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Ek number

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मोटा और कड़ा लंड देख कर सुंदरी के चूत और मुँह दोनों में पानी आ गया। उसने अपना हिस्सा थोड़ा आगे बढ़ाया और दोनों हाथो में लंड पकड़ कर सहलाने लगी। सुंदरी ने लंड को चमड़ी को कई बार आगे पीछे किया तो लंड का सुपाड़ा बाहर निकल आया। सुपाड़ा गीला हो चुका था और सुंदरी ने सुपाड़ा को चूसना शुरू किया। सुंदरी सुपाड़ा ऐसे चूस रही थी जैसे कोई छोटा बच्चा लॉलीपॉप चूसता है। सुंदरी ने 2 इंच से ज्यादा लंड मुँह के अंदर नहीं लिया और उसकी उपरी हिस्से को ही चूस रही थी। सेठ का लंड चूसने में इतना मजा आया उसे परम का लंड चूसने में नहीं आया था। उधर शेठ को सुंदरी के मुँह में लंड चुसाने में बहुत मज़ा आ रहा था और अगर उसका ज्यादा चूसा गया तो छूट जाएगा और सुंदरी का लंड चूसती रहेगी तो वो झड़ जाएगा लेकिन शेठ सुंदरी के चूत में पानी गिराना चाहता था। उसने लंड मुँह से खींचा, सुंदरी समझ गई कि शेठ उसे चोदना चाहता है। वो भी पलट कर सीधी हो गई और पैरों को ऊपर की ओर हवा में फैला दिया। शेठ ने सुंदरी के कमर के नीचे एक तकिया रखा। सुंदरी की चूत और ऊपर उठ गयी। शेठ ने सुंदरी की कमर को जकड़ा और सुपाड़ा को चूत के गेट पर रख कर धक्का मारा तो एक धक्के में ही पूरा लंड चूत के अंदर चला गया। आखि़र जाता क्यों नहीं। शेठ पुराना चुद्दाकर था और उसके शरीर का वजन भी 100 किलो से ज्यादा था और कहा सुंदरी मुश्किल से 60 किलो की थी। सुंदरी के मुँह से “अह्ह्ह्ह।।” निकला ओह्ह भेन्च्जोद और उसने कहा: यह मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“शेठ आपका लंड बहुत मोटा है, थोड़ा धीरे-धीरे चोदो और धीरे धक्का मारो, और आराम से चोदो मेरी चूत को।”

शेठ उसे प्यार से चोद रहा था और सुंदरी भी मजे लेकर अपनी चूत मरवा रही थी।

चोदते चोदते शेठ उसकी जरूर जवान चुचियो को भी मसल देता था।

"रानी आज 16-17 साल के इंतजार के बाद तुम्हारी चूत का दर्शन हुआ है। बहुत मजा है, जितना सोचा था तुम्हारी चूत अभी भी उससे ज्यादा टाइट है।" कहते हुए शेठ ने जोर का धक्का मारा।

"ओउच्ह्ह…भेन्चोद, एक दिन में ही चूत का भरता बना दोगे क्या? दोबारा नहीं चोदना है क्या!!!"

“अब तो रानी, बार-बार चोदूंगा…पहले क्यों नहीं मिली…भोसड़ीकी, मादरचोद!”

"आप पहले बुलाते तो मैं आ जाती। कई बार मैं आपके सामने से निकली लेकिन आपने कभी हाथ भी नहीं पकड़ा!"

इस तरह से चुदाई करते रहे और शेठ ने सुंदरी के चूत में अपना पानी से छोड़ दिया और उसके ऊपर चिपक कर लेट गया। सुंदरी को उम्मीद से ज्यादा मजा आया था।

ठंडे होकर दोनों चुम्मा चाटी करते-करते बात करने लगे। बच्चों की बात हुई तो सुंदरी ने कहा कि उसका बेटा परम शेठ की बेटी से बहुत प्यार करता है। रेखा चली जाएगी तो सोच-सोच कर उदास रहता है। शेठ ने कहा कि रेखा भी परम को चाहती है और उसने दोनों को एक दूसरे का बदन सहलाते देखा है। शेठ ने कहा कि अगर रेखा परम से चुदवाएगी तो वो कुछ नहीं बोलेगा। शेठ ने सुंदरी को प्यार करते हुए अनुरोध किया कि वो अपनी छोटी बहू को चोदना चाहता है और इस में सुंदरी उसकी मदद करे।

