• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,430
8,075
173
जय भारत


उसी समय एक दस्तक हुई।


अब आगे


सुंदरीने दरवाज़ा खोला और देखा सेठ दरवाजे पर खड़ा है। उसने उसे अंदर जाने दिया और खाट पर बैठने को कहा। उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। सेठ ने काफी समय से महक को नहीं देखा है। वह उसकी सुंदरता और युवा शरीर को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। सेठ ने महक को अपने पास बैठने के लिए कहा और उसने उसकी पीठ पर अपना हाथ फिराया। दूसरे हाथ से उसने उसके गाल थपथपाये। वह उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर सकता था,

"सुंदरी, तेरी बेटी तो पूरी जवान हो गई है, इसके लिए कोई लड़का देखा की नहीं..." उसने महक को अपने शरीर पर खींच लिया।

“सेठजी, शादी के लिए तो बहुत लड़का मिल जाएगा लेकिन मैं चाहती थी कि पहले कोई इसकी सील तोड़े।”
मैत्री और नीता की रचना

..सुंदरी ने सेठ की ओर देखा और सवाल किया, "आप ही क्यों नहीं इसकी सील तोड़ने का पुण्य लेते हैं" बेचारी आपको आशीर्वाद देगी। वह पूरी तरह से कुंवारी है। किसी ने उसे नहीं देखा है... उसके माल को।” सेठ को पता था कि पिछले दस दिनों से उसका अपना भाई हर रात उसकी 'मालिश' से खेल रहा था और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया था।

सेठ प्रस्ताव पर उत्साहित तो हुआ, लेकिन बोला, "तुम तो जानती हो सुंदरी, अब (तुम्हें चोदने के बाद) मैं इसकी सील कैसे तोड़ सकता हूँ..?"

उसने महक के गालो को चूमा।

“तू एक काम कर, इसे रोज मेरे घर ले कर आया करो, वहा अभी रोज शाम को कई लोग आते हैं..इसका सील तोड़ने वाला जल्दी मिल जाएगा…।”

सेठ को महक के कसे हुए स्तन अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे!
मैत्री और फनलवर की रचना

“वैसे महक तुमने अपना माल का सही तरीके से विकास किया है। और इसकी चूत का पटल तोड़ने की क्या कीमत रखती हो?”

“अब मैं क्या कहू सेठजी? जो ज्यादा से ज्यादा देगा चूत उसकी पर एक रात के लिए।“

“फिर भी कुछ सोचा तो होगा ना तुम लोगो ने मिलके?”

“कमसे कम दो लाख..” सुंदरी ने कहा और फिर पूछा “ज्यादा है क्या?”

सेठ ने महक को अपने सामने खींच लिया। उसने उसकी ऊपर से नीचे तक जांच की और फिर उसे वापस कर दिया। फिर वह अपनी सिट से उठ कर महक के सामने आया और उसकी फ्रॉक को ऊपर उठाया और उसकी चूत का दर्शन किया। सुंदरी भी पास में ही खड़ी थी, सेठजी उसके पास गए और उसका पेटीकोट उठाया और उसकी चूत देखि और फिर सुंदरी के सतनो को थोडा मसला और बोले:

तभी परम भी अन्दर आ चुका था।
मैत्री और नीता की रचना

“नहीं, ज्यादा तो नहीं है… दो लाख से ज्यादा देने वाले भी मिल जायेंगे..”? सेठ ने कहा और जारी रखा। उसने बताया कि बारातियों के मनोरंजन के लिए उसने 4-5 तवायफ़ (नर्तकियाँ) रखी हैं जो शाम को नाचेंगी और गाएँगी और रात में चुदाई के लिए भी उपलब्ध रहेंगी। सेठ ने सुंदरी से फिर कहा कि उसे वी.वी.आई.पी. के मनोरंजन के लिए कुछ गाँव की औरतें चाहिए और उसने सुंदरी से शादी के दौरान दो रातों के लिए खुद को मुक्त रखने का अनुरोध किया, खूब चुदवाना है बरातियो को खुश रखना है और उसकी जिम्मेदारी तुम्हे देने आया था। सेठ ने कहा कि वह उन्हें अच्छी तनख्वाह देता है।

