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Nice and superb update....Update 50
अगली सुबह उठते ही अक्षिता के चेहरे पर एक सुंदर मुस्कान थी, कल एकांश से बात करने के बाद वो काफी हल्का महसूस कर रही थी
उसने दीवारों पर देखा जिस पर एकांश की सारी तस्वीरें लगी हुई थीं, वो मुस्कुराई और उससे मिलने के लिए तैयार होने लगी और बढ़िया नहा कर साड़ी पहने बाहर आई
अक्षिता लिविंग रूम में आई तो उसकी माँ ने उसे नाश्ता दिया, उसने एकांश के बारे में पूछा तो सरिताजी ने उसे बताया कि एकांश बाहर गया हुआ है जिससे अक्षिता मुँह फुलाए हुए थी क्योंकि वो इस वक्त बस एकांश को देखना उससे मिलना चाहती थी
वो उसके कमरे में गई तो देखा कि फर्श पर उसकी फाइलें और कपड़ों सहित कई सारी चीजें बिखरी पड़ी थीं, ऐसा लग रहा था कि एकांश ने हताशा और गुस्से में ये चीजें फेंकी थीं
उसने पूरा कमरा साफ किया और एकांश की स्टडी टेबल पर
बैठ गई और अनजाने में ही वो नींद के आगोश में चली गई
थोड़ी देर बाद जब एकांश कमरे में आया तो उसने देखा कि अक्षिता उसकी टेबल पर सर टिकाए सो रही थी, उसने उसके खूबसूरत चेहरे को देखा और उसकी खूबसूरती की मन ही मन तारीफ़ की, उसकी आँखों से आँसू निकल आए जिसे उसने जल्दी से पोंछ दिया
एकांश ने आज सोच लिया था कि वो आज किसी भी कीमत पर अक्षिता को हॉस्पिटल में भर्ती करवा देगा
उसने कमरे में चारों ओर नज़र घुमाई तो पाया कि कमरा साफ़-सुथरा था, उसे अच्छी तरह याद था कि कल रात गुस्से और हताशा में उसने अक्षिता की सेहत के बारे में सोचते हुए सारी चीज़ें फेंक दी थीं
वो वाशरूम गया और बाहर आकर देखा कि अक्षिता अभी भी सो रही थी उसने उसे धीरे से उसे अपनी बाहों में उठाया और अपने बिस्तर पर सुला दिया
एकांश अक्षिता को अपने बेड पर सोता छोड़ अपने कमरे से बाहर आया और कुछ फ़ोन कॉल किए, उसने डॉक्टर से भी उसके हॉस्पिटल में ऐड्मिट होने के बारे में बात की और डॉक्टर ने उसे बताया कि सब कुछ तैयार था और एकांश उसे कभी भी ऐड्मिट करा सकता था
एकांश ने नीचे जाकर अक्षिता के मा पापा से भी इस बारे मे बात उन्होंने भी उससे कहा कि जो भी उसे सही लगे, वो करें क्योंकि वे बस इतना चाहते थे की उनकी बेटी ठीक रहे, उन्होंने जर्मनी में डॉक्टर से भी बात की और कहा कि जैसे ही उन्हें आने के लिए कहा जाएगा, वे भारत आ जाएंगे..
एकांश ऊपर जाकर अक्षिता के पास सो गया, लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी, उसके मन में कई विचार घूम रहे थे कि कहीं अक्षिता के साथ कुछ हो न जाए
अब तक अक्षिता भी जाग गई थी और उसने देखा कि एकांश उसके बगल में सो रहा था और छत को घूर रहा था, वह उसके करीब खिसकी और उसने एकांश के कंधे सर टिकाया और अपने हाथों से उससे पकड़े वापिस सो गई
एकांश ने भी अपना हाथ उसकी कमर के चारों ओर लपेटकर उसे अपने पास खींच लिया और जब वो उससे चिपक गई तो एकांश के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई
"अंश, तुम कहाँ थे?" अक्षिता ने पूछा
"मुझे कुछ काम था बस वही कर रहा था" एकांश ने कहा और अभी अक्षिता से बात करने का फैसला किया
" अक्षिता?"
