सुबह दरवाजे पर मा की आवाज़ सुनकर दोनो की नींद खुली। फटाफट दोनो ने कपड़े पहने। महेक भाई को चूमकर बाहर निकल गयी और परम आँख बंद कर लेटा रहा। माँ अंदर आई और उसने भी परम को चूमा और बाहर आने को कहा।
परम बहुत खुश था। ना विनोद सुंदरी के बारे मे गंदी बात करता, ना ही परम माँ की मस्त धइले दबा पाता, ना ही अपनी प्यारी बहन की नंगी जवानी से खेल पाता। उसने सोचा की विनोद को थॅंक्स कहे और उससे चुदाई के बारे मे जाने। परम यही सोचता जा रहा था की उसकी बगल मे एक कार आकर रुकी और किसी लड़की ने उसे पुकारा।
आप मैत्री और फनलव के द्वारा भाषांतरित की गई कहानी पढ़ रहे है।
उसे यकीन नही हुआ। शेठ की बेटी रेखा उसे बुला रही थी। परम के नज़दीक पहुँचते ही रेखा ने दरवाजा खोलकर उसे अपनी बगल मे बैठा लिया।
रेखा के बगल मे शेठ जी बैठे थे। परम ने उन्हे विश किया। कार चल दी। रेखा उससे बात करने लगी और परम को पता नही चला कब उसने अपना एक हाथ रेखा के जांघो पर रख दिया था।
कार चल रही थी, बात चल रही थी और परम का हाथ रेखा के जांघो पर उपर बढ़ रहा था। परम को तब होश आया जब उसके हाथ को गर्म महसूस हुआ। परम की आँख रेखा से टकराई तो उसने देखा की रेखा मुस्कुरा रही है और परम के हाथ को आँचल से ढक रखा है।
कल की घटना के बाद परम की हिम्मत बहुत बढ़ गयी थी। वो रेखा की जांघो को सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते दोनो जाँघो के बीच ठीक रेखा के चूत के उपर हाथ रखकर दबाया। रेखा ने आँख बंद कर ली और होठों को काटा। परम को लगा की रेखा को मज़ा आ रहा है तो वह कपड़े के उपर से ही चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगा। दोनो मज़ा ले ही रहे थे की कार रुकी। परम का कोलेज आ गया था। मन मार कर परम उतरा तो रेखा ने उसकी तरफ नही देखा, शायद शरम से।
लेकिन शेठ जी कार से उतर गये। उन्होने परम को किनारे बुलाया और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा,
“बेटा, अब तुम मेरी मदद कर सकते हो!”
“क्या मदद, शेठजी।”
“मै सुंदरी को चोदना चाहता हूँ, अगर जल्दी नही चोद पाया तो मै पागल हो जाऊंगा।”
“माँ तो आपके घर आती-जाती है, उससे बोलते क्यो नही। मै क्या करू?”
“बेटा कुछ भी करो, जितना बोलेगी दूँगा।। 10,20,30,50 हज़ार दूँगा, ज्वेलरी दूँगा । बस तुम कुछ करो और हम दोनो की मुलाकात करा दो प्लीज़।’
इतना कहकर शेठ जी ने परम का हाथ छोड़ा और कार मे बैठ गये।
कार स्टार्ट होने पर रेखा परम की तरफ देखकर मुस्कुराई। परम कोलेज की तरफ बढ़ा तो उसने देखा की शेठजी ने उसकी हाथ मे 100 के दस नोट रख दिए थे।
“माँ को चुदवाने की पेशगी।’
उसने रुपये पॉकेट मे रख लिए। उसके हाथ मे पहली बार इतना रुपया आया था।
कोलेज मे परम खुलकर विनोद के साथ अपनी माँ के बारे मे बात करने लगा। उसके पूछने पर विनोद ने बताया की चुदाई कैसे की जाती है।
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