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Incest मेरी बीवियां, परिवार..…और बहुत लोग…

Should I include a thriller part in the story or continue with Romance only?

  • 1) Have a thriller part

    Votes: 22 48.9%
  • 2) Continue with Romance Only.

    Votes: 25 55.6%

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Bhai..... mujhe padhne tak ka samay nahi mil paa raha hai.....fir bhi aapne ager story post Kari hogi to definitely awesome hogi.....

Keep writing bro.....
koi baat nahi bhai...thank you...jab bhi aapko time mile to padh lena. Comments kaa intezaar bhi rahega...

AGRIM9INCH
 
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बहुत ही शानदार लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
वसु ने दीपु की उपस्थिती में दिव्या और निशा को बाबा की कहीं बाते बतायी और दिव्या को दीपु से शादी करनी पडेगी और उसके जीवन के साथ ही उसका जीवन जुडा हैं दिव्या भी गहन सोच के बाद लगबग दीपू से शादी के लिये तयार हो गई है
वही निशा और दिनेश की प्रेम कहानी बहुत आगे बढ कर शादी तक पहुंच गयी है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है भाई
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
thanks bhai for your nice comment. Dekhte hai aage kya hota hai :)

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Rajizexy

❣️and let ❣️
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दीपू: ठीक कह रही हो. ये बातें जितना छुपा के रखेंगे उतना ही आगे मुश्किल हो सकता है.

दोनों फिर कुछ देर ऐसे ही वहां बैठे रहते है और फिर कुछ देर के बाद दोनों वहां से निकल कर अपने घर चले जाते है.

अब आगे ..

7th Update

घर जाने के बाद दोनों निशा और दिव्या पूछते है की इतना देर क्यों हुआ.. वसु कहती है की रात को वो उन सब से बात करेगी. दोनों एक दुसरे को देखते है जैसे कह रहे हो की आखिर बात क्या है जो रात में बताने वाली है. लेकिन दोनों कुछ नहीं कहते और सब अपने काम में लग जाते है.

रात को खाना खाने के बाद सब साफ़ सफाई करने के बाद वसु सब को अपने कमरे में बुलाती है और दीपू को भी आने को कहती है.

दोनों बड़ी उत्सुकता से कमरे में जाते है बिना जाने की एक धमाका होने वाला है ख़ास कर के दिव्या के ऊपर!!

निशा: बोलो ना आज इतना क्यों देर हुआ और आपने क्यों कहा की रात को बात करेंगे. वसु फिर एक नज़र दीपू को देखती है तो वो हाँ में सर हिला देता है. वसु अपना गाला थोड़ा ठीक कर के कहती है.. मैं जो कह रही हूँ उससे तुम दोनों को झटका लो लगेगा ही लेकिन फिर सोच समझ कर जवाब देना और अगर ना भी दिया तो कोई गलत नहीं है लेकिन मैं जो अभी बात कहने वाली हूँ सिर्फ फिलहाल हम चारों के बीच ही रेहनी चाहिए.

वसु को इतना सीरियस बात बोलने पे दोनों निशा और दिव्या एक दुसरे को देखते है और हाँ में सर हिला देते है. वसु: तो बात ये है की आज हम दोनों खंडहर गए थे और एक बाबा से मिले थे.

वसु: और बाबा को तुम्हारी कुंडली दिखाई थी. ये वही बाबा है जिनसे हमने और ऐसा कहते हुए दीपू और निशा की और देखते हुए कहती है की तुम दोनों की कुंडली भी बनवायी थी. उन पे हम दोनों बहुत मानते हे और जब दीपू छोटा था और उसकी जान को खतरा था तो उन्होंने दवाई देकर उसकी जान बचाई थी.

वसु: बाबा तुम्हारी कुंडली देख कर उन्होंने बताया है की कुछ दोष है तुम्हारे कुंडली में और इसीलिए तुम्हारी अब तक शादी नहीं हुई है. दिव्या थोड़ा आश्चर्य से वसु को देखती रहती है.

वसु: बाबा ने इस दोष से छुटकारा पाने के लिए इलाज भी बताया है लेकिन दिक्कत यहीं है.

निशा: क्या दिक्कत है?

वसु: उन्होंने बताया है की अगर तुम अपने ही कोई घर वालो से शादी करोगी तो ये दोष चला जाएगा और ये भी कहा की अगर तुम्हारी शादी कहीं बहार होती तो तुम्हारा पति मर जाएगा और तुम विधवा हो जाओगी और तुम्हारी ज़िन्दगी बहुत कठिन और नरक हो जायेगी. वसु ये सब एक सांस में कहती है और दिव्या की तरफ देखते रहती है.

दिव्या ये जान कर बहुत दुखी हो जाती है और उसका चेहरा उतर जाता है क्यूंकि उसे पता था की उसके परिवार में उससे कोई शादी नहीं करेगा.