" हम्म।"
"हमें हॉस्पिटल चलना चाहिए" एकांश ने अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
"डॉक्टर ने जो सिम्प्टम बताए थे, वो अब साफ तौर पर दिख रहे हैं और अब हमे और देर न करते हुए जल्द से जल्द हॉस्पिटल में ऐड्मिट होने की जरूरत है"
"सिम्प्टम?" अक्षिता ने पूछा
"हाँ.... मैं जर्मनी किसी बिजनस की वजह से नहीं गया था, बल्कि एक डॉक्टर से मिलने गया था जो ऐसे मामलों का स्पेशलिस्ट है और वो तुम्हारा इलाज करने के लिए इंडिया आने को तैयार है" एकांश ने कहा और अक्षिता के रिएक्शन का इंतजार करने लगा
एकांश की उसे ठीक करने की कोशिश को देखते हुए अक्षिता की आंखे वापिपस भरने लगी थी
"कब?" अक्षिता ने पूछा और एकांश आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगा
"आज" एकांश के कहा जिसे सुन अक्षिता थोड़ा चौकी
"हाँ, डॉक्टर ने कहा है कि तुम्हें जल्द से जल्द हॉस्पिटल मे ऐड्मिट करा दिया जाए" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा और अक्षिता थोड़ा उधर होकर नीचे देखने लगी
"अक्षिता...." एकांश ने उसे पुकारा
"क्या हम कल जा सकते हैं? क्योंकि जाने से पहले मैं अपना ज़्यादातर समय तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ" अक्षिता ने उम्मीद से एकांश की आँखों मे देखते हुए पूछा
एकांश ने एक मिनट सोचा और अपना सिर हा मे हिला दिया जिसपर अक्षिता मुस्कुराई और उसके एकांश के गाल को चूम लिया
"बस सिर्फ एक किस, वो भी गाल पे" एकांश ने कहा और उसके इक्स्प्रेशन देख अक्षिता हसने लगी और एकांश ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसकी हंसी को बंद करा दिया, दोनों एकदूसरे को चूम रहे थे और एकांश के हाथ अक्षिता की कमर पर घूम रहे थे
"तुमने साड़ी क्यों पहनी है?" एकांश ने अक्षिता से दूर हटते हुए कहा और अक्षिता ने उसे एक कन्फ्यूज़ लुक दिया
"जब तुम साड़ी पहनती हो तो मेरे लिए खुद को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है।" एकांश ने अक्षिता की आँखों में देखते हुए कहा
"तो फिर तुम्हें किसने कहा है कि तुम खुद पर कंट्रोल रखो।" अक्षिता ने कहा और शरमा कर दूसरी ओर देखने लगी वही एकांश बस अपलक उसे देख रहा था
एकांश ने फिर से अक्षिता को अपने करीब खिचा और दोनों के होंठ वापिस एकदूसरे से जुड़ गए थे, दोनों वापिस एकदूसरे के आगोश मे समा गए थे
"I think we should stop here" कुछ पल अक्षिता को किस करके के बाद एकांश ने पीछे हटते हुए बेड से उठते हुए कहा जिससे अक्षिता को थोड़ी निराश हुई
"ऐसा नहीं है कि मैं ये नहीं चाहता, मैं अभी तुम्हारे साथ कुछ करना चाहता हूँ, लेकिन हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि तुम्हारे मा पापा हम पर भरोसा करते हैं और हम इसका फायदा नहीं उठा सकते" एकांश ने कहा और अक्षिता भी जैसे उसकी बात समझ गई थी
वो बिस्तर से उठी और उसके गालों को अपने होंठों से चूमने लगी जिससे एकांश भी मुस्कुराया, उसने कभी ऐसा लड़का नहीं देखा था जो अपने आस-पास के लोगों से इतना प्यार करता हो, वो ना सिर्फ अपना काम और ऐशोआराम छोड़कर उसके पास आया था बल्कि उसके परिवार को उसके मा पापा को अपना माँ कर उनका सहारा भी बना था और एक आम आदमी की तरह रहने लगा था, दोनों ने एकदूसरे को गले लगा लिया था
"मैं सब ठीक कर दूंगा अक्षिता" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा
