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अब परम झड़ने बाला था, उसने जोर-जोर से और खूब जल्दी-जल्दी चोदना शुरू किया। सुधा को बहुत मजा आ रहा था, वह महेक के शरीर पर पूरा फैल गई। उसकी चूत ठीक महेक के चूत के उपर आ चुकी थी। परम को अपनी बहन का चूत का छेद दिख रहा था। परम को और जोश आया और उछल-उछल कर चुदाई करने लगा। सुधा स्खलित हो गई और महेक से चिपक कर ठंडी हो गई। परम भी झड़ने लगा और उसका 'कम' (वीर्य) सुधा की चूत से निकल कर महेक की चूत पर गिरने लगा। परम ने लंड बाहर खींचा और महेक के चूत पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर रगड़ने के बाद उसने अपना लंड अपनी बहन महेक के मुँह में घुसा दिया। महेक चूसने लगी और साथ ही साथ सुधा भी लंड को चाटने लगी। दोनों लडकिया परम के पलंद को साफ़ करने पर तुली हुई थी, और चाट-चाट के लंड को एकदम साफ़ कर दिया जैसे कुछ हुआ ही न हो।

तीनो ठंडे हो गए, तीनो नंगे ही बहार निकले और एक साथ पेशाब कीया। परम ने अपने पेशाब का निशाना महेक और सुधा की चूत पर रखा। दोनो लड़कियों की चूत और जंघे परम के पेशाब से भींग गई। फिर तीनो कमरे में आकर एक दूसरे से चिपक कर सो गए।

********
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है मजा आ गया
आखिर महेक ने अपनी सहेली सुधा की अनचुदी कुॅंवारी चुद का अपने भाई परम से चुदवाकर उद्धाटन कर ही दिया
बडा ही जबरदस्त अपडेट
 

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सुबह सुंदरी उठी और देखा कि बच्चों का कमरा खुला है। अन्दर आई तो जो देखा और वह अवाक रह गई। दोनो लड़किया बिल्कुल नंगी परम के शरीर पर जांघें रख कर सोयी है। सुंदरी नजरीक गई, बेड पर खून के स्पॉट दिखे, वह समझ गई कि रात को परम ने सुधा की सील तोड़ी है। 'क्या पता अपनी बहन की भी चुदाई करता हो। माँ को तो चोद ही चुका है।'

सुंदरी ने थोड़ी देर तक दोनों की चूत को सहलाया और यह तय किया कि रात को अपनी बेटी के सामने परम से चुदवायेगी और बेटी को अपनी चूतरस का स्वाद चखायेगी। उसने परम के लंड की ओर देखा और उस लंड पर उसे प्रेम आया पर वह कुछ नहीं कर सकी। फिर से उसने अपनी बेटी की चूत पर हाथ रखा और देखा की बेटी की चूत गीली होक सुख गई थी और सुधा की चूत पर परम का वीर्य अभी भी सुख के जैम गया था, और काफी खून भी बह निकला था। उसने एक ऊँगली से सुधा की चूतद्वार पे ले गई और थोडा रब कर के अपनी ऊँगली पर उस चूत की गंदकी को लिया और सीधा अपने मुह में रख दिया। “स्वादिष्ट हो तुम सुधा!” वह थोडा मुस्कुराई और सुधा की गांड की और देखा उसने सोचा अभी गांड परम ने छोड़ दी है क्यों ??? और वह धीरे से कमरे से बहार निकल गई।

अगली सुबह परम बेहद खुश था। रात में सुधा की वर्जिन चूत का मजा लिया, उसकी सिल को तहस नहस किया और खून से भर दिया। सुंदरी के पूछने पर परम ने चुदाई का पूरा किस्सा सुनाया। बाद में परम और महेक सुधा को लेकर उसके घर पहुंच गए। सुधा की चूत रात की चुदाई से अभी तक दर्द हो रहा था, उसे चलने में थोडा असहज महसूस हो रहा था पर रात के आराम की वजह ज्यादा भी नहीं। लेकिन यह तय था की सुधा की चाल में थोडा बदलाव जरुर था।

