंगी होकर नहाने लगी यही वो समय था जब सुरेश का सब्र का बान टूट गया और उसने गरिमा को जाकर पीछे से पकड़ लिया ।ऐसे अचानक हुए हमले से गरिमा सिहर जाती है।सुरेश के हाथ अपने ही बेटी के उरोजो को मसलने लगा था और उसके होठो पे अपने होंठ रख के चूमने लगा ऊपर से शवर से गिरते पानी से अब सुरेश भी भीग चुका था दोनो के बदन में हवस ने जन्म ले लिया था
सुरेश उसके गर्दन को चूमने लगा गरिमा झूठे ग़ुस्से के साथ नही पापा ये गलत है पर गरिमा जैसे ही कुछ और
बोलती सुरेश ने अपने होठो से उसका मुँह बंद कर देता
इधर गरिमा के मोट मोट उरोजो को अपने मर्दाना हाथों से मसलने लगा ,ये पहली बार नही था जब गरिमा को किसी मर्द ने छुआ था उसका पुराना प्रेमी भी उसके उरोजो के साथ खेल चुका था पर चूत तक पहुँचता इस से पहले ही गरिमा को उसकी सच्चाई पता चल गयी की वो उसको धोका दे रहा है बस शायद इसी दिन के लिए गरिमा आज तक कुंवारी थी की उसका कौमार्य उसके पापा के लिए है धीरे धीरे सुरेश के होठ गरिमा के निप्पल को चूसने लगते है ऊपर से पानी की फुहार दोनो के बदन में आग में घी डालने का काम कर रही थी गरिमा इस अपरा तिम आनंद के सागर में डूब गयी और मज़ा लूटने लगी आह्ह्ह्ह...पापा उससे ये एहसास और रोमांचित का रहा था की उसके उरोजो को चूसने वाला इंसान उसके पापा है जिनकी मेहनत से ही वो इस दुनिया में आयी है अब वो उस लंड से खेलिगी । जिस से कभी उसकी माँ खेला करती थी आह्ह्ह..पापा ये सिसकियाँ सुरेश को उत्तेजित कर रहे थे आह्ह्ह..गरिमा तेरे दूध उम्म्म...मेरी प्यारी बेटी काफी देर तक दोनो बाप बेटी दुनिया से बेखबर अपनी बदन की आग मिटाने में लगे हुए थे।दोनो के बदन पे अब कोई वस्त्र नही था ।सुरेश निचे बैठ के गरिमा की चूत पे मुह लगा देता और चाटने लगता है इस हमले का गरिमा पे इतना जोरदार असर हुआ की उसके पैर कांपने लगे। आह्ह्ह...पापा ये गलत है ऐसा मत करो
सुरेश तो बस चूत को खाने में लगा था उसे कोई मतलब नही था उसकी बेटी की बूर है ।।सुरेश ,गरिमा को उठा के उस कमरे में ले गया जहाँ उसने बरखा की खुली हुई बुर में लंड डाला था पर अब उसको अपनी बेटी का कौमार्य मिलने वाला था जो बरखा नही दे पायी थी वो उसकी ही चूत से निकली उसकी बेटी देने वाली थी । बिस्तर पे गरिमा को रख कर सुरेश फिर से उसके बदन खेलने लगता है दोनो एक दूसरे के बदन को रगड़ने में लगे हुए थे तभी सुरेश उठ कर अपना लंड उसके मुँह के करीब ले जाता है दोनो की नज़रे एक दूसरे को देखती है और गरिमा शर्मा के लंड मुँह ले लेती है और चूसने लगती है इस आनंद के बारे में कल्पना करना सुरेश ने कभी नही सोचा था ।
आअह्ह्ह..गरिमा बेटी चुसो पापा का मदहोशी में सुरेश बोले जा रहा था आअह्ह..चुदड़कड़ कुतिया पापा की रंडी
अब समय आ गया था दोनो के मिलन का सुरेश माझा हुआ खिलाडी था उसने लंड को चूत पे रख के जोर से घुसा दिया ।गरिमा की जोरदार चीख़ से कमरा गूज उठा आज एक कली फूल बन चुकी थी सुरेश का लंड गरिमा की चूत को फाड़ के अंदर समा चुका था तभी एक और झटके से साथ गरिमा अपना कौमार्य पापा के नाम कर देती है ।और धीरे धीरे धक्को से चुदाई की रेल चलने लगती है गरिमा को ये एहसास ही नही था आज उसने अपनी चूत की खुजली के करण इतना बड़ा कदम उठा चुकी थी ।
