“सब सुंदरी की इतनी तारीफ़ करते है, कभी तुझे अपनी माँ को चोदने का मन नहीं करता…!!!”
“मेरा मन तो बस तेरी बेटी रेखा को दम भर के चोदने को करता है…”
“फिर खाली, चाट के छोड़ दिया! चोदा क्यों नहीं…चोद देता तो मैं मना नहीं करती बेटे, तेरे लंड से वह चुद सकती है!!!”
"साली, उसकी माँ को चोदु, शादी के पहले सील नहीं तुड़वाना चाहती है, मैं उसे प्यार करता हूं इस लिए छोड़ दिया। लेकिन अपना लंड तो उसकी चूत में आधा घुसा ही दिया है। अब जब ससुराल से वापस आएगी तो कुतिया को तेरे सामने भी चोदूंगा। चुदवायेगी ना अपनी बेटी को तेरे सामने!" कहते हुए परम ने जोर से धक्का दिया और मोटी झड़ गयी। झड़ते ही शेठानी से अपने दोनों हाथो और टांगो से परम को पकड़ लिया। परम चूत के अंदर धंस गया और लंड ने चूत को पानी से भर दिया। थोड़ी देर तक दोनों चिपक रहे फिर शेठानी ने परम को अपने शरीर पर से उठाया, तब उसकी चूत में से काफी चुतरस और विर्या का मिलाझुला रस बहार की तरफ आ गया तभी उसने पूछा,
“रेखा की टाइट चूत का मजा लेने के बाद मेरा भोसडा (चूत) कैसा लगा…!!!”
परम ने चूत को मसलते हुए कहा “दिन रात इस चूत में लंड डाल कर बैठा रहूंगा, साली बहुत मस्त माल है तेरे पास। साली…मुझे तुम दोनों की चूत का भोसड़ा बनाने में मजा आएगी।”
शेठानी झुककर परम के लंड को थोड़ी देर चूसा और फिर कहा कि वो सुंदरी को चुदते देखना चाहती है। परम ने शेठानी को कहा कि वो सुंदरी को शेठानी के सामने शेठ से चुदवाने के लिए तैयार करेगा। शेठानी ने कहा कि शेठ उसकी चूत तो चोद ही नहीं पाता, सुंदरी को क्या चोदेगा!
शेठानी को क्या मालूम कि वही समय शेठ सुंदरी को अपने ऑफिस में खूब मजा लेकर चोद रहा है। शेठानी लंड चुस्ती रही और अपने चुतरस और वीर्य का मिलाजूला रस को चाट कर साफ़ कर रही थी पर लंड फिर अकडने लगा तो शेठानी ने कहा;
“अब तू जा नहीं तो फिर से लंड मेरी भोस में भर लुंगी।” शेठानी नंगी ही कमरे में गई और वापस आकर परम को कुछ रुपये दिए और बोली बीच में मौका निकाल कर लंड चूसा जाना, मुझे तेरा पानी पिने में मजा आता है, और हां, कभी-कभी रेखा को भी अपना पानी पिला दिया कर। उसे भी तो मजा देता रह अपने पानी से उसका पेट भरते रहना, और बस इशारा कर देना की रखा के मुह को चोदने जा रहा है मुझे कोई आपत्ति नहीं है की उसका मुह तुम कितनी बार चोद रहे हो। मेरी तरफ से बेपरवाह रह। बस उसकी गांड और मुह में तेरा लंड पेलता रह।
“जी, ठीक है।“ परम ने सेठानी के मुंह में अपना लंड को हिलाया और बची हुई बुँदे भी लंड को दबाते हुए उसके मुंह में दाल दिया।
“चल मेरे लंड की रानी अब मैं जाता हूँ।“
परम के जाने के बाद शेठानी ने अंदर से दरवाजा बंद किया और नंगी अपनी बेटी के बगल में सो गई। रेखा ने एक आँख खोल कर देखा और मुस्कुराई अपनी माँ को नंगी देख कर और निचे गीली देख कर समज गई की परम का लोडा वहा सफ़र कर के गया है। वह मन ही मन खुश हुई की अब वह उसकी माँ के सामने परम का लोडा ले सकती है उसके सामने ही वह बिना डर और संकोच अपनी गांड मरवा सकती है।
परम बहार आकर टाइम देखा तो 3.30 बजे थे। सुंदरी को शेठ के साथ डेढ़ घंटा हो गया था। परम ने कल्पना किया कि शेठ सुंदरी को खुश नहीं कर पाया होगा और चूत में लंड घुसा ही झड़ेगा।
चलो अब वहा जाते है और सुंदरी और सेठजी की खबर भी लेते है।।।।।
अभी के लिए बस इतना लिख पाई हूँ .......बने रहिये अपनी राय देते रहिये ..........