परम सुधा को घर छोड़ कर कोलेज गया। वहा गेट पर हाय विनोद मिल गया। परम ने खुश होकर विनोद से कहा कि उसने कल सुंदरी को पूरा नंगा कर दिया और उसकी मस्त मस्त निपल भी दबायी। उसने बताया कि सुंदरी, विनोद से चुदवाने को तैयार हो गई है। यह सुनकर विनोद बहुत खुश हुआ। परम ने कहा कि कल दोपहर में वो पूरा रुपया लेकर उसके घर आ जाए ठीक 2 बजे। विनोद हां सुनकर इतना खुश हुआ कि उसने परम का हाथ पकड़ कहा चल आज तुझे एक साथ दो-दो चूत का मजा दिलावाता हूं। विनोद, परम को लेकर सीधा अपने घर पर आया। वहा विनोद की बहन (उससे बड़ी) बहार के बरामदे पर कुछ लोगो के साथ बैठ कर कागजात देख रही थी और लोगो से रुपया वसूल कर रही थी। परम उसे जानता था इसलिए उसने उसे उसकी खबर पूछी।
मैत्री और फनलव की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

उसने उसे थपथपाया और डांटा कि “क्यों आजकल तू यहाँ उसके घर नहीं आ रहा है?

विनोद ने उससे कहा कि “जल्दी काम ख़त्म करो और दरवाज़ा बंद करके अंदर आ जाओ”।
अपने विचार जरुर दीजिये
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है मजा आ गया
 

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फिर विनोद परम को घर के अंदर और शयनकक्ष में ले गया। उसने अपनी माँ को बुलाया जो लगभग 41-42 की थी, थोड़ी मांसल और इतनी पतली फिगर वाली नहीं थी। जैसे ही वह कमरे में दाखिल हुई, विनोद ने उसकी साड़ी उतार दी और कहा,

“परम को खुश करो…जो चाहता है सब करने दो, और उसके लंड को खाली कर के छोड़ना।” विनोद ने अपनी माँ की चुची दबाते हुए कहा जल्दी से नंगी हो जा और परम के लंड को चूस। विनोद की माँ ने बिना कुछ कहे अपना पेटीकोट और ब्लाउज़ उतारा और बिस्तर पर लेट गईं और पैरों को फैला कर चुतर उठाया। विनोद की मां ने झांट साफ किया था, एक दम क्लीन चूत थी। उसकी चुची सुंदरी के चुची से बड़ी और मोटी थी लेकिन पूरी पेट तक आकर लटक गई थी। परम ने अपना कपड़ा उतारा और विनोद की माँ की चूत को चूमने लगा।

"परम, चूत चाटने के लिए नहीं होती, लौड़ा नीचे डाल कर चोदो!" विनोद चिल्लाया। लेकिन परम को चूत का स्वाद पता था। उसने अपने दोस्त की माँ को चूसा और चोदा। उस औरत के मुँह में स्खलित होने के बाद विनोद ने अपनी माँ से गरम दूध लाने को कहा। वो अंदर गई और तभी विनोद की बहन बिन्नी आ गई। विनोद ने उसे बाँहों में भर लिया और उसके कपड़े उतार दिए।

"जाओ साली परम से मरवाओ!" विनोद ने उसे परम पर धकेल दिया। परमने उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसे भी वैसे ही संतुष्ट किया जैसे उसने उसकी माँ को किया था। बिन्नी और उसकी माँ, दोनों के लिए यह पहली बार था जब किसी ने उनकी चूत चूसी थी। दोनों को यह चुदाई से ज़्यादा पसंद था। हालाँकि विनोद पिछले एक साल से उसे और उसकी माँ को चोद रहा था, उसने न तो कभी उनकी चूत को मुँह में लिया था, ना ही कलकत्ता के होटलों में किसी और को, न ही उसके पति को, जो हर महीने कुछ दिन उससे मिलने आता है। उन्होंने परम से कहा कि वह ज़्यादा बार आकर उनको चोदे। जी भर के चोदे, वह दोनों चूते अब परम के लंड के लिए तैयार रहेगी। परम ने भी कहा जब भी समय मिलेगा तुम दोनों की चूत की मरमत करने आ जाऊंगा। और दोनों औरतो ने उसे मुस्कुराते हुए विदा किया।



