parkas
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Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....#164.
“बहुत अच्छे क्रिस्टी। तुमने बहुत अच्छी चीज पर ध्यान दिया।” सुयश ने क्रिस्टी की तारीफ करते हुए कहा- “यानि की अगर हम उस किताब पर लिखी तारीख को सही कर दें तो मूर्ति के पैरों में लगी बेड़ियां अपने आप हट जायेंगी।”
“कैप्टेन, आपने मेरी तारीफ क्यों नहीं की ?” ऐलेक्स ने नकली मुंह बनाते हुए कहा।
ऐलेक्स का ऐसा मुंह देख सभी की चेहरे पर मुस्कान आ गई।
सुयश ने ऐलेक्स की ओर देखा और जोर से उसका गाल पकड़ कर खींच दिया। यह देख सभी हंस दिये।
“अच्छा अगली बात कि मूर्ति के हाथ में पकड़ी मशाल की फ्लेम भी गायब है, हमें उसे भी ढूंढना पड़ेगा।” सुयश ने सभी को फिर से काम की याद दिलाते हुए कहा।
“कैप्टेन, मशाल वाली जगह पर जाने के लिये तो सीढ़ियां बनी हैं, पर इस किताब वाली जगह पर कैसे जायेंगे, वहां जाने का तो कोई रास्ता नहीं है।” तौफीक ने सुयश को ध्यान दिलाते हुए कहा।
“हमें वहां पर उतरने के लिये एक लंबी और मजबूत रस्सी चाहिये होगी...जो कि शायद यहीं कहीं हमें ढूंढने पर मिल जाये?...पर पहले हमें मशाल वाली जगह पर चलना होगा।” सुयश यह कहकर वापस सीढ़ियों की ओर बढ़ गया।
कुछ देर में सभी मशाल वाली जगह पर थे।
यह जगह मूर्ति की सबसे ऊंची जगह थी, यहां से न्यूयार्क शहर का एक बहुत बड़ा हिस्सा दिख रहा था।
सभी ने चारो ओर देखा, पर मशाल की फ्लेम कहीं भी नजर नहीं आयी।
जब काफी देर तक मशाल की फ्लेम नहीं मिली, तो थककर ऐलेक्स ने कहा - “मशाल की फ्लेम का आकार काफी बड़ा है, ऐसे में उस फ्लेम को इस स्थान के अलावा मूर्ति में कहीं नहीं रखा गया होगा, क्यों कि अगर उसे कहीं और रखा गया होता, तो उसको उठाकर यहां तक लाने के लिये कुछ ना कुछ व्यवस्था जरुर होती? पर हमें यहां और कुछ नहीं दिखाई दे रहा? इसका मतलब कुछ तो जरुर ऐसा है, जिसे हम समझ नहीं पा रहे हैं?”
ऐलेक्स के शब्द सुन सुयश कुछ देर के लिये सोच में पड़ गया और फिर वह मशाल की सीढ़ियां चढ़कर मशाल की फ्लेम के पास आ गया।
सुयश कुछ देर तक मशाल की फ्लेम के ऊपर हवा में हाथ लहराता
रहा और अचानक से जैसे ही सुयश ने अपना हाथ नीचे किया, मशाल पर फ्लेम दिखाई देने लगी।
सुयश अब उतरकर नीचे आ गया। सुयश के नीचे आते ही सभी ने उसे घेर लिया।
“कैप्टेन, आप ने यह कैसे किया?” जेनिथ ने सुयश से पूछ लिया।
“दरअसल मुझे अपने पुराने समय की एक घटना याद आ गई।” सुयश ने कहा- “जब मैं xv साल का था, तो मुझे याद है कि अमेरिका के एक प्रसिद्ध जादूगर ‘डेविड कॉपरफील्ड’ ने सबके सामने जादू से, स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी को गायब कर दिया था, मैंने भी वह शोटी.वी. पर देखा था। उस समय तो सभी के लिये, यह एक बहुत बड़े जादू के समान था, पर बाद में पता चला कि स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी कहीं गायब ही नहीं हुआ था, जादूगर ने उसके सामने एक शीट लगा कर सिर्फ दुनिया की नजर में गायब किया था।