“सुंदरी तुम जो मांगेगी दूंगा, अगर तुम मेरी बहु को मेरे लंड के निचे ला सको तो।”


सुंदरी ने जवाब दिया कि “पहले उसको आने दो, फिर देखु बहू को कितना गरम कर सकती हूं, उसकी चूत में कितनी भड़क है। इस काम में परम ज्यादा मदद कर सकता है, सेठजी।“

बने रहिये ..............
Nice update
 

Ek number

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सुंदरी ने पूछा कि शेठ सुंदरी को फिर नहीं चोदेगा तो शेठ ने जवाब दिया कि अब जब एक बार उसका लंड सुंदरी की चूत का मजा लेकर मस्त हो गया तो आगे भी जिंदगी भर चोदता रहेगा, हो सकेगा तो एक बच्चा भी दे सकता है। शेठ सुंदरी को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसकी चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा। अपना लम्बा जीभ निकाल कर चूत को चूसता रहा, चूत को चूसा और सुंदरी मस्त होकर चुतड उछालती रही। तब शेठ ने सुंदरी को कुतिया बना कर चूत में फचाक से लंड पेल दिया। गांड में उंगली करके चुदाई करने लगा, तभी परम धीरे से ताला खोल कर अंदर आया और अपनी माँ सुंदरी के चूत में शेठ के मोटे लंबे लंड को आता-जाता देख कर मजा लेता रहा। परम ने देखा कि उसकी मां खूब चुत्तर हिला-हिला कर लंड का मजा ले रही है। बस वह देखता रहा की शेठ का लंड उसकी माँ की चूत से “हाइड एंड सिक” खेल रहा है, कभी बाहर आके माँ की चूत में अद्रश्य होता है।

“माँ, मज़ा आ रहा है?” परम ने पुछा।

“तू कब आया?” वह ख़ास कुछ चौकी नहीं बल्कि उसकी हाजरी को सहज ले लिया और अपनी चुची मसलते हुए कहा “शेठजी बहुत बढ़िया चुदाई करते हैं, तुम्हारे बाप से बहुत अच्छा।”

शेठ ने कहा, "परम, तू बहुत अच्छा है, तू मदद नहीं करता तो मैं इस मस्त माल को नहीं चोद सकता। अब जिंदगी भर इसे चोदूंगा, तेरा मन करे तो मेरी बेटी को चोद, मेरी बहू को चोद और चाहे तो शेठानी को भी चोद। मेरे सामने भी चोदेगा तो कोई बात नहीं।" धक्के की स्पीड बढ़ते-बढ़ते शेठ ने फिर कहा, "मुझे एक बार अपनी छोटी बहू को चोदना है।"

सुंदरी को चोदते और छोटी बहू की जवानी को याद कद शेठ फिर झड़ गया। परम ने देखा कि उसकी माँ के चूत से सफ़ेद-सफ़ेद माल निकल रहा है। इस बिच सुदंरी भी दो बार झड चुकी थी, और अभी भी सेठजी की ऊँगली उसकी गांड मार रही थी। उसे उस उंगली से अपनी गांड मरवाती हुई देख कर दोनों माँ-बेटा के मुह पर प्रसन्नता छाई हुई थी।


सुंदरी और शेठ दोनों ठंडा हो गए।

बस बने रहिये इस कहानी में
Mast update
 

Ek number

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“मुझे पेशाब करना है।” सुंदरी ने कहा, "बहुत जोर से लगी है, अब इंतज़ार नहीं कर सकती।" आख़िर दो बार शेठ ने उसकी चूत को बड़ा गढ़ा माल से भर दिया था। शेठ नंगा ही इधर उधर देखने लगा। कोने में एक घड़ा (मिट्टी का बर्तन) था जो पिने का पानी के लिए था। परम वो बर्तन लेकर आया, बर्तन आधा खाली था।