वसु: मुझे पता है ये बहुत दुःख की बात है लेकिन बाबा ने इसका भी इलाज बताया है. दिव्या जब ये बात सुनती है तो तुरंत कहती है क्या? वसु फिर से एक गहरी सांस लेकर कहती है की मैंने तुम्हारी पूरी बात अब तक बतायी नहीं.

दोनों: और क्या बात है?

वसु: बात ये है की दीपू की कुंडली में ये है की उसकी एक से ज़्यादा बीवियां होगी और वो बहुत भाग्यशाली भी है. उसके जीवन में बहुत से औरतें आएगी जिन्हे वो बहुत प्यार देगा और उसे भी बहुत प्यार मिलेगा.

दिव्या: इसका मेरे शादी से क्या तालुक है?

वसु: मैं चाहती हूँ की तू दीपू से शादी कर ले. तेरी भी उम्र हो रही है और हम सब को तेरी बहुत चिंता है. मम्मी पापा रोज़ तेरे बारे में पूछते रहते है और कहते है की वो लोग जाने से पहले तुझे सुहागन के रूप में देखना चाहते है.

वसु: एक और बात…

दिव्या: क्या?

वसु: बात ये है की मेरी ज़िन्दगी भी तुम्हारे साथ ही जुडी हुई है. इसे किस्मत समझो या ऊपर वाले की दया की तुम भी हमारे साथ बहुत दिनों से रह रही हो.

दिव्या: ये तो मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था की मेरा तुम्हारे साथ रहना तुम्हारी ज़िन्दगी से तालुक रकता है. माँ पिताजी ने मुझे यहाँ इसीलिए रहने को कहा था की जब जीजाजी गुज़र गए तो तुम्हे मेरे रहने से कुछ सहायता मिल जाए और तुम्हारी ज़िन्दगी में जो दुःख आये थे तुम उससे थोड़ा संभल जाओ

वसु: तेरी बात सही है. बाबा ने मेरी कुंडली भी बनायी और उन्होंने साफ़ कहा है की हम दोनों की ज़िन्दगी एक दुसरे से जुडी हुई है और जहाँ तेरी शादी होगी वहीँ मेरी भी शादी होगी. ऐसा कहते हुए वसु रुक जाती है और निशा और दिव्या की तरफ देखती है की उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी.

दिव्या: क्या कह रहो हो दीदी? तुम फिर से शादी करोगी?

निशा: क्या फिर से आपकी शादी होने वाली है?

वसु: मेरा भी तुम्हारी तरह ही reaction था जब बाबा ने ये बात कही थी. लेकिन फिर उन्होंने कहा की मेरे से भी ज़्यादा उम्र की औरतें जिनका तलाक हो जाता है वो भी दुबारा शादी कर लेते है और सुखी ज़िन्दगी जीते है. और फिर कहा की तुम्हारी उम्र इतना ज़्यादा भी नहीं है की तुम दुबारा शादी नहीं कर सकती. और फिर सबसे बड़ी बात.. ये की तुम शादी कर के फिर से एकदम सुखी ज़िन्दगी जियोगी.

दिव्या: वैसे ये बुरी बात नहीं है क्यूंकि मैं भी जानती हूँ की तुम्हे भी एक मर्द की ज़रुरत है जो तुम्हारी अच्छी देख बाल कर सके.

निशा: मौसी ठीक कह रही है माँ.. देखो ना तुम्हारी उम्र ही क्या है? तुम्हे भी अच्छे से जीना का अधिकार है और कितने दिन ऐसे रहोगी? हम दोनों भी तो अब बड़े हो गए है. कब तक हमारी चिंता में जीती रहोगी?

वसु: दिव्या से ..इस बारे में मैंने भी बहुत सोचा है .. तू तो जानती है की तेरा भाई में अब वो बात नहीं है और खुद अपनी बीवी याने हमारी भाभी को ठीक से नहीं देखते जिनकी चिंता माँ बाबूजी को भी है.

इतना कह कर वसु चुप हो जाती है. कमरे में एकदम सन्नाटा छा जाता है और कोई कुछ नहीं कहता.

इन सब बातों में दीपू एकदम चुप रहता है और कुछ नहीं कहता. इतने में निशा कहती है.. माँ एक बात बतानी थी आपसे.. जब आपने हमसे इतनी सारी बातें बतायी है तो मैं भी कुछ कहना चाहती हूँ.

वसु: हाँ, कहो

निशा: यही की अगर अपने घर में सिर्फ दीपू ही है जो मौसी और तुमसे शादी कर सकता है तो इससे और अच्छी बात क्या हो सकती है? देखो ये कितना सुन्दर और होशियार हो गया है. मुझे पता है की ये तुम दोनों को बहुत अच्छे से देखेगा और प्यार भी करेगा.. और ऐसा कहते हुए निशा दीपू की तरफ देख कर है देती है.

वसु को इस बात का थोड़ा एहसास था इसीलिए वो कुछ नहीं कहती और चुप रहती है.