"जानती हु"
******
अक्षिता एकांश का इंतजार कर रही थी, उसने उसे यायर होने के लिए कहा था और वो दोनों कही जा रहे थे, अक्षिता भी बढ़िया साड़ी पहन कर तयार हुई थी क्युकी वो भी जानती थी के एकांश को उसे साड़ी मे देखना पसंद था
जब अक्षिता ने एकांश की कार का हॉर्न सुना तो वो बाहर आई, एकांश भी मस्त रेडी हुआ था और अक्षिता की नजरे अब भी उसपर से हट नहीं रही थी
“चलें..." एकांश ने अक्षिता के लिए कार का दरवाज़ा खोलते हुए कहा
"कहाँ?" अक्षिता ने पूछा
"तुम्हें जल्द ही पता चल जाएगा" एकांश के अक्षिता के बैठने के बाद कार का दरवाजा बंद करते हुए कहा
एकांश भी कार मे आकार बैठा और वो दोनों निकल गए, दोनों ही कुछ नहीं बोल रहे थे, गाड़ी मे एकदम शांति थी लेकिन दोनों के होंठों पर मुस्कान खेल रही थी
अक्षिता समझ गई थी के एकांश उसे कही खास जगह लेकर जा रहा था लेकिन कहा ये वो नहीं जानती थी और उसने पूछा भी नहीं क्युकी एकांश चाहे उसे जहा ले जाए उसके लिए बस उसके साथ रहना जरूरी था वो बस उसके साथ रहना चाहती थी
एकांश उसे उस शॉपिंग मॉल मे ले गया जहाँ वो दोनों पहली बार मिले थे और उसने उस जगह को देखा जहाँ वो दोनों एक दूसरे से टकराए थे, दोनों की यादों के झरोखे मे खोए थे.... उनकी पहली लड़ाई, उनकी बातचीत और कैसे वो मुलाकात दोस्ती में बदल गई थी
दोनों ने एक दूसरे को देखा और नम आँखों से एक दूसरे को देखकर मुस्कुराये, एकांश ने अक्षिता को कुछ शॉपिंग करवाई और उसने उसके और उसके मा पापा के लिए कुछ चीजें खरीदीं
वो उसे उस पार्क में ले गया जहाँ वो हमेशा मिलते थे, दोनों एक बेंच पर बैठे और मुस्कुराते हुए उन यादों को फिर से ताज़ा कर रहे थे
फिर वो उसे एक रेस्तराँ में ले गया और एक दूसरे से बातें करते हुए और एक दूसरे को चिढ़ाते हुए दोनों ने खाना खाया, भविष्य के गर्भ मे क्या छिपा है इसकी चिंता छोड़ दोनों आज का दिन भरपूर जी रहे थे और हमेशा की ऐसे ही रहना चाहते थे
अक्षिता एकांश को हंसता और मुस्कुराता देखकर खुश थी, क्योंकि कल जब उसने एकांश अपने लिए रोते देखा था तो वह डर गई थी, उसे चिंता थी कि उसके बाद एकांश का क्या होगा और वो रात को उसके बारे में सोचकर सो भी नहीं पाती थी
वो बस यही चाहती थी कि वो खुश रहे और अपनी जिंदगी जिए, चाहे अक्षिता वहा हो या ना हो
अक्षिता उस इंसान की ओर देखकर मुस्कुराई जो उससे कुछ कहते हुए हंस रहा था और वो उससे अपनी नजरें नहीं हटा पा रही थी...
"अक्षिता, आओ हमें कहीं चलना है" एकांश ने अक्षिता को उसके खयालों से बाहर लाते हुए कहा
"कहाँ?" अक्षिता ने पूछा
"सप्राइज़ है” एकांश ने मुसकुराते हुए कहा और अक्षिता को कार मे बिठाया, उसके आगे एकांश से कुछ ना पूछने का फैसला किया और वो जहा ले जाए जाने के लिए माँ गई और जब कार रुकी तो वो जहा आए थे वो जगह देख अक्षिता थोड़ा चौकी और स जगह को देखने लगी
"अंश, हम यहाँ क्यों आए हैं?" अक्षिता ने धीमे से फुसफुसाते हुए पूछा
"यही वो सप्राइज़ है जिसके बारे में मैं बात कर रहा था" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा
"ये कोई सप्राइज़ की बात नहीं है, शॉक है" अक्षिता ने कहा
और एकांश अक्षिता के शॉक भरे इक्स्प्रेशन देखकर हंस पड़ा
"अब चलो" एकांश ने कार से उतरते हुए कहा लेकिन अक्षिता अपनी जगह से नहीं हिली
"अक्षिता?"