“इसी में मुत लो” शेठ ने कहा और सुंदरी ने चूत को बर्तन के मुँह पर पोजीशन किया और मुतने लगी। खूब जोर से दबाव था और उसी चूत से मूत और चुतरस और सेठजी के वीर्य सब कुछ दोनों छेद से बहार आ रहे थे, मूतने की आवाज शायद बाहर तक जा रही थी। दोनो शेठ और परम सुंदरी को मूतते हुए देखते रहे। ज्योंही सुंदरी खड़ी हुई शेठ ने घुटने पर बैठकर फिर कुत्ते की तरह सुंदरी की चूत को चाटने लगा। सुंदरी की चूत से अभी भी पेशाब की बुंदे गिर रही थी और शेठ खूब प्रेम से उन पेशाब की बुंदों और अपने चुदाई के दोनों रस को टपकते हुए, को चाट रहा था।

यह सब देख कर परम भी गर्म हो गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया। परम ने सोचा कि सुंदरी उसके लंड को सहलायेगी लेकिन एक हाथ से सुंदरी को पकड़ कर शेठ ने दुसरे हाथ से परम का लंड पकड़ लिया और मुठियाने लगा। सेठजी परम के लंड की चमड़ी को आगे पीछे कर के उसके सुपारे को बाहर की और ले आने की कोशिश करने लगा। सुंदरी ने शेठ के मुँह को अपनी चूत से पकड़ कर रखा था और दूसरे हाथ से अपनी एक चुची परम के मुँह में घुसेड़ दी। परम चूचियो को मसलते हुए चूसने लगा और निचे शेठ सुंदरी की चूत को चाटना छोड़ कर परम के मस्त लंड को मुँह में लेकर चूस लिया। उसके लंड के टोपे पर अपनी जीभ फिरा के उसका प्रिकम चाट रहा था। लगभग 20-25 बार लंड को मुँह में लेकर बाहर निकालने के बाद शेठ ने परम के लंड को सुंदरी की चूत से रगड़ा।

“सुदरी, परम का लोडा बहोत मस्त है। बहोत स्वादिस्ट भी है मुझे यह उसका लंड बहोत पसंद आया। उसका सुपारा बहोत ही मस्त है, मुझे लगता है की यह लंड से बहोत ही मस्त और गाढ़ा और टेस्टी माल देता होगा।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना है

“शेठजी नहीं, मेरा बेटा है… उसका लंड चूत से मत सटाओ।।” सुंदरी ने धीरे से कहा और एक पैर को उठा कर बिस्तर पर रख दिया।

"मैं थोड़े ही किसी से कहूँगा। उसे भी तो सबसे मस्त माल के चूत को चोद कर मजा लेने दो!!"

ऐसा कह के उसने फिर से परम का लंड अपने मुह में ले लिया और थोडा आगे पीछे हो के शेठ ने परम के लंड से अपने मुह को चोदने लगा, थोड़ी देर के बाद उसने पूछा “परम तेरी माँ को चोदेगा! या फिर तेरा माल मुझे पिलाएगा?”

“आपको जो ठीक लगे।“परम ने अपना लंड को थोडा बहार की और खिंचा तो शेठ समज गया की वह भी अपनी माँ को चोदना चाहता है।


और शेठ परम के लंड को सुंदरी के चूत में घुसाने लगा।

मेरे साथ बने रहीये आगे कहानी में ...............
Behtreen update
 

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सुंदरी शेठ के सामने अपने बेटे का लंड चूत में नहीं लेना चाहती थी। आधा लंड अंदर घुस चुका था, सुंदरी ने चूत को दबाया और चुतड को पीछे किया, लंड बाहर निकल आया। उसने थोड़ा गुस्सा होकर शेठ से कहा कि वो ऐसा करेगा तो फिर कभी शेठ से नहीं चुदवायेगी। अगर शेठ को बहुत बुरा लगता तो परम के लंड को चूत के ऊपर के हिस्सों में रगड़ देता लेकिन अंदर न जाने दे, या फिर खुद ही परम के लंड को अपने मुह से छोड़ के खाली कर दे।