गरिमा - आह्ह्ह...पापा चोदो अपनी बेटी को फाड़ दो मेरी बुर को पापा बहुत तंग करती है रात भर आह्ह..मेरे प्यारे पापा
सुरेश - आह्ह..हाँ बेटी आज तुझे चोद के मैं अमर हो गया जो तेरी माँ नही दे पायी वो तूने दे दिया
गरिमा को इतना मज़ा पहला कभी नही आया था वो चाहती थी की ये मज़ा ऐसे ही चलता रहे कभी ख़तम ना हो पर कोई भी काम शुरु हुआ है तो ख़तम भी होता ही है ।
कुछ देर चुदाई का ये खेल चलता रहा और फिर वो वहा पहुंच गये जिसे चरमसुख कहते है और देखते ही देखते गरिमा का पानी निकलने लगा बदन जोर से कांपने लगा इधर सुरेश भी गरिमा के काम रस से कमजोर हो गया और वो भी आह्ह...गरिमा बोलते हुए अपना माल उसकी चिकनी योनि में उगलने लगा ।और धड़ाम से उसके ऊपर गिर गया। दोनो ही अपनी साँसे काबू करने में लगे तभी दोनो की आँखें मिलती है और गरिमा शर्म से आँखें बंद कर लेती है ।
कुछ दर बाद सुरेश ,गरिमा ओ बेटा गरिमा आंखें खोलो ना जान गरिमा अपने आँखें खुलती और अपने प्यारे पापा को देखती हैं और फिर से लाज़ा जाती है ।
सुरेश बेटी जो भी हुआ गलत हुआ पर में बहुत कमजोर हो चुका था तेरी ये जवानी मुझे पागल कर रही थी हो सके तो अपने पापा को क्षमा कर देना । और उसकी आँखें नम हो चुकी थी ये सोच के की उसने अपनी ही बेटी का भोग लगा लिया ।
गरिमा - आखें खुलते हुए पापा से बोलती है पापा इसमे आपकी कोई गलती नही है मैं भी अपनी जवानी को काबू नही कर पायी और आप के साथ हम बिस्तर हो गयी ।मुझे भी माफ़ कर देना ।पर जब उसकी नज़र सुरेश पे गयी थी उसकी आँखें भी भीग गयी ।
दोनो ने एक दूसरे को देखा और लिपट गये उनकी आँखें ये साबित कर रही थी की हवस उनके प्यार पर भारी पड़ चुकी थी पर अब क्या करते जो हो चुका वो अब वापस नही हो सकता था दोनो रोते रोते सो गये ।
सुबह की पहली किरण से गरिमा की नींद खुल जाती है और वो बगल में सोये पापा को देखती हैं वो मुस्कुरा जाती है की कल तक ये उसके पापा थे और आज उसके बदन को भोगने वाला उसका मर्द ,रात की बातें सोचते सोचते गरिमा थोड़ी उदास हो जाती है की दोनो के बीच जो वो सही था की नही तभी कॉल के रिंग से वो वापस अपनी दुनिया में आती है और देखती है ये तो मम्मी का है
बात करके कॉल कट कर देती है और उठ कर अपने पापा के लिए या दूसरी तरफ अपने पति के लिए नास्ता बनाने चली गयी ।
सुरेश और गरिमा की निगाहें जब मिली तो दोनो रात की मनमोहक मिलन को याद कर के मुस्कुरा देते है दोनो नास्ता कर रहे थे पर बोले कुछ भी नही ।तभी सुरेश बोला बरखा के आने में दो दिन है घर की सफाई अच्छे से कर देना ।ये सुन गरिमा का चेहरा खिल जाता है इसका सीधा मतलब उस बिस्तर से था जिसपे गरिमा और सुरेश के मिलन की निशानी अभी भी ताज़ा थी । और दुकान के लिए निकल जाता है ।इधर गरिमा अच्छे से अपनी चुदाई के सबूत मिटा देती है और पलक को कॉल पे सब बता देती है।
पलक - वाह साली तु तो रंडी निकली अपने ही पापा को फंसा के चुदवा ली ।
गरिमा हंस देती है और बोलती है साली सब तेरी वजह से हुआ
पलक जो शायद शिमला में अपने पापा के लंड को चूसने जा रही थी की गरिमा का कॉल आता है और वो उठा के बात करती है
पलक - साली मेरी वजह से नही तेरी चूत की खुजली ने तेरे पापा को बेटीचोद बनवा दिया
गरिमा - हँसते हुए हां यार जो भी हो मज़ा बहुत आया