****

अपनी कोमेंट देना ना भूलियेगा प्लीज़............
बडा ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
परम ने विनोद की माॅं और बहन का भी भोग लगा ही दिया उन दोनों को पहली बार चुद चटाई का मजा भी दे दिया
 

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अब आगे।

जब परम घर पहुँचा तो दोपहर के करीब एक बज रहे थे। उसने सुंदरी को तैयार होने को कहा। सुंदरी अपने कमरे में गई और नयी साडी ली आयर उसका मेचिंग ब्लाउस और पेटीकोट निकाला और पहने लगी। तभी परम अन्दर आया उसने सुंदरी के कपड़ो को ऊपर उठाया और देखा की माँ की चूत साफ़ है की नहीं।

क्या देखता है बेटे! अब जाने दे अभी मुझे नहीं चुदवाना है, वो क्या है की सेठजी को पता चल जाएगा की मेरी चूत में किसी का वीर्य पड़ा है तो बात बनते बनते बिगड़ जायेगी। हो सकता है की सेठजी निकाल दे। अभी शुरुआत है बेटे बाद में सेठजी मेरे अलावा कही जानेवाला नहीं है। बस एक बात मेरे माल का स्वाद चख ले।“
फनलव और मैत्री की अनुवादित कहानी पढ़ रहे है

परम ने कहा नहीं माँ मुझे अभ तुम्हे नहीं चोदना है पर मैंने तुम्हारी चूत इसलिए देखि की तुमने अपना माल को साफ़ किया है या नहीं”

सुंदरी ने तुरंत अपना घाघरा ऊपर उठाया और अपनी चूत चौड़ी कर दिखाया, परम ने यह सुनिश्चित किया कि उसकी चूत पर बाल न हों। वे पैडल रिक्शा से शेठ की दुकान पर पहुँचे। वे भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि सुंदरी का पति उन्हें न देख ले। हालाँकि गर्मी की दोपहर थी, लेकिन इलाका बहुत भीड़भाड़ वाला था। हर कोई अपने काम में व्यस्त था। परम सुंदरी को कमरे के अंदर ले गया (याद रखें शेठ ने पीछे के दरवाजे की चाबी परम को दी थी)। उसने देखा कि कमरा पिछली शाम से काफ़ी बेहतर है। बिस्तर पर दो तकियों के साथ नई चादर बिछी थी। कुछ खाने-पीने की चीज़ें और कोल्ड ड्रिंक की बोतल एक आइस बॉक्स में रखी थी। उसने सुंदरी को चूमा और कहा कि उसका पति बस कुछ ही फीट की दूरी पर बैठा है और पूछा कि क्या वह चिंतित है! वह मुस्कुराई और कहा कि परम के पिता भी उसे शेठ के साथ चुदते हुए देखे तो भी वह बंद नहीं करेगी, लेकिन आगे चुद्वाती रहेगी आखिर माल (पैसो) का सवाल था, सुंदरी ने परम को जाने को कहा और शेठजी को जल्दी से अन्दर भेजने को कहा। लेकिन परम ने कहा कि उसे खुद नहीं पता। परम ने बहार से कमरा लोक किया और दूकान में वापिस आया। वह सीधा मुनीम (उसके पिता) के पास गया और उनको कहा की शेठजी को बोलो की उनका “माल” आ गया है। मुनीम ने जानना चाहा की माल क्या है तब परम ने जवाब दिया की उसे खुद को नहीं पता की माल क्या है बस माल है। आप जाके शेठजी को बताओ। उसके पिता अंदर गया और तुरंत शेठ के साथ बाहर आ गया। शेठ ने परम को देखा। तभी परम ने कहा शेठजी आपका माल आ गया है अब आप जानो और आपका माल।