शेठ परम के टाइट लंड को पकड़ कर चूत की दरार पर रगड़ने लगा और साथ ही साथ लंड और चूत को एक साथ चूसने लगा। सुंदरी की चुचियो को मसलते हुए परम अपना लंड हिला रहा था तो सुंदरी भी पाओ उठा कर चुतर हिला रही थी। परम ने अपना एक पैर उठाकर अपनी माँ के पैरों पर रखा और लंड को चूत पर दबाया और लंड करीब आधा अंदर चला गया। सुंदरी ने बिना कुछ कहे हाथ से लंड को बाहर निकाल लिया और ऊपर रगड़ने लगी। उसका जब मन होता था तो लंड अंदर लेने का तो हाथ हटा देती थी और लंड गप से अंदर चला जाता था और फिर 15-20 सेकंड के बाद लंड बाहर खींच लेती थी। इस तरह मजा लेते-लेते परम झड़ने लगा तो शेठ ने सारा माल हाथों पर कलेक्ट किया और उसे सुंदरी के चूत पर रगड़ दिया। और वही से उस चूत को चाटने लगा, और परम का वीर्य और सुंदरी का चुतरस साथ में चाट-चाट के एकदम साफ़ कर दिया जैसे की बिना चुदी चूत।

“परम तेरा माल बहोत बढ़िया है, मुझे बहोत पसंद आया।मुझे तेरा माल खिलाते रहना बेटे।“

“जी शेठजी”, कह के उसने फिर से शेठजी के मुह में अपना ढीला लंड दाल दिया और शेठजी ने बिना कोई विरोध अपने मुह में समा लिया।

तीनो थक चुके थे।

सुंदरी के साथ संतोषजनक चुदाई के बाद शेठ बाहर आया। परम ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपनी माँ को गोद में लेकर पूछा कि क्या उसे मोटे शेठ के साथ चुदाई में मज़ा आया। उसने अपने बेटे के लंड को सहलाया और कहा कि चुदाई उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छी थी और उसे शेठ के साथ दोबारा चुदवाने का मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं होगी। वे कुछ देर तक सहलाते रहे। कपड़े पहने और शेठ के घर गए।

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बाकि अपडेट कल समय मिलने पर.............
Shandaar update
 

Raz-s9

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"चोदुंगा रानी और गांड भी मारूँगा।"

परम ने ज़ोर से धक्का मारते मारते कहा, "लंड नही चुसोगी ? "

"चुसूंगी,लेकिन आज नही कभी अकेले मे।"

फिर दोनो जम कर चुदाई करने लगे और थोडी ही देर में शेठानी पस्त हो गयी।

"लंड बाहर निकाल लो, अब दर्द कर रहा है। मै सुंदरी जैसी जवान नही हूँ की लंड खाती राहु।"

लेकिन वह कहा सुननेवाला था,परम धक्का मारता रहा और उसके लंड ने शेठानी के सुखी हुई चूत मे पानी पानी का छंटकाव कर दिया और उसकी चूतरस से उसके वीर्य से मिला कर पूरी भर दी।

ठंडा होने के बाद परम शेठानी के उपर से उतरा और दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए। शेठानी थोड़ी देर तक लंड को मसलती रही…..सच बेटा बहुत मस्त लंड है….और इतना मोटा सुपारा….रेखा की चूत फट जाएगी…मेरी बेटी को थोडा आराम से चोदना बेटे, वह शायद ही तेरे लंड को झेल पाए, एक-दो बार उसकी फट जायेगी पर बाद में तेरे लिए अपनी चूत खुली रखेगी।”


थोड़ी देर बाद सुंदरी बाहर निकली।

"शेठानीजी सब बना दिया है। अब हम लोग जाते है।"

सुंदरी ने कहा और फिर पूछा "परम तुमने ठीक से पाव दबाया ना।"

"अरे तेरा बेटा तो बहुत अच्छा दबाता है। फिर आना बेटा!"