सुंदरी ने परम की तरफ देखा। लेकिन महक ने कहा,

“पूनम और सुधा को मैं मना लूँगी…”

परम ने कहा कि वह विनोद की बहन को इसके लिए राज़ी कर लेगा।

सेठ को राहत मिली, वह उठा और परम से बोला

“आज सुंदरी को लेकर ठीक दो बजे ऑफिस के बाले रूम में ले आना..बेटे।”

फिर उसने सुंदरी से कहा,

“चलो नीचे कमरे में चलो.. तुमसे कुछ काम है..।”
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

सुंदरी ने अपनी आँखें नीची करके बैठी रही। उसे पता था कि क्या काम है। परम भी जानता था कि सेठ सुंदरी को चोदना चाहता है, इसलिए परम ने उसे ऊपर खींचा और कमरे में ले गया। सेठ ने सुंदरी को बाहों में ले लिया और जल्द ही दोनों नंगे हो गए और सेठजी का लंड सुंदरी के अंदर था।

महक को यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा इंसान भी इतनी अच्छी तरह से चुदाई कर सकता है। उसने सेठजी का लंड उसकी माँ की चूत में अंदर-बाहर होते देखा। महक ने देखा कि पूनम की तरह सुंदरी भी चुदाई का मज़ा ले रही थी और वह सेठजी को सहला रही थी और चूम रही थी। लेकिन इस बार सिर्फ़ 6-7 मिनट बाद ही सेठजी स्खलित हो गए और उसके बदन से उतर गए। महक ने सेठजी का लंड देखा जो 6 इंच से ज़्यादा लंबा और काफ़ी मोटा था, लेकिन उसे अंदाज़ा हो गया कि सेठजी का सुपाड़ा पतला था। उसे खुशी हुई कि उसके बाप और भाई का लंड सेठजी से कहीं ज़्यादा अच्छा था। सेठ ने अपने कुर्ते से नोटों के बंडल निकाले और सुंदरी के नंगे बदन पर नोट बिखेर दिए।

महक ने रंडियों के बारे में सुना था, लेकिन आज उसने अपने घर पर ही एक रंडी देखी। सुंदरी बिस्तर पर ही रही और सेठ कपड़े पहनकर बाहर आ गया। सेठ जब बाहर आ रहा था, तब सुंदरी ने सेठजी से कहा कि वह अपनी बड़ी बहू 'उषा' को उसके घर भेज दे और सेठ मान गया।

उसे नहीं पता था कि सुंदरी ने परम को बड़ी बहू से चुदवाने की योजना बना ली है। उसे ज़रा भी शर्म नहीं आई कि परम और महक ने भी उसे नंगा देखा। वह उन पर मुस्कुराया और महक को याद दिलाया कि वह शाम को उसके घर आए। और यह भरोसा भी दिलाया की उसकी चूत का कोई ना कोई मोल मिल ही जाएगा। उसने महक को भी थोडा अपनी तरफ खींचा लेकिन महक नहि खिंची।

सेठजी ने सुंदरी और परम के सामने देखते हुए कहा, “महक को अभी काफी सीखना है, ज़रा तुम अपनि स्किल उसे दे दो। लंड को देख के थोडा तो मुस्करा करो मेरी जान।“


अब सुंदरी ने महक को थोडा धक्का दिया और कहा “सेठजी है अपने है और भरोसे मंद है तुम्हे कोई चोट नहीं पहुचाएंगे। जाओ बेटी उनके पास जाओ अपे माल का थोडा हुन्नर भी दिखाओ ताकि तुम्हारी तारीफ़ वह आगे कर सके और तुम्हे जल्द से जल्द चूत का पटल खुले, बाकी आए लम्बी राह है।“
बस आज लिए यही तक। कल अगले अपडेट में मुलाक़ात होगी
तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले

प्रतीक्षा तो रहेगी ही

जय भारत
Sundari ka ghar to pura randikhana ban gaya hai.
 

Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
7,430
8,075
173
जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........



सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।

“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“

सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”

महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“

“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“

महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“

“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।

लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।

महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।

महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।

सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“

सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“

महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“

“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।

सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“

सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।

सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की।
मैत्री और फनलवर की रचना।

“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”

परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''

परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”

“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।

सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“

मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”

ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।

दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“

“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई।
मैत्री और फनलवर की रचना है।

महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....


आगे और भी है...............


आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:



।।जय भारत।।
Gajab ka stamina hai Sundari me.
 

curious1964

Member
246
137
43
Be
जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........



सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।

“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“

सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”

महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“

“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“

महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“

“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।

लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।

महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।

महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।

सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“

सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“

महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“

“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।

सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“

सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।

सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की।
मैत्री और फनलवर की रचना।

“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”

परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''

परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”

“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।

सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“

मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”

ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।

दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“

“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई।
मैत्री और फनलवर की रचना है।

महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....


आगे और भी है...............


आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:



।।जय भारत।।
Bahut hi kamuk update hai !👍
 

Funlover

I am here only for sex stories No personal contact
15,915
23,278
229
Sundari ka ghar to pura randikhana ban gaya hai.
Kher muje randikhane ki definition pata nahi.
Par yah keh sakti hu ki ghar kaafi open ho chuka hai jo kehne ke liye sabhya society hai.
Baki sabhya society me bahot kuchh hota hai.
Kahavt hai ki jo pakda gaya wohi chor hai, baki sab sahukaar.
 
  • Love
  • Like
Reactions: Napster and Mass

Napster

Well-Known Member
6,660
17,555
188
जय भारत


उसी समय एक दस्तक हुई।


अब आगे


सुंदरीने दरवाज़ा खोला और देखा सेठ दरवाजे पर खड़ा है। उसने उसे अंदर जाने दिया और खाट पर बैठने को कहा। उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। सेठ ने काफी समय से महक को नहीं देखा है। वह उसकी सुंदरता और युवा शरीर को देखकर बहुत प्रभावित हुआ। सेठ ने महक को अपने पास बैठने के लिए कहा और उसने उसकी पीठ पर अपना हाथ फिराया। दूसरे हाथ से उसने उसके गाल थपथपाये। वह उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर सकता था,

"सुंदरी, तेरी बेटी तो पूरी जवान हो गई है, इसके लिए कोई लड़का देखा की नहीं..." उसने महक को अपने शरीर पर खींच लिया।

“सेठजी, शादी के लिए तो बहुत लड़का मिल जाएगा लेकिन मैं चाहती थी कि पहले कोई इसकी सील तोड़े।”
मैत्री और नीता की रचना

..सुंदरी ने सेठ की ओर देखा और सवाल किया, "आप ही क्यों नहीं इसकी सील तोड़ने का पुण्य लेते हैं" बेचारी आपको आशीर्वाद देगी। वह पूरी तरह से कुंवारी है। किसी ने उसे नहीं देखा है... उसके माल को।” सेठ को पता था कि पिछले दस दिनों से उसका अपना भाई हर रात उसकी 'मालिश' से खेल रहा था और कल रात उसके पिता ने उसे लगभग चोद ही दिया था।

सेठ प्रस्ताव पर उत्साहित तो हुआ, लेकिन बोला, "तुम तो जानती हो सुंदरी, अब (तुम्हें चोदने के बाद) मैं इसकी सील कैसे तोड़ सकता हूँ..?"