शेठने जेब से कुछ नोट निकाले और उसे अपने घर जाकर शेठानी से कह देने को कहा कि शेठ आज जल्दी घर आ जाएगा। परम थोड़ी देर वही बैठा और सेठजी को इशारा में कहा की वह मुनीम का ध्यान रखे। सेठजी ने भी इशारों में कहा की उसे पता है की उसे क्या करना है और मुनीम का भी क्या करना है। परम ने मुनीम की तरफ देखा तो मुनीम उसे प्रश्नार्थ नजरो से कभी परम के सामने तो कभी सेठजी के सामने देख रहा था। शेठ ने कहा कि वह अंदर आराम करेगा और उसे कोई परेशान न करे। मुनीम को अब पता था कि कोई "माल" शेठजी का लंड अपनी चूत में लेने के लिए आई है और वह अंदर है। बेचारे को पता नहीं था कि वह 'माल' कोई और नहीं बल्कि उसकी पत्नी सुंदरी है। लेकिन उसे कुछ शक भी हुआ।


आपकी राय की प्रतीक्षा में...........
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शेठजी ने उस कमरे का दरवाजा खोला और अंदर से बंद कर लिया। सुंदरी को बिस्तर पर बैठा देखकर वह बहुत प्रसन्न हुए।

परम ने पैसे जेब में रखे और शेठजी के घर की ओर भागा। उसने पिछले दिन की तरह फिर से शेठजी की बेटी से भोग लगाने की सोची। वह शेठजी के घर में दाखिल हुआ और उसने देखा कि रेखा शेठानी और अन्य चार महिलाओं के साथ बैठी थी। वे बंडलों में से साड़ियाँ और अन्य कपड़े चुन रहे थे। परम को देखते ही रेखा के गांड में लपालप होने लगी और चूत गीली हो गई। बोब्लो में तनाव आ गया, रेखा का मन किया कि वही सबके सामने परम को अपना चूत चाटने को बोले।

इधर शेठानी की चूत भी चुदने के लिए फडफडाने लगी। शेठानी की चूत यह सोच कर ही अपना थोडा सा चूतरस को छोड़ दिया और लंड के आगमन के लिए अपने पैर थोड़े खोल दिए। लेकिन उन महिलाओं के सामने कुछ नहीं हो सकता था। परम भी सबके सामने रेखा या शेठानी को नहीं चोद सकता था। उसने शेठानी से पूछा “मालकिन आज कौन सा काम साफ कर दूं?”

शेठानी इशारा समझ गई और बोली, “बेटे आज इलाज वाला काम साफ कर दो। थोड़ी देर में मैं भी आती हूं…” फिर शेठानी ने रेखा की देख कर कहा, बेटी तू जाकर परम की मदद कर दे।”

“नहीं माँ, मुझे नींद आ रही है।” रेखा ने कहा और उठाकर नीचे चली गई। बहार बैठी औरतों को पता ही नहीं चला कि कौन किस काम के लिए गया। जब तक वो औरतें कुछ सोचती थी तब तक रेखा पूरी नंगी होकर बिस्तर पर पसर गई थी और परम उसकी चूत और गांड चाटने लगा था। बाहर औरतें साड़िया देखने और सिलेक्ट करने में ब्यस्त थे और रूम अंदर परम रेखा की गांड को कल जैसा ढीला कर रहा था। रेखा ने आज कल जैसा कोई नाटक नहीं किया। जब परम अन्दर आया उसने अपने आप ही अपने पैरो को फैला दिया और अपनी चूत को उजागर कर के परम को निमंत्रण दिया, उसकी चूत को चाट-चाट के ठंडा करे, और थोड़ी देर बाद उसने अपनी गांड पर एक ऊँगली रख के एक इशारा किया की उसकी गांड तेरे लंड से मार खाने के लिए तैयार है। परम भी इंतज़ार नहीं कर सकता था और उसका मुह तुरंत ही रेखा की चूत पे जा के चिपक गया और एक ऊँगली रेखा की गांड में चली गई। रेखा ने अपनी गांड को थोडा ढीला किया और गांड के होल में ऊँगली की प्रवेश को आसानी दे दी। आज रेखा ने जैमकार और खुश होकर अपनी गांड परम के लोडे को दे दिया और जैम कर अपनी गांड की मरामत करवा ली। उसकी गांड में परम का वीर्य से लबालब हो गई। रेखा गांड मरवा कर और चूत में कल दिन जैसा लंड रगड़वा कर बिल्कुल ठंडी हो गई थी और नंगे ही सोने की कोशिश करने लगी और सो भी गई।