शेठानी उठी और 1000 रुपये सुंदरी को दिया। "रख लो" और बहुत अच्छा लगता है..और तेरा ये बेटा बहुत प्यारा है..और जब तक शादी है आती रहना और परम को भी लाना। सेठानी ने सुंदरी के सामने परम के गालो को चुमते हुए कहा…। थोड़ी देर के लिए रोज आ जाया करो..” श और अनुरोध किया…
यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है

और हा, एक बार मेरे शेठ को खुश कर दो। बेचारा पागल हो गया है तुम्हारा माल खाने के लिए…। और मुझे भी तो दिखा दे तेरा माल कैसा लग रहा है कि मेरा बंदा उसे खाने को बेताब हो गया है, एक बार अपने सारे छेद दिखा दे।"


यह सुनकर सुंदरी के गाल लाल हो गये। वो केवल मुस्कुराई और घर चली गई। वापसी में परम रिक्शे पर सुंदरी के बगल में बैठ कर पूरे रास्ते चूत को सहलाता रहा और शेठ से चुदवाने के लिए मनाता रहा। दोनों घर आ गये। परम शेठानी को चोदकर बहुत खुश था और उसने निश्चय किया की कल ही वो अपनी माँ को चोदेगा।
यह अपडेट कैसा लगा !!!!!!

अपनी राय देना ना भूलियेगा
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Rajizexy

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सुंदरी शेठ के सामने अपने बेटे का लंड चूत में नहीं लेना चाहती थी। आधा लंड अंदर घुस चुका था, सुंदरी ने चूत को दबाया और चुतड को पीछे किया, लंड बाहर निकल आया। उसने थोड़ा गुस्सा होकर शेठ से कहा कि वो ऐसा करेगा तो फिर कभी शेठ से नहीं चुदवायेगी। अगर शेठ को बहुत बुरा लगता तो परम के लंड को चूत के ऊपर के हिस्सों में रगड़ देता लेकिन अंदर न जाने दे, या फिर खुद ही परम के लंड को अपने मुह से छोड़ के खाली कर दे।

शेठ परम के टाइट लंड को पकड़ कर चूत की दरार पर रगड़ने लगा और साथ ही साथ लंड और चूत को एक साथ चूसने लगा। सुंदरी की चुचियो को मसलते हुए परम अपना लंड हिला रहा था तो सुंदरी भी पाओ उठा कर चुतर हिला रही थी। परम ने अपना एक पैर उठाकर अपनी माँ के पैरों पर रखा और लंड को चूत पर दबाया और लंड करीब आधा अंदर चला गया। सुंदरी ने बिना कुछ कहे हाथ से लंड को बाहर निकाल लिया और ऊपर रगड़ने लगी। उसका जब मन होता था तो लंड अंदर लेने का तो हाथ हटा देती थी और लंड गप से अंदर चला जाता था और फिर 15-20 सेकंड के बाद लंड बाहर खींच लेती थी। इस तरह मजा लेते-लेते परम झड़ने लगा तो शेठ ने सारा माल हाथों पर कलेक्ट किया और उसे सुंदरी के चूत पर रगड़ दिया। और वही से उस चूत को चाटने लगा, और परम का वीर्य और सुंदरी का चुतरस साथ में चाट-चाट के एकदम साफ़ कर दिया जैसे की बिना चुदी चूत।

“परम तेरा माल बहोत बढ़िया है, मुझे बहोत पसंद आया।मुझे तेरा माल खिलाते रहना बेटे।“

“जी शेठजी”, कह के उसने फिर से शेठजी के मुह में अपना ढीला लंड दाल दिया और शेठजी ने बिना कोई विरोध अपने मुह में समा लिया।

तीनो थक चुके थे।

सुंदरी के साथ संतोषजनक चुदाई के बाद शेठ बाहर आया। परम ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपनी माँ को गोद में लेकर पूछा कि क्या उसे मोटे शेठ के साथ चुदाई में मज़ा आया। उसने अपने बेटे के लंड को सहलाया और कहा कि चुदाई उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छी थी और उसे शेठ के साथ दोबारा चुदवाने का मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं होगी। वे कुछ देर तक सहलाते रहे। कपड़े पहने और शेठ के घर गए।

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बाकि अपडेट कल समय मिलने पर.............
Very nice very sexy hi c cc 👌👌👌👌🌶️🌶️💯
 

Premkumar65

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“सब सुंदरी की इतनी तारीफ़ करते है, कभी तुझे अपनी माँ को चोदने का मन नहीं करता…!!!”