दीपू माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए कहता है.. बहुत सीरियस बातें हो गयी है. मैं फ्रिज से cool drinks लाता हूँ और सब पीते है और ऐसा कहते हुए वो उठ कर किचन में चला जाता है. उसका एक और मक़सद था की वो उन तीनो को अकेले थोड़ा टाइम दे क्यूंकि अभी कुछ देर पहले लोगों की ज़िन्दगी बदलने वाले बातें हुई थी

दीपू थोड़ी देर में सब के लिए कूल ड्रिंक्स लाता है तो सब पीते है लेकिन कोई कुछ ज़्यादा बात नहीं करता क्यूंकि सब के मन में कुछ ना कुछ बातें चल रही थी.

कुछ समय बाद वसु आखिर में कहती है.. चलो रात हो गयी है सो जाते है. जाने से पहले छोटी सुन मैंने जो तुझसे पुछा है मुझे बताना. कोई जल्दी नहीं है. तेरा जो फैसला होगा उससे ही बात आगे बढ़ेगी. ठीक है? और तेरे फैसले पे ही मेरा भी फैसला होगा.

दिव्या: अभी भी वो थोड़ा गुमसुम रहती है. अचानक वसु के पूछने से अपने आप को संभाल कर ठीक है कहती है. फिर सब अपने कमरे में सोने चले जाते है.. अपनी अपनी सोच को लेकर..

दिव्या रात भर आज हुए बातों के बारे में सोचती रहती है और ना जाने क्यों उसे वसु की बात सही लगती है की वो दीपू से शादी कर के खुश रहेगी. पिछले २० सालों में इस घर में बीते हुई बातें और घटनाएं याद करती है और सोचती है की दीपू सच में एक अच्छा लड़का है भले ही वो मुझसे छोटा है लेकिन एकदम अच्छे स्वभाव का और हम सबसे कितना प्यार करता है . दीपू दिखने में बहुत सुन्दर था.. उसकी झील सी नीली आँखें अच्छा बदन और होशियार भी. उसके बारे में सोचते हुए ना जाने कब उसका हाथ अपनी टांगों के बीच चला जाता है और साडी के ऊपर से ही चूत को रगड़ते रहती है और ना जाने कब उसे नींद आ जाती है.

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र जाते है लेकिन उनमें ज़्यादा इस बारे में बात नहीं होती.

निशा और दिनेश का मिलना:

कुछ दिन पहले (खंडहर में जाने से पहले कुछ दिन) जब दीपू ने निशा को दिनेश का नंबर दिया था..

निशा एक दिन रात को दिनेश को फ़ोन करती है.

निशा: दिनेश?

दिनेश: हाँ मैं दिनेश बोल रहा हूँ.. आप कौन? दिनेश के पास निशा का फ़ोन नंबर नहीं था.

निशा: मैं निशा दीपू की बेहन.

दिनेश: ओह..Hi... कैसी हो? कैसे मुझे याद किया?

निशा: कुछ नहीं ऐसे ही फ़ोन किया. तुम्हे थैंक्स बोलने के लिए तुमने जो मुझे कॉलेज में उन शरारतियों से बचाने के लिए.

दीपू: इसमें क्या है? वो लड़के बदतमीज़ी कर रहे थे तो मुझे बीच में आना ही पड़ा.

निशा: और सुनाओ.. कैसे हो? कल हम कॉफ़ी के लिए मिले क्या? लेकिन कॉलेज से बाहर.. नहीं तो मेरी दोस्त सब मेरी टांग खींचेगे..

दिनेश: ठीक है मिलते है.

अगले दिन दोनों बाहर कॉफ़ी पीने के लिए बाहर एक होटल जाते है. होटल काफी अच्छा था और कॉफ़ी थोड़ी मेहेंगी भी थी उस होटल में. निशा: इतने मेहेंगे होटल में आने की क्या ज़रुरत थी? और कहीं थोड़ा चल लेते. दिनेश: पहली बार तुम मेरे साथ आ रही हो तो फिर छोटे होटल कैसे जाते?

निशा ऐसे ही बात को आगे बढ़ाते हुए.. आगे क्या सोचा है?

दिनेश: मतलब? मैं समझा नहीं.

निशा: अरे मेरे कहने का मतलब था की अब studies भी ख़तम होने को आ रहे है तो आगे क्या करने का इरादा है?

दिनेश ये बात सुन कर थोड़ा आश्चर्य हो जाता है और निशा की तरफ देखते हुए कहता है की तुम्हे दीपू ने कुछ नहीं बताया क्या?

निशा भी आश्चर्य हो कर.. नहीं.. उसने मुझे कुछ नहीं बताया.

दिनेश: दीपू को तो मालूम है.

निशा: मतलब?

दिनेश: यही की कॉलेज ख़तम होने के बाद मैं अपनी मम्मी का बिज़नेस में हाथ बताऊंगा. हमारा बिज़नेस है तो मम्मी चाहती है की अब मैं बिज़नेस सम्भालूं और वो थोड़ा आराम करे.