उसने महक के गालो को चूमा।

“तू एक काम कर, इसे रोज मेरे घर ले कर आया करो, वहा अभी रोज शाम को कई लोग आते हैं..इसका सील तोड़ने वाला जल्दी मिल जाएगा…।”

सेठ को महक के कसे हुए स्तन अपनी छाती पर महसूस हो रहे थे!
मैत्री और फनलवर की रचना

“वैसे महक तुमने अपना माल का सही तरीके से विकास किया है। और इसकी चूत का पटल तोड़ने की क्या कीमत रखती हो?”

“अब मैं क्या कहू सेठजी? जो ज्यादा से ज्यादा देगा चूत उसकी पर एक रात के लिए।“

“फिर भी कुछ सोचा तो होगा ना तुम लोगो ने मिलके?”

“कमसे कम दो लाख..” सुंदरी ने कहा और फिर पूछा “ज्यादा है क्या?”

सेठ ने महक को अपने सामने खींच लिया। उसने उसकी ऊपर से नीचे तक जांच की और फिर उसे वापस कर दिया। फिर वह अपनी सिट से उठ कर महक के सामने आया और उसकी फ्रॉक को ऊपर उठाया और उसकी चूत का दर्शन किया। सुंदरी भी पास में ही खड़ी थी, सेठजी उसके पास गए और उसका पेटीकोट उठाया और उसकी चूत देखि और फिर सुंदरी के सतनो को थोडा मसला और बोले:

तभी परम भी अन्दर आ चुका था।
मैत्री और नीता की रचना

“नहीं, ज्यादा तो नहीं है… दो लाख से ज्यादा देने वाले भी मिल जायेंगे..”? सेठ ने कहा और जारी रखा। उसने बताया कि बारातियों के मनोरंजन के लिए उसने 4-5 तवायफ़ (नर्तकियाँ) रखी हैं जो शाम को नाचेंगी और गाएँगी और रात में चुदाई के लिए भी उपलब्ध रहेंगी। सेठ ने सुंदरी से फिर कहा कि उसे वी.वी.आई.पी. के मनोरंजन के लिए कुछ गाँव की औरतें चाहिए और उसने सुंदरी से शादी के दौरान दो रातों के लिए खुद को मुक्त रखने का अनुरोध किया, खूब चुदवाना है बरातियो को खुश रखना है और उसकी जिम्मेदारी तुम्हे देने आया था। सेठ ने कहा कि वह उन्हें अच्छी तनख्वाह देता है।

सुंदरी ने परम की तरफ देखा। लेकिन महक ने कहा,

“पूनम और सुधा को मैं मना लूँगी…”

परम ने कहा कि वह विनोद की बहन को इसके लिए राज़ी कर लेगा।

सेठ को राहत मिली, वह उठा और परम से बोला

“आज सुंदरी को लेकर ठीक दो बजे ऑफिस के बाले रूम में ले आना..बेटे।”

फिर उसने सुंदरी से कहा,

“चलो नीचे कमरे में चलो.. तुमसे कुछ काम है..।”
मैत्री और नीता की अनुवादित रचना

सुंदरी ने अपनी आँखें नीची करके बैठी रही। उसे पता था कि क्या काम है। परम भी जानता था कि सेठ सुंदरी को चोदना चाहता है, इसलिए परम ने उसे ऊपर खींचा और कमरे में ले गया। सेठ ने सुंदरी को बाहों में ले लिया और जल्द ही दोनों नंगे हो गए और सेठजी का लंड सुंदरी के अंदर था।

महक को यकीन नहीं हो रहा था कि इतना मोटा इंसान भी इतनी अच्छी तरह से चुदाई कर सकता है। उसने सेठजी का लंड उसकी माँ की चूत में अंदर-बाहर होते देखा। महक ने देखा कि पूनम की तरह सुंदरी भी चुदाई का मज़ा ले रही थी और वह सेठजी को सहला रही थी और चूम रही थी। लेकिन इस बार सिर्फ़ 6-7 मिनट बाद ही सेठजी स्खलित हो गए और उसके बदन से उतर गए। महक ने सेठजी का लंड देखा जो 6 इंच से ज़्यादा लंबा और काफ़ी मोटा था, लेकिन उसे अंदाज़ा हो गया कि सेठजी का सुपाड़ा पतला था। उसे खुशी हुई कि उसके बाप और भाई का लंड सेठजी से कहीं ज़्यादा अच्छा था। सेठ ने अपने कुर्ते से नोटों के बंडल निकाले और सुंदरी के नंगे बदन पर नोट बिखेर दिए।