बहार, औरतें साड़ी देख कर जाने की तैयारी में थी। परम कपडे पहन कर बाहर आया तो शेठानी ने उसे सबके लिए कोल्ड ड्रिंक बनाने को कहा। चारो औरतें ठंडा पी कर बाहर चली गईं और उनके जाते ही शेठानी ने अंदर से दरवाजा बंद कर परम को दबोच लिया।


आपकी राय की प्रतीक्षा रहेगी........
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अब आगे........

“तूने रेखा को चोद लिया क्या?” शेठानी ने पूछा।




परम को सेठानी के सवाल की कहा पड़ी थी। परम ने सीधा सेठानी के ऊपर हमला कर दिया,परम ने शेठानी को पूरा नंगा कर दिया और उसके मांसल शरीर को सहलाते हुए कहा “नहीं रानी, तेरी बेटी की सिल नहीं तोड़ी है खाली चूत चाटी है और अपना लंड चुसाया है, और तेरी बेटी ने बड़े प्यार से मेरा लंड चूसा है और मेरा वीर्य को निगल गई और सो गई है, आ जा अब तुझे भी लंड चुसाता हूं।”

“अच्छा ठीक है लेकिन रेखा ने अच्छे से तेरे इस लौड़े को चूसा ना! ठीक से लंड का माल निकाला ना!”

“अभी सिख रही है तेरी बेटी, आदत हो जायेगी फिर वह भी तुम्हारे तरह मुझे अच्छे से चूसेगी और अपनी गांड भी फड़वाएगी तुम चिंता ना करो मेरे लंड की रानी। बस तुम अपने छेदों को जी भर के मेरे लंड को चोदने दो। तुम दोनों माँ-बेटी को मेरे लंड की आदत पड़ जाने दो। रानी, सही कह रहा हु न!”

“मुझे बस रेखा की चिंता थी बेटे, लेकिन अब तुम एक भरोसेमंद चोदु हो तो मुझे कोई तकलीफ नहीं आराम से उसके मुह को चोद और उसकी गांड की भी केर करता रह। फिर जब शादी के बाद आती है तो तेरा इस लंड से उसको गर्भवती भी कर देना और क्या चाहिए तुम्हे और मुझे भी! लेकिन इस रेखा के चक्कर में मेरी इस भोस को मत भूलना बेटे, आते जाते उसमे भी पानी डालते रहना। खुश हो के आशीर्वाद देगी बेचारी मेरी चूत।“

परम: “अरे, रानी फिकर क्यों करती हो,तुम चाहो तो अभी मेरे इस लंड से बच्चा ले सकती हो।“

अरे नहीं बेटे, मैं तो इस लिए कह रही थी की सब मर्दों को जवान और कमसिन माल में रस होता है, उसकी जवानी को तोड़ने में मजा होता है तो मैं समजी की तुम मुझे रेखा की मखमली चूत के सामने मुझे भूल जाओगे, इसलिए मैंने कहा बाकी मुझे मेरी बेटी को तुमसे चुदवाने में कोई रंज नहीं है, रेखा को जितना चोदेगा उतना तुम दोनों को मजा है और मुझे मेरी चूत में तेरा पानी ना सुख जाए बस।“