निशा: दीपू ने तो मुझे कुछ नहीं बताया इस बारे में.

दिनेश: मैंने दीपू को ये भी बताया है की वो भी मेरे साथ मेरे बिज़नेस में काम कर सकता है और दोनों हमारी बिज़नेस को आगे बढ़ाएंगे.

निशा: वैसे कौन सा बिज़नेस है तुम्हारा?

दिनेश: कपड़ों का है. छोटा ही है लेकिन दिन अच्छे निकल जाते है. मैं और दीपू मिल कर बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते है.

निशा: ये तो बड़ी अच्छी बात है. तुम्हारे घर में और कौन है?

दिनेश: मैं और मम्मी ही रहते है. पापा नहीं है.. जब मैं छोटा तो तो वो गुज़र गए.

निशा: सॉरी मुझे पता नहीं था.

दिनेश: कोई नहीं.

फिर ऐसे ही बातें करने के बाद दोनों होटल से निकल जाते है.

उस दिन रात को खाना खा कर जब सब अपने कमरे में सोने जाते है तो निशा दीपू के कमरे में आती है. दीपू उस वक़्त वो भी अपने मोबाइल में कुछ देख कर सोने की तैयारी कर रहा था तो निशा अपनी गांड मटकाते हुए उसके पास आती है. दीपू उसे देख कर.. क्या बात है आज यहाँ कैसे?

निशा: तूने बताया नहीं की पढाई करने के बाद तू अपने दोस्त दिनेश के साथ उसके बिज़नेस में उसका हाथ बताएगा?

दीपू: तुझे किसने बताया?

निशा: तू बताएगा नहीं तो मुझे पता नहीं चलेगा क्या?

दीपू: मतलब जनाब दिनेश से मिली हो आज..

निशा: हाँ आज उससे मिली थी और हम कॉफ़ी पीने गए थे.

दीपू: क्या बात है? मुझे क्यों नहीं बुलाया? मैं भी आ जाता

निशा: वो सब छोड़.. बात सही है क्या?

दीपू: हाँ, दिनेश ने सही कहा है. तुझे अपने दोस्तों से फुरसत मिले तो पता चले ना. मैं उसकी माँ रितु आंटी से भी मिला हूँ और उन्होंने भी कहा है की हम दोनों मिलकर उसके बिज़नेस को आगे बढ़ा सकते है

निशा: ये तो बहुत अच्छी बात है. चलो तू भी जल्दी सेटल हो जा. तुझे भी तो शादी करना है ना.. और ऐसा कहते हुए निशा दीपू को आँख मार देती है.

दीपू: मेरे से पहले तो तेरी शादी होगी.

निशा:देखते है

फिर दोनों ऐसे ही और कुछ बातें करते है और निशा अपने कमरे में चली जाती है और दीपू भी फिर सो जाता है.

फिर दोनों (दिनेश और निशा) के बीच में हर रोज़ बातें होती रहती है और दोनों के बिना जाने एक दुसरे के करीब आ जाते है. फिर एक दिन दिनेश निशा को propose करता है तो निशा भी खुश हो जाती है और हाँ कह देती है..

दिनेश भी एकदम खुश हो जाता है और कहता है की वो उसे अपनी माँ से मिलाना चाहता है. निशा को दीपू ने बताया था उसे माँ के बारे में तो वो भी उनसे मिलना चाहती थी. एक दिन दिनेश निशा को घर लेकर जाता है और उसकी माँ से मिलाता है.

New Character: रितु (दिनेश की माँ) - ४० Yrs ...लेकिन लगती ३५ के आस पास..एकदम अपने आप को मेन्टेन किये हुए है…उसकी जल्दी शादी हो गयी थी और वसु के माफिक शादी के एक साल में ही दिनेश पैदा हो गया था.

Fig : ३४/३०/४०…एकदम कामुक औरत लेकिन एकदम संस्कारी.. मस्त उठे हुए चूचे, गहरी नाभि और बाहर को निकली हुई गांड और दिनेश और अपने बिज़नेस (जो उसने अपने पति के मरने के बाद संभाला था) पर ही ध्यान देती है.

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दिनेश को कभी पता नहीं चला की उसकी माँ भी बहुत कामुक औरत है और अपने आप को ही संतुष्ट करती रहती है.

उसकी माँ को देख कर निशा भी मन में सोचती है की ये भी उसकी माँ की तरह एकदम सुन्दर औरत है. निशा उसको देख कर उसके पाँव छूती है और आशीर्वाद लेती है.