महक ने रंडियों के बारे में सुना था, लेकिन आज उसने अपने घर पर ही एक रंडी देखी। सुंदरी बिस्तर पर ही रही और सेठ कपड़े पहनकर बाहर आ गया। सेठ जब बाहर आ रहा था, तब सुंदरी ने सेठजी से कहा कि वह अपनी बड़ी बहू 'उषा' को उसके घर भेज दे और सेठ मान गया।

उसे नहीं पता था कि सुंदरी ने परम को बड़ी बहू से चुदवाने की योजना बना ली है। उसे ज़रा भी शर्म नहीं आई कि परम और महक ने भी उसे नंगा देखा। वह उन पर मुस्कुराया और महक को याद दिलाया कि वह शाम को उसके घर आए। और यह भरोसा भी दिलाया की उसकी चूत का कोई ना कोई मोल मिल ही जाएगा। उसने महक को भी थोडा अपनी तरफ खींचा लेकिन महक नहि खिंची।

सेठजी ने सुंदरी और परम के सामने देखते हुए कहा, “महक को अभी काफी सीखना है, ज़रा तुम अपनि स्किल उसे दे दो। लंड को देख के थोडा तो मुस्करा करो मेरी जान।“


अब सुंदरी ने महक को थोडा धक्का दिया और कहा “सेठजी है अपने है और भरोसे मंद है तुम्हे कोई चोट नहीं पहुचाएंगे। जाओ बेटी उनके पास जाओ अपे माल का थोडा हुन्नर भी दिखाओ ताकि तुम्हारी तारीफ़ वह आगे कर सके और तुम्हे जल्द से जल्द चूत का पटल खुले, बाकी आए लम्बी राह है।“
बस आज लिए यही तक। कल अगले अपडेट में मुलाक़ात होगी
तब तक आप इस अपडेट के बारे में अपनी राय देना ना भूले

प्रतीक्षा तो रहेगी ही

जय भारत
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
 

Napster

Well-Known Member
6,660
17,555
188
जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........



सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।

“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“

सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”

महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“

“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“

महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“

“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।

लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।

महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।

महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।

सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“

सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“

महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“

“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।

सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“

सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।

सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की।
मैत्री और फनलवर की रचना।

“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”

परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''

परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”

“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।

सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“

मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”

ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।

दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“

“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई।
मैत्री और फनलवर की रचना है।

महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....


आगे और भी है...............


आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:



।।जय भारत।।
बडा ही शानदार लाजवाब और जानदार मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
 

Ek number

Well-Known Member
9,242
20,086
188
जय भारत के साथ आगे बढ़ते हुए...........



सेठजी ने फिर से महक को अपनी तरफ खिंचा इस बार ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और महक उनके शरीर से टकराई। सेठजी ने उसके स्तनों पर थोडा हाथ फेरा और फिर कुलहो को थोडा जकड़ा। परम और सुंदरी मुस्कुराते हुए देख रहे थे। सेठजी ने उसके स्तनों को थोडा फ्रॉक के ऊपर से ही सही लेकिन मसल दिया।