“मेरा मन तो बस तेरी बेटी रेखा को दम भर के चोदने को करता है…”

“फिर खाली, चाट के छोड़ दिया! चोदा क्यों नहीं…चोद देता तो मैं मना नहीं करती बेटे, तेरे लंड से वह चुद सकती है!!!”

"साली, उसकी माँ को चोदु, शादी के पहले सील नहीं तुड़वाना चाहती है, मैं उसे प्यार करता हूं इस लिए छोड़ दिया। लेकिन अपना लंड तो उसकी चूत में आधा घुसा ही दिया है। अब जब ससुराल से वापस आएगी तो कुतिया को तेरे सामने भी चोदूंगा। चुदवायेगी ना अपनी बेटी को तेरे सामने!" कहते हुए परम ने जोर से धक्का दिया और मोटी झड़ गयी। झड़ते ही शेठानी से अपने दोनों हाथो और टांगो से परम को पकड़ लिया। परम चूत के अंदर धंस गया और लंड ने चूत को पानी से भर दिया। थोड़ी देर तक दोनों चिपक रहे फिर शेठानी ने परम को अपने शरीर पर से उठाया, तब उसकी चूत में से काफी चुतरस और विर्या का मिलाझुला रस बहार की तरफ आ गया तभी उसने पूछा,

“रेखा की टाइट चूत का मजा लेने के बाद मेरा भोसडा (चूत) कैसा लगा…!!!”

परम ने चूत को मसलते हुए कहा “दिन रात इस चूत में लंड डाल कर बैठा रहूंगा, साली बहुत मस्त माल है तेरे पास। साली…मुझे तुम दोनों की चूत का भोसड़ा बनाने में मजा आएगी।”

शेठानी झुककर परम के लंड को थोड़ी देर चूसा और फिर कहा कि वो सुंदरी को चुदते देखना चाहती है। परम ने शेठानी को कहा कि वो सुंदरी को शेठानी के सामने शेठ से चुदवाने के लिए तैयार करेगा। शेठानी ने कहा कि शेठ उसकी चूत तो चोद ही नहीं पाता, सुंदरी को क्या चोदेगा!

शेठानी को क्या मालूम कि वही समय शेठ सुंदरी को अपने ऑफिस में खूब मजा लेकर चोद रहा है। शेठानी लंड चुस्ती रही और अपने चुतरस और वीर्य का मिलाजूला रस को चाट कर साफ़ कर रही थी पर लंड फिर अकडने लगा तो शेठानी ने कहा;

“अब तू जा नहीं तो फिर से लंड मेरी भोस में भर लुंगी।” शेठानी नंगी ही कमरे में गई और वापस आकर परम को कुछ रुपये दिए और बोली बीच में मौका निकाल कर लंड चूसा जाना, मुझे तेरा पानी पिने में मजा आता है, और हां, कभी-कभी रेखा को भी अपना पानी पिला दिया कर। उसे भी तो मजा देता रह अपने पानी से उसका पेट भरते रहना, और बस इशारा कर देना की रखा के मुह को चोदने जा रहा है मुझे कोई आपत्ति नहीं है की उसका मुह तुम कितनी बार चोद रहे हो। मेरी तरफ से बेपरवाह रह। बस उसकी गांड और मुह में तेरा लंड पेलता रह।

“जी, ठीक है।“ परम ने सेठानी के मुंह में अपना लंड को हिलाया और बची हुई बुँदे भी लंड को दबाते हुए उसके मुंह में दाल दिया।

“चल मेरे लंड की रानी अब मैं जाता हूँ।“

परम के जाने के बाद शेठानी ने अंदर से दरवाजा बंद किया और नंगी अपनी बेटी के बगल में सो गई। रेखा ने एक आँख खोल कर देखा और मुस्कुराई अपनी माँ को नंगी देख कर और निचे गीली देख कर समज गई की परम का लोडा वहा सफ़र कर के गया है। वह मन ही मन खुश हुई की अब वह उसकी माँ के सामने परम का लोडा ले सकती है उसके सामने ही वह बिना डर और संकोच अपनी गांड मरवा सकती है।

परम बहार आकर टाइम देखा तो 3.30 बजे थे। सुंदरी को शेठ के साथ डेढ़ घंटा हो गया था। परम ने कल्पना किया कि शेठ सुंदरी को खुश नहीं कर पाया होगा और चूत में लंड घुसा ही झड़ेगा।


चलो अब वहा जाते है और सुंदरी और सेठजी की खबर भी लेते है।।।।।


अभी के लिए बस इतना लिख पाई हूँ .......बने रहिये अपनी राय देते रहिये ..........
Param to sabke maje lega. Ab uski maa bhi pyasi ayegi aur Param se chudegi.
 