रितु: दिनेश तुम्हारे बारे में बताया था की तुम दीपू की बेहन हो. अच्छा हुआ आज मुलाक़ात हो ही गयी. मैं ही इसे कह रही थी की एक बार तुझे भी घर ले आये. तेरा भाई तो यहाँ बहुत बार आया हुआ है .निशा थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं केहती. फिर वहां थोड़ी देर बैठ के चाय पीकर वो अपने घर को निकल जाती है और सोचती है की वो भी एक अच्छे घर में ही जायेगी…
Jabardast, interesting
& romantic update
👌👌👌👌
✅✅✅
🔆🔆

Ritu,s pic, superb choice
Excellent writing skills


200-1
 
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Dhakad boy

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Bhut hi badhiya update Bhai
Vasu aur dipu ne divya aur nisha ko sab kuch bata diya hai
Dhekte hai divya kya faisla leti hai
Vahi nisha aur Dinesh ki love story bhi aage bad rahi hai
 
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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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दीपू: ठीक कह रही हो. ये बातें जितना छुपा के रखेंगे उतना ही आगे मुश्किल हो सकता है.

दोनों फिर कुछ देर ऐसे ही वहां बैठे रहते है और फिर कुछ देर के बाद दोनों वहां से निकल कर अपने घर चले जाते है.

अब आगे ..

7th Update

घर जाने के बाद दोनों निशा और दिव्या पूछते है की इतना देर क्यों हुआ.. वसु कहती है की रात को वो उन सब से बात करेगी. दोनों एक दुसरे को देखते है जैसे कह रहे हो की आखिर बात क्या है जो रात में बताने वाली है. लेकिन दोनों कुछ नहीं कहते और सब अपने काम में लग जाते है.

रात को खाना खाने के बाद सब साफ़ सफाई करने के बाद वसु सब को अपने कमरे में बुलाती है और दीपू को भी आने को कहती है.

दोनों बड़ी उत्सुकता से कमरे में जाते है बिना जाने की एक धमाका होने वाला है ख़ास कर के दिव्या के ऊपर!!

निशा: बोलो ना आज इतना क्यों देर हुआ और आपने क्यों कहा की रात को बात करेंगे. वसु फिर एक नज़र दीपू को देखती है तो वो हाँ में सर हिला देता है. वसु अपना गाला थोड़ा ठीक कर के कहती है.. मैं जो कह रही हूँ उससे तुम दोनों को झटका लो लगेगा ही लेकिन फिर सोच समझ कर जवाब देना और अगर ना भी दिया तो कोई गलत नहीं है लेकिन मैं जो अभी बात कहने वाली हूँ सिर्फ फिलहाल हम चारों के बीच ही रेहनी चाहिए.

वसु को इतना सीरियस बात बोलने पे दोनों निशा और दिव्या एक दुसरे को देखते है और हाँ में सर हिला देते है. वसु: तो बात ये है की आज हम दोनों खंडहर गए थे और एक बाबा से मिले थे.

वसु: और बाबा को तुम्हारी कुंडली दिखाई थी. ये वही बाबा है जिनसे हमने और ऐसा कहते हुए दीपू और निशा की और देखते हुए कहती है की तुम दोनों की कुंडली भी बनवायी थी. उन पे हम दोनों बहुत मानते हे और जब दीपू छोटा था और उसकी जान को खतरा था तो उन्होंने दवाई देकर उसकी जान बचाई थी.

वसु: बाबा तुम्हारी कुंडली देख कर उन्होंने बताया है की कुछ दोष है तुम्हारे कुंडली में और इसीलिए तुम्हारी अब तक शादी नहीं हुई है. दिव्या थोड़ा आश्चर्य से वसु को देखती रहती है.

वसु: बाबा ने इस दोष से छुटकारा पाने के लिए इलाज भी बताया है लेकिन दिक्कत यहीं है.

निशा: क्या दिक्कत है?

वसु: उन्होंने बताया है की अगर तुम अपने ही कोई घर वालो से शादी करोगी तो ये दोष चला जाएगा और ये भी कहा की अगर तुम्हारी शादी कहीं बहार होती तो तुम्हारा पति मर जाएगा और तुम विधवा हो जाओगी और तुम्हारी ज़िन्दगी बहुत कठिन और नरक हो जायेगी. वसु ये सब एक सांस में कहती है और दिव्या की तरफ देखते रहती है.

दिव्या ये जान कर बहुत दुखी हो जाती है और उसका चेहरा उतर जाता है क्यूंकि उसे पता था की उसके परिवार में उससे कोई शादी नहीं करेगा.

वसु: मुझे पता है ये बहुत दुःख की बात है लेकिन बाबा ने इसका भी इलाज बताया है. दिव्या जब ये बात सुनती है तो तुरंत कहती है क्या? वसु फिर से एक गहरी सांस लेकर कहती है की मैंने तुम्हारी पूरी बात अब तक बतायी नहीं.

दोनों: और क्या बात है?

वसु: बात ये है की दीपू की कुंडली में ये है की उसकी एक से ज़्यादा बीवियां होगी और वो बहुत भाग्यशाली भी है. उसके जीवन में बहुत से औरतें आएगी जिन्हे वो बहुत प्यार देगा और उसे भी बहुत प्यार मिलेगा.