"प्लीज अंश, मुझसे ये नहीं होगा" अक्षिता ने कहा
"तुम्हें इतनी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है यार"
" लेकिन........"
"बाहर आ रही हो या उठाकर ले आऊ" एकांश ने अक्षिता को देखते हुए कहा और जैसे ही एकांश ये बोला
"नहीं!" अक्षिता चिल्लाई और जल्दी से कार से नीचे उतर गई क्योंकि उसे यकीन था कि वो उसे जरूर उठाकर ले जाएगा
"अच्छा अब चलो वो हमारा ही इंतज़ार कर रहे हैं" एकांश ने अक्षिता का हाथ पकड़ते हुए कहा वही अक्षिता अब भी इस बारे मे शुवर नहीं थी
"चिंता मत करो, सब ठीक हो जाएगा" एकांश ने कहा और उसे अपने साथ लेकर मेन गेट की ओर चल दिया
"नहीं, अंश, प्लीज" अक्षिता ने डरते हुए कहा
"do you trust me?" एकांश ने अक्षिता से पूछा
"हाँ." उसने कहा.
"तो फिर चलो"
"एकांश रुको!" अंदर से आवाज़ आई
दोनों ने अंदर देखा तो एकांश की मां तेजी से उनकी ओर आ
रही थी
"वहीं रुको।" एकांश की मा ने हाफते हुए कहा
"अब क्या हुआ माँ?" एकांश ने पूछा
"वो पहली बार हमारे घर आई है तुम रुको मुझे उसे अच्छे से अंदर बुलाने दो" एकांश की मां ने कहा और दोनो की आरती उतारी और अक्षिता का घर में स्वागत किया और अक्षिता को।कसकर गले लगाया और इससे अक्षिता को घबराहट थोड़ी कम हुई
"डैड कहाँ हैं?" एकांश ने पूछा।
"अरे मैं यहीं हूँ" एकांश के पिता आकार उसकी माँ के पास खड़े हो गए और उन्हें देखकर मुस्कुराने लगे
दोनों ने झुककर एकांश के पेरेंट्स के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया
"आओ पहले खाना खा लें" एकांश की मां ने कहा
उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खाया, एकांश की माँ ने अक्षिता को उसके बचपन की सारी कहानियाँ सुनाईं जिससे अक्षिता को भी एकांश के मजे लेने का पूरा मौका मिला
अक्षिता वो वहा पूरी घरवाली फीलिंग आ रही थी और वो घबराहट तो मानो कब की गायब हो चुकी थी, एकांश भी उसे यू हसता मुस्कुराता देख खुश था
उन्होंने कुछ देर और बातें की और उसके बाद एकांश अक्षिता के अपना घर दिखाने ले गया, अक्षिता सब कुछ गौर से देख रही थी क्योंकि वो उसके बारे में सब कुछ जानना चाहती थी
और आखिर में वो उसे अपने कमरे में ले गया और अक्षिता एकांश के कमरे को देखकर दंग रह गई,
अक्षिता उस कमरे में घूम-घूम कर हर चीज़ को उत्सुकता से देख रही थी उसे एकांश के कमरे में होने का एहसास अच्छा लग रहा था और वो दीवार पर लगी तस्वीरों को देखकर मुस्कुरा रही थी
एकांश बाथरूम चला गया था जबकि अक्षिता फोटो देखने में मग्न थी और एकांश के बचपन के फोटो देख मुस्कुरा रही थी
अक्षिता हर चीज को देख रही थी और फिर देखते हुए अक्षिता की नजर एकांश की अलमारी में रखी अपनी फोटो पर पड़ी जिसमे वो मुस्कुरा रही थी, उसके देखा तो वहा उसकी और भी कई तस्वीरें थी, और ये देख कर की एकांश ने उसकी सभी यादों को संभाल कर रखा है अक्षिता की आंखो में पानी आ गया था, वो अब कमरे की खिड़की के पास खड़ी होकर इसी बारे में सोच रही थी और तभी उसने अपने चारो ओर हाथ महसूस किए और उसने पाया के एकांश उसे पीछे से लगे लगा रहा था