शेठानी गद्दे पर बैठ गई और परम के लंड को प्यार से चूसने लगी। थोड़ा देर चूसने के बाद परम से उसकी चूत चाटने को कहा। परम 69 पोजीशन में होकर चूत चूसने लगा। शेठानी की चूत सुंदरी की चूत का साइज से दोगुना हो गया। डबल रोटी जैसा फूला हुआ, लंबी फांक, करीब एक इंच लंबा क्लिट और फुद्दी / पंखुड़ियां बाहर निकले हुए। परम हर पार्ट्स को खूब मजे ले लेकर, जैसे कि चिकन की टांग चबा रहा हो, चूस रहा था। शेठानी भी लंड को कैंडी के जैसा प्यार से चाट रही थी। परम ने दोनों हाथो से मोटी मोटी जांघों को नीचे की तरफ खींच कर चूत को ऊपर उठा दिया था और उसकी गांड भी खुल गई थी। तभी शेठानी ने लंड मुँह से निकाला और कहा, “बेटा जल्दी चोदो नहीं तो कोई आ जाएगा तो मजा ख़राब हो जाएगा।”

परम निचे उतर कर उसकी एक टांग को अपने कंधे पर रख कर फचा-फच, फचा-फच चुदाई करने लगा। परम खूब दम लगा कर चोद रहा था।

“रानी, गांड मरवाओगी?”


"आज नहीं। शादी ख़त्म होने दो फिर दिनभर तुम्हारे लौड़े को चूत और गांड के अन्दर ही रखूंगी। अभी फटा-फट चोद के चूत को ठंडा कर दो।ज्यादा जोर से मारो बेटे, मेरी चूत कब से तेरे इस डंडे से मार खाने को तड़प रही है।" परम प्यार से मोटी-मोटी निपल दबा और शेठानी के होठों को चूम-चूम कर अपना लंड पाओ-रोटी जैसी चूत में पेलता रहा। शेठानी भी चुत्तर उछाल उछाल मजा ले रही थी और अपनी किस्मत को सराह रही थी की एक 45-46 साल की चूत को 20 साल का लौंडा प्यार से चोद रहा था। जैम के उसकी चूत की सर्विस कर रहा था। मैत्री और फनलव की अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


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“सब सुंदरी की इतनी तारीफ़ करते है, कभी तुझे अपनी माँ को चोदने का मन नहीं करता…!!!”

“मेरा मन तो बस तेरी बेटी रेखा को दम भर के चोदने को करता है…”

“फिर खाली, चाट के छोड़ दिया! चोदा क्यों नहीं…चोद देता तो मैं मना नहीं करती बेटे, तेरे लंड से वह चुद सकती है!!!”

"साली, उसकी माँ को चोदु, शादी के पहले सील नहीं तुड़वाना चाहती है, मैं उसे प्यार करता हूं इस लिए छोड़ दिया। लेकिन अपना लंड तो उसकी चूत में आधा घुसा ही दिया है। अब जब ससुराल से वापस आएगी तो कुतिया को तेरे सामने भी चोदूंगा। चुदवायेगी ना अपनी बेटी को तेरे सामने!" कहते हुए परम ने जोर से धक्का दिया और मोटी झड़ गयी। झड़ते ही शेठानी से अपने दोनों हाथो और टांगो से परम को पकड़ लिया। परम चूत के अंदर धंस गया और लंड ने चूत को पानी से भर दिया। थोड़ी देर तक दोनों चिपक रहे फिर शेठानी ने परम को अपने शरीर पर से उठाया, तब उसकी चूत में से काफी चुतरस और विर्या का मिलाझुला रस बहार की तरफ आ गया तभी उसने पूछा,

“रेखा की टाइट चूत का मजा लेने के बाद मेरा भोसडा (चूत) कैसा लगा…!!!”