Premkumar65

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शेठ सुंदरी को बिस्तर पर बैठा देख मस्त हो गया। वो बिस्तर पर सुंदरी के बगल में बैठ गया और उसे अपनी गोदी पर गिरा लिया।

“ओह, सुंदरी…” शेठ कुछ कह रहा था तो सुंदरी ने उसके मुंह पर उंगली रख कर कहा ” नाम से मत पुकारो, आपका मुनीम और मेरा सुहाग सुनेगा तो समझ जाएगा कि शेठ उसकी बीबी की चूत की खबर ले रहा है और पेल रहा है…!”

शेठ ने उसे बाहों में ले लिया और ज़ोर से चूमा मानो सालों से किसी औरत को छुआ ही न हो। यह सच था, उसने अपनी पत्नी को छह महीने से ज़्यादा समय से नहीं चोदा था और सुंदरी के बेटे ने कुछ ही दिनों में उसे दो बार चोदा। शेठ ने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। सुंदरी ने कोई विरोध नहीं किया और जल्द ही वह नंगी हो गई। शेठ ने उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। वह उससे थोड़ा दूर हुआ और उसे ऊपर से नीचे तक देखा।

वह वास्तव में एक परी थी। अच्छे, छोटे पैर। बहुत ही सुडौल पिंडलियाँ और टांगें जो लगातार मोटी होती जा रही थीं और ऊपरी जांघें केले के तने की तरह मज़बूती से जमी हुई थीं। कहीं भी अतिरिक्त मांस नहीं। छोटा जघन क्षेत्र, उसकी पत्नी के विपरीत, जिसका आकार सुंदरी की चूत से दोगुना से भी ज़्यादा था। चूत सूजी हुई थी और पेट के स्तर पर उठी हुई थी। चूत के दो होंठ लगभग जुड़े हुए थे मानो ज़्यादा चुदी हुई न हो। भगनासा दिखाई दे रही थी और इसलिए चूत की पंखुड़ियाँ चूत की दरार से बाहर निकल रही थीं। भगनासा लगभग 1 इंच लंबी, दोनों गोलार्द्धों के बीच लगभग कोई अंतर नहीं था और दोनों उसकी छाती पर मजबूती से जमे हुए थे, मतलब ज्यादा दबाया हुआ नहीं लगता था। ये समान रूप से उभर रहे थे। निप्पल भी मोटे, लंबे और उभरे हुए थे। एरोला का व्यास लगभग 1 इंच से थोड़ा ज़्यादा और रंग गहरा काला था। उसके कंधे चौड़े लेकिन गोल थे और गर्दन चिकनी और लंबी थी। उसकी ऊपरी भुजाएँ उसकी कामुकता को और बढ़ाने के लिए तराशी हुई और मोटी थीं। उसका चेहरा गोल था, गालों पर गड्ढे थे और होंठ छोटे और अच्छे से सेट थे। उसने उसके होंठों की तुलना चूत के होंठों से की और उसने देखा कि चूत के होंठ उसके मुँह के होंठों से लगभग दोगुने आकार के थे।