"अंश, I like your room..... क्या मस्त कमरा है तुम्हारा और यहा से व्यू कितना शानदार है" अक्षिता ने बाहर की ओर देखते हुए कहा
"हाँ, बहुत सुंदर है" एकांश ने अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
"अंश, मुझे माफ़ कर दो" अक्षिता ने अचानक कहा जिससे एकांश थोड़ा चौका
"क्यों?" एकांश ने अक्षिता का चेहरा अपनी ओर घूमते हुए पूछा
"तुम इतना बड़ा घर, सुख-सुविधाएं, ऐशोआराम और सबसे इंपोर्टेंट अपना परिवार छोड़कर हमारे साथ इतने छोटे से घर और छोटे से कमरे में रह रहे हो.... मेरी वजह से" अक्षिता ने धीरे से नीचे देखते हुए कहा
एकांश ने अक्षिता की ठोड़ी को ऊपर उठाया लेकिन फिर भी वो उसकी ओर नहीं देख रही थी
"मेरे लिए अभी तुमसे ज़्यादा इंपोर्टेंट कुछ भी नहीं है" एकांश ने धीमे से फुसफुसा कर कहा और अक्षिता आँसू भरी आँखों से उसे देखने लगी
वो थोड़ा मुस्कुराई और सोचने लगी कि उसने ऐसा क्या अच्छा काम किया होगा कि एकांश उसकी जिंदगी में आया
"I am still sorry" अक्षिता ने कहा
"अक्षिता, ऐसा मत सोचो...... और मैं तुम्हारे साथ रहकर खुश हूँ" एकांश ने अक्षिता को आंखो में देखते हुए कहा
"मैं इसके लिए सॉरी नही कह रही हूँ, मैं तो इसलिए माफ़ी मांग रही हूँ क्योंकि मैंने तुम्हें अभी अभी बिना कपड़ो के देख लिया" उसने कहा और उसकी आँखें आश्चर्य से बाहर आ गईं
"क्या.....?" एकांश ने एकदम चौक कर पूछा
"हाँ" अक्षिता ने मासूमियत से कहा
"कब और कहाँ?" एकांश ने हैरानी भरे स्वर में पूछा
"अभी, यहीं पर"
और फिर अक्षिता ने एकांश को उसके बचपन की एक फोटो दिखाई जिसमे वो बगैर कपड़ो के था
एकांश एक पल के लिए शॉक होकर उसे देखता रहा और फिर फोटो की तरफ, उसे समझने में थोड़ा समय लगा और जब उसे समझ आया, तो उसने अक्षिता की ओर देखा जो अपनी हंसी को रोकने की कोशिश कर रही थी और एकांश के एक्सप्रेशन देखकर वह अपनी हंसी पर कंट्रोल नहीं रख सकी और जोर से हंसने लगी, और एकांश से दूर हटी जो अब उसे घूर रहा था और उसके हाथ से अपनी फोटो छीनने की कोशिश कर रहा था
वही अक्षिता भाग भाग कर उसे चिढ़ा रही थी
अक्षिता बिस्तर के चारो ओर भाग रही थी और एकांश उसके पीछे था और आखिर में उसने अक्षिता का हाथ पकड़ लिया और वो दोनो बेड पर गिरे, नजदीकिया बढ़ रही थी, दोनो हाफ रहे थे और एकदूसरे को देख रहे थे और फिर दोनो जोर जोर से हंसने लगे
दोनो को अब अपनी नजदीकियों का एहसास बीके रहा था, आसपास के माहोल में गर्मी बढ़ रही थी, अनजाने में ही कब उनके चेहरे एकदूसरे को ओर बढ़े और होठ आपस में मिले उन्हें पता ही नही चला और उस प्यार भरे किस के टूटने के बाद एकांश ने अक्षिता को देखा और कहा
"I Love You!"
क्रमश:
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Yup, late night, or tomorrow morningAdirshi bhai aaj update aane ka chance hai?