परम ने चूत को मसलते हुए कहा “दिन रात इस चूत में लंड डाल कर बैठा रहूंगा, साली बहुत मस्त माल है तेरे पास। साली…मुझे तुम दोनों की चूत का भोसड़ा बनाने में मजा आएगी।”

शेठानी झुककर परम के लंड को थोड़ी देर चूसा और फिर कहा कि वो सुंदरी को चुदते देखना चाहती है। परम ने शेठानी को कहा कि वो सुंदरी को शेठानी के सामने शेठ से चुदवाने के लिए तैयार करेगा। शेठानी ने कहा कि शेठ उसकी चूत तो चोद ही नहीं पाता, सुंदरी को क्या चोदेगा!

शेठानी को क्या मालूम कि वही समय शेठ सुंदरी को अपने ऑफिस में खूब मजा लेकर चोद रहा है। शेठानी लंड चुस्ती रही और अपने चुतरस और वीर्य का मिलाजूला रस को चाट कर साफ़ कर रही थी पर लंड फिर अकडने लगा तो शेठानी ने कहा;

“अब तू जा नहीं तो फिर से लंड मेरी भोस में भर लुंगी।” शेठानी नंगी ही कमरे में गई और वापस आकर परम को कुछ रुपये दिए और बोली बीच में मौका निकाल कर लंड चूसा जाना, मुझे तेरा पानी पिने में मजा आता है, और हां, कभी-कभी रेखा को भी अपना पानी पिला दिया कर। उसे भी तो मजा देता रह अपने पानी से उसका पेट भरते रहना, और बस इशारा कर देना की रखा के मुह को चोदने जा रहा है मुझे कोई आपत्ति नहीं है की उसका मुह तुम कितनी बार चोद रहे हो। मेरी तरफ से बेपरवाह रह। बस उसकी गांड और मुह में तेरा लंड पेलता रह।

“जी, ठीक है।“ परम ने सेठानी के मुंह में अपना लंड को हिलाया और बची हुई बुँदे भी लंड को दबाते हुए उसके मुंह में दाल दिया।

“चल मेरे लंड की रानी अब मैं जाता हूँ।“

परम के जाने के बाद शेठानी ने अंदर से दरवाजा बंद किया और नंगी अपनी बेटी के बगल में सो गई। रेखा ने एक आँख खोल कर देखा और मुस्कुराई अपनी माँ को नंगी देख कर और निचे गीली देख कर समज गई की परम का लोडा वहा सफ़र कर के गया है। वह मन ही मन खुश हुई की अब वह उसकी माँ के सामने परम का लोडा ले सकती है उसके सामने ही वह बिना डर और संकोच अपनी गांड मरवा सकती है।

परम बहार आकर टाइम देखा तो 3.30 बजे थे। सुंदरी को शेठ के साथ डेढ़ घंटा हो गया था। परम ने कल्पना किया कि शेठ सुंदरी को खुश नहीं कर पाया होगा और चूत में लंड घुसा ही झड़ेगा।

चलो अब वहा जाते है और सुंदरी और सेठजी की खबर भी लेते है।।।।।


अभी के लिए बस इतना लिख पाई हूँ .......बने रहिये अपनी राय देते रहिये ..........
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शेठ सुंदरी को बिस्तर पर बैठा देख मस्त हो गया। वो बिस्तर पर सुंदरी के बगल में बैठ गया और उसे अपनी गोदी पर गिरा लिया।

“ओह, सुंदरी…” शेठ कुछ कह रहा था तो सुंदरी ने उसके मुंह पर उंगली रख कर कहा ” नाम से मत पुकारो, आपका मुनीम और मेरा सुहाग सुनेगा तो समझ जाएगा कि शेठ उसकी बीबी की चूत की खबर ले रहा है और पेल रहा है…!”