“माल तो परफेक्ट है परम बहोतो को बेचेंगे। महक अपने माल को साफ कर देना एक भी झांट वहा नहीं रखना है ठीक है? शादी में तो खास अपना माल साफ़ रखना।” सेठजी ने महक के बोबले को ऊपर से सहलाते हुए जोड़ा: “सुंदरी, तुम्हे यह सब पहले से ही सिखा देना चाहिए की माल कैसा रखना है। बेटी पैदा की है तो अपने माल का ख्याल रखना भी सिखाना चाहिए। कहर अभी समय नहीं गया, लेकिन कब ग्राहक आएगा पता नहीं होता तभी तो हर वक्त अपने माल को साफ़ करते रहना चाहिए अगर हमें अपनी मुंह मांगी कीमत चाहिए तो।“

सुंदरी सेठजी के सामने देखते हुए आँख से सम्मति में अपना सिर हिलाया। सेठ जी ने महक के चहरे पर प्रेम से हाथ फिराते हुए कहा: “क्यों बेटी, सच कह रहा हु ना!”

महक ने हकार में अपना सिर हिलाया और बोली: “आज के बाद मेरे माल पर एक भी बाल नहीं रहेगा सेठजी लेकिन जो करना है जल्दी ही करना।“

“हा...हाँ, बेटी, मुझे तुमसे ज्यादा तुम्हारे माल की फिकर है, बेटी, पिछवाडा भी तैयार है ना! वो क्या है आज काल सब लोग अपने पुरे पैसे वसूल ना चाहते है।“

महक कुछ बोले उससे पहले सुंदरी ने कहा: “बिलकुल सेठजी उसकी गांड अभी टाईट है पर परम से कह दूंगी थोडा ऊँगली का इस्तमाल करता रहे, रेखा के पीछे ना रहे।“

“नहीं, रेखा की गांड मारता है, तो मारने दो मुझे कोई तकलीफ नहीं है, बस तुम मुज से चिपक कर रहो।“ उसने फिर से सुंदरी के स्तनों को मसल दिया।और बहार की ओर जाने लगा।

लेकिन फिर उसे कुछ याद आया और वह रुका और महक को अपने हाथ से उसे अपने पास आने को कहा।

महक वैसे जाने को तैयार नहीं थी पर सुंदरी और परम ने उसे धक्का देके सेठजी के पास भेजा। परम ने अंदर से दरवाजा बंद किया। ताकि सेठजी अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत करते है तो बाहरवाले या फिर उनका ड्राइवर देख ना सके।

महक के पास आते ही उन्हों ने महक को अपनी बांहों में भर लिया। और महक को इधर-उधर से सूंघ ने लगे। परम और सुंदरी तो आश्चर्य से देखते रह गए। महक भी थोडा हिलने लगी। थोड़ी देर ऐसा करते हुएसेठजी बोले माल की स्मेल चेक कर रहा था। अगर मुझे किसी को बताना है तो क्या बताऊ। ताजा माल की स्मेल कैसी होती है।

सुंदरी और परम दोनों थोड़े अचंबित पर देखते रहे। आखिर सुंदरी ने पास आके महक की पीठ संवारते हुए कहा:”बेटी, अब सेठजी को जो चाहिए वह सब देखने या करने दो। वहि हाई जो तुम्हारे माल की अच्छी कीमत हमें दिलवा सकते है।“

सेठजी ने परम को देखते हुए कहा:”जब तक रेखा यहाँ है उसके माल का ध्यान तुम रखोगे, मैं नहीं चाहता की अकोई भी उसके माल को चोद जाए। मुझे तुम्हारी परवाह नहीं है। और महक,बेटे तुम अपने माल का ख्याल रखो, हो सके तो गांड के छेद को जितना हो सके बड़ा कर सको तो करो। जैसा की मैंने कहा की लोग अब पैसे पुरे वसूलना जानते है। और एक बात बेटी,बड़े लंड से कोई तकलीफ तो नहीं है ना।“

महक कुछ बोले उस से पहले सुंदरी ने कहा: “सेठजी उसको क्या पूछते हो जी! वह अभी नादान है। उसे क्या मालुम की लंड कैसे होते है। आप बस बेफिक्र रहे, जितना बड़ा हो, मेरी महक की सुरंग उस लंड को निगल लेगी। मैं हु ना, उसका सब कुछ करने के लिए। और अगर फट भी गई तो उसे दो टाँके आएंगे, मर तो जायेगी नहीं। लेकिन मजा कितनी मिलेगी।“