दिव्या: इसका मेरे शादी से क्या तालुक है?

वसु: मैं चाहती हूँ की तू दीपू से शादी कर ले. तेरी भी उम्र हो रही है और हम सब को तेरी बहुत चिंता है. मम्मी पापा रोज़ तेरे बारे में पूछते रहते है और कहते है की वो लोग जाने से पहले तुझे सुहागन के रूप में देखना चाहते है.

वसु: एक और बात…

दिव्या: क्या?

वसु: बात ये है की मेरी ज़िन्दगी भी तुम्हारे साथ ही जुडी हुई है. इसे किस्मत समझो या ऊपर वाले की दया की तुम भी हमारे साथ बहुत दिनों से रह रही हो.

दिव्या: ये तो मैंने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था की मेरा तुम्हारे साथ रहना तुम्हारी ज़िन्दगी से तालुक रकता है. माँ पिताजी ने मुझे यहाँ इसीलिए रहने को कहा था की जब जीजाजी गुज़र गए तो तुम्हे मेरे रहने से कुछ सहायता मिल जाए और तुम्हारी ज़िन्दगी में जो दुःख आये थे तुम उससे थोड़ा संभल जाओ

वसु: तेरी बात सही है. बाबा ने मेरी कुंडली भी बनायी और उन्होंने साफ़ कहा है की हम दोनों की ज़िन्दगी एक दुसरे से जुडी हुई है और जहाँ तेरी शादी होगी वहीँ मेरी भी शादी होगी. ऐसा कहते हुए वसु रुक जाती है और निशा और दिव्या की तरफ देखती है की उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी.

दिव्या: क्या कह रहो हो दीदी? तुम फिर से शादी करोगी?

निशा: क्या फिर से आपकी शादी होने वाली है?

वसु: मेरा भी तुम्हारी तरह ही reaction था जब बाबा ने ये बात कही थी. लेकिन फिर उन्होंने कहा की मेरे से भी ज़्यादा उम्र की औरतें जिनका तलाक हो जाता है वो भी दुबारा शादी कर लेते है और सुखी ज़िन्दगी जीते है. और फिर कहा की तुम्हारी उम्र इतना ज़्यादा भी नहीं है की तुम दुबारा शादी नहीं कर सकती. और फिर सबसे बड़ी बात.. ये की तुम शादी कर के फिर से एकदम सुखी ज़िन्दगी जियोगी.

दिव्या: वैसे ये बुरी बात नहीं है क्यूंकि मैं भी जानती हूँ की तुम्हे भी एक मर्द की ज़रुरत है जो तुम्हारी अच्छी देख बाल कर सके.

निशा: मौसी ठीक कह रही है माँ.. देखो ना तुम्हारी उम्र ही क्या है? तुम्हे भी अच्छे से जीना का अधिकार है और कितने दिन ऐसे रहोगी? हम दोनों भी तो अब बड़े हो गए है. कब तक हमारी चिंता में जीती रहोगी?

वसु: दिव्या से ..इस बारे में मैंने भी बहुत सोचा है .. तू तो जानती है की तेरा भाई में अब वो बात नहीं है और खुद अपनी बीवी याने हमारी भाभी को ठीक से नहीं देखते जिनकी चिंता माँ बाबूजी को भी है.

इतना कह कर वसु चुप हो जाती है. कमरे में एकदम सन्नाटा छा जाता है और कोई कुछ नहीं कहता.

इन सब बातों में दीपू एकदम चुप रहता है और कुछ नहीं कहता. इतने में निशा कहती है.. माँ एक बात बतानी थी आपसे.. जब आपने हमसे इतनी सारी बातें बतायी है तो मैं भी कुछ कहना चाहती हूँ.

वसु: हाँ, कहो

निशा: यही की अगर अपने घर में सिर्फ दीपू ही है जो मौसी और तुमसे शादी कर सकता है तो इससे और अच्छी बात क्या हो सकती है? देखो ये कितना सुन्दर और होशियार हो गया है. मुझे पता है की ये तुम दोनों को बहुत अच्छे से देखेगा और प्यार भी करेगा.. और ऐसा कहते हुए निशा दीपू की तरफ देख कर है देती है.

वसु को इस बात का थोड़ा एहसास था इसीलिए वो कुछ नहीं कहती और चुप रहती है.

दीपू माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए कहता है.. बहुत सीरियस बातें हो गयी है. मैं फ्रिज से cool drinks लाता हूँ और सब पीते है और ऐसा कहते हुए वो उठ कर किचन में चला जाता है. उसका एक और मक़सद था की वो उन तीनो को अकेले थोड़ा टाइम दे क्यूंकि अभी कुछ देर पहले लोगों की ज़िन्दगी बदलने वाले बातें हुई थी

दीपू थोड़ी देर में सब के लिए कूल ड्रिंक्स लाता है तो सब पीते है लेकिन कोई कुछ ज़्यादा बात नहीं करता क्यूंकि सब के मन में कुछ ना कुछ बातें चल रही थी.