शेठ ने उसे बाहों में ले लिया और ज़ोर से चूमा मानो सालों से किसी औरत को छुआ ही न हो। यह सच था, उसने अपनी पत्नी को छह महीने से ज़्यादा समय से नहीं चोदा था और सुंदरी के बेटे ने कुछ ही दिनों में उसे दो बार चोदा। शेठ ने उसके कपड़े उतारने शुरू कर दिए। सुंदरी ने कोई विरोध नहीं किया और जल्द ही वह नंगी हो गई। शेठ ने उसे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। वह उससे थोड़ा दूर हुआ और उसे ऊपर से नीचे तक देखा।

वह वास्तव में एक परी थी। अच्छे, छोटे पैर। बहुत ही सुडौल पिंडलियाँ और टांगें जो लगातार मोटी होती जा रही थीं और ऊपरी जांघें केले के तने की तरह मज़बूती से जमी हुई थीं। कहीं भी अतिरिक्त मांस नहीं। छोटा जघन क्षेत्र, उसकी पत्नी के विपरीत, जिसका आकार सुंदरी की चूत से दोगुना से भी ज़्यादा था। चूत सूजी हुई थी और पेट के स्तर पर उठी हुई थी। चूत के दो होंठ लगभग जुड़े हुए थे मानो ज़्यादा चुदी हुई न हो। भगनासा दिखाई दे रही थी और इसलिए चूत की पंखुड़ियाँ चूत की दरार से बाहर निकल रही थीं। भगनासा लगभग 1 इंच लंबी, दोनों गोलार्द्धों के बीच लगभग कोई अंतर नहीं था और दोनों उसकी छाती पर मजबूती से जमे हुए थे, मतलब ज्यादा दबाया हुआ नहीं लगता था। ये समान रूप से उभर रहे थे। निप्पल भी मोटे, लंबे और उभरे हुए थे। एरोला का व्यास लगभग 1 इंच से थोड़ा ज़्यादा और रंग गहरा काला था। उसके कंधे चौड़े लेकिन गोल थे और गर्दन चिकनी और लंबी थी। उसकी ऊपरी भुजाएँ उसकी कामुकता को और बढ़ाने के लिए तराशी हुई और मोटी थीं। उसका चेहरा गोल था, गालों पर गड्ढे थे और होंठ छोटे और अच्छे से सेट थे। उसने उसके होंठों की तुलना चूत के होंठों से की और उसने देखा कि चूत के होंठ उसके मुँह के होंठों से लगभग दोगुने आकार के थे।

"रानी पलट जाओ,मुझे तुम्हारी गांड देखने दो औरपना पीछे का खजाना दिखाओ की तुम्हारी गांड का छेद कैसा है।" शेठ फुसफुसाया और सुंदरी ने अपना पेट पलट दिया। उसकी नज़रें उसके दोनों कूल्हों पर टिक गईं जो गोल, बड़े और मज़बूत थे। बिल्कुल भी ढीले नहीं थे। उसने कुछ देर तक सुंदरी की खूबसूरती को निहारा और उसके सामने खड़ा हो गया। उसने अपना कुर्ता और फिर गंजी उतार दी। सुंदरी उसके 'तोंद' (फूले हुए पेट) को देखकर मुस्कुराई। उसे आश्चर्य हुआ कि वह चुदाई कैसे कर पाएगा। तभी उसने देखा कि शेठ धोती खोल रहा है। वह सिर्फ़ सूती सफ़ेद अंडरवियर में था। सुंदरी ने हाथ बढ़ाकर नाड़ा खींचा और अंडरवियर ज़मीन पर गिर गया। उसने जो देखा उससे वह हैरान रह गई। उसने जो सोचा था उसके विपरीत शेठ का लौड़ा उसके पति या उसके बेटे परम से भी बड़ा था,लेकिन अपने पति जैसा तो नहीं था, उसका सुपारा तो वाह। यह उसकी निचली कलाई जितना मोटा था। और यह पूरी तरह से तना हुआ, लोहे के खंभे जैसा सख्त था।


अब सुंदरी क्या सोच रही है वो कल .........
बहुत ही जबरदस्त शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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