thanks very much, tab padhuga aur comment karte chalunga, i am sure i will love thisSure casi bhai, work already in progress thank you
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Bohat khoob yani kisi aur ka cheeka kisi aur ke sar fod do. Matlab sara ilzam ranvijay pe aa gaya ab. Dekhay kia hota hai jab thakur waha pihacta hai to.Update 12 चौंक कर रणविजय ने मंजरी को देखा और फिर अपना काम करने लगा !
“जवाब दिजिये..कौन है वो लडकी और क्या हुआ है..रात मे जब आपको फोन आया तबसे आप बदले बदले लागत हैं...:मंजरी की आंखे रणविजय के लिये फिक्रमंद थी !
“जब कभी सही वक़्त मिला तो तुम्हे सब बताउँगा..अभी बस इतना समझ लो की एक कर्ज़ है मेरे उपर जो मुझे हर हाल मे चुकाना है, मै वैसा नहिं हूँ जैसा तुम सम्झती हो..एक काला अतीत है मेरा..”रणविजय कहीं खो सा गया !
मंजरी नासमझी की स्थिति मे एकटक उसे देख रही थी !
“यूं समझ लो इस लडकी कि हिफाज़त के लिये ही मैं यहाँ आया था...अब शायद वक़्त आ गया है जाने का...लेकिन तुम ये सब बात किसी और से मत कहना !”
“कौन हैं ये ?..आपकी कुछ लागत हैं क्या ? ” मंजरी ने बडी मासूमियत से पूछा !
“हां भी और नहीं भी,खैर वो नहीं लगती जो तुम लगती हो “ रणविजय ने बात को बदलना चाहा, मुस्कुराते हुये बोला !
“हम तो कुछ भी नहीं लागत हैं आपके,जबहीं तो इतना गहरा जखम लगाकर आये हैं..” मंजरी कि सादगी मे बहता जा रहा था रणविजय !
“ऐसा मत कहो..अच्छा फिर कभी समय मिला तो सुरु से बताउंगा..अभी थोडा परेसान हूं..”
“काहें...काहें परेशान हैं अब आप..??”
“वो इसमे दर्द हो रहा है ना इसलिये..”उसने अपने बाजु कि ओर इशारा किया..रणविजय ने मंजरी को आगे कुछ नहिं बताया और मंजरी भी शायद समझ गयी थी की अभी रणविजय से कुछ पुछना ठीक नहीं है!
“अच्छा हम अबहीं आपके लिये भी हल्दी वाला दूध लावत हैं..किया..उस से फिर सारा दर्द छू मंतर हो जइहै !” मंजरि बोलती हुयी बाहर निकल गयी ! और रणविजय उसकी सादगी पे मुस्कुराता रहा ! उसने अपना फोन निकाला और एक नम्बर डायल किया -
“रात तक पता करके बताओ कि सुधीर सिंह कौन है यहाँ , उसके बारे में सारी जानकारी चाहिये”
दुसरे तरफ से कुछ कहा गये और रणविजय ने कॉल कट कर दी !
इधर विजयगढ कि हवेली मे कोहराम मचा हुआ था...बडे ठाकुर कि हवेली से एक लडकी ,वो भी उनकी सगी भतीजी गाय्ब हो गयी थी और किसी को पता भी नहिं चला था...हर बीतते पल के साथ ठाकुर सुदर्शन सिंह का गुस्सा सातवें आसमान को छू रहा था..ज्यादा गुस्सा इसलिये भी था क्युंकी ये सीधा सीधा उनके अहम पर वार था !
“साली कुतिया..कहा था न तुझे कि उस लड्की पर नज़र रखना..खाली पैसे कि भूख है तुझे....सालि छिना*..रन्डी ...” हवेली कि वफादार रज्जो उन मुलाजिमों मे थी जिनपर उनके गुस्से का कहर टूटा था !
“माफ कर देहैं मालिक...हम दिनभर उनका साये के जैसा पीछा करत रहे हैं..राति में का हो गवा हमें ना मालूम...आह..दुहायी है मालिक माफी! ”” ठाकुर साहब रज्जो का बाल पकड़ कर घसीट रहे थे और उसे लात घुंसो से मार रहे थे !
“मालिक! सरजूआ कह रहा है की बंजारन कि बस्ती की ओर जाते देखा है छोटी ठकुरायिन को .....कौनो लौंडे के साथ ” एक लठैत ने आकर कहा !
ठाकुर साहब ने खा जाने वाली नजरों से घूरा उसे......