“बात तो सही कह रही हो सुंदरी तुम,बस मैं अब चलता हु वरना मुझे फिर से मेरा लंड तुम में खली करना पड़ेगा।“ सेठजी बहार की और चलते हुए कहा।

सुंदरी ने भी नाटक करते हुए कहा: “नहीं नहीं अब मैं और मेरा माल आपके धक्के झेलने के काबिल नहीं है जी। बहुत थका देते हो, मेरी चूत अपना रस छोड़ छोड़ के थक जाती है। आप बहोत बार मुझे झाडा दे ते हो।“

सेठजी खुश होते हुए घर से निकल गए।

सेठजी के बाहर जाने के बाद दोनों अपनी माँ के पास गए। सुंदरी ने महक से कहा कि वह अकेले कॉलेज जाए क्योंकि वह चाहती है कि परम उसे चोदे। “लेकिन तू तो अभी-अभी चुदवाई है.. !” महक ने पूछताछ की।
मैत्री और फनलवर की रचना।

“साला सेठ ने आग तो लगा दिया लेकिन ठंडा नहीं किया, भोसड़ी के ने!” सुंदरी ने कहा, उसने परम की ओर देखा वह इधर-उधर बिखरे हुए नोट्स को समेटने में व्यस्त था। उसने परम से कहा, आ बेटा दरवाजा बंद कर आ जा और मुझे जम कर चोद..।”

परम ने कपड़े उतारे और महक ने अपने भाई का लंड पूरी तरह से खड़ा हुआ देखा। उसने कुछ देर तक मुठ मारी और कहा, 'तुम दोनों मजा करो...मैं कॉलेज जाती हूं।''

परम ने कहा: “क्यों बहन भाई को ठंडा करने में माँ की मदद नहीं करोगी!”

“नहीं भाई एक बार मेरे माल का सिल खुल जाने दो फिर सब के लिए मेरा माल तैयार ही रहेगा।

सुंदरी ने महक की गांड पर हाथ फिराते कहा: “जल्दी ही वापिस आ जाना मुझे तेरे बाल साफ करने है।“

मैं कर दूंगी माँ अब मैं छोटी नहीं हूँ, सब कर दूंगी, तुम अभी आराम से परम के लंड को ठंडा करो जल्दी से वरना साला बैठ जाएगा तो मुंह भी चुदवाना पड़ेगा। हां हां हां......”

ठीक है फिर तू अपने आप ही अपने झांटे साफ़ कर देना लेकिन मैं देखूंगी कैसे और कितना साफ किया है, एकदम क्लीन करना बेटी, सेठजी ने सही कहा था की दूकान पर रखा हुआ माल सही तरीके से होना चाहिए। उसने परम के लंड को प्रेम से आगे पीछे करना जारी रखा और महक ने भी मुठ मारनी चालु रखी।

दोनों माँ बेटी परम के लंड को प्रेम से मुठ मारती रही। थोड़ी देर मके बाद सुंदरी ने कहा: “अब जायेगी भी! मुझे अब चूत में खुजली हो रही है और मुझे अब परम ही शांत कर सकता है।“

“हाँ माँ, बस मैं चली।“ कहते हुए उसने परम का लंड को छोड़ा और हाथ धोके बाहर चली गई।
मैत्री और फनलवर की रचना है।

महक के बाहर निकलने के बाद परम ने दरवाजा बंद किया और अंदर आकर बिना कुछ खेल खेले मां की चूत के अंदर घुस कर जोर जोर से धक्का लगाने लगा। इधर परम माँ की चुदाई कर रहा था और उधर.....


आगे और भी है...............


आपके मंतव्यो की अपेक्षा सह:



।।जय भारत।।
Nice update
 
Top