“तो जब ऐलेक्स यह कह रहा था कि मशाल की फ्लेम को कहीं और नहीं रखा जा सकता? तो मुझे लगा कि कहीं मशाल की फ्लेम अपनी जगह पर ही तो नहीं है, जिसे किसी अदृश्य शीट से ढक दिया गया हो। तभी मुझे उस अदृश्य चीज का ख्याल आया, जिससे कैश्वर ने 25 वीं खिड़की गायब की थी। बस यही सोचने के बाद, मैं उसे चेक करने के लिये मशाल के पास जा पहुंचा और मेरा सोचना बिल्कुल ठीक निकला। कैश्वर ने मशाल की फ्लेम को भी हमें भ्रमित करने के लिये अदृश्य कर रखा था।”
“तो कैप्टेन अब सिर्फ 2 चीजें ही बदलने को बची हैं।” तौफीक ने कहा- “एक तो किताब की तारीख बदल कर मूर्ति की बेड़ियां तोड़नी है और दूसरा मूर्ति का रंग भूरे से हरा करना है बस।”
“तो फिर पहले हमें तुरंत कहीं से रस्सी ढूंढनी होगी।” क्रिस्टी ने कहा।
“तो फिर सबसे पहले इस स्थान को ही ठीक से चेक कर लेते हैं और फिर वापस मुकुट वाले स्थान पर जायेंगे।” ऐलेक्स ने कहा।
सभी ने मशाल वाली जगह को हाथ से टटोलकर ठीक से देख लिया, पर वहां कुछ भी नहीं था।
इसके बाद सभी मुकुट वाले स्थान पर आ गये। पूरा कमरा सबने छान मारा, पर कहीं भी उन्हें रस्सी ना मिली।
यह देख जेनिथ ने हर खिड़की को खोलकर, उसके नीचे बाहर की ओर चेक करना शुरु कर दिया।
आखिरकार जेनिथ को सफलता मिल ही गई। उसका हाथ किसी अदृश्य चीज से टकराया।
“कैप्टेन!” जेनिथ ने खुशी से चीखते हुए कहा- “हम लोग रस्सी ढूंढ रहे थे, पर यहां इस खिड़की के नीचे बाहर की ओर अदृश्य सीढ़ियां हैं, जो कि नीचे किताब तक जा रहीं हैं।” यह सुन सुयश ने राहत की साँस ली।
“पर यह सीढियां तो अदृश्य हैं, बिना देखे इस पर से उतरना खतरे से खाली नहीं है।” क्रिस्टी ने कहा।
“इसीलिये तो मैं आप लोगों के साथ हूं।” शैफाली ने मुस्कुराते हुए कहा- “यह काम भी मुझसे अच्छा कोई नहीं कर सकता।”
सभी को शैफाली का तर्क सही लगा। अब शैफाली ने खिड़की के ऊपर चढ़कर अपना पहला कदम
सीढ़ियों पर रखा।
कुछ ही देर में टटोलते हुए शैफाली किताब तक पहुंच गई। शैफाली ने अब किताब के ऊपर लिखे रोमन अक्षरों को सही से सेट कर दिया।
जैसे ही किताब के अक्षर बदले, मूर्ति के पैर में बंधी बेड़ियां अपने आप खुल गईं। शैफाली धीरे-धीरे वापस ऊपर आ गई।
तभी एका एक स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के ऊपर काले घनघोर बादल नजर आने लगे और मौसम बहुत ज्यादा खराब हो गया।
सभी आश्चर्य से ऊपर की ओर देख रहे थे, क्यों कि बादल सिर्फ स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के ही ऊपर थे।
न्यूयार्क की ओर मौसम बिल्कुल साफ नजर आ रहा था।
तभी समुद्र का पानी भी जोर-जोर से ऊपर की ओर उछलने लगा।
“यह मौसम एकाएक कैसे खराब हो गया?” सुयश ने आश्चर्य से ऊपर आसमान की ओर देखते हुए कहा।
तभी अचानक सुयश को कुछ याद आया और वह चीखकर सभी से बोला- “तुरंत यहां से नीचे की ओर भागो, नहीं तो सब मारे जायेंगे।”
“ये आप क्या कह रहे हैं कैप्टेन?” ऐलेक्स ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा- “हमें यहां पर किससे खतरा है?”