कुछ समय बाद वसु आखिर में कहती है.. चलो रात हो गयी है सो जाते है. जाने से पहले छोटी सुन मैंने जो तुझसे पुछा है मुझे बताना. कोई जल्दी नहीं है. तेरा जो फैसला होगा उससे ही बात आगे बढ़ेगी. ठीक है? और तेरे फैसले पे ही मेरा भी फैसला होगा.

दिव्या: अभी भी वो थोड़ा गुमसुम रहती है. अचानक वसु के पूछने से अपने आप को संभाल कर ठीक है कहती है. फिर सब अपने कमरे में सोने चले जाते है.. अपनी अपनी सोच को लेकर..

दिव्या रात भर आज हुए बातों के बारे में सोचती रहती है और ना जाने क्यों उसे वसु की बात सही लगती है की वो दीपू से शादी कर के खुश रहेगी. पिछले २० सालों में इस घर में बीते हुई बातें और घटनाएं याद करती है और सोचती है की दीपू सच में एक अच्छा लड़का है भले ही वो मुझसे छोटा है लेकिन एकदम अच्छे स्वभाव का और हम सबसे कितना प्यार करता है . दीपू दिखने में बहुत सुन्दर था.. उसकी झील सी नीली आँखें अच्छा बदन और होशियार भी. उसके बारे में सोचते हुए ना जाने कब उसका हाथ अपनी टांगों के बीच चला जाता है और साडी के ऊपर से ही चूत को रगड़ते रहती है और ना जाने कब उसे नींद आ जाती है.

कुछ दिन ऐसे ही गुज़र जाते है लेकिन उनमें ज़्यादा इस बारे में बात नहीं होती.

निशा और दिनेश का मिलना:

कुछ दिन पहले (खंडहर में जाने से पहले कुछ दिन) जब दीपू ने निशा को दिनेश का नंबर दिया था..

निशा एक दिन रात को दिनेश को फ़ोन करती है.

निशा: दिनेश?

दिनेश: हाँ मैं दिनेश बोल रहा हूँ.. आप कौन? दिनेश के पास निशा का फ़ोन नंबर नहीं था.

निशा: मैं निशा दीपू की बेहन.

दिनेश: ओह..Hi... कैसी हो? कैसे मुझे याद किया?

निशा: कुछ नहीं ऐसे ही फ़ोन किया. तुम्हे थैंक्स बोलने के लिए तुमने जो मुझे कॉलेज में उन शरारतियों से बचाने के लिए.

दीपू: इसमें क्या है? वो लड़के बदतमीज़ी कर रहे थे तो मुझे बीच में आना ही पड़ा.

निशा: और सुनाओ.. कैसे हो? कल हम कॉफ़ी के लिए मिले क्या? लेकिन कॉलेज से बाहर.. नहीं तो मेरी दोस्त सब मेरी टांग खींचेगे..

दिनेश: ठीक है मिलते है.

अगले दिन दोनों बाहर कॉफ़ी पीने के लिए बाहर एक होटल जाते है. होटल काफी अच्छा था और कॉफ़ी थोड़ी मेहेंगी भी थी उस होटल में. निशा: इतने मेहेंगे होटल में आने की क्या ज़रुरत थी? और कहीं थोड़ा चल लेते. दिनेश: पहली बार तुम मेरे साथ आ रही हो तो फिर छोटे होटल कैसे जाते?

निशा ऐसे ही बात को आगे बढ़ाते हुए.. आगे क्या सोचा है?

दिनेश: मतलब? मैं समझा नहीं.

निशा: अरे मेरे कहने का मतलब था की अब studies भी ख़तम होने को आ रहे है तो आगे क्या करने का इरादा है?

दिनेश ये बात सुन कर थोड़ा आश्चर्य हो जाता है और निशा की तरफ देखते हुए कहता है की तुम्हे दीपू ने कुछ नहीं बताया क्या?

निशा भी आश्चर्य हो कर.. नहीं.. उसने मुझे कुछ नहीं बताया.

दिनेश: दीपू को तो मालूम है.

निशा: मतलब?

दिनेश: यही की कॉलेज ख़तम होने के बाद मैं अपनी मम्मी का बिज़नेस में हाथ बताऊंगा. हमारा बिज़नेस है तो मम्मी चाहती है की अब मैं बिज़नेस सम्भालूं और वो थोड़ा आराम करे.

निशा: दीपू ने तो मुझे कुछ नहीं बताया इस बारे में.

दिनेश: मैंने दीपू को ये भी बताया है की वो भी मेरे साथ मेरे बिज़नेस में काम कर सकता है और दोनों हमारी बिज़नेस को आगे बढ़ाएंगे.

निशा: वैसे कौन सा बिज़नेस है तुम्हारा?

दिनेश: कपड़ों का है. छोटा ही है लेकिन दिन अच्छे निकल जाते है. मैं और दीपू मिल कर बिज़नेस को और बढ़ाना चाहते है.