"रानी पलट जाओ,मुझे तुम्हारी गांड देखने दो औरपना पीछे का खजाना दिखाओ की तुम्हारी गांड का छेद कैसा है।" शेठ फुसफुसाया और सुंदरी ने अपना पेट पलट दिया। उसकी नज़रें उसके दोनों कूल्हों पर टिक गईं जो गोल, बड़े और मज़बूत थे। बिल्कुल भी ढीले नहीं थे। उसने कुछ देर तक सुंदरी की खूबसूरती को निहारा और उसके सामने खड़ा हो गया। उसने अपना कुर्ता और फिर गंजी उतार दी। सुंदरी उसके 'तोंद' (फूले हुए पेट) को देखकर मुस्कुराई। उसे आश्चर्य हुआ कि वह चुदाई कैसे कर पाएगा। तभी उसने देखा कि शेठ धोती खोल रहा है। वह सिर्फ़ सूती सफ़ेद अंडरवियर में था। सुंदरी ने हाथ बढ़ाकर नाड़ा खींचा और अंडरवियर ज़मीन पर गिर गया। उसने जो देखा उससे वह हैरान रह गई। उसने जो सोचा था उसके विपरीत शेठ का लौड़ा उसके पति या उसके बेटे परम से भी बड़ा था,लेकिन अपने पति जैसा तो नहीं था, उसका सुपारा तो वाह। यह उसकी निचली कलाई जितना मोटा था। और यह पूरी तरह से तना हुआ, लोहे के खंभे जैसा सख्त था।


अब सुंदरी क्या सोच रही है वो कल .........
Wowww Seth to ekdam damdaar nikla. Sirf Sethani ke samne chuha ban jata hai.
 

Premkumar65

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सुंदरी शेठ के सामने अपने बेटे का लंड चूत में नहीं लेना चाहती थी। आधा लंड अंदर घुस चुका था, सुंदरी ने चूत को दबाया और चुतड को पीछे किया, लंड बाहर निकल आया। उसने थोड़ा गुस्सा होकर शेठ से कहा कि वो ऐसा करेगा तो फिर कभी शेठ से नहीं चुदवायेगी। अगर शेठ को बहुत बुरा लगता तो परम के लंड को चूत के ऊपर के हिस्सों में रगड़ देता लेकिन अंदर न जाने दे, या फिर खुद ही परम के लंड को अपने मुह से छोड़ के खाली कर दे।

शेठ परम के टाइट लंड को पकड़ कर चूत की दरार पर रगड़ने लगा और साथ ही साथ लंड और चूत को एक साथ चूसने लगा। सुंदरी की चुचियो को मसलते हुए परम अपना लंड हिला रहा था तो सुंदरी भी पाओ उठा कर चुतर हिला रही थी। परम ने अपना एक पैर उठाकर अपनी माँ के पैरों पर रखा और लंड को चूत पर दबाया और लंड करीब आधा अंदर चला गया। सुंदरी ने बिना कुछ कहे हाथ से लंड को बाहर निकाल लिया और ऊपर रगड़ने लगी। उसका जब मन होता था तो लंड अंदर लेने का तो हाथ हटा देती थी और लंड गप से अंदर चला जाता था और फिर 15-20 सेकंड के बाद लंड बाहर खींच लेती थी। इस तरह मजा लेते-लेते परम झड़ने लगा तो शेठ ने सारा माल हाथों पर कलेक्ट किया और उसे सुंदरी के चूत पर रगड़ दिया। और वही से उस चूत को चाटने लगा, और परम का वीर्य और सुंदरी का चुतरस साथ में चाट-चाट के एकदम साफ़ कर दिया जैसे की बिना चुदी चूत।

“परम तेरा माल बहोत बढ़िया है, मुझे बहोत पसंद आया।मुझे तेरा माल खिलाते रहना बेटे।“

“जी शेठजी”, कह के उसने फिर से शेठजी के मुह में अपना ढीला लंड दाल दिया और शेठजी ने बिना कोई विरोध अपने मुह में समा लिया।

तीनो थक चुके थे।

सुंदरी के साथ संतोषजनक चुदाई के बाद शेठ बाहर आया। परम ने दरवाज़ा बंद कर लिया और अपनी माँ को गोद में लेकर पूछा कि क्या उसे मोटे शेठ के साथ चुदाई में मज़ा आया। उसने अपने बेटे के लंड को सहलाया और कहा कि चुदाई उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा अच्छी थी और उसे शेठ के साथ दोबारा चुदवाने का मज़ा लेने में कोई आपत्ति नहीं होगी। वे कुछ देर तक सहलाते रहे। कपड़े पहने और शेठ के घर गए।

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बाकि अपडेट कल समय मिलने पर.............
Wowww Seth ji bahut rangile hain. Apni bahu ko bhi chodna chahte hain.
 
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