पलक - अच्छ सुन बाद में बात करती हूँ अभी क्रीम रोल खाने दे यार ।
गरिमा - मुस्कुरा के ठीक है खा ले साली और कॉल कट कर देती है
शाम को जब सुरेश घर आया तो गरिमा को देख उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती है ।
आज गरिमा ने अपनी माँ की सुहागरात वाली साड़ी पहनी थी जिसमे गजब की बाला की खूबसूरत लग रही थी।
उसने सुरेश को पानी देकर बिल्कुल पत्नी की तरह किया उसका ये रूप सुरेश के मन को ही नही लंड को भी रोमांचित कर गया ।
सुरेश कुछ खास बोल नही पा रहा था पर गरिमा आज बहुत खुश थी खाना खाने के बाद सोने की तैयारी हुई गरिमा अपने कमरे के वजह पापा के कमरे में चल दी
सुरेश कुछ बोलता उससे पहले ही गरिमा ने सिन्दूर की डिब्बी उसके सामने कर दी और बोली मेरी मांग भर दो पापा ।
ये सुनते ही सुरेश के तो हाथ पैर ठंडे हो जाते है और वो बिस्तर से उठ कर बोलता है क्या ?? ये तुम क्या कह रही हो बेटा मैं कैसे तुम्हारी मांग भर सकता हूँ ये तो पति करते है ।
गरिमा - हाँ पापा और मेरे पति आप हो ।
सुरेश - ये क्या बोल रही हो गरिमा तुम ठीक तो हो मैं तुम्हारा पिता हूँ।
गरिमा - पिता थे अब नही हो कल रात जो हुआ वो एक पति अपनी पत्नी से करता है इसी लिए अब मेरे पति को मेरी मांग भर के मुझे पत्नी का दर्ज़ा देना चाहिए
सुरेश की तो हालत खराब हो चुकी थी ये सब सुन के की उसकी खुद की बेटी उससे विवाह रचाना चाहती हैं
सुरेश - पर ये कैसे हो सकता है संसार और समाज इसकी इजाज़त नही देते है ।
गरिमा - पापा कल रात जो हुआ उसको भी संसार और समाज उसकी भी इज़ाज़त नही देता पर अपने मेरा भोग लगया ना और मेरा कौमार्य लेकर मुझे कली से फूल भी बना दिया
सुरेश बिल्कुल चुप था आखिर वो क्या कहता गरिमा की बातें बिल्कुल सही थी जो उसने कल रात को किया था उसकी भी तो इज़ाज़त समाज नही देता ।
थोड़ी देर कमरे की शांति को गरिमा ने भंग किया और बोली मैं आपके लिए अपना कौमार्य दे दिया और क्या आप मुझे पत्नी नही बना सकते क्या आप मुझे रखैल की तरह इस्तेेमाल करना चाहते है ।इससे आगे गरिमा कुछ बोलती सुरेश बोल उठता है नही नही बेटी तु मेरी गरिमा है जिसने मुझे पहली बार पापा बोला था तेरी ही वजह से मैं पिता का पहला एहसास किया था मैं तो सपने में भी तुझे कभी रखैल नही समझ सकता हूँ।
गरिमा तो मेरी मांग भर के मुझे बरखा देवी के बराबर का दर्जा दो और मंगलसूत्र पहना के पत्नी बन ने का हक ।
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद सुरेश बोलता है ठीक है गरिमा और उसकी मांग भर देता है और उसके गाले में मंगलसूत्र पहना के पत्नी बना लेता है
गरिमा भी अपने पति या पापा के पैर छुकर आशीर्वाद लेती है और गरिमा कहती है चलो जी मेरे कमरे में सुरेश बोलता है क्या हुआ अब पत्नी का दर्जा तो दे दिया ।
गरिमा पत्नी का दर्जा तो मिल गया पर पत्नी को पति का जो चाहिए उसका दर्जा मेरे कमरे में है ।इतने बोल के गरिमा और सुरेश चल देते है ।
कमरे में पहुंचते ही पुरा कमरा फूलो से सजा हुआ था बिस्तर पे भी फूल ही फूल थे पुरा कमरा फूलो की खुसबू से महक उठा था और दिवार पे एक तरफ लिखा था गरिमा संग सुरेश ,ये सब देख सुरेश की धड़कने तेज़ हो गयी उसको अपनी और बरखा की सुहागरात याद आ गयी ।उफ़..वो भी क्या दिन थे पर यहा बरखा से कसी हुई चूत आज उसे मिली थी ।दोनो एक दूसरे को देख के मुस्कुरा दिये और होठो को होठो से मिला के अपनी सुहागरात का पहला चरण शुरू कर दिया ।दोनो ही आज पूरे साथ दे रहे थे थोड़ी देर की होठो को रगड़ने के बाद दोनो अलग हुए दोनो की साँसे तेज़ थी ।एक खुशी के साथ दोनो के ही चेहरे पर मुस्कुरहट थी ।सुरेश बोला मुझे नही पता था मेरी फिर सुहागरात होगी आई लव यू गरिमा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ।गरिमा मुस्कुरा कर कहती है मैं भी आप से बहुत प्यार करती हूँ जी ।
फिर दोनो का मिलन होने लगता है दोनो जोर जोर से आहे भर रहे थे पुरा कमरा थप थप की आवाज़ से गूज रहा था मस्ती अपने पूरे सबाब पे थी दोनो ही आज एक दूसरे में समा जाना चाहते थे ।आह्ह्ह..सुरेश धीरे करो राजा जी
ये आवाज़ गरिमा की जब सुरेश के कानो में गयी तो सुरेश मुस्कुरा के गरिमा को और जोर से पेलने लगा आह्ह.. गरिमा मेरी जान इतने कहते ही सुरेश का लंड माल फेंक देता था और गरिमा की बूर माल से भरने लगती है इस एहसास से गरिमा भी झटके खाते हुए अपने कामरस को सुरेश के वीर्य से मिला देती है और दोनो आज सही रूप में पति पत्नी बन चुके थे ।दोनो की बीच आज हवस कम प्यार ज्यादा था पर हवस के बिना प्यार अधूरा है और प्यार बिना हवस दोनो के बिना ये संसार नही चल सकता ये सत्य है ।
रात भर गरिमा का बदन को सुरेश ने रगड़ रगड़ के थका दिया था उसका अंग अंग टूट रहा था रात भर की चुदाई से गरिमा थक गयी थी और सुरेश भी अपनी पत्नी के लिए घर पे रुक ही गया दोनो ने पूरे दो दिन तक पति पत्नी की तरह रह कर मज़ा लूट रहे थे इस दौरान गरिमा अनेक बार चोदी और सुरेश ने भी गरिमा को हर तरह से पेला कोई कसर नही रखना चाहता था सुरेश आखिर पत्नी को ठीक से ना चोदो तो वो किसी और से पिलवाती है ।
उधर गाँव से राहुल ,निधि ,बरखा और आरोही दिल्ली के लिए निकल चुके थे उनके आने से पहले गरिमा ने सब कुछ पहले जैसा कर दिया वो अपनी चुदाई का कोई सबूत नही छोड़ना चाहती थी हाँ पर एक सबूत वो कभी नही मिटा सकती थी जो उसकी टांगो के बीच था उसकी चूत जो अब खुल चुकी थी जिसे देख के कोई भी बता देता ये चुदी चुदाई माल है ।
रात भर चुदाई करके सुरेश और गरिमा नंगे ही सो गये थे ।सुरेश की आँख खुली तो दिन के 12:35 हो रहे थे। तभी सुरेश को याद आता है की बरखा तो आज ही आने वाली थी वो जल्दी से गरिमा को उठा के कमरे की साफ सफाई करते है और एक बार फिर से बाप और बेटी बन जाते है ।
राहुल ,निधि ,बरखा,आरोही स्टेशन पे उतर चुके थे और घर के लिए टेैक्सी करके निकल जाते है इधर गरिमा को डर लग रहा था की कही किसी को पता ना चल जाये उसके हाथ पैर डर से फूलने लगते है की तभी सुरेश ये सब देख के गरिमा को चूम लेता है और बोलता है प्यार किया तो डरना क्या और मुस्कुरा देता है साथ मैं गरिमा भी मुस्कुरा देती है ।
इतने देर में दरवाजे पे कोई दस्तक देता है बरखा, गरिमा बेटा कहा है दरवाजा खुल बेटा हम लोग आ गये है।कुछ ही समय के बाद दरवाजा खुलता है और सब एक दूसरे को देख गाले लग जाते है । गरिमा एक सबूत मिटाना भूल गयी थी पर क्या ??? ये राज़ कोई जान पायेगा या नहीं और वो सबूत किसके हाथ लगेगा ??
Bhut khub achha likh rhe ho
 
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