निशा: ये तो बड़ी अच्छी बात है. तुम्हारे घर में और कौन है?

दिनेश: मैं और मम्मी ही रहते है. पापा नहीं है.. जब मैं छोटा तो तो वो गुज़र गए.

निशा: सॉरी मुझे पता नहीं था.

दिनेश: कोई नहीं.

फिर ऐसे ही बातें करने के बाद दोनों होटल से निकल जाते है.

उस दिन रात को खाना खा कर जब सब अपने कमरे में सोने जाते है तो निशा दीपू के कमरे में आती है. दीपू उस वक़्त वो भी अपने मोबाइल में कुछ देख कर सोने की तैयारी कर रहा था तो निशा अपनी गांड मटकाते हुए उसके पास आती है. दीपू उसे देख कर.. क्या बात है आज यहाँ कैसे?

निशा: तूने बताया नहीं की पढाई करने के बाद तू अपने दोस्त दिनेश के साथ उसके बिज़नेस में उसका हाथ बताएगा?

दीपू: तुझे किसने बताया?

निशा: तू बताएगा नहीं तो मुझे पता नहीं चलेगा क्या?

दीपू: मतलब जनाब दिनेश से मिली हो आज..

निशा: हाँ आज उससे मिली थी और हम कॉफ़ी पीने गए थे.

दीपू: क्या बात है? मुझे क्यों नहीं बुलाया? मैं भी आ जाता

निशा: वो सब छोड़.. बात सही है क्या?

दीपू: हाँ, दिनेश ने सही कहा है. तुझे अपने दोस्तों से फुरसत मिले तो पता चले ना. मैं उसकी माँ रितु आंटी से भी मिला हूँ और उन्होंने भी कहा है की हम दोनों मिलकर उसके बिज़नेस को आगे बढ़ा सकते है

निशा: ये तो बहुत अच्छी बात है. चलो तू भी जल्दी सेटल हो जा. तुझे भी तो शादी करना है ना.. और ऐसा कहते हुए निशा दीपू को आँख मार देती है.

दीपू: मेरे से पहले तो तेरी शादी होगी.

निशा:देखते है

फिर दोनों ऐसे ही और कुछ बातें करते है और निशा अपने कमरे में चली जाती है और दीपू भी फिर सो जाता है.

फिर दोनों (दिनेश और निशा) के बीच में हर रोज़ बातें होती रहती है और दोनों के बिना जाने एक दुसरे के करीब आ जाते है. फिर एक दिन दिनेश निशा को propose करता है तो निशा भी खुश हो जाती है और हाँ कह देती है..

दिनेश भी एकदम खुश हो जाता है और कहता है की वो उसे अपनी माँ से मिलाना चाहता है. निशा को दीपू ने बताया था उसे माँ के बारे में तो वो भी उनसे मिलना चाहती थी. एक दिन दिनेश निशा को घर लेकर जाता है और उसकी माँ से मिलाता है.

New Character: रितु (दिनेश की माँ) - ४० Yrs ...लेकिन लगती ३५ के आस पास..एकदम अपने आप को मेन्टेन किये हुए है…उसकी जल्दी शादी हो गयी थी और वसु के माफिक शादी के एक साल में ही दिनेश पैदा हो गया था.

Fig : ३४/३०/४०…एकदम कामुक औरत लेकिन एकदम संस्कारी.. मस्त उठे हुए चूचे, गहरी नाभि और बाहर को निकली हुई गांड और दिनेश और अपने बिज़नेस (जो उसने अपने पति के मरने के बाद संभाला था) पर ही ध्यान देती है.

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दिनेश को कभी पता नहीं चला की उसकी माँ भी बहुत कामुक औरत है और अपने आप को ही संतुष्ट करती रहती है.

उसकी माँ को देख कर निशा भी मन में सोचती है की ये भी उसकी माँ की तरह एकदम सुन्दर औरत है. निशा उसको देख कर उसके पाँव छूती है और आशीर्वाद लेती है.

रितु: दिनेश तुम्हारे बारे में बताया था की तुम दीपू की बेहन हो. अच्छा हुआ आज मुलाक़ात हो ही गयी. मैं ही इसे कह रही थी की एक बार तुझे भी घर ले आये. तेरा भाई तो यहाँ बहुत बार आया हुआ है .निशा थोड़ा शर्मा जाती है लेकिन कुछ नहीं केहती. फिर वहां थोड़ी देर बैठ के चाय पीकर वो अपने घर को निकल जाती है और सोचती है की वो भी एक अच्छे घर में ही जायेगी…
कहानी में नए किरदार मतलब नए किस्से
देखते है आगे दिव्या क्या फैसला करती है
दोस्त के बिजनेस में हेल्प करना नए समीकरण बना रहा है कहानी रोचक होगी

बहुत शानदार
अगली कड़ी का इंतजार रहेगा
 
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