“पहले भागो, रास्ते में बताता हूं।” यह कहकर सुयश भी तेजी से सीढ़ियां उतरने लगा।
किसी को कुछ भी समझ में नहीं आया कि सुयश क्यों सबको भागने के लिये कह रहा है, पर फिर भी सभी सुयश के पीछे भागने लगे।
भागते-भागते सुयश ने चिल्ला कर कहा- “यह मूर्ति तांबे की बनी है, जिसके कारण यह मूर्ति आसमान की बिजली को अपनी ओर खींचती है। इसी वजह से पूरे साल में इस पर कम से कम 300 बार बिजली गिरती है। अगर हमारे यहां रहते, वह बिजली इस पर गिरी तो हम झुलस जायेंगे।”
सुयश के शब्द सुन सभी डर गये और तेजी से सीढ़ियां उतरने लगी।
तभी कहीं पानी में जोर की बिजली गिरी, जिसकी वजह से समुद्र के पानी ने मूर्ति को भिगा दिया।
समुद्र के पानी में भीगते ही स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी का रंग भूरे से, हल्का हरा हो गया।
तभी सभी मूर्ति के नीचे मौजूद पत्थर पर पहुंच गये। अभी यह जैसे ही पत्थर के पास पहुंचे, तभी मूर्ति के ऊपर एक जोर की बिजली गिरी।
बिजली के गिरने से तेज प्रकाश चारो ओर फैल गया। अगर सुयश सभी को लेकर समय पर नीचे नहीं आया होता, तो अब तक सभी बिजली में झुलस गये होते।
तभी सुयश की निगाह मूर्ति के हरे रंग पर गई।
“लगता है समुद्र का पानी मूर्ति पर गिरने से ऑक्सीकरण के द्वारा मूर्ति हरी हो गई है।” सुयश ने कहा- “पर अगर मूर्ति हरी हो गई है तो अभी तक यह माया जाल टूटा क्यों नहीं?” सुयश के चेहरे पर आश्चर्य के भाव उभरे।
तभी एक और बिजली आकर मूर्ति पर गिरी। बिजली की रोशनी में सुयश ने जो देखा, उसे देखकर उसकी रुह फना हो गई।
बगल वाली स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी जिंदा हो गई थी और उन्हीं की ओर आ रही थी।
सुयश के चेहरे के भावों को बदलता देख सभी की निगाह उस ओर चली गई, जिधर सुयश देख रहा था।
दूसरी मूर्ति को जिंदा होते देख सबकी हालत खराब हो गई क्यों कि इस समय किसी के भी पास कोई भी चमत्कारी शक्ति नहीं थी और बिना किसी चमत्कारी शक्ति के 151 फुट ऊंची धातु की प्रतिमा को पराजित करना इनमें से किसी के भी बस की बात नहीं थी।
“अब क्या करें कैप्टेन?” क्रिस्टी ने घबराए स्वर में कहा- “बिजली अभी चमकना बंद नहीं हुई है, इसलिये हम मूर्ति के अंदर भी नहीं जा सकते और बाहर रहे तो ये दूसरी मूर्ति हमें मार देगी और इस मूर्ति को हम किसी भी प्रकार से परजित नहीं कर सकते।”
क्रिस्टी की बात तो सही थी, पर पता नहीं क्यों अभी भी सुयश तेजी से कुछ सोच रहा था।
अचानक सुयश जोर से चिल्लाया- “तुम लोग कुछ देर तक इससे बचने की कोशिश करो, मैं देखता हूं कि मैं क्या कर सकता हूं?” यह कहकर सुयश तेजी से सीढ़ियां चढ़कर वापस ऊपर की ओर भागा।
किसी की समझ में नहीं आया कि सुयश क्यों अब मूर्ति के ऊपर जाकर अपनी मौत को दावत दे रहा है, पर अभी सबका ध्यान दूसरी मूर्ति की ओर था।
दूसरी मूर्ति चलती हुई पहली मूर्ति के पास आयी और पानी में हाथ लगाकर उसे गिराने का प्रयत्न करने लगी।
सभी उसे देखकर मूर्ति वाले पत्थर के नीचे छिपकर खड़े हो गये थे।
अभी तक दूसरी मूर्ति की निगाह इनमें से किसी पर नहीं पड़ी थी, इसलिये वह बस पहली मूर्ति को उखाड़ने का प्रयत्न ही कर रही थी।
उधर सुयश लगातार सीढ़ियां चढ़ता जा रहा था, इस समय जैसे उस पर किसी थकान का कोई असर नहीं हो रहा था।
कुछ ही देर में सुयश मूर्ति के मुकुट वाले स्थान पर पहुंच गया, अब वो तेजी से जमीन पर टटोलते हुए जापानी पंखा ढूंढ रहा था।
कुछ देर की मेहनत के बाद सुयश के हाथ वह जापानी पंखा लग गया। सुयश ने तेजी से उस पंखे को वापस बंद कर दिया।
ऐसा करते ही पहली मूर्ति के मुकुट की सारी किरणें सिमट कर एक हो गईं और दूसरी मूर्ति अपनी जगह पर स्थिर हो गई।
तभी फिर से एक जोर की बिजली आसमान से पहली मूर्ति पर गिरी, परंतु आश्चर्यजनक ढंग से वह सारी बिजली बिना सुयश को क्षति पहुंचा ये उस एक किरण से निकलकर दूर पानी में जा गिरी। यह देख सुयश के चेहरे पर मुस्कान खिल गई।
अब उसने जापानी पंखें के द्वारा पहली मूर्ति की किरण को इस प्रकार सेट कर दिया कि अगर अब पहली मूर्ति पर बिजली गिरे तो वह परावर्तित होकर दूसरी मूर्ति पर जा गिरे।
अब बस सुयश को इंतजार था, एक बार फिर से बिजली के पहली मूर्ति पर गिरने का। और इसके लिये सुयश को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा।
कुछ ही देर में आसमान में फिर जोर की बिजली कड़की और पहली मूर्ति पर आ गिरी।
इसी के साथ पहली मूर्ति के मुकुट में बनी किरण ने, बिजली को संकेन्द्रित करके दूसरी मूर्ति की ओर भेज दिया।
दूसरी मूर्ति पर बिजली गिरते ही वह मूर्ति टूटकर कणों में परिवर्तित हो गई। और इसी के साथ आसमान में छाए घने बादल कहीं गायब हो गए।
अब सुयश ने एक बार फिर से जापानी पंखे का प्रयोग कर पहली मूर्ति की सातो किरणों को पहले के समान कर दिया।
जैसे ही मूर्ति अपने वास्तविक रुप में आयी, मूर्ति जिस पत्थर पर खड़ी थी, उसमें एक नया द्वार खुल गया, जो कि इस बात का प्रमाण था कि तिलिस्मा का यह द्वार भी पार हो चुका है।
अब सभी को बस सुयश के नीचे आने का इंतजार था। जैसे ही सुयश नीचे आया, सभी ने सुयश के नाम का जोर का जयकारा लगाया।
कुछ देर खुशी मनाने के बाद सभी शांत हो गये।
अब ऐलेक्स ने आखिर पूछ ही लिया- “आपने यह सब कैसे किया कैप्टेन?”
“मैंने सोचा कि दूसरी मूर्ति अगर पहली मूर्ति की सब कमियां दूर करने के बाद जिंदा हुई है, तो वापस पहली मूर्ति में कमी लाकर दूसरी मूर्ति को रोका जा सकता था। यही सोचकर मैंने जापानी पंखे के द्वारा मूर्ति के मुकुट में फिर से कमी ला दी, जिससे दूसरी मूर्ति अपने स्थान पर ही रुक गई। अब रही बात उस मूर्ति को नष्ट करने की, तो मैंने यह देखा कि बिजली उस मूर्ति पर नहीं गिर रही है, इसका साफ मतलब था कि वह मूर्ति तांबे से नहीं बनी है।"
“अब बची बात इस मूर्ति की तो तांबा हमेशा नमक वाले पानी से रिएक्शन कर एक बैटरी का रुप ले लेता है और समुद्र के पानी में नमक था, यानि कि जितनी बार बिजली इस मूर्ति पर गिर रही थी, वह इसे चार्ज करती जा रही थी, अब बस उस बिजली को बढ़ाकर सही दिशा देने की जरुरत थी और वह सही दिशा मैंने सभी किरणों को एक करके कर दी। इस प्रकार से नयी गिरी बिजली, मूर्ति में स्टोर की हुई बिजली के साथ संकेन्द्रित होकर एक दिशा में जाने लगी। जिसे देखकर मैंने उस किरण का मुंह दूसरी मूर्ति की ओर कर दिया और इसी के साथ वह दूसरी मूर्ति नष्ट हो गई।”
“वाह कैप्टेन! आपने तो कमाल कर दिया ।” क्रिस्टी ने सुयश की तारीफ करते हुए कहा- “हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि इतनी बड़ी मूर्ति को बिना किसी चमत्कारी शक्ति के भी पराजित किया जा सकता है।”
“जिस समय तुमने बिना किसी शक्ति के रेत के सभी जीवों को पराजित किया था, यह भी बिल्कुल वैसे ही था।” सुयश ने क्रिस्टी से कहा- “हमें किसी भी चीज को पराजित करने के लिये सही समय पर सही सोच की जरुरत होती है बस...और वह सही सोच हममें से सबके पास है।”
सुयश के शब्दों से सभी प्रभावित हो गए। कुछ देर बाद सभी अगले द्वार में प्रवेश कर गये।
जारी रहेगा_____![]()
Nice and lovely update....

waise chemistry and physics apun hi use kiya hai 