“गाडी निकाल रे.......!!! भोसडी का....माधरजा*.....चम्बल में कौन पैदा हो गया ठाकुरों कि लौंडिया घुमाने वाला ..अरे! बंदूक ला रे हमरी !” ठाकुर सुदर्शन सिंह दहाड़ लगायी और तमतमाते हुये बाहर निकल गये !
शाम हो गयी थी....गंगा संध्या के होने वाले ससुराल से अभी अभी लौट कर आया था...सबकुछ तय हो गया था..गंगा ने अपनी सहमती दे दी थी सन्ध्या के बापू को..सबकुछ उसे ठीक हि लगा था..लडका भी देखने में ठीक था..बम्बई में किसी शीशे की फैकटरी मे काम करता था....लेन देन और शादी कि सारी बातें हो गयी थीं..अब बस वो लड्की देखने आने वाले थे और उसी दिन शादी कि तारिख भी तय करने का भी सोच रहे थे..
“किसलय ! जरा पानी ला..” गंगा ने अपन कुर्ता निकालकर खुंटी पर टांगा और आवाज़ लगायी..पानी लेकर किसलय कि बजाय सन्ध्या चली आयी !
गंगा ने पानी का लोटा थाम लिया और सर झुका लिया..संध्या से नजरें नहीं मिला पा रहा था!
“ देख आये ह्मार होने वाला ससुराल ?..बताओगे नाहीं कैसा है??..और कैसे हैं वहाँ के सब लोग..” संध्या का एक एक शब्द बाण के जैसे गंगा के सीने मे लग रहा था
“हम का कर सकत हैं सन्ध्या !” बडी बेबसी थी उन कुछ अल्फाज़ों में,सन्ध्या आगे कोई शिकायत भी नहीं कर सकी !दुपट्टे से अपना मुहं को ढके हुये कुछ देर तक बेबस गंगा को प्रेम से निहारती रही फिर चुप्चाप अंदर चली गयी..गंगा ने अंगोछा मुह पर रखा ,दिल के दर्द को दिल में कुचल दिया और चारपायी पे लेट गया !
“गंगा..गंगा....!!!! ” मिलन कि आवाज़ सुनते ही गंगा उठ बैठा !
“का हुआ मिलन..इतना जोर से काहे चिल्ला रहा है..”
“अरे सुना तुने, ..गज़ब हो गया.. राते से छोटी ठकुरायिन हवेली से गायब हो गयी हैं और पता चला है बंजारन कि बस्ती मे छिपी हैं,और वो भी किसी लौंडे के साथ...”
“अबे का बकवास कर रहा है !!..पूजा जी के बारे में अईसन बात पर बिस्वास कर सकत है तु??..कौन कहा तुहरा से? ..”
“अरे हवेली का लठैत आया रहा गांव मे..8-10 लौडों को ले गया है जो हवेली के लिये मार पीट करत हैं..छ्गनवा को जानत हो ना..वो भी हवेली का लठैत है..हमका वही बतावा है..हम वो बखत वहीं थे...”मिलन भी परेशान लग रहा था !
“ओह !..फिर तो जरुर कुछ गड्बड है.और का बताया वो...”
“कह रहा था टःआकुर बौत गुस्से मे है और बंजारन कि बस्ती जा रहे हैं “ मिलन ने कहा !
“ओह.. ये तो बहुत बडी बात हो गयी फिर !...तु रुक हम आवत हैं अबहीं...”
“कहाँ जात हो तू , चुपचाप घर पर बैठ..बडे लोगन के झगडा मे छोटे आदमी का क्या काम..” मिलन ने कहा !
“अरे कईसन बात करत है !!..पूजा जी जरुर कौनो परेशानी मे होइहैं..हम अबहीं आवत हैं बंजारन कि बस्ती से..” गंगा ने कुर्ता पहना और अपना लठ उठाया -
“किसलय हम अबहीं आवत हैं...” किसलय को आवाज़ देता गंगा चल दिया ..मिलन उसे मना करता रहा पर गंगा कहाँ मानने वाला था!
“तोहें अकेले ना जाये देब..हम भी चलत हैं फिर” मिलन भी गंगा के साथ चल दिया ! गंगा और किसलय के लिये तो जान लेने और देने दोनों के लिये तैयार रहता था मिलन !
Waiting bhai
PostedIntajar
thoda busy hun Casi bhai , jaldi hi roman font me post kar dungathanks very much, tab padhuga aur comment karte chalunga, i am